SF6 सर्किट ब्रेकर ( SF6 Circuit Breaker )
SF6 सर्किट ब्रेकर एक प्रकार का उच्च-वोल्टेज सर्किट ब्रेकर है जो आर्म-बुझाने वाले माध्यम (arc-quenching medium) के रूप में सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF6) गैस का उपयोग करता है। यह गैस अपनी उत्कृष्ट विद्युत रोधक (electrical insulating) और चाप शमन (arc-quenching) गुणों के कारण विद्युत सबस्टेशनों और पावर ग्रिडों में व्यापक रूप से उपयोग होती है।
कार्य सिद्धांत (Working Principle)
SF6 सर्किट ब्रेकर दो मुख्य तरीकों से चाप को बुझाते हैं:
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चाप बुझाने के लिए गैस का दबाव बढ़ाना (Gas Pressure Increase for Arc Quenching):
- जब संपर्क अलग होते हैं, तो चाप बनता है।
- SF6 गैस को एक पिस्टन या कंप्रेसर का उपयोग करके चाप की ओर उच्च दबाव में पंप किया जाता है।
- गैस के अणु चाप से इलेक्ट्रॉनों को अवशोषित करते हैं, जिससे चाप का प्लाज्मा (plasma) गैर-प्रवाहकीय (non-conductive) SF6 गैस में परिवर्तित हो जाता है, और चाप बुझ जाता है।
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SF6 गैस का फैलाव (Puffer Principle):
- इस सिद्धांत में, SF6 गैस को एक छोटे सिलेंडर में संपीड़ित (compress) किया जाता है।
- जब सर्किट ब्रेकर खुलता है, तो यह संपीड़ित गैस को चाप के ऊपर छोड़ा जाता है।
- गैस का उच्च वेग चाप को ठंडा करता है और उसके माध्यम से इलेक्ट्रॉनों को हटाता है, जिससे चाप बुझ जाता है।
उपयोग और लाभ (Uses and Advantages)
उपयोग (Uses)
- उच्च-वोल्टेज सबस्टेशन (High-Voltage Substations): 11 kV से 800 kV तक के वोल्टेज स्तर पर बिजली ट्रांसमिशन और वितरण के लिए।
- पावर ग्रिड (Power Grids): भारी बिजली भार (heavy electrical loads) को स्विच करने और शॉर्ट सर्किट से सुरक्षा प्रदान करने के लिए।
- औद्योगिक संयंत्र (Industrial Plants): बड़े मोटर्स और ट्रांसफार्मर को सुरक्षित रूप से संचालित करने के लिए।
लाभ (Advantages)
- उत्कृष्ट चाप शमन क्षमता (Excellent Arc Quenching Capability): SF6 गैस की उच्च विद्युत ऋणात्मकता (high electronegativity) इसे चाप को तेजी से बुझाने में मदद करती है, जिससे स्विचिंग समय कम हो जाता है।
- कम रखरखाव (Low Maintenance): SF6 सर्किट ब्रेकर लंबे समय तक चलने वाले और विश्वसनीय होते हैं, जिन्हें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
- कम शोर (Low Noise): अन्य प्रकार के सर्किट ब्रेकरों की तुलना में, SF6 ब्रेकर संचालन के दौरान कम शोर करते हैं।
- गैर-ज्वलनशील (Non-Flammable): SF6 गैस गैर-ज्वलनशील होती है, जिससे आग का खतरा कम होता है।
हानि (Disadvantages)
- उच्च लागत (High Cost): SF6 सर्किट ब्रेकर शुरुआती लागत में महंगे होते हैं।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएं (Environmental Concerns): SF6 एक बहुत शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जिसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 23,500 गुना अधिक है। यदि यह गैस वायुमंडल में लीक होती है, तो यह गंभीर पर्यावरणीय क्षति पहुंचा सकती है।
- गैस रिसाव (Gas Leakage): गैस के रिसाव को रोकने के लिए विशेष सीलिंग और निगरानी प्रणालियों की आवश्यकता होती है, जो लागत और रखरखाव को बढ़ाती हैं।
SF6 सर्किट ब्रेकर के परीक्षण का मुख्य उद्देश्य उसके विश्वसनीय और सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करना है। यह परीक्षण कई महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ब्रेकर आपातकालीन स्थितियों में सही ढंग से कार्य करेगा।
परीक्षण के प्रमुख उद्देश्य (Key Objectives of Testing)
- गैस की गुणवत्ता की जाँच: SF6 गैस की शुद्धता, नमी की मात्रा और घनत्व की जांच की जाती है। यदि गैस में नमी या अशुद्धियां हों, तो यह उसके इंसुलेटिंग और आर्क-बुझाने की क्षमता को कम कर सकती है, जिससे ब्रेकर का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
- यांत्रिक स्थिति का सत्यापन: ब्रेकर के आंतरिक यांत्रिक भागों, जैसे कि स्प्रिंग चार्जिंग मोटर, ट्रिपिंग और क्लोजिंग कॉइल, और ऑपरेटिंग मैकेनिज्म की जाँच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुचारू रूप से और समय पर काम कर रहे हैं।
- इंसुलेशन प्रतिरोध परीक्षण: ब्रेकर के विभिन्न हिस्सों के बीच इंसुलेशन प्रतिरोध का परीक्षण किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर उच्च वोल्टेज पर भी ठीक से इन्सुलेट कर रहा है और कोई रिसाव नहीं है।
- सर्किट ब्रेकर टाइमिंग टेस्ट: यह सबसे महत्वपूर्ण परीक्षणों में से एक है। इसमें ब्रेकर के खुलने और बंद होने के समय को मापा जाता है। सही समय पर संचालन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक छोटी सी देरी भी शॉर्ट सर्किट की स्थिति में गंभीर नुकसान का कारण बन सकती है।
- गैस रिसाव का पता लगाना: SF6 एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए इसके किसी भी संभावित रिसाव का पता लगाना और उसे ठीक करना पर्यावरण और सुरक्षा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
- संपर्क प्रतिरोध माप: ब्रेकर के संपर्कों के बीच प्रतिरोध को मापा जाता है। उच्च प्रतिरोध ओवरहीटिंग और बिजली के नुकसान का कारण बन सकता है।
कुल मिलाकर,
इन परीक्षणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि SF6 सर्किट ब्रेकर हर समय इष्टतम स्थिति में रहे और किसी भी फॉल्ट की स्थिति में सिस्टम को सुरक्षित रूप से अलग कर सके। यह नियमित रखरखाव का एक हिस्सा है जो उपकरण के जीवनकाल और विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के लिए इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण (Insulation Resistance Test) एक महत्वपूर्ण रखरखाव प्रक्रिया है। इस परीक्षण का उद्देश्य ब्रेकर के विभिन्न भागों के इंसुलेशन की अखंडता और गुणवत्ता को मापना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी अवांछित विद्युत प्रवाह ग्राउंड या अन्य भागों में लीक न हो। यह परीक्षण ब्रेकर के सुरक्षित और विश्वसनीय संचालन के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रक्रिया और उद्देश्य (Process and Purpose)
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उद्देश्य:
- ब्रेकर के मुख्य सर्किट (main circuit) और ग्राउंड (ground) के बीच के इन्सुलेशन प्रतिरोध को मापना।
- ब्रेकर के नियंत्रण सर्किट (control circuit) और ग्राउंड के बीच के इन्सुलेशन प्रतिरोध को मापना।
- यह जांचना कि क्या ब्रेकर के अंदर इन्सुलेशन में कोई टूटना (breakdown) या कमजोरी है, जो उच्च वोल्टेज के तहत शॉर्ट सर्किट का कारण बन सकता है।
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प्रक्रिया:
- उपकरण का उपयोग: इस परीक्षण के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है जिसे इंसुलेशन रेजिस्टेंस टेस्टर (Insulation Resistance Tester) या मेगर (Megger) कहते हैं।
- वोल्टेज का अनुप्रयोग: मेगर एक उच्च डीसी वोल्टेज (जैसे 1000V, 2500V, या 5000V) उत्पन्न करता है और इसे ब्रेकर के परीक्षण किए जा रहे भागों पर लागू करता है।
- प्रतिरोध का मापन: उपकरण लागू किए गए वोल्टेज और परिणामस्वरूप प्रवाहित होने वाले लीकेज करंट (leakage current) के आधार पर इन्सुलेशन प्रतिरोध की गणना करता है और इसे मेगाओम (MΩ) में दिखाता है।
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परिणाम का विश्लेषण:
- एक उच्च इन्सुलेशन प्रतिरोध (आमतौर पर Giga-ohms या Tera-ohms में) ब्रेकर के इन्सुलेशन की अच्छी स्थिति को दर्शाता है।
- कम प्रतिरोध का मतलब है कि इन्सुलेशन क्षतिग्रस्त हो सकता है या उसमें नमी, गंदगी, या अन्य अशुद्धियाँ मौजूद हैं। यह एक संभावित दोष का संकेत है जिसे ठीक करने की आवश्यकता होती है।
यह परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर उच्च वोल्टेज को सुरक्षित रूप से इन्सुलेट कर सकता है, जिससे बिजली के झटके और उपकरणों को नुकसान का खतरा कम हो जाता है।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के लिए संपर्क प्रतिरोध परीक्षण (Contact Resistance Test) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ब्रेकर के आंतरिक संपर्कों की स्थिति और गुणवत्ता का आकलन करता है। यह परीक्षण सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर के क्लोज होने पर विद्युत धारा बिना किसी रुकावट के प्रवाहित हो सके। यदि संपर्क प्रतिरोध बहुत अधिक है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
उच्च संपर्क प्रतिरोध के कारण होने वाली समस्याएं (Problems Caused by High Contact Resistance) ओवरहीटिंग (Overheating):
ओम के नियम (V=IR) के अनुसार, जब प्रतिरोध (R) बढ़ता है, तो उसी धारा (I) को प्रवाहित करने के लिए अधिक वोल्टेज ड्रॉप (V) होता है।
इससे संपर्क बिंदुओं पर अधिक ऊष्मा (H = I^2Rt) उत्पन्न होती है। अत्यधिक गर्मी के कारण ब्रेकर के आंतरिक भाग पिघल सकते हैं, इन्सुलेशन क्षतिग्रस्त हो सकता है, और अंततः ब्रेकर विफल हो सकता है।
ऊर्जा हानि (Energy Loss): उच्च प्रतिरोध के कारण विद्युत ऊर्जा ऊष्मा के रूप में बर्बाद हो जाती है, जिससे सिस्टम की दक्षता कम हो जाती है। यह विशेष रूप से उन प्रणालियों में महत्वपूर्ण है जो उच्च धाराएं संभालते हैं।
वोल्टेज ड्रॉप (Voltage Drop): उच्च संपर्क प्रतिरोध के कारण वोल्टेज में गिरावट होती है, जो डाउनस्ट्रीम उपकरणों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।
चाप बनना और संपर्क का क्षरण (Arcing and Contact Deterioration): जब संपर्क प्रतिरोध बढ़ता है, तो संपर्क खुलते या बंद होते समय चाप (arc) बनने की संभावना बढ़ जाती है। बार-बार चाप बनने से संपर्क सतहें खराब हो जाती हैं, जिससे प्रतिरोध और बढ़ जाता है और एक दुष्चक्र (vicious cycle) शुरू हो जाता है।
परीक्षण की प्रक्रिया (Testing Procedure) संपर्क प्रतिरोध परीक्षण एक विशेष उपकरण का उपयोग करके किया जाता है जिसे माइक्रो-ओहमीटर (micro-ohmmeter) कहते हैं, जो बहुत कम प्रतिरोध मान (माइक्रो-ओहम, μΩ) को माप सकता है। यह उपकरण ब्रेकर के बंद होने पर उसके संपर्कों के माध्यम से एक उच्च डीसी धारा (जैसे 100A या उससे अधिक) प्रवाहित करता है और वोल्टेज ड्रॉप को मापता है।
ओम के नियम का उपयोग करके प्रतिरोध की गणना की जाती है। इस परीक्षण से पता चलता है कि क्या संपर्क में कोई गंदगी, ऑक्सीकरण, या यांत्रिक समस्या है।
टाइमिंग टेस्ट (Timing Test) सर्किट ब्रेकर पर किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण परीक्षणों में से एक है। यह परीक्षण मापता है कि ब्रेकर को खोलने और बंद करने में कितना समय लगता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ब्रेकर आपातकालीन स्थितियों में सही और समय पर कार्य करे।
टाइमिंग टेस्ट क्यों महत्वपूर्ण है?
- फाल्ट क्लियरेंस: जब किसी विद्युत प्रणाली में शॉर्ट सर्किट या कोई अन्य फॉल्ट होता है, तो सर्किट ब्रेकर को तुरंत ट्रिप (trip) होकर सर्किट को खोल देना चाहिए ताकि उपकरण और सिस्टम सुरक्षित रहें। यदि ब्रेकर धीमी गति से काम करता है, तो फॉल्ट लंबे समय तक बना रहेगा, जिससे गंभीर नुकसान हो सकता है।
- विश्वसनीयता और सुरक्षा: यह परीक्षण ब्रेकर के यांत्रिक और विद्युत घटकों की स्थिति का आकलन करने में मदद करता है। यदि खुलने या बंद होने का समय निर्माता द्वारा निर्दिष्ट समय से मेल नहीं खाता है, तो यह ब्रेकर के यांत्रिक भागों, जैसे कि स्प्रिंग, लिंकेज, या कॉइल में किसी समस्या का संकेत देता है।
- पोल डिस्क्रेपेंसी (Pole Discrepancy): टाइमिंग टेस्ट से यह भी पता चलता है कि क्या तीन-चरण (three-phase) ब्रेकर के सभी तीन पोल (poles) एक ही समय पर खुलते या बंद होते हैं। यदि उनके समय में कोई अंतर है, तो यह सिस्टम में असंतुलन पैदा कर सकता है।
टाइमिंग टेस्ट कैसे किया जाता है?
टाइमिंग टेस्ट करने के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है जिसे सर्किट ब्रेकर टाइमिंग टेस्ट किट या सर्किट ब्रेकर एनालाइज़र कहते हैं। प्रक्रिया इस प्रकार है:
- सुरक्षा और आइसोलेशन: सबसे पहले, ब्रेकर को पूरी तरह से डी-एनर्जाइज़ किया जाता है और मुख्य सर्किट से अलग कर दिया जाता है।
- किट का कनेक्शन: टाइमिंग किट के कनेक्शन ब्रेकर के ट्रिप कॉइल (trip coil), क्लोजिंग कॉइल (closing coil), और मेन कॉन्टैक्ट्स (main contacts) से किए जाते हैं।
- टेस्ट ऑपरेशन: ऑपरेटर किट के माध्यम से ब्रेकर को ट्रिप (खोलने) और क्लोज (बंद करने) के लिए कमांड देता है।
- समय का मापन: किट कमांड भेजे जाने के क्षण से लेकर कॉन्टैक्ट के अलग होने (ओपनिंग टाइम) या जुड़ने (क्लोजिंग टाइम) तक के समय को मिलीसेकंड (ms) में रिकॉर्ड करती है।
- परिणामों का विश्लेषण: रिकॉर्ड किए गए समय की तुलना ब्रेकर निर्माता द्वारा दी गई मानक विशिष्टताओं (standard specifications) से की जाती है। यदि समय में महत्वपूर्ण विचलन (deviation) होता है, तो इसका मतलब है कि ब्रेकर को मरम्मत या रखरखाव की आवश्यकता है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर के परीक्षण के दौरान कई महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और उपकरण को कोई नुकसान न पहुंचे। यह सावधानियां न केवल व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए बल्कि ब्रेकर की दीर्घायु और सही कार्यक्षमता के लिए भी आवश्यक हैं।
सुरक्षा के लिए सावधानियां (Safety Precautions)
- उपकरण को डी-एनर्जाइज़ करें (De-energize the Equipment): परीक्षण शुरू करने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि सर्किट ब्रेकर को सभी विद्युत स्रोतों से पूरी तरह से अलग कर दिया गया है। लॉकआउट/टैगआउट (lockout/tagout) प्रक्रिया का पालन करें ताकि कोई भी गलती से ब्रेकर को चालू न कर दे।
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE): हमेशा उपयुक्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पहनें, जिसमें सुरक्षा हेलमेट, सुरक्षा जूते, सुरक्षा चश्मे, और इन्सुलेटेड दस्ताने शामिल हैं।
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SF6 गैस की सुरक्षा:
- वेंटिलेशन: SF6 गैस हवा से भारी होती है और बंद स्थानों में ऑक्सीजन को विस्थापित कर सकती है। इसलिए, गैस से संबंधित कार्य करते समय पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करें।
- गैस रिसाव: SF6 एक ग्रीनहाउस गैस है। गैस रिसाव को रोकने के लिए, सभी कनेक्शनों और वाल्वों को ध्यान से जांचें। रिसाव का पता लगाने के लिए गैस डिटेक्टर का उपयोग करें।
- गैस की गुणवत्ता: SF6 गैस के अपघटन (decomposition) से विषाक्त (toxic) उप-उत्पाद (by-products) बन सकते हैं, खासकर यदि इसमें चाप (arc) बन चुका हो। ऐसे मामलों में, गैस को संभालते समय विशेष सावधानी बरतें और उपयुक्त रेस्पिरेटर पहनें।
- उच्च वोल्टेज का जोखिम: इन्सुलेशन प्रतिरोध जैसे परीक्षणों के दौरान उच्च वोल्टेज का उपयोग किया जाता है। सुनिश्चित करें कि आप केवल उपयुक्त उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं और सभी कनेक्शन सुरक्षित हैं।
उपकरण को नुकसान से बचाने की सावधानियां (Precautions to Prevent Equipment Damage)
- निर्माता के निर्देशों का पालन करें: ब्रेकर के लिए निर्माता द्वारा प्रदान की गई परीक्षण प्रक्रियाओं और विशिष्टताओं का सख्ती से पालन करें।
- उपकरण की जांच: परीक्षण शुरू करने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि आपके सभी परीक्षण उपकरण, जैसे कि मेगर और टाइमिंग किट, कैलिब्रेटेड (calibrated) और अच्छी कार्यशील स्थिति में हैं।
- स्वच्छता: परीक्षण के दौरान संपर्कों और अन्य आंतरिक भागों को साफ रखें। धूल, नमी या अन्य अशुद्धियां माप को प्रभावित कर सकती हैं और ब्रेकर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- धीरे-धीरे कार्य करें: ब्रेकर के यांत्रिक भागों को धीरे-धीरे और सावधानी से संचालित करें। किसी भी घटक पर अत्यधिक बल का प्रयोग न करें।
इन सावधानियों का पालन करके,
आप SF6 सर्किट ब्रेकर के परीक्षण को सुरक्षित और प्रभावी बना सकते हैं, जिससे ब्रेकर की विश्वसनीयता और जीवनकाल सुनिश्चित होता है।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर को चालू करने का मुख्य उद्देश्य विद्युत प्रणाली को सुरक्षित रूप से जोड़ने और डिस्कनेक्ट करने के लिए है। यह एक स्विच की तरह काम करता है, लेकिन इसे विशेष रूप से उच्च वोल्टेज और उच्च धाराओं को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और यह शॉर्ट सर्किट या अन्य दोष (fault) की स्थिति में प्रणाली को स्वचालित रूप से काट देता है।
मुख्य उद्देश्य (Main Objectives)
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सामान्य संचालन (Normal Operation):
- सिस्टम को जोड़ना/अलग करना: जब बिजली की आवश्यकता होती है, तो ब्रेकर को बंद (close) किया जाता है ताकि पावर ग्रिड से जुड़े लोड तक बिजली प्रवाहित हो सके। जब लोड को डिस्कनेक्ट करने की आवश्यकता होती है (जैसे रखरखाव के लिए), तो ब्रेकर को खोला (open) जाता है।
- लोड प्रबंधन: ब्रेकर का उपयोग बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करने और विभिन्न सबस्टेशनों या लाइनों के बीच लोड को स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।
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दोष संरक्षण (Fault Protection):
- शॉर्ट सर्किट से बचाव: यह सर्किट ब्रेकर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। जब सिस्टम में शॉर्ट सर्किट होता है, तो सुरक्षात्मक रिले (protective relays) इसे तुरंत महसूस करते हैं और ब्रेकर को ट्रिप (trip) करने का संकेत देते हैं। ब्रेकर बहुत तेज़ी से खुलता है, जिससे फॉल्ट करंट का प्रवाह रुक जाता है और महंगे उपकरण जैसे ट्रांसफार्मर, जनरेटर और बसबार को नुकसान से बचाया जा सकता है।
- अतिभार (Overload) से बचाव: यदि कोई सर्किट बहुत अधिक धारा खींचता है, तो ब्रेकर ओवरलोड से सुरक्षा के लिए ट्रिप कर सकता है।
कुल मिलाकर,
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर का उद्देश्य बिजली की आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखना और विद्युत प्रणाली और उसमें काम करने वाले कर्मियों दोनों को सुरक्षित रखना है। SF6 गैस का उपयोग इसकी उत्कृष्ट चाप शमन (arc-quenching) क्षमता के कारण किया जाता है, जिससे यह उच्च-वोल्टेज और उच्च-धारा वाले अनुप्रयोगों के लिए आदर्श बन जाता है।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के कमीशनिंग के चरणों को सूचीबद्ध किया गया है:
1. यांत्रिक जांच और स्थापना (Mechanical Check and Installation)
- आधार और नींव: ब्रेकर की स्थापना से पहले, यह सुनिश्चित करें कि नींव और आधार स्थिर, समतल और निर्माता के विनिर्देशों के अनुसार हैं।
- घटकों की जांच: सभी घटकों, जैसे कि ब्रेकर पोल, ऑपरेटिंग मैकेनिज्म बॉक्स, और सपोर्ट स्ट्रक्चर की यांत्रिक स्थिति की जांच करें। सुनिश्चित करें कि वे परिवहन के दौरान क्षतिग्रस्त नहीं हुए हैं।
- इन्सुलेटर की सफाई: यदि आवश्यक हो तो इन्सुलेटर (पोरसेलेन या कंपोजिट बुशिंग्स) को साफ करें।
2. विद्युत और नियंत्रण वायरिंग (Electrical and Control Wiring)
- नियंत्रण सर्किट: ब्रेकर के क्लोजिंग, ट्रिपिंग, और अलार्म सर्किट की वायरिंग की जांच करें। सभी कनेक्शनों को सही और कसकर लगाएं।
- अर्थिंग (Earthing): सुनिश्चित करें कि ब्रेकर का सभी धातु का हिस्सा ठीक से ग्राउंडेड है।
- ऑक्सिलरी सर्किट: सभी सहायक सर्किट जैसे हीटर, पंखे (यदि लागू हो), और लाइटिंग सर्किट की जांच करें।
3. SF6 गैस भरना (SF6 Gas Filling)
- गैस की शुद्धता: ब्रेकर में भरने से पहले, SF6 गैस सिलेंडर की शुद्धता और नमी की जांच करें।
- निर्वात (Vacuum): ब्रेकर के टैंक को पूरी तरह से खाली करें और एक वैक्यूम पंप का उपयोग करके उसमें से हवा और नमी को हटा दें।
- गैस भरना: एक विशेष SF6 गैस फिलिंग यूनिट का उपयोग करके ब्रेकर को सही दबाव तक भरें। निर्माता द्वारा निर्दिष्ट दबाव स्तर का पालन करें।
- घनत्व मॉनिटर (Density Monitor): SF6 गैस घनत्व मॉनिटर की स्थापना और जांच करें, जो गैस के दबाव में किसी भी गिरावट पर चेतावनी देता है।
4. परीक्षण (Testing)
- इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण (Insulation Resistance Test): ब्रेकर के मुख्य और नियंत्रण सर्किट के इन्सुलेशन प्रतिरोध को मापें।
- संपर्क प्रतिरोध परीक्षण (Contact Resistance Test): ब्रेकर के संपर्कों के प्रतिरोध को मापें।
- टाइमिंग टेस्ट (Timing Test): ब्रेकर के खुलने और बंद होने के समय को मापें।
- ऑपरेटिंग टेस्ट: ब्रेकर को ट्रिप और क्लोज करके उसके यांत्रिक संचालन का परीक्षण करें।
- गैस लीकेज टेस्ट (Gas Leakage Test): सभी जोड़ों और सील पर गैस रिसाव का पता लगाएं।
5. अंतिम जांच और कमीशनिंग (Final Checks and Commissioning)
- अंतिम निरीक्षण: सभी कनेक्शनों, बोल्टों, और यांत्रिक भागों की अंतिम जांच करें।
- सुरक्षात्मक रिले की सेटिंग: ब्रेकर के साथ जुड़े सुरक्षात्मक रिले को सही ढंग से सेट करें।
- ऑपरेशन: सभी परीक्षणों के बाद, ब्रेकर को धीरे-धीरे सामान्य परिचालन में लाया जाता है।
- दस्तावेजीकरण (Documentation): सभी परीक्षणों के परिणाम, रीडिंग, और सेटिंग्स को एक कमीशनिंग रिपोर्ट में रिकॉर्ड करें।
यदि SF6 सर्किट ब्रेकर काम करने में विफल हो जाता है, तो समस्या निवारण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:
1. प्रारंभिक जांच (Initial Check)
- विजुअल इंस्पेक्शन: सबसे पहले, ब्रेकर के बाहरी हिस्सों, जैसे कि लिंकेज, स्प्रिंग मैकेनिज्म, और बुशिंग्स की दृश्य जांच करें। देखें कि क्या कोई यांत्रिक क्षति, ढीले कनेक्शन, या असामान्य स्थिति है।
- इंडिकेटर की जांच: ब्रेकर के क्लोज/ओपन इंडिकेटर और गैस डेंसिटी इंडिकेटर की जांच करें। यदि गैस का दबाव कम है, तो यह ब्रेकर के ट्रिप होने का एक संभावित कारण हो सकता है।
2. नियंत्रण सर्किट की जांच (Control Circuit Check)
कंट्रोल वोल्टेज: यह सुनिश्चित करें कि कंट्रोल सर्किट में सही वोल्टेज (आमतौर पर 110V या 220V AC/DC) आ रहा है। यदि वोल्टेज कम या अनुपस्थित है, तो फ्यूज, एमसीबी, या बैटरी चार्जर में समस्या हो सकती है।
ट्रिप/क्लोज कॉइल: ट्रिप और क्लोज कॉइल की निरंतरता (continuity) की जांच करें। यदि कॉइल जल गया है या उसका सर्किट खुला है, तो ब्रेकर कमांड पर प्रतिक्रिया नहीं करेगा।
रिले और सहायक संपर्क: ब्रेकर से जुड़े सुरक्षात्मक रिले और इसके सहायक संपर्कों (auxiliary contacts) की जांच करें। सुनिश्चित करें कि वे सही ढंग से काम कर रहे हैं।
3. यांत्रिक समस्याएं (Mechanical Problems)
- ऑपरेटिंग मैकेनिज्म: ब्रेकर के ऑपरेटिंग मैकेनिज्म (स्प्रिंग चार्जिंग मोटर, लिंकेज) की जांच करें। यदि स्प्रिंग पूरी तरह से चार्ज नहीं हो रहा है, तो ब्रेकर बंद नहीं होगा।
- लिंकेज और बुशिंग्स: देखें कि क्या लिंकेज जाम है या बुशिंग्स में कोई क्षति है जो ब्रेकर के संचालन को बाधित कर सकती है।
4. SF6 गैस से संबंधित समस्याएं (SF6 Gas Related Problems)
- गैस का दबाव: गैस के दबाव की जांच करें। यदि दबाव निर्माता द्वारा निर्दिष्ट सीमा से कम है, तो यह ब्रेकर के ट्रिप होने का कारण बन सकता है। ऐसे में, गैस रिसाव का पता लगाएं और उसे ठीक करें।
- गैस की गुणवत्ता: यदि ब्रेकर बार-बार काम करने में विफल हो रहा है, तो गैस के नमूनों की जांच करें। गैस में नमी या अपघटित (decomposed) उत्पाद हो सकते हैं, जो उसकी इन्सुलेटिंग और चाप-बुझाने की क्षमता को कम करते हैं।
5. विस्तृत परीक्षण (Detailed Testing)
यदि उपरोक्त कदम समस्या का समाधान नहीं करते हैं, तो निम्नलिखित विस्तृत परीक्षण किए जाने चाहिए:
- इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण: ब्रेकर के इन्सुलेशन प्रतिरोध को मापें।
- संपर्क प्रतिरोध परीक्षण: ब्रेकर के मुख्य संपर्कों के प्रतिरोध की जांच करें।
- टाइमिंग टेस्ट: ब्रेकर के खुलने और बंद होने के समय को मापें।
- SF6 गैस विश्लेषण: गैस की शुद्धता, नमी और अपघटित उत्पादों का विस्तृत विश्लेषण करें।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि समस्या का सही समाधान हो, इन सभी कदमों को एक व्यवस्थित तरीके से और उचित सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किया जाना चाहिए।
एसएफ6 गैस रिसाव का पता लगाने के कई तरीके हैं। इसके प्रभावों को समझना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। रिसाव का पता लगाना (Leak Detection) एसएफ6 गैस रिसाव का पता लगाने के लिए कई विधियां उपयोग की जाती हैं:
इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्टर: यह सबसे आम और संवेदनशील तरीका है। एक इलेक्ट्रॉनिक डिटेक्टर SF6 गैस की उपस्थिति में एक अलार्म बजाता है या डिजिटल रीडिंग दिखाता है। यह छोटी से छोटी मात्रा में भी गैस का पता लगा सकता है।
अल्ट्रासोनिक डिटेक्टर: रिसाव के स्थान पर SF6 गैस के निकलने से एक अल्ट्रासोनिक ध्वनि उत्पन्न होती है। अल्ट्रासोनिक डिटेक्टर इस ध्वनि को पहचान सकते हैं, जो हवा के प्रवाह या अन्य शोर से अलग होती है।
सूंघने वाला (Sniffing) विधि: एक विशेष जांच (probe) का उपयोग किया जाता है जिसे ब्रेकर के चारों ओर ले जाया जाता है। यह विधि गैस रिसाव के सटीक स्थान का पता लगाने में मदद करती है।
गैस घनत्व मॉनिटर (Gas Density Monitor): ब्रेकर पर लगे घनत्व मॉनिटर लगातार गैस के दबाव की निगरानी करते हैं। यदि दबाव एक निर्धारित स्तर से नीचे गिरता है, तो यह अलार्म बजाता है, जो बड़े रिसाव का संकेत देता है।
SF6 गैस के प्रभाव (Effects of SF6 Gas) एसएफ6 गैस के रिसाव के दो मुख्य प्रभाव होते हैं:
पर्यावरण संबंधी प्रभाव (Environmental Impact):
ग्रीनहाउस गैस: SF6 एक बहुत शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है। इसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 23,500 गुना अधिक है।
लंबे समय तक रहने वाली: SF6 गैस वायुमंडल में 3,200 साल तक रह सकती है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रभाव (Health and Safety Impact):
दम घोटने वाला (Asphyxiant): SF6 गैस हवा से लगभग पांच गुना भारी होती है। बंद या खराब वेंटिलेशन वाले स्थानों में, यह जमीन के पास जमा हो जाती है और ऑक्सीजन को विस्थापित कर सकती है, जिससे दम घुटने का खतरा होता है।
विषाक्त उप-उत्पाद: यदि SF6 गैस में उच्च-ऊर्जा चाप (arc) बनता है, तो यह अपघटित होकर सल्फर टेट्राफ्लोराइड (SF_4), सल्फर डाइऑक्साइड (SO_2) जैसे विषाक्त उप-उत्पादों का निर्माण कर सकती है। इन उप-उत्पादों के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
समस्या निवारण (troubleshooting) के दौरान सुरक्षा सर्वोपरि है, खासकर जब उच्च-वोल्टेज उपकरणों जैसे SF6 सर्किट ब्रेकर के साथ काम किया जा रहा हो। इन सावधानियों का उद्देश्य कर्मियों को बिजली के झटके, आग, और अन्य खतरों से बचाना है।
1. विद्युत सुरक्षा (Electrical Safety)
- डी-एनर्जाइजेशन (De-energization): किसी भी मरम्मत या समस्या निवारण कार्य को शुरू करने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि उपकरण को सभी विद्युत स्रोतों से पूरी तरह से अलग कर दिया गया है।
- लॉकआउट/टैगआउट (LOTO): उपकरण को गलती से चालू होने से रोकने के लिए एक लॉकआउट/टैगआउट (LOTO) प्रक्रिया का पालन करें। यह एक मानकीकृत सुरक्षा प्रक्रिया है जिसमें सभी ऊर्जा स्रोतों को बंद कर दिया जाता है और ताला लगा दिया जाता है।
- विद्युत रोधक दस्ताने: हमेशा विद्युत रोधक (insulating) दस्ताने पहनें जो आपके काम के लिए उपयुक्त वोल्टेज स्तर के लिए रेटेड हों।
- ग्राउंडिंग: उपकरण को ग्राउंड करें ताकि उसमें बची हुई कोई भी ऊर्जा खत्म हो जाए।
2. SF6 गैस से संबंधित सुरक्षा (SF6 Gas Related Safety)
- वेंटिलेशन: यदि आप SF6 गैस से संबंधित काम कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि कार्य क्षेत्र में पर्याप्त वेंटिलेशन है।
- गैस डिटेक्टर: गैस रिसाव का पता लगाने के लिए हमेशा एक विश्वसनीय SF6 गैस डिटेक्टर का उपयोग करें।
- रेस्पिरेटरी प्रोटेक्शन: यदि आप दूषित SF6 गैस के संपर्क में आने की संभावना है, तो श्वसन यंत्र (respirator) और अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पहनें।
- दस्तावेजीकरण: सभी गैस हैंडलिंग कार्यों को रिकॉर्ड करें, जिसमें निकाली गई या भरी गई गैस की मात्रा और उसकी गुणवत्ता शामिल है।
3. यांत्रिक सुरक्षा (Mechanical Safety)
अचानक गति: ब्रेकर के यांत्रिक घटक, जैसे कि स्प्रिंग, में संग्रहीत ऊर्जा (stored energy) हो सकती है। इन भागों पर काम करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें ताकि वे अचानक न खुलें या बंद न हों।
गिरने वाली वस्तुएं: काम करते समय उपकरण पर रखे गए टूल या अन्य वस्तुओं को गिरने से रोकें। सुरक्षात्मक हेलमेट पहनें।
सही उपकरण: हमेशा सही और कैलिब्रेटेड उपकरणों का उपयोग करें। गलत उपकरण का उपयोग करने से उपकरण को नुकसान हो सकता है या चोट लग सकती है।
4. सामान्य सुरक्षा सावधानियां (General Safety Precautions)
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE): कार्य के लिए उपयुक्त पीपीई पहनें, जिसमें सुरक्षा हेलमेट, सुरक्षा चश्मे, और सुरक्षा जूते शामिल हैं।
- आपातकालीन प्रक्रियाएं: आपातकालीन प्रक्रियाओं (emergency procedures) और प्राथमिक चिकित्सा (first aid) के बारे में जानकारी रखें।
- काम करने का माहौल: कार्य क्षेत्र को साफ और व्यवस्थित रखें। फर्श पर तेल, ग्रीस, या पानी जैसे फिसलन भरे पदार्थों से बचें।
- निर्देशों का पालन करें: हमेशा निर्माता द्वारा दिए गए निर्देशों और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करें।
इन सावधानियों का पालन करके,
आप SF6 सर्किट ब्रेकर पर समस्या निवारण को सुरक्षित और प्रभावी बना सकते हैं।
परीक्षण और कमीशनिंग के दौरान, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ तैयार किए जाते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ब्रेकर और पूरा सिस्टम ठीक से स्थापित, परीक्षण और चालू किया गया है। ये दस्तावेज़ भविष्य के रखरखाव और समस्या निवारण के लिए भी आवश्यक हैं।
1. कमीशनिंग रिपोर्ट (Commissioning Report)
यह सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो सभी परीक्षणों का सारांश प्रदान करता है। इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल होती है:
- ब्रेकर का विवरण: निर्माता, मॉडल, सीरियल नंबर, और रेटिंग।
- साइट का विवरण: स्थापना की तारीख, स्थान, और पर्यवेक्षक का नाम।
- परीक्षण के परिणाम: सभी किए गए परीक्षणों के परिणाम, जैसे इन्सुलेशन प्रतिरोध, संपर्क प्रतिरोध, और टाइमिंग टेस्ट।
- निष्कर्ष: क्या ब्रेकर निर्माता के विनिर्देशों को पूरा करता है और संचालन के लिए तैयार है।
2. परीक्षण रिपोर्ट (Test Reports)
प्रत्येक विशिष्ट परीक्षण के लिए अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की जाती हैं। इनमें शामिल हैं:
- इन्सुलेशन प्रतिरोध रिपोर्ट: इसमें मुख्य सर्किट और नियंत्रण सर्किट के लिए मापा गया प्रतिरोध मान होता है।
- संपर्क प्रतिरोध रिपोर्ट: इसमें प्रत्येक पोल के लिए संपर्क प्रतिरोध का मान होता है।
- टाइमिंग टेस्ट रिपोर्ट: यह खुलने, बंद होने और पोल के बीच के समय का रिकॉर्ड रखता है।
- SF6 गैस विश्लेषण रिपोर्ट: इसमें गैस की शुद्धता, नमी, और अपघटित उत्पादों का विश्लेषण होता है।
3. चेकलिस्ट और प्रोटोकॉल (Checklists and Protocols)
ये दस्तावेज़ सुनिश्चित करते हैं कि सभी कदम व्यवस्थित तरीके से उठाए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- स्थापना चेकलिस्ट: यह पुष्टि करता है कि ब्रेकर को सही ढंग से स्थापित किया गया है।
- सुरक्षा प्रोटोकॉल: यह सुनिश्चित करता है कि सभी सुरक्षा सावधानियों का पालन किया गया है।
- कमीशनिंग प्रोटोकॉल: यह कमीशनिंग के दौरान किए जाने वाले सभी कदमों को सूचीबद्ध करता है।
4. रखरखाव लॉग (Maintenance Log)
यह दस्तावेज़ ब्रेकर के जीवनकाल के दौरान किए गए सभी रखरखाव और मरम्मत कार्यों का रिकॉर्ड रखता है। यह भविष्य में किसी भी समस्या का पता लगाने और निवारण करने में मदद करता है।
यह सभी दस्तावेज़ ब्रेकर के "हेल्थ कार्ड" के रूप में काम करते हैं और इसके संचालन इतिहास का एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड प्रदान करते हैं।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर में आंशिक डिस्चार्ज (Partial Discharge) परीक्षण इसलिए किया जाता है ताकि ब्रेकर के अंदर इन्सुलेशन की स्थिति का आकलन किया जा सके और किसी भी संभावित दोष का पता लगाया जा सके। यह एक गैर-विनाशकारी (non-destructive) परीक्षण है जो ब्रेकर के लंबे समय तक सुरक्षित और विश्वसनीय संचालन को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
आंशिक डिस्चार्ज क्या है? (What is Partial Discharge?)
आंशिक डिस्चार्ज (PD) एक छोटा विद्युत निर्वहन (electrical discharge) है जो इन्सुलेशन सिस्टम में होता है। यह इन्सुलेशन की सतह पर, उसके अंदर, या उसके आस-पास होता है। यह आमतौर पर एक कमजोर बिंदु पर होता है जहां विद्युत क्षेत्र की तीव्रता बहुत अधिक होती है। आंशिक डिस्चार्ज की घटना तब होती है जब इन्सुलेशन में छोटे-छोटे गैस-भरे रिक्त स्थान (voids), नमी, या अन्य अशुद्धियां होती हैं।
परीक्षण का महत्व (Importance of the Test)
SF6 सर्किट ब्रेकर में आंशिक डिस्चार्ज परीक्षण के कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं:
-
प्रारंभिक दोष का पता लगाना (Early Fault Detection):
- यह परीक्षण ब्रेकर के अंदर इन्सुलेशन में होने वाली शुरुआती समस्याओं का पता लगा सकता है, जैसे कि विनिर्माण दोष (manufacturing defects), दोषपूर्ण सामग्री, या स्थापना के दौरान हुई क्षति।
- यदि इन समस्याओं का समय पर पता नहीं लगाया जाता है, तो वे अंततः इन्सुलेशन को पूरी तरह से विफल कर सकती हैं, जिससे ब्रेकर का ब्रेकडाउन (breakdown) हो सकता है।
-
सुरक्षा सुनिश्चित करना (Ensuring Safety):
- आंशिक डिस्चार्ज ब्रेकर के इन्सुलेशन को धीरे-धीरे खराब कर सकता है, जिससे उपकरण की जीवनकाल कम हो जाती है।
- PD परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर बिना किसी अप्रत्याशित विफलता के उच्च वोल्टेज को संभाल सकता है।
- मरम्मत की योजना बनाना (Planning Repairs):
- परीक्षण के परिणामों के आधार पर, रखरखाव टीमें समस्या के स्रोत का पता लगा सकती हैं और ब्रेकडाउन होने से पहले ही आवश्यक मरम्मत की योजना बना सकती हैं।
कुल मिलाकर,
आंशिक डिस्चार्ज परीक्षण एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के निवारक रखरखाव (preventive maintenance) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ब्रेकर के इन्सुलेशन की गुणवत्ता को सत्यापित करने और किसी भी संभावित खतरे को पहचानने में मदद करता है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर के समस्या निवारण के दौरान आमतौर पर कई तरह की खामियां पाई जाती हैं, जो विद्युत और यांत्रिक दोनों हो सकती हैं। ये खामियां ब्रेकर के प्रदर्शन और विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती हैं।
1. SF6 गैस से संबंधित खामियां (SF6 Gas Related Faults)
- गैस का कम दबाव (Low Gas Pressure): यह सबसे आम समस्याओं में से एक है। यदि SF6 गैस का दबाव निर्दिष्ट स्तर से नीचे चला जाता है, तो ब्रेकर की चाप शमन क्षमता कम हो जाती है, जिससे यह सुरक्षित रूप से संचालित नहीं हो पाएगा। इसका कारण गैस रिसाव हो सकता है।
- गैस की नमी (Moisture in Gas): गैस में नमी की उपस्थिति इंसुलेशन प्रतिरोध को कम करती है और आंशिक डिस्चार्ज (partial discharge) का कारण बन सकती है। नमी की उपस्थिति अक्सर खराब सील या अनुचित गैस फिलिंग के कारण होती है।
- गैस के अपघटन उत्पाद (Gas Decomposition Products): जब ब्रेकर चाप को बुझाता है, तो उच्च ताप के कारण SF6 गैस के कुछ अणु विघटित हो सकते हैं। ये उप-उत्पाद, जैसे सल्फर टेट्राफ्लोराइड, न केवल विषाक्त होते हैं बल्कि ब्रेकर के आंतरिक घटकों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
2. यांत्रिक खामियां (Mechanical Faults)
- ऑपरेटिंग मैकेनिज्म की खराबी (Operating Mechanism Failure): ब्रेकर के खुलने और बंद होने का कार्य यांत्रिक स्प्रिंग-चार्जिंग सिस्टम द्वारा नियंत्रित होता है। यदि स्प्रिंग चार्जिंग मोटर, लिंकेज, या ट्रिपिंग/क्लोजिंग कॉइल विफल हो जाते हैं, तो ब्रेकर कमांड पर प्रतिक्रिया नहीं करेगा।
- संपर्क की खराबी (Contact Failure): ब्रेकर के मुख्य संपर्कों में अधिक प्रतिरोध हो सकता है, जिससे अत्यधिक गर्मी, ओवरलोडिंग और चाप की समस्या हो सकती है। यह अक्सर संपर्क सतहों पर ऑक्सीकरण, गंदगी या घिसाव के कारण होता है।
- असंतुलित समय (Unbalanced Timing): तीन-चरण वाले ब्रेकर में, सभी तीन पोल्स को एक ही समय पर खुलना और बंद होना चाहिए। यदि उनके समय में महत्वपूर्ण अंतर है, तो यह विद्युत प्रणाली में असंतुलन पैदा कर सकता है।
3. विद्युत और नियंत्रण खामियां (Electrical and Control Faults)
- कंट्रोल सर्किट में समस्या: नियंत्रण सर्किट में फ्यूज जलना, तारों का ढीला होना, या सहायक संपर्कों की खराबी ब्रेकर को काम करने से रोक सकती है।
- इन्सुलेशन की विफलता (Insulation Failure): ब्रेकर में नमी या गंदगी के कारण आंतरिक इन्सुलेशन का प्रतिरोध कम हो सकता है। यह आंशिक डिस्चार्ज या इन्सुलेशन के पूर्ण ब्रेकडाउन का कारण बन सकता है।
इन समस्याओं का समय पर पता लगाने और निवारण करने के लिए नियमित रखरखाव और परीक्षण महत्वपूर्ण हैं।
परीक्षण के दौरान तापमान SF6 सर्किट ब्रेकर के संचालन को कई तरह से प्रभावित करता है, विशेष रूप से SF6 गैस के घनत्व और यांत्रिक घटकों के प्रदर्शन पर।
1. SF6 गैस पर प्रभाव
SF6 गैस का घनत्व तापमान के साथ बदलता है। चूंकि ब्रेकर का प्रदर्शन गैस के घनत्व पर निर्भर करता है, न कि केवल उसके दबाव पर, इसलिए तापमान का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है।
- उच्च तापमान: जब तापमान बढ़ता है, तो गैस का दबाव भी बढ़ता है, लेकिन घनत्व कम हो जाता है। यदि ब्रेकर के अंदर गैस का घनत्व बहुत कम हो जाता है, तो उसकी चाप शमन (arc-quenching) और विद्युत रोधक (insulating) क्षमता घट जाती है, जिससे ब्रेकर की सुरक्षा और विश्वसनीयता कम हो सकती है।
- कम तापमान: जब तापमान घटता है, तो गैस का दबाव भी घटता है। यदि दबाव एक निश्चित स्तर से नीचे चला जाता है, तो ब्रेकर के आंतरिक सुरक्षा तंत्र (interlocks) ट्रिगर हो जाते हैं और ब्रेकर को काम करने से रोकते हैं ताकि किसी भी फॉल्ट की स्थिति में कोई बड़ा नुकसान न हो।
यही कारण है कि SF6 ब्रेकर में अक्सर एक घनत्व मॉनिटर (density monitor) लगा होता है जो दबाव और तापमान दोनों को ध्यान में रखते हुए गैस के घनत्व की निगरानी करता है।
2. यांत्रिक घटकों पर प्रभाव
तापमान में बदलाव ब्रेकर के यांत्रिक घटकों को भी प्रभावित कर सकता है:
- धातु के भागों का विस्तार/संकुचन: तापमान में वृद्धि या कमी से धातु के भागों में थर्मल विस्तार या संकुचन हो सकता है। यह ब्रेकर के यांत्रिक लिंकेज और संपर्कों के बीच की दूरी को प्रभावित कर सकता है, जिससे ब्रेकर के खुलने और बंद होने का समय (timing) बदल सकता है।
- चिकनाई (Lubrication): कम तापमान पर चिकनाई वाले ग्रीस या तेल गाढ़े हो सकते हैं, जिससे ब्रेकर के संचालन में घर्षण बढ़ सकता है और उसके यांत्रिक प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।
इसलिए,
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर का परीक्षण करते समय, परिवेश के तापमान और ब्रेकर के आंतरिक तापमान दोनों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। अधिकांश परीक्षण निर्माता द्वारा निर्दिष्ट तापमान सीमा के भीतर किए जाते हैं ताकि विश्वसनीय परिणाम प्राप्त हो सकें।
यहां एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के परीक्षण और कमीशनिंग के लिए एक सरल आरेख दिया गया है। यह आरेख विभिन्न चरणों और उनसे संबंधित उपकरणों को दर्शाता है।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर परीक्षण और कमीशनिंग प्रक्रिया का आरेख
चरण 1: स्थापना और यांत्रिक जांच
- स्थापना: ब्रेकर को उसके आधार पर स्थापित करना।
- यांत्रिक जांच: लिंकेज, स्प्रिंग मैकेनिज्म, और अन्य यांत्रिक घटकों का निरीक्षण।
- दस्तावेजीकरण: सभी घटकों का सीरियल नंबर और स्थिति रिकॉर्ड करना।
- उपकरण: बुनियादी हाथ के औजार, टॉर्क रेंच।
चरण 2: SF6 गैस भरना
- वैक्यूम: ब्रेकर टैंक से हवा और नमी को हटाना।
- गैस भरना: SF6 गैस को सही दबाव पर भरना।
- घनत्व मॉनिटर: गैस घनत्व मॉनिटर की स्थापना और जांच।
- उपकरण: SF6 गैस फिलिंग यूनिट, वैक्यूम पंप, प्रेशर गेज।
चरण 3: विद्युत परीक्षण
- इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण: मुख्य सर्किट और नियंत्रण सर्किट के बीच इन्सुलेशन की जांच।
- उपकरण: मेगर (Megger)।
- संपर्क प्रतिरोध परीक्षण: ब्रेकर के बंद होने पर संपर्कों के प्रतिरोध का मापन।
- उपकरण: माइक्रो-ओहमीटर।
- टाइमिंग टेस्ट: ब्रेकर के खुलने और बंद होने के समय का मापन।
- उपकरण: सर्किट ब्रेकर टाइमिंग एनालाइज़र।
- आंशिक डिस्चार्ज परीक्षण (यदि आवश्यक हो): इन्सुलेशन की अखंडता की जांच।
- उपकरण: PD टेस्टर।
चरण 4: नियंत्रण और सुरक्षा जांच
- नियंत्रण सर्किट की जांच: ट्रिप/क्लोज कॉइल, सहायक संपर्कों, और वायरिंग की जांच।
- रिले परीक्षण: ब्रेकर से जुड़े सुरक्षात्मक रिले का परीक्षण।
- ऑपरेटिंग टेस्ट: स्थानीय और दूरस्थ कमांड के साथ ब्रेकर को ट्रिप और क्लोज करके जांच।
- उपकरण: मल्टीमीटर, कंट्रोल सर्किट टेस्टर।
चरण 5: अंतिम कमीशनिंग और दस्तावेजीकरण
- सुरक्षा जांच: सभी सुरक्षा प्रणालियों, जैसे कि घनत्व मॉनिटर अलार्म, की अंतिम जांच।
- पावर ऑन: ब्रेकर को सिस्टम से जोड़ना।
- दस्तावेजीकरण: सभी परीक्षण परिणामों और प्रक्रियाओं को एक विस्तृत कमीशनिंग रिपोर्ट में रिकॉर्ड करना।
यह आरेख एक सामान्य प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है और ब्रेकर के प्रकार और निर्माता के विनिर्देशों के आधार पर इसमें मामूली बदलाव हो सकते हैं।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के संपर्क प्रतिरोध परीक्षण का सेटअप सीधा है। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रेकर के बंद संपर्कों (closed contacts) के प्रतिरोध को मापना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ब्रेकर में विद्युत धारा बिना किसी रुकावट के प्रवाहित हो सके।
इस परीक्षण को करने के लिए एक विशेष उपकरण, माइक्रो-ओहमीटर (Micro-ohmmeter) का उपयोग किया जाता है। परीक्षण सेटअप (Test Setup) संपर्क प्रतिरोध परीक्षण का सेटअप इस प्रकार होता है:
उपकरण: एक माइक्रो-ओहमीटर, जिसे डीयूसीटीआर (Digital Unit for Contact Resistance) टेस्टर के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग किया जाता है। यह उपकरण उच्च डीसी धारा (100A से अधिक) उत्पन्न कर सकता है।
कनेक्शन: धारा केबल (Current Cables): माइक्रो-ओहमीटर से दो मोटी धारा केबल (C_1 और C_2) ब्रेकर के दोनों ओर (इनपुट और आउटपुट टर्मिनल) पर जोड़ें। ये केबल उच्च धारा को प्रवाहित करती हैं।
पोटेंशियल केबल (Potential Cables): माइक्रो-ओहमीटर से दो पतली पोटेंशियल केबल (P_1 और P_2) को ब्रेकर के संपर्कों के ठीक पास, उसी टर्मिनलों पर जोड़ें जहां धारा केबल जुड़ी हैं। ये केबल वोल्टेज ड्रॉप को सटीक रूप से मापने के लिए उपयोग होती हैं।
परीक्षण का सिद्धांत: माइक्रो-ओहमीटर एक उच्च डीसी धारा को ब्रेकर के बंद संपर्कों के माध्यम से भेजता है। साथ ही, यह पोटेंशियल केबलों का उपयोग करके संपर्कों पर होने वाले वोल्टेज ड्रॉप को मापता है।
माप और गणना (Measurement and Calculation) उपकरण ओम के नियम (R = V/I) का उपयोग करके प्रतिरोध की गणना करता है।
V = मापा गया वोल्टेज ड्रॉप (potential cables द्वारा)।
I = प्रवाहित की गई धारा (current cables द्वारा)।
R = संपर्क प्रतिरोध।
एक अच्छी स्थिति वाले SF6 सर्किट ब्रेकर के लिए,
संपर्क प्रतिरोध का मान माइक्रो-ओहम (micro-ohms, μΩ) की रेंज में होना चाहिए। यदि मान निर्माता द्वारा निर्दिष्ट सीमा से अधिक है, तो यह संपर्कों में समस्या (जैसे ऑक्सीकरण, गंदगी, या घिसाव) का संकेत है, जिसे ठीक करने की आवश्यकता होती है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर का समय परीक्षण (timing test) सेटअप यांत्रिक और विद्युत दोनों घटकों की जांच करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ब्रेकर, ट्रिपिंग और क्लोजिंग कमांड मिलने पर, निर्माता द्वारा निर्दिष्ट समय के भीतर काम करे।
परीक्षण सेटअप (Test Setup)
समय परीक्षण के लिए मुख्य उपकरण सर्किट ब्रेकर टाइमिंग एनालाइज़र है। इस उपकरण को ब्रेकर के विभिन्न हिस्सों से जोड़ा जाता है ताकि खुलने और बंद होने की प्रक्रिया के दौरान सटीक समय को मापा जा सके। सेटअप में निम्नलिखित कनेक्शन शामिल होते हैं:
-
कंट्रोल सर्किट कनेक्शन:
- ब्रेकर के ट्रिप कॉइल (Trip Coil) और क्लोजिंग कॉइल (Closing Coil) को टाइमिंग एनालाइज़र से जोड़ा जाता है। यह एनालाइज़र को ब्रेकर को कमांड देने की अनुमति देता है।
- टाइमिंग एनालाइज़र कमांड भेजने के समय को रिकॉर्ड करना शुरू कर देता है।
-
मेन कॉन्टैक्ट कनेक्शन (Main Contact Connection):
- एनालाइज़र की जांच (probes) को ब्रेकर के प्रत्येक पोल (phase) के इनपुट और आउटपुट टर्मिनल पर जोड़ा जाता है।
- ये जांचें ब्रेकर के संपर्कों के खुलने या बंद होने पर होने वाले वोल्टेज या प्रतिरोध परिवर्तन का पता लगाती हैं।
- ऑपरेटिंग मैकेनिज्म कनेक्शन (Operating Mechanism Connection):
- कुछ उन्नत एनालाइज़र ब्रेकर के ऑपरेटिंग मैकेनिज्म से भी जुड़े होते हैं ताकि संपर्क गति और यात्रा को मापा जा सके।
परीक्षण प्रक्रिया (Test Procedure)
-
ट्रिपिंग (खुलने) का समय:
- एनालाइज़र ट्रिप कॉइल को कमांड भेजता है।
- जैसे ही कमांड मिलती है, टाइमर शुरू हो जाता है।
- जब ब्रेकर के मेन कॉन्टैक्ट्स खुल जाते हैं (जिसे पोटेंशियल जांचों द्वारा पता लगाया जाता है), टाइमर बंद हो जाता है।
- यह समय "ओपनिंग टाइम" कहलाता है।
-
क्लोजिंग (बंद होने) का समय:
- एनालाइज़र क्लोजिंग कॉइल को कमांड भेजता है।
- टाइमर फिर से शुरू होता है।
- जब ब्रेकर के मेन कॉन्टैक्ट्स बंद हो जाते हैं, तो टाइमर बंद हो जाता है।
- यह समय "क्लोजिंग टाइम" कहलाता है।
- पोल डिस्क्रेपेंसी:
- टाइमिंग एनालाइज़र तीनों पोल्स के खुलने और बंद होने के समय में किसी भी अंतर (discrepancy) को भी मापता है।
इन मापों की तुलना ब्रेकर निर्माता द्वारा निर्दिष्ट मानों से की जाती है। यदि मापा गया समय सीमा से बाहर है, तो यह ब्रेकर के यांत्रिक या विद्युत प्रणाली में समस्या का संकेत देता है, जिसे ठीक करने की आवश्यकता होती है।
एसएफ6 (SF6) गैस दबाव निगरानी सेटअप ब्रेकर के विश्वसनीय और सुरक्षित संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रणाली है। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रेकर के अंदर SF6 गैस के दबाव और घनत्व की लगातार निगरानी करना है। यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर की चाप शमन (arc-quenching) और विद्युत रोधक (insulating) क्षमता हमेशा इष्टतम स्तर पर रहे।
SF6 गैस दबाव निगरानी सेटअप के घटक (Components of the SF6 Gas Pressure Monitoring Setup)
- घनत्व मॉनिटर (Density Monitor): यह सेटअप का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। यह एक विशेष उपकरण है जो SF6 गैस के दबाव को मापता है और तापमान में होने वाले परिवर्तनों के लिए उसे समायोजित करता है। इसका लक्ष्य गैस के दबाव के बजाय उसके घनत्व (density) की निगरानी करना है, क्योंकि ब्रेकर का प्रदर्शन सीधे गैस के घनत्व पर निर्भर करता है।
- दबाव गेज (Pressure Gauge): यह ब्रेकर के टैंक में SF6 गैस के दबाव को सीधे दिखाता है। यह स्थानीय निगरानी के लिए उपयोगी है और आमतौर पर घनत्व मॉनिटर के साथ लगा होता है।
-
अलार्म और ट्रिप संपर्क (Alarm and Trip Contacts): घनत्व मॉनिटर में कई स्विच होते हैं जो गैस के दबाव के पूर्वनिर्धारित स्तरों पर ट्रिगर होते हैं:
- अलार्म स्टेज (Alarm Stage): जब गैस का दबाव थोड़ा कम होता है, तो पहला संपर्क बंद हो जाता है और एक अलार्म सक्रिय करता है। यह रखरखाव टीम को सूचित करता है कि ब्रेकर को गैस भरने की आवश्यकता है।
- ट्रिप स्टेज (Trip Stage): यदि दबाव एक महत्वपूर्ण स्तर से नीचे गिर जाता है, तो दूसरा संपर्क बंद हो जाता है और ब्रेकर को ट्रिप कर देता है। यह सुरक्षा सुविधा सुनिश्चित करती है कि ब्रेकर कम गैस घनत्व पर काम न करे, जिससे एक बड़ी विफलता से बचा जा सके।
- दबाव स्विच (Pressure Switch): कुछ सेटअप में, घनत्व मॉनिटर के बजाय केवल दबाव स्विच का उपयोग किया जाता है। ये स्विच केवल दबाव पर प्रतिक्रिया करते हैं, तापमान पर नहीं, जिससे उनकी सटीकता कम होती है।
निगरानी का महत्व (Importance of Monitoring)
SF6 गैस के दबाव की निगरानी करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- सुरक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर हमेशा फॉल्ट की स्थिति को सुरक्षित रूप से साफ़ कर सकता है। यदि गैस का दबाव बहुत कम हो जाता है, तो चाप को प्रभावी ढंग से बुझाना संभव नहीं होगा।
- प्रणाली की विश्वसनीयता: समय पर दबाव के स्तर की निगरानी करके, संभावित गैस रिसाव का पता लगाया जा सकता है और ब्रेकर के पूरी तरह से विफल होने से पहले ही उसकी मरम्मत की जा सकती है।
- पर्यावरणीय संरक्षण: चूंकि SF6 एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, इसलिए किसी भी रिसाव का तुरंत पता लगाना और उसे ठीक करना पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर में समस्या निवारण के दौरान दोष स्थान (fault location) सेटअप का उद्देश्य ब्रेकर के अंदर या बाहर किसी भी खराबी के सटीक स्थान का पता लगाना है। यह प्रक्रिया एक व्यवस्थित दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें कई परीक्षण और निरीक्षण शामिल होते हैं।
दोष स्थान सेटअप के चरण (Stages of Fault Location Setup)
दोष का पता लगाने के लिए कई उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर सरल से जटिल की ओर बढ़ती है:
-
दृश्य निरीक्षण (Visual Inspection):
- यह पहला और सबसे आसान कदम है। इंजीनियर ब्रेकर के बाहरी हिस्सों, जैसे कि बुशिंग, लिंकेज, और नियंत्रण पैनल की जांच करते हैं।
- उद्देश्य: किसी भी स्पष्ट क्षति, ढीले कनेक्शन, टूटे हुए भागों, या तेल के रिसाव का पता लगाना।
-
SF6 गैस रिसाव का पता लगाना (SF6 Gas Leak Detection):
- यदि ब्रेकर में गैस का दबाव कम है, तो दोष का पता लगाने के लिए एक SF6 गैस डिटेक्टर का उपयोग किया जाता है।
- उद्देश्य: ब्रेकर के सभी सील, वाल्व, और जोड़ों पर गैस रिसाव के सटीक स्थान का पता लगाना।
- उपकरण: इलेक्ट्रॉनिक SF6 गैस डिटेक्टर या अल्ट्रासोनिक डिटेक्टर।
-
इन्सुलेशन दोष का पता लगाना (Insulation Fault Location):
- यदि इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण में कम मान आता है, तो इन्सुलेशन दोष का पता लगाने के लिए अधिक उन्नत परीक्षण किए जाते हैं।
- उद्देश्य: ब्रेकर के अंदर आंशिक डिस्चार्ज (partial discharge) के स्रोत का पता लगाना, जो इन्सुलेशन की खराबी का संकेत देता है।
- उपकरण: आंशिक डिस्चार्ज डिटेक्टर।
-
यांत्रिक दोष का पता लगाना (Mechanical Fault Location):
- यदि ब्रेकर सही समय पर काम नहीं करता है (जैसा कि टाइमिंग टेस्ट में पाया जाता है), तो यांत्रिक दोष का पता लगाने के लिए अधिक विस्तृत जांच की जाती है।
- उद्देश्य: ऑपरेटिंग मैकेनिज्म, लिंकेज, या स्प्रिंग सिस्टम में किसी भी खराबी का पता लगाना जो ब्रेकर के संचालन को रोक रहा है।
- उपकरण: सर्किट ब्रेकर एनालाइजर जो संपर्क गति और यात्रा को माप सकता है।
-
विद्युत दोष का पता लगाना (Electrical Fault Location):
- यदि संपर्क प्रतिरोध परीक्षण में उच्च मान आता है, तो ब्रेकर के आंतरिक संपर्कों की जांच की जाती है।
- उद्देश्य: ब्रेकर के बंद संपर्कों पर ऑक्सीकरण, गंदगी, या घिसाव का पता लगाना।
- उपकरण: माइक्रो-ओहमीटर।
इन सभी चरणों को एक व्यवस्थित तरीके से पूरा करने पर, समस्या निवारण टीम दोष के सटीक स्थान का पता लगा सकती है और उचित मरम्मत की योजना बना सकती है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर के परीक्षण में कई महत्वपूर्ण सूत्र उपयोग किए जाते हैं, जो ब्रेकर के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं। ये सूत्र विद्युत के मूल सिद्धांतों पर आधारित होते हैं।
1. संपर्क प्रतिरोध परीक्षण (Contact Resistance Test) ओहम का नियम: इस परीक्षण में, ब्रेकर के बंद संपर्कों पर वोल्टेज ड्रॉप (V) और उनके माध्यम से प्रवाहित धारा (I) को मापा जाता है। फिर संपर्क प्रतिरोध (R) की गणना करने के लिए ओहम के नियम का उपयोग किया जाता है।
R = {V}{I}
R: प्रतिरोध (ओहम में)
V: वोल्टेज (वोल्ट में)
I: धारा (एम्पीयर में)
2. इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण (Insulation Resistance Test) इन्सुलेशन प्रतिरोध की गणना: इस परीक्षण में मेगर (Megger) उपकरण द्वारा उच्च डीसी वोल्टेज (V) लागू किया जाता है, और परिणामी लीकेज धारा (I) को मापा जाता है।
इन्सुलेशन प्रतिरोध (R_{ins}) की गणना निम्न सूत्र से की जाती है:
R_{ins} = {V}{I}
R_{ins}: इन्सुलेशन प्रतिरोध (मेगाओहम में)
V: लागू डीसी वोल्टेज (वोल्ट में)
I: लीकेज धारा (माइक्रोएम्पीयर में)
3. SF6 गैस घनत्व का सुधार (SF6 Gas Density Correction) आदर्श गैस नियम: SF6 गैस का प्रदर्शन उसके घनत्व पर निर्भर करता है, जो तापमान के साथ बदलता है।
इस कारण से,
ब्रेकर का दबाव रीडिंग आमतौर पर 20^{\circ}C के संदर्भ तापमान पर समायोजित किया जाता है।
इसके लिए आदर्श गैस नियम का उपयोग किया जा सकता है:
P_2 = P_1 \times \left(\frac{T_2}{T_1}\right)
P_1: मापा गया दबाव
T_1: मापा गया तापमान (केल्विन में)
P_2: T_2 पर सुधरा हुआ दबाव
T_2: संदर्भ तापमान (20^{\circ}C या 293.15 K)
4. टाइमिंग टेस्ट (Timing Test) समय की गणना: इस परीक्षण में कोई सीधा सूत्र नहीं है। इसके बजाय, यह एक समय-आधारित माप है। ब्रेकर टाइमिंग एनालाइज़र कमांड भेजे जाने के समय (T1) और ब्रेकर के संपर्कों के खुलने या बंद होने के समय (T2) के बीच के अंतर की गणना करता है।
ओपनिंग टाइम: T_{opening} = T_2 - T_1 * क्लोजिंग टाइम:T_{closing} = T_2 - T_1 इन मापों को मिलीसेकंड (ms) में व्यक्त किया जाता है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर के संपर्क प्रतिरोध को मापने के लिए उपयोग किया जाने वाला मुख्य सूत्र ओम का नियम (R = V/I) है। संपर्क प्रतिरोध सूत्र की व्याख्या संपर्क प्रतिरोध वह प्रतिरोध है जो ब्रेकर के बंद संपर्कों के माध्यम से धारा के प्रवाह का विरोध करता है।
इसका मान बहुत कम होना चाहिए, आमतौर पर माइक्रो-ओहम (μΩ) की रेंज में।
इसे मापने के लिए, एक विशेष उपकरण, माइक्रो-ओहमीटर, का उपयोग किया जाता है।
सूत्र: R = \frac{V}{I} R represents प्रतिरोध (Resistance), जो ओम (Ohms, Ω) में मापा जाता है। V represents वोल्टेज ड्रॉप (Voltage Drop), जो बंद संपर्कों पर मापा जाता है (वोल्ट, V में)। I represents प्रवाहित धारा (Injected Current), जो माइक्रो-ओहमीटर द्वारा संपर्कों के माध्यम से भेजी जाती है (एम्पीयर, A में)।
प्रक्रिया: माइक्रो-ओहमीटर ब्रेकर के संपर्कों के माध्यम से एक उच्च डीसी धारा (I) प्रवाहित करता है। यह उपकरण एक ही समय में संपर्कों पर होने वाले वोल्टेज ड्रॉप (V) को मापता है। फिर, यह ओम के नियम का उपयोग करके प्रतिरोध (R) की गणना करता है। कम संपर्क प्रतिरोध ब्रेकर की अच्छी स्थिति को दर्शाता है।
यदि प्रतिरोध का मान उच्च है,
तो यह ओवरहीटिंग और ऊर्जा हानि का कारण बन सकता है, जिससे ब्रेकर की विफलता हो सकती है।
एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के समय परीक्षण (Timing Test) के लिए कोई विशिष्ट गणितीय सूत्र नहीं है। इसके बजाय, यह एक समय-आधारित माप है, जहाँ ब्रेकर टाइमिंग एनालाइज़र का उपयोग करके विभिन्न घटनाओं के बीच के समय अंतराल को मापा जाता है।
समय की गणना का सिद्धांत (Principle of Time Calculation) समय परीक्षण का उद्देश्य यह मापना है कि ब्रेकर को खोलने या बंद करने के लिए दिए गए कमांड और उस प्रक्रिया के वास्तव में होने के बीच कितना समय लगता है।
इसे मिलीसेकंड (ms) में मापा जाता है। यहां समय की गणना का तरीका दिया गया है:
कमांड भेजें: ब्रेकर टाइमिंग एनालाइज़र ब्रेकर के ट्रिप (खोलने) या क्लोज (बंद करने) कॉइल को एक विद्युत कमांड भेजता है। एनालाइज़र इस कमांड के भेजे जाने के समय को रिकॉर्ड करता है, जिसे T_1 कहते हैं।
संपर्क का क्रियान्वयन: एनालाइज़र ब्रेकर के मुख्य संपर्कों के खुलने या बंद होने पर होने वाले वोल्टेज या प्रतिरोध परिवर्तन का पता लगाता है। इस घटना के समय को T_2 कहते हैं।
समय की गणना: ब्रेकर का वास्तविक समय T_1 और T_2 के बीच का अंतर होता है।
खुलने का समय (Opening Time): {T_{opening}} = T_2 - T_1 यह वह समय है जो ट्रिप कमांड भेजे जाने से लेकर ब्रेकर के मुख्य संपर्कों के पूरी तरह से खुलने तक लगता है।
बंद होने का समय (Closing Time): {T_{closing}} = T_2 - T_1 यह वह समय है जो क्लोजिंग कमांड भेजे जाने से लेकर ब्रेकर के मुख्य संपर्कों के पूरी तरह से बंद होने तक लगता है।
ये समय माप ब्रेकर के यांत्रिक प्रदर्शन और सुरक्षात्मक रिले प्रणाली की प्रतिक्रिया को दर्शाते हैं। यदि मापा गया समय निर्माता द्वारा निर्दिष्ट सीमाओं से बाहर है, तो यह ब्रेकर में किसी खराबी का संकेत होता है।
एसएफ6 (SF6) गैस का घनत्व और तापमान के बीच एक सीधा संबंध होता है। यह संबंध ब्रेकर के प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रेकर की विद्युत रोधक और चाप शमन क्षमता सीधे SF6 गैस के घनत्व पर निर्भर करती है।
घनत्व और तापमान का संबंध (The Relationship between Density and Temperature) एसएफ6 गैस एक निश्चित आयतन वाले सीलबंद कंटेनर (सर्किट ब्रेकर टैंक) में भरी जाती है।
इस स्थिति में,
आदर्श गैस नियम (Ideal Gas Law) लागू होता है, जो गैस के दबाव, आयतन और तापमान के बीच संबंध बताता है। स्थिर आयतन (Constant Volume): जब आयतन स्थिर होता है, तो गैस का दबाव सीधे उसके तापमान के समानुपाती होता है।
P \propto T घनत्व (Density): घनत्व द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन होता है (Density = Mass/Volume)। चूंकि ब्रेकर टैंक में गैस का द्रव्यमान और आयतन दोनों स्थिर होते हैं, इसलिए गैस का घनत्व भी स्थिर रहता है, भले ही उसका दबाव और तापमान बदल जाए। इसका मतलब यह है कि जब तापमान बढ़ता है, तो SF6 गैस का दबाव भी बढ़ता है, लेकिन उसका घनत्व स्थिर रहता है। इसी तरह, जब तापमान घटता है, तो दबाव भी घटता है, लेकिन घनत्व वही रहता है।
SF6 घनत्व मॉनिटर का महत्व (Importance of the SF6 Density Monitor) SF6 घनत्व मॉनिटर एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो इसी संबंध पर काम करता है। यह मॉनिटर दबाव और तापमान दोनों को ध्यान में रखकर गैस के घनत्व की निगरानी करता है।
सुरक्षित संचालन: यह सुनिश्चित करता है कि ब्रेकर हमेशा सही गैस घनत्व पर काम कर रहा है। यदि गैस का घनत्व किसी रिसाव के कारण कम हो जाता है, तो मॉनिटर अलार्म बजाता है या ब्रेकर को ट्रिप कर देता है, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
सटीक मापन: यह तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण दबाव में होने वाले बदलावों को नजरअंदाज करता है, जिससे केवल वास्तविक गैस रिसाव के कारण होने वाले घनत्व परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। यह संबंध SF6 सर्किट ब्रेकर के रखरखाव और सुरक्षित संचालन के लिए महत्वपूर्ण है।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर से संबंधित कार्यों को करते समय सुरक्षा सर्वोपरि है, खासकर गैस के गुणों और उच्च वोल्टेज के खतरों के कारण। यहां एक सामान्य सुरक्षा दिशानिर्देश चेकलिस्ट दी गई है जिसका पालन किया जाना चाहिए:
कार्य शुरू करने से पहले (Before Starting Work)
- कार्य प्राधिकरण (Work Authorization): सुनिश्चित करें कि आपके पास काम करने के लिए उचित अनुमति और वर्क परमिट है।
- डी-एनर्जाइजेशन (De-energization): ब्रेकर को सभी विद्युत स्रोतों से पूरी तरह से अलग करें और उसे लॉकआउट/टैगआउट (LOTO) प्रक्रिया के तहत सुरक्षित करें।
- ग्राउंडिंग (Grounding): उपकरण को पूरी तरह से ग्राउंड करें ताकि उसमें कोई भी बची हुई विद्युत ऊर्जा खत्म हो जाए।
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) (Personal Protective Equipment)
- इन्सुलेटेड दस्ताने: उच्च वोल्टेज और रासायनिक जोखिमों से सुरक्षा के लिए रेटेड इन्सुलेटेड दस्ताने पहनें।
- सुरक्षा चश्मे: आंखों को गैस, धूल या अन्य कणों से बचाने के लिए सुरक्षा चश्मे या फेस शील्ड पहनें।
- सुरक्षा जूते: विद्युत जोखिमों और भारी वस्तुओं से पैरों को बचाने के लिए सुरक्षा जूते पहनें।
- सुरक्षात्मक कपड़े: लंबी आस्तीन वाले कपड़े पहनें और सुनिश्चित करें कि वे साफ हैं।
- रेस्पिरेटर: यदि गैस के अपघटन उत्पादों के संपर्क में आने की संभावना है, तो उचित रेस्पिरेटर पहनें।
SF6 गैस हैंडलिंग (SF6 Gas Handling)
- गैस वेंटिलेशन: यदि आप गैस के साथ काम कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि कार्य क्षेत्र में पर्याप्त वेंटिलेशन है। SF6 हवा से भारी होती है और बंद स्थानों में ऑक्सीजन को विस्थापित कर सकती है।
- गैस डिटेक्टर: गैस रिसाव का पता लगाने के लिए एक संवेदनशील SF6 गैस डिटेक्टर का उपयोग करें। सभी जोड़ों और सील को ध्यान से जांचें।
- सुरक्षित हैंडलिंग: SF6 गैस सिलेंडरों को सावधानी से संभालें और उन्हें उचित स्थिति में रखें।
- रिकवरी और रीसाइक्लिंग: जब गैस को ब्रेकर से निकाला जाए, तो उसे सीधे वातावरण में न छोड़ें। इसके बजाय, इसे एक विशेष SF6 गैस रिकवरी यूनिट का उपयोग करके रिकवर करें।
समस्या निवारण और रखरखाव के दौरान (During Troubleshooting and Maintenance)
- निर्माता के निर्देश: हमेशा निर्माता द्वारा दिए गए निर्देशों और प्रक्रियाओं का पालन करें।
- स्वच्छता: काम करते समय ब्रेकर के आंतरिक हिस्सों को साफ रखें। धूल और नमी से बचें जो इन्सुलेशन को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- सुरक्षित उपकरण: सुनिश्चित करें कि सभी परीक्षण उपकरण, जैसे कि मेगर और टाइमिंग किट, कैलिब्रेटेड और अच्छी स्थिति में हैं।
आपातकालीन प्रतिक्रिया (Emergency Response)
- आग से सुरक्षा: SF6 गैर-ज्वलनशील होती है, लेकिन इसके अपघटन उत्पादों के साथ आग का खतरा हो सकता है। आग बुझाने वाले उपकरण को पास में रखें।
- प्राथमिक चिकित्सा: संभावित गैस संपर्क या अन्य दुर्घटनाओं के लिए प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रियाओं से अवगत रहें।
एसएफ6 (SF6) सर्किट ब्रेकर से संबंधित संख्यात्मक समस्याओं के उदाहरण, मुख्य रूप से इसके परीक्षण और भौतिक गुणों पर आधारित होते हैं। यहां कुछ सामान्य उदाहरण दिए गए हैं।
1. संपर्क प्रतिरोध की गणना (Calculation of Contact Resistance)
समस्या: एक एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के संपर्क प्रतिरोध को मापने के लिए, 100 A की DC धारा प्रवाहित की गई। इस दौरान, संपर्कों पर वोल्टेज ड्रॉप 150 µV मापा गया। संपर्क प्रतिरोध की गणना करें।
हल: सूत्र: R = V/I
दिया गया: V = 150
µV = 150 × 10^{-6} V,
I = 100 A
गणना: R = (150 ×10^{-6}) / 100 R = 1.5 ×10^{-6} Ω R = 1.5 µΩ
निष्कर्ष: ब्रेकर का संपर्क प्रतिरोध 1.5 µΩ है, जो सामान्य सीमा के भीतर है।
2. SF6 गैस घनत्व का सुधार (SF6 Gas Density Correction)
समस्या: एक एसएफ6 सर्किट ब्रेकर के टैंक में, गर्मियों के दिन तापमान 45^{\circ}C है और दबाव 6.5 बार मापा गया है।
इस दबाव को मानक संदर्भ तापमान 20^{\circ}C पर कितना होना चाहिए?
हल: सूत्र: P_2 = P_1 × (T_2/T_1) तापमान को केल्विन में बदलें: T_1 = 45 + 273.15 = 318.15 K T_2 = 20 + 273.15 = 293.15 K
दबाव: P_1 = 6.5 बार
गणना: P_2 = 6.5 × (293.15 / 318.15) P_2 = 6.5 × 0.9214 P_2 \approx 5.99 बार
निष्कर्ष: यदि गैस में कोई रिसाव नहीं है, तो 20^{\circ}C पर उसका दबाव 5.99 बार होना चाहिए।
3. इन्सुलेशन प्रतिरोध की गणना (Calculation of Insulation Resistance)
समस्या: एक एसएफ6 ब्रेकर पर इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण के दौरान, 5000 V की DC वोल्टेज लागू की गई और लीकेज धारा 0.5 µA मापी गई। इन्सुलेशन प्रतिरोध की गणना करें।
हल: सूत्र: R_{ins} = V/I
दिया गया: V = 5000 V,
I = 0.5 µA = 0.5 ×10^{-6} A गणना: R_{ins} = 5000 / (0.5 × 10^{-6}) R_{ins} = 10000 ×10^{6} Ω R_{ins} = 10,000 MΩ
निष्कर्ष: ब्रेकर का इन्सुलेशन प्रतिरोध 10,000 MΩ है, जो एक उत्कृष्ट मान है।
संपर्क प्रतिरोध (Contact Resistance) किसी भी विद्युत सर्किट में दो या दो से अधिक जुड़े हुए चालक (conductors) सतहों के बीच विद्युत प्रवाह के विरोध को संदर्भित करता है। यह प्रतिरोध उन बिंदुओं पर उत्पन्न होता है जहाँ दो सतहें मिलती हैं और यह सुनिश्चित करता है कि धारा बिना किसी रुकावट के प्रवाहित हो।
संपर्क प्रतिरोध के कारण (Causes of Contact Resistance) संपर्क प्रतिरोध कई कारकों के कारण उत्पन्न हो सकता है:
सतह की बनावट (Surface Texture): कोई भी सतह पूरी तरह से चिकनी नहीं होती। सूक्ष्म स्तर पर, सतहों में छोटे-छोटे उभार और गड्ढे होते हैं। जब दो सतहें मिलती हैं, तो वे केवल कुछ बिंदुओं पर ही वास्तव में संपर्क में होती हैं, जिससे धारा को प्रवाहित होने के लिए एक संकीर्ण मार्ग मिलता है, और प्रतिरोध बढ़ जाता है।
सतह पर ऑक्साइड परत (Oxide Layer on Surface): अधिकांश धातुएं, जैसे कि तांबा और एल्यूमीनियम, हवा के संपर्क में आने पर ऑक्सीकृत हो जाती हैं। यह ऑक्साइड परत एक अवरोधक (insulator) की तरह काम करती है और विद्युत प्रवाह को बाधित करती है, जिससे प्रतिरोध बढ़ता है।
गंदगी और दूषित पदार्थ (Dirt and Contaminants): सतहों पर जमा होने वाली धूल, तेल, ग्रीस या अन्य दूषित पदार्थ भी प्रतिरोध को बढ़ा सकते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है (Why it is Important) कम संपर्क प्रतिरोध बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि:
ऊर्जा हानि (Energy Loss): उच्च संपर्क प्रतिरोध के कारण विद्युत ऊर्जा ऊष्मा के रूप में बर्बाद हो जाती है।
यह ऊर्जा हानि P = I^2R सूत्र से गणना की जाती है,
जहाँ I धारा है और R प्रतिरोध है।
ओवरहीटिंग (Overheating): उच्च प्रतिरोध के कारण उत्पन्न होने वाली ऊष्मा संपर्क बिंदुओं पर अत्यधिक तापमान बढ़ा सकती है, जिससे आसपास के घटक पिघल सकते हैं और इन्सुलेशन क्षतिग्रस्त हो सकता है।
विश्वसनीयता (Reliability): विद्युत स्विच, रिले, और सर्किट ब्रेकर जैसे उपकरणों में, कम संपर्क प्रतिरोध विश्वसनीय संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। यदि प्रतिरोध बहुत अधिक है, तो वे ठीक से काम नहीं कर पाएंगे और समय से पहले विफल हो सकते हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि उपकरणों का प्रदर्शन इष्टतम हो, संपर्क प्रतिरोध को नियमित रूप से मापा और नियंत्रित किया जाता है।
समय परीक्षण (Timing Test) एक महत्वपूर्ण परीक्षण है जो किसी भी विद्युत सर्किट ब्रेकर, जैसे कि SF6 सर्किट ब्रेकर, पर किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ब्रेकर, ट्रिपिंग और क्लोजिंग कमांड मिलने पर, निर्माता द्वारा निर्दिष्ट समय के भीतर काम करे।
महत्व
समय परीक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- फॉल्ट क्लियरेंस: जब किसी विद्युत प्रणाली में शॉर्ट सर्किट होता है, तो ब्रेकर को तुरंत ट्रिप (खुलना) करना होता है ताकि सिस्टम को नुकसान से बचाया जा सके। यदि ब्रेकर धीमी गति से काम करता है, तो फॉल्ट लंबे समय तक बना रहेगा, जिससे गंभीर नुकसान हो सकता है।
- विश्वसनीयता: यह परीक्षण ब्रेकर के यांत्रिक और विद्युत घटकों की स्थिति को दर्शाता है। यदि खुलने या बंद होने का समय निर्माता के विनिर्देशों से मेल नहीं खाता है, तो यह ब्रेकर के यांत्रिक भागों, जैसे स्प्रिंग, लिंकेज या कॉइल में किसी समस्या का संकेत देता है।
- पोल डिस्क्रेपेंसी: तीन-चरण (three-phase) ब्रेकर में, सभी तीन पोल्स को एक ही समय पर खुलना और बंद होना चाहिए। यदि उनके समय में कोई अंतर है, तो यह प्रणाली में असंतुलन पैदा कर सकता है।
प्रक्रिया
समय परीक्षण करने के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है जिसे सर्किट ब्रेकर टाइमिंग एनालाइज़र कहते हैं। प्रक्रिया इस प्रकार है:
- सुरक्षा: परीक्षण शुरू करने से पहले, ब्रेकर को डी-एनर्जाइज़ (de-energize) किया जाता है और लॉकआउट/टैगआउट (LOTO) प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
- कनेक्शन: टाइमिंग एनालाइज़र के कनेक्शन ब्रेकर के ट्रिप कॉइल, क्लोजिंग कॉइल, और मेन कॉन्टैक्ट्स से किए जाते हैं।
- कमांड देना: ऑपरेटर एनालाइज़र के माध्यम से ब्रेकर को ट्रिप (खोलने) और क्लोज (बंद करने) के लिए कमांड देता है।
- समय का मापन: एनालाइज़र कमांड भेजे जाने के क्षण और मेन कॉन्टैक्ट्स के वास्तव में खुलने या बंद होने के बीच के समय को मिलीसेकंड (ms) में रिकॉर्ड करता है।
- विश्लेषण: रिकॉर्ड किए गए समय की तुलना निर्माता द्वारा दिए गए मानक समय से की जाती है। यदि समय में विचलन (deviation) होता है, तो इसका मतलब है कि ब्रेकर को रखरखाव की आवश्यकता है।
गैस दाब परिवर्तन, या गैस के दबाव में बदलाव, एक सामान्य घटना है जो कई भौतिक और रासायनिक प्रणालियों में होती है।
यह मुख्य रूप से तीन कारकों से प्रभावित होता है: आयतन, तापमान, और गैस के अणुओं की संख्या।
प्रमुख कारक (Main Factors) आयतन (Volume): यदि गैस का आयतन कम होता है (एक निश्चित तापमान पर), तो गैस के अणु एक छोटे से स्थान में सिमट जाते हैं। इससे अणुओं के बीच की दूरी कम हो जाती है और वे एक-दूसरे से और कंटेनर की दीवारों से अधिक बार टकराते हैं, जिससे दबाव बढ़ जाता है।
इसके विपरीत,
यदि आयतन बढ़ता है, तो अणु अधिक जगह में फैल जाते हैं, जिससे टकराने की दर कम हो जाती है और दबाव घट जाता है। इसे बॉयल का नियम (Boyle's Law) कहते हैं।
तापमान (Temperature): जब गैस का तापमान बढ़ता है (एक स्थिर आयतन पर), तो उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा (kinetic energy) बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि अणु तेजी से चलते हैं और कंटेनर की दीवारों से अधिक बल और आवृत्ति के साथ टकराते हैं, जिससे दबाव बढ़ जाता है।
तापमान कम होने पर अणुओं की गति धीमी हो जाती है, जिससे दबाव घट जाता है। इसे चार्ल्स का नियम (Charles's Law) कहते हैं।
गैस के अणुओं की संख्या (Number of Gas Molecules): यदि किसी कंटेनर में अधिक गैस डाली जाती है, तो अणुओं की संख्या बढ़ जाती है। इससे अधिक अणु कंटेनर की दीवारों से टकराते हैं, जिससे दबाव बढ़ जाता है। यदि गैस को कंटेनर से बाहर निकाला जाता है, तो अणुओं की संख्या कम हो जाती है और दबाव घट जाता है।
इन तीनों कारकों के बीच संबंध को आदर्श गैस समीकरण (Ideal Gas Equation) से दर्शाया जा सकता है:
PV = nRT
P = दाब (Pressure)
V = आयतन (Volume)
n = अणुओं की संख्या (Number of moles)
R = आदर्श गैस स्थिरांक (Ideal Gas Constant)
T = तापमान (Temperature)
यह समीकरण बताता है कि दबाव (P) आयतन (V), अणुओं की संख्या (n), और तापमान (T) पर कैसे निर्भर करता है।
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