विद्युत प्रणाली में तारों के प्रकार ( Types of Wiring in Electrical System )
विद्युत प्रणाली में तारों (Wires) और केबलों (Cables) को उनके उपयोग, निर्माण सामग्री, इंसुलेशन के प्रकार और वोल्टेज रेटिंग के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
यहाँ विद्युत प्रणाली में उपयोग होने वाले मुख्य प्रकार के तारों का विवरण दिया गया है:
1. निर्माण सामग्री के आधार पर (Based on Conductor Material) चालक (Conductor) सामग्री के आधार पर दो मुख्य प्रकार होते हैं:
तांबे के तार (Copper Wires):
उपयोग: ये उच्च चालकता (High Conductivity) और कम प्रतिरोध के कारण घरों, वाणिज्यिक भवनों, और कंट्रोल पैनल में सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं।
फायदे: ये एल्युमीनियम की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं और उच्च तापमान सहन कर सकते हैं।
एल्युमीनियम के तार (Aluminum Wires):
उपयोग: मुख्य रूप से उच्च वोल्टेज संचरण (High Voltage Transmission) और वितरण लाइनों (Distribution Lines) में उपयोग किए जाते हैं क्योंकि ये हल्के और सस्ते होते हैं।
फायदे: कम लागत और कम वजन, लेकिन तांबे की तुलना में कम चालकता और अधिक नाजुक होते हैं।
2. इंसुलेशन के आधार पर (Based on Insulation Type) इंसुलेशन (विद्युतरोधन) चालक को छूने या लीक होने से बचाता है:
PVC इंसुलेटेड तार (PVC Insulated Wires):
उपयोग: घरों और कार्यालयों में सबसे आम हैं।
PVC (पॉलीविनाइल क्लोराइड) नमी और कुछ रसायनों के प्रति प्रतिरोधी होता है।
XLPE इंसुलेटेड तार (XLPE Insulated Wires):
उपयोग: उच्च वोल्टेज और उच्च तापमान अनुप्रयोगों के लिए।
XLPE (क्रॉस-लिंक्ड पॉलीइथिलीन) PVC की तुलना में बेहतर गर्मी प्रतिरोध (Heat Resistance) और ढांकता हुआ शक्ति (Dielectric Strength) प्रदान करता है।
पेपर इंसुलेटेड तार (Paper Insulated Wires):
उपयोग: पुराने या विशेष प्रकार के भूमिगत केबलों (Underground Cables) में उपयोग होते थे।
3. उपयोग और स्थापना के आधार पर (Based on Usage & Installation) विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए विभिन्न प्रकार की केबल संरचनाएँ होती हैं:
एकल कोर तार (Single Core Wires): ये वे तार होते हैं जिनमें केवल एक चालक होता है, जिसके चारों ओर इंसुलेशन होता है।
उपयोग: आमतौर पर हाउस वायरिंग में कंड्यूट (पाइप) के अंदर खींचे जाते हैं।
मल्टी-कोर केबल (Multi-Core Cables): इनमें एक बाहरी जैकेट (Outer Jacket) के अंदर दो या दो से अधिक अलग-अलग इंसुलेटेड चालक होते हैं।
उपयोग: उपकरण कनेक्शन (जैसे तीन-पिन प्लग) या औद्योगिक मोटरों को बिजली देने के लिए जहाँ एक साथ कई फेज और न्यूट्रल की आवश्यकता होती है।
आर्मर्ड केबल (Armored Cables): इनमें चालकों और इंसुलेशन के ऊपर स्टील का कवच (Steel Armor) होता है।
उपयोग: भूमिगत स्थापनाओं या औद्योगिक क्षेत्रों में जहाँ यांत्रिक क्षति (Mechanical Damage) का उच्च जोखिम होता है।
फ्लेक्सिबल केबल (Flexible Cables): इनमें पतले-पतले तारों के कई लच्छे (Strands) होते हैं, जो उन्हें बहुत लचीला बनाते हैं।
उपयोग: घरेलू उपकरणों (जैसे टोस्टर, मिक्सर, लैंप) और पोर्टेबल उपकरणों को बिजली देने के लिए।
वेदरप्रूफ केबल (Weatherproof Cables): इनके इंसुलेशन पर मौसम का प्रभाव कम होता है।
उपयोग: आउटडोर लाइटिंग और सर्विस लाइन (बिजली के खंभों से घर तक) में।
4. वोल्टेज रेटिंग के आधार पर (Based on Voltage Rating) तारों को उनके द्वारा वहन किए जाने वाले अधिकतम वोल्टेज के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है:
कम वोल्टेज (Low Voltage - LV): {1000 V} तक (घरेलू और वाणिज्यिक उपयोग)।
मध्यम वोल्टेज (Medium Voltage - MV): 1 { kV} से 33 { kV} तक (वितरण सबस्टेशन)।
उच्च वोल्टेज (High Voltage - HV): 33 { kV} से अधिक (बिजली संचरण लाइनें)।
छिपी हुई वायरिंग प्रणाली (Concealed Wiring System)
छिपी हुई वायरिंग प्रणाली, जिसे कॉन्सिल्ड वायरिंग (Concealed Wiring) भी कहते हैं, एक ऐसी विधि है जिसमें बिजली के तारों और केबलों को दीवारों, छतों या फर्श के अंदर छुपा दिया जाता है। इस प्रणाली में, तारों को आमतौर पर कंड्यूट (Conduit) नामक प्लास्टिक या धातु के पाइपों के अंदर डाला जाता है, और फिर इन पाइपों को दीवार या छत की चिनाई या प्लास्टर के नीचे छिपा दिया जाता है।
यह प्रणाली आधुनिक घरों और इमारतों में सबसे लोकप्रिय है क्योंकि यह कई महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करती है:
मुख्य लाभ (Key Advantages)
- सौंदर्य अपील (Aesthetic Appeal): यह सबसे बड़ा लाभ है। चूंकि तार दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए घर या कमरे को एक साफ, सुव्यवस्थित और सुंदर रूप मिलता है, जो आंतरिक सज्जा को बेहतर बनाता है।
- सुरक्षा (Safety): तार बाहरी क्षति, जैसे कि चोट लगने, नमी, धूल या कीटों से सुरक्षित रहते हैं। यह बिजली के झटके, शॉर्ट सर्किट और आग लगने के जोखिम को कम करता है, जिससे यह विशेष रूप से बच्चों और पालतू जानवरों वाले घरों के लिए सुरक्षित हो जाता है।
- दीर्घायु और स्थायित्व (Longevity and Durability): तारों के कंड्यूट के अंदर होने और बाहरी तत्वों से सुरक्षित रहने के कारण, विद्युत प्रणाली की टिकाऊपन (durability) और जीवनकाल (lifespan) बढ़ जाता है।
स्थापना प्रक्रिया (Installation Process)
छिपी हुई वायरिंग की स्थापना में आमतौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
- लेआउट योजना (Layout Planning): स्विच, आउटलेट, लाइट पॉइंट और मुख्य वितरण बोर्ड के स्थानों सहित एक विस्तृत वायरिंग योजना तैयार की जाती है।
- कंड्यूट बिछाना (Laying Conduits): दीवारों और छतों में खांचे (channels) काटे जाते हैं, और उनमें PVC या धातु के कंड्यूट पाइप बिछाए जाते हैं।
- स्विच और जंक्शन बॉक्स स्थापित करना (Installing Boxes): स्विच बोर्ड और जंक्शन बॉक्स के लिए आवश्यक स्थान बनाए जाते हैं।
- प्लास्टरिंग और फिनिशिंग (Plastering and Finishing): कंड्यूट को प्लास्टर से ढक दिया जाता है, जिससे वे पूरी तरह से छिप जाते हैं।
- तार डालना (Wire Pulling): प्लास्टर सूखने के बाद, तारों को "फिश टेप" (Fish Tape) नामक एक उपकरण का उपयोग करके कंड्यूट के माध्यम से खींचा जाता है।
- कनेक्शन (Connections): स्विच, आउटलेट और अन्य फिक्स्चर को जोड़ा जाता है।
कमियाँ (Disadvantages)
- मरम्मत में जटिलता (Difficulty in Repairs): चूंकि तार छिपे होते हैं, इसलिए फॉल्ट या मरम्मत की आवश्यकता होने पर समस्या का पता लगाना और उसे ठीक करना खुली वायरिंग (exposed wiring) की तुलना में अधिक जटिल और महंगा हो सकता है, क्योंकि इसमें दीवारों या प्लास्टर को तोड़ना पड़ सकता है।
- उच्च प्रारंभिक लागत (High Initial Cost): खुली वायरिंग की तुलना में इसकी स्थापना की लागत अधिक होती है, क्योंकि इसमें अधिक समय और श्रम लगता है।
गुप्त वायरिंग प्रणाली का निर्माण (Installation of Concealed Wiring System)
गुप्त वायरिंग प्रणाली, जिसे कॉन्सिल्ड कंड्यूट वायरिंग भी कहते हैं, एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जो आमतौर पर घर के निर्माण के दौरान की जाती है। इस प्रणाली में, तारों को दीवार या छत के प्लास्टर के नीचे छिपाने के लिए PVC या धातु के पाइप (कंड्यूट) का उपयोग किया जाता है।
निर्माण के प्रमुख चरण (Key Installation Steps)
गुप्त वायरिंग प्रणाली के निर्माण में मुख्य रूप से तीन चरण शामिल हैं:
1. पाइप फिटिंग (Piping/Conduit Fitting)
यह चरण भवन निर्माण के दौरान, दीवारों की चिनाई (Brickwork) के बाद और प्लास्टरिंग से पहले किया जाता है।
- प्लानिंग और मार्किंग: सबसे पहले, स्विच बोर्ड, सॉकेट, पंखे के बॉक्स (Fan Boxes), और लाइट पॉइंट्स के लिए स्थानों को दीवार और छत पर चिह्नित किया जाता है।
- कटिंग (Grooving): चिह्नित स्थानों के अनुसार, दीवारों में कंड्यूट पाइप को बिछाने के लिए खांचे (Grooves) या चैनल काटे जाते हैं। छत में, बीम और स्लैब के ढलने से पहले ही पाइप बिछाए जाते हैं।
- बॉक्स लगाना: स्विच बोर्ड, जंक्शन बॉक्स और पंखे के बॉक्स (Fan Boxes) को निर्धारित स्थानों पर दीवारों और छतों में फिक्स किया जाता है।
- कंड्यूट बिछाना: PVC या धातु के कंड्यूट पाइप को इन बॉक्सों को जोड़ते हुए खांचों के अंदर बिछाया जाता है और क्लैम्प्स से सुरक्षित किया जाता है।
- सीमेंट और प्लास्टर: पाइप और बॉक्सों को दीवारों में फिक्स करने के बाद, खांचों को सीमेंट या मोर्टार से भर दिया जाता है, और फिर पूरी दीवार पर प्लास्टर किया जाता है ताकि वायरिंग पूरी तरह से छिप जाए।
2. तार खींचना (Wire Drawing)
यह चरण प्लास्टरिंग और रंग-रोगन (Painting) के बाद किया जाता है।
- फिश टेप का उपयोग: प्लास्टर सूखने के बाद, फिश टेप (Fish Tape) नामक एक लचीले तार को कंड्यूट पाइप में डाला जाता है।
- तार जोड़ना: आवश्यक विद्युत तारों (फेज, न्यूट्रल, अर्थिंग, इन्वर्टर) को फिश टेप के सिरे से मजबूती से जोड़ दिया जाता है।
- वायर खींचना: फिश टेप को धीरे-धीरे दूसरी तरफ से खींचकर, तारों को कंड्यूट पाइप के माध्यम से स्विच बोर्ड और जंक्शन बॉक्स तक पहुंचाया जाता है।
- वायरिंग रंग कोड: इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि तारों को सही रंग कोड के अनुसार खींचा गया है (जैसे: फेज के लिए लाल, न्यूट्रल के लिए काला/नीला, अर्थिंग के लिए हरा)।
3. कनेक्शन और फिनिशिंग (Connection and Finishing)
यह अंतिम चरण है जब सभी विद्युत उपकरण और एक्सेसरीज स्थापित किए जाते हैं।
- मुख्य कनेक्शन: डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB) में सभी मुख्य सर्किट वायर (फेज और न्यूट्रल) को MCBs (मिनीएचर सर्किट ब्रेकर) से जोड़ा जाता है।
- स्विच बोर्ड कनेक्शन: स्विच बोर्ड में, फेज वायर को सभी स्विचों के निचले टर्मिनल से जोड़ा जाता है। उपकरण (बल्ब, पंखा, सॉकेट) के तारों (जिन्हें हाफ वायर कहते हैं) को स्विचों के ऊपरी टर्मिनल से जोड़ा जाता है।
- न्यूट्रल और अर्थिंग: सभी उपकरणों के न्यूट्रल वायर को एक साथ जोड़ा जाता है और मुख्य न्यूट्रल से मिलाया जाता है। इसी तरह, सभी अर्थिंग तारों को भी जोड़ा जाता है।
- फाइनल इंस्टॉलेशन: मॉड्यूलर प्लेटों को लगाया जाता है, और सभी कनेक्शनों की जाँच के बाद, बिजली की आपूर्ति शुरू की जाती है।
गुप्त वायरिंग प्रणाली, जिसे कॉन्सिल्ड कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) कहते हैं, का मुख्य कार्य घर या इमारत में बिजली की सुरक्षित और सौंदर्यपूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह प्रणाली तारों को दीवारों, छतों और फर्श के अंदर छिपाकर काम करती है।
गुप्त वायरिंग प्रणाली के मुख्य कार्य और उद्देश्य (Main Functions and Objectives)
गुप्त वायरिंग प्रणाली कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों को पूरा करती है, जो इसकी कार्यप्रणाली को परिभाषित करते हैं:
1. सुरक्षा प्रदान करना (Providing Safety)
यह इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
- भौतिक सुरक्षा (Physical Protection): कंड्यूट पाइप (PVC या धातु के) तारों को बाहरी चोट, टूट-फूट, नमी, धूल और कीड़ों (जैसे चूहे) से बचाते हैं।
- आग से बचाव (Fire Protection): तारों के पूरी तरह से ढके होने के कारण, शॉर्ट सर्किट या ओवरहीटिंग की स्थिति में आग लगने का खतरा कम हो जाता है, क्योंकि आग खुली हवा के संपर्क में नहीं आती है।
- बिजली के झटके से सुरक्षा (Shock Hazard Prevention): तार पहुंच से बाहर होते हैं, जिससे लोगों या पालतू जानवरों को गलती से नंगे तारों को छूने और बिजली का झटका लगने का जोखिम समाप्त हो जाता है।
2. सौंदर्य और स्वच्छता बनाए रखना (Maintaining Aesthetics and Cleanliness)
यह प्रणाली घर को एक आधुनिक और साफ-सुथरा लुक देती है।
- अदृश्य तार (Invisible Wires): दीवारों और छतों में तार दिखाई नहीं देते हैं, जिससे कमरा साफ-सुथरा (Clutter-Free) और सुव्यवस्थित (Organized) लगता है।
- आंतरिक सज्जा में सुधार (Improving Interior Decor): यह प्रणाली आधुनिक आंतरिक सज्जा (Interior Decor) के अनुरूप है, जहां खुली हुई वायरिंग सौंदर्य को खराब कर सकती है।
3. बिजली का कुशल वितरण (Efficient Power Distribution)
- नियोजित लेआउट (Planned Layout): यह सुनिश्चित करती है कि बिजली हर स्विच, लाइट पॉइंट, सॉकेट और उपकरण तक एक नियोजित और संगठित मार्ग (Organized Route) के माध्यम से कुशलतापूर्वक पहुंचे।
- दीर्घकालिक स्थायित्व (Long-Term Durability): बाहरी तत्वों से सुरक्षा मिलने के कारण, तारों का जीवनकाल बढ़ जाता है, और बिजली प्रणाली लंबे समय तक बिना किसी बड़ी खराबी के काम करती रहती है।
कार्यप्रणाली का सार (Summary of Functioning)
संक्षेप में,
गुप्त वायरिंग प्रणाली कंड्यूट का उपयोग करके एक संरक्षित चैनल बनाती है जिसके माध्यम से तार सुरक्षित रूप से गुजरते हैं। यह चैनल तारों को भवन के ढांचे के अंदर स्थायी रूप से स्थापित करता है, जिससे वे उपयोग के दौरान सुरक्षित रहते हैं और आंखों से ओझल रहते हैं।
गुप्त वायरिंग प्रणाली, जिसे कॉन्सिल्ड कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) कहते हैं, का प्राथमिक कार्य सुरक्षित, कुशल, और सौंदर्यपूर्ण तरीके से बिजली की आपूर्ति करना है।
इसका कार्य तारों को दीवारों, छतों और फर्श के अंदर छिपाकर उन्हें बाहरी क्षति और जोखिमों से बचाना है।
गुप्त वायरिंग प्रणाली के मुख्य कार्य
यह प्रणाली कई महत्वपूर्ण कार्य करती है, जो इसकी उपयोगिता को दर्शाते हैं:
1. सुरक्षा (Safety)
यह इस प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
- तारों का संरक्षण: कंड्यूट पाइप (PVC या धातु के) तारों को चोट, टूट-फूट, नमी, धूल, और कीड़ों (विशेषकर चूहों) से बचाकर उन्हें शारीरिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- बिजली के झटके की रोकथाम: चूंकि तार पहुंच से बाहर होते हैं और इंसुलेटेड पाइपों के अंदर होते हैं, इसलिए नंगे तार छूने या गलती से क्षति होने के कारण बिजली का झटका लगने का जोखिम समाप्त हो जाता है।
- अग्नि सुरक्षा: तारों के ढके होने के कारण, शॉर्ट सर्किट या अत्यधिक गर्म होने पर निकलने वाली चिंगारियां बाहरी हवा के संपर्क में नहीं आती हैं, जिससे आग लगने का खतरा कम हो जाता है।
2. सौंदर्य और स्वच्छता (Aesthetics and Cleanliness)
- अदृश्य वायरिंग: यह घर या इमारत को एक साफ-सुथरा (Clutter-Free) और आधुनिक लुक प्रदान करती है, क्योंकि कोई भी तार सतह पर दिखाई नहीं देता है।
- आंतरिक सज्जा का रखरखाव: यह प्रणाली आंतरिक सज्जा (Interior Decor) को खराब होने से बचाती है और दीवारों की सुंदरता को बनाए रखती है।
3. दक्षता और दीर्घायु (Efficiency and Longevity)
- संरक्षित जीवनकाल: बाहरी तत्वों (जैसे नमी, गर्मी, धूल) से सुरक्षा मिलने के कारण, वायरिंग घटकों का जीवनकाल (Lifespan) बढ़ जाता है और बार-बार मरम्मत की आवश्यकता कम हो जाती है।
- कुशल वितरण: यह सुनिश्चित करती है कि बिजली हर स्विच, लाइट पॉइंट और सॉकेट तक एक नियोजित, व्यवस्थित मार्ग के माध्यम से बिना किसी रुकावट के पहुँचे।
संक्षेप में,
गुप्त वायरिंग प्रणाली का कार्य एक मजबूत, सुरक्षित और अदृश्य नेटवर्क बनाना है जो इमारत के सभी हिस्सों में बिजली का वितरण करता है।
गुप्त वायरिंग प्रणाली, जिसे कॉन्सिल्ड कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) के नाम से भी जाना जाता है, आधुनिक निर्माण में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली वायरिंग प्रणाली है।
इसका उपयोग मुख्य रूप से उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ सुरक्षा, सौंदर्य और तारों के स्थायित्व को प्राथमिकता दी जाती है।
इसके मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. आवासीय भवन (Residential Buildings)
यह प्रणाली आधुनिक घरों, अपार्टमेंटों और विला में सबसे आम है।
- उद्देश्य: तारों को छिपाकर घर को साफ-सुथरा और आकर्षक बनाना।
- सुरक्षा: बच्चों और पालतू जानवरों के लिए बिजली के झटके के जोखिम को समाप्त करना।
2. वाणिज्यिक भवन (Commercial Buildings)
कार्यालयों, दुकानों, मॉल और रेस्तरां में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।
- उद्देश्य: एक पेशेवर और उच्च-स्तरीय सौंदर्य प्रदान करना जो व्यावसायिक वातावरण के लिए आवश्यक है।
- स्थायित्व: उच्च-यातायात वाले क्षेत्रों में तारों को आकस्मिक क्षति से बचाना।
3. सार्वजनिक और विशेष भवन (Public and Special Buildings)
यह प्रणाली अस्पतालों, स्कूलों, होटलों, सिनेमा हॉलों और पुस्तकालयों जैसे स्थानों के लिए आदर्श है।
- अस्पताल और स्कूल: इन स्थानों पर उच्च स्तर की सुरक्षा अनिवार्य होती है, जो छिपी हुई वायरिंग प्रदान करती है।
- सिनेमा हॉल और गोदाम: यहाँ तारों को यांत्रिक क्षति (Mechanical Damage) से बचाना महत्वपूर्ण होता है, जो कंड्यूट पाइप से संभव होता है।
- कला दीर्घाएँ (Art Galleries) और संग्रहालय: इन जगहों पर तारों का दिखाई देना पूरी तरह से अस्वीकार्य होता है, इसलिए सौंदर्य बनाए रखने के लिए गुप्त वायरिंग का उपयोग किया जाता है।
4. औद्योगिक अनुप्रयोग (Industrial Applications - चुनिंदा रूप से)
उच्च-परिशुद्धता वाली कार्यशालाओं या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों जैसे कुछ उद्योगों में भी इसका उपयोग किया जाता है जहाँ वातावरण की स्वच्छता और सुरक्षा महत्वपूर्ण होती है।
उपयोग का सार
गुप्त वायरिंग प्रणाली मुख्य रूप से उन सभी स्थायी स्थापनाओं (Permanent Installations) के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ:
- सर्वोच्च सुरक्षा की आवश्यकता है (आग और यांत्रिक क्षति से सुरक्षा)।
- उत्कृष्ट सौंदर्य बनाए रखना है (तारों को अदृश्य रखना)।
- दीर्घकालिक स्थायित्व चाहिए (तारों का जीवनकाल बढ़ाना)।
गुप्त वायरिंग प्रणाली (Concealed Wiring System) के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, यही वजह है कि यह आधुनिक निर्माण में सबसे लोकप्रिय वायरिंग विधि है।
गुप्त वायरिंग के प्रमुख लाभ (Key Advantages of Concealed Wiring)
1. सुरक्षा (Safety)
- यांत्रिक सुरक्षा: तार दीवारों के अंदर कंड्यूट पाइपों में छिपे रहते हैं, जो उन्हें चोट, टूट-फूट, नमी, धूल और कीड़ों (जैसे चूहे) से बचाते हैं। यह तारों के क्षतिग्रस्त होने के जोखिम को लगभग समाप्त कर देता है।
- बिजली के झटके की रोकथाम: चूँकि तार पहुंच से बाहर होते हैं, इसलिए नंगे तार छूने या गलती से क्षति पहुँचाने के कारण बिजली का झटका लगने का खतरा लगभग न के बराबर होता है, जिससे यह बच्चों वाले परिवारों के लिए बहुत सुरक्षित है।
- अग्नि सुरक्षा: कंड्यूट पाइप, खासकर धातु या अच्छी गुणवत्ता वाले PVC, आग लगने की स्थिति में चिंगारियों को फैलने से रोकते हैं**, जिससे आग लगने का खतरा काफी कम हो जाता है।
2. सौंदर्य अपील (Aesthetic Appeal)
- स्वच्छ और न्यूनतम लुक: इस प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि तार पूरी तरह से अदृश्य होते हैं। इससे कमरों को एक साफ, सुव्यवस्थित (Clutter-Free) और आधुनिक (Minimalist) रूप मिलता है, जो आंतरिक सज्जा (Interior Decor) को बढ़ाता है।
- दीवारों की सुंदरता: दीवारों पर कोई तार या पट्टी दिखाई नहीं देती है, जिससे सतह चिकनी और सुंदर दिखती है।
3. दीर्घायु और स्थायित्व (Durability and Longevity)
- पर्यावरणीय संरक्षण: कंड्यूट तारों को गर्मी, नमी, धूल और अन्य पर्यावरणीय तत्वों के सीधे संपर्क से बचाते हैं, जिससे वे खुले तारों की तुलना में अधिक समय तक चलते हैं।
- टिकाऊपन: एक बार सही ढंग से स्थापित हो जाने पर, यह वायरिंग वर्षों तक बिना किसी बड़ी समस्या के काम करती रहती है, जिससे रखरखाव की आवश्यकता कम हो जाती है।
यह प्रणाली थोड़ी महँगी ज़रूर होती है, लेकिन यह जो सुरक्षा और सुंदरता प्रदान करती है, उसके कारण यह आधुनिक घरों के लिए सर्वोत्तम विकल्प मानी जाती है।
गुप्त वायरिंग प्रणाली (Concealed Wiring System) कई सुरक्षा और सौंदर्य लाभ प्रदान करती है, लेकिन इसकी कुछ महत्वपूर्ण कमियाँ या नुकसान भी हैं:
छिपी हुई वायरिंग के नुकसान
1. उच्च लागत (High Cost)
- महंगा इंस्टॉलेशन: खुली (ओपन) वायरिंग की तुलना में गुप्त वायरिंग में शुरुआती लागत अधिक होती है। इसमें कंड्यूट पाइप, जंक्शन बॉक्स, और दीवार की कटाई और फिर से प्लास्टरिंग का अतिरिक्त श्रम और सामग्री शामिल होती है।
- समय लेने वाला: स्थापना प्रक्रिया में अधिक समय लगता है, क्योंकि इसमें दीवार काटने, पाइप फिक्स करने और प्लास्टर सूखने का समय शामिल होता है।
2. मरम्मत और परिवर्तन में कठिनाई (Difficulty in Repair and Alteration)
- दोष का पता लगाना कठिन: चूंकि पूरी वायरिंग दीवारों के अंदर छिपी होती है, इसलिए किसी भी फॉल्ट (दोष) या शॉर्ट सर्किट का सटीक स्थान पता लगाना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है।
- मरम्मत में तोड़फोड़: मरम्मत या बदलाव के लिए, इंजीनियरों को अक्सर दीवार तोड़नी पड़ती है और प्लास्टर हटाना पड़ता है, जिससे काफी गंदगी, समय और खर्च होता है।
- नए कनेक्शन जोड़ना: मौजूदा केबल मार्ग में कोई नया पॉइंट या कनेक्शन जोड़ना बहुत मुश्किल और महंगा हो सकता है, क्योंकि इसमें फिर से दीवारों को काटना पड़ता है।
3. अतिरिक्त तकनीकी आवश्यकताएँ (Additional Technical Requirements)
- कुशल कारीगर की आवश्यकता: इस प्रणाली की स्थापना के लिए अत्यधिक कुशल और अनुभवी इलेक्ट्रीशियन की आवश्यकता होती है, क्योंकि पाइप की रूटिंग और बॉक्स की फिटिंग बहुत सटीक होनी चाहिए।
- दीवार की मजबूती पर प्रभाव: दीवार में खांचे (Grooves) काटने से अस्थायी रूप से दीवार की संरचनात्मक मजबूती थोड़ी प्रभावित हो सकती है (यदि इसे ठीक से न किया जाए तो)।
- वायर को बदलने में मुश्किल: अगर भविष्य में किसी तार को बदलने की आवश्यकता हो, और कंड्यूट पाइप में कहीं मोड़ या गांठ (Kink) हो, तो तार को बाहर खींचना और नया तार डालना अत्यंत कठिन हो सकता है।
यह वायरिंग सिस्टम बहुत ही सुरक्षित और टिकाऊ है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी यही है कि एक बार स्थापना के बाद, इसमें संशोधन करना लगभग असंभव हो जाता है।
सतही नाली वायरिंग (Surface Conduit Wiring) के बारे में आपकी जानकारी हिंदी और अंग्रेजी दोनों स्रोतों से मिल रही है, जिससे पता चलता है कि यह बिजली के तारों को स्थापित करने का एक तरीका है।
इसे आमतौर पर सतह नाली वायरिंग या सतही नाली/कंड्यूट वायरिंग कहा जाता है।
यह वायरिंग का वह प्रकार है जिसमें:
- नाली (Conduit): बिजली के तारों को पीवीसी पाइप (PVC pipe) या धातु पाइप (Metal pipe) के अंदर से गुजारा जाता है। ये नाली तारों को वायुमंडलीय परिस्थितियों और यांत्रिक क्षति से बचाती हैं।
- सतह पर स्थापना (Surface Installation): ये नाली पाइप दीवारों या छतों की सतह पर स्थापित किए जाते हैं, न कि दीवार के अंदर छिपाए जाते हैं।
- सुरक्षा (Protection): नाली को नियमित अंतराल पर बेस क्लिप (base clips) का उपयोग करके दीवारों से जोड़ा जाता है।
यह छिपी हुई नाली वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) के विपरीत है, जिसमें नाली को प्लास्टर के नीचे दीवार के अंदर छिपा दिया जाता है।
आपके प्रश्न में अगर "तारों" का मतलब ट्रेसर तार (Tracer Wire) से है, तो यह भी जान लें:
- ट्रेसर तार (Tracer Wire): ये ऐसे तार होते हैं जिनका उपयोग आमतौर पर जमीन के नीचे बिछाई गई अन्य गैर-धात्विक (non-metallic) पाइपलाइन (जैसे पानी या ड्रेनेज पाइप) का पता लगाने के लिए किया जाता है। ये अक्सर कॉपर-क्लैड स्टील (Copper-Clad Steel - CCS) से बने होते हैं और उनमें एक रंगीन इन्सुलेशन (जैसे नीला) होता है, ताकि उन्हें सिग्नल ट्रेसिंग उपकरणों (signal tracing equipment) की मदद से सतह से खोजा जा सके।
क्या आप बिजली के तारों की वायरिंग के बारे में या जमीन के नीचे पाइपलाइन का पता लगाने वाले ट्रेसर तारों के बारे में और जानना चाहेंगे?
छिपी हुई वायरिंग (Concealed Wiring), जिसे कंसील्ड कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) भी कहा जाता है, बिजली के तारों को स्थापित करने का एक आधुनिक और सबसे लोकप्रिय तरीका है।
इसमें, बिजली के तारों को पीवीसी (PVC) या धातु (Metal) की नालियों (Conduits) के अंदर से गुजारा जाता है और इन नालियों को दीवारों या छतों के अंदर (प्लास्टर से पहले बनाए गए खांचों या स्लैब के अंदर) स्थापित कर दिया जाता है। बाद में, पूरी दीवार या छत पर प्लास्टर और पेंट कर दिया जाता है, जिससे तार और नालियाँ पूरी तरह से छिप जाती हैं और केवल स्विच बोर्ड, सॉकेट और लाइट/पंखा आउटलेट ही दिखाई देते हैं।
छिपी हुई वायरिंग के मुख्य लाभ (Advantages)
यह वायरिंग सिस्टम कई लाभ प्रदान करता है, यही कारण है कि यह आधुनिक निर्माणों में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है:
मुख्य कमियाँ (Disadvantages)
इस सिस्टम की कुछ कमियाँ भी हैं:
- अधिक लागत: यह सतही या ओपन वायरिंग की तुलना में अधिक महंगा होता है।
- दोष का पता लगाना: दीवार के अंदर छिपी होने के कारण, यदि कोई दोष (fault) आता है तो उसे ढूंढना और मरम्मत करना मुश्किल हो सकता है, जिसके लिए कभी-कभी दीवार को तोड़ना पड़ सकता है।
- स्थापना में बदलाव: एक बार स्थापित होने के बाद, अतिरिक्त पॉइंट जोड़ना या स्विच बोर्ड की जगह बदलना कठिन होता है, क्योंकि इसके लिए दोबारा दीवार में कटिंग करनी पड़ती है।
सबसे अच्छी वायरिंग आपके घर या इमारत की ज़रूरतों, बजट और प्राथमिकताओं पर निर्भर करती है। हालाँकि, सामान्य तौर पर, छिपी हुई नाली वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) को सबसे अच्छा माना जाता है।
यहाँ दोनों प्रकार की वायरिंग का एक संक्षिप्त निष्कर्ष और तुलना दी गई है:
छिपी हुई नाली वायरिंग (Concealed Conduit Wiring)
- सर्वोत्तम क्यों: यह सुरक्षा, टिकाऊपन और सौंदर्यशास्त्र के मामले में सबसे अच्छा विकल्प है।
- निष्कर्ष: यह आधुनिक घरों और नई इमारतों के लिए आदर्श है जहाँ आप तारों को पूरी तरह से छिपाकर एक साफ-सुथरा लुक (clean look) चाहते हैं। इसमें आग और भौतिक क्षति का खतरा न्यूनतम होता है।
सतही नाली वायरिंग (Surface Conduit Wiring)
- उपयोग: यह उन जगहों के लिए सबसे अच्छी है जहाँ लागत कम रखनी है या जहाँ दीवारों को तोड़ना संभव नहीं है (जैसे पुरानी इमारतों में बदलाव करते समय)।
- निष्कर्ष: यह कम खर्चीला है और इसमें मरम्मत करना या नए पॉइंट जोड़ना बहुत आसान होता है। हालाँकि, यह दिखने में छिपी हुई वायरिंग जितना आकर्षक नहीं होता।
अंतिम तुलना और निर्णय
निष्कर्ष:
यदि आप एक नया निर्माण करवा रहे हैं और आपका मुख्य लक्ष्य सुरक्षा और आकर्षक लुक है, तो आपको छिपी हुई नाली वायरिंग का चयन करना चाहिए।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) बिजली के तारों को स्थापित करने का एक बहुत पुराना और अस्थायी तरीका है, जिसका उपयोग आजकल स्थायी इंस्टॉलेशन के लिए नहीं किया जाता है।
क्लिट वायरिंग क्या है?
क्लीट वायरिंग एक ऐसी प्रणाली है जिसमें:
- सामग्री: वीआईआर (VIR) या पीवीसी (PVC) इंसुलेटेड तारों का उपयोग किया जाता था।
- स्थापना: इन तारों को दीवारों या छतों की सतह पर खुला रखा जाता था।
- फिक्सिंग: तारों को चीनी मिट्टी (Porcelain), लकड़ी या प्लास्टिक के छोटे, दो-भाग वाले 'क्लीट' (Cleats) की मदद से दीवार से जोड़ा जाता था। क्लीट में दो खाँचे होते थे— एक आधार जो दीवार पर स्क्रू किया जाता था, और एक ढक्कन जो तारों को खाँचे में फिक्स करता था।
यह एक प्रकार की ओपन (खुली) वायरिंग है।
क्लिट वायरिंग का उपयोग कहाँ होता था?
यह वायरिंग सिस्टम केवल अस्थायी (Temporary) उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें तारों को कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलती:
- निर्माण स्थल (Under Construction Buildings): जहाँ कुछ समय के लिए बिजली की आवश्यकता होती है।
- सेना के शिविर (Army Camps): अस्थायी आवासों में।
- मेले, प्रदर्शनियाँ या त्यौहार: जहाँ केवल कुछ दिनों या हफ्तों के लिए सजावट या लाइटिंग की ज़रूरत होती है।
- छोटी दुकानें या कार्यशालाएँ: जहाँ बहुत कम समय के लिए सस्ती वायरिंग की ज़रूरत हो।
क्लिट वायरिंग के फायदे और नुकसान
संक्षेप में,
क्लीट वायरिंग एक अत्यधिक जोखिम वाली प्रणाली है और इसलिए, इसे स्थायी या महत्वपूर्ण वायरिंग समाधान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का निर्माण या स्थापना (Installation) एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह केवल अस्थायी उपयोग के लिए है।
क्लीट वायरिंग के निर्माण के मुख्य चरण और आवश्यक सामग्री इस प्रकार हैं:
1. आवश्यक सामग्री तार (Cables): आमतौर पर VIR (Vulcanized Indian Rubber) या PVC (Polyvinyl Chloride) से इंसुलेटेड (विद्युतरोधी) तार।
क्लीट (Cleats): चीनी मिट्टी (Porcelain), प्लास्टिक या लकड़ी से बने दो-भाग वाले क्लीट। इनमें एक, दो या तीन तारों को रखने के लिए खाँचे (Grooves) बने होते हैं।
माउंटिंग हार्डवेयर: दीवार पर क्लीट्स को कसने के लिए पेंच (Screws) और लकड़ी या कच्चे प्लग/डॉवेल।
2. स्थापना के चरण क्लीट वायरिंग में तारों को दीवारों और छतों की सतह पर फैलाया जाता है।
चरण 1: मार्ग का नियोजन (Planning the Route) सबसे पहले, बिजली की आपूर्ति से लेकर लोड पॉइंट (जैसे बल्ब या सॉकेट) तक तारों के मार्ग को चिह्नित किया जाता है। यह मार्ग यथासंभव सीधा और छोटा होना चाहिए।
चरण 2: क्लीट्स को लगाना (Installing the Cleats) तारों के नियोजित मार्ग पर, नियमित अंतराल पर क्लीट्स स्थापित किए जाते हैं। सामान्य तौर पर, दो क्लीट्स के बीच की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर (18 इंच) या अधिकतम 60 सेंटीमीटर रखी जाती है।
क्लीट का निचला भाग (Base) दीवार या छत की सतह पर पेंच की मदद से मजबूती से कस दिया जाता है। इस निचले भाग में तार रखने के लिए खाँचे बने होते हैं।
चरण 3: तारों को डालना (Placing the Wires) इंसुलेटेड तारों को क्लीट के निचले भाग में बने खाँचों के बीच से गुजारा जाता है। अलग-अलग तारों (जैसे फेज़, न्यूट्रल) को एक-दूसरे से अलग रखने के लिए क्लीट में अलग-अलग खाँचों का उपयोग किया जाता है।
मानक दूरी: दीवार और केबल के बीच की दूरी लगभग 1.5 { cm} और दो केबलों के बीच की दूरी उनकी करंट रेटिंग के अनुसार 4 { cm} से 7 { cm} तक रखी जाती थी।
चरण 4: क्लीट को सुरक्षित करना (Securing the Cleats) तारों को निचले भाग में रखने के बाद, क्लीट के ऊपरी भाग (Cap) को निचले भाग पर रखकर पेंच (Screws) की मदद से कस दिया जाता है। यह कैप तारों को मजबूती से पकड़कर रखती है, जिससे वे जगह पर स्थिर रहते हैं।
चरण 5: जोड़ और मोड़ (Joints and Bends) जहाँ सर्किट में मोड़ (Turns) होते हैं, वहाँ तारों को मोड़ने के लिए विशेष क्लीट्स का उपयोग किया जाता है। जहाँ एक सर्किट दूसरे सर्किट के ऊपर से गुजरता है, वहाँ सुरक्षा के लिए अवरोधक (Insulator) का उपयोग किया जाता है ताकि तार आपस में न टकराएँ।
इस प्रकार,
क्लीट वायरिंग में तार खुले रहते हैं, केवल क्लीट्स के माध्यम से दीवार पर फिक्स किए जाते हैं। यही वजह है कि इसे स्थापित करना आसान और सस्ता है, लेकिन सुरक्षा के मामले में यह बहुत कमजोर है।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का मुख्य कार्य (Function) और उद्देश्य अस्थायी (Temporary) समय के लिए बहुत ही सरल, सस्ता और आसानी से बदलने योग्य बिजली कनेक्शन प्रदान करना है।
क्लीट वायरिंग का मुख्य कार्य
क्लीट वायरिंग का कार्य तारों को सुरक्षा प्रदान करने की बजाय उन्हें केवल सहारा (Support) देना है ताकि वे फर्श पर न लटकें और उन्हें एक नियोजित मार्ग पर रखा जा सके। यह प्रणाली तीन प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति करती है:
1. अस्थायी ऊर्जा वितरण (Temporary Power Distribution)
इसका प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि यह कम समय के लिए, जैसे कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक, बिजली वितरित करने का सबसे तेज़ और सस्ता तरीका है।
- अनुप्रयोग: निर्माणाधीन इमारतें, सैन्य शिविर (Army Camps), मेले, विवाह समारोह या प्रदर्शनियाँ।
2. स्थापना में आसानी और परिवर्तनशीलता (Ease of Installation & Alteration)
इस वायरिंग को स्थापित करना और हटाना बहुत सरल है, जिसके लिए विशेष कौशल की आवश्यकता नहीं होती।
- यह वायरिंग प्रणाली बदलने (Alteration) या नए पॉइंट जोड़ने (Addition) के लिए सबसे आसान है, क्योंकि सभी तार खुले होते हैं और क्लीट को आसानी से खोला जा सकता है।
3. दोष का आसान पता लगाना (Easy Fault Detection)
चूँकि तार पूरी तरह से खुले होते हैं, किसी भी खराबी (Fault) या क्षति को तुरंत देखा जा सकता है और उसकी मरम्मत की जा सकती है।
संक्षेप में,
क्लीट वायरिंग का कार्य किफायती और तुरंत बिजली की व्यवस्था करना है, जहाँ सुरक्षा और सौंदर्य की आवश्यकता कम या नगण्य होती है। यही कारण है कि इसे स्थायी आवासीय या व्यावसायिक स्थानों के लिए अनुशंसित नहीं किया जाता है।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का मुख्य कार्य अस्थायी रूप से और कम लागत पर बिजली वितरण करना है। यह प्रणाली तारों को एक सरल, खुले और आसानी से बदलने योग्य तरीके से सहारा देती है।
क्लीट वायरिंग के मुख्य कार्य और उद्देश्य
क्लीट वायरिंग का प्राथमिक उद्देश्य संरचनात्मक सुरक्षा या सौंदर्य की परवाह किए बिना जल्दी से बिजली उपलब्ध कराना है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. अस्थायी उपयोग (Temporary Use)
यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। क्लीट वायरिंग उन स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ बिजली की आवश्यकता अल्पकालिक होती है:
- निर्माण स्थल (Construction Sites): निर्माण कार्य पूरा होने तक श्रमिकों को अस्थायी रोशनी और बिजली प्रदान करना।
- मेले और प्रदर्शनियाँ (Fairs and Exhibitions): कुछ दिनों या हफ्तों के लिए सजावटी या कार्यात्मक बिजली कनेक्शन देना।
- सेना शिविर: अस्थायी रूप से स्थापित सैन्य आवासों में बिजली की व्यवस्था करना।
2. तारों को सहारा देना (Supporting the Wires)
क्लीट वायरिंग का मूल कार्य खुले तारों को दीवार या छत की सतह पर एक नियोजित मार्ग में स्थिर रखना है। क्लीट्स (चीनी मिट्टी या प्लास्टिक के दो-भाग वाले उपकरण) तारों को लटकने या फर्श पर गिरने से रोकते हैं, जिससे वे एक निश्चित स्थान पर टिके रहते हैं।
3. आसान बदलाव और मरम्मत (Easy Alteration and Repair)
चूँकि तार खुले होते हैं और नाली के अंदर छिपे नहीं होते, इस सिस्टम में:
- दोष का पता लगाना (Fault Detection) सरल होता है।
- सर्किट में बदलाव (Alterations) करना या नए पॉइंट जोड़ना (Additions) बहुत आसान और तेज़ होता है।
4. लागत-दक्षता (Cost-Effectiveness)
यह सभी प्रकार की वायरिंग प्रणालियों में सबसे सस्ता विकल्प है, क्योंकि इसमें नालियों, पाइपों या दीवार की कटिंग पर कोई खर्च नहीं आता है।
संक्षेप में,
क्लीट वायरिंग का कार्य किफायती, त्वरित और लचीलेपन के साथ बिजली प्रदान करना है, लेकिन इसे सुरक्षा और टिकाऊपन की कमी के कारण स्थायी उपयोग के लिए अनुपयुक्त माना जाता है।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का उपयोग मुख्य रूप से अस्थायी (Temporary) बिजली के इंस्टॉलेशन (स्थापना) के लिए किया जाता है, न कि स्थायी या आवासीय भवनों में।
क्लीट वायरिंग के मुख्य उपयोग
क्लीट वायरिंग के सबसे उपयुक्त और सामान्य उपयोग निम्नलिखित हैं, जहाँ कम लागत और त्वरित स्थापना को प्राथमिकता दी जाती है:
1. निर्माण स्थल (Under Construction Buildings)
किसी नई इमारत के निर्माण के दौरान कामगारों को अस्थायी रूप से बिजली (रोशनी और छोटे उपकरण चलाने के लिए) प्रदान करने के लिए यह सबसे सस्ता और आसान तरीका है। जैसे ही निर्माण पूरा होता है और स्थायी (कंसील्ड) वायरिंग लग जाती है, क्लीट वायरिंग को हटा दिया जाता है।
2. अस्थायी शिविर और सेटअप (Temporary Camps and Setups)
यह उन सभी स्थानों पर उपयोगी है जहाँ बिजली की आवश्यकता कुछ दिनों या महीनों तक ही रहती है:
- सेना के शिविर (Army Camps): अस्थायी सैन्य ठिकानों या शिविरों में बिजली कनेक्शन के लिए।
- मेले, प्रदर्शनियाँ और इवेंट (Fairs, Exhibitions & Events): त्यौहारों, मेलों या अन्य सार्वजनिक आयोजनों में स्टॉल या सजावट के लिए लाइटिंग और बिजली प्रदान करने के लिए।
3. छोटी कार्यशालाएँ या गोदाम (Small Workshops or Godowns)
उन छोटी कार्यशालाओं या गोदामों में, जहाँ लागत बहुत कम रखने की आवश्यकता होती है और जहाँ सुरक्षा या सौंदर्यशास्त्र (Aesthetics) कोई बड़ी चिंता नहीं है, वहाँ इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
4. औद्योगिक सब-सर्किट (Industrial Sub-Circuits)
कुछ औद्योगिक सेटिंग्स में, जहाँ मुख्य वायरिंग सुरक्षित होती है, वहाँ उप-सर्किट (Sub-Circuits) या उच्च क्षमता वाले केबल को अस्थायी रूप से चलाने के लिए क्लीट का उपयोग किया जाता है, खासकर निरीक्षण और मरम्मत की आसानी के कारण।
स्थायी उपयोग क्यों नहीं?
क्लीट वायरिंग को आधुनिक घरों, कार्यालयों या किसी भी स्थायी संरचना के लिए कदापि उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि:
- सुरक्षा जोखिम: तार खुले होते हैं, जिससे बिजली के झटके और आग लगने का खतरा बहुत अधिक होता है।
- टिकाऊपन की कमी: यह मौसम (नमी, धूल) और भौतिक क्षति (चूहों या यांत्रिक क्षति) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है।
- सौंदर्यशास्त्र: तार खुले दिखाई देने के कारण यह भद्दा (ugly) लगता है।
निष्कर्ष:
क्लीट वायरिंग केवल अस्थायी और गैर-महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के लिए है, जहाँ इसे जल्द ही हटा दिया जाएगा। स्थायी, सुरक्षित और आकर्षक वायरिंग के लिए हमेशा छिपी हुई नाली वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) या सतही नाली वायरिंग का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का मुख्य कार्य बिजली के तारों को दीवारों या छतों पर खुले रूप में पकड़कर रखना है। यह सबसे सरल और सस्ता तरीका है।
क्लीट वायरिंग के कार्य और उपयोग
क्लीट वायरिंग में, चीनी मिट्टी, लकड़ी या प्लास्टिक के क्लीट्स (खांचेदार होल्डर) का उपयोग किया जाता है। ये क्लीट्स दीवारों या छतों पर एक निश्चित दूरी पर लगाए जाते हैं, और इंसुलेटेड तार (जैसे VIR या PVC) इन क्लीट्स के खाँचों में रखे जाते हैं और ऊपर से क्लीट के दूसरे हिस्से (कैप) से कस दिए जाते हैं।
प्रमुख कार्य और विशेषताएं:
- तारों को सुरक्षित करना: क्लीट्स तारों को हिलने से रोकते हैं, जिससे वे अपनी जगह पर स्थिर रहते हैं।
- सरल संस्थापन (Easy Installation): इसे लगाना बहुत ही आसान और त्वरित होता है, क्योंकि इसमें दीवार की तोड़फोड़ या नाली (कंड्यूट) बिछाने की आवश्यकता नहीं होती।
- आसान मरम्मत और बदलाव: चूँकि तार खुले होते हैं, खराबी (Fault) का पता लगाना और वायरिंग में कोई बदलाव (Alteration) या नया कनेक्शन जोड़ना बहुत सरल होता है।
- कम लागत: यह अन्य वायरिंग प्रणालियों (जैसे कंड्यूट वायरिंग) की तुलना में बहुत सस्ती होती है।
उपयुक्तता
क्लीट वायरिंग मुख्य रूप से अस्थायी (Temporary) उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त है, जहाँ वायरिंग को बाद में हटाना होता है।
इसके उपयोग के उदाहरण:
- निर्माण स्थल (Construction Sites): जहाँ थोड़े समय के लिए बिजली की सप्लाई चाहिए।
- मेले, प्रदर्शनियाँ और सामाजिक समारोह: जैसे शादी या त्योहारों में अस्थायी रोशनी और बिजली के लिए।
- सेना के शिविर (Army Camps) या अस्थायी वर्कशॉप।
नोट:
क्लीट वायरिंग स्थायी (Permanent) घरेलू या व्यावसायिक उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि इसकी दिखावट अच्छी नहीं होती, तार खुले होने के कारण यांत्रिक क्षति (Mechanical Damage) और आग/बिजली के झटके का खतरा अधिक होता है, और यह नमी (Dampness) से आसानी से प्रभावित हो जाती है।
क्लीट वायरिंग का मुख्य कार्य यह है कि यह अस्थायी उपयोग के लिए इंसुलेटेड बिजली के तारों को दीवारों या छतों पर खुले रूप में सुरक्षित रूप से पकड़कर रखती है।
यह सबसे सस्ती, सरल और आसानी से संस्थापित (install) होने वाली वायरिंग प्रणाली है, लेकिन इसकी सुरक्षा और टिकाऊपन कम होने के कारण इसे स्थायी घरेलू वायरिंग के लिए उपयोग नहीं किया जाता।
क्लीट वायरिंग के उद्देश्य
क्लीट वायरिंग का उद्देश्य मुख्य रूप से निम्नलिखित स्थितियों में अस्थायी बिजली की आपूर्ति प्रदान करना है:
- तारों को सहारा देना: यह चीनी मिट्टी (Porcelain), लकड़ी या प्लास्टिक के क्लीट्स (खांचेदार होल्डर) का उपयोग करके तारों को दीवार पर एक निश्चित दूरी पर कसकर रखती है, जिससे वे लटकते नहीं हैं और व्यवस्थित रहते हैं।
- आसान संस्थापन: इसे कम समय में, बिना अधिक मेहनत या दीवार तोड़े, स्थापित किया जा सकता है।
- मरम्मत और परिवर्तन में आसानी: चूँकि तार खुले होते हैं, किसी भी खराबी (Fault) का पता लगाना और उसमें बदलाव (Alteration) करना या नए कनेक्शन जोड़ना बहुत सरल होता है।
क्लीट वायरिंग के अनुप्रयोग
इसका उपयोग मुख्य रूप से उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ बिजली की आपूर्ति कुछ समय के लिए चाहिए होती है:
- निर्माण/अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग
- मेले, प्रदर्शनियाँ (Exhibitions) और त्योहार
- शादी या पार्टी जैसे सामाजिक समारोह
- सेना के शिविर (Army Camps) और अस्थायी वर्कशॉप
क्लीट वायरिंग,
जो वीआईआर या पीवीसी अवरोधित तारों का उपयोग करती है, एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए छोटे स्थानों पर अस्थायी तारों के लिए उपयोग की जाती है।
क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का निर्माण एक सरल, सस्ता और अस्थायी तरीका है, जिसमें बिजली के तारों को खुले रूप में दीवारों या छतों पर क्लीट्स की सहायता से स्थापित किया जाता है।
इसके निर्माण की प्रक्रिया और आवश्यक सामग्री निम्नलिखित है:
क्लीट वायरिंग में प्रयुक्त सामग्री (Materials Used)
-
क्लीट्स (Cleats):
- ये आमतौर पर चीनी मिट्टी (Porcelain), प्लास्टिक या कड़ी लकड़ी के बने होते हैं।
-
प्रत्येक क्लीट के दो भाग होते हैं:
- आधार (Base): यह दीवार पर कसा जाता है और इसमें तारों को रखने के लिए खांचे (Grooves) बने होते हैं।
- ढक्कन/कैप (Cap): यह तारों को खांचे में कसकर पकड़ने के लिए आधार के ऊपर लगाया जाता है और स्क्रू से टाइट किया जाता है।
- ये क्लीट्स 2-वे, 3-वे या 4-वे संरचना में उपलब्ध होते हैं, जो तारों की संख्या के आधार पर उपयोग किए जाते हैं।
-
तार/केबल (Wire/Cable):
- सामान्यतः VIR (Vulcanised Indian Rubber) या PVC (Polyvinyl Chloride) इंसुलेटेड तार का उपयोग किया जाता है।
- कभी-कभी, मौसम-प्रूफ (Weather-proof) आवरण वाले केबलों का भी उपयोग किया जाता है।
- अन्य सामग्री: स्क्रू, गिट्टी (Dowels/Rawl Plugs) और मोड़दार बिंदुओं पर इन्सुलेटर (Insulators) या विशेष क्लीट।
क्लीट वायरिंग की निर्माण/स्थापना प्रक्रिया (Installation Procedure)
क्लीट वायरिंग का संस्थापन बहुत सीधा होता है और इसे निम्नलिखित चरणों में किया जाता है:
1. मार्ग का चिह्नांकन (Marking the Route)
- सबसे पहले, दीवार या छत पर पेंसिल या चाक का उपयोग करके उस मार्ग को चिह्नित करें जहाँ वायरिंग की जानी है (सीधी क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाएँ)।
- क्लीट्स के लिए फिक्सिंग बिंदुओं को चिह्नित करें।
2. क्लीट्स का निर्धारण (Fixing the Cleats)
- क्लीट्स को नियमित अंतराल पर स्थापित किया जाता है, ताकि तार लटके नहीं।
- आमतौर पर, दो क्लीट्स के बीच की दूरी लगभग 0.5 मीटर (18 इंच या 45 सेंटीमीटर) रखी जाती है, जिसे अधिकतम 60 सेंटीमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।
- चिह्नित बिंदुओं पर गिट्टी (लकड़ी या प्लास्टिक के डॉवेल) डालकर क्लीट के आधार (Base) को दीवार पर स्क्रू की मदद से कस दिया जाता है।
3. तारों को बिछाना (Laying the Wires)
- इंसुलेटेड तारों को क्लीट के आधार पर बने खाँचों में बिछाया जाता है।
- यह सुनिश्चित किया जाता है कि तार तने हुए हों और दीवार से लगभग 1.5 सेंटीमीटर की दूरी बनाए रखें (जो क्लीट बेस की मोटाई के कारण होती है)।
- दो अलग-अलग तारों के बीच की दूरी भी रखी जाती है (जो वर्तमान रेटिंग के अनुसार 4 से 7 सेंटीमीटर हो सकती है)।
4. क्लीट्स को कसना (Tightening the Cleats)
- तारों को खाँचों में रखने के बाद, क्लीट के ढक्कन/कैप को आधार के ऊपर रखा जाता है।
- कैप को स्क्रू की मदद से कस दिया जाता है, जिससे तार कसकर अपनी जगह पर स्थिर हो जाते हैं।
5. मोड़ और सुरक्षा (Turns and Safety)
- जहाँ तार मुड़ते हैं (जैसे कोनों पर), वहाँ तारों को क्षति से बचाने के लिए विशेष क्लीट्स का उपयोग किया जाता है।
- जहाँ तार दीवार या छत से गुजरते हैं, वहाँ तारों की सुरक्षा के लिए चीनी मिट्टी की नली (Porcelain Tube) या मेटल पाइप का उपयोग किया जाता है।
- यदि एक सर्किट दूसरे सर्किट के ऊपर से गुजरता है, तो सुरक्षा के लिए निचले केबल पर एक इंसुलेटर का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार
क्लीट वायरिंग का निर्माण पूरा होता है, जो इसे अस्थायी उपयोगों के लिए एक त्वरित और किफायती समाधान बनाता है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग, जिसे आमतौर पर केसिंग एंड कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring) कहा जाता है, एक प्रकार की सतही वायरिंग (Surface Wiring) प्रणाली है। यह एक पारंपरिक तरीका है जिसमें बिजली के तारों को प्लास्टिक या लकड़ी के सुरक्षात्मक आवरण के भीतर स्थापित किया जाता है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग की संरचना
यह वायरिंग प्रणाली मुख्य रूप से दो भागों पर आधारित होती है:
1. आवरण (केसिंग / Casing)
- यह एक आयताकार चैनल (Channel) होती है जिसमें अंदर की तरफ समांतर खांचे (Parallel Grooves) बने होते हैं।
- यह भाग दीवार या छत पर स्क्रू की मदद से फिक्स किया जाता है।
- इन खाँचों का उपयोग फेज़ (Phase), न्यूट्रल (Neutral) और अर्थिंग (Earthing) के तारों को अलग-अलग और सुरक्षित रूप से बिछाने के लिए किया जाता है।
- वर्तमान में, पीवीसी (PVC) से बने केसिंग का उपयोग आमतौर पर किया जाता है, हालाँकि पहले लकड़ी का उपयोग होता था।
2. कैपिंग (Capping)
- यह आवरण (केसिंग) के ऊपरी भाग को ढकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक फ्लैट पट्टी होती है।
- तारों को केसिंग के खाँचों में बिछाने के बाद, कैपिंग को ऊपर से दबाव (Press Fit) या छोटे स्क्रू की मदद से बंद कर दिया जाता है।
- कैपिंग का कार्य तारों को धूल, नमी और यांत्रिक क्षति से बचाना है, और यह वायरिंग को एक सजावटी रूप भी प्रदान करती है।
मुख्य उद्देश्य और अनुप्रयोग
- सुरक्षा: इसका मुख्य उद्देश्य तारों को सीधे बाहरी वातावरण, जैसे धूल, नमी और हल्की यांत्रिक क्षति, से बचाना है।
- स्थापना में आसानी: यह उन पुराने घरों या इमारतों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) करना संभव नहीं है (क्योंकि इसके लिए दीवारों को तोड़ना पड़ता है)।
- मरम्मत/बदलाव: कंड्यूट वायरिंग की तुलना में, इसमें मरम्मत करना या तारों को बदलना आसान होता है, क्योंकि कैपिंग को आसानी से हटाया जा सकता है।
लाभ और सीमाएँ
आवरण और कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring), जिसे बोलचाल की भाषा में केसिंग पट्टी वायरिंग भी कहते हैं, के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, खासकर उन स्थानों पर जहाँ दीवारों में छिपी हुई वायरिंग करना संभव नहीं होता।
आवरण और कैपिंग वायरिंग के प्रमुख लाभ
1. आसान स्थापना (Easy Installation)
- तेज़ और सरल: इस वायरिंग को स्थापित करना बहुत आसान और तेज होता है, क्योंकि इसमें दीवारों को तोड़ने या प्लास्टर करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- मौजूदा संरचनाओं के लिए उपयुक्त: यह पुराने घरों या उन इमारतों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है जहाँ पहले से ही निर्माण हो चुका है और छिपी हुई वायरिंग (Concealed Wiring) करना महंगा या असंभव है।
2. लागत प्रभावी (Cost Effective)
- यह वायरिंग प्रणाली छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) की तुलना में कम खर्चीली होती है, क्योंकि इसमें श्रम और सामग्री दोनों पर कम लागत आती है।
3. मरम्मत और बदलाव में आसानी (Easy to Repair and Modify)
- आसान पहचान: चूँकि वायरिंग दीवार की सतह पर होती है, इसलिए किसी भी खराबी (Fault) का पता लगाना सरल होता है।
- लचीलापन: यदि भविष्य में आपको कोई परिवर्तन या नया कनेक्शन जोड़ना है, तो कैपिंग को हटाकर तार आसानी से बदले या जोड़े जा सकते हैं। कंड्यूट वायरिंग में यह बहुत मुश्किल होता है।
4. तारों के लिए सुरक्षा (Protection for Wires)
- यांत्रिक सुरक्षा: केसिंग और कैपिंग तारों को धूल, गंदगी और हल्की यांत्रिक क्षति (जैसे खरोंच) से बचाती है।
- इन्सुलेशन में सुधार: तारों को खुले में (क्लीट वायरिंग की तरह) रखने के बजाय, उन्हें एक इन्सुलेटिंग प्लास्टिक चैनल के अंदर रखकर बिजली के झटके का खतरा कम किया जा सकता है।
5. बेहतर दिखावट (Better Appearance)
- यह वायरिंग, क्लीट वायरिंग (जो तारों को पूरी तरह से खुला रखती है) की तुलना में अधिक साफ और व्यवस्थित दिखती है, क्योंकि सभी तार एक सुरक्षात्मक चैनल के भीतर ढके रहते हैं।
संक्षेप में,
केसिंग और कैपिंग वायरिंग किफायती, स्थापित करने में आसान और लचीली होती है, जो इसे विशेष रूप से सतही वायरिंग की आवश्यकता वाले स्थानों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाती है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring) का निर्माण एक सतह पर की जाने वाली सरल प्रक्रिया है जिसमें तारों को सुरक्षात्मक केसिंग (Casing) नामक चैनल में बिछाया जाता है और फिर ऊपर से कैपिंग (Capping) नामक ढक्कन से ढक दिया जाता है।
निर्माण में प्रयुक्त सामग्री
इस वायरिंग प्रणाली को स्थापित करने के लिए मुख्य रूप से PVC (पॉलीविनाइल क्लोराइड) या, पारंपरिक रूप से, लकड़ी की सामग्री का उपयोग किया जाता है:
-
केसिंग (Casing) - आवरण:
- यह एक आयताकार, लंबी पट्टी होती है जिसके अंदर तारों को अलग-अलग रखने के लिए समांतर खांचे (Grooves) बने होते हैं (फेज, न्यूट्रल और अर्थिंग के लिए)।
- यह वायरिंग का आधार है जिसे दीवार या छत पर स्क्रू की मदद से फिक्स किया जाता है।
-
कैपिंग (Capping) - ढक्कन:
- यह एक सपाट पट्टी होती है जो केसिंग के ऊपर ढक्कन के रूप में कार्य करती है।
- यह तारों को धूल, नमी और बाहरी क्षति से बचाती है।
- वायर/केबल (Wire/Cable):
- आमतौर पर PVC इंसुलेटेड तार का उपयोग किया जाता है।
-
सहायक उपकरण (Accessories):
- टी-जॉइंट (T-Joint): जहाँ एक केसिंग मुख्य लाइन से लंबवत जुड़ती है।
- एल्बो (Elbow): जहाँ 90° का मोड़ आता है।
- क्रॉस पीस (Cross Piece): जहाँ चार रास्ते मिलते हैं।
- गिट्टी (Rawl Plugs) और स्क्रू: केसिंग को दीवार पर कसने के लिए।
स्थापना (Installation) की प्रक्रिया
स्थापना की प्रक्रिया सरल है और इसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
-
लेआउट और चिह्नांकन:
- सबसे पहले, वायरिंग का मार्ग (Route) दीवार या छत पर क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रूप से चिह्नित किया जाता है।
- केसिंग को फिक्स करने के लिए बिंदुओं (Points) को चिह्नित किया जाता है।
-
केसिंग को फिक्स करना:
- चिह्नित बिंदुओं पर ड्रिल करके गिट्टियाँ (Rawl Plugs) लगाई जाती हैं।
- केसिंग (आवरण) के निचले भाग को इन बिंदुओं पर स्क्रू की मदद से मजबूती से दीवार पर कस दिया जाता है। सभी सहायक उपकरण (जैसे एल्बो) भी इसी चरण में फिक्स किए जाते हैं।
-
तारों को बिछाना:
- इंसुलेटेड तारों को उनकी आवश्यकता और रंग कोड (जैसे लाल/काला/हरा) के अनुसार केसिंग के अलग-अलग खाँचों में बिछाया जाता है।
- यह सुनिश्चित किया जाता है कि तार व्यवस्थित हों और ओवरलैप न करें।
- कैपिंग लगाना:
- तारों को बिछाने के बाद, कैपिंग को केसिंग के ऊपर रखकर दबाया जाता है। आधुनिक PVC सिस्टम में कैपिंग आमतौर पर प्रेस-फिट (Press-Fit) होती है, यानी इसे कसने के लिए अतिरिक्त स्क्रू की आवश्यकता नहीं होती है।
- उपकरणों को जोड़ना:
- वायरिंग को स्विच बोर्ड, जंक्शन बॉक्स, होल्डर और अन्य उपकरणों से जोड़ा जाता है।
- परीक्षण (Testing):
- स्थापना पूरी होने के बाद, किसी भी खराबी या शॉर्ट सर्किट की जाँच के लिए निरंतरता और इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण (Continuity and Insulation Resistance Test) किया जाता है, जिसके बाद ही बिजली आपूर्ति शुरू की जाती है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring), जिसे केसिंग पट्टी वायरिंग भी कहा जाता है, का मुख्य कार्य सतह पर बिछाए गए बिजली के तारों को यांत्रिक और पर्यावरणीय सुरक्षा प्रदान करना है, जिससे वे सुरक्षित रहें और कमरे को व्यवस्थित रूप दें।
यह प्रणाली क्लीट वायरिंग की तुलना में अधिक सुरक्षा और अच्छी दिखावट प्रदान करती है, जबकि कंड्यूट वायरिंग की तुलना में इसकी स्थापना आसान और कम खर्चीली होती है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग के कार्य
यह प्रणाली निम्नलिखित प्रमुख कार्य करती है:
1. तारों का सुरक्षात्मक आवरण
- यांत्रिक सुरक्षा: आवरण (केसिंग) और कैपिंग मिलकर तारों को धूल, गंदगी, नमी और हल्के यांत्रिक आघात (जैसे खरोंच या हल्की टक्कर) से बचाते हैं।
- बिजली के झटके से बचाव: तार सुरक्षात्मक PVC या लकड़ी के चैनल के अंदर ढके होते हैं, जिससे नंगे तारों के संपर्क में आने और बिजली के झटके लगने का खतरा कम हो जाता है।
2. तारों का अलगाव और व्यवस्थापन
- अलगाव (Separation): केसिंग के अंदर बने समांतर खांचे (Grooves) फेज़ (Phase), न्यूट्रल (Neutral) और अर्थिंग (Earthing) के तारों को एक-दूसरे से अलग रखते हैं। यह तारों को आपस में टकराने से रोकता है और शॉर्ट सर्किट की संभावना को कम करता है।
- व्यवस्थित मार्ग: यह तारों को दीवार या छत पर एक सीधी और साफ रेखा में व्यवस्थित रूप से बिछाने का कार्य करता है, जिससे पूरी वायरिंग एक संगठित रूप लेती है।
3. आसान रखरखाव और बदलाव
- सुगम मरम्मत: चूँकि वायरिंग दीवार की सतह पर होती है, इसलिए कैपिंग को हटाकर तारों की मरम्मत करना, बदलना या उनमें नया कनेक्शन जोड़ना (Addition/Alteration) बहुत सरल होता है। यह कंड्यूट वायरिंग की तुलना में बहुत तेज़ और आसान है, जिसमें दीवारें तोड़नी पड़ती हैं।
आवरण और कैपिंग वायरिंग का उपयोग
इस प्रणाली का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ:
- पुनः वायरिंग की आवश्यकता हो: पुराने घरों या कमरों में, जहाँ दीवारों को तोड़कर छिपी हुई वायरिंग करना संभव न हो।
- किफायती समाधान चाहिए: जहाँ कंड्यूट वायरिंग की उच्च लागत और श्रम से बचना हो।
- स्थायी सतही वायरिंग: इसे स्थायी उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो क्लीट वायरिंग से बेहतर और अधिक टिकाऊ विकल्प है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring), जिसे केसिंग पट्टी वायरिंग भी कहा जाता है, का मुख्य कार्य सतह पर बिछाए गए बिजली के तारों को यांत्रिक और पर्यावरणीय सुरक्षा प्रदान करना है, जिससे वे सुरक्षित रहें और कमरे को व्यवस्थित रूप दें।
यह प्रणाली क्लीट वायरिंग की तुलना में अधिक सुरक्षा और अच्छी दिखावट प्रदान करती है, जबकि कंड्यूट वायरिंग की तुलना में इसकी स्थापना आसान और कम खर्चीली होती है।
आवरण और कैपिंग वायरिंग के प्रमुख कार्य
यह प्रणाली निम्नलिखित प्रमुख कार्य करती है:
1. तारों का सुरक्षात्मक आवरण
- यांत्रिक सुरक्षा: आवरण (केसिंग) और कैपिंग मिलकर तारों को धूल, गंदगी, नमी और हल्के यांत्रिक आघात (जैसे खरोंच या हल्की टक्कर) से बचाते हैं।
- सुरक्षा और इन्सुलेशन: तार सुरक्षात्मक PVC या लकड़ी के चैनल के अंदर ढके होते हैं, जिससे नंगे तारों के संपर्क में आने और बिजली के झटके लगने का खतरा कम हो जाता है।
- आग से बचाव: PVC सामग्री होने के कारण यह कुछ हद तक आग के प्रसार को धीमा करने में मदद करती है, हालाँकि यह कंड्यूट वायरिंग जितनी सुरक्षित नहीं होती।
2. तारों का अलगाव और व्यवस्थापन
- अलगाव (Separation): केसिंग के अंदर बने समांतर खांचे (Grooves) फेज़ (Phase), न्यूट्रल (Neutral) और अर्थिंग (Earthing) के तारों को एक-दूसरे से अलग रखते हैं। यह तारों को आपस में टकराने से रोकता है और शॉर्ट सर्किट की संभावना को कम करता है।
- व्यवस्थित मार्ग: यह तारों को दीवार या छत पर एक सीधी और साफ रेखा में व्यवस्थित रूप से बिछाने का कार्य करता है, जिससे पूरी वायरिंग एक संगठित रूप लेती है और कमरे को अच्छी दिखावट मिलती है।
3. आसान रखरखाव और बदलाव
- सुगम मरम्मत: चूँकि वायरिंग दीवार की सतह पर होती है, इसलिए कैपिंग को हटाकर तारों की मरम्मत करना, बदलना या उनमें नया कनेक्शन जोड़ना (Addition/Alteration) बहुत सरल होता है। यह कंड्यूट वायरिंग की तुलना में बहुत तेज़ और आसान है, जिसमें दीवारें तोड़नी पड़ती हैं।
यह प्रणाली मुख्य रूप से उन स्थानों पर उपयोग की जाती है जहाँ पुनः वायरिंग (Rewiring) की आवश्यकता हो या जहाँ दीवारों में छिपी हुई वायरिंग (Concealed Wiring) करना संभव न हो।
आवरण और कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring), जिसे केसिंग पट्टी वायरिंग भी कहते हैं, का उपयोग मुख्य रूप से सतह पर स्थायी या अर्ध-स्थायी बिजली के कनेक्शन प्रदान करने के लिए किया जाता है।
इसके प्रमुख उपयोग (Applications) और अनुप्रयोग स्थल निम्नलिखित हैं:
आवरण और कैपिंग वायरिंग के मुख्य उपयोग
1. मौजूदा (पुराने) भवनों में नवीनीकरण
- यह वायरिंग प्रणाली उन पुराने घरों, दुकानों या कार्यालयों में सबसे अधिक उपयोग की जाती है जहाँ दीवारों में छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) स्थापित करना संभव नहीं होता या अत्यधिक महंगा होता है।
- यह दीवार को तोड़े बिना या बड़े बदलाव किए बिना वायरिंग को नवीनीकृत (Rewire) करने का एक सरल और सस्ता तरीका है।
2. कम लागत वाले अस्थायी प्रतिष्ठान
- हालाँकि यह स्थायी वायरिंग के लिए है, लेकिन यह क्लीट वायरिंग से बेहतर और मजबूत होने के कारण इसे अक्सर उन स्थानों पर भी प्रयोग किया जाता है जहाँ कुछ वर्षों के लिए साफ-सुथरी सतह वायरिंग की आवश्यकता होती है।
3. विस्तार (Extensions) और परिवर्तन
- जहाँ मौजूदा (Concealed) वायरिंग को बढ़ाना (Extension) मुश्किल हो, वहाँ नए पॉइंट या सर्किट जोड़ने के लिए केसिंग और कैपिंग का उपयोग किया जाता है। इसकी मरम्मत और बदलाव में आसानी इसे ऐसे कार्यों के लिए उपयुक्त बनाती है।
4. गोदामों और कार्यशालाओं (Workshops) में
- उन गोदामों, कार्यशालाओं या छोटे कारखानों में जहाँ वायरिंग को पाइप (Conduit) में डालने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यांत्रिक सुरक्षा की थोड़ी आवश्यकता होती है, वहाँ इसका उपयोग किया जाता है।
उपयुक्त अनुप्रयोग स्थल
- आवासीय भवन: पुराने घर और कम लागत वाले नए निर्माण।
- दुकान और छोटे व्यावसायिक परिसर: जहाँ वायरिंग को साफ-सुथरा और आसानी से पहुँचा जा सकने वाला रखना आवश्यक हो।
- अस्थायी कार्यालय: साइट पर बने अस्थायी कार्यालय या प्रशासनिक ब्लॉक।
बैटन वायरिंग एक प्रकार की विद्युतीय वायरिंग प्रणाली है जहाँ अवरोधी तारों (Insulated Wires) को सीधे लकड़ी के बैटन (Batten) के ऊपर स्थापित किया जाता है।
बैटन (जो आमतौर पर सागौन की लकड़ी के बने होते हैं) को प्लग और स्क्रू का उपयोग करके छत या दीवारों पर लगाया जाता है। इन बैटन पर तारों को कसने के लिए कलईदार कांसा लिंक क्लिप (Tinned Brass Link Clips) का उपयोग किया जाता है। ये क्लिप जंग-प्रतिरोधी कील (rust-resistant nails) के माध्यम से बैटन से जोड़े जाते हैं।
बैटन वायरिंग की मुख्य विशेषताएं
- सरल और सस्ता: यह वायरिंग अन्य प्रणालियों की तुलना में स्थापित करने में आसान और सस्ता होता है, और इसमें कम समय लगता है।
- उपयोग: यह मुख्य रूप से घरेलू अधिष्ठापनों (Domestic installations) के लिए प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब इसका उपयोग कम हो गया है और इसकी जगह कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) ने ले ली है।
- तारों के प्रकार: इस वायरिंग में आमतौर पर TRS (Tough Rubber Sheathed) या PVC (Polyvinyl Chloride) आच्छादित वायरिंग या धातु आच्छादित वायरिंग का उपयोग किया जाता है।
-
लाभ:
- यह एक साधारण वायरिंग प्रणाली है।
- इसका जीवनकाल बेहतर होता है।
- क्षरण धारा (Leakage Current) की संभावना बहुत कम होती है।
बैटन वायरिंग के प्रकार
बैटन वायरिंग के तहत मुख्य रूप से दो प्रकार की वायरिंग आती है:
- TRS या PVC वायरिंग: इसमें तार पर कठोर रबड़ (TRS) या PVC का आवरण होता है।
- सीसा आच्छादित (Lead Sheathed) या धातु आच्छादित (Metal Sheathed) वायरिंग: इसमें तारों पर सीसे या अन्य धातु का आवरण होता है जो उन्हें अतिरिक्त यांत्रिक सुरक्षा और नमी से बचाव प्रदान करता है।
बैटन वायरिंग के निर्माण या स्थापना में मुख्य रूप से निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
1. बैटन का चयन और कटिंग बैटन का चयन: अच्छी गुणवत्ता वाली सागौन की लकड़ी (Teak Wood) के बैटन का चयन किया जाता है, जिनकी मोटाई आमतौर पर लगभग 10 { mm} होती है।
मापन और कटिंग: दीवार और छत पर वायरिंग के मार्ग (Route) का मापन किया जाता है और उस माप के अनुसार बैटन को सीधा और सही कोणों पर काटा जाता है।
2. बैटन को दीवार पर लगाना चिह्नित करना: वायरिंग के मार्ग को दीवार या छत पर पेंसिल या चाक से चिह्नित किया जाता है।
ड्रिलिंग: चिह्नित स्थानों पर (जहां बैटन को लगाना है) प्लग लगाने के लिए ड्रिल मशीन से छेद किए जाते हैं।
स्थापना: लकड़ी के गुटके (Gitti/Wooden Plugs) छेदों में डाले जाते हैं। फिर, बैटन को दीवार या छत पर रखकर स्क्रू की मदद से कस दिया जाता है। बैटन को पूरी तरह से सीधा (Horizontally and Vertically) लगाया जाना चाहिए।
3. तारों को खींचना और क्लिप लगाना तारों को खींचना: TRS या PVC इन्सुलेटेड तारों (Insulated Wires) को बैटन के ऊपर उचित तरीके से रखा जाता है। यह ध्यान रखा जाता है कि तार मुड़े नहीं या उन पर अनावश्यक तनाव न पड़े।
क्लिप लगाना: कलईदार कांसा लिंक क्लिप (Tinned Brass Link Clips) का उपयोग करके तारों को बैटन पर कस दिया जाता है। क्षैतिज (Horizontal) दौड़ के लिए क्लिप के बीच की दूरी लगभग 10 { cm} रखी जाती है।
ऊर्ध्वाधर (Vertical) दौड़ के लिए क्लिप के बीच की दूरी लगभग 15 { cm} रखी जाती है।
मोड़ों पर ध्यान: जहां वायरिंग में मोड़ (Corners) आते हैं, वहां तारों को व्यवस्थित रूप से मोड़ने के लिए विशेष क्लिप या बैटन कटिंग का उपयोग किया जाता है ताकि तार सुरक्षित रहें।
4. सहायक उपकरणों का संयोजन स्विच बोर्ड लगाना: स्विच, सॉकेट, फ्यूज आदि के लिए लकड़ी या बेकलाइट के स्विच बोर्ड लगाए जाते हैं।
कनेक्शन: सर्किट आरेख (Circuit Diagram) के अनुसार तारों को स्विच बोर्ड में लगे उपकरणों (स्विच के निचले टर्मिनल पर फेज, उपकरणों को न्यूट्रल, आदि) से जोड़ा जाता है।
छोड़ना (Tapping): लाइटिंग पॉइंट, पंखे के पॉइंट और अन्य आउटलेट के लिए बैटन से तारों को नीचे उतारा जाता है, यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि तार सुरक्षित रूप से जुड़े हों।
5. परीक्षण स्थापना पूरी होने के बाद, वायरिंग की सुरक्षा और कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के लिए मेगर (Megger) और टेस्ट लैंप (Test Lamp) का उपयोग करके कंटिन्यूटी टेस्ट (Continuity Test) और इंसुलेशन रेजिस्टेंस टेस्ट (Insulation Resistance Test) किया जाता है।
बैटन वायरिंग का मुख्य कार्य इमारत के विभिन्न हिस्सों में विद्युत शक्ति (Electrical Power) को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से पहुँचाना है। यह प्रणाली तारों को दीवार और छत की सतहों पर सहारा प्रदान करके उन्हें यांत्रिक क्षति से बचाती है।
बैटन वायरिंग के मुख्य कार्य और उद्देश्य विद्युत वितरण (Power Distribution): इसका प्राथमिक कार्य मुख्य वितरण बोर्ड (Main Distribution Board) से प्रकाश बिंदुओं (Lighting Points), पंखों (Fans), स्विचों (Switches) और सॉकेट आउटलेटों (Socket Outlets) तक विद्युत आपूर्ति को ले जाना है।
तारों को व्यवस्थित करना (Organizing Wires): लकड़ी के बैटन तारों को सीधे दीवार की सतह पर लगाते हैं, जिससे वे सुव्यवस्थित दिखाई देते हैं। पीतल की क्लिप तारों को एक निश्चित अंतराल पर बैटन से बांधकर उन्हें हिलने या लटकने से रोकती है।
सुरक्षा प्रदान करना (Providing Protection): बैटन तारों को मामूली यांत्रिक क्षति (जैसे खरोंच या आकस्मिक स्पर्श) से बचाते हैं। TRS या PVC जैसे उच्च अवरोधन (High Insulation) वाले तारों का उपयोग करने से क्षरण धारा (Leakage Current) की संभावना बहुत कम हो जाती है, जिससे सुरक्षा बनी रहती है।
स्थापना में आसानी (Ease of Installation): यह प्रणाली अन्य वायरिंग की तुलना में सरल होती है, जिससे इसे स्थापित करने में कम समय लगता है। किसी भी मरम्मत या बदलाव के लिए तार आसानी से उपलब्ध होते हैं (क्योंकि वायरिंग सतह पर की जाती है)।
बैटन वायरिंग के अनुप्रयोग (Applications) यह वायरिंग प्रणाली मुख्य रूप से निम्न वोल्टता (Low Voltage - 250 { V} से कम) वाले घरेलू और अस्थायी स्थानों के लिए उपयुक्त थी।
घरेलू अधिष्ठापन (Domestic Installations): इसका पारंपरिक रूप से घरों, अपार्टमेंटों और छोटे कार्यालयों में उपयोग किया जाता था, हालांकि अब इसे कंड्यूट वायरिंग ने बदल दिया है।
गोदाम और कार्यशालाएँ (Warehouses and Workshops): उन क्षेत्रों में जहाँ वायरिंग को खुला रखा जा सकता है, यह एक सस्ता और आसान विकल्प था।
अस्थायी संरचनाएँ (Temporary Structures): त्योहारों, प्रदर्शनियों या अस्थायी शिविरों में जहाँ वायरिंग को जल्द स्थापित करके हटाया जा सकता है।
बैटन वायरिंग के कई फायदे हैं,
जैसे कि यह टिकाऊ है और इसमें क्षरण धारा की कम संभावना होती है, जैसा कि बत्ता (बैटन) तार स्थापन का एक लाभ के बारे में बताया गया है।
बैटन वायरिंग का मुख्य कार्य इमारत के विभिन्न बिंदुओं पर विद्युत शक्ति (Electrical Power) को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से वितरित करना है। यह प्रणाली तारों को दीवार की सतह पर सहारा प्रदान करती है और उन्हें यांत्रिक क्षति से बचाती है।
बैटन वायरिंग के प्रमुख कार्य विद्युत वितरण का मार्ग प्रदान करना (Creating the Distribution Path): यह मुख्य रूप से निम्न वोल्टता (250 { V} से कम) वाली विद्युत आपूर्ति को स्विच बोर्डों, प्रकाश बिंदुओं (Lighting Points), पंखों और सॉकेट आउटलेटों तक ले जाने का कार्य करती है।
तारों को सहारा और स्थिरता देना (Supporting and Stabilizing Wires): लकड़ी के बैटन तारों के लिए एक ठोस आधार (Base) प्रदान करते हैं, जिससे तार लटकते नहीं हैं और उनका मार्ग निर्धारित रहता है। पीतल की क्लिप तारों को कसकर बैटन से बाँधे रखती हैं, जिससे वे हिलते नहीं हैं और आपस में टकराकर शॉर्ट सर्किट होने का खतरा कम होता है।
सुरक्षा और इन्सुलेशन (Safety and Insulation): तारों को दीवार की सतह पर खुला छोड़ने के बजाय, बैटन उन्हें थोड़ा ऊपर उठाकर रखते हैं। इससे TRS या PVC आच्छादित तारों को मामूली यांत्रिक क्षति (Minor Mechanical Damage) से सुरक्षा मिलती है।
यह प्रणाली क्षरण धारा (Leakage Current) की संभावना को कम करती है, क्योंकि तार उच्च इन्सुलेशन वाले होते हैं और सतह पर व्यवस्थित रूप से रखे जाते हैं।
पहचान और रखरखाव में आसानी (Easy Identification and Maintenance): चूंकि वायरिंग दीवार की सतह पर दिखाई देती है (ओपन वायरिंग), इसलिए किसी भी दोष (Fault) या सर्किट में समस्या को आसानी से पहचाना और ठीक किया जा सकता है।
बैटन वायरिंग का उपयोग यह वायरिंग प्रणाली मुख्य रूप से उन स्थानों के लिए उपयुक्त थी जहाँ वायरिंग को खुला रखना स्वीकार्य हो, और वातावरण अधिक नम (Moist) या रासायनिक प्रभावों वाला न हो।
घरेलू उपयोग: पारंपरिक रूप से घर, अपार्टमेंट और छोटे कार्यालयों में उपयोग किया जाता था।
शुष्क वातावरण: यह उन स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ धूल और नमी कम हो।
अस्थायी स्थापनाएँ: हालाँकि इसकी जगह अब कंड्यूट वायरिंग ने ले ली है, यह अभी भी कुछ अस्थायी प्रतिष्ठानों के लिए एक सस्ता और सरल विकल्प हो सकता है। बैटन वायरिंग के लाभों में इसकी साधारणता और क्षरण धारा की कम संभावना शामिल है।
बैटन वायरिंग के मुख्य उपयोग (Applications) उन जगहों पर किए जाते थे जहाँ वायरिंग को खुला रखना स्वीकार्य होता था, और स्थापना की लागत कम रखने की आवश्यकता होती थी।
बैटन वायरिंग के प्रमुख उपयोग
उपयोग की सीमाएँ (Limitations of Use)
यह समझना महत्वपूर्ण है कि आधुनिक सुरक्षा मानकों के कारण बैटन वायरिंग का उपयोग अब सीमित हो गया है या इसे बेहतर, अधिक सुरक्षित प्रणालियों (जैसे PVC कंड्यूट वायरिंग) से बदल दिया गया है। बैटन वायरिंग निम्नलिखित स्थानों के लिए उपयुक्त नहीं है:
- आर्द्र या नम स्थान: जहाँ तार नमी, भाप, या बारिश के सीधे संपर्क में आते हों (उदाहरण के लिए, बाथरूम, खुली छत)।
- रासायनिक प्रभाव वाले क्षेत्र: जहाँ अम्लीय या क्षारीय रसायन तारों के इन्सुलेशन को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- बाहरी/खुले क्षेत्र: जहाँ तार धूप और मौसम के सीधे संपर्क में रहते हों।
- भारी यांत्रिक क्षति का जोखिम: औद्योगिक क्षेत्र या भीड़-भाड़ वाली जगहें जहाँ तारों पर भौतिक नुकसान होने की संभावना अधिक हो।
सीटीएस (CTS) और टीआरएस (TRS) वायरिंग भारत में उपयोग की जाने वाली सतह पर की जाने वाली (Surface Wiring) एक पारंपरिक वायरिंग प्रणाली है।
यह प्रणाली मुख्य रूप से बैटन वायरिंग के तहत वर्गीकृत की जाती है, क्योंकि इसमें केबलों को लकड़ी के बैटन (Battens) पर स्थापित किया जाता है।
1. सीटीएस/टीआरएस का अर्थ
CTS और TRS केबल वास्तव में उनके इंसुलेशन (आवरण) के प्रकार को दर्शाते हैं:
TRS शब्द का उपयोग CTS की तुलना में अधिक आम है। ये दोनों केबल वल्केनाइज्ड इंडियन रबर (VIR) इंसुलेटेड तारों के ऊपर एक कठोर रबड़ आवरण (Hard Rubber Sheath) प्रदान करते हैं। यह बाहरी आवरण तारों को नमी और यांत्रिक क्षति से बचाता है।
2. स्थापना (Installation) सीटीएस/टीआरएस वायरिंग को आम तौर पर बैटन वायरिंग के रूप में स्थापित किया जाता है:
लकड़ी के बैटन को प्लग और स्क्रू की मदद से दीवार या छत की सतह पर लगाया जाता है। TRS/CTS केबल को इन बैटनों पर बिछाया जाता है। केबल को बैटन पर सुरक्षित रखने के लिए कलईदार पीतल की क्लिप (Tinned Brass Clips) का उपयोग किया जाता है।
इन केबलों में आमतौर पर एक कोर, दो कोर या तीन कोर के साथ एक अतिरिक्त अर्थ कंटिन्यूटी वायर (Earthing Wire) भी शामिल होता है।
3. उपयोग और अनुप्रयोग यह वायरिंग प्रणाली मुख्य रूप से निम्न वोल्टता (Low Voltage - 250 { V} से कम) वाले घरेलू और वाणिज्यिक अधिष्ठापनों के लिए उपयुक्त है।
आवासीय और कार्यालय भवन: उन स्थानों पर जहाँ वायरिंग को सतह पर खुला रखना स्वीकार्य हो और आग लगने का जोखिम कम हो।
पहाड़ी और ठंडे इलाके: ये केबल ठंडे या शुष्क वातावरण में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
रासायनिक कारखाने: कुछ मामलों में, यह उन जगहों के लिए उपयुक्त है जहाँ एसिड और क्षार (Acids and Alkalies) मौजूद होते हैं, क्योंकि रबड़ का आवरण नमी और रसायनों से सुरक्षा प्रदान करता है।
4. फायदे और नुकसान फायदे (Advantages) नमी से उत्कृष्ट सुरक्षा: रबड़ का कठोर आवरण नमी और सीलन से तारों को बेहतरीन सुरक्षा प्रदान करता है।
लंबा जीवनकाल: इस प्रणाली का जीवनकाल काफी लंबा होता है।
उत्तम यांत्रिक सुरक्षा: यह केबल को अच्छी यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करती है।
देखने में अच्छा (Good Appearance): बैटन वायरिंग आमतौर पर साफ़-सुथरी दिखती है।
नुकसान (Disadvantages) उच्च लागत: अच्छी गुणवत्ता वाले बैटन और TRS केबल के कारण यह क्लीट वायरिंग से महंगी होती है।
कमजोर सुरक्षा: यह सूर्य के प्रकाश (Sunlight), वर्षा और मौसम के सीधे प्रभावों के संपर्क में आने पर जल्दी खराब हो सकती है। इसलिए यह बाहरी (Outdoor) स्थापना के लिए उपयुक्त नहीं है।
आग का खतरा: लकड़ी के बैटन का उपयोग होने के कारण आग लगने का खतरा कंड्यूट वायरिंग की तुलना में अधिक होता है।
आधुनिक विकल्प: वर्तमान में, PVC कंड्यूट वायरिंग (छुपी हुई या सतह पर) सुरक्षा और स्थायित्व के मामले में बेहतर मानी जाती है और इसका प्रचलन अधिक है।
सीटीएस (CTS) या टीआरएस (TRS) वायरिंग का निर्माण मुख्य रूप से बैटन वायरिंग प्रणाली के तहत किया जाता है। इसमें केबलों को सीधे लकड़ी की पट्टी (बैटन) पर सतह के ऊपर (Open) स्थापित किया जाता है। यह निर्माण विधि तारों को नमी और यांत्रिक क्षति से बचाने के लिए कठोर रबड़ के आवरण का उपयोग करती है।
सीटीएस/टीआरएस वायरिंग के निर्माण के चरण (Installation Steps) सीटीएस/टीआरएस वायरिंग की स्थापना में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
1. बैटन की तैयारी और स्थापना (Preparation and Fixing of Batten) मार्ग अंकन: सबसे पहले, यह सुनिश्चित किया जाता है कि वायरिंग का पूरा मार्ग (Path) दीवारों और छतों पर सीधी रेखाओं में और समकोण पर चिह्नित (Marked) किया गया हो।
बैटन चयन: अच्छी गुणवत्ता वाले, सीधे और सूखे सागौन की लकड़ी के बैटन का चयन किया जाता है। बैटन की चौड़ाई ले जाने वाले तारों की संख्या और आकार पर निर्भर करती है।
स्थापना: बैटन को गुटके (Gitti) और स्क्रू का उपयोग करके चिह्नित मार्ग पर दीवार या छत से कसकर जोड़ा जाता है।
2. केबल बिछाना (Laying the Cables) केबल का चयन: TRS (Tough Rubber Sheathed) या CTS (Cab Tyre Sheathed) केबल का उपयोग किया जाता है। ये केबल एकल कोर, दो कोर, या तीन कोर में उपलब्ध होते हैं और इनमें आमतौर पर एक अतिरिक्त अर्थ कंटिन्यूटी वायर भी होता है।
केबल लगाना: तारों को बैटन के ऊपर उचित तरीके से बिछाया जाता है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि केबल एक-दूसरे को क्रॉस न करें।
3. क्लिपिंग और सुरक्षित करना (Clipping and Securing) क्लिप का उपयोग: तारों को बैटन से सुरक्षित रूप से बाँधने के लिए कलईदार पीतल के लिंक क्लिप (Tinned Brass Link Clips) का उपयोग किया जाता है।
क्लिप की दूरी: तारों को कसकर पकड़ने के लिए क्लिप को नियमित अंतराल पर लगाया जाता है:
क्षैतिज दौड़ (Horizontal Run) पर: लगभग 10 { cm} के अंतराल पर।
ऊर्ध्वाधर दौड़ (Vertical Run) पर: लगभग 15 { cm} के अंतराल पर।
मोड़ों पर सुरक्षा: जहाँ वायरिंग में मोड़ (Corners) आते हैं, वहाँ तारों को मोड़ने के लिए विशेष क्लिप या बैटन कटिंग का उपयोग किया जाता है ताकि तार मुड़ें नहीं।
4. एक्सेसरीज का संयोजन (Connection of Accessories) उपकरण लगाना: स्विच, सॉकेट, लैंप होल्डर और जंक्शन बॉक्स जैसे सभी उपकरण (Accessories) लकड़ी या बेकलाइट के बोर्ड पर लगाए जाते हैं।
टैपिंग: विभिन्न उपकरणों को बिजली देने के लिए TRS केबल के अंदर से टी-जोड़ (T-Joints) निकाले जाते हैं। इन जोड़ों को उपयुक्त जंक्शन बॉक्स या ग्रोमेट में अच्छी तरह से इंसुलेट करके सुरक्षित किया जाता है।
सर्किट कनेक्शन: सर्किट आरेख के अनुसार, फेज वायर को स्विच के निचले टर्मिनलों से, न्यूट्रल वायर को सीधे उपकरण से, और अर्थ वायर को सभी धातु भागों से जोड़ा जाता है।
सीटीएस/टीआरएस वायरिंग की सुरक्षा विशेषता इस वायरिंग की मुख्य विशेषता केबल शीथिंग (Cable Sheathing) है।
केबल के ऊपर रबड़ का कठोर आवरण, सामान्य वी.आई.आर. (V.I.R. - Vulcanized Indian Rubber) इन्सुलेशन की तुलना में अधिक सुरक्षा प्रदान करता है,
खासकर: नमी (Moisture): कठोर आवरण नमी को तारों तक पहुँचने से रोकता है।
यांत्रिक घिसाव (Mechanical Wear): यह तारों को बाहरी रगड़ या घिसाव से बचाता है।
सीटीएस (CTS) या टीआरएस (TRS) वायरिंग का मुख्य कार्य निम्न-वोल्टेज विद्युत शक्ति को इमारत के अंदर, सतह पर (Open Surface) लगे लकड़ी के बैटन के माध्यम से सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से वितरित करना है।
TRS का अर्थ है टफ रबर आच्छादित (Tough Rubber Sheathed), जो इसके केबलों की मुख्य विशेषता है।
सीटीएस/टीआरएस वायरिंग के प्रमुख कार्य
- विद्युत परिवहन (Electricity Conveyance):
- यह मुख्य वितरण बोर्ड से स्विच, सॉकेट, बल्ब होल्डर, और पंखों तक फेज, न्यूट्रल और अर्थिंग तार ले जाने का प्राथमिक कार्य करता है।
-
यांत्रिक और नमी से सुरक्षा (Protection from Moisture and Mechanical Stress):
- केबल पर मौजूद कठोर रबड़ का आवरण (Tough Rubber Sheath) तारों के इंसुलेशन को नमी (Moisture) और सीलन से बचाता है, जिससे यह वायरिंग प्रणाली सूखे और कुछ हद तक नम स्थानों के लिए उपयुक्त हो जाती है।
- यह आवरण तारों को मामूली यांत्रिक घिसाव (Minor Mechanical Wear) या खरोंच से भी बचाता है।
- तारों को सहारा देना (Wire Support and Arrangement):
- वायरिंग का निर्माण चूंकि लकड़ी के बैटन पर होता है, इसलिए यह प्रणाली तारों को सतह पर लटकने या अव्यवस्थित होने से रोकती है। पीतल की क्लिप तारों को कसकर बैटन से बांधकर उन्हें एक निश्चित, सुव्यवस्थित मार्ग पर रखती है।
- क्षरण धारा नियंत्रण (Leakage Current Control):
- TRS केबल में उपयोग किए जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले रबड़ इंसुलेशन के कारण, क्षरण धारा (Leakage Current) की संभावना कम होती है, जिससे बिजली के झटके का खतरा कम होता है।
अनुप्रयोग के उद्देश्य (Purpose of Application)
सीटीएस/टीआरएस वायरिंग को उन जगहों पर प्राथमिकता दी जाती थी जहाँ:
- आसानी से पहुंच: वायरिंग सतह पर होती है, इसलिए किसी भी मरम्मत या बदलाव (Alteration) के लिए तारों तक पहुँचना बहुत आसान होता है।
- कम लागत: कंड्यूट (पाइप) वायरिंग की तुलना में इसकी स्थापना थोड़ी सस्ती और कम समय लेने वाली होती है।
- शुष्क/ठंडा वातावरण: यह प्रणाली मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के लिए बेहतर थी जहाँ का वातावरण बहुत गर्म, रासायनिक रूप से सक्रिय, या अत्यधिक नम नहीं होता था।
ध्यान दें: सुरक्षा और स्थायित्व के कारण, वर्तमान में भारत में सीटीएस/टीआरएस वायरिंग का उपयोग बहुत कम हो गया है और इसकी जगह पीवीसी कंड्यूट वायरिंग ने ले ली है।
सीटीएस (CTS) या टीआरएस (TRS) वायरिंग का मुख्य कार्य इमारत के अंदर, सतह पर लगे लकड़ी के बैटन के माध्यम से, निम्न-वोल्टेज विद्युत शक्ति (250 { V} तक) को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से वितरित करना है।
इस प्रणाली का जोर टफ रबर आवरण (Tough Rubber Sheath - TRS) पर होता है, जो तारों को सुरक्षा प्रदान करता है। प्रमुख कार्य और उद्देश्य
यह प्रणाली अब कम उपयोग में है, क्योंकि इसकी जगह पीवीसी कंड्यूट वायरिंग ने ले ली है, जो आग और यांत्रिक क्षति के मामले में अधिक सुरक्षित मानी जाती है।
सीटीएस (CTS) या टीआरएस (TRS) वायरिंग का उपयोग मुख्य रूप से उन स्थानों पर किया जाता था जहाँ वायरिंग को सतह पर खुला रखना स्वीकार्य हो और जहाँ नमी से बचाव आवश्यक हो लेकिन उच्च यांत्रिक सुरक्षा की आवश्यकता न हो।
चूंकि यह वायरिंग अब एक पुरानी तकनीक मानी जाती है और सुरक्षा कारणों से इसका स्थान आधुनिक पीवीसी कंड्यूट वायरिंग ने ले लिया है, इसके उपयोगों को पारंपरिक संदर्भ में समझना चाहिए:
सीटीएस/टीआरएस वायरिंग के प्रमुख अनुप्रयोग (Traditional Applications) आवासीय भवन (Residential Buildings): यह मुख्य रूप से घर, अपार्टमेंट और फ्लैटों में निम्न वोल्टता (250 { V} तक) के लिए उपयोग की जाती थी, विशेषकर जहाँ कम लागत में टिकाऊ ओपन वायरिंग की आवश्यकता होती थी।
छोटे कार्यालय और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (Small Offices and Commercial Establishments): छोटे व्यावसायिक क्षेत्रों, जैसे कि छोटी दुकानों या गोदामों के लिए जहाँ वायरिंग को छुपाने की आवश्यकता नहीं होती थी।
शुष्क और ठंडे/पहाड़ी क्षेत्र (Dry and Cold/Hilly Areas): यह वायरिंग उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त थी जहाँ वातावरण बहुत नम या गर्म नहीं होता था। कठोर रबड़ का आवरण ठंडी परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करता था।
रासायनिक/नम स्थान (Chemical/Moist Places - सीमित उपयोग): कुछ विशेष मामलों में, जहाँ तारों को एसिड या क्षार के प्रभाव से बचाना हो, वहां रबड़ आवरण कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करता था, लेकिन यह विशेष रूप से गीले या संक्षारक वातावरण के लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं है।
अस्थायी स्थापनाएँ (Temporary Installations): यह उन जगहों के लिए बेहतर विकल्प था जहाँ वायरिंग को आसानी से स्थापित और हटाया जा सकता था, हालाँकि क्लीट वायरिंग इस उद्देश्य के लिए सबसे सस्ती थी। वर्तमान स्थिति वर्तमान में, सीटीएस/टीआरएस वायरिंग का प्रचलन लगभग समाप्त हो गया है।
इसके स्थान पर अब निम्नलिखित प्रणालियाँ उपयोग की जाती हैं:
सतह कंड्यूट वायरिंग (Surface Conduit Wiring): जहाँ वायरिंग खुली रखनी हो, वहाँ PVC या धातु के पाइप (कंड्यूट) में तार डाले जाते हैं, जो TRS से कहीं अधिक बेहतर यांत्रिक और अग्नि सुरक्षा प्रदान करते हैं।
छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring): आधुनिक घरों और इमारतों में यह मानक है, जहाँ वायरिंग दीवार के अंदर छिपी रहती है, जो सबसे अच्छी सौंदर्य और यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करती है।
नाली वायरिंग को आमतौर पर कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) कहा जाता है। यह विद्युत वायरिंग की सबसे लोकप्रिय और सुरक्षित प्रणाली है, जिसमें सभी तारों को एक सुरक्षात्मक ट्यूब या पाइप के अंदर से गुजारा जाता है।
नाली (कंड्यूट) वह ट्यूब या पाइप है जो विद्युत तारों को सुरक्षा और मार्ग प्रदान करता है।
नाली वायरिंग के प्रकार (Types of Conduit Wiring)
कंड्यूट वायरिंग मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि नाली कहाँ स्थापित की गई है:
1. छिपी हुई नाली वायरिंग (Concealed Conduit Wiring)
- परिभाषा: इस वायरिंग में, प्लास्टिक (PVC) या धातु की नालियाँ (पाइप) को दीवार या छत की चिनाई में खाँचे (Grooves) बनाकर छिपा दिया जाता है। पाइपों को स्थापित करने के बाद, दीवार पर पलस्तर (Plaster) कर दिया जाता है, जिससे वायरिंग पूरी तरह से अदृश्य हो जाती है। इसे भूमिगत कंड्यूट पाइप तार स्थापन भी कहा जाता है।
- उपयोग: आधुनिक आवासीय, वाणिज्यिक और कार्यालय भवनों में सबसे आम और अनुशंसित तरीका।
- लाभ: सौंदर्य की दृष्टि से सर्वोत्तम, अत्यधिक सुरक्षित (आग, नमी, यांत्रिक क्षति से पूर्ण सुरक्षा)।
2. खुली नाली वायरिंग (Surface Conduit Wiring)
- परिभाषा: इस वायरिंग में, PVC या धातु की नालियाँ दीवारों और छत की सतह पर दिखाई देती हैं। नाली को सैडल (Saddle) और स्क्रू का उपयोग करके सतह पर कसा जाता है।
- उपयोग: औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यशालाओं, गोदामों और ऐसे स्थानों पर जहाँ सौंदर्य की चिंता कम हो और बार-बार बदलाव या निरीक्षण की आवश्यकता हो।
- लाभ: मरम्मत और बदलाव (Maintenance and Alteration) आसान होता है। तारों को बाहरी यांत्रिक क्षति से उत्कृष्ट सुरक्षा मिलती है।
नाली (कंड्यूट) सामग्री के प्रकार (Types of Conduit Material)
नाली (पाइप) आमतौर पर निम्नलिखित सामग्रियों से बनाई जाती हैं:
- पीवीसी नाली (PVC Conduit): सबसे आम, सस्ता, हल्का, और संक्षारण (Corrosion) मुक्त होता है। इसका उपयोग कठोर और लचीले दोनों रूपों में किया जाता है।
-
धातु नाली (Metallic Conduit):
- कठोर धातु नाली (RMC/IMC): भारी-शुल्क वाले जस्ती इस्पात (Galvanized Steel) से बनी होती है। इसका उपयोग बाहरी क्षेत्रों और औद्योगिक वातावरण में किया जाता है जहाँ उच्चतम यांत्रिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
- विद्युत धातु टयूबिंग (EMT): धातु नाली का पतला और हल्का संस्करण, जिसे मोड़ना आसान होता है।
नाली वायरिंग के लाभ (Advantages of Conduit Wiring)
नाली वायरिंग को सबसे अच्छी प्रणाली मानने के मुख्य कारण हैं:
- उत्कृष्ट सुरक्षा: यह तारों को नमी, भाप, धूल, बारिश, और विशेष रूप से यांत्रिक क्षति और आग से सर्वोत्तम सुरक्षा प्रदान करती है।
- लंबा जीवनकाल: यह प्रणाली एक इमारत के जीवनकाल तक चलती है।
- सौंदर्य: छिपी हुई वायरिंग दीवारों को साफ और आकर्षक बनाए रखती है।
- रिवायरिंग में आसानी: यदि भविष्य में तारों को बदलना हो, तो पुराने तारों को खींचकर नए तार नाली के अंदर से आसानी से डाले जा सकते हैं (विशेष रूप से छिपी हुई वायरिंग में)।
नाली वायरिंग, जिसे कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) भी कहा जाता है, में तार एक सुरक्षात्मक ट्यूब या पाइप के अंदर रखे जाते हैं। इन नालियों (कंड्यूट) को उनके स्थान और सामग्री के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. स्थापना के स्थान के आधार पर प्रकार (Based on Installation Location)
कंड्यूट वायरिंग को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बाँटा जाता है:
(क) छिपी हुई नाली वायरिंग (Concealed Conduit Wiring)
- विवरण: इस प्रकार की वायरिंग में, नाली को दीवारों या छत के पलस्तर (Plaster) के नीचे या कंक्रीट स्लैब के अंदर पूरी तरह से छिपा दिया जाता है।
- उपयोग: यह आधुनिक आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में मानक प्रणाली है, क्योंकि यह तारों को अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करती है और सौंदर्य की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ है।
- अन्य नाम: भूमिगत नाली पाइप वायरिंग या छिपी हुई वायरिंग (Duct Wiring or Hidden Wiring)।
(ख) खुली नाली वायरिंग (Surface Conduit Wiring)
- विवरण: इस वायरिंग में, नाली को दीवार की सतह पर (Open) क्लिप या सैडल का उपयोग करके लगाया जाता है, जिससे यह दिखाई देती है।
- उपयोग: औद्योगिक इकाइयों, कार्यशालाओं, गोदामों, और गैरेज में जहाँ सौंदर्य की चिंता कम होती है, लेकिन तारों को मजबूत यांत्रिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
2. उपयोग की गई सामग्री के आधार पर प्रकार (Based on Material Used)
नाली जिस सामग्री से बनी होती है, उसके आधार पर यह दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित होती है:
(क) धात्विक नाली (Metallic Conduit)
ये धातु से बनी होती हैं और उच्चतम यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करती हैं:
- कठोर धातु नाली (RMC - Rigid Metal Conduit): यह सबसे मजबूत और सबसे भारी प्रकार है, जो आमतौर पर जस्ती इस्पात (Galvanized Steel) से बना होता है। यह बाहरी क्षेत्रों और अत्यधिक यांत्रिक क्षति वाले औद्योगिक वातावरण के लिए उपयुक्त है।
- मध्यवर्ती धातु नाली (IMC - Intermediate Metal Conduit): यह RMC का एक पतला और हल्का संस्करण है, लेकिन अभी भी अच्छी यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करता है।
- विद्युत धातु टयूबिंग (EMT - Electrical Metallic Tubing): यह सबसे हल्की धातु नाली है और इसे "पतली दीवार" (Thin-Wall) कंड्यूट भी कहा जाता है। यह अक्सर उजागर इनडोर वायरिंग के लिए उपयोग की जाती है।
- लचीली धातु नाली (FMC - Flexible Metal Conduit): यह उन क्षेत्रों के लिए उपयोग की जाती है जहाँ मशीनरी के पास कंपन (Vibration) या सीमित स्थान के कारण सीधी नाली संभव न हो।
(ख) गैर-धात्विक नाली (Non-Metallic Conduit)
ये प्लास्टिक से बनी होती हैं:
- कठोर PVC नाली (Rigid PVC Conduit): यह सबसे आम प्रकार है। यह सस्ती, हल्की होती है और नमी तथा संक्षारण (Corrosion) से प्रतिरोधी होती है। इसका उपयोग भूमिगत और छिपी हुई दोनों वायरिंग में व्यापक रूप से किया जाता है।
- विद्युत गैर-धात्विक टयूबिंग (ENT - Electrical Non-Metallic Tubing): यह एक लचीली नालीदार प्लास्टिक ट्यूबिंग है, जिसे आसानी से मोड़ा जा सकता है। यह अक्सर कंक्रीट या दीवारों के अंदर छिपी हुई वायरिंग के लिए उपयोग की जाती है।
नाली वायरिंग आज सबसे लोकप्रिय और सुरक्षित तरीका है क्योंकि यह तारों को आग, नमी और यांत्रिक खतरों से बचाता है।
सतही नाली वायरिंग (Surface Conduit Wiring) एक प्रकार की विद्युत स्थापना प्रणाली है जिसमें तारों को सुरक्षा प्रदान करने वाली नालियों (कंड्यूट पाइप) को दीवारों और छतों की बाहरी सतह पर स्थापित किया जाता है। इसे खुली नाली वायरिंग (Open Conduit Wiring) भी कहते हैं।
सतही नाली वायरिंग का विवरण
सतही नाली वायरिंग, कंड्यूट वायरिंग का एक रूप है जो विशेष रूप से उन स्थानों के लिए डिज़ाइन की गई है जहाँ तारों को यांत्रिक क्षति से बचाना आवश्यक है, लेकिन वायरिंग को दीवार के अंदर छिपाना संभव या वांछनीय नहीं है।
1. स्थापना (Installation)
- नालियों को दीवार की बाहरी सतह पर सैडल (Saddles) और स्क्रू का उपयोग करके कसकर लगाया जाता है।
- सभी जंक्शन बक्से (Junction Boxes), स्विच बक्से (Switch Boxes) और निरीक्षण बक्से (Inspection Boxes) भी सतह पर ही लगाए जाते हैं।
- एक बार नाली स्थापित हो जाने पर, विद्युत तारों को स्टील के खींचने वाले तार (Fish Wire/Pull Wire) का उपयोग करके उनके अंदर डाला जाता है।
2. सामग्री (Materials)
सतही नाली वायरिंग में उपयोग की जाने वाली नालियाँ आमतौर पर दो मुख्य प्रकार की होती हैं:
सतही नाली वायरिंग के उपयोग (Applications)
यह प्रणाली उन स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ:
- औद्योगिक क्षेत्र: फैक्ट्रियों, कार्यशालाओं, और गोदामों में, जहाँ तारों को मशीनों या उपकरणों से यांत्रिक क्षति का खतरा होता है।
- बिजली के कमरे: सब-स्टेशनों या मुख्य स्विचिंग कक्षों में, जहाँ तारों का मार्ग आसानी से दिखाई देना चाहिए।
- बार-बार बदलाव की आवश्यकता: उन इमारतों में जहाँ लेआउट या मशीनरी में भविष्य में बदलाव होने की संभावना हो, क्योंकि रिवायरिंग और पाइप में बदलाव करना आसान होता है।
- सीमित बजट: कुछ मामलों में, यह छिपी हुई वायरिंग की तुलना में कम लागत वाली और तेज इंस्टॉलेशन प्रक्रिया हो सकती है।
फायदे और नुकसान
फायदे (Advantages)
- उच्च यांत्रिक सुरक्षा: यह तारों को यांत्रिक क्षति से उत्कृष्ट सुरक्षा प्रदान करती है।
- आसान रखरखाव: तारों तक पहुंचना आसान होता है, जिससे निरीक्षण और मरम्मत जल्दी हो जाती है।
- नमी और आग से सुरक्षा: नाली तारों को नमी और आग के सीधे संपर्क से बचाती है।
नुकसान (Disadvantages)
- सौंदर्य की कमी: नाली दीवार की सतह पर दिखाई देती है, जो सौंदर्य की दृष्टि से कम आकर्षक होती है।
- अधिक सामग्री: इसे स्थापित करने में अधिक एसेसरीज (सैडल, क्लिप आदि) की आवश्यकता होती है।
- स्थान पर प्रतिबंध: कमरे की सतह पर अधिक जगह लेती है।
छिपी हुई नाली वायरिंग, जिसे कंसील्ड कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) या भूमिगत नाली पाइप वायरिंग (Underground Conduit Pipe Wiring) भी कहा जाता है, विद्युत स्थापना की सबसे आधुनिक, सुरक्षित और लोकप्रिय प्रणाली है।
इस प्रणाली में, तारों को सुरक्षा देने वाली नाली (पाइप) को दीवारों और छत की चिनाई या पलस्तर के अंदर पूरी तरह से छिपा दिया जाता है, जिससे वायरिंग दिखाई नहीं देती।
1. छिपी हुई नाली वायरिंग का निर्माण (Installation)
छिपी हुई नाली वायरिंग की स्थापना दो मुख्य चरणों में होती है:
(क) निर्माण के दौरान (During Construction)
- पाइप बिछाना: जब छत की ढलाई (Roof Slab Casting) होती है, तो PVC या धातु की नाली (पाइप) को बिजली के आउटलेट बिंदुओं (जैसे पंखे के हुक और लाइट पॉइंट) के बीच बिछा दिया जाता है।
- दिवारों में खाँचे: छत की ढलाई के बाद, दीवारों में खाँचे (Grooves) बनाए जाते हैं जहाँ से पाइपों को नीचे स्विच बोर्ड और सॉकेट बिंदुओं तक लाया जाता है।
- नाली छिपाना: सभी पाइपों और जंक्शन बक्सों को खाँचों में कसकर फिट करने के बाद, दीवारों को पलस्तर (Plastering) से ढक दिया जाता है।
(ख) तार डालना (Wiring/Pulling)
- पलस्तर सूखने और पेंटिंग पूरी होने के बाद, तारों को स्टील के खींचने वाले तार (Fish Wire/Pull Wire) की मदद से नालियों के अंदर से खींचा जाता है और उपकरणों (स्विच, सॉकेट) से जोड़ा जाता है।
2. छिपी हुई नाली वायरिंग के लाभ (Advantages)
इस प्रणाली को आधुनिक निर्माण में मानक मानने के मुख्य कारण इसके लाभ हैं:
- उत्कृष्ट सौंदर्य (Best Aesthetics) : यह वायरिंग पूरी तरह से अदृश्य होती है, जिससे दीवारें साफ-सुथरी और आकर्षक दिखती हैं।
-
उच्चतम सुरक्षा (Maximum Safety) :
- तार, कंड्यूट पाइप और दीवारों की परत से पूरी तरह से ढके होते हैं, जिससे उन्हें यांत्रिक क्षति (Mechanical Damage) का खतरा लगभग शून्य होता है।
- पाइप आग लगने की स्थिति में तारों को सीमित करके आग को फैलने से रोकते हैं।
- नमी, धूल और रासायनिक प्रभावों से पूर्ण सुरक्षा मिलती है।
- लंबा जीवनकाल: यह वायरिंग इमारत के जीवनकाल तक चलती है।
- रिवायरिंग में आसानी: यदि भविष्य में तारों को बदलना पड़े, तो बिना दीवारों को तोड़े, पुराने तारों को खींचकर नए तार पाइपों के अंदर आसानी से डाले जा सकते हैं।
3. छिपी हुई नाली वायरिंग के नुकसान (Disadvantages)
- उच्च प्रारंभिक लागत: सतही वायरिंग की तुलना में इसकी स्थापना अधिक महंगी होती है।
- पहचान में कठिनाई: यदि कोई खराबी (Fault) पाइप के अंदर आती है, तो उसे ढूँढना और ठीक करना मुश्किल हो सकता है।
- परिवर्तन कठिन: एक बार स्थापना पूरी होने और पलस्तर हो जाने के बाद, वायरिंग के मार्ग या स्विच बोर्ड की स्थिति में कोई भी बड़ा बदलाव करना कठिन होता है, जिसके लिए दीवारों को तोड़ना पड़ता है।
नाली वायरिंग, जिसे कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) भी कहा जाता है, का निर्माण विद्युत तारों को धातु या PVC की सुरक्षात्मक नालियों (पाइप) के अंदर स्थापित करने पर केंद्रित होता है।
नाली वायरिंग के निर्माण के मुख्य चरण, उसके प्रकार (खुली या छिपी हुई) के आधार पर थोड़े भिन्न होते हैं:
1. छिपी हुई नाली वायरिंग का निर्माण (Concealed Conduit Installation)
यह आधुनिक भवनों में सबसे आम विधि है, जहाँ वायरिंग अदृश्य होती है।
(क) छत और दीवारों में नाली बिछाना (Laying Conduits)
- छत की ढलाई: छत की ढलाई (Slab Casting) से पहले, PVC या धातु की नालियाँ (पाइप), जंक्शन बॉक्स, और पंखे के हुक बॉक्स को छत पर उनके निर्धारित स्थानों पर बिछाया जाता है। नालियाँ दीवारों के रास्ते से नीचे स्विच बोर्ड पॉइंट तक लाई जाती हैं।
- दीवारों में खाँचे: छत की ढलाई के बाद, दीवारों में छेनी और हथौड़े या कटर का उपयोग करके खाँचे (Grooves) बनाए जाते हैं। ये खाँचे, छत से आए पाइपों को स्विच, सॉकेट, और अन्य आउटलेट बक्सों तक ले जाते हैं।
- बक्से लगाना: सभी धातु या PVC के स्विच बॉक्स और जंक्शन बॉक्स को खाँचों के अंदर मजबूती से फिट किया जाता है।
- नाली छिपाना: सभी नालियों को उनके स्थान पर फिक्स करने के बाद, खाँचों को सीमेंट और मोर्टार से भरकर पलस्तर (Plaster) कर दिया जाता है, जिससे वायरिंग पूरी तरह से छिप जाती है।
(ख) तार डालना (Wire Pulling)
पेंटिंग के बाद: पलस्तर सूखने और पेंटिंग का काम पूरा होने के बाद, तारों को नाली में डाला जाता है।
स्टील तार का उपयोग: एक लचीले स्टील फिश वायर या खींचने वाले तार (Pull Wire) को नाली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक डालकर, उससे विद्युत तारों को बाँधा जाता है और उन्हें नाली के अंदर से खींचा जाता है।
उपकरण संयोजन: तारों को अंतिम रूप से स्विच, सॉकेट और लैंप होल्डर से जोड़कर विद्युत परिपथ पूरा किया जाता है।
2. खुली नाली वायरिंग का निर्माण (Surface Conduit Installation) इस विधि में नाली दीवार की सतह पर दिखाई देती है।
(क) नाली लगाना मार्ग अंकन:
वायरिंग का मार्ग दीवारों और छत पर चिह्नित (Marked) किया जाता है।
सैडल और क्लिप: नाली को दीवार की सतह पर सैडल (Saddles) और स्क्रू का उपयोग करके मजबूती से कसा जाता है। सैडल एक निश्चित दूरी पर लगाए जाते हैं (आमतौर पर हर 60 { cm} पर)।
मोड़ (Bends) और जोड़: नाली में मोड़ लाने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए बेंड (Bends) का उपयोग किया जाता है। यदि नाली को मोड़ना हो तो कंड्यूट बेंडर का उपयोग करके पाइप को सावधानीपूर्वक मोड़ा जाता है।
उपकरण बक्से: सभी जंक्शन और स्विच बक्सों को भी दीवार की सतह पर ही नाली से जोड़कर लगाया जाता है।
(ख) तार डालना तार डालने की प्रक्रिया छिपी हुई वायरिंग के समान ही होती है,
जिसमें स्टील फिश वायर का उपयोग करके तारों को नाली के अंदर खींचा जाता है और उपकरणों से जोड़ा जाता है।
3. निर्माण में प्रयुक्त प्रमुख सामग्री नाली (Conduits): कठोर PVC, लचीला PVC, या गैल्वेनाइज्ड स्टील (GI)।
जंक्शन/स्विच बॉक्स: धातु या PVC के बक्से। सैडल और क्लिप: नाली को सतह पर कसने के लिए।
कंड्यूट फिटिंग: कपलिंग (Couplings) (पाइपों को जोड़ने के लिए), बेंड, और निरीक्षण बक्से (तार खींचने के लिए पहुँच बिंदु)।
तार खींचने वाला तार (Fish/Pull Wire): नाली के अंदर तार खींचने के लिए।
नाली वायरिंग, जिसे कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) भी कहा जाता है, का प्राथमिक कार्य विद्युत तारों को सभी प्रकार की क्षति से सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें एक व्यवस्थित मार्ग के माध्यम से पूरे भवन में वितरित करना है।
यह आधुनिक विद्युत स्थापना में सुरक्षा और दीर्घायु सुनिश्चित करने वाली सबसे प्रभावी प्रणाली है।
नाली तारों के मुख्य कार्य (Primary Functions of Conduit Wiring)
नाली (कंड्यूट पाइप) तारों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती है और इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
-
उत्कृष्ट यांत्रिक सुरक्षा (Mechanical Protection) :
- नाली (चाहे वह धातु की हो या कठोर PVC की) तारों को भौतिक क्षति जैसे कि खरोंच, टूटना, या छेद होने से बचाती है।
- छिपी हुई वायरिंग में, यह सुरक्षा दीवार के अंदर तारों को निर्माण कार्य या बाद में फर्नीचर लगाने जैसी गतिविधियों से होने वाले नुकसान से बचाती है।
- पर्यावरण सुरक्षा (Environmental Protection):
- नाली तारों को नमी, पानी, धूल, भाप, और रासायनिक प्रभावों से पूरी तरह से बचाती है। यह विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों या अत्यधिक नमी वाले स्थानों में महत्वपूर्ण है।
- आग से सुरक्षा (Fire Safety):
- यदि तार किसी दोष (Fault) के कारण अत्यधिक गर्म हो जाते हैं या उनमें शॉर्ट सर्किट होता है, तो नाली आग को तारों के अंदर ही सीमित रखती है और इसे भवन के अन्य ज्वलनशील हिस्सों तक फैलने से रोकती है।
- सुरक्षित और व्यवस्थित मार्ग (Safe and Organized Route) :
- नाली यह सुनिश्चित करती है कि सभी तार एक निश्चित और सुव्यवस्थित मार्ग का अनुसरण करें। इससे वायरिंग अस्त-व्यस्त नहीं दिखती और उपकरणों तक बिजली का प्रवाह मानक विद्युत कोड के अनुसार होता है।
- रिवायरिंग में सुविधा (Ease of Rewiring):
- नाली के अंदर तार ढीले रखे जाते हैं। भविष्य में यदि तारों को बदलने या अपग्रेड करने की आवश्यकता होती है, तो बिना दीवारों को तोड़े, पुराने तारों को खींचकर नए तार आसानी से नाली के अंदर डाले जा सकते हैं।
संक्षेप में,
नाली तारों का काम भवन में सुरक्षित, दीर्घकालिक और विश्वसनीय विद्युत वितरण सुनिश्चित करना है।
कंड्यूट वायरिंग (नाली वायरिंग) का मुख्य कार्य विद्युत तारों को सभी प्रकार की यांत्रिक, पर्यावरणीय और अग्नि क्षति से सर्वोत्तम सुरक्षा प्रदान करना है, ताकि भवन में विद्युत वितरण सुरक्षित, विश्वसनीय और दीर्घकालिक हो सके।
कंड्यूट वायरिंग के प्रमुख कार्य
कंड्यूट पाइप तारों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करते हैं और इसके कार्य बहुआयामी हैं:
1. सुरक्षात्मक आवरण प्रदान करना (Providing Protective Casing)
- यांत्रिक सुरक्षा : कंड्यूट, विशेष रूप से धातु की नालियाँ, तारों को बाहरी भौतिक आघातों, जैसे टूटने, छेद होने, या निर्माण गतिविधियों से होने वाली क्षति से बचाती हैं। छिपी हुई वायरिंग में, यह सुरक्षा उच्चतम होती है।
- पर्यावरणीय सुरक्षा: यह तारों को नमी, पानी, धूल, भाप, कीड़ों और कृन्तकों (Rodents) के प्रवेश से बचाती है, जिससे तारों का इंसुलेशन लंबे समय तक सुरक्षित रहता है।
2. आग की रोकथाम (Fire Containment)
- सबसे महत्वपूर्ण कार्य है आग की रोकथाम। शॉर्ट सर्किट या ओवरलोड के कारण यदि तारों में आग लगती है, तो कंड्यूट उस आग को तारों के अंदर ही सीमित रखती है और इसे दीवारों, छतों या फर्नीचर जैसे ज्वलनशील तत्वों तक फैलने से रोकती है।
3. सुव्यवस्थित मार्ग और सौंदर्य (Organized Routing and Aesthetics)
- कंड्यूट यह सुनिश्चित करती है कि सभी तार एक निश्चित, सुव्यवस्थित और अदृश्य मार्ग (छिपी हुई वायरिंग में) का अनुसरण करें। इससे वायरिंग आकर्षक (Aesthetic) दिखती है और तारों का गुच्छा नहीं बनता।
4. भविष्य के लिए लचीलापन (Flexibility for Future Changes)
- कंड्यूट में तार ढीले रखे जाते हैं। यह प्रणाली रिवायरिंग (Rewiring) को आसान बनाती है—यदि भविष्य में तारों को बदलने, उनकी क्षमता बढ़ाने, या मरम्मत करने की आवश्यकता हो, तो बिना दीवार तोड़े, पुराने तारों को खींचकर नए तार आसानी से पाइप के अंदर डाले जा सकते हैं।
संक्षेप में,
कंड्यूट वायरिंग का काम एक ऐसी सुरक्षित नलिका (Safe Conduit) प्रदान करना है जो तारों को जीवन भर उच्च-स्तरीय सुरक्षा और विश्वसनीयता दे सके।
कंड्यूट वायरिंग (नाली वायरिंग) के उपयोग मुख्य रूप से तारों को अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने और विद्युत स्थापना की दीर्घायु सुनिश्चित करने पर केंद्रित होते हैं। यह सबसे लोकप्रिय और सुरक्षित वायरिंग प्रणाली है।
इसके उपयोग को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
1. छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit) के उपयोग
छिपी हुई वायरिंग वह है जहाँ नाली दीवारों और छत के प्लास्टर के अंदर छुपी रहती है।
- आधुनिक आवासीय भवन : नए घरों, अपार्टमेंटों और विलाओं में इसका उपयोग करना मानक है।
- वाणिज्यिक और कार्यालय भवन : उच्च सुरक्षा और सौंदर्य की आवश्यकता वाले कॉर्पोरेट कार्यालयों, होटलों और अस्पतालों में।
- सार्वजनिक स्थान: स्कूल, कॉलेज और सिनेमा हॉल, जहाँ सुरक्षा और सुंदरता दोनों महत्वपूर्ण हैं।
- उच्च सौंदर्य की आवश्यकता: यह उन स्थानों के लिए अनिवार्य है जहाँ वायरिंग का दिखना स्वीकार्य नहीं है।
2. खुली कंड्यूट वायरिंग (Surface Conduit) के उपयोग
खुली वायरिंग वह है जहाँ नाली दीवार की सतह पर दिखाई देती है।
- औद्योगिक और विनिर्माण इकाइयाँ : कारखानों, कार्यशालाओं, और गोदामों में, जहाँ तारों को मशीनों या उपकरणों से होने वाली यांत्रिक क्षति से बचाने की आवश्यकता होती है।
- गीले/नम स्थान: रसोई, लॉन्ड्री, या नमी वाले तहखानों में, जहाँ नमी तारों के इंसुलेशन को नुकसान पहुँचा सकती है।
- परिवर्तनशील स्थापनाएँ: ऐसे स्थान जहाँ भविष्य में वायरिंग में बार-बार बदलाव या विस्तार करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें रिवायरिंग करना आसान होता है।
- विद्युत कक्ष: मुख्य स्विचिंग पैनल रूम और सब-स्टेशन, जहाँ निरीक्षण और रखरखाव की सुविधा आवश्यक है।
- अस्थायी संरचनाएँ (यदि सुरक्षा आवश्यक हो): भले ही यह महंगी हो, यदि किसी अस्थायी साइट पर तारों को उच्च सुरक्षा देनी हो, तो इसका उपयोग किया जाता है।
सीसा आवरण वाली वायरिंग (Lead Sheathed Wiring), जिसे लैड शीथ्ड केबल वायरिंग भी कहा जाता है, एक पारंपरिक वायरिंग प्रणाली है।
इसमें उपयोग किए जाने वाले तारों के ऊपर वल्कैनाइज्ड इंडियन रबर (VIR) इंसुलेशन के अलावा, नमी और संक्षारण (Corrosion) से अतिरिक्त सुरक्षा के लिए सीसा (Lead) या सीसे की मिश्र धातु (Lead Alloy) का एक पतला बाहरी धात्विक आवरण चढ़ा होता है।
सीसा आवरण वाली वायरिंग का विवरण यह वायरिंग प्रणाली मुख्य रूप से उन स्थानों के लिए डिज़ाइन की गई थी जहाँ तारों को नमी और सीलन से बचाना आवश्यक होता था।
केबल संरचना: कंडक्टर (चालक): तांबे के तार।
प्राथमिक इंसुलेशन: वल्कैनाइज्ड इंडियन रबर (VIR)।
बाहरी आवरण (शीथ): इसके ऊपर लगभग 1 से 1.5 { mm} मोटी सीसे या सीसा मिश्र धातु की एक परत चढ़ाई जाती है।
स्थापना: यह वायरिंग आम तौर पर लकड़ी के बैटन पर स्थापित की जाती थी, जैसे कि टीआरएस (TRS) वायरिंग में। जहाँ केबल दीवार को पार करती थी या फर्श के माध्यम से गुजरती थी, वहाँ इसे यांत्रिक क्षति से बचाने के लिए कंड्यूट पाइप का उपयोग किया जाता था।
सीसा आवरण धात्विक होने के कारण, इस प्रणाली में अच्छी अर्थिंग (Earthing) का होना अत्यंत आवश्यक है।
कार्य और उपयोग सीसा आवरण वाली केबल का प्राथमिक कार्य और उपयोग इसकी उच्च पर्यावरणीय सुरक्षा क्षमता पर आधारित है:
मुख्य कार्य (Primary Functions) उत्कृष्ट नमी प्रतिरोध: सीसा एक मजबूत नमी अवरोधक (Moisture Barrier) के रूप में कार्य करता है, जो नमी, गैसों और सीलन को अंदर के इंसुलेशन तक पहुँचने से रोकता है।
जंग और रासायनिक प्रतिरोध: यह आवरण तारों को मिट्टी और वातावरण में मौजूद कुछ हानिकारक तरल पदार्थों से होने वाले जंग (Corrosion) और क्षति से भी बचाता है।
अर्थिंग प्रणाली: धात्विक सीसा आवरण को स्वयं भी एक अर्थिंग या ग्राउंडिंग प्रणाली के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
यांत्रिक सुरक्षा: यह रबड़ इंसुलेशन को मामूली यांत्रिक क्षति से अतिरिक्त मजबूती और सुरक्षा प्रदान करता है।
उपयोग (Applications) भूमिगत केबल (Underground Cables): उच्च वोल्टेज वाले भूमिगत बिजली के केबलों में सीसा आवरण का उपयोग आज भी नमी और गैसों से सुरक्षा के लिए किया जाता है।
निम्न वोल्टेज अधिष्ठापन (Low Voltage Installations): यह उन पुराने घरों, गोदामों, या नम क्षेत्रों में उपयोग की जाती थी जहाँ वायरिंग को सतह पर करना था और नमी से अधिकतम सुरक्षा चाहिए थी।
पेट्रोकेमिकल परियोजनाएँ: कुछ मामलों में, हाइड्रोकार्बन के प्रवेश से सुरक्षा के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
नुकसान और वर्तमान स्थिति महँगी: यह प्रणाली सीटीएस/टीआरएस या सामान्य बैटन वायरिंग की तुलना में अधिक महँगी होती है।
अम्ल/क्षार के लिए उपयुक्त नहीं: यह उन स्थानों के लिए उपयुक्त नहीं है जहाँ तेजाब या क्षार (Acids or Alkalies) की वाष्प या धूम्रपान मौजूद हो, क्योंकि ये सीसे को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
पर्यावरण: पर्यावरणीय नियमों और बेहतर, सस्ते, गैर-धात्विक विकल्पों (जैसे PVC कंड्यूट) के विकास के कारण, भवन वायरिंग में इसका उपयोग लगभग समाप्त हो गया है।
सीसा आवरण वाली वायरिंग का निर्माण, जिसे लैड शीथ्ड केबल वायरिंग भी कहा जाता है, एक पुरानी प्रणाली है जो मुख्य रूप से तारों को नमी और संक्षारण से बचाने पर केंद्रित थी। यह स्थापना प्रक्रिया बैटन वायरिंग के समान थी, लेकिन इसमें विशेष प्रकार के केबल का उपयोग होता था।
सीसा आवरण वाली वायरिंग का निर्माण (Installation Process) इस वायरिंग का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जाता था:
1. केबल की संरचना (Cable Construction) इस वायरिंग का आधार केबल ही है,
जिसकी संरचना इस प्रकार होती है:
चालक (Conductor): तांबे के तार।
प्राथमिक इंसुलेशन: वल्कैनाइज्ड इंडियन रबर (VIR) या इसी तरह का कोई रबर यौगिक।
सीसा आवरण (Lead Sheath): VIR इंसुलेशन के ऊपर सीसे (Lead) या सीसे की मिश्र धातु की एक पतली, निरंतर परत (लगभग 1 से 1.5 { mm} मोटी) चढ़ाई जाती थी। यही परत नमी के प्रवेश को पूरी तरह से रोकती थी।
2. बैटन की स्थापना (Fixing of Battens) बैटन का चयन: अच्छी गुणवत्ता वाले, सूखे सागौन की लकड़ी के बैटन का चयन किया जाता था।
बैटन लगाना: इन बैटनों को दीवार या छत पर लकड़ी के प्लग (Wooden Plugs) और स्क्रू की मदद से कसकर लगाया जाता था, जैसा कि सामान्य बैटन वायरिंग में किया जाता है।
3. केबल बिछाना और सुरक्षित करना (Laying and Securing the Cables) केबल बिछाना: सीसा आवरण वाली केबल को लकड़ी के बैटन पर वांछित मार्ग के अनुसार बिछाया जाता था।
सुरक्षित करना: तारों को बैटन पर कसकर पकड़ने के लिए जस्तीकृत लोहे या पीतल की विशेष क्लिप्स (Special Tinned Brass Clips) का उपयोग किया जाता था।
मोड़ों पर ध्यान: सीसे के आवरण को फटने से बचाने के लिए, केबल को तेज मोड़ (Sharp Bends) देने से बचना होता था।
4. एक्सेसरीज और कनेक्शन (Accessories and Connections) उपकरण लगाना: स्विच, सॉकेट, और जंक्शन बक्से लकड़ी या बेकलाइट के आधार पर बैटन के साथ स्थापित किए जाते थे।
अर्थिंग (Earthing) : चूंकि सीसा आवरण धात्विक होता है, इसलिए सुरक्षा के लिए इसे ठीक से अर्थ (Ground) करना अत्यंत आवश्यक था। केबल के आवरण को हर आउटलेट पॉइंट और जंक्शन बॉक्स पर अर्थ कंटिन्यूटी वायर से जोड़कर मेन अर्थिंग पॉइंट तक ले जाया जाता था।
दीवारों को पार करना: जहाँ केबल को दीवार या फर्श के माध्यम से गुजरना होता था, वहाँ यांत्रिक क्षति से सीसा आवरण को बचाने के लिए उसे धातु की कंड्यूट पाइप के अंदर से ले जाया जाता था।
यह प्रणाली अपनी उच्च नमी प्रतिरोध क्षमता के कारण नम स्थानों के लिए प्रभावी थी, लेकिन कंड्यूट वायरिंग की तुलना में आग और उच्च यांत्रिक क्षति के प्रति कम सुरक्षित थी।
सीसा आवरण वाली तारों (Lead Sheathed Wiring) का मुख्य कार्य तारों के प्राथमिक इंसुलेशन को नमी, सीलन और पर्यावरणीय गैसों से बचाना है। यह प्रणाली खासतौर पर नमी वाले वातावरण में तारों की सुरक्षा के लिए उपयोग की जाती थी।
सीसा आवरण के मुख्य कार्य (Primary Functions of Lead Sheath)
सीसा आवरण (शीथ) धात्विक होने के कारण, यह तारों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है:
- उत्कृष्ट नमी अवरोधक (Moisture Barrier) : यह सीसा आवरण का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। सीसा अभेद्य होता है, जो नमी, पानी, और सीलन को अंदर के रबर इंसुलेशन (VIR) तक पहुँचने से पूरी तरह रोकता है, जिससे तारों का जीवनकाल बढ़ता है।
- जंग और रासायनिक प्रतिरोध: यह आवरण तारों को वातावरण में मौजूद कुछ हानिकारक गैसों और मिट्टी में मौजूद रासायनिक तत्वों से होने वाले संक्षारण (Corrosion) से भी बचाता है।
- अर्थिंग निरंतरता (Earthing Continuity) : चूँकि सीसा एक धातु है, इसे पूरे वायरिंग मार्ग में अर्थिंग (Grounding) कंडक्टर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि आवरण में कोई लीकेज या दोष आता है, तो वह सुरक्षित रूप से जमीन में चला जाए, जिससे बिजली के झटके का खतरा कम हो।
- यांत्रिक सुरक्षा: यह बाहरी धात्विक आवरण, रबड़ इंसुलेशन की तुलना में मामूली यांत्रिक क्षति (जैसे रगड़ या घिसाव) से अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
संक्षेप में,
सीसा आवरण वाली वायरिंग का कार्य मुख्य रूप से जलरोधक (Waterproof) और सुरक्षित विद्युत मार्ग प्रदान करना था, विशेष रूप से ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी एक गंभीर समस्या थी।
(हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आधुनिक कंड्यूट वायरिंग अब बेहतर अग्नि और यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करती है, इसलिए भवन वायरिंग में सीसा आवरण का उपयोग अब सीमित हो गया है।)
लीड शीथेड वायरिंग (Lead Sheathed Wiring) का मुख्य कार्य तारों के प्राथमिक इंसुलेशन को नमी (Moisture), सीलन और पर्यावरणीय गैसों के हानिकारक प्रभावों से बचाना था। यह एक पारंपरिक वायरिंग प्रणाली थी जो अपनी उच्च जलरोधक क्षमता के लिए जानी जाती थी।
लीड शीथेड वायरिंग के प्रमुख कार्य
सीसा (Lead) या सीसे की मिश्र धातु (Lead Alloy) से बना यह बाहरी धात्विक आवरण, सुरक्षा की कई परतों के रूप में कार्य करता था:
1. नमी और संक्षारण से बचाव
- जल अवरोधक: सीसा आवरण का सबसे महत्वपूर्ण काम यह सुनिश्चित करना था कि नमी और पानी किसी भी कीमत पर अंदर के रबर इंसुलेशन (VIR) तक न पहुँचे, जिससे तारों में लीकेज और शॉर्ट-सर्किट की संभावना कम हो।
- संक्षारण प्रतिरोध: यह आवरण हवा और मिट्टी में मौजूद कुछ हानिकारक रसायनों और गैसों के कारण होने वाले जंग (Corrosion) से तारों के आंतरिक घटकों की रक्षा करता था।
2. अर्थिंग की सुविधा (Earthing Continuity)
- चूँकि सीसा एक धातु है, इसलिए इसके आवरण को पूरे वायरिंग मार्ग में एक अर्थिंग कंडक्टर के रूप में उपयोग किया जाता था।
- यह सुनिश्चित करता था कि यदि आवरण में कोई विद्युत दोष उत्पन्न होता है, तो दोष धारा (Fault Current) तुरंत और सुरक्षित रूप से जमीन (Ground) में चली जाए, जिससे बिजली के झटके का खतरा टल जाए।
3. यांत्रिक सुरक्षा (Mechanical Protection)
- रबर इंसुलेशन की तुलना में, यह धातु का आवरण अधिक कठोर होता था, जो तारों को हल्के-फुल्के घिसाव, रगड़, या मामूली यांत्रिक क्षति से अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता था।
संक्षेप में,
लीड शीथेड वायरिंग का कार्य उन स्थानों पर सुरक्षित और जलरोधक विद्युत मार्ग प्रदान करना था जहाँ नमी और पर्यावरणीय क्षरण एक चिंता का विषय था।
सीसा आवरण वाली वायरिंग का उपयोग मुख्य रूप से उन स्थानों पर किया जाता था जहाँ उच्च नमी प्रतिरोध और पर्यावरणीय क्षरण से सुरक्षा की आवश्यकता होती थी।
यह वायरिंग प्रणाली अपनी जलरोधक (Waterproof) प्रकृति के कारण विशेष रूप से प्रभावी थी।
सीसा आवरण वाली तारों के प्रमुख उपयोग
-
नम और सीलन वाले स्थान:
- इसका उपयोग उन आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में किया जाता था जहाँ नमी, सीलन, या पानी की फुहार सीधे वायरिंग के संपर्क में आने की संभावना होती थी।
- चूँकि सीसा नमी के लिए एक अभेद्य बाधा है, यह केबल के अंदर के इन्सुलेशन को नमी से सुरक्षित रखता था।
- भूमिगत केबल (Underground Cables):
- उच्च और निम्न वोल्टेज दोनों प्रकार के भूमिगत विद्युत केबलों में सीसा या सीसा मिश्र धातु का आवरण आज भी उपयोग होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि मिट्टी के अंदर नमी, गैसों और रासायनिक तत्वों से तारों को बचाने के लिए सीसा उत्कृष्ट प्रतिरोध प्रदान करता है।
- समुद्र तटीय क्षेत्र या कठोर वातावरण:
- इसका उपयोग उन स्थानों पर भी किया जाता था जहाँ वातावरण में उच्च लवणता (Salinity) या अन्य संक्षारक (Corrosive) तत्व मौजूद होते थे, क्योंकि सीसा कुछ हद तक जंग का प्रतिरोध करता है।
- पेट्रोकेमिकल परियोजनाएँ (सीमित उपयोग):
- कुछ विशेष मामलों में, निम्न और मध्यम वोल्टेज केबलों में हाइड्रोकार्बन के प्रवेश से सुरक्षा के लिए लेड शीथेड केबल का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान स्थिति:
आधुनिक भवन वायरिंग में,
सुरक्षा (विशेषकर आग और यांत्रिक सुरक्षा) और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण, सीसा आवरण वाली वायरिंग का उपयोग समाप्त हो गया है। इसे अब PVC कंड्यूट वायरिंग ने प्रतिस्थापित कर दिया है, जो बेहतर समग्र सुरक्षा प्रदान करती है।
लचीली/लकड़ी के आवरण वाली वायरिंग का मतलब है केसिंग-केपिंग वायरिंग (Casing-Capping Wiring)।
यह एक पारंपरिक और सतह पर की जाने वाली वायरिंग प्रणाली है, जिसका नाम उस आवरण (केसिंग और केपिंग) से आता है जिसका उपयोग तारों को सुरक्षा देने के लिए किया जाता है।
लचीली/लकड़ी के आवरण वाली वायरिंग का विवरण
केसिंग-केपिंग वायरिंग में तारों को ले जाने के लिए खास तौर पर लकड़ी की पट्टी या बाद में पीवीसी (PVC) चैनलों का उपयोग किया जाता था।
1. संरचना और घटक
- केसिंग (Casing): यह लकड़ी या प्लास्टिक की वह पट्टी होती है जिसमें तारों को बिछाने के लिए समानांतर खाँचे (Parallel Grooves) कटे होते हैं। यह आधार का काम करती है और दीवार या छत पर स्क्रू की मदद से फिक्स की जाती है।
- केपिंग (Capping): यह लकड़ी या प्लास्टिक की एक पतली पट्टी होती है जिसका उपयोग तारों को केसिंग के खाँचों में रखने के बाद उन्हें ढकने के लिए किया जाता है।
- तार (Cables): इसमें आमतौर पर वी.आई.आर. (V.I.R.) या पीवीसी (PVC) इंसुलेटेड तारों का उपयोग किया जाता था।
2. निर्माण (Installation)
- केसिंग लगाना: सबसे पहले, लकड़ी की केसिंग को उचित उपकरणों (गुटके और स्क्रू) का उपयोग करके दीवार या छत पर एक सीधे और व्यवस्थित मार्ग में फिक्स किया जाता है।
- तार बिछाना: तारों को केसिंग के खाँचों (Grooves) में बिछाया जाता है। फेज, न्यूट्रल और अर्थिंग के तारों को अलग-अलग खाँचों में रखा जाता है ताकि वे एक-दूसरे को क्रॉस न करें या छूएँ नहीं।
- केपिंग लगाना: तारों को सुरक्षित करने के बाद, केसिंग को केपिंग से ढका जाता है, जिसे छोटे-छोटे स्क्रू या कील (लकड़ी के मामले में) का उपयोग करके कस दिया जाता है।
कार्य और उपयोग
कार्य (Functions)
- यांत्रिक सुरक्षा: केसिंग और केपिंग का मुख्य काम तारों को धूल, नमी और हल्के-फुल्के यांत्रिक घिसाव से बचाना है।
- इंसुलेशन: यह लकड़ी या पीवीसी का आवरण तारों के इन्सुलेशन में एक अतिरिक्त परत जोड़ता है, जिससे बिजली के झटके का खतरा कम होता है।
- सुव्यवस्थित मार्ग: यह तारों को एक साफ और सुव्यवस्थित मार्ग में रखता है, जिससे वायरिंग व्यवस्थित दिखती है।
उपयोग (Applications)
- इसका उपयोग पहले आवासीय भवनों (Residential Buildings) और छोटे कार्यालयों में बहुत आम था।
- यह वायरिंग प्रणाली उन स्थानों के लिए अच्छी थी जहाँ सूखा वातावरण होता था, क्योंकि लकड़ी नमी को अवशोषित कर सकती है जिससे वायरिंग खराब हो सकती है।
वर्तमान स्थिति:
लकड़ी की केसिंग-केपिंग वायरिंग का उपयोग पूरी तरह से बंद हो चुका है। इसकी जगह अब PVC कंड्यूट वायरिंग ने ले ली है, जो आग से सुरक्षा, स्थायित्व और सौंदर्य के मामले में कहीं अधिक बेहतर है। हालाँकि, PVC से बने केसिंग-केपिंग चैनल अभी भी अस्थायी रूप से या खुले हुए भागों में उपयोग किए जाते हैं।
सतही वायरिंग को आम तौर पर ओपन वायरिंग (Open Wiring) कहा जाता है, जिसमें विद्युत तारों को दीवारों और छतों की सतह के ऊपर (या बाहर) स्थापित किया जाता है। ये वायरिंग प्रणालियाँ आसानी से दिखाई देती हैं और इन्हें दीवारों या छत के अंदर छिपाया नहीं जाता।
सतही वायरिंग के मुख्य प्रकार (Main Types of Surface Wiring)
इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री और सुरक्षात्मक आवरण के आधार पर, सतही वायरिंग कई प्रकार की हो सकती है। सबसे आम प्रकार हैं:
1. क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring)
- विवरण: यह सबसे सरल और सबसे पुरानी सतही वायरिंग है। इसमें वी.आई.आर. (VIR) या पीवीसी (PVC) तारों को चीनी मिट्टी (Porcelain), लकड़ी, या प्लास्टिक से बने विशेष क्लीट्स (Cleats) का उपयोग करके दीवार की सतह से जोड़ा जाता है।
- उपयोग: यह अस्थायी प्रतिष्ठानों (जैसे शिविर, शादी समारोह, या निर्माणाधीन साइटें) के लिए सबसे सस्ती और आसान प्रणाली है।
- सुरक्षा: यांत्रिक और पर्यावरणीय सुरक्षा बहुत कम होती है।
2. बैटन/सीटीएस/टीआरएस वायरिंग (Batten / CTS / TRS Wiring)
- विवरण: इसमें कठोर रबड़ आवरण वाले (TRS - Tough Rubber Sheathed) या कैब टायर शीथेड (CTS - Cab Tyre Sheathed) तारों को लकड़ी की पट्टी (बैटन) पर स्थापित किया जाता है। तारों को पीतल की क्लिप्स का उपयोग करके बैटन से कसकर जोड़ा जाता है।
- उपयोग: पहले आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में इसका मध्यम लागत और नमी प्रतिरोध (TRS आवरण के कारण) के लिए उपयोग किया जाता था।
- सुरक्षा: क्लीट वायरिंग से बेहतर, लेकिन कंड्यूट से कम।
3. केसिंग-केपिंग वायरिंग (Casing-Capping Wiring)
- विवरण: इसमें तारों को लकड़ी या PVC से बनी एक खाँचेदार पट्टी (केसिंग) के अंदर बिछाया जाता है और ऊपर से एक आवरण पट्टी (केपिंग) से ढक दिया जाता है।
- उपयोग: यह भी पुरानी आवासीय और वाणिज्यिक वायरिंग में एक लोकप्रिय विकल्प था। PVC केसिंग-केपिंग अभी भी कुछ मरम्मत कार्यों या खुले हुए तारों को छिपाने के लिए उपयोग की जाती है।
- सुरक्षा: बैटन वायरिंग के समान, अच्छी पर्यावरणीय सुरक्षा प्रदान करती है।
4. सतही कंड्यूट वायरिंग (Surface Conduit Wiring)
- विवरण: यह सबसे मजबूत सतही वायरिंग है। इसमें PVC या धातु की नालियों (कंड्यूट पाइप) को दीवारों की सतह पर सैडल का उपयोग करके लगाया जाता है और तार इन नालियों के अंदर डाले जाते हैं।
- उपयोग: औद्योगिक क्षेत्रों, कार्यशालाओं, गोदामों और ऐसे स्थानों पर जहाँ तारों को उच्च यांत्रिक क्षति से बचाना आवश्यक हो।
- सुरक्षा: सतही प्रणालियों में सर्वोत्तम यांत्रिक और अग्नि सुरक्षा प्रदान करती है।
सतही वायरिंग के लाभ और नुकसान
सतही वायरिंग, या खुली वायरिंग (Open Wiring), वह प्रणाली है जिसमें विद्युत तार दीवारों और छतों की सतह पर दिखाई देते हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इसे दीवार के अंदर छिपाने की आवश्यकता नहीं होती।
यहाँ सतही वायरिंग के मुख्य फायदे और नुकसान दिए गए हैं:
सतही वायरिंग के फायदे (Advantages)
सतही वायरिंग को चुनने के कई व्यावहारिक कारण हैं:
- आसान और तीव्र स्थापना (Easy and Fast Installation):
- दीवारों में खाँचे बनाने या तोड़ने (Jari) और फिर पलस्तर करने की आवश्यकता नहीं होती। इससे स्थापना प्रक्रिया बहुत तेज और कम श्रमसाध्य हो जाती है।
- कम लागत (Low Cost):
- छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग की तुलना में, सतही वायरिंग (विशेषकर क्लीट या बैटन/TRS वायरिंग) में सामग्री और श्रम की लागत काफी कम आती है।
- मरम्मत और रखरखाव में सुविधा (Easy Maintenance):
- तार और उनके मार्ग खुले होते हैं, इसलिए किसी भी खराबी (Fault) का पता लगाना और उसे ठीक करना बहुत आसान और त्वरित होता है। तारों को बदलने (Rewiring) की प्रक्रिया भी सरल होती है।
- उच्च ताप विकेन्द्रीकरण (Better Heat Dissipation):
- तार सीधे हवा के संपर्क में रहते हैं, जिससे उनमें उत्पन्न गर्मी (Heat) तेजी से वातावरण में फैल जाती है। यह तारों को ओवरहीटिंग से बचाता है।
- विस्तार में आसानी (Easy Expansion):
- यदि आपको बाद में सर्किट में कोई नया पॉइंट जोड़ना हो या वायरिंग का विस्तार करना हो, तो खुली वायरिंग में यह काम आसानी से और कम लागत में किया जा सकता है।
सतही वायरिंग के नुकसान (Disadvantages)
सतही वायरिंग में कुछ महत्वपूर्ण कमियाँ भी हैं, खासकर आधुनिक मानकों के अनुसार:
- खराब दिखावट/सौंदर्य (Poor Aesthetics):
- तार और पाइप दीवारों की सतह पर दिखाई देते हैं, जिससे कमरा कम आकर्षक और अव्यवस्थित (Cluttered) दिखता है।
- कम यांत्रिक सुरक्षा (Low Mechanical Protection):
- क्लीट, बैटन या केसिंग-केपिंग जैसी पुरानी सतही प्रणालियों में तार सीधे बाहरी आघात या क्षति के संपर्क में रहते हैं, जिससे उन्हें कटने या क्षतिग्रस्त होने का खतरा अधिक होता है। (सतही कंड्यूट वायरिंग, हालांकि, अच्छी सुरक्षा प्रदान करती है)।
- धूल और नमी का प्रभाव:
- खुली वायरिंग में धूल, गंदगी और नमी (TRS और कंड्यूट को छोड़कर) आसानी से जमा हो सकती है, जो समय के साथ तारों के इंसुलेशन को खराब कर सकती है।
- अग्नि सुरक्षा जोखिम (Fire Safety Risk):
- खुली वायरिंग (विशेषकर बैटन और क्लीट) में, यदि तारों में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगती है, तो आग फैलने का जोखिम छिपा हुई कंड्यूट वायरिंग की तुलना में अधिक होता है।
- जगह की रुकावट (Obstruction):
- दीवार की सतह पर लगी वायरिंग कमरे में जगह घेरती है और फर्नीचर या उपकरण लगाते समय रुकावट पैदा कर सकती है।
सतही वायरिंग, या खुली वायरिंग, का निर्माण इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार की प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है (जैसे क्लीट, बैटन/टीआरएस, केसिंग-केपिंग, या सतही कंड्यूट)।
निर्माण का मुख्य उद्देश्य तारों को दीवार की सतह पर दिखाई देने वाले मार्ग पर सुरक्षित रूप से बिछाना होता है।
यहाँ विभिन्न प्रकार की सतही वायरिंग के निर्माण की सामान्य प्रक्रिया दी गई है:
1. सतही कंड्यूट वायरिंग (Surface Conduit Wiring) का निर्माण (सबसे मजबूत) यह सबसे आधुनिक और सुरक्षित सतही विधि है, जिसमें PVC या धातु की नालियों का उपयोग होता है।
मार्ग निर्धारण: सबसे पहले, वायरिंग का सटीक मार्ग दीवारों और छतों पर चिह्नित (Marked) किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी मोड़ 90^{\circ} पर हों।
नाली फिक्स करना: प्लास्टिक या धातु की नालियों (कंड्यूट पाइप) को सैडल (Saddles) और स्क्रू का उपयोग करके चिह्नित मार्ग पर दीवार की सतह पर कसकर लगाया जाता है।
बक्से लगाना: सभी स्विच बक्से, जंक्शन बक्से और निरीक्षण बक्सों को भी दीवार की सतह पर स्थापित करके नालियों से जोड़ा जाता है।
तार डालना: नाली स्थापित हो जाने के बाद, तारों को स्टील फिश वायर की मदद से खींचकर (Pulling) नालियों के अंदर डाला जाता है।
उपकरण संयोजन: तारों को अंतिम रूप से स्विच और सॉकेट से जोड़कर सर्किट पूरा किया जाता है।
2. बैटन/टीआरएस वायरिंग (Batten/TRS Wiring) का निर्माण (पारंपरिक) यह विधि एक लकड़ी के आधार (बैटन) का उपयोग करती है।
बैटन फिक्स करना: लकड़ी के बैटन (Battens) को दीवार पर उचित उपकरणों (जैसे लकड़ी के गुटके या स्क्रू) का उपयोग करके सीधा और समतल लगाया जाता है।
तार बिछाना: टीआरएस (TRS) या सीटीएस (CTS) केबलों को बैटन पर उनके मार्ग के अनुसार बिछाया जाता है।
क्लिप लगाना: तारों को बैटन पर कसकर रखने के लिए पीतल की क्लिप्स का उपयोग किया जाता है। क्लिप्स को एक निश्चित दूरी (आमतौर पर 10 { cm} से 15 { cm}) पर बैटन में ठोका जाता है।
टर्मिनेशन: जंक्शन बक्से और स्विच बक्से भी बैटन पर लगाए जाते हैं, और तारों को उनमें जोड़ दिया जाता है।
3. केसिंग-केपिंग वायरिंग (Casing-Capping Wiring) का निर्माण (पुरानी विधि) यह विधि तारों को लकड़ी या PVC के चैनल में ढक देती है।
केसिंग लगाना: लकड़ी या PVC की केसिंग (Casing) (जिसमें खाँचे कटे होते हैं) को दीवार पर फिक्स किया जाता है।
तार बिछाना: फेज, न्यूट्रल और अर्थिंग तारों को केसिंग के अलग-अलग खाँचों में रखा जाता है ताकि वे एक-दूसरे को न छूएँ।
केपिंग लगाना: तारों को बिछाने के बाद, उन्हें केपिंग (Capping) से ढका जाता है, जिसे छोटे स्क्रू या क्लिप की मदद से केसिंग के ऊपर कस दिया जाता है।
4. क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring) का निर्माण (अस्थायी) यह सबसे खुली और सरल सतही वायरिंग है।
क्लीट फिक्स करना: चीनी मिट्टी या प्लास्टिक से बने दो-भाग वाले क्लीट्स को दीवार पर सीधे मार्ग पर स्क्रू किया जाता है। क्लीट्स के बीच एक समान अंतराल (लगभग 45 { cm} से 60 { cm}) रखा जाता है।
तार बिछाना: तारों को क्लीट के खाँचों के बीच से गुजारा जाता है।
कसना: क्लीट के ऊपरी हिस्से (Upper Part) को लगाकर और स्क्रू कसकर तारों को दीवार की सतह से थोड़ी दूरी पर मजबूती से पकड़ा जाता है।
सतही वायरिंग (Surface Wiring), जिसे खुली वायरिंग भी कहते हैं, का मुख्य कार्य विद्युत तारों को बिना दीवारों के अंदर छिपाए एक व्यवस्थित मार्ग प्रदान करना है, जबकि तारों को कुछ हद तक यांत्रिक और पर्यावरणीय क्षति से भी बचाना है।
सतही वायरिंग के विशिष्ट कार्य
सतही वायरिंग की कार्यप्रणाली इस्तेमाल की गई विधि पर निर्भर करती है (जैसे क्लीट, बैटन, या सतही कंड्यूट), लेकिन सामान्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. तारों का मार्गदर्शन और संगठन
- मार्ग प्रदान करना: यह तारों को एक निश्चित और दिखाई देने वाले मार्ग के माध्यम से स्विच, सॉकेट और अन्य आउटलेट पॉइंट्स तक ले जाता है।
- संगठन: यह तारों को दीवारों पर अस्त-व्यस्त होने से रोकता है, जिससे वे एक ही दिशा में साफ-सुथरे ढंग से चलते हैं।
2. यांत्रिक और पर्यावरणीय सुरक्षा
- सुरक्षा आवरण: बैटन, केसिंग-केपिंग या सतही कंड्यूट जैसी विधियाँ तारों के प्राथमिक इंसुलेशन को धूल, नमी (Moisture) और हल्के-फुल्के यांत्रिक घिसाव से बचाती हैं।
- कठोर सुरक्षा (सतही कंड्यूट में): सतही कंड्यूट वायरिंग में, धातु या PVC की नाली तारों को उच्च यांत्रिक क्षति (जैसे कि औद्योगिक क्षेत्रों में) से उत्कृष्ट सुरक्षा प्रदान करती है।
3. रखरखाव और मरम्मत में सुविधा
- सुगम पहुँच: चूँकि तार और उनके आवरण बाहर की तरफ होते हैं, यह मरम्मत, निरीक्षण और दोष (Fault) का पता लगाने के काम को बहुत आसान और त्वरित बना देता है।
4. लागत और समय की बचत
- स्थापना में सरलता: इसका कार्य है बिना निर्माण कार्य (जैसे दीवारों को तोड़ना या पलस्तर) के विद्युत स्थापना को संभव बनाना, जिससे इंस्टॉलेशन का समय और लागत कम हो जाती है।
संक्षेप में,
सतही वायरिंग का कार्य उन स्थानों पर कार्यात्मक (Functional) और आसानी से सुलभ वायरिंग समाधान प्रदान करना है जहाँ सौंदर्य की चिंता कम हो और रखरखाव की सुविधा अधिक महत्वपूर्ण हो।
सतही वायरिंग (Surface Wiring), जिसे खुली वायरिंग भी कहते हैं, का मुख्य कार्य विद्युत तारों को बिना दीवारों के अंदर छिपाए एक व्यवस्थित, आसानी से सुलभ मार्ग प्रदान करना है, जबकि तारों को बाहरी खतरों से सुरक्षा की एक बुनियादी परत भी देना है।
सतही वायरिंग के विशिष्ट कार्य
सतही वायरिंग की कार्यप्रणाली इस्तेमाल की गई विधि पर निर्भर करती है (जैसे क्लीट, बैटन, या सतही कंड्यूट), लेकिन इसके सामान्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
1. तारों का मार्गदर्शन और संगठन
- व्यवस्थित मार्ग: यह तारों को एक साफ, सीधा, और दिखाई देने वाले मार्ग के माध्यम से स्विच, सॉकेट और अन्य आउटलेट पॉइंट्स तक ले जाती है।
- पहुँच में आसानी: इसका मुख्य कार्य तारों को ऐसी जगह स्थापित करना है जहाँ निरीक्षण, मरम्मत, या विस्तार के लिए उन तक पहुँचना बहुत सरल हो।
2. यांत्रिक और पर्यावरणीय सुरक्षा
- सुरक्षा आवरण: बैटन, केसिंग-केपिंग, या सतही कंड्यूट जैसी प्रणालियाँ तारों के प्राथमिक इंसुलेशन को धूल, नमी और हल्के-फुल्के घिसाव से बचाती हैं।
- कठोर सुरक्षा (सतही कंड्यूट): यदि सतही कंड्यूट (नाली) वायरिंग का उपयोग किया जाता है, तो यह तारों को उच्च यांत्रिक क्षति (जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में) से उत्कृष्ट सुरक्षा प्रदान करती है।
3. लागत और समय की बचत
- सरल स्थापना: सतही वायरिंग का कार्य उन स्थानों पर विद्युत स्थापना को संभव बनाना है जहाँ निर्माण कार्य (जैसे दीवारों को तोड़ना या पलस्तर) महंगा या अव्यावहारिक हो, जिससे स्थापना का समय और लागत कम हो जाती है।
- ताप विकेन्द्रीकरण: खुली वायरिंग में तार हवा के संपर्क में होते हैं, जिससे सर्किट में उत्पन्न होने वाली गर्मी (Heat) तेजी से बाहर निकल जाती है।
संक्षेप में,
सतही वायरिंग का कार्य उन स्थानों पर कार्यात्मक (Functional), सुलभ और किफायती वायरिंग समाधान प्रदान करना है जहाँ सौंदर्य की तुलना में रखरखाव की सुविधा और कम लागत अधिक महत्वपूर्ण है।
सतही वायरिंग, जिसे खुली वायरिंग (Open Wiring) भी कहा जाता है, का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ मरम्मत की सुविधा, कम लागत, और स्थापना में आसानी सौंदर्य या उच्च यांत्रिक सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण होती है।
सतही वायरिंग के प्रमुख उपयोग (Uses of Surface Wiring)
सतही वायरिंग की विभिन्न प्रणालियों (जैसे क्लीट, बैटन, सतही कंड्यूट) के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. औद्योगिक और कार्यशाला क्षेत्र
- सतही कंड्यूट वायरिंग इस क्षेत्र में सबसे अधिक उपयोग की जाती है।
- कारण: मशीनों और औजारों से तारों को उच्च यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना कि वायरिंग का मार्ग स्पष्ट रूप से दिखाई दे ताकि निरीक्षण और मरम्मत आसान हो।
2. अस्थायी प्रतिष्ठान (Temporary Setups)
- क्लीट वायरिंग इस उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त है।
- कारण: इसे जल्दी से स्थापित किया जा सकता है, लागत कम होती है, और किसी घटना या समारोह (जैसे मेलों, शिविरों, या अस्थायी कार्यस्थलों) के बाद इसे बिना किसी नुकसान के आसानी से हटाया जा सकता है।
3. गैरेज, गोदाम और तहखाने
- सतही कंड्यूट या बैटन वायरिंग का उपयोग किया जाता है।
- कारण: इन स्थानों पर सौंदर्य की चिंता कम होती है, जबकि नमी से कुछ सुरक्षा और यांत्रिक क्षति से बचाव आवश्यक होता है।
4. पुराने या विरासत भवन (Old or Heritage Buildings)
- जहाँ दीवारों को तोड़कर छिपी हुई वायरिंग करना असंभव या संरक्षण नियमों के विरुद्ध हो, वहाँ वायरिंग को बदलने या जोड़ने के लिए सावधानीपूर्वक सतही वायरिंग (जैसे सतही कंड्यूट) का उपयोग किया जाता है।
5. लगातार विस्तार वाले क्षेत्र
- अनुसंधान प्रयोगशालाएँ या उत्पादन इकाइयाँ, जहाँ बिजली के लेआउट को बार-बार बदलने या नए उपकरण जोड़ने की आवश्यकता होती है। खुली वायरिंग विस्तार को बहुत सरल और सस्ता बना देती है।
6. कम बजट वाले निर्माण
- जहाँ वायरिंग लागत को न्यूनतम रखना प्राथमिकता होती है, वहाँ क्लीट या पुरानी बैटन वायरिंग (हालांकि अब अनुशंसित नहीं) का उपयोग किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
सतही वायरिंग का चुनाव तब किया जाता है जब पहुँच में आसानी और किफायती समाधान प्राथमिक आवश्यकताएँ होती हैं, और वायरिंग का दिखाई देना स्वीकार्य होता है।
भूमिगत वायरिंग, जिसे छिपी हुई वायरिंग (Concealed Wiring) या कंसेल्ड कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) भी कहते हैं, एक विद्युत अधिष्ठापन प्रणाली है जिसमें सभी तारों को दीवारों और छत के प्लास्टर के अंदर सुरक्षात्मक नालियों (कंड्यूट पाइप) में छिपा दिया जाता है।
यह आधुनिक निर्माण में सबसे सुरक्षित और सौंदर्यपूर्ण रूप से आकर्षक वायरिंग प्रणाली है।
भूमिगत वायरिंग की प्रक्रिया (The Process of Underground Wiring)
यह प्रणाली दो मुख्य चरणों में पूरी की जाती है:
1. नाली स्थापना (Conduit Installation)
- छत की ढलाई के दौरान: PVC या धातु की नालियों को कंक्रीट की ढलाई (Slab Casting) से पहले ही छत के ऊपर बिछा दिया जाता है। पंखों और लाइटों के लिए जंक्शन बक्से और पंखे के हुक बॉक्स भी यहीं लगाए जाते हैं।
- दीवारों में खाँचे: छत की ढलाई के बाद, दीवारों में छेनी या कटर से खाँचे (Grooves) बनाए जाते हैं। नालियों को इन खाँचों के अंदर से स्विच बोर्ड और सॉकेट पॉइंट्स तक लाया जाता है।
- छिपाना: सभी नालियों और बक्सों को ठीक से स्थापित करने के बाद, दीवारों को पलस्तर (Plastering) से ढक दिया जाता है, जिससे पूरी वायरिंग प्रणाली अदृश्य हो जाती है।
2. तार डालना (Wire Pulling)
- पलस्तर और पेंटिंग का काम पूरा होने के बाद, तारों को नाली में डाला जाता है।
- एक लचीले स्टील फिश वायर (Steel Fish Wire) का उपयोग करके तारों को नाली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक खींचा जाता है।
- इसके बाद, तारों को स्विच, सॉकेट, और अन्य उपकरणों से जोड़कर विद्युत परिपथ को अंतिम रूप दिया जाता है।
भूमिगत वायरिंग के फायदे और नुकसान
फायदे (Advantages)
- उत्कृष्ट सुरक्षा: यह तारों को यांत्रिक क्षति, नमी, धूल और आग से अधिकतम सुरक्षा प्रदान करती है। तार पूरी तरह से ढके रहते हैं।
- सर्वोत्तम सौंदर्य (Aesthetics): चूंकि वायरिंग दिखाई नहीं देती, यह कमरों और दीवारों को साफ-सुथरा और आकर्षक लुक देती है।
- दीर्घकालिकता (Durability): यह प्रणाली एक बार स्थापित होने पर भवन के पूरे जीवनकाल तक चलती है।
- रिवायरिंग में आसानी: यदि भविष्य में तारों को बदलना हो, तो दीवारों को तोड़े बिना नए तार नाली के अंदर से खींचे जा सकते हैं।
नुकसान (Disadvantages)
- उच्च प्रारंभिक लागत: सतही या पुरानी प्रणालियों की तुलना में इसकी स्थापना अधिक महंगी होती है, क्योंकि इसमें अधिक श्रम और सामग्री लगती है।
- कठिन मरम्मत: यदि नाली के अंदर कहीं कोई फॉल्ट आता है या नाली जाम हो जाती है, तो उसे ढूँढना और ठीक करना मुश्किल हो सकता है।
- बदलाव में कठिनाई: एक बार पलस्तर हो जाने के बाद, वायरिंग के मार्ग या स्विच बोर्ड की स्थिति में कोई भी बड़ा बदलाव करना बहुत कठिन होता है।
भूमिगत वायरिंग, जिसे छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) भी कहा जाता है, का निर्माण आधुनिक भवन निर्माण का एक अभिन्न अंग है। इसका मुख्य उद्देश्य तारों को दीवारों और छत के प्लास्टर के अंदर सुरक्षात्मक नालियों (कंड्यूट पाइप) में छिपाकर अधिकतम सुरक्षा और बेहतर सौंदर्य प्रदान करना है।
निर्माण प्रक्रिया को दो मुख्य चरणों में बाँटा जाता है:
1. नाली (कंड्यूट) स्थापना और छुपाना (Conduit Installation and Concealment)
यह चरण भवन निर्माण के दौरान किया जाता है, प्लास्टर होने से पहले:
क. छत की पाइपिंग (Roof Piping)
- मार्किंग और फिक्सिंग: छत की ढलाई (Slab Casting) से पहले, इंजीनियर या इलेक्ट्रिशियन द्वारा लाइट पॉइंट, फैन पॉइंट और दीवार से नीचे आने वाले ड्रॉप पॉइंट का स्थान चिह्नित किया जाता है।
- नाली बिछाना: प्लास्टिक (PVC) या धातु की नालियों को इन चिह्नित पॉइंट्स के बीच बिछाया जाता है।
- बॉक्स लगाना: जंक्शन बॉक्स और पंखे के हुक बॉक्स को भी अपनी निर्धारित स्थिति में फिक्स किया जाता है।
- सुरक्षा: नालियों को सीमेंट स्लरी या छोटे पत्थरों से ढक दिया जाता है ताकि ढलाई के दौरान वे हिलें नहीं और कंक्रीट उनके अंदर न जाए।
ख. दीवारों की पाइपिंग (Wall Piping)
- खाँचे बनाना (Grooving): छत की ढलाई सूखने के बाद, दीवारों में स्विच बोर्ड, सॉकेट, और छत से नीचे आने वाले ड्रॉप पॉइंट्स के लिए कटर या छेनी का उपयोग करके खाँचे (Grooves) बनाए जाते हैं।
- स्विच/जंक्शन बॉक्स लगाना: धातु या PVC के स्विच बक्से को खाँचों में मजबूती से लगाया जाता है।
- नाली फिक्स करना: छत से आए पाइपों को इन बक्सों तक खाँचों के माध्यम से लाया जाता है और विशेष सीमेंट या प्लास्टर का उपयोग करके दीवार में मजबूती से फिक्स कर दिया जाता है।
- पलस्तर (Plastering): सभी नालियाँ और बक्से फिक्स हो जाने के बाद, दीवारों पर पलस्तर कर दिया जाता है। इस प्रकार पूरी वायरिंग प्रणाली पूरी तरह से अदृश्य हो जाती है।
2. तार डालना और संयोजन (Wire Pulling and Connection)
यह चरण पलस्तर और पेंटिंग के बाद शुरू होता है, जब संरचना तैयार होती है:
- फिश वायर का उपयोग: सबसे पहले, एक लचीले स्टील फिश वायर या खींचने वाले तार (Pull Wire) को नाली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक डाला जाता है।
- तार खींचना: बिजली के तारों (PVC इंसुलेटेड तार) को फिश वायर से मजबूती से बांधा जाता है। फिर फिश वायर को धीरे-धीरे खींचकर तारों को नाली के अंदर खींचा जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि तारों को खींचते समय उनका इंसुलेशन क्षतिग्रस्त न हो।
- परिपथ संयोजन: विभिन्न रंग के तारों (जैसे फेज के लिए लाल/पीला, न्यूट्रल के लिए काला/नीला, और अर्थिंग के लिए हरा) का उपयोग करते हुए, तारों को स्विच, सॉकेट, और अन्य उपकरणों से जोड़कर विद्युत परिपथ को अंतिम रूप दिया जाता है।
- टेस्टिंग: अंत में, पूरे सर्किट की निरंतरता और इंसुलेशन प्रतिरोध की जाँच की जाती है ताकि किसी भी दोष का पता लगाया जा सके और वायरिंग को उपयोग के लिए सुरक्षित घोषित किया जा सके।
यह निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि वायरिंग न केवल सुरक्षित हो बल्कि भवन की सौंदर्य अपील को भी बढ़ाए।
भूमिगत वायरिंग (छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग) का मुख्य कार्य विद्युत तारों को अधिकतम सुरक्षा और दीर्घायु प्रदान करते हुए भवन के सौंदर्य को बनाए रखना है।
यह आधुनिक भवन निर्माण में सबसे सुरक्षित और प्रभावी वायरिंग प्रणाली है।
भूमिगत तारों के प्रमुख कार्य (Functions of Underground Wiring)
भूमिगत वायरिंग (कंड्यूट पाइप) एक सुरक्षात्मक और संगठनात्मक माध्यम के रूप में कार्य करती है, जिसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. तारों को अधिकतम सुरक्षा देना
- यांत्रिक सुरक्षा: कंड्यूट पाइप, जो दीवार के पलस्तर के नीचे छिपी होती है, तारों को बाहरी आघात, खरोंच, कीलों या ड्रिलिंग से होने वाली सभी प्रकार की यांत्रिक क्षति से बचाती है।
- पर्यावरणीय सुरक्षा: तार पूरी तरह से धूल, नमी, वर्षा, और कीड़े/चूहों के संपर्क से दूर रहते हैं, जिससे उनका इंसुलेशन लंबे समय तक सुरक्षित रहता है।
- अग्नि सुरक्षा: शॉर्ट सर्किट की स्थिति में, कंड्यूट (विशेषकर धातु की नाली) आग को तारों के अंदर ही सीमित रखती है और इसे भवन के अन्य ज्वलनशील हिस्सों तक फैलने से रोकती है, जिससे आग का खतरा कम होता है।
2. सौंदर्य और व्यवस्था बनाए रखना
- अदृश्यता: वायरिंग का सबसे प्रमुख कार्य तारों को पूरी तरह से अदृश्य (Hidden) रखना है। इससे दीवारें और छत साफ-सुथरी दिखती हैं, जो आधुनिक वास्तुकला के लिए अनिवार्य है।
- संगठन: यह तारों को एक निश्चित और सुव्यवस्थित मार्ग प्रदान करती है, जिससे वे अस्त-व्यस्त नहीं दिखते और सर्किट का मानचित्रण आसान रहता है।
3. भविष्य के लिए लचीलापन
- रिवायरिंग में सुविधा: कंड्यूट के अंदर तार ढीले रखे जाते हैं। यह प्रणाली तारों को बदलने या अपग्रेड करने की प्रक्रिया को आसान बनाती है। दीवारों को तोड़े बिना, पुराने तारों को खींचकर नए तार नाली के अंदर डाले जा सकते हैं।
संक्षेप में,
भूमिगत वायरिंग का कार्य एक ऐसी मजबूत और स्थायी नलिका प्रदान करना है जो भवन के पूरे जीवनकाल के दौरान विद्युत तारों को सुरक्षित और अप्रभावित बनाए रखे।
भूमिगत वायरिंग (छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग) का मुख्य कार्य विद्युत तारों को अधिकतम सुरक्षा, सौंदर्य और दीर्घायु प्रदान करना है, जिससे भवन में विद्युत प्रणाली सुरक्षित और टिकाऊ बनी रहे।
भूमिगत वायरिंग के प्रमुख कार्य (Functions of Underground Wiring)
यह प्रणाली एक सुरक्षात्मक और संगठनात्मक आवरण के रूप में काम करती है, जिसके तीन प्रमुख कार्य हैं:
1. उत्कृष्ट सुरक्षा प्रदान करना
- यांत्रिक सुरक्षा: कंड्यूट पाइप, जो दीवारों और छत के कंक्रीट के अंदर छिपे होते हैं, तारों को बाहरी भौतिक क्षति जैसे कि कीलों, ड्रिलिंग, या निर्माण के दौरान होने वाले आघात से पूर्ण रूप से बचाते हैं।
- पर्यावरणीय सुरक्षा: तार पूरी तरह से धूल, नमी, वर्षा, और कीड़े/चूहों के संपर्क से दूर रहते हैं, जिससे तारों का इंसुलेशन लंबे समय तक सुरक्षित रहता है और शॉर्ट सर्किट का खतरा कम होता है।
- अग्नि सुरक्षा: शॉर्ट सर्किट या ओवरलोड की स्थिति में, कंड्यूट (विशेष रूप से धातु की नाली) आग को तारों के अंदर ही सीमित रखती है और इसे भवन के अन्य ज्वलनशील हिस्सों तक फैलने से रोकती है।
2. सौंदर्य और व्यवस्था बनाए रखना
- अदृश्यता (Aesthetics): यह वायरिंग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। तारों को पूरी तरह से छिपा कर यह कमरों और दीवारों को साफ-सुथरा और आकर्षक लुक देती है, जो आधुनिक वास्तुकला की एक बुनियादी आवश्यकता है।
- संगठन: यह तारों को एक निश्चित और सुव्यवस्थित मार्ग प्रदान करती है, जिससे पूरा विद्युत वितरण व्यवस्थित रहता है।
3. भविष्य के लिए लचीलापन
- रिवायरिंग में सुविधा: चूंकि तार नाली के अंदर ढीले रखे जाते हैं, यह भविष्य में तारों को बदलने, उनकी क्षमता बढ़ाने, या मरम्मत करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। दीवारों को बिना तोड़े (यदि कंड्यूट जाम न हो), पुराने तारों को खींचकर नए तार डाले जा सकते हैं।
संक्षेप में,
भूमिगत वायरिंग का कार्य एक ऐसी स्थायी संरचना बनाना है जो सुरक्षित, सुव्यवस्थित और अदृश्य हो, जिससे विद्युत प्रणाली भवन के पूरे जीवनकाल तक विश्वसनीय रूप से चलती रहे।
भूमिगत वायरिंग, जिसे छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) भी कहा जाता है, आधुनिक निर्माण में सबसे सुरक्षित और सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली है। इसका उपयोग मुख्य रूप से उन जगहों पर होता है जहाँ तारों की अधिकतम सुरक्षा, उच्च सौंदर्य और दीर्घायु सुनिश्चित करनी होती है।
भूमिगत तारों के प्रमुख उपयोग (Uses of Underground Wiring)
भूमिगत वायरिंग लगभग हर आधुनिक निर्माण परियोजना में मानक बन गई है। इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. आधुनिक आवासीय भवन
- बंगले और अपार्टमेंट: यह मानक वायरिंग प्रणाली है।
- कारण: यह घरों को साफ-सुथरा और आकर्षक लुक देती है, क्योंकि सभी तार दीवारों और छत के अंदर छिपे होते हैं। यह बिजली के झटके और आग से सबसे अच्छी सुरक्षा भी प्रदान करती है।
2. वाणिज्यिक और कॉर्पोरेट भवन
- कार्यालय, होटल, अस्पताल और स्कूल: इन सभी उच्च-यातायात वाले सार्वजनिक और व्यावसायिक स्थानों में इसका उपयोग आवश्यक है।
- कारण: इन इमारतों में सुरक्षा सर्वोपरि होती है। वायरिंग पूरी तरह से छिपी होती है, जिससे यह यांत्रिक क्षति, तोड़फोड़ और दुर्घटनाओं से पूरी तरह सुरक्षित रहती है।
3. औद्योगिक भवन (Office/Control Sections)
- हालांकि फैक्टरी फ्लोर पर खुली कंड्यूट वायरिंग का उपयोग हो सकता है, लेकिन प्रशासनिक ब्लॉक, कंट्रोल रूम और डेटा सेंटर में भूमिगत वायरिंग का उपयोग किया जाता है।
- कारण: यह नमी और धूल से उच्च सुरक्षा प्रदान करती है और जटिल नेटवर्क के लिए सुव्यवस्थित मार्ग सुनिश्चित करती है।
4. नमी वाले क्षेत्र
- यह उन क्षेत्रों में भी उपयुक्त है जहाँ नमी या सीलन की संभावना हो, जैसे कि बाथरूम के ऊपरी हिस्से या बेसमेंट की दीवारें, बशर्ते नाली (कंड्यूट) अच्छी गुणवत्ता की PVC हो और ठीक से सील की गई हो।
5. प्रीमियम गुणवत्ता और दीर्घकालिकता
- ऐसे निर्माण जहाँ वायरिंग को भवन के पूरे जीवनकाल (50-100 वर्ष) तक चलने की अपेक्षा की जाती है, वहाँ भूमिगत कंड्यूट ही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है क्योंकि यह मरम्मत और रिवायरिंग में सुविधा प्रदान करती है।
केबल वितरण प्रणाली (Cable Distribution System) एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग विद्युत शक्ति (Electrical Power) को उत्पादन या पारेषण (Transmission) के बिंदु से लेकर उपभोक्ता (Consumer) के उपयोग बिंदु तक कुशलतापूर्वक पहुँचाने के लिए किया जाता है।
यह प्रणाली मुख्य रूप से केबल (Insulated Conductors), उनके सुरक्षात्मक आवरण (Sheath), और संबंधित सहायक उपकरण जैसे स्विचगियर, ट्रांसफार्मर, और जंक्शन बॉक्स पर निर्भर करती है।
केबल वितरण प्रणाली को दो प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जाता है:
1. ओवरहेड केबल वितरण प्रणाली (Overhead Cable Distribution System) यह सबसे आम और पारंपरिक विधि है, जिसमें विद्युत शक्ति को हवा में खंभों और टावरों के सहारे बिछाई गई नंगी या अछूती (Insulated) केबलों के माध्यम से वितरित किया जाता है।
मुख्य विशेषताएँ स्थापना: कंडक्टरों को सीधे पोल या टावरों पर इन्सुलेटर का उपयोग करके लगाया जाता है।
दिखावट: तार खुले और दिखाई देते हैं।
लागत: स्थापना लागत कम होती है।
रखरखाव: मरम्मत और दोषों का पता लगाना आसान होता है।
सुरक्षा: तूफान, पेड़ गिरने या अन्य बाहरी यांत्रिक क्षति के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।
2. भूमिगत केबल वितरण प्रणाली (Underground Cable Distribution System) इस प्रणाली में केबल को जमीन के नीचे नालियों (Ducts) या सीधे दफन करके वितरित किया जाता है। यह शहरी और घनी आबादी वाले क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त है।
मुख्य विशेषताएँ स्थापना: केबलों को जमीन के नीचे एक सुरक्षित गहराई पर बिछाया जाता है, अक्सर सुरक्षा के लिए कंड्यूट या नालियों का उपयोग किया जाता है।
दिखावट: तार अदृश्य होते हैं, जिससे सौंदर्य बना रहता है।
लागत: स्थापना लागत बहुत अधिक होती है, क्योंकि इसमें खुदाई और विशेष इन्सुलेशन की आवश्यकता होती है।
रखरखाव: दोषों का पता लगाना और उनकी मरम्मत करना कठिन और महंगा होता है।
सुरक्षा: मौसम, चोरी और यांत्रिक क्षति से उत्कृष्ट सुरक्षा मिलती है, जिससे यह अधिक विश्वसनीय होती है।
केबल वितरण प्रणाली के चरण एक व्यापक केबल वितरण प्रणाली आमतौर पर तीन मुख्य चरणों में काम करती है:
प्राथमिक वितरण (Primary Distribution): उच्च या मध्यम वोल्टेज (जैसे 11 { kV} या 33 { kV}) पर सब-स्टेशन से वितरण क्षेत्रों तक शक्ति पहुँचाना।
द्वितीयक वितरण (Secondary Distribution): ट्रांसफार्मर (जो वोल्टेज को 400 { V} या 230 { V} तक कम करता है) से स्थानीय गलियों या इमारतों तक शक्ति पहुँचाना।
उपभोक्ता सेवा (Consumer Service): द्वितीयक वितरण लाइन से सीधे अंतिम उपभोक्ता के मीटर तक बिजली की आपूर्ति करना।
आजकल,
कंड्यूट वायरिंग के भीतर PVC इंसुलेटेड केबलों का उपयोग इमारतों के अंदर बिजली वितरित करने के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत तरीका है।
केबल वितरण प्रणाली (Cable Distribution System) का निर्माण मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि यह ओवरहेड (Overhead) है या भूमिगत(Underground)।
निर्माण का उद्देश्य उत्पादन या उप-स्टेशन से उपभोक्ता तक विद्युत शक्ति को कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से पहुंचाना होता है।
1. ओवरहेड केबल वितरण प्रणाली का निर्माण (Overhead System Construction)
यह सबसे सामान्य विधि है, जिसमें खुली या अछूती केबलों को खंभों के सहारे हवा में बिछाया जाता है।
क. खंभों और टावरों की स्थापना
- आधार तैयार करना: सबसे पहले, ट्रांसमिशन लाइन के मार्ग के साथ पोल (खंभे) या टावरों के लिए नींव (Foundation) तैयार की जाती है।
- स्थापना: खंभों को लंबवत रूप से स्थापित किया जाता है और स्टे वायर (Stay Wires) या गॉय वायर (Guy Wires) का उपयोग करके उन्हें अतिरिक्त स्थिरता प्रदान की जाती है।
ख. इन्सुलेटर और क्रॉस आर्म लगाना
- क्रॉस आर्म: खंभों पर लकड़ी या धातु के क्रॉस आर्म लगाए जाते हैं, जो तारों को समर्थन देते हैं।
- इन्सुलेटर: क्रॉस आर्म पर चीनी मिट्टी (Porcelain) या कांच के इन्सुलेटर लगाए जाते हैं। इनका कार्य कंडक्टरों को खंभे या टावर से विद्युत रूप से अलग (Insulate) रखना है।
ग. कंडक्टरों को खींचना और जोड़ना
- खींचना (Stringing): कंडक्टरों (तारों) को एक छोर से दूसरे छोर तक सावधानीपूर्वक खींचा जाता है।
- शिथिलता (Sag) नियंत्रण: तारों में तनाव को नियंत्रित किया जाता है ताकि वे एक निर्धारित शिथिलता (झोल) पर लटके रहें। यह तापमान के कारण होने वाले विस्तार और संकुचन को समायोजित करने के लिए आवश्यक है।
- टर्मिनेशन: तारों को अंतिम रूप से उप-स्टेशन और उपभोक्ता सेवा बिंदुओं पर सुरक्षित रूप से जोड़ा जाता है।
2. भूमिगत केबल वितरण प्रणाली का निर्माण (Underground System Construction)
यह विधि केबलों को जमीन के नीचे बिछाने पर केंद्रित है और यह अधिक महंगी और जटिल होती है।
क. रूट की तैयारी और खुदाई
- मार्ग योजना: केबल बिछाने के लिए उपयुक्त मार्ग का निर्धारण किया जाता है, जिसमें मौजूदा भूमिगत उपयोगिताओं (पानी, गैस लाइनें) को ध्यान में रखा जाता है।
- खुदाई (Trenching): आवश्यक गहराई और चौड़ाई की खाई (Trench) खोदी जाती है। शहरी क्षेत्रों में, केबलों को कंक्रीट की नालियों (Ducts) के अंदर बिछाने के लिए खोदी गई खाइयाँ अधिक संरचित होती हैं।
ख. केबल बिछाना (Laying the Cables)
- सीधी दफन विधि (Directly Buried): निम्न और मध्यम वोल्टेज केबलों को सीधे खाई में बिछाया जाता है। केबल को यांत्रिक क्षति से बचाने के लिए, उन्हें रेत या ठीक मिट्टी की परत से ढक दिया जाता है और ऊपर ईंटों या स्लैब से कवर किया जाता है।
- नाली विधि (Duct System): उच्च वोल्टेज केबलों के लिए, भविष्य में आसान रखरखाव या बदलने (Pulling) की सुविधा हेतु, उन्हें PVC या कंक्रीट की नालियों के अंदर से गुजारा जाता है।
- मनुष्य छिद्र (Manholes): नालियों के मार्ग पर नियमित अंतराल पर मैनहोल बनाए जाते हैं ताकि केबलों को खींचा जा सके और निरीक्षण किया जा सके।
ग. जॉइंटिंग और बैकफिलिंग
- जॉइंटिंग: लंबी दूरी के लिए केबलों को जोड़ने के लिए केबल जॉइंट्स (Cable Joints) का उपयोग किया जाता है। ये जॉइंट्स नमी और विद्युत रिसाव को रोकने के लिए अच्छी तरह से सीलबंद (Sealed) होने चाहिए।
- बैकफिलिंग: केबल बिछाने और सुरक्षित करने के बाद, खाई को वापस मिट्टी से भर दिया जाता है और कॉम्पैक्ट (Compacted) किया जाता है। सतह को पुनर्स्थापित कर दिया जाता है।
3. वितरण उप-केंद्रों का एकीकरण (Integration of Substations)
दोनों प्रणालियों में, ट्रांसफार्मर, स्विचगियर, और सुरक्षात्मक उपकरण (जैसे फ्यूज और सर्किट ब्रेकर) वाले वितरण उप-केंद्रों (Distribution Substations) को प्रणाली में एकीकृत किया जाता है ताकि वोल्टेज को उपभोक्ता स्तर तक कम किया जा सके और सर्किट को नियंत्रित किया जा सके।
केबल वितरण प्रणाली (Cable Distribution System) का प्राथमिक कार्य विद्युत शक्ति को उत्पादन या पारेषण (Transmission) केंद्र से उपभोक्ताओं के उपयोग बिंदु तक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशलतापूर्वक पहुँचाना है।
यह प्रणाली बिजली को उच्च या मध्यम वोल्टेज पर एक बड़े क्षेत्र में वितरित करती है और अंत में उपभोग के लिए आवश्यक निम्न वोल्टेज (जैसे 230 { V} या 400 { V}) में परिवर्तित करती है।
केबल वितरण प्रणाली के मुख्य कार्य केबल वितरण प्रणाली कई महत्वपूर्ण कार्य करती है,
जिन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
1. विद्युत शक्ति का वितरण (Power Distribution) बिजली पहुँचाना: यह उत्पादन केंद्र (या ग्रिड सब-स्टेशन) से प्राप्त विद्युत शक्ति को वितरण उप-स्टेशनों (Distribution Substations) तक पहुँचाती है।
लोड प्रबंधन: यह सुनिश्चित करती है कि सभी उपभोक्ता बिंदुओं को उनकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त और स्थिर मात्रा में बिजली की आपूर्ति हो।
वोल्टेज नियमन: प्रणाली का एक प्रमुख कार्य यह बनाए रखना है कि उपभोक्ता के टर्मिनल पर वोल्टेज निर्धारित सीमा के भीतर रहे (Voltage Regulation)।
2. वोल्टेज परिवर्तन (Voltage Transformation) स्टेप-डाउन: वितरण प्रणाली में ट्रांसफार्मर लगे होते हैं, जिनका कार्य उच्च वितरण वोल्टेज (जैसे 11 { kV} या 33 { kV}) को सुरक्षित उपभोग स्तर (जैसे 400 { V} या 230 { V}) तक कम करना है। यह कार्य उपभोक्ताओं को बिजली की सुरक्षित आपूर्ति के लिए आवश्यक है।
3. सुरक्षा और नियंत्रण (Protection and Control) सुरक्षा प्रदान करना: प्रणाली में लगे सर्किट ब्रेकर, फ्यूज और रिले ओवरलोड, शॉर्ट सर्किट और अर्थ फॉल्ट जैसी स्थितियों में सर्किट को स्वचालित रूप से काट देते हैं। यह उपकरणों और मानव जीवन दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
नियंत्रण: यह ऑपरेटरों को विभिन्न सर्किटों को चालू या बंद (Switching) करने की अनुमति देता है, जिससे रखरखाव या आपातकालीन स्थिति में लोड को प्रबंधित करना संभव होता है।
विश्वसनीयता सुनिश्चित करना: खासकर भूमिगत प्रणालियाँ, केबलों को मौसम की स्थिति (तूफान, बर्फ) और बाहरी क्षति से बचाकर बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता (Reliability) बढ़ाती हैं।
संक्षेप में,
केबल वितरण प्रणाली एक जटिल नेटवर्क है जिसका उद्देश्य बड़े भौगोलिक क्षेत्र में बिजली की सुरक्षित, विनियमित और अनवरत आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
केबल वितरण प्रणाली का प्राथमिक कार्य विद्युत शक्ति को उत्पादन या पारेषण (Transmission) केंद्र से उपभोक्ताओं के उपयोग बिंदु तक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशलतापूर्वक पहुँचाना है। यह प्रणाली उच्च या मध्यम वोल्टेज पर बिजली को वितरित करती है और अंत में उपभोग के लिए आवश्यक निम्न वोल्टेज में परिवर्तित करती है।
केबल वितरण प्रणाली के मुख्य कार्य केबल वितरण प्रणाली कई महत्वपूर्ण कार्य करती है, जो विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं:
1. विद्युत शक्ति का वितरण (Power Distribution) बिजली पहुँचाना: यह उत्पादन केंद्र या ग्रिड सब-स्टेशन से प्राप्त विद्युत शक्ति को वितरण उप-स्टेशनों (Distribution Substations) और फिर अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुँचाती है।
लोड प्रबंधन: यह सुनिश्चित करती है कि सभी उपभोक्ता बिंदुओं को उनकी मांग के अनुसार पर्याप्त और स्थिर मात्रा में बिजली की आपूर्ति हो, जिससे लोड संतुलित रहे।
2. वोल्टेज परिवर्तन (Voltage Transformation) वोल्टेज कम करना: प्रणाली में लगे ट्रांसफार्मर का मुख्य कार्य उच्च वितरण वोल्टेज (जैसे 11 { kV} या 33 { kV}) को सुरक्षित उपभोग स्तर (जैसे 400 { V} या 230 { V}) तक कम (Step-Down) करना है।
3. सुरक्षा और नियंत्रण (Protection and Control) दोष से सुरक्षा: प्रणाली में सर्किट ब्रेकर, फ्यूज और रिले जैसे सुरक्षा उपकरण लगे होते हैं, जो ओवरलोड, शॉर्ट सर्किट या अर्थ फॉल्ट जैसी दोषपूर्ण स्थितियों में सर्किट को तुरंत काट देते हैं। यह मानव जीवन, उपकरणों और पूरी प्रणाली को सुरक्षा प्रदान करता है।
विश्वसनीयता बनाए रखना: खासकर भूमिगत प्रणालियाँ, केबलों को बाहरी तत्वों (जैसे मौसम, चोरी, यांत्रिक क्षति) से बचाकर बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता (Reliability) और निरंतरता सुनिश्चित करती हैं।
नियंत्रण: यह वितरण लाइनों को चालू या बंद (Switching) करने की अनुमति देता है, जिससे रखरखाव और आपातकालीन लोड प्रबंधन संभव होता है।
केबल वितरण प्रणाली का उपयोग बिजली को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित और कुशलतापूर्वक पहुँचाने के लिए किया जाता है। इसका अनुप्रयोग मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि बिजली का वितरण ओवरहेड (खंभों के ऊपर) किया जा रहा है या भूमिगत (जमीन के नीचे)।
1. ओवरहेड केबल वितरण के उपयोग (Overhead Cable Distribution Uses)
यह सबसे आम और पारंपरिक विधि है, जो मुख्य रूप से लागत-दक्षता और आसान रखरखाव पर केंद्रित है।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र: जहाँ आबादी घनत्व कम होता है और भूमिगत प्रणाली स्थापित करना महंगा और अनावश्यक होता है, वहाँ ओवरहेड वितरण प्राथमिक विकल्प है।
- लंबी दूरी का पारेषण (Long Distance Transmission): यह लंबी दूरी तक उच्च वोल्टेज पर बिजली के संचरण और प्राथमिक वितरण के लिए सबसे किफायती और व्यावहारिक तरीका है।
- आसान स्थापना: ऐसे क्षेत्र जहाँ तुरंत और तेजी से बिजली की आपूर्ति स्थापित करनी हो, वहाँ ओवरहेड प्रणाली का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसे भूमिगत प्रणाली की तुलना में कम समय में लगाया जा सकता है।
2. भूमिगत केबल वितरण के उपयोग (Underground Cable Distribution Uses)
यह प्रणाली सुरक्षा, विश्वसनीयता और सौंदर्य पर जोर देती है, हालांकि यह अधिक महंगी है।
- घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र: प्रमुख शहरों, मेट्रो क्षेत्रों और भीड़-भाड़ वाले व्यापारिक जिलों में, जहाँ खंभे और तार दृश्य बाधा उत्पन्न करते हैं और जगह की कमी होती है।
- ऐतिहासिक और सुरम्य क्षेत्र: पर्यटक स्थलों, ऐतिहासिक जिलों या आवासीय कॉलोनियों में जहाँ दृश्य सौंदर्य (Aesthetics) बनाए रखना आवश्यक होता है।
- उच्च विश्वसनीयता आवश्यक क्षेत्र: अस्पताल, एयरपोर्ट और महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान, जहाँ बिजली की आपूर्ति में बाधा (Outage) का जोखिम कम करना होता है, क्योंकि भूमिगत केबल मौसम की चरम स्थितियों से अप्रभावित रहते हैं।
- खतरनाक या भीड़भाड़ वाले रास्ते: ऐसे क्षेत्र जहाँ दुर्घटनाओं के कारण ओवरहेड लाइनों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा अधिक हो, वहाँ तारों को यांत्रिक क्षति और चोरी से बचाने के लिए भूमिगत प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
- भूमिगत सुरंग और औद्योगिक गलियारे: औद्योगिक परिसरों, खदानों और सुरंगों में जहाँ खुली हवा में केबल बिछाना संभव नहीं होता है।
पैनल वायरिंग (Panel Wiring) क्या है?
पैनल वायरिंग का मतलब होता है इलेक्ट्रिकल कंट्रोल पैनल (Electrical Control Panel) के अंदर सभी उपकरणों (components) को एक निश्चित तरीके से वायर (तार) से जोड़ना। यह एक व्यवस्थित और सुरक्षित तरीका है जिससे विभिन्न इलेक्ट्रिकल डिवाइस (जैसे सर्किट ब्रेकर, कॉन्टैक्टर, रिले, पीएलसी (PLC), वीएफडी (VFD) आदि) एक-दूसरे के साथ काम कर सकें और किसी मशीन या प्रक्रिया को नियंत्रित (control) कर सकें।
यह मुख्य रूप से दो तरह की वायरिंग होती है:
-
पावर वायरिंग (Power Wiring):
- इसमें मुख्य रूप से ज्यादा करंट (high current) वाले सर्किट की वायरिंग की जाती है।
- यह पैनल को आने वाली मुख्य बिजली सप्लाई (main power supply) को सर्किट ब्रेकर, कॉन्टैक्टर और मोटर या अन्य लोड तक पहुँचाती है।
- इसमें मोटे तार (thicker wires) का इस्तेमाल होता है।
-
कंट्रोल वायरिंग (Control Wiring):
- इसमें कम करंट (low current) वाले सर्किट की वायरिंग की जाती है।
- इसका उपयोग पैनल के अंदर लगे कंट्रोल डिवाइस (जैसे पुश बटन, सेलेक्टर स्विच, टाइमर, रिले, पीएलसी) को आपस में जोड़ने और उनके द्वारा मुख्य पावर डिवाइस (जैसे कॉन्टैक्टर) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
- इसमें आमतौर पर पतले तार (thinner wires) का इस्तेमाल होता है।
पैनल वायरिंग के मुख्य घटक (Main Components):
एक इलेक्ट्रिकल पैनल में कई महत्वपूर्ण घटक (components) होते हैं जिनकी वायरिंग की जाती है:
- सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker) / MCB / MCCB: ये ओवरलोड (overload) और शॉर्ट सर्किट (short circuit) से सुरक्षा प्रदान करते हैं। पैनल में आने वाली मुख्य सप्लाई पहले इन्हीं से होकर गुजरती है।
- कॉन्टैक्टर (Contactor): इनका उपयोग बड़ी इलेक्ट्रिक मोटर या हीटिंग लोड को चालू (ON) और बंद (OFF) करने के लिए किया जाता है।
- ओवरलोड रिले (Overload Relay): ये मोटर को ज्यादा करंट लेने की स्थिति में सुरक्षा देते हैं।
- पीएलसी (PLC - Programmable Logic Controller): यह एक कंप्यूटर जैसा डिवाइस है जो एक निश्चित प्रोग्राम के अनुसार मशीन के सभी कार्यों को नियंत्रित करता है।
- टर्मिनल ब्लॉक (Terminal Block): ये तारों को जोड़ने और व्यवस्थित करने के लिए उपयोग होते हैं।
- बस बार (Bus Bar): मुख्य पावर सप्लाई को पैनल के अंदर विभिन्न जगहों पर वितरित (distribute) करने के लिए।
- ट्रांसफार्मर (Transformer): यदि कंट्रोल सर्किट को कम वोल्टेज की आवश्यकता होती है, तो यह मुख्य सप्लाई वोल्टेज को कंट्रोल वोल्टेज (जैसे 24V या 110V) में बदलता है।
पैनल वायरिंग का महत्व
- सुरक्षा (Safety): सही वायरिंग से शॉर्ट सर्किट और ओवरलोड से बचाव होता है।
- व्यवस्थित (Systematic): यह तारों को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखती है, जिससे गलती होने की संभावना कम होती है।
- आसान मेंटेनेंस (Easy Maintenance): व्यवस्थित वायरिंग होने से फॉल्ट ढूंढना (troubleshooting) और पैनल की मरम्मत (repair) करना आसान हो जाता है।
पैनल वायरिंग हमेशा इलेक्ट्रिकल ड्राइंग (Electrical Drawing) या सर्किट डायग्राम (Circuit Diagram) को देखकर की जाती है, जिसमें हर कंपोनेंट का स्थान और उनके कनेक्शन विस्तार से दिखाए जाते हैं।
पैनल वायरिंग का निर्माण (Electrical Panel Wiring Fabrication) एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जो एक इलेक्ट्रिकल ड्राइंग या सर्किट डायग्राम के आधार पर की जाती है। इसका मुख्य लक्ष्य सभी घटकों (components) को सुरक्षित और कुशलता से जोड़ना है।
निर्माण के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:
1. डिज़ाइन और लेआउट (Design and Layout)
- ड्राइंग तैयार करना: सबसे पहले, ग्राहक की ज़रूरतों के अनुसार इलेक्ट्रिकल सर्किट डायग्राम (Power और Control) और पैनल का लेआउट ड्राइंग (Layout Drawing) तैयार किया जाता है।
- घटकों का चयन: सर्किट ब्रेकर, कॉन्टैक्टर, रिले, पीएलसी, टर्मिनल ब्लॉक, वायरिंग डक्ट (Wiring Ducts) और DIN रेल जैसे सभी आवश्यक उपकरणों का चयन किया जाता है।
- मार्किंग: ड्राइंग के अनुसार, पैनल के अंदर की माउंटिंग प्लेट पर सभी घटकों के लिए सही स्थानों को चिह्नित (mark) किया जाता है।
2. पैनल फेब्रिकेशन (Panel Fabrication)
- बॉडी बनाना: पैनल की धातु की बॉडी (Enclosure) को डिज़ाइन के अनुसार काटा, मोड़ा और वेल्ड किया जाता है।
- कटिंग और ड्रिलिंग: चिह्नित स्थानों पर कम्पोनेंट लगाने के लिए और वायरिंग डक्ट और DIN रेल को माउंट करने के लिए छेद (holes) ड्रिल किए जाते हैं। पैनल के दरवाजे पर मीटर, पुश बटन और इंडिकेटर लाइट के लिए भी कटिंग की जाती है।
- पेंटिंग और फिनिशिंग: धातु को जंग से बचाने और एक अच्छा रूप देने के लिए पैनल को पेंट किया जाता है।
3. उपकरण लगाना (Component Mounting)
- रेल और डक्ट लगाना: पैनल के अंदर DIN रेल और वायरिंग डक्ट (या ट्रंकिंग) को स्क्रू से कस दिया जाता है।
- घटकों को माउंट करना: सर्किट ब्रेकर, कॉन्टैक्टर, रिले, ट्रांसफार्मर, और पीएलसी मॉड्यूल जैसे सभी उपकरणों को उनके चिह्नित स्थानों पर DIN रेल या माउंटिंग प्लेट पर कस दिया जाता है।
- बस बार लगाना: उच्च-करंट वाले पैनल में मुख्य पावर वितरण के लिए बस बार को सही जगह पर इंसुलेटर के साथ माउंट किया जाता है।
4. वायरिंग (Wiring)
यह पैनल निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण चरण है:
- तारों की तैयारी: वायरिंग ड्राइंग के अनुसार सही आकार और रंग के तारों को मापा और काटा जाता है।
- मार्किंग (फेरूलिंग): हर तार के दोनों सिरों पर फेरूल (Ferrule) लगाकर उन पर तार का नंबर और स्रोत/गंतव्य (Source/Destination) की पहचान (ID) चिह्नित की जाती है। इससे ट्रबलशूटिंग आसान होती है।
- क्रिम्पिंग और थिम्बलिंग: तारों के सिरों पर टर्मिनल (Lugs/Thimbles) को Crimping टूल से कसकर लगाया जाता है ताकि ढीले कनेक्शन न रहें।
-
कनेक्शन करना:
- पावर वायरिंग: मुख्य सप्लाई को सर्किट ब्रेकर से होते हुए कॉन्टैक्टर और फिर ओवरलोड रिले/टर्मिनल ब्लॉक तक जोड़ा जाता है।
- कंट्रोल वायरिंग: पीएलसी/रिले/टाइमर और पुश बटन जैसे कंट्रोल घटकों को आपस में इंटरलॉकिंग और लॉजिक के अनुसार जोड़ा जाता है।
- वायर ड्रेसिंग: तारों को व्यवस्थित रूप से वायरिंग डक्ट के अंदर डाला जाता है और आवश्यकतानुसार केबल टाई से बांधा जाता है।
5. जांच और परीक्षण (Checking and Testing)
- कंटिन्युटी टेस्ट (Continuity Test): मल्टीमीटर का उपयोग करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि वायरिंग ड्राइंग के अनुसार सही ढंग से जुड़ी है और कहीं कोई खुला (Open) या शॉर्ट सर्किट (Short Circuit) नहीं है।
- इंसुलेशन रेजिस्टेंस टेस्ट: हाई-वोल्टेज मेगर (Megger) का उपयोग करके यह जांचा जाता है कि तारों का इंसुलेशन (Insulation) ठीक है।
- फंक्शनल टेस्ट: पैनल को अस्थाई सप्लाई देकर पुश बटन दबाकर, टाइमर सेट करके और इंटरलॉकिंग की जांच करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि पैनल डिज़ाइन के अनुसार काम कर रहा है।
सफल परीक्षण के बाद,
पैनल को उपयोग के लिए तैयार मान लिया जाता है।
पैनल वायरिंग का मुख्य कार्य इलेक्ट्रिकल पैनल (Electrical Control Panel) के अंदर सभी उपकरणों (components) को एक दूसरे से सुरक्षित, व्यवस्थित और क्रियात्मक (functional) तरीके से जोड़ना है ताकि वे एक विशिष्ट मशीन या प्रक्रिया को नियंत्रित (control) कर सकें।
पैनल वायरिंग के कार्य को दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है:
1. पावर वितरण (Power Distribution)
यह पैनल वायरिंग का प्राथमिक कार्य है।
- सप्लाई को बाँटना: पैनल के इनकमिंग (incoming) मुख्य पावर सप्लाई को सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker) और बस बार (Bus Bar) के माध्यम से पैनल के अंदर के विभिन्न उच्च-करंट वाले घटकों (जैसे कॉन्टैक्टर, VFD, हीटर) तक पहुँचाना।
- लोड चलाना: मुख्य रूप से, यह मोटर या अन्य हैवी लोड को सुरक्षित रूप से चालू (ON) और बंद (OFF) करने के लिए आवश्यक करंट की सप्लाई प्रदान करता है।
2. नियंत्रण और सुरक्षा (Control and Protection)
यह सुनिश्चित करना कि लोड (जैसे मोटर) सही समय पर और सुरक्षित रूप से चलें।
- ऑपरेशन को नियंत्रित करना: कंट्रोल वायरिंग (Control Wiring) का उपयोग करके पुश बटन, सेलेक्टर स्विच, टाइमर, और पीएलसी (PLC) जैसे नियंत्रण उपकरणों को जोड़ा जाता है। ये तार कॉन्टैक्टर की कॉइल को ऊर्जा देकर पावर सर्किट को नियंत्रित करते हैं।
- उदाहरण: स्टार्ट पुश बटन दबाने पर, कंट्रोल सर्किट कॉन्टैक्टर की कॉइल को सप्लाई देता है, जिससे कॉन्टैक्टर चालू होता है और मोटर को पावर मिल जाती है।
- इंटरलाकिंग (Interlocking): यह सुनिश्चित करना कि एक क्रिया होने पर दूसरी संबंधित क्रिया न हो। उदाहरण के लिए, फॉरवर्ड-रिवर्स स्टार्टर में, इंटरलॉकिंग वायरिंग यह सुनिश्चित करती है कि मोटर को रिवर्स करने वाला कॉन्टैक्टर तब तक चालू न हो, जब तक फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर पूरी तरह से बंद न हो जाए।
- सुरक्षा प्रदान करना: सर्किट ब्रेकर, फ्यूज और ओवरलोड रिले को इस तरह से जोड़ना कि वे शॉर्ट सर्किट और ओवरलोड की स्थिति में तुरंत सप्लाई काट दें, जिससे उपकरणों और ऑपरेटर की सुरक्षा हो सके।
- सूचना देना (Indication): इंडिकेटर लैंप, हॉर्न और मीटर को जोड़ना ताकि ऑपरेटर को मशीन की स्थिति (जैसे ON/OFF/Trip) की जानकारी मिल सके।
संक्षेप में,
पैनल वायरिंग वह तंत्रिका तंत्र (Nervous System) है जो पैनल के अंदर की सारी शक्ति (Power) और बुद्धि (Control Logic) को एक साथ जोड़कर मशीन को कुशलतापूर्वक संचालित करता है।
पैनल वायरिंग का मुख्य कार्य इलेक्ट्रिकल पैनल के अंदर के सभी घटकों (components) को एक सुरक्षित, व्यवस्थित, और कार्यात्मक तरीके से जोड़ना है ताकि वे एक विशिष्ट औद्योगिक मशीन या प्रक्रिया को नियंत्रित और सुरक्षित कर सकें।
इसे दो प्राथमिक कार्यों में बाँटा जा सकता है:
1. विद्युत शक्ति का वितरण (Power Distribution)
यह पैनल वायरिंग का मूलभूत कार्य है।
- सप्लाई वितरण: इनकमिंग मुख्य बिजली सप्लाई (Incoming Main Power Supply) को सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker), बस बार (Bus Bar) और फ़्यूज़ के माध्यम से पैनल के अंदर लगे उच्च-करंट वाले उपकरणों (जैसे कॉन्टैक्टर, VFD, या मोटर) तक पहुँचाना।
- लोड संचालन: यह मोटर, हीटर या अन्य बड़े लोड को चलाने के लिए आवश्यक उच्च करेंट को सुरक्षित रूप से ले जाने का मार्ग प्रदान करता है।
2. नियंत्रण और सुरक्षा (Control and Protection)
यह सुनिश्चित करना कि लोड सही समय पर चलें और सुरक्षित रहें।
- नियंत्रण तर्क (Control Logic): कंट्रोल वायरिंग का उपयोग करके पुश बटन, पीएलसी (PLC), रिले, और टाइमर जैसे नियंत्रण उपकरणों को जोड़ा जाता है। ये तार कॉन्टैक्टर की कॉइल को चालू/बंद करके पावर सर्किट को नियंत्रित करते हैं।
- उदाहरण: स्टार्ट बटन दबाने पर, कंट्रोल सर्किट कॉन्टैक्टर को सक्रिय करता है, जिससे मोटर को पावर मिलती है।
- इंटरलाकिंग (Interlocking): वायरिंग यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी असुरक्षित ऑपरेशन न हो। उदाहरण के लिए, फॉरवर्ड-रिवर्स स्टार्टर में, इंटरलाकिंग वायरिंग सुनिश्चित करती है कि मोटर को रिवर्स करने वाला कॉन्टैक्टर तब तक चालू न हो जब तक फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर पूरी तरह से बंद न हो जाए।
- प्रोटेक्शन (Protection): ओवरलोड रिले और सर्किट ब्रेकर को इस तरह से जोड़ना कि वे शॉर्ट सर्किट या ओवरलोड की स्थिति में तुरंत और स्वचालित रूप से (automatically) सप्लाई काट दें, जिससे उपकरण और मशीन सुरक्षित रहें।
- स्टेटस इंडिकेशन (Status Indication): इंडिकेटर लैंप और मीटर को जोड़ना ताकि ऑपरेटर पैनल या मशीन की वर्तमान स्थिति (जैसे चालू, बंद, या ट्रिप) को जान सके।
संक्षेप में,
पैनल वायरिंग वह जोड़ है जो बिजली की ताकत को बुद्धिमान नियंत्रण के साथ जोड़ता है।
पैनल वायरिंग (Panel Wiring) के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
पैनल वायरिंग का उपयोग बिजली वितरण और नियंत्रण के लिए किया जाता है, खासकर औद्योगिक और वाणिज्यिक सेटिंग्स में।
मुख्य उपयोग (Main Uses)
-
बिजली का सुरक्षित वितरण (Safe Power Distribution):
- पैनल वायरिंग मुख्य पावर फीड को कई शाखा सर्किट (branch circuits) में विभाजित करती है।
- यह वाणिज्यिक और औद्योगिक सुविधाओं में बिजली को सुरक्षित रूप से वितरित करने का प्राथमिक माध्यम है।
- ओवरलोड और शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा (Overload and Short Circuit Protection):
- प्रत्येक सर्किट में सर्किट ब्रेकर (circuit breaker) या फ्यूज़ (fuse) होता है जो ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट होने पर बिजली के प्रवाह को तुरंत रोक देता है, जिससे उपकरणों और तारों को नुकसान से बचाया जा सके और आग लगने का खतरा कम हो सके।
-
मोटर नियंत्रण (Motor Control):
- मोटर कंट्रोल सेंटर (MCC) पैनल मोटर को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिसमें उनकी स्टार्टिंग, स्टॉपिंग, सुरक्षा और गति नियंत्रण शामिल है।
- इन पैनलों में कॉन्टैक्टर (contactor), ओवरलोड रिले (overload relay) और अन्य नियंत्रण उपकरण होते हैं।
-
स्वचालित नियंत्रण प्रणाली (Automatic Control Systems):
- कंट्रोल पैनल (Control Panel) में वायरिंग का उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं, मशीनरी और उपकरणों के स्वचालित संचालन के लिए किया जाता है।
- इनमें पीएलसी (PLC - Programmable Logic Controller), रिले, टाइमर और अन्य नियंत्रण घटक शामिल हो सकते हैं।
- पावर फैक्टर सुधार (Power Factor Correction):
- स्वचालित पावर फैक्टर कंट्रोलर (APFC) पैनल का उपयोग बड़ी औद्योगिक सुविधाओं में पावर फैक्टर को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, जिससे बिजली की खपत कम हो और सिस्टम की दक्षता बढ़े।
- प्रकाश नियंत्रण (Lighting Control):
- विशेष लाइटिंग कंट्रोल पैनल (Lighting Control Panel) में सर्किट ब्रेकर सुरक्षा के साथ-साथ प्रकाश और रिसेप्टेकल लोड को नियंत्रित करने की क्षमता होती है।
- ऊर्जा निगरानी और मीटरिंग (Energy Monitoring and Metering):
- कुछ पैनलों में मॉनिटरिंग डिवाइस (monitoring devices) लगे होते हैं जो मुख्य इनकमिंग पावर और व्यक्तिगत शाखा सर्किट दोनों की बिजली खपत की निगरानी करते हैं, जिसका उपयोग बिलिंग या ऊर्जा प्रबंधन के लिए किया जाता है।
ट्री सिस्टम वायरिंग (Tree System Wiring), जिसे मुख्य वितरण विधि (Main Distribution System) भी कहा जाता है, एक प्रकार की विद्युत वायरिंग व्यवस्था है जिसका उपयोग मुख्य रूप से बहु-मंजिला इमारतों और बड़े परिसरों में किया जाता है।
इस सिस्टम में, बिजली का वितरण एक पेड़ की शाखाओं की तरह होता है।
ट्री सिस्टम वायरिंग की कार्यप्रणाली
ट्री सिस्टम वायरिंग की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
-
राइजिंग मेन (Rising Main):
- मुख्य स्विच या वितरण पैनल से, एक मुख्य ऊर्ध्वाधर फीडर (main vertical feeder) (जिसे राइजिंग मेन कहा जाता है) पूरे भवन में ऊपर की ओर चलाया जाता है।
- ये राइजिंग मेन अक्सर तांबे या एल्यूमीनियम की स्ट्रिप्स (बस बार ट्रंकिंग) के रूप में होते हैं और इमारत में भार के केंद्र (Centre of Load) के पास लगाए जाते हैं।
- उप-बोर्डों का कनेक्शन (Connection to Sub-Boards):
- प्रत्येक मंजिल पर, इस राइजिंग मेन से एक मुख्य उप-बोर्ड (Main Sub-Board) को बिना किसी ढीले जोड़ के, केबलों के माध्यम से जोड़ा जाता है।
-
सर्किटों का वितरण (Circuit Distribution):
- प्रत्येक मंजिल का उप-बोर्ड फिर उस मंजिल के विभिन्न सर्किटों (circuits) को बिजली वितरित करता है।
- ये सर्किट उप-बोर्ड से आगे के छोटे उप-सर्किटों में विभाजित हो सकते हैं।
इस प्रकार, पूरा सिस्टम एक पेड़ जैसा दिखता है जहाँ राइजिंग मेन 'तना' होता है, उप-बोर्ड 'मुख्य शाखाएँ' होती हैं, और व्यक्तिगत सर्किट 'छोटी शाखाएँ' होती हैं।
उपयोग और उपयुक्तता
- बहु-मंजिला इमारतें (Multi-Storey Buildings): यह विधि ऊँची इमारतों और अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि यह आसानी से प्रत्येक मंजिल को समान रूप से बिजली वितरित करने की अनुमति देती है।
- औद्योगिक और वाणिज्यिक परिसर (Industrial and Commercial Complexes): बड़े परिसर जहाँ बिजली की खपत अधिक होती है, वहाँ भी इसका उपयोग किया जाता है।
फायदे और नुकसान
वृक्ष प्रणाली वायरिंग (Tree System Wiring) के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
वृक्ष प्रणाली वायरिंग के लाभ (Benefits of Tree System Wiring)
वृक्ष प्रणाली वायरिंग, जो विशेष रूप से बहु-मंजिला इमारतों और बड़े परिसरों के लिए उपयुक्त है, कई फायदे प्रदान करती है:
1. आसान विस्तारण और वृद्धि (Easy Expansion and Growth)
- सरल विस्तार (Simple Expansion): इस प्रणाली में, भविष्य में किसी भी मंजिल पर नया सर्किट या लोड जोड़ना अपेक्षाकृत आसान होता है। नए सर्किट को बस मौजूदा उप-बोर्ड (Sub-Board) से टैप (Tap) किया जा सकता है।
2. कुशल भार वितरण (Efficient Load Distribution)
- लोड संतुलन (Load Balancing): राइजिंग मेन (Rising Main) को अक्सर कुल भार के केंद्र (Centre of Load) के पास लगाया जाता है, जिससे विभिन्न मंजिलों या वर्गों के बीच बिजली का भार संतुलित रहता है।
- कम वोल्टेज ड्रॉप (Less Voltage Drop): चूंकि बिजली मुख्य फीडर से सीधे हर मंजिल पर वितरित होती है, इसलिए लंबी शाखाओं वाली अन्य प्रणालियों की तुलना में वोल्टेज ड्रॉप कम होता है।
3. बेहतर नियंत्रण और सुरक्षा (Better Control and Safety)
- व्यक्तिगत नियंत्रण (Individual Control): प्रत्येक मंजिल पर एक स्वतंत्र उप-बोर्ड होने के कारण, उस मंजिल के पूरे वायरिंग सिस्टम को अलग से नियंत्रित (बिजली चालू या बंद) करना आसान होता है।
- कम जोड़ (Fewer Joints): मुख्य राइजिंग मेन में ढीले जोड़ों की संख्या कम होती है, जो शॉर्ट सर्किट और ओवरहीटिंग के जोखिम को कम करके सुरक्षा बढ़ाती है।
4. उपयुक्तता (Suitability)
- बहु-मंजिला इमारतों के लिए आदर्श: यह विशेष रूप से ऊँची इमारतों, अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स और बड़े औद्योगिक हॉल के लिए कुशल वितरण का सबसे उपयुक्त तरीका माना जाता है।
ट्री सिस्टम वायरिंग के नुकसान (Disadvantages of Tree System Wiring):
ट्री सिस्टम वायरिंग (Tree System Wiring), जिसे अक्सर वितरण बोर्ड से निकलने वाली समानांतर वायरिंग के रूप में समझा जाता है, के कई प्रमुख नुकसान हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अधिक तार की आवश्यकता (More Wire Required):
- इस सिस्टम में, प्रत्येक सर्किट मुख्य वितरण बोर्ड (Distribution Board) से शुरू होता है। इसके परिणामस्वरूप, घर के विभिन्न कमरों या स्थानों को जोड़ने के लिए अधिक तार (longer length of wire) की आवश्यकता होती है।
- महंगा (More Expensive):
- चूंकि इसमें अधिक तार लगता है और विभिन्न करंट क्षमताओं के लिए विभिन्न आकार के प्लग और स्विच की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए यह स्थापना और सामग्री (installation and material) की दृष्टि से अन्य प्रणालियों की तुलना में अधिक महंगा हो सकता है।
-
विफलता का व्यापक प्रभाव (Wider Impact of Component Failure):
- यदि सर्किट के किसी एक हिस्से (जैसे कि कोई फ्यूज) में दोष (fault) आता है या वह खराब हो जाता है, तो उस सर्किट पर जुड़े हुए सभी उपकरण (all appliances) या पूरी शाखा की बिजली आपूर्ति कट (disconnect) सकती है।
- यह रिंग सिस्टम जैसी अन्य प्रणालियों की तुलना में अधिक असुविधाजनक हो सकता है जहां विफलता का प्रभाव सीमित होता है।
- वोल्टेज ड्रॉप की समस्या (Voltage Drop Issues):
- लंबी दूरी पर या एक साथ कई उपकरण जुड़े होने पर, इस प्रणाली में वोल्टेज ड्रॉप (voltage drop) की समस्या हो सकती है, जिसका अर्थ है कि उपकरणों को उनकी पूरी क्षमता से काम करने के लिए पर्याप्त वोल्टेज नहीं मिल पाता।
वृक्ष प्रणाली वायरिंग (Tree System Wiring) की संरचना (Construction):
हाउस वायरिंग में, जब "ट्री सिस्टम" (Tree System) या जॉइंट बॉक्स सिस्टम (Joint Box System) की बात होती है, तो इसकी संरचना एक पेड़ की शाखाओं की तरह होती है जहाँ मुख्य आपूर्ति एक बिंदु से निकलकर विभिन्न दिशाओं में विभाजित होती जाती है।
इसकी मुख्य विशेषताएं और निर्माण निम्नलिखित हैं:
- मुख्य वितरण बिंदु (Main Distribution Point): वायरिंग की शुरुआत एक मुख्य वितरण बोर्ड (Distribution Board) से होती है।
- समानांतर कनेक्शन (Parallel Connection): घर के सभी उपकरण (बल्ब, पंखे, सॉकेट) समानांतर (Parallel) क्रम में जुड़े होते हैं। समानांतर कनेक्शन सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक उपकरण को समान वोल्टेज मिले और एक उपकरण के खराब होने पर भी बाकी उपकरण काम करते रहें।
- शाखाओं में विभाजन (Branching Out): मुख्य केबल से, विभिन्न कमरों या लोड पॉइंट्स (Load Points) के लिए कनेक्शन एक के बाद एक लिए जाते हैं। यह एक पेड़ के तने से शाखाओं के निकलने जैसा दिखता है।
- ज्वाइंट बॉक्स का उपयोग (Use of Joint Boxes): उपकरण तक पहुंचने के लिए, मुख्य तार को ज्वाइंट बॉक्स (Joint Boxes) के माध्यम से उपयुक्त कनेक्टर्स या जोड़ का उपयोग करके जोड़ा जाता है।
- प्रत्येक उपकरण के लिए अलग स्विच (Separate Switch for Each Appliance): यद्यपि सभी उपकरण समानांतर में जुड़े होते हैं, प्रत्येक उपकरण को व्यक्तिगत रूप से नियंत्रित करने के लिए एक अलग स्विच प्रदान किया जाता है।
यह प्रणाली आम तौर पर अस्थायी प्रतिष्ठानों (temporary installations) या छोटी आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त मानी जाती है क्योंकि इसमें कम केबल (Fewer Wires) की आवश्यकता होती है। हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, एक ही सर्किट में फ्यूज उड़ने पर सभी उपकरण बंद हो सकते हैं।
वृक्ष प्रणाली वायरिंग (Tree System Wiring) का कार्य:
वृक्ष प्रणाली वायरिंग, जिसे ज्वाइंट बॉक्स सिस्टम (Joint Box System) भी कहा जाता है, का प्राथमिक कार्य निम्नलिखित सिद्धांत पर आधारित है:
1. मुख्य कार्य सिद्धांत (Principle of Operation)
इस प्रणाली में, विद्युत धारा का प्रवाह एक मुख्य आपूर्ति बिंदु से शुरू होता है और एक समानांतर सर्किट (Parallel Circuit) के रूप में शाखाओं (branches) में विभाजित होता है, ठीक उसी तरह जैसे एक पेड़ की शाखाएँ तने से निकलती हैं।
- समानांतर कनेक्शन: घर के सभी उपकरण (बल्ब, पंखे, सॉकेट आदि) मुख्य लाइन से समानांतर क्रम (parallel) में जुड़े होते हैं।
- समान वोल्टेज: समानांतर वायरिंग का मुख्य कार्य सिद्धांत यह सुनिश्चित करना है कि सर्किट में जुड़े प्रत्येक उपकरण को आपूर्ति का पूरा वोल्टेज (full supply voltage) प्राप्त हो, जिससे वे अपनी अधिकतम क्षमता पर काम कर सकें।
- स्वतंत्र संचालन (Independent Operation): प्रत्येक उपकरण एक अलग स्विच (switch) के माध्यम से जुड़ा होता है, जिससे वे एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से (independently) कार्य कर सकें। यदि आप एक बल्ब बंद करते हैं, तो अन्य उपकरण काम करते रहेंगे।
- ज्वाइंट बॉक्स के माध्यम से वितरण: मुख्य आपूर्ति लाइन से प्रत्येक उपकरण या आउटलेट तक कनेक्शन देने के लिए ज्वाइंट बॉक्स (Joint Boxes) का उपयोग किया जाता है। ये बॉक्स मुख्य लाइन से टैपिंग (tapping) करके एक नई शाखा बनाते हैं।
2. विशिष्ट कार्य (Specific Functions)
- विद्युत वितरण (Electrical Distribution): यह सिस्टम घर या भवन के विभिन्न हिस्सों में बिजली को कुशलतापूर्वक वितरित करने का कार्य करता है।
- लोड अलगाव (Load Isolation): चूंकि प्रत्येक उपकरण समानांतर में जुड़ा होता है और अक्सर उसका अपना फ्यूज होता है, इसलिए यदि किसी एक उपकरण में कोई खराबी आती है, तो वह पूरे सर्किट को प्रभावित किए बिना अलग (isolate) हो जाता है। (हालांकि, यदि मुख्य सर्किट का फ्यूज उड़ जाता है, तो पूरी शाखा प्रभावित होती है, जैसा कि नुकसानों में बताया गया है)।
- अस्थायी स्थापना (Temporary Installation): इस प्रणाली का उपयोग अक्सर अस्थायी वायरिंग या छोटे-मोटे प्रतिष्ठानों के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें वायरिंग की लंबाई कम हो सकती है और यह कम जटिल होती है।
वृक्ष प्रणाली वायरिंग (Tree System Wiring) का मुख्य कार्य विद्युत आपूर्ति को मुख्य वितरण बोर्ड से विभिन्न लोड बिंदुओं तक समानांतर (Parallel) तरीके से वितरित करना है।
इसे ज्वाइंट बॉक्स सिस्टम (Joint Box System) के नाम से भी जाना जाता है।
इसके कार्य का सिद्धांत और प्रक्रिया निम्नलिखित है:
1. कार्य सिद्धांत (Principle of Operation)
- समानांतर संयोजन (Parallel Connection): यह प्रणाली समानांतर सर्किट के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसका अर्थ है कि घर के सभी उपकरण (बल्ब, पंखे, सॉकेट आदि) मुख्य आपूर्ति लाइन के बीच समानांतर क्रम में जुड़े होते हैं।
- समान वोल्टेज की आपूर्ति: इस संयोजन का प्राथमिक कार्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक उपकरण को आपूर्ति का पूर्ण और समान वोल्टेज प्राप्त हो, जिससे वे अपनी इष्टतम क्षमता पर कार्य कर सकें।
- स्वतंत्र नियंत्रण (Independent Control): चूंकि प्रत्येक उपकरण मुख्य लाइन से समानांतर में जुड़ा होता है और उसका अपना स्विच होता है, इसलिए वे एक-दूसरे के कार्य को प्रभावित किए बिना स्वतंत्र रूप से संचालित होते हैं।
2. कार्य प्रक्रिया (Working Process)
- मुख्य आपूर्ति का आरंभ: बिजली मुख्य वितरण बोर्ड (Distribution Board) से शुरू होती है।
- शाखाओं में वितरण (Branching Distribution): मुख्य केबल से, विभिन्न कमरों या लोड पॉइंट्स (Load Points) के लिए कनेक्शन एक के बाद एक शाखाओं में विभाजित होते जाते हैं। यह प्रक्रिया एक पेड़ के तने से शाखाओं के निकलने जैसा पैटर्न बनाती है।
- ज्वाइंट बॉक्स का उपयोग: लोड पॉइंट्स तक पहुंचने के लिए, मुख्य तार को ज्वाइंट बॉक्स के माध्यम से उपयुक्त कनेक्टर्स या जोड़ों का उपयोग करके टैप (Tap) किया जाता है।
- विद्युत प्रवाह का मार्ग: विद्युत धारा मुख्य तार से इन ज्वाइंट्स के माध्यम से निकलकर सीधे उपकरण तक पहुँचती है।
संक्षेप में,
वृक्ष प्रणाली वायरिंग का कार्य अस्थायी या सरल विद्युत प्रतिष्ठानों में वितरण बोर्ड से उपकरणों तक बिजली पहुंचाना है, जहां वायरिंग की न्यूनतम लंबाई की आवश्यकता होती है।
वृक्ष प्रणाली वायरिंग (Tree System Wiring) का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:
1. मुख्य उपयोग (Primary Uses)
- अस्थायी प्रतिष्ठान (Temporary Installations): इस प्रणाली का उपयोग अक्सर उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ वायरिंग की आवश्यकता कम समय के लिए होती है, जैसे मेलों, प्रदर्शनियों (Exhibitions), या निर्माण स्थलों (Construction Sites) पर अस्थायी बिजली की आपूर्ति के लिए।
- सरल और छोटे सर्किट (Simple and Small Circuits): इसका उपयोग छोटे घरों या कमरों में भी किया जा सकता है जहाँ लोड कम होता है और तारों की लंबाई अपेक्षाकृत कम होती है।
- बिजली का शुरुआती वितरण (Initial Distribution): बहु-मंजिला इमारतों में, मुख्य वितरण बोर्ड से हर मंजिल पर स्थित उप-मुख्य बोर्ड (Sub-main Boards) तक बिजली पहुंचाने के लिए इस प्रणाली (या इसके एक रूप, जिसे राइजिंग मेन्स भी कहते हैं) का उपयोग किया जाता है। मुख्य शाखा से उप-शाखाएँ (Sub-circuits) खींची जाती हैं।
2. विशिष्ट लाभ के कारण उपयोग
- कम केबल आवश्यकता (Reduced Cable Length): अस्थायी सेटअप में, यह प्रणाली कभी-कभी अन्य प्रणालियों की तुलना में कम केबल का उपयोग करके लोड पॉइंट्स तक पहुँच सकती है, जिससे प्रारंभिक लागत कम हो जाती है।
- ज्वाइंट बॉक्स की सुविधा: इस प्रणाली में तारों को जोड़ने के लिए ज्वाइंट बॉक्स (Joint Boxes) का उपयोग किया जाता है, जिससे कनेक्शन बनाना आसान हो जाता है (हालांकि, भविष्य में फॉल्ट ढूंढना कठिन हो जाता है)।
आजकल,
स्थायी घरेलू वायरिंग में रिंग सिस्टम (Ring System) या लूप-इन सिस्टम (Loop-in System) को अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और दोष-निवारण (Fault Rectification) में आसान होने के कारण अधिक पसंद किया जाता है। वृक्ष प्रणाली का उपयोग अब काफी सीमित हो गया है।
सिस्टम में लूप का निर्माण, जिसे आमतौर पर लूप-इन वायरिंग प्रणाली (Loop-in Wiring System) कहा जाता है, को निर्माण (Construction) की विधि के आधार पर समझा जाता है। यह आजकल घरेलू वायरिंग में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली प्रणाली है।
लूप का निर्माण एक-एक करके लोड पॉइंट (जैसे लाइट या पंखे) के माध्यम से तारों को घुमावदार (Looping) तरीके से ले जाकर किया जाता है। इस प्रक्रिया में, कोई ज्वाइंट या जोड़ नहीं लगाया जाता है।
लूप-इन प्रणाली में निर्माण की प्रक्रिया (Construction Process in Loop-in System)
- मुख्य केबल का प्रवेश:
- मुख्य आपूर्ति केबल (फेज़, न्यूट्रल और अर्थ) को सीधे पहले उपकरण बिंदु (जैसे छत पर स्थित एक बल्ब/पंखे का आउटलेट बॉक्स) तक लाया जाता है।
-
पहले लूप का निर्माण:
- पहले उपकरण बिंदु पर, केबल को काट दिया जाता है।
- न्यूट्रल (Neutral) तार को सीधे उपकरण (बल्ब होल्डर या पंखे) के टर्मिनल से जोड़ा जाता है।
- फेज़ (Phase) तार को उसी बॉक्स से नीचे की ओर स्विच बोर्ड तक लूप करके ले जाया जाता है। यह फेज़ तार स्विच के एक टर्मिनल से जुड़ता है।
- स्विच के दूसरे टर्मिनल से एक नया स्विच्ड फेज़ (Switched Phase) तार वापस ऊपर उपकरण बिंदु तक ले जाया जाता है और उपकरण के दूसरे टर्मिनल से जोड़ा जाता है।
-
श्रृंखला में लूपिंग (Looping in Series):
- पहले उपकरण बिंदु से, उसी केबल को (फेज़, न्यूट्रल और अर्थ सहित) अगले उपकरण बिंदु (जैसे दूसरा बल्ब या सॉकेट) तक लूप करके (घुमाकर) ले जाया जाता है।
- यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि उस सर्किट के सभी लोड पॉइंट्स (आमतौर पर एक सर्किट में अधिकतम 10 पॉइंट्स) कवर नहीं हो जाते।
- सर्किट की समाप्ति:
- अंतिम लोड पॉइंट पर, केबल आगे नहीं बढ़ाया जाता है, और सर्किट समाप्त हो जाता है।
मुख्य विशेषता (Key Feature):
इस प्रणाली का मुख्य कार्य है कि सभी कनेक्शन सीधे टर्मिनल (Terminal) या स्विच बॉक्स में किए जाते हैं, जिससे वायरिंग में ज्वाइंट (Joint) लगाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। ज्वाइंट न होने के कारण, यह प्रणाली वृक्ष प्रणाली की तुलना में अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित मानी जाती है।
वायरिंग सिस्टम में लूप (Loop) का मुख्य कार्य बिना किसी जोड़ या ज्वाइंट के एक ही सर्किट में विद्युत आपूर्ति को एक उपकरण बिंदु से दूसरे उपकरण बिंदु तक ले जाना है।
यह कार्य लूप-इन वायरिंग प्रणाली (Loop-in Wiring System) में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
लूप के मुख्य कार्य (Main Functions of the Loop)
- जोड़ों (Joints) को कम करना:
- लूपिंग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है तार के रास्ते में असुरक्षित और अस्थिर जोड़ों (Joints) की संख्या को कम करना या समाप्त करना। इससे वायरिंग की विश्वसनीयता और सुरक्षा बढ़ती है, क्योंकि ढीले जोड़ ओवरहीटिंग (Overheating) और आग का कारण बन सकते हैं।
- निरंतर विद्युत पथ प्रदान करना (Providing Continuous Electrical Path):
- लूपिंग सुनिश्चित करती है कि फेज़ (Phase) और न्यूट्रल (Neutral) चालक (Conductors) लगातार टर्मिनल के माध्यम से अगले बिंदु तक पहुँचते रहें, जिससे एक पूर्ण बंद पाथ (Closed Circuit) बनता है, जो विद्युत प्रवाह के लिए आवश्यक है।
- सर्किट को समानांतर में वितरित करना (Parallel Distribution):
- लूपिंग विधि समानांतर कनेक्शन (Parallel Connection) बनाने का एक सुरक्षित तरीका है, जिससे प्रत्येक उपकरण को मुख्य आपूर्ति का समान वोल्टेज प्राप्त होता है।
- दोष-निवारण (Fault Rectification) में आसानी:
- लूप-इन सिस्टम में, सभी कनेक्शन स्विच बोर्ड या उपकरण बॉक्स के टर्मिनलों पर किए जाते हैं। यदि कोई समस्या आती है, तो दोष वाले स्थान का पता लगाना (विशेष रूप से वृक्ष प्रणाली की तुलना में) आसान हो जाता है, जिससे रखरखाव में सुविधा होती है।
वायरिंग सिस्टम में लूप-इन (Loop-in) प्रणाली का कार्य मुख्य रूप से जोड़ों (joints) की संख्या को कम करना और वायरिंग को अधिक व्यवस्थित बनाना है। इसे आमतौर पर लाइटिंग सर्किट और अन्य उपकरणों के लिए उपयोग किया जाता है।
लूपिंग (Looping) का अर्थ होता है एक चालक (conductor) को एक बिंदु पर लाकर, उसे आगे के अगले बिंदु के लिए वहीं से जोड़कर (लूप बनाकर) बढ़ाना।
इसके मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- जोड़ों को कम करना: लूपिंग सिस्टम में, केबल को सीधे एक एक्सेसरी (जैसे स्विच या लैंप होल्डर) तक लाया जाता है, और फिर उसी टर्मिनल से एक और केबल अगले एक्सेसरी के लिए ले जाया जाता है। इस तरह, परिपथ में अलग से जंक्शन बॉक्स या टेप-जोड़ों (taped joints) की आवश्यकता कम हो जाती है। कम जोड़ होने से वायरिंग की विश्वसनीयता बढ़ती है और फॉल्ट (fault) की संभावना कम होती है।
- व्यक्तिगत नियंत्रण: यह प्रणाली उपकरणों को समानांतर में जोड़ती है ताकि प्रत्येक उपकरण को व्यक्तिगत रूप से नियंत्रित किया जा सके।
- व्यवस्थित वायरिंग: यह एक साफ-सुथरी (neat and tidy) और अधिक सुरक्षित वायरिंग प्रणाली प्रदान करती है, क्योंकि सभी जोड़ एक्सेसरीज़ के टर्मिनलों के अंदर सुरक्षित होते हैं।
- फेज और न्यूट्रल का वितरण: फेज (Phase) या लाइन चालक को आमतौर पर स्विचबोर्ड या स्विच बॉक्स पर लूप किया जाता है, जबकि न्यूट्रल (Neutral) को लैंप होल्डर या पंखे के आउटलेट से लूप किया जा सकता है।
लूप-इन (Loop-in) वायरिंग सिस्टम का उपयोग मुख्य रूप से बिजली के उपकरणों को एक ही सर्किट में व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से जोड़ने के लिए किया जाता है। यह वायरिंग का एक आधुनिक और पसंदीदा तरीका है, खासकर आवासीय और छोटे व्यावसायिक भवनों में।
इसके मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
लाइटिंग सर्किट (Lighting Circuits)
लूप-इन सिस्टम का सबसे आम उपयोग रोशनी के बिंदुओं (जैसे लैंप, बल्ब, ट्यूबलाइट) की वायरिंग में होता है।
- लैंप और पंखे: इस प्रणाली में, फेज (Phase) और न्यूट्रल (Neutral) वायर को सीधे लैंप होल्डर या सीलिंग रोज़ (Ceiling Rose/Fan Point) तक लाया जाता है। फिर, उसी लैंप होल्डर के टर्मिनल से एक और वायर अगले लैंप होल्डर के लिए लूप कर दिया जाता है।
- स्विच नियंत्रण: फेज वायर को पहले स्विच तक लाया जाता है और वहीं से लूप करके अगले स्विच तक ले जाया जाता है। इस प्रकार, एक ही मुख्य आपूर्ति से पूरे लाइटिंग सर्किट के स्विचों को सप्लाई मिलती रहती है।
स्विच और सॉकेट आउटलेट (Switches and Socket Outlets)
हालांकि जंक्शन बॉक्स (Junction Box) प्रणाली का उपयोग भी किया जाता है, लेकिन लूप-इन विधि का उपयोग स्विच और सॉकेट में भी होता है ताकि:
- मुख्य आपूर्ति को वितरित करना: मेन सप्लाई को एक स्विच या सॉकेट के टर्मिनल तक लाया जाता है, और फिर उसी टर्मिनल से तार को लूप करके अगले स्विच या सॉकेट तक ले जाया जाता है।
- जोड़ों को हटाना: इस विधि से जंक्शन बॉक्स में होने वाले खुले तारों के जोड़ (loose wire joints) से बचा जा सकता है, जिससे कनेक्शन सीधे एक्सेसरीज़ के टर्मिनल में सुरक्षित हो जाते हैं।
लूप-इन वायरिंग के लाभ (Advantages)
लूप-इन सिस्टम का चुनाव इसके कई फायदों के कारण किया जाता है:
- कम जोड़ (Fewer Joints): यह जंक्शन बॉक्स की आवश्यकता को कम करता है, जिसका अर्थ है कि वायरिंग में जोड़ कम होते हैं। कम जोड़ होने से वायरिंग की विश्वसनीयता (reliability) बढ़ती है और जोड़ खराब होने के कारण फॉल्ट आने की संभावना कम होती है।
- फॉल्ट को पहचानना आसान: चूंकि अधिकांश जोड़ एक्सेसरीज़ (जैसे स्विच या लैंप होल्डर) के कवर के अंदर होते हैं, इसलिए फॉल्ट होने पर इसे ढूंढना और ठीक करना आसान होता है।
- तारों की बचत (Wire Economy): विशेष रूप से लाइटिंग सर्किट में, यह विधि कुछ हद तक तारों की बचत करती है क्योंकि प्रत्येक एक्सेसरी को अलग से कनेक्शन देने की बजाय, एक के बाद एक लूप करके सप्लाई दी जाती है।
- बेहतर सौंदर्य (Better Aesthetics): चूंकि इसमें जंक्शन बॉक्स दीवारों पर दिखाई नहीं देते (जब तक कि कंसील्ड वायरिंग न हो), यह अधिक साफ़ और सौंदर्यपूर्ण लुक देता है।
रिंग मेन वायरिंग (Ring Main Wiring) सिस्टम, जिसे रिंग सर्किट (Ring Circuit) भी कहा जाता है, एक प्रकार की घरेलू बिजली वायरिंग व्यवस्था है जिसमें सर्किट के तार बिजली के बोर्ड (जैसे कंज्यूमर यूनिट या डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड) से शुरू होकर सभी आउटलेट (जैसे सॉकेट) से गुजरते हैं और फिर वापस उसी बोर्ड में आकर एक बंद लूप या रिंग बनाते हैं।
यह प्रणाली मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (UK) और कुछ अन्य देशों में 13 एम्पीयर (Ampere) सॉकेट आउटलेट के लिए उपयोग की जाती है।
रिंग मेन वायरिंग की कार्यप्रणाली बंद लूप (Closed Loop): सर्किट का फेज (Phase), न्यूट्रल (Neutral) और अर्थ (Earth) वायर डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB) के एक टर्मिनल से निकलता है, सभी सॉकेट्स को सप्लाई देता है, और फिर वापस उसी DB टर्मिनल पर आकर जुड़ जाता है। यह एक बंद रिंग या लूप बनाता है।
करंट का विभाजन (Current Division): चूँकि सॉकेट को सप्लाई दोनों दिशाओं (रिंग के दोनों सिरों) से मिलती है, करंट रिंग के दोनों रास्तों में विभाजित हो जाता है।
तार का आकार: करंट विभाजित होने के कारण, रिंग सर्किट में रेडियल सर्किट की तुलना में पतले तार (आमतौर पर 2.5 {mm}^2 तांबे का तार) का उपयोग किया जा सकता है, जबकि इसे एक बड़े फ्यूज या सर्किट ब्रेकर (आमतौर पर 32A) द्वारा संरक्षित किया जाता है।
रिंग मेन वायरिंग के फायदे उच्च विश्वसनीयता (High Reliability): यदि रिंग के किसी एक भाग में फॉल्ट आता है या कनेक्शन टूट जाता है, तो भी शेष रिंग दूसरे रास्ते से बिजली प्राप्त करता रहता है, जिससे आपूर्ति बाधित नहीं होती।
कम वोल्टेज ड्रॉप (Less Voltage Drop): चूँकि करंट दोनों दिशाओं से बहता है, तार में प्रभावी रूप से करंट कम हो जाता है। इससे वोल्टेज ड्रॉप कम होता है, खासकर सर्किट के अंतिम छोर पर।
तार की बचत (Wire Economy): यह प्रणाली एक ही बड़े रेडियल सर्किट की तुलना में कम तार का उपयोग करके एक बड़े क्षेत्र को कवर करने की अनुमति देती है।
अधिक लोड क्षमता (Higher Load Capacity): 32A के ब्रेकर के साथ, यह एक ही सर्किट पर बड़ी संख्या में सॉकेट्स को उच्च लोड क्षमता के साथ सुरक्षित रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।
रिंग मेन वायरिंग के नुकसान फॉल्ट को ढूंढना कठिन: यदि रिंग में कहीं तार टूट गया है और सर्किट अभी भी दूसरे रास्ते से काम कर रहा है, तो उस टूटे हुए हिस्से (ओपन फॉल्ट) को ढूंढना मुश्किल हो सकता है।
ज्यादा टेस्टिंग: इंस्टॉलेशन के समय यह सुनिश्चित करने के लिए कि रिंग पूरी तरह से बंद है और सही ढंग से काम कर रहा है, अधिक विस्तृत और जटिल टेस्टिंग की आवश्यकता होती है।
अनावश्यक लोड: यदि कोई इलेक्ट्रीशियन गलती से एक ही सॉकेट से दो लूप को अलग-अलग सर्किट के लिए फीड कर देता है, तो एक सर्किट पर अनावश्यक ओवरलोड हो सकता है।
रिंग मेन वायरिंग (Ring Main Wiring) का निर्माण, जिसे आमतौर पर रिंग सर्किट कहा जाता है, एक विशिष्ट तरीका है जिसका उपयोग सॉकेट आउटलेट को बिजली की आपूर्ति करने के लिए किया जाता है।
रिंग मेन वायरिंग को कैसे बनाया जाता है, इसके चरण निम्नलिखित हैं:
रिंग मेन वायरिंग का निर्माण (Construction of Ring Main Wiring)
रिंग मेन वायरिंग एक बंद लूप (Closed Loop) बनाकर तैयार की जाती है। इसमें सभी सॉकेट आउटलेट को एक ही केबल के दोनों सिरों से आपूर्ति मिलती है।
1. केबल बिछाना (Laying the Cable)
- शुरुआत और अंत: एक एकल केबल (जिसमें फेज, न्यूट्रल और अर्थ तार शामिल होते हैं) डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB) या कंज्यूमर यूनिट के एक टर्मिनल से शुरू होती है।
- सॉकेट आउटलेट: यह केबल घर या कमरे के उस क्षेत्र में बिछाई जाती है जहाँ सॉकेट आउटलेट की आवश्यकता होती है। यह क्रमिक रूप से सभी सॉकेट आउटलेट बॉक्स से होकर गुजरती है।
- लूप पूरा करना: सभी सॉकेट आउटलेट को कवर करने के बाद, केबल का अंतिम सिरा वापस उसी डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB) टर्मिनल पर लाया जाता है, जहाँ से यह शुरू हुई थी।
- परिणाम: इस तरह, फेज तार, न्यूट्रल तार और अर्थ तार के लिए एक बंद लूप बन जाता है।
2. कनेक्शन करना (Making Connections)
डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB):
- फेज (Phase) तार: केबल के दोनों फेज सिरों को एक ही सर्किट ब्रेकर (MCB) (आमतौर पर 32A) के टर्मिनल में जोड़ा जाता है।
- न्यूट्रल (Neutral) तार: केबल के दोनों न्यूट्रल सिरों को DB के न्यूट्रल बस बार में जोड़ा जाता है।
- अर्थ (Earth) तार: केबल के दोनों अर्थ सिरों को DB के अर्थ बस बार में जोड़ा जाता है।
सॉकेट आउटलेट:
प्रत्येक सॉकेट आउटलेट बॉक्स में, आने वाली (In-going) और जाने वाली (Out-going) दोनों केबलों के तारों को एक साथ जोड़कर एक छोटा तार (Pig-tail) निकाला जाता है।
इस छोटे तार को सॉकेट के संबंधित टर्मिनल (फेज टू फेज, न्यूट्रल टू न्यूट्रल, अर्थ टू अर्थ) से जोड़ा जाता है।
आजकल कई सॉकेट ऐसे होते हैं जिनमें दोहरी टर्मिनल क्षमता होती है, जहाँ दोनों सिरों को सीधे सॉकेट के टर्मिनल में जोड़ा जा सकता है, जिससे जोड़ (Pig-tail) बनाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
3. सुरक्षा उपकरण (Safety Devices) यह सुनिश्चित किया जाता है कि रिंग सर्किट को 32 एम्पीयर के उपयुक्त मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (MCB) या फ्यूज द्वारा सुरक्षित किया गया है। यह उच्च क्षमता सर्किट को ओवरलोड से बचाती है।
4. तार का आकार (Wire Size) रिंग मेन सर्किट के लिए आमतौर पर 2.5 {mm}^2 कॉपर केबल का उपयोग किया जाता है। चूंकि करंट दो रास्तों से विभाजित होता है, यह पतला तार 32A ब्रेकर के तहत सुरक्षित रूप से काम कर सकता है।
मुख्य सिद्धांत (Key Principle)
रिंग मेन वायरिंग का मूलभूत सिद्धांत यह है कि प्रत्येक सॉकेट आउटलेट को डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड से दो अलग-अलग रास्तों से बिजली मिलती है। यह बिजली के लोड को दो केबल सेक्शन में विभाजित कर देता है, जिससे ओवरहीटिंग का खतरा कम हो जाता है और सुरक्षा बढ़ जाती है।
रिंग मेन वायरिंग (Ring Main Wiring) का मुख्य कार्य सॉकेट आउटलेट को बिजली की आपूर्ति करने के लिए एक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल प्रणाली प्रदान करना है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ उच्च बिजली की मांग हो सकती है।
यह प्रणाली अपने बंद लूप (Closed Loop) डिजाइन के कारण कई महत्वपूर्ण कार्य करती है:
रिंग मेन वायरिंग के मुख्य कार्य
1. करंट को विभाजित करना (Current Division) रिंग सर्किट का प्राथमिक कार्य सर्किट में बहने वाले करंट को दो रास्तों में विभाजित करना है। चूँकि फेज, न्यूट्रल और अर्थ के तार डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB) से शुरू होकर सभी सॉकेट्स से गुजरते हुए वापस उसी DB में समाप्त होते हैं, प्रत्येक सॉकेट को दोनों दिशाओं से बिजली मिलती है।
यह विभाजन लोड करंट को दो केबल सेक्शन में बाँट देता है, जिससे प्रत्येक तार को कम करंट वहन करना पड़ता है।
उदाहरण: यदि सर्किट से कुल 30 {A} करंट बह रहा है, तो सैद्धांतिक रूप से प्रत्येक दिशा में 15 {A} करंट बहेगा।
2. ओवरलोडिंग से बचाव और तार की बचत करंट के विभाजन के कारण,
यह प्रणाली निम्नलिखित दो महत्वपूर्ण कार्य एक साथ करती है:
उच्च लोड क्षमता: यह 32 {A} के सर्किट ब्रेकर के तहत 2.5 {mm}^2 जैसे अपेक्षाकृत पतले तार का उपयोग करने की अनुमति देता है। यदि यह एक रेडियल सर्किट होता, तो इतने उच्च लोड के लिए 4 {mm}^2 या इससे अधिक मोटे तार की आवश्यकता होती।
ओवरहीटिंग की रोकथाम: चूंकि तार पर भार कम होता है, इसलिए केबल के ओवरहीट होने और क्षतिग्रस्त होने का खतरा कम हो जाता है, जिससे सर्किट अधिक सुरक्षित बनता है।
3. विश्वसनीयता बढ़ाना (Increased Reliability) रिंग मेन सर्किट फॉल्ट की स्थिति में आपूर्ति को बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करता है:
यदि रिंग के किसी एक हिस्से में तार टूट जाता है (Open Fault), तो सर्किट का दूसरा सिरा लोड को बिजली की आपूर्ति जारी रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित न हो, जिससे सिस्टम की विश्वसनीयता (Reliability) रेडियल सर्किट की तुलना में काफी बढ़ जाती है।
4. वोल्टेज ड्रॉप को कम करना (Minimizing Voltage Drop) चूँकि करंट दो रास्तों से बहता है, तार की प्रभावी लंबाई (Effective Length) कम हो जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि सर्किट के सबसे दूर के बिंदु पर भी वोल्टेज ड्रॉप (Voltage Drop) कम से कम हो, जिससे उपकरणों को स्थिर वोल्टेज मिल सके।
रिंग मेन वायरिंग (Ring Main Wiring) का मुख्य कार्य सॉकेट आउटलेट को बिजली की आपूर्ति करने के लिए एक सुरक्षित और कुशल प्रणाली प्रदान करना है, जिससे सर्किट की विश्वसनीयता और लोड क्षमता बढ़ जाती है।
यह प्रणाली अपने बंद लूप (Closed Loop) डिजाइन के कारण कई महत्वपूर्ण कार्य करती है:
रिंग मेन वायरिंग के मुख्य कार्य
1. करंट को विभाजित करना (Current Division) रिंग सर्किट का प्राथमिक कार्य सर्किट में बहने वाले करंट को दो रास्तों में विभाजित करना है। चूँकि फेज, न्यूट्रल और अर्थ के तार डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (DB) से शुरू होकर सभी सॉकेट्स से गुजरते हुए वापस उसी DB में समाप्त होते हैं, प्रत्येक सॉकेट को दोनों दिशाओं से बिजली मिलती है।
इस विभाजन के कारण, किसी भी बिंदु पर बहने वाला कुल करंट दो केबल सेक्शन में बँट जाता है।
परिणाम: यह 32{A} के सर्किट ब्रेकर के तहत 2.5 {mm}^2 जैसे अपेक्षाकृत पतले तार का उपयोग करने की अनुमति देता है, जिससे तार की बचत होती है और ओवरहीटिंग का खतरा कम हो जाता है।
2. विश्वसनीयता बढ़ाना (Increased Reliability) रिंग मेन सर्किट फॉल्ट की स्थिति में भी आपूर्ति को बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करता है:
यदि रिंग के किसी एक हिस्से में तार टूट जाता है (Open Fault), तो सर्किट का दूसरा सिरा लोड को बिजली की आपूर्ति जारी रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित न हो, जिससे सिस्टम की विश्वसनीयता (Reliability) रेडियल सर्किट की तुलना में काफी बढ़ जाती है।
3. वोल्टेज ड्रॉप को कम करना (Minimizing Voltage Drop) चूँकि करंट दो रास्तों से बहता है, तार की प्रभावी लंबाई (Effective Length) कम हो जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि सर्किट के सबसे दूर के बिंदु पर भी वोल्टेज ड्रॉप (Voltage Drop) कम से कम हो, जिससे जुड़े हुए उपकरणों को अधिक स्थिर वोल्टेज मिल सके।
संक्षेप में, रिंग मेन वायरिंग का उद्देश्य सुरक्षा और कम वोल्टेज ड्रॉप बनाए रखते हुए एक ही सर्किट से अधिक संख्या में सॉकेट आउटलेट को कुशल तरीके से बिजली प्रदान करना है।
रिंग मेन वायरिंग (Ring Main Wiring) का उपयोग मुख्य रूप से आवासीय और छोटे व्यावसायिक भवनों में पावर सॉकेट आउटलेट को जोड़ने के लिए किया जाता है।
यह प्रणाली उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है जहाँ एक ही सर्किट से कई सॉकेट को उच्च बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
रिंग मेन वायरिंग के उपयोग के क्षेत्र रिंग मेन वायरिंग का सबसे विशिष्ट और प्राथमिक उपयोग निम्नलिखित है:
1. सॉकेट आउटलेट सर्किट (Socket Outlet Circuits) यह वायरिंग प्रणाली 13 एम्पीयर (Ampere) के प्लग और सॉकेट को बिजली की आपूर्ति करने के लिए मानक (Standard) मानी जाती है,
खासकर यूनाइटेड किंगडम (UK) जैसे देशों में।
उद्देश्य: यह एक कमरे या घर के एक विशिष्ट क्षेत्र में कई पावर सॉकेट को एक साथ जोड़ता है।
उदाहरण: लिविंग रूम, बेडरूम, रसोई और गैरेज में बिजली के उपकरण (जैसे वैक्यूम क्लीनर, टोस्टर, लैंप, टीवी, हीटर) चलाने के लिए सॉकेट को पावर देना।
2. उच्च लोड का वितरण (Distribution of High Load) रिंग सर्किट एक ही 32 {A} सर्किट ब्रेकर द्वारा संरक्षित होने के बावजूद, रेडियल सर्किट की तुलना में अधिक लोड को सुरक्षित रूप से संभालने की अनुमति देता है।
उपयोगिता: यह उन क्षेत्रों में उपयोगी है जहाँ कई हाई-पॉवर उपकरण (जैसे हीटर या केटल) एक ही समय में उपयोग किए जा सकते हैं।
उपयोग के मुख्य कारण (फायदे) रिंग मेन वायरिंग का उपयोग निम्नलिखित फायदों के कारण किया जाता है:
उच्च सुरक्षा और विश्वसनीयता: चूँकि बिजली की आपूर्ति दो रास्तों से होती है, यदि तार के एक भाग में फॉल्ट आता है या तार टूट जाता है, तो भी बिजली की आपूर्ति दूसरे रास्ते से जारी रहती है, जिससे विश्वसनीयता बनी रहती है।
तारों की बचत: यह 32 {A} के सर्किट को 2.5 {mm}^2 जैसे पतले तार से चलाने की अनुमति देता है (जबकि रेडियल सर्किट में 4 {mm}^2 तार की आवश्यकता हो सकती है), जिससे कॉपर (Copper) की लागत कम आती है।
कम वोल्टेज ड्रॉप: दोहरी आपूर्ति पथ के कारण सर्किट में प्रभावी प्रतिरोध कम हो जाता है, जिससे सॉकेट पर वोल्टेज ड्रॉप कम होता है।
बसबार ट्रंकिंग वायरिंग (Busbar Trunking Wiring) सिस्टम, जिसे बसडक्ट (Bus Duct) के नाम से भी जाना जाता है, एक आधुनिक और कुशल तरीका है जिसका उपयोग बड़ी इमारतों और औद्योगिक सेटअपों में विद्युत शक्ति को वितरित (Distribute) करने के लिए किया जाता है।
यह केबल और वायरिंग के पारंपरिक तरीके का एक मजबूत विकल्प है, खासकर जब उच्च करंट की आवश्यकता होती है या जब लेआउट में बार-बार बदलाव होने की संभावना होती है।
बसबार ट्रंकिंग क्या है? (What is Busbar Trunking?)
बसबार ट्रंकिंग सिस्टम धातु के खोल (Enclosure) के अंदर रखे गए बसबारों (Busbars) का एक समूह होता है। बसबार आमतौर पर कॉपर (Copper) या एल्युमीनियम (Aluminium) से बनी मोटी, आयताकार पट्टियाँ होती हैं जो उच्च विद्युत चालकता प्रदान करती हैं।
यह प्रणाली मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है: सैंडविच बसट्रंकिंग (Sandwich Busbar Trunking):
इसमें बसबार को एक-दूसरे के बहुत करीब, इन्सुलेटेड सामग्री के साथ कसकर दबाया जाता है। यह उच्च करंट वहन करने की क्षमता और कम जगह घेरने के लिए जाना जाता है।
एयर-इंसुलेटेड बसट्रंकिंग (Air-Insulated Busbar Trunking): इसमें बसबारों के बीच इन्सुलेशन के रूप में हवा का उपयोग किया जाता है।
कार्य और उपयोग (Function and Usage) बसबार ट्रंकिंग सिस्टम का मुख्य कार्य और उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. उच्च करंट का वितरण (High Current Distribution) कार्य: यह प्रणाली मुख्य ट्रांसफार्मर (Transformer) या मुख्य स्विचगियर से बड़ी मात्रा में विद्युत शक्ति (आमतौर पर 630 {A} से 6600 {A} या उससे अधिक) को विभिन्न वितरण पैनलों (Distribution Panels) या लोड सेंटर तक कुशलतापूर्वक ले जाती है।
उपयोग: बड़े उद्योगों, कारखानों, शॉपिंग मॉल, डेटा सेंटर, ऊँची इमारतों (Rising Mains), और बड़े सार्वजनिक भवनों में मुख्य बिजली वितरण के लिए।
2. लचीला बिजली वितरण (Flexible Power Distribution) कार्य: बसबार ट्रंकिंग में नियमित अंतराल पर प्लग्-इन पॉइंट्स (Plug-in Points) होते हैं। ये पॉइंट्स ऑपरेटर को सिस्टम को बंद किए बिना या न्यूनतम डाउनटाइम के साथ बिजली के टैप-ऑफ बॉक्स (Tap-off Boxes) को जोड़कर आसानी से कहीं भी बिजली निकालने की अनुमति देते हैं।
उपयोग: विनिर्माण इकाइयों या असेंबली लाइनों में जहाँ मशीनों के लेआउट को बार-बार बदलने की आवश्यकता होती है।
3. ऊँची इमारतों में ऊर्ध्वाधर आपूर्ति (Vertical Supply in High-Rise Buildings) कार्य: इसे राइजिंग मेन (Rising Main) के रूप में भी जाना जाता है। यह बिजली को भवन के निचले स्तर से ऊपरी मंजिलों पर स्थित वितरण बोर्ड तक ऊर्ध्वाधर (Vertical) रूप से ले जाता है।
उपयोग: बहुमंजिला इमारतों, होटलों और अस्पतालों में प्रत्येक मंजिल को बिजली देने के लिए।
बसबार ट्रंकिंग के लाभ (Advantages) सरल और तेज स्थापना (Easy Installation): यह पूर्वनिर्मित (Pre-fabricated) मॉड्यूल होता है जिसे साइट पर जल्दी से जोड़ा जा सकता है, जिससे इंस्टॉलेशन का समय कम हो जाता है।
केबल की बचत: यह बड़ी, भारी केबलों के जटिल जाल की आवश्यकता को समाप्त करता है।
कम जगह: केबलों की तुलना में बसबार ट्रंकिंग कम जगह घेरता है।
बेहतर प्रदर्शन: इसमें वोल्टेज ड्रॉप (Voltage Drop) कम होता है और शॉर्ट सर्किट को सहन करने की क्षमता (Short Circuit Withstand Capacity) अधिक होती है।
ऊर्जा दक्षता: केबल की तुलना में बसबार ट्रंकिंग में प्रतिबाधा (Impedance) कम होती है, जिससे बिजली वितरण के दौरान ऊर्जा की हानि (Energy Loss) कम होती है।
पुन:उपयोग और विस्तार (Reusability): इसे आसानी से खोला, बदला या नए अनुभाग जोड़कर बढ़ाया जा सकता है, जिससे भविष्य में विस्तार या लेआउट परिवर्तन आसान हो जाता है।
बसबार ट्रंकिंग वायरिंग (Busbar Trunking Wiring) सिस्टम, जिसे बसडक्ट (Bus Duct) भी कहते हैं, का निर्माण पारंपरिक केबल वायरिंग से काफी अलग होता है। यह एक मॉड्यूलर और पूर्वनिर्मित (pre-fabricated) प्रणाली है जिसे उच्च करंट वहन करने और लचीलापन (flexibility) प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बसबार ट्रंकिंग का निर्माण मुख्य रूप से तीन चरणों में होता है: घटकों का निर्माण, साइट पर स्थापना और कनेक्शन।
1. बसबार ट्रंकिंग घटकों का निर्माण (Manufacturing Components)
बसबार ट्रंकिंग सिस्टम को अलग-अलग सेक्शन में फैक्ट्री में निर्मित किया जाता है:
a. बसबार (Busbars)
- सामग्री: बसबार्स आमतौर पर उच्च चालकता वाले तांबे (Copper) या एल्युमीनियम (Aluminium) की मोटी, सपाट पट्टियाँ होती हैं।
- इंसुलेशन: प्रत्येक फेज और न्यूट्रल बसबार को एक-दूसरे से और बाहरी खोल से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें इंसुलेटेड सामग्री (जैसे मायलर, एपॉक्सी राल, या सैंडविच निर्माण में कॉम्पैक्ट एयर गैप) से कवर किया जाता है।
-
प्रकार:
- सैंडविच टाइप: बसबारों को इंसुलेशन के साथ कसकर एक-दूसरे के ऊपर सैंडविच किया जाता है। यह कॉम्पैक्ट डिजाइन उच्च शॉर्ट-सर्किट सहनशीलता देता है।
- एयर-इंसुलेटेड टाइप: बसबारों को धातु के खोल के अंदर सपोर्ट दिया जाता है, जिसमें हवा मुख्य इंसुलेटर के रूप में कार्य करती है।
b. ट्रंकिंग खोल (Trunking Enclosure)
- बसबारों को एक मजबूत और टिकाऊ धातु के खोल (Sheet Metal Enclosure) के अंदर रखा जाता है, जो आमतौर पर जस्ती स्टील (Galvanized Steel) या एल्युमीनियम का बना होता है। यह खोल यांत्रिक सुरक्षा और अतिरिक्त अर्थिंग (earthing) प्रदान करता है।
- बसबारों को आंतरिक रूप से सपोर्ट पैड या ब्रैकेट पर फिक्स किया जाता है ताकि वे शॉर्ट सर्किट की स्थिति में अपनी जगह पर बने रहें।
c. मॉड्यूलर खंड और फिटिंग (Modular Sections and Fittings)
पूरे सिस्टम को विभिन्न लंबाई के मानकीकृत खंडों (Standardised Sections) और फिटिंग का उपयोग करके डिज़ाइन किया जाता है:
- स्ट्रेट सेक्शन (Straight Sections): लंबी दूरी तक बिजली ले जाने के लिए।
- कोने/मोड़ (Elbows/Bends): लेआउट की दिशा बदलने के लिए (जैसे 90-डिग्री मोड़)।
- टी-कनेक्टर (Tee-Connectors) और जंक्शन बॉक्स (Junction Boxes): सर्किट को विभाजित करने या शाखाएँ (branches) निकालने के लिए।
- एक्सपेंशन जॉइंट्स (Expansion Joints): तापमान परिवर्तन के कारण होने वाले थर्मल विस्तार (Thermal Expansion) को समायोजित करने के लिए।
2. साइट पर स्थापना और संयोजन (On-Site Installation and Assembly)
बसबार ट्रंकिंग को पूर्वनिर्मित होने के कारण, साइट पर इसकी स्थापना बहुत तेज होती है:
a. जोड़ना (Joining)
- बसबार ट्रंकिंग के अलग-अलग खंडों को बोल्ट वाले जोड़ों (Bolted Joints) या विशेष कपलर (Couplers) का उपयोग करके जोड़ा जाता है।
- जोड़ते समय, यह सुनिश्चित किया जाता है कि बसबार आपस में कसकर जुड़ें ताकि कम प्रतिरोध (Low Resistance) और कोई हीट जनरेशन न हो।
b. प्लग-इन पॉइंट्स (Plug-in Points)
- ट्रंकिंग में नियमित अंतराल पर प्लग-इन ओपनिंग (openings) प्रदान किए जाते हैं।
- इन ओपनिंग्स में टैप-ऑफ बॉक्स (Tap-off Boxes) को आसानी से लगाया जा सकता है, जिससे मुख्य बसबार से बिजली की शाखा (branch) निकाली जा सके।
- टैप-ऑफ बॉक्स में फ्यूज या सर्किट ब्रेकर लगे होते हैं जो अलग-अलग लोड को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
c. राइजिंग मेन (Rising Mains)
- ऊँची इमारतों में ऊर्ध्वाधर स्थापना के लिए, बसबार ट्रंकिंग को फर्श के छेदों (Floor Openings) के माध्यम से स्थापित किया जाता है और आग के फैलाव को रोकने के लिए फायर बैरियर (Fire Barriers) का उपयोग किया जाता है।
3. सुरक्षा और परीक्षण (Safety and Testing)
- निर्माण और स्थापना के बाद, पूरे बसबार ट्रंकिंग सिस्टम की कंटिन्यूटी (Continuity) और इंसुलेशन प्रतिरोध (Insulation Resistance) का परीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सिस्टम सुरक्षित है और शॉर्ट सर्किट या अर्थ फॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है।
- इसकी मज़बूत धातु बॉडी अर्थिंग (Earthing) के लिए एक निरंतर मार्ग प्रदान करती है, जो सुरक्षा को बढ़ाती है।
बसबार ट्रंकिंग वायरिंग (Busbar Trunking Wiring), जिसे बसडक्ट भी कहते हैं, का मुख्य कार्य बड़े औद्योगिक, वाणिज्यिक और बहुमंजिला भवनों में उच्च विद्युत शक्ति को सुरक्षित और लचीले ढंग से वितरित (distribute) करना है। यह प्रणाली पारंपरिक केबल और वायर हार्नेस की तुलना में अधिक कुशल और मॉड्यूलर तरीके से बिजली ले जाती है।
बसबार ट्रंकिंग के प्रमुख कार्य बसबार ट्रंकिंग सिस्टम निम्नलिखित तीन प्रमुख कार्य करता है:
1. उच्च करंट का वहन और वितरण (High Current Carriage and Distribution) यह प्रणाली मुख्य ट्रांसफार्मर या स्विचगियर से उच्च एम्पीयर (630 {A} से 6600 {A} तक) बिजली को विभिन्न लोड केंद्रों तक ले जाने का प्राथमिक कार्य करती है।
कुशलता (Efficiency): कॉपर या एल्युमीनियम बसबारों का बड़ा, आयताकार क्रॉस-सेक्शन क्षेत्र, केबलों की तुलना में कम प्रतिरोध प्रदान करता है, जिससे बिजली के ट्रांसमिशन में ऊर्जा हानि (Energy Loss) कम होती है।
सुरक्षा (Safety): बसबारों को एक मजबूत धातु के खोल (Enclosure) में कसकर पैक किया जाता है, जो इसे यांत्रिक क्षति से बचाता है और शॉर्ट सर्किट होने पर उत्पन्न होने वाले बल को सहन करने की क्षमता रखता है।
2. लचीला बिजली टैप-ऑफ (Flexible Power Tap-Off) बसबार ट्रंकिंग का एक विशिष्ट कार्य यह है कि यह सिस्टम को बंद किए बिना या न्यूनतम रुकावट के साथ, बिजली निकालने (Tap-off) की सुविधा देता है।
प्लग-इन पॉइंट्स: ट्रंकिंग में नियमित अंतराल पर प्लग-इन ओपनिंग होते हैं। इन ओपनिंग का उपयोग करके टैप-ऑफ बॉक्स (Tap-off Boxes) को जोड़ा जाता है।
उपयोगिता: ये टैप-ऑफ बॉक्स मशीनरी, लाइटिंग सर्किट या वितरण पैनलों को स्थानीय रूप से बिजली की आपूर्ति करने के लिए फ्यूज या सर्किट ब्रेकर के साथ जुड़े होते हैं। यह सुविधा औद्योगिक संयंत्रों में मशीनरी के लेआउट को बार-बार बदलने की स्वतंत्रता देती है।
3. ऊर्ध्वाधर बिजली संचरण (Vertical Power Transmission - Rising Mains) ऊँची इमारतों में, बसबार ट्रंकिंग "राइजिंग मेन" के रूप में कार्य करता है।
कार्य: यह मुख्य बिजली आपूर्ति को भवन के निचले स्तर से शुरू करके सभी ऊपरी मंजिलों पर स्थित वितरण पैनलों तक ऊर्ध्वाधर (vertical) रूप से ले जाता है।
लाभ: यह ऊर्ध्वाधर केबल रनिंग की जटिलता और बड़े स्पेस की आवश्यकता को समाप्त करता है।
संक्षेप में,
बसबार ट्रंकिंग का कार्य एक ऐसा रीड की हड्डी (Backbone) बनाना है जो सुरक्षित, कम नुकसान वाला, और भविष्य में विस्तार या बदलाव के लिए अत्यधिक लचीला बिजली वितरण नेटवर्क प्रदान करता है।
बसबार ट्रंकिंग वायरिंग (Busbar Trunking Wiring), जिसे बसडक्ट भी कहते हैं, का उपयोग मुख्य रूप से उन बड़े और जटिल विद्युत वितरण प्रणालियों में किया जाता है जहाँ उच्च करंट की आवश्यकता होती है और लचीलेपन (flexibility) के साथ बिजली वितरण की ज़रूरत होती है। यह पारंपरिक हैवी-ड्यूटी केबल वायरिंग का एक कुशल विकल्प है।
बसबार ट्रंकिंग के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र (Industrial & Manufacturing)
- उत्पादन लाइनें (Production Lines): कारखानों और विनिर्माण संयंत्रों में, यह एक ही बसबार ट्रंक से पूरे असेंबली हॉल में बिजली वितरित करता है। मशीनरी के लेआउट को बदलने पर, श्रमिक आसानी से प्लग-इन पॉइंट्स का उपयोग करके बिजली का टैप-ऑफ कर सकते हैं, जिससे डाउनटाइम कम होता है।
- उच्च करंट मशीनरी: ऐसी मशीनें जिन्हें बहुत अधिक करंट की आवश्यकता होती है (जैसे वेल्डिंग मशीन, बड़ी मोटर्स, या फर्नेस) को सीधे और सुरक्षित रूप से बसबार ट्रंकिंग से जोड़ा जाता है।
वाणिज्यिक और बहुमंजिला भवन (Commercial & High-Rise Buildings)
- राइजिंग मेन (Rising Mains): ऊँची इमारतों (जैसे अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स, होटल, अस्पताल और कार्यालय टावर) में, बसबार ट्रंकिंग को ऊर्ध्वाधर रूप से स्थापित किया जाता है। यह नीचे के मुख्य स्विचगियर से प्रत्येक मंजिल पर स्थित वितरण पैनल तक बिजली पहुँचाने का काम करता है।
- बड़े वाणिज्यिक परिसर: शॉपिंग मॉल, कन्वेंशन सेंटर और एयरपोर्ट पर मुख्य बिजली को विभिन्न क्षेत्रों, दुकानों और लाइटिंग पैनल तक वितरित करने के लिए।
प्रौद्योगिकी और अवसंरचना (Technology & Infrastructure)
- डेटा सेंटर (Data Centers): डेटा सेंटरों में बिजली की उच्च और निरंतर मांग होती है। बसबार ट्रंकिंग उच्च घनत्व वाले लोड को विश्वसनीय ढंग से वितरित करता है और नए सर्वर रैक को आसानी से जोड़ने या पुनर्व्यवस्थित करने में मदद करता है।
- सबस्टेशन और पावर प्लांट: मुख्य ट्रांसफार्मर से मुख्य वितरण पैनल तक उच्च करंट को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए।
बसबार ट्रंकिंग का चयन क्यों किया जाता है?
उपरोक्त क्षेत्रों में बसबार ट्रंकिंग के उपयोग के मुख्य कारण इसकी विशेषताएं हैं:
- स्थापना में आसानी: यह मॉड्यूलर होता है और इसे केबल बिछाने की तुलना में बहुत जल्दी और कम श्रम में स्थापित किया जा सकता है।
- कम जगह: यह भारी केबलों के समूह की तुलना में बहुत कम जगह घेरता है।
- लचीलापन: प्लग-इन पॉइंट्स के कारण, भविष्य में किसी भी समय लोड को जोड़ना, हटाना या स्थानांतरित करना आसान हो जाता है।
- बेहतर ऊर्जा दक्षता: बसबार का कम प्रतिरोध ऊर्जा हानि (Energy Loss) को कम करता है।
बसबार ट्रंकिंग वायरिंग (Busbar Trunking Wiring) का मुख्य कार्य बड़े औद्योगिक और वाणिज्यिक परिसरों में उच्च विद्युत शक्ति को सुरक्षित, लचीले और कुशलतापूर्वक वितरित (distribute) करना है।
यह प्रणाली पारंपरिक केबलिंग की तुलना में बिजली वितरण के लिए एक आधुनिक और अधिक कुशल "रीढ़ की हड्डी" के रूप में कार्य करती है।
बसबार ट्रंकिंग के प्रमुख कार्य
बसबार ट्रंकिंग सिस्टम निम्नलिखित तीन प्रमुख भूमिकाएँ निभाता है:
1. उच्च करंट का कुशल संचरण (Efficient High Current Transmission)
बसबार ट्रंकिंग का प्राथमिक कार्य मुख्य स्विचगियर या ट्रांसफार्मर से बड़ी मात्रा में विद्युत शक्ति को विभिन्न वितरण बिंदुओं तक ले जाना है।
- कम प्रतिरोध: इसमें उपयोग किए जाने वाले कॉपर या एल्युमीनियम के मोटे बसबार, केबलों की तुलना में कम प्रतिरोध (Low Resistance) प्रदान करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, संचरण के दौरान ऊर्जा हानि (Energy Loss) कम होती है, जिससे सिस्टम अधिक कुशल बन जाता है।
- सुरक्षा: धातु का मजबूत खोल (Enclosure) बसबारों को यांत्रिक क्षति से बचाता है और शॉर्ट सर्किट होने पर उत्पन्न होने वाले उच्च विद्युत तनाव (High Electrical Stress) को सुरक्षित रूप से झेलता है।
2. लचीला बिजली टैप-ऑफ (Flexible Power Tap-Off)
यह प्रणाली बिजली वितरण में असाधारण लचीलापन प्रदान करती है, जो पारंपरिक वायरिंग में मुश्किल होता है।
- प्लग-इन सुविधा: ट्रंकिंग में नियमित अंतराल पर प्लग-इन ओपनिंग (Plug-in Openings) होते हैं। इन छेदों का उपयोग करके, बिजली की आपूर्ति को बंद किए बिना या न्यूनतम डाउनटाइम के साथ, टैप-ऑफ बॉक्स (Tap-off Boxes) को जोड़ा जा सकता है।
- उपयोगिता: यह विनिर्माण संयंत्रों में विशेष रूप से उपयोगी है, जहाँ मशीनरी के लेआउट को बार-बार बदलने की आवश्यकता होती है। टैप-ऑफ बॉक्स मशीनरी, लाइटिंग या छोटे वितरण पैनलों को स्थानीय बिजली की आपूर्ति करते हैं।
3. ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical Distribution - Rising Mains)
बहुमंजिला इमारतों में, बसबार ट्रंकिंग ऊर्ध्वाधर "राइजिंग मेन" के रूप में कार्य करता है।
- समान वितरण: यह भवन के निचले स्तर से शुरू होकर सभी ऊपरी मंजिलों पर स्थित वितरण पैनलों तक सुरक्षित और समान रूप से बिजली वितरित करता है।
- अंतरिक्ष की बचत: यह बड़ी-बड़ी केबलों के समूह को एक साथ ऊर्ध्वाधर शाफ्ट में चलाने की आवश्यकता को समाप्त करता है, जिससे सीमित ऊर्ध्वाधर स्थान की बचत होती है।
संक्षेप में,
बसबार ट्रंकिंग का कार्य एक ऐसा वितरण नेटवर्क प्रदान करना है जो सुरक्षित, कम नुकसान वाला, और भविष्य में विस्तार या बदलाव के लिए आसानी से अनुकूलनीय हो।
रेसवे/डक्ट वायरिंग (Raceway/Duct Wiring) एक ऐसा वायरिंग सिस्टम है जिसमें विद्युत तारों को सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें व्यवस्थित रूप से मार्ग देने के लिए एक संलग्न चैनल (Channel) या पाइप (Conduit) का उपयोग किया जाता है। इसे अक्सर केसिंग-कैपिंग (Casing-Capping) या कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) के एक व्यापक रूप के रूप में समझा जाता है।
यह वायरिंग विधि तारों को यांत्रिक क्षति, नमी, धूल और रासायनिक वाष्पों से बचाती है, साथ ही भविष्य में तारों को जोड़ने या बदलने में आसानी प्रदान करती है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग के प्रकार
रेसवे/डक्ट वायरिंग प्रणाली को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बाँटा जाता है, जो उनकी स्थापना के तरीके और सामग्री पर निर्भर करता है:
1. कंड्यूट रेसवे/पाइप वायरिंग (Conduit Raceway/Pipe Wiring)
यह सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रेसवे सिस्टम है।
- कार्य: इसमें तारों को गोल पाइपों (Conduits) के माध्यम से डाला जाता है।
-
प्रकार:
- छिपी हुई कंड्यूट (Concealed Conduit): पाइपों को दीवारों और छत के प्लास्टर के अंदर छिपा दिया जाता है। यह सबसे सुरक्षित और सुंदर प्रणाली है (जैसे घरों और कार्यालयों में)।
- सतही कंड्यूट (Surface Conduit): पाइपों को दीवार या छत की सतह पर बाहर से लगाया जाता है।
- सामग्री: ये पाइप पीवीसी (PVC), धातु (Metal) जैसे जस्ती इस्पात (GI), या विद्युत धातु ट्यूबिंग (EMT) के बने होते हैं।
2. ट्रंकिंग/केसिंग रेसवे (Trunking/Casing Raceway)
यह एक आयताकार या वर्गाकार चैनल होता है जिसका उपयोग अधिक संख्या में तारों या केबलों को एक साथ ले जाने के लिए किया जाता है।
- केसिंग और कैपिंग (Casing & Capping): यह रेसवे का एक पुराना रूप है, जिसमें लकड़ी या पीवीसी की एक आधार पट्टी (केसिंग) होती है जिसमें तार डाले जाते हैं, और फिर इसे एक ढक्कन (कैपिंग) से ढक दिया जाता है।
- केबल ट्रंकिंग/वायर डक्ट (Cable Trunking/Wire Duct): यह आधुनिक, मजबूत पीवीसी या धातु का चैनल होता है जिसमें अलग-अलग तारों को व्यवस्थित करने के लिए अक्सर आंतरिक डिवाइडर (Dividers) होते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से औद्योगिक, व्यावसायिक भवनों और कंट्रोल पैनल में किया जाता है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग के उपयोग
रेसवे/डक्ट वायरिंग सिस्टम के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
- आवासीय भवन: छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग का उपयोग घरों और अपार्टमेंटों में सबसे अधिक किया जाता है क्योंकि यह अत्यधिक सुरक्षित है और दीवारों में दिखाई नहीं देता।
- वाणिज्यिक और कार्यालय भवन: फर्श या छत के ऊपर खुली ट्रंकिंग का उपयोग करके कंप्यूटर, लाइटिंग और पावर के लिए बड़ी संख्या में डेटा और पावर केबलों को व्यवस्थित रूप से बिछाया जाता है।
- औद्योगिक संयंत्र: पीवीसी या धातु की ट्रंकिंग का उपयोग करके मशीनरी और कंट्रोल पैनल तक बिजली की केबलों को यांत्रिक सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- केबल प्रबंधन: यह टेलीफोन, इंटरनेट और सुरक्षा कैमरों जैसे कम वोल्टेज वाले तारों को भी पावर केबलों से अलग करके सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए उपयोग होता है।
- अस्थायी स्थापनाएँ: सतह कंड्यूट या ट्रंकिंग का उपयोग अस्थायी साइटों, मेलों या प्रदर्शनियों में त्वरित और सुरक्षित वायरिंग के लिए किया जाता है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग का निर्माण एक संरचित प्रक्रिया है जिसमें तारों को यांत्रिक सुरक्षा, व्यवस्थित मार्ग और भविष्य में रखरखाव में आसानी प्रदान करने के लिए एक संलग्न चैनल या पाइप का उपयोग किया जाता है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग को आमतौर पर दो मुख्य तरीकों से बनाया जाता है: कंड्यूट वायरिंग (Conduit Wiring) और ट्रंकिंग/डक्टिंग (Trunking/Ducting)।
1. कंड्यूट वायरिंग का निर्माण (Conduit Wiring Construction)
कंड्यूट वायरिंग में तारों को कठोर या लचीले गोल पाइपों (कंड्यूट) के अंदर स्थापित किया जाता है।
A. छिपी हुई कंड्यूट (Concealed Conduit) - दीवारों के अंदर
यह सबसे सुरक्षित और सौंदर्यपूर्ण रूप से आकर्षक विधि है, जिसका उपयोग घरों और आधुनिक इमारतों में किया जाता है:
- मार्किंग और काटना (Marking and Cutting): वायरिंग लेआउट के अनुसार दीवारों, छतों और फर्शों पर पाइपों के मार्ग को चिन्हित किया जाता है। फिर दीवार/छत को चीज़ल (Chisel) या ग्रूवर (Groover) का उपयोग करके आवश्यक गहराई और चौड़ाई तक काटा (काटा) जाता है।
- बॉक्स फिटिंग (Box Fixing): स्विच बोर्ड, जंक्शन बॉक्स, और सीलिंग रोज़ के लिए धातु या प्लास्टिक के बॉक्स को निर्दिष्ट स्थानों पर मजबूती से लगाया जाता है।
- पाइप बिछाना (Laying Pipes): चिह्नित रास्तों में पीवीसी (PVC) या धातु के कंड्यूट पाइप बिछाए जाते हैं और सैडल (Saddle) या क्लैंप का उपयोग करके अस्थायी रूप से सुरक्षित किया जाता है।
- प्लास्टरिंग (Plastering): पाइपों को छुपाने के लिए दीवारों और छत पर प्लास्टर (Plaster) किया जाता है, जिससे केवल आउटलेट और स्विच बोर्ड बॉक्स दिखाई देते हैं।
- तार खींचना (Wire Pulling): प्लास्टर सूखने के बाद, तारों को गैल्वेनाइज्ड आयरन (GI) वायर या फिश टेप (Fish Tape) की मदद से कंड्यूट पाइपों के अंदर खींचा जाता है।
B. सतही कंड्यूट (Surface Conduit) - सतह पर बाहर
इसका उपयोग वहाँ किया जाता है जहाँ दीवारों को काटना संभव न हो, या जहाँ लचीलेपन की आवश्यकता हो:
- मार्किंग और फिक्सिंग: कंड्यूट पाइपों के मार्ग को सतह पर चिन्हित किया जाता है।
- सैडल लगाना: कंड्यूट को दीवार या छत पर आवश्यक अंतराल पर सैडल या क्लैंप की मदद से स्क्रू (Screw) करके मजबूत किया जाता है।
- पाइप कनेक्शन: विभिन्न बिंदुओं पर दिशा बदलने या शाखाएँ निकालने के लिए विशेष कोने (Elbows), टी-जंक्शन, और कपलिंग का उपयोग करके पाइपों को आपस में जोड़ा जाता है।
- तार खींचना: कंड्यूट स्थापित होने के बाद, तारों को कंड्यूट के अंदर खींचा जाता है।
2. ट्रंकिंग/डक्टिंग का निर्माण (Trunking/Ducting Construction)
ट्रंकिंग में आमतौर पर आयताकार या वर्गाकार चैनल का उपयोग किया जाता है, जो बड़ी संख्या में तारों के प्रबंधन के लिए आदर्श है।
- ट्रंकिंग चुनना: उपयोग के स्थान (जैसे कार्यालय में वॉल-माउंटेड, या औद्योगिक क्षेत्र में हेवी-ड्यूटी) के आधार पर धातु (Metal) या पीवीसी (PVC) ट्रंकिंग का चयन किया जाता है।
- आधार को ठीक करना (Fixing the Base): ट्रंकिंग के आधार खंड (Base Section) को दीवारों या फर्श पर स्क्रू या बोल्ट का उपयोग करके मजबूती से फिक्स किया जाता है।
- तार बिछाना और व्यवस्थित करना: विद्युत तारों, डेटा केबलों या संचार तारों को ट्रंकिंग के अंदर बिछाया जाता है। यदि ट्रंकिंग में डिवाइडर (Dividers) हैं, तो पावर और डेटा केबलों को अलग-अलग खंडों में व्यवस्थित किया जाता है ताकि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस (EMI) को रोका जा सके।
- एक्सेस पॉइंट्स: जहाँ सॉकेट आउटलेट या स्विच की आवश्यकता होती है, वहाँ ट्रंकिंग में उपयुक्त ओपनिंग बनाई जाती हैं और आउटलेट बॉक्स स्थापित किए जाते हैं।
- ढक्कन बंद करना (Capping): एक बार सभी तार बिछ जाने के बाद, ट्रंकिंग के आधार को एक हटाने योग्य ढक्कन (Capping) से बंद कर दिया जाता है। यह तारों को सुरक्षा देता है और भविष्य में निरीक्षण या रीवायरिंग के लिए ढक्कन को आसानी से हटाया जा सकता है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग का मुख्य कार्य विद्युत तारों और केबलों को यांत्रिक क्षति, नमी और धूल से बचाना और उन्हें एक व्यवस्थित, सुरक्षित और सुलभ मार्ग प्रदान करना है।
यह प्रणाली तारों के प्रबंधन और सुरक्षा के लिए एक आवश्यक ढाँचा (Framework) प्रदान करती है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग के प्रमुख कार्य
रेसवे या डक्ट वायरिंग सिस्टम (जैसे कंड्यूट या ट्रंकिंग) निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य करते हैं:
1. तारों की सुरक्षा (Protection of Wires)
रेसवे का प्राथमिक कार्य तारों को बाहरी खतरों से बचाना है:
- यांत्रिक क्षति से बचाव: तारों को टूटने, कटने या कुचले जाने से बचाता है, जो निर्माण क्षेत्रों, औद्योगिक संयंत्रों, या यहाँ तक कि घरों में ड्रिलिंग या कील ठोकने के दौरान हो सकता है।
- पर्यावरण से बचाव: तार को नमी, धूल, तेल, और रासायनिक वाष्पों (Chemical Vapors) के संपर्क से बचाता है, जिससे तारों का इंसुलेशन (Insulation) क्षतिग्रस्त नहीं होता।
- आग से सुरक्षा: धातु के रेसवे (जैसे धातु कंड्यूट या ट्रंकिंग) आग लगने की स्थिति में तारों को सीधे लौ (Flame) के संपर्क से बचाकर सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करते हैं।
2. व्यवस्थित मार्ग और सौंदर्यीकरण (Organized Routing and Aesthetics)
- तार प्रबंधन: रेसवे विभिन्न तारों (पावर, डेटा, संचार) को एक साफ और सुव्यवस्थित तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करता है। डक्ट में अक्सर आंतरिक डिवाइडर होते हैं जो विभिन्न प्रकार के केबलों को अलग रखने का कार्य करते हैं।
- सौंदर्य (Aesthetics): दीवारों के अंदर छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) तारों को पूरी तरह से छुपा देती है, जिससे इमारत का इंटीरियर साफ और सुंदर दिखता है।
3. रीवायरिंग और रखरखाव में सुगमता (Ease of Rewiring and Maintenance)
- रीवायरिंग: रेसवे सिस्टम का एक बड़ा कार्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में जब भी किसी तार को बदलने या अतिरिक्त तार जोड़ने की आवश्यकता हो, तो यह आसानी से किया जा सके। तारों को खींचने वाले उपकरणों (जैसे फिश टेप) की मदद से पुराने तारों को बिना दीवार तोड़े हटाया जा सकता है और नए तार डाले जा सकते हैं।
- निरीक्षण: ट्रंकिंग और डक्ट में ढक्कन (Capping) लगे होते हैं जिन्हें हटाकर तारों का आसानी से निरीक्षण (Inspection) और रखरखाव किया जा सकता है।
संक्षेप में,
रेसवे/डक्ट वायरिंग सुरक्षा और सुविधा दोनों प्रदान करती है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग का मुख्य कार्य विद्युत तारों और केबलों को यांत्रिक क्षति, नमी और धूल से बचाना और उन्हें एक व्यवस्थित, सुरक्षित और सुलभ मार्ग प्रदान करना है।
यह प्रणाली तारों के प्रबंधन और सुरक्षा के लिए एक आवश्यक ढाँचा (Framework) प्रदान करती है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग के प्रमुख कार्य
रेसवे या डक्ट वायरिंग सिस्टम (जैसे कंड्यूट या ट्रंकिंग) निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य करते हैं:
1. तारों की भौतिक सुरक्षा (Physical Protection of Wires)
रेसवे का प्राथमिक कार्य तारों को बाहरी खतरों से बचाना है:
- यांत्रिक क्षति से बचाव: तारों को टूटने, कटने, या कुचले जाने से बचाता है, जो निर्माण क्षेत्रों, औद्योगिक संयंत्रों या किसी भी आकस्मिक बल के कारण हो सकता है।
- पर्यावरण से बचाव: तार को नमी, धूल, तेल, और रासायनिक वाष्पों (Chemical Vapors) के संपर्क से बचाता है, जिससे तारों का इंसुलेशन (Insulation) क्षतिग्रस्त होने से सुरक्षित रहता है।
- आग से सुरक्षा: धातु के रेसवे (जैसे धातु कंड्यूट) आग लगने की स्थिति में तारों को सीधे लौ (Flame) के संपर्क से बचाकर सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करते हैं।
2. व्यवस्थित मार्ग और सौंदर्यीकरण (Organized Routing and Aesthetics)
- तार प्रबंधन: रेसवे विभिन्न तारों (पावर, डेटा, संचार) को एक साफ और सुव्यवस्थित तरीके से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करता है।
- पृथक्करण (Separation): डक्ट/ट्रंकिंग में आंतरिक डिवाइडर (Dividers) का उपयोग करके पावर और डेटा केबलों को अलग रखा जाता है, जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस (EMI) कम होता है।
- सौंदर्य (Aesthetics): दीवारों के अंदर छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring) तारों को पूरी तरह से छुपा देती है, जिससे इमारत का इंटीरियर साफ और सुंदर दिखता है।
3. रखरखाव और रीवायरिंग में सुगमता (Ease of Maintenance and Rewiring)
- रीवायरिंग: रेसवे सिस्टम का एक बड़ा कार्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में जब भी किसी तार को बदलने या अतिरिक्त तार जोड़ने की आवश्यकता हो, तो यह आसानी से किया जा सके। तारों को खींचने वाले उपकरण (फिश टेप) की मदद से बिना दीवार तोड़े यह कार्य संभव होता है।
- निरीक्षण: ट्रंकिंग और डक्ट में ढक्कन (Capping) लगे होते हैं जिन्हें हटाकर तारों का आसानी से निरीक्षण (Inspection) और रखरखाव किया जा सकता है।
संक्षेप में,
रेसवे/डक्ट वायरिंग दीर्घकालिक सुरक्षा और परिचालन सुविधा दोनों सुनिश्चित करती है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग का उपयोग विद्युत तारों और केबलों को सुरक्षा, संगठन और सुगमता प्रदान करने के लिए लगभग हर प्रकार की आधुनिक इमारत में किया जाता है।
यह पारंपरिक ओपन वायरिंग (जैसे क्लीट वायरिंग) की तुलना में बहुत अधिक टिकाऊ और सुरक्षित प्रणाली है।
रेसवे/डक्ट वायरिंग (जिसमें कंड्यूट, ट्रंकिंग और केबल डक्ट शामिल हैं) के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. आवासीय और घरेलू उपयोग (Residential & Domestic Use)
- छिपी हुई कंड्यूट वायरिंग (Concealed Conduit Wiring): यह घरों और अपार्टमेंटों में सबसे आम उपयोग है। PVC पाइपों को दीवारों और छत के प्लास्टर के अंदर छिपा दिया जाता है।
- कार्य: तारों को सुरक्षा प्रदान करना और सुंदरता बनाए रखना।
- सतही वायरिंग (Surface Wiring): यदि बाद में वायरिंग जोड़नी हो या बजट सीमित हो, तो PVC या धातु के कंड्यूट को दीवारों की सतह पर लगाया जाता है।
2. वाणिज्यिक और कार्यालय भवन (Commercial & Office Buildings)
- पेरीमीटर ट्रंकिंग (Perimeter Trunking): दीवारों के किनारे-किनारे प्लास्टिक या धातु के आयताकार चैनल लगाए जाते हैं।
- कार्य: बिजली, डेटा (इंटरनेट), और टेलीफोन केबलों को अलग-अलग खंडों में व्यवस्थित करना और वर्कस्टेशन तक ले जाना। यह ऑफिस के लेआउट बदलने पर अत्यधिक लचीलापन प्रदान करता है।
- फ्लोर डक्टिंग (Floor Ducting): फर्श के नीचे या रेज्ड फ्लोर (Raised Floor) के भीतर केबल डक्ट का उपयोग।
- कार्य: पूरे ऑफिस स्पेस में बिजली और डेटा केबलों को वितरित करना, ताकि बीच के वर्कस्टेशनों को भी आसानी से बिजली मिल सके।
3. औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र (Industrial & Manufacturing)
- धातु ट्रंकिंग (Metal Trunking) और कंड्यूट: औद्योगिक वातावरण में जहाँ उच्च यांत्रिक क्षति (Mechanical Damage) और रासायनिक संपर्क का जोखिम होता है।
- कार्य: भारी-शुल्क (Heavy-Duty) बिजली के तारों को मशीनों, नियंत्रण पैनलों और मोटर्स तक ले जाना, उन्हें तेल, धूल और शारीरिक चोट से बचाना।
- वायर डक्ट (Wire Duct) या पैनल डक्ट: कंट्रोल पैनल (Control Panels) और स्विचगियर के अंदर।
- कार्य: पैनल के अंदर के तारों को साफ, सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से व्यवस्थित करना, जिससे मरम्मत या बदलाव आसान हो जाए।
4. विशिष्ट अनुप्रयोग (Specialized Applications)
- डेटा सेंटर: यहाँ उच्च घनत्व वाले डेटा और पावर केबलों को संभालने के लिए ट्रंकिंग और रेसवे का उपयोग किया जाता है, जो कुशल प्रबंधन और कूलिंग में सहायता करता है।
- बाहरी और भूमिगत उपयोग: जलरोधक (Waterproof) सामग्री से बने कठोर कंड्यूट का उपयोग बाहरी रोशनी, बगीचे की वायरिंग या भूमिगत केबलिंग को नमी और मिट्टी के कटाव से बचाने के लिए किया जाता है।
- चिकित्सा और प्रयोगशालाएँ: यहाँ तारों को धूल और संक्रमण से बचाने के लिए विशेष, साफ करने योग्य (Cleanable) रेसवे का उपयोग किया जाता है।
फर्श के नीचे/फर्श वायरिंग (Underfloor/Floor Wiring) प्रणाली का तात्पर्य ऐसी विद्युत स्थापना से है जिसमें सभी बिजली, डेटा और संचार केबलों को फर्श के निर्माण के भीतर या नीचे बिछाया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से बड़े व्यावसायिक भवनों, कार्यालयों और डेटा केंद्रों में किया जाता है जहाँ बिजली और डेटा पॉइंट की आवश्यकताएँ अक्सर बदलती रहती हैं।
यह वायरिंग, विशेष रूप से रेज्ड एक्सेस फ्लोर (Raised Access Floor) सिस्टम के तहत, तारों को छिपाने, सुरक्षा देने और उन्हें अत्यधिक लचीलापन प्रदान करने का कार्य करती है।
फर्श के नीचे वायरिंग के मुख्य तरीके
फर्श के नीचे वायरिंग के मुख्य रूप से तीन तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं:
1. रेज्ड एक्सेस फ्लोर सिस्टम (Raised Access Floor System)
यह फर्श वायरिंग का सबसे लोकप्रिय और लचीला तरीका है, खासकर आधुनिक कार्यालयों और डेटा केंद्रों में।
- निर्माण: इसमें मूल फर्श (Structural Floor) के ऊपर धातु के पेडस्टल (Pedestals) का उपयोग करके एक दूसरा, हटाने योग्य फर्श (Access Floor Panels) बनाया जाता है, जिससे नीचे एक खाली जगह या कैविटी (Cavity) बन जाती है।
- कार्य: सभी पावर, डेटा, टेलीफोन और HVAC (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) केबल इस कैविटी के अंदर खुली ट्रंकिंग या ट्रे में रखे जाते हैं। फ्लोर पैनल हटाकर किसी भी समय तारों तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
2. अंडरफ्लोर ट्रंकिंग/डक्टिंग (Underfloor Trunking/Ducting)
इस विधि में, तारों को फर्श के कंक्रीट स्लैब (Concrete Slab) के अंदर या उसके ऊपर बिछाए गए धातु या प्लास्टिक के रेसवे/ट्रंकिंग चैनलों में स्थापित किया जाता है।
- निर्माण: इन चैनलों को कंक्रीट डालने से पहले या फर्श की ऊपरी परत के नीचे फिक्स किया जाता है।
- कार्य: यह तारों को यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करता है और फर्श के साथ पूरी तरह से छिपा रहता है। एक्सेस पॉइंट (Access Points) को फर्श की सतह पर जंक्शन बॉक्स (Junction Boxes) के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
3. ट्रेंच डक्टिंग (Trench Ducting)
यह विधि उन स्थानों पर उपयोग होती है जहाँ बहुत भारी बिजली और संचार केबलों की आवश्यकता होती है, जैसे औद्योगिक या बिजली वितरण क्षेत्र।
- निर्माण: फर्श में एक गहरा और चौड़ा गड्ढा (Trench) बनाया जाता है, जिसे फिर धातु या कंक्रीट के ढक्कनों (Covers) से ढका जाता है।
- कार्य: यह भारी केबलों को ले जाने और उन्हें उच्च स्तर की सुरक्षा देने का कार्य करता है। ढक्कन हटाकर बड़े पैमाने पर रखरखाव या केबल विस्तार किया जा सकता है।
फर्श वायरिंग का मुख्य कार्य और उपयोग
फर्श के नीचे वायरिंग का कार्य पारंपरिक दीवार वायरिंग की तुलना में कई फायदे प्रदान करता है:
- अत्यधिक लचीलापन (High Flexibility): यह कार्यालय लेआउट को बदलने की अनुमति देता है। यदि किसी डेस्क या मशीन को स्थानांतरित किया जाता है, तो फर्श पैनल को हटाकर नए स्थान पर आसानी से बिजली और डेटा आउटलेट जोड़ा जा सकता है।
- सौंदर्य और सुरक्षा (Aesthetics & Safety): सभी तारों को छुपाकर कार्यस्थल को साफ-सुथरा बनाता है और ट्रिपिंग के खतरों (Tripping Hazards) को समाप्त करता है।
- शीघ्र स्थापना और रखरखाव (Quick Maintenance): रेज्ड फ्लोर सिस्टम में, किसी भी फॉल्ट को ठीक करने या नए तार जोड़ने के लिए केवल फ्लोर पैनल हटाना पड़ता है, जिससे समय और लागत की बचत होती है।
- डेटा और पावर का पृथक्करण: डक्ट या ट्रंकिंग के माध्यम से डेटा केबलों को पावर केबलों से अलग रखा जाता है, जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस (EMI) कम होता है और डेटा की गुणवत्ता बनी रहती है।
फर्श के नीचे/फर्श वायरिंग (Underfloor/Floor Wiring) का निर्माण एक सावधानीपूर्वक नियोजित प्रक्रिया है, जिसे मुख्य रूप से दो प्रमुख प्रणालियों के तहत किया जाता है: रेज्ड एक्सेस फ्लोर (जहां लचीलापन प्राथमिकता है) और कंक्रीट-एम्बेडेड डक्टिंग (जहां स्थायी मार्ग आवश्यक है)।
निर्माण प्रक्रिया का विवरण इस प्रकार है:
1. रेज्ड एक्सेस फ्लोर सिस्टम का निर्माण (Raised Access Floor System)
यह आधुनिक कार्यालयों और डेटा केंद्रों में सबसे आम है क्योंकि यह लचीलापन प्रदान करता है।
a. आधार की तैयारी
- सबसे पहले, कंक्रीट का मूल फर्श (Structural Floor) तैयार किया जाता है और उसे साफ किया जाता है।
- पूरे फर्श पर रेज्ड फ्लोर पेडस्टल (Raised Floor Pedestals) के ग्रिड को चिन्हित किया जाता है। ये धातु के समायोज्य (Adjustable) स्टैंड होते हैं जो फर्श और उसके नीचे की कैविटी की ऊँचाई निर्धारित करते हैं।
b. पेडस्टल और ग्रिंगर की स्थापना
- चिन्हित स्थानों पर पेडस्टल को एपोक्सी राल (Epoxy Resin) या यांत्रिक एंकर (Mechanical Anchors) का उपयोग करके फर्श पर मजबूती से चिपका या फिक्स किया जाता है।
- पेडस्टल के शीर्ष पर स्ट्रिंगर (Stringers) (क्षैतिज बीम) लगाए जाते हैं ताकि एक मजबूत ग्रिड ढाँचा बन सके। यह ढाँचा नीचे की खाली जगह (Plenum) को बनाए रखता है।
c. वायरिंग और डक्टिंग
- इस खाली जगह (कैविटी) के अंदर बिजली के तार, डेटा केबल और संचार केबल, केबल ट्रे (Cable Trays), ट्रंकिंग (Trunking) या खुले रेसवे में बिछाए जाते हैं।
- तारों को सुरक्षित रूप से रूट किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि पावर और डेटा केबल एक-दूसरे से अलग रहें।
d. फ्लोर पैनल डालना
- एक बार वायरिंग हो जाने के बाद, फ्लोर पैनल (Floor Panels) (जो आमतौर पर लकड़ी के कोर या कंक्रीट से बने होते हैं) को ग्रिड ढाँचे के ऊपर रखा जाता है।
- इन पैनलों को विशेष उपकरणों की मदद से आसानी से हटाया जा सकता है।
- फ्लोर आउटलेट बॉक्स (Floor Outlet Boxes) को उन पैनलों में फिट किया जाता है जहाँ बिजली या डेटा कनेक्शन की आवश्यकता होती है।
2. कंक्रीट-एम्बेडेड डक्टिंग का निर्माण (Concrete-Embedded Ducting)
इस विधि का उपयोग वहाँ होता है जहाँ फर्श को बदलने की आवश्यकता नहीं होती है, जैसे औद्योगिक या स्थिर वाणिज्यिक सेटिंग्स।
a. मार्किंग और ट्रंकिंग बिछाना
- कंक्रीट स्लैब डालने से पहले, फर्श पर वायरिंग लेआउट को चिन्हित किया जाता है।
- धातु (GI) या कठोर पीवीसी (Rigid PVC) से बनी अंडरफ्लोर ट्रंकिंग या डक्टिंग (आमतौर पर चौकोर या आयताकार क्रॉस-सेक्शन की) को चिन्हित रास्तों पर बिछाया जाता है।
- ट्रंकिंग को आधार फर्श पर अस्थायी रूप से फिक्स किया जाता है।
b. जंक्शन बॉक्स और आउटलेट
- जहाँ बिजली के कनेक्शन (जैसे सॉकेट) की आवश्यकता होती है, वहाँ ट्रंकिंग में जंक्शन बॉक्स (Junction Boxes) या चैम्बर (Chambers) जोड़े जाते हैं। इन बक्सों का ऊपरी किनारा अंतिम फर्श की सतह के स्तर पर होता है।
- ट्रंकिंग को उचित टूल और कपलिंग का उपयोग करके एक-दूसरे से जोड़ा जाता है ताकि कंक्रीट लीक न हो।
c. कंक्रीट डालना (Concrete Pouring)
- बसबार या केबल डक्ट को कंक्रीट से पूरी तरह से ढक दिया जाता है, जिससे केवल जंक्शन बॉक्स के ढक्कन ही सतह पर दिखाई देते हैं।
- कंक्रीट जमने के बाद, तारों को डक्ट के अंदर खींचा जाता है।
d. अंतिम समापन
- फर्श पर अंतिम परत (जैसे टाइल, कालीन या टेराज़ो) डाली जाती है।
- जंक्शन बॉक्स को साफ किया जाता है और उनमें आवश्यक सॉकेट या डेटा पोर्ट लगाए जाते हैं, जिसे एक मजबूत और आकर्षक फ्लोर प्लेट से ढक दिया जाता है।
अंडरफ्लोर/फर्श वायरिंग (Underfloor/Floor Wiring) का मुख्य कार्य विद्युत, डेटा और संचार केबलों को फर्श के नीचे छिपाकर एक सुरक्षित, लचीला और व्यवस्थित वितरण मार्ग प्रदान करना है, खासकर उन इमारतों में जहाँ लेआउट में बार-बार बदलाव की आवश्यकता होती है।
यह प्रणाली तारों को यांत्रिक सुरक्षा देने और कार्यस्थल को सुंदर व सुरक्षित बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करती है।
अंडरफ्लोर वायरिंग के प्रमुख कार्य
फर्श के नीचे वायरिंग प्रणाली निम्नलिखित प्रमुख कार्य करती है:
1. कार्यस्थल को लचीलापन प्रदान करना (Providing Workplace Flexibility)
यह अंडरफ्लोर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
- परिवर्तन में सुगमता: यह वायरिंग प्रणाली कार्यालयों, डेटा केंद्रों और प्रयोगशालाओं में लेआउट को बार-बार बदलने की स्वतंत्रता देती है। रेज्ड एक्सेस फ्लोर सिस्टम में, फर्श के पैनल हटाकर बिजली या डेटा आउटलेट को आसानी से नए स्थानों पर ले जाया जा सकता है, बिना दीवार या छत की वायरिंग में बदलाव किए।
- न्यूनतम डाउनटाइम: नए कनेक्शन जोड़ने या पुराने को हटाने के लिए सिस्टम को पूरी तरह से बंद (Shut Down) करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे काम में रुकावट (Down Time) कम होती है।
2. तारों को सुरक्षा देना (Protecting Cables)
यह प्रणाली तारों को भौतिक रूप से सुरक्षित रखने का कार्य करती है:
- यांत्रिक सुरक्षा: फर्श के नीचे बिछाए गए डक्ट, ट्रंकिंग या कंड्यूट, तारों को भारी यातायात, फर्नीचर के मूवमेंट और अन्य यांत्रिक क्षति से बचाते हैं।
- पर्यावरण सुरक्षा: तारों को धूल, नमी और संभावित रासायनिक फैल (Chemical Spills) से दूर रखते हैं, जिससे तारों का जीवनकाल बढ़ता है।
3. संगठन और सौंदर्यीकरण (Organization and Aesthetics)
- व्यवस्थापन (Organization): यह फर्श के नीचे एक संगठित मार्ग प्रदान करता है, जिससे तारों का जटिल जाल दिखाई नहीं देता।
- सौंदर्यीकरण: सभी केबलिंग को आँखों से ओझल करके कार्यस्थल को साफ, सुंदर और पेशेवर लुक देता है।
- सुरक्षा सुनिश्चित करना: फर्श पर बिखरे तारों के कारण होने वाले फिसलने या ठोकर लगने के खतरों (Tripping Hazards) को समाप्त करता है, जिससे कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल अधिक सुरक्षित हो जाता है।
4. डेटा और बिजली का पृथक्करण (Separation of Data and Power)
फर्श के नीचे की डक्टिंग अक्सर आंतरिक डिवाइडर का उपयोग करके पावर केबलों और संवेदनशील डेटा केबलों को अलग रखने का कार्य करती है।
- EMI रोकथाम: यह पृथक्करण इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस (EMI) को रोकता है, जिससे डेटा संचार की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनी रहती है।
अंडरफ्लोर/फर्श वायरिंग (Underfloor/Floor Wiring) का मुख्य कार्य विद्युत, डेटा और संचार केबलों को फर्श के नीचे छिपाकर एक सुरक्षित, लचीला और व्यवस्थित वितरण मार्ग प्रदान करना है, खासकर उन इमारतों में जहाँ लेआउट में बार-बार बदलाव की आवश्यकता होती है।
यह प्रणाली तारों को यांत्रिक सुरक्षा देने और कार्यस्थल को सुंदर व सुरक्षित बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करती है।
अंडरफ्लोर वायरिंग के प्रमुख कार्य
फर्श के नीचे वायरिंग प्रणाली निम्नलिखित प्रमुख कार्य करती है:
1. कार्यस्थल को लचीलापन प्रदान करना (Providing Workplace Flexibility)
यह अंडरफ्लोर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
- परिवर्तन में सुगमता: यह वायरिंग प्रणाली कार्यालयों, डेटा केंद्रों और प्रयोगशालाओं में लेआउट को बार-बार बदलने की स्वतंत्रता देती है। रेज्ड एक्सेस फ्लोर सिस्टम में, फर्श के पैनल हटाकर बिजली या डेटा आउटलेट को आसानी से नए स्थानों पर ले जाया जा सकता है, बिना दीवार या छत की वायरिंग में बदलाव किए।
- न्यूनतम डाउनटाइम: नए कनेक्शन जोड़ने या पुराने को हटाने के लिए सिस्टम को पूरी तरह से बंद (Shut Down) करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे काम में रुकावट (Down Time) कम होती है।
2. तारों को भौतिक सुरक्षा देना (Protecting Cables)
यह प्रणाली तारों को भौतिक रूप से सुरक्षित रखने का कार्य करती है:
- यांत्रिक क्षति से बचाव: फर्श के नीचे बिछाए गए डक्ट, ट्रंकिंग या कंड्यूट, तारों को भारी यातायात, फर्नीचर के मूवमेंट और अन्य यांत्रिक क्षति से बचाते हैं।
- पर्यावरण सुरक्षा: तारों को धूल, नमी और संभावित रासायनिक फैल (Chemical Spills) से दूर रखते हैं, जिससे तारों का इंसुलेशन (Insulation) क्षतिग्रस्त होने से सुरक्षित रहता है।
3. संगठन और सुरक्षा सुनिश्चित करना (Ensuring Organization and Safety)
- व्यवस्थापन (Organization): यह फर्श के नीचे एक संगठित मार्ग प्रदान करता है, जिससे तारों का जटिल जाल दिखाई नहीं देता।
- सौंदर्यीकरण: सभी केबलिंग को आँखों से ओझल करके कार्यस्थल को साफ, सुंदर और पेशेवर लुक देता है।
- सुरक्षा: फर्श पर बिखरे तारों के कारण होने वाले फिसलने या ठोकर लगने के खतरों (Tripping Hazards) को समाप्त करता है, जिससे कार्यस्थल अधिक सुरक्षित हो जाता है।
4. डेटा और बिजली का पृथक्करण (Separation of Data and Power)
फर्श के नीचे की डक्टिंग अक्सर आंतरिक डिवाइडर का उपयोग करके पावर केबलों और संवेदनशील डेटा केबलों को अलग रखने का कार्य करती है।
- EMI रोकथाम: यह पृथक्करण इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस (EMI) को रोकता है, जिससे डेटा संचार की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनी रहती है।
अंडरफ्लोर/फर्श वायरिंग (Underfloor/Floor Wiring) का उपयोग मुख्य रूप से उन बड़े और गतिशील व्यावसायिक वातावरणों में किया जाता है जहाँ बिजली और डेटा आउटलेट की आवश्यकताएँ बार-बार बदलती रहती हैं, साथ ही सुरक्षा और सौंदर्यशास्त्र बनाए रखना आवश्यक होता है।
इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. कार्यालय और वाणिज्यिक भवन (Offices and Commercial Buildings)
- परिवर्तनशील लेआउट: आधुनिक कार्यालयों में जहाँ फर्नीचर और डेस्क के लेआउट को अक्सर बदला जाता है। अंडरफ्लोर सिस्टम (विशेष रूप से रेज्ड एक्सेस फ्लोर) कर्मचारियों को बिना किसी बड़ी वायरिंग लागत के नए स्थानों पर आसानी से पावर और डेटा एक्सेस पॉइंट ले जाने की अनुमति देता है।
- उच्च घनत्व वाले कनेक्शन: बड़े खुले कार्यालयों (Open-plan offices) में बड़ी संख्या में कंप्यूटर, लाइटिंग और अन्य उपकरणों को बिजली और डेटा कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए।
- सौंदर्य: तारों के जटिल जाल को छिपाकर कार्यस्थल को साफ-सुथरा और अव्यवस्था-मुक्त बनाता है।
2. डेटा सेंटर और सर्वर रूम (Data Centers & Server Rooms)
- केबल प्रबंधन: डेटा सेंटरों में बड़ी संख्या में नेटवर्क केबल और उच्च-करंट वाले बिजली केबलों को व्यवस्थित और अलग रखने के लिए।
- कूलिंग में सहायता: रेज्ड फ्लोर के नीचे की जगह (Plenum) का उपयोग अक्सर सर्वर रैक को ठंडा करने के लिए ठंडी हवा के वितरण (Air Distribution) के लिए किया जाता है।
- सुरक्षा और लचीलापन: सर्वर रैक को जोड़ने, हटाने या रीवायरिंग के दौरान त्वरित और आसान पहुँच प्रदान करना।
3. सार्वजनिक और विशिष्ट भवन (Public & Specialized Buildings)
- बैंक, ट्रेडिंग फ्लोर: ये अत्यधिक डेटा-निर्भर वातावरण हैं जहाँ त्वरित बदलाव और उच्च विश्वसनीयता की आवश्यकता होती है। अंडरफ्लोर डक्टिंग संवेदनशील डेटा केबलों को पावर केबलों से अलग रखती है।
- शिक्षण संस्थान और प्रयोगशालाएँ: बड़े व्याख्यान कक्षों (Lecture Halls) या विज्ञान प्रयोगशालाओं में बेंचों और उपकरणों को लचीली बिजली और डेटा आपूर्ति प्रदान करने के लिए।
- खुदरा (Retail) और प्रदर्शनी क्षेत्र: शोरूम और प्रदर्शनियों में, जहाँ डिस्प्ले को अक्सर स्थानांतरित किया जाता है, अंडरफ्लोर बॉक्स त्वरित बिजली पहुँच प्रदान करते हैं।
मुख्य उद्देश्य
इन सभी उपयोगों में,
अंडरफ्लोर वायरिंग का उद्देश्य तारों को यांत्रिक क्षति से बचाना, ** ठोकर लगने के जोखिम (Tripping Hazard) को समाप्त करना**, और भविष्य में विस्तार तथा रखरखाव की लागत को कम करना है।
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