मध्यम वोल्टेज स्विचगियर (Medium Voltage Switchgear)

मध्यम वोल्टेज स्विचगियर
​मध्यम वोल्टेज स्विचगियर (Medium Voltage Switchgear) एक महत्वपूर्ण विद्युत उपकरण है जिसका उपयोग विद्युत प्रणाली में सर्किट को नियंत्रित, सुरक्षित और अलग करने के लिए किया जाता है। 

यह आमतौर पर 1 kV से 38 kV तक के वोल्टेज स्तरों के लिए डिज़ाइन किया जाता है।

मुख्य कार्य

स्विचगियर के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:

  • नियंत्रण (Control): यह विद्युत प्रवाह को चालू या बंद करके विद्युत प्रणाली के विभिन्न हिस्सों को नियंत्रित करता है।
  • सुरक्षा (Protection): यह शॉर्ट-सर्किट, ओवरलोड और अन्य दोषों से विद्युत उपकरणों (जैसे ट्रांसफॉर्मर और मोटर) की सुरक्षा करता है।
  • अलगाव (Isolation): यह रखरखाव या मरम्मत के दौरान सर्किट के एक हिस्से को बाकी प्रणाली से पूरी तरह अलग करता है, जिससे काम करना सुरक्षित हो जाता है।

घटक

मध्यम वोल्टेज स्विचगियर में कई प्रमुख घटक होते हैं:

  • सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker): यह सबसे महत्वपूर्ण घटक है। यह सामान्य और दोषपूर्ण दोनों स्थितियों में सर्किट को बनाता और तोड़ता है।
  • स्विच (Switches): इनका उपयोग सामान्य भार स्थितियों में सर्किट को मैन्युअल रूप से खोलने या बंद करने के लिए किया जाता है।
  • फ्यूज (Fuses): ये ओवरलोड या शॉर्ट-सर्किट होने पर सर्किट को स्वचालित रूप से काट देते हैं।
  • बसबार (Busbars): ये एक ही वोल्टेज पर कई सर्किटों को जोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • रिले (Relays): ये दोषों का पता लगाते हैं और सर्किट ब्रेकर को सर्किट को खोलने के लिए एक कमांड भेजते हैं।
  • मीटर और संकेतक (Meters and Indicators): ये प्रणाली के मापदंडों (जैसे वोल्टेज, करंट, आदि) को मापने और प्रदर्शित करने के लिए उपयोग होते हैं।

उपयोग

मध्यम वोल्टेज स्विचगियर का उपयोग विभिन्न स्थानों पर होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • विद्युत उपकेंद्र (Electrical Substations): बिजली के वितरण और संचरण के लिए।
  • औद्योगिक संयंत्र (Industrial Plants): बड़ी मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए।
  • वाणिज्यिक भवन (Commercial Buildings): बड़े शॉपिंग मॉल, अस्पतालों और डेटा केंद्रों में।
  • नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र (Renewable Energy Plants): सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों में।

​यह विद्युत सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 



आर्क चैंबर (Arc Chamber) के दो मुख्य अर्थ हैं, जो संदर्भ के आधार पर अलग-अलग होते हैं:

​1. सर्किट ब्रेकर में आर्क चैंबर (Arc Chamber in a Circuit Breaker)

​यह सबसे सामान्य और तकनीकी उपयोग है।

  • क्या है? यह एक सुरक्षा उपकरण, जैसे सर्किट ब्रेकर (circuit breaker), का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • कार्य: इसका मुख्य कार्य सर्किट ब्रेकर के संपर्कों (contacts) के अलग होने पर उत्पन्न होने वाले विद्युत आर्क (electrical arc) को बुझाना (extinguish) है।
  • क्यों आवश्यक है? जब एक सर्किट ब्रेकर किसी उच्च विद्युत धारा (जैसे शॉर्ट-सर्किट या ओवरलोड) को तोड़ने के लिए खुलता है, तो संपर्कों के बीच एक तेज, गर्म विद्युत आर्क उत्पन्न होता है। यह आर्क सर्किट ब्रेकर को नुकसान पहुंचा सकता है और खतरनाक हो सकता है। आर्क चैंबर इस आर्क को समाहित करता है और उसे जल्दी से बुझा देता है।
  • कैसे काम करता है? चैंबर के अंदर धातु की प्लेटों (metal plates) की एक श्रृंखला होती है, जिसे आर्क चैंबर या आर्क च्यूट (Arc Chute) कहा जाता है। ये प्लेटें आर्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित करती हैं, जिससे वह ठंडा हो जाता है और जल्दी बुझ जाता है, इस प्रकार करंट का प्रवाह रुक जाता है।

​2. सेप्टिक सिस्टम में एआरसी चैंबर (ARC Chamber in a Septic System)

  • क्या है? यह एक हल्का, प्लास्टिक से बना ढाँचा है जिसे सेप्टिक लीच फील्ड (septic leach field) या ड्रेन फील्ड (drain field) में भूमिगत रूप से स्थापित किया जाता है।
  • कार्य: यह सेप्टिक टैंक से आने वाले उपचारित पानी (effluent) को मिट्टी में कुशलतापूर्वक वितरित करने में मदद करता है।
  • विशेषता: इसे एआरसी चैंबर (ARC Chamber) कहा जाता है। इसका डिज़ाइन सतह क्षेत्र (surface area) को अधिकतम करता है ताकि पानी मिट्टी में रिस सके, और यह पारंपरिक बजरी-आधारित प्रणालियों की तुलना में अधिक मजबूत और स्थापित करने में आसान होता है।

आप किस संदर्भ में आर्क चैंबर के बारे में जानना चाहते थे?



कम वोल्टेज तार मार्ग (Low Voltage Cable Routing) का अर्थ है कम वोल्टेज केबलों (जैसे 1000 वोल्ट तक) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने या बिछाने का तरीका और प्रक्रिया

​कम वोल्टेज केबलों को आमतौर पर बिछाने के लिए तीन मुख्य तरीके उपयोग किए जाते हैं, विशेषकर भूमिगत (Underground) वायरिंग में, जहाँ उचित मार्गनिर्देशन महत्वपूर्ण है:

​1. सीधे बिछाना (Direct Laying)

  • प्रक्रिया: जमीन में एक खाई (trench) खोदी जाती है।
    • ​खाई के तल पर रेत (Sand) की एक परत बिछाई जाती है।
    • ​केबल को सीधे रेत पर बिछाया जाता है।
    • ​केबल के ऊपर रेत की एक और परत डाली जाती है।
    • ​केबल को यांत्रिक क्षति से बचाने के लिए ऊपर से ईंटें (Bricks) या सुरक्षात्मक कवर लगाए जाते हैं।
    • ​अंत में, खाई को मिट्टी से भर दिया जाता है।
  • उपयोग: यह सबसे सामान्य और किफायती तरीका है।

​2. पाइप या डक्ट में बिछाना (Laying in Pipes or Ducts)

  • प्रक्रिया: केबल को सीधे बिछाने के बजाय स्टील या पीवीसी (PVC) पाइपों के अंदर से गुजारा जाता है।
  • फायदे:
    • ​यह केबल को बेहतर यांत्रिक सुरक्षा प्रदान करता है।
    • ​भविष्य में केबल बदलने या अतिरिक्त केबल जोड़ने में आसानी होती है।
  • उपयोग: यह उन क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है जहाँ भविष्य में खुदाई करना मुश्किल हो या केबल को अधिक सुरक्षा की आवश्यकता हो (जैसे सड़क क्रॉसिंग या बिल्डिंग एंट्री पॉइंट)।

​3. ठोस प्रणाली में बिछाना (Laying in Solid System/Troughs)

  • प्रक्रिया: केबल को एक खाँचे (Trough) में रखा जाता है और फिर पूरे खाँचे को बिटुमिनस या एस्फाल्टिक यौगिक (Bituminous or Asphaltic Compound) से भर दिया जाता है, जो कठोर होकर एक सुरक्षात्मक ढाल बनाता है।
  • उपयोग: अब यह तरीका कम इस्तेमाल होता है।

मार्ग निर्धारण के लिए सर्वोत्तम अभ्यास (Best Practices for Routing):

  • सुरक्षा और पृथक्करण (Safety and Separation):
    • उच्च वोल्टेज (HV) और कम वोल्टेज (LV) केबलों को हमेशा अलग-अलग रास्तों या पर्याप्त दूरी पर बिछाया जाना चाहिए ताकि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हस्तक्षेप (EMI) को रोका जा सके और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
    • ​नियंत्रण केबलों (Control Cables) और बिजली के केबलों (Power Cables) को भी अलग रखें।
  • गहराई (Depth): केबल की शीर्ष सतह से ज़मीन की सतह तक एक निश्चित न्यूनतम गहराई बनाए रखना आवश्यक है (भारत में, LV/MV केबलों के लिए यह अक्सर लगभग 0.75 मीटर तक होता है)।
  • वक्रण त्रिज्या (Bending Radius): केबल को बिछाते समय उसे तेज मोड़ नहीं देना चाहिए। इसके न्यूनतम वक्रण त्रिज्या (Minimum Bending Radius) का पालन करना चाहिए, ताकि केबल को आंतरिक क्षति न हो।
  • पहचान (Identification): केबल बिछाने के बाद ऊपर एक केबल मार्कर या चेतावनी टेप (Warning Tape) लगाई जाती है ताकि भविष्य की खुदाई के दौरान नुकसान से बचा जा सके।
  • क्षमता (Capacity): केबल का चयन ऐसा होना चाहिए कि वह सर्किट की पूर्ण भार धारा (Full Load Current) को बिना ज़्यादा गर्म हुए सहन कर सके।


कम वोल्टेज कम्पार्टमेंट (Low Voltage Compartment) एक धातु से घिरा हुआ खंड (metal-enclosed section) होता है जो मुख्य रूप से स्विचगियर (Switchgear) उपकरण का हिस्सा होता है।

​इसकी प्राथमिक भूमिका विद्युत शक्ति को सुरक्षित रूप से नियंत्रित करने, वितरित करने और उपकरणों की सुरक्षा करने की होती है।

मुख्य उपयोग (Primary Use)

  • ​यह उन विद्युत प्रणालियों में पाया जाता है जो 1000 वोल्ट (V) या उससे कम वोल्टेज पर काम करती हैं।
  • ​यह आमतौर पर एक सबस्टेशन में डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर (Distribution Transformer) के सेकेंडरी (कम वोल्टेज) साइड पर लगा होता है।

संरचना और कार्य (Structure and Function)

​कम वोल्टेज स्विचगियर को अक्सर सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कई अलग-अलग खंडों (compartments) में विभाजित किया जाता है, जिनमें ये शामिल हैं:

  1. ब्रेकर कम्पार्टमेंट (Breaker Compartment):
    • ​इसमें सर्किट ब्रेकर (जैसे एयर सर्किट ब्रेकर-ACB, मोल्डेड केस सर्किट ब्रेकर-MCCB) रखे जाते हैं।
    • ​इनका काम ओवरलोड और शॉर्ट-सर्किट जैसी खराबी (fault) की स्थिति में बिजली के प्रवाह को स्वचालित रूप से काटकर उपकरणों और कर्मियों की सुरक्षा करना है।
  2. बस कम्पार्टमेंट (Bus Compartment):
    • ​इसमें बसबार (Busbars) होते हैं, जो मुख्य चालक (conductors) होते हैं और आने वाली बिजली को विभिन्न सर्किटों में वितरित करते हैं।
    • ​यह सेक्शन मुख्य बिजली मार्ग को अन्य घटकों से अलग रखता है।
  3. केबल कम्पार्टमेंट (Cable Compartment):
    • ​यह वह जगह है जहाँ इनकमिंग (आने वाले) और आउटगोइंग (जाने वाले) पावर केबल जुड़े होते हैं।
    • ​यह कनेक्शन और वायरिंग के लिए एक सुरक्षित, अलग क्षेत्र प्रदान करता है।

कम्पार्टमेंटलाइज़ेशन का महत्व (Importance of Compartmentalization)

​इन अलग-अलग कम्पार्टमेंटों का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ाना है:

  • सुरक्षा: रखरखाव के दौरान कर्मियों को गलती से सक्रिय (live) कंडक्टरों को छूने से रोकना।
  • विश्वसनीयता: किसी एक सेक्शन में खराबी (जैसे आर्क फॉल्ट) होने पर नुकसान को उस सेक्शन तक सीमित करना और गलती को अन्य हिस्सों में फैलने से रोकना।


बसबार कम्पार्टमेंट (Busbar Compartment) इलेक्ट्रिकल स्विचगियर (Switchgear) या वितरण बोर्ड (Distribution Board) का एक सुरक्षित, अलग-थलग (isolated) खंड होता है जिसका प्राथमिक कार्य विद्युत ऊर्जा को एकत्र करना और कुशलतापूर्वक वितरित करना है।

​यह एक प्रकार की विद्युत रीढ़ (electrical backbone) है जो पूरे पैनल या उपकरण में बिजली के प्रवाह को प्रबंधित करती है।

बसबार कम्पार्टमेंट का कार्य (Function of the Busbar Compartment)

  • केन्द्रीय वितरण बिंदु (Central Distribution Point): इसमें बसबार नामक कठोर, आमतौर पर तांबे या एल्यूमीनियम से बनी मोटी पट्टी या बार होते हैं। ये बार आने वाले मुख्य विद्युत स्रोत से बिजली प्राप्त करते हैं और इसे सर्किट ब्रेकर या अन्य वितरण उपकरणों के लिए कई आउटगोइंग सर्किटों में वितरित करते हैं।
  • उच्च धारा वहन (High Current Carrying): बसबारों को न्यूनतम ऊर्जा हानि के साथ बहुत उच्च विद्युत धाराओं (Large Currents) को सुरक्षित रूप से वहन करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इनकी बड़ी क्रॉस-सेक्शनल सतह (Cross-Sectional Area) के कारण यह संभव हो पाता है।
  • सुरक्षात्मक अलगाव (Protective Segregation): बसबार कम्पार्टमेंट को सर्किट ब्रेकर कम्पार्टमेंट और केबल कम्पार्टमेंट से अलग रखा जाता है। यह अलगाव (segregation) यांत्रिक क्षति, धूल से बचाता है, और यदि किसी अन्य सेक्शन में कोई खराबी (fault) आती है, तो बसबार को सुरक्षित रखता है, जिससे पूरी प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ती है।

प्रमुख विशेषताएँ (Key Characteristics)

  • सामग्री (Material): आमतौर पर उच्च चालकता के लिए कॉपर (तांबा) या एल्यूमीनियम का उपयोग किया जाता है।
  • संरचना (Structure): बसबारें अक्सर अनावृत (uninsulated) होती हैं और उन्हें विशेष विद्युत रोधक (insulator) सपोर्ट पर कठोरता से लगाया जाता है। यह डिज़ाइन ऊष्मा (Heat) को कुशलतापूर्वक नष्ट करने (dissipate) में मदद करता है।
  • अंतरिक्ष दक्षता (Space Efficiency): बसबार पारंपरिक केबलों की तुलना में कम जगह लेते हुए उच्च शक्ति घनत्व (high power density) प्रदान करते हैं, जिससे पैनल का लेआउट अधिक स्वच्छ और सरल बनता है।


सर्किट ब्रेकर कम्पार्टमेंट (Circuit Breaker Compartment) स्विचगियर (Switchgear) पैनल का वह विशिष्ट और अलग खंड होता है जो मुख्य रूप से सर्किट ब्रेकर को रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

​इसे अक्सर ब्रेकर क्यूबिकल (Breaker Cubicle) भी कहा जाता है। यह पूरे विद्युत वितरण प्रणाली की सुरक्षा, नियंत्रण और अलगाव (isolation) के लिए एक महत्वपूर्ण खंड है।

मुख्य कार्य और घटक (Main Function and Components)

​सर्किट ब्रेकर कम्पार्टमेंट का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित कार्यों को सुरक्षित रूप से करने के लिए एक आवास प्रदान करना है:

  1. सुरक्षा (Protection): यह सर्किट ब्रेकर को रखता है, जिसका प्राथमिक कार्य ओवरलोड या शॉर्ट-सर्किट जैसी विद्युत खराबी (fault) की स्थिति में बिजली के प्रवाह को स्वचालित रूप से बाधित (interrupt) करके डाउनस्ट्रीम उपकरणों और संपूर्ण प्रणाली को नुकसान से बचाना है।
  2. अलगाव (Isolation): यह खंड कर्मियों को रखरखाव या मरम्मत के लिए सर्किट ब्रेकर को विद्युत स्रोत से पूरी तरह से अलग करने की अनुमति देता है।
  3. नियंत्रण (Control): इसमें सर्किट ब्रेकर को मैन्युअल या दूर से (remotely) बंद (Close) या चालू (Open) करने के लिए आवश्यक नियंत्रण वायरिंग और सहायक स्विच (Auxiliary Switches) शामिल होते हैं।

प्रमुख घटक:

  • सर्किट ब्रेकर (Circuit Breaker): यह मुख्य उपकरण है जो खराबी पर ट्रिप (trip) करता है। आधुनिक स्विचगियर में अक्सर ड्रॉ-आउट ब्रेकर (Draw-out Breakers) उपयोग होते हैं, जिन्हें रखरखाव के लिए आसानी से बाहर निकाला जा सकता है।
  • रैकिंग तंत्र (Racking Mechanism): यह उपकरण ब्रेकर को कम्पार्टमेंट के अंदर तीन विशिष्ट पदों (positions) के बीच ले जाने की अनुमति देता है:
    1. कनेक्टेड/कार्यरत स्थिति (Connected/Service Position): ब्रेकर मुख्य बसबार और आउटगोइंग सर्किट दोनों से जुड़ा होता है और संचालन के लिए तैयार होता है।
    2. परीक्षण स्थिति (Test Position): ब्रेकर प्राथमिक सर्किट से विद्युत रूप से अलग होता है, लेकिन नियंत्रण वायरिंग जुड़ी रहती है, जिससे सुरक्षात्मक और नियंत्रण कार्यों का परीक्षण किया जा सकता है।
    3. डिस्कनेक्टेड/अलग स्थिति (Disconnected/Isolated Position): ब्रेकर प्राथमिक और माध्यमिक (नियंत्रण) दोनों सर्किटों से पूरी तरह से अलग हो जाता है और सुरक्षित रूप से हटाया जा सकता है।
  • सुरक्षा शटर (Safety Shutters): जब ब्रेकर को बाहर निकाला जाता है, तो ये शटर स्वचालित रूप से बसबार (Busbar) उद्घाटन (openings) को ढक देते हैं, जिससे सक्रिय भागों के साथ आकस्मिक संपर्क रोका जा सके।
  • इंटरलॉक (Interlocks): ये यांत्रिक या विद्युत सुरक्षा तंत्र होते हैं जो गलत ब्रेकर को स्थापित होने या ब्रेकर को गलत स्थिति में संचालित होने से रोकते हैं।

​सर्किट ब्रेकर कम्पार्टमेंट स्विचगियर की उच्च विश्वसनीयता और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।



स्वचालित शटर (Automatic Shutters) विद्युत स्विचगियर (Switchgear) के सर्किट ब्रेकर कम्पार्टमेंट में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा तंत्र (safety mechanism) है।

​यह एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत प्रणाली के सक्रिय (live) हिस्सों को तब ढक देता है जब सर्किट ब्रेकर को रखरखाव के लिए बाहर निकाला जाता है।

स्वचालित शटर का कार्य

​स्वचालित शटर का मुख्य कार्य विद्युत कर्मियों को गंभीर विद्युत खतरों से बचाना है।

  1. सक्रिय भागों का अलगाव (Isolation of Live Parts): जब एक ड्रॉ-आउट सर्किट ब्रेकर (Draw-out Circuit Breaker) को अपने स्लॉट (compartment) से हटाया (Withdrawn) जाता है, तो इसके पीछे के बसबार स्टैब (Busbar Stabs) और स्थिर संपर्क (stationary contacts) खुले और सक्रिय (energized) रह सकते हैं। स्वचालित शटर यांत्रिक रूप से फिसलकर या घूमकर इन खुले, सक्रिय संपर्क बिंदुओं को ढक देता है (close off)
  2. आकस्मिक संपर्क की रोकथाम (Prevention of Accidental Contact): यह शटर यह सुनिश्चित करता है कि जब कोई तकनीशियन ब्रेकर कम्पार्टमेंट के अंदर काम कर रहा हो या जांच कर रहा हो, तो वह अनजाने में इन उच्च-वोल्टेज/उच्च-धारा वाले सक्रिय भागों को न छू ले, जिससे बिजली का झटका लगने का खतरा समाप्त हो जाता है।
  3. ऑटोमेटिक ऑपरेशन (Automatic Operation): इन्हें इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ब्रेकर के बाहर निकलते ही ये अपने आप बंद हो जाते हैं, और ब्रेकर के अंदर जाते ही यह यांत्रिक रूप से खुल जाते हैं

संक्षेप में, 

स्वचालित शटर स्विचगियर में "डेड फ्रंट" (Dead Front) सुरक्षा प्रदान करता है, यानी ब्रेकर हटाए जाने पर भी पैनल का सामने का हिस्सा सक्रिय नहीं होता है।


अर्थ स्विच (Earth Switch), जिसे ग्राउंडिंग स्विच (Grounding Switch) भी कहते हैं, उच्च-वोल्टेज और मध्यम-वोल्टेज स्विचगियर में उपयोग होने वाला एक अनिवार्य यांत्रिक सुरक्षा उपकरण है।

​यह स्विच स्वयं सामान्य परिचालन धारा (normal operating current) को तोड़ने (interrupt) के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है, बल्कि इसका प्राथमिक कार्य सुरक्षित रखरखाव सुनिश्चित करना है।

अर्थ स्विच का मुख्य कार्य (Primary Function)

​अर्थ स्विच का मुख्य कार्य किसी विद्युत प्रणाली के एक भाग को पृथ्वी (Ground) से सुरक्षित रूप से जोड़ना है। यह कार्य दो प्रमुख उद्देश्यों को पूरा करता है:

  1. अवशिष्ट आवेश का निर्वहन (Discharge of Residual Charge): जब किसी सर्किट को सर्किट ब्रेकर या आइसोलेटर (Disconnector) द्वारा मुख्य स्रोत से काट दिया जाता है, तब भी उस लाइन या उपकरण पर स्थैतिक (electrostatic) या प्रेरित (electromagnetic) आवेश मौजूद रह सकता है। अर्थ स्विच इस शेष आवेश को सुरक्षित रूप से ज़मीन (अर्थ) में प्रवाहित कर देता है।
  2. कार्मिक सुरक्षा (Personnel Safety): यह सुनिश्चित करता है कि तकनीशियन या ऑपरेटर जिस लाइन या उपकरण पर रखरखाव या मरम्मत का काम कर रहे हैं, वह पूरी तरह से शून्य-विभव (zero potential) पर है। यह गलती से सर्किट के फिर से सक्रिय (re-energized) होने या उस पर कोई प्रेरित चार्ज जमा होने के जोखिम को समाप्त करके बिजली के झटके से बचाता है।

कार्यप्रणाली की प्रमुख बातें

  • सुरक्षा इंटरलॉक (Safety Interlocks): अर्थ स्विच को हमेशा मुख्य सर्किट ब्रेकर और आइसोलेटर के साथ इंटरलाक किया जाता है। इसका मतलब है कि:
    • ​जब लाइन सक्रिय (live) हो तो अर्थ स्विच को बंद नहीं किया जा सकता।
    • ​जब अर्थ स्विच बंद (closed) हो तो मुख्य सर्किट ब्रेकर को बंद (closed) नहीं किया जा सकता। यह इंटरलॉकिंग मानव त्रुटि (human error) को रोकती है और सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
  • शॉर्ट-सर्किट धारा वहन क्षमता (Short-Circuit Current Making Capacity): भले ही यह लोड करंट को नहीं तोड़ता, अर्थ स्विच को गलती से लगाए गए शॉर्ट-सर्किट की स्थिति में, उस धारा को सुरक्षित रूप से जमीन पर ले जाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है, यानी इसमें एक विशिष्ट शॉर्ट-सर्किट मेकिंग क्षमता होती है।
  • स्थान (Location): इन्हें आमतौर पर आइसोलेटर (disconnector) के निकट स्थापित किया जाता है, ताकि सर्किट के एक खंड को डिस्कनेक्ट करने के तुरंत बाद उसे ग्राउंड किया जा सके।

​अर्थ स्विच एक पोर्टेबल ग्राउंडिंग वायर (portable grounding wire) का एक स्थायी और अधिक विश्वसनीय विकल्प है, जो उच्च-वोल्टेज अनुप्रयोगों में सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।


वर्तमान ट्रांसफार्मर (Current Transformer - CT) एक प्रकार का इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर है जिसका उपयोग विद्युत प्रणाली में उच्च प्रत्यावर्ती धारा (high alternating currents) को मापने, नियंत्रित करने और सुरक्षित करने के लिए किया जाता है।

​यह उच्च प्राथमिक धारा को एक छोटे, मानकीकृत और मापने योग्य द्वितीयक धारा में कम करता है, जिससे जुड़े हुए उपकरणों (जैसे मीटर और सुरक्षा रिले) को सुरक्षित रूप से संचालित किया जा सके।

मुख्य कार्य और सिद्धांत (Main Function and Principle)

​कार्य (Function)

CT के दो मुख्य कार्य हैं:

  1. धारा का मापन (Current Measurement): यह उच्च प्राथमिक धाराओं (उदाहरण के लिए, 1000 Amperes) को एक मानक द्वितीयक धारा (आमतौर पर 5 A या 1 A) में बदल देता है। इस कम धारा को मानक एमीटर या ऊर्जा मीटर से मापा जाता है।
  2. पृथक्करण/सुरक्षा (Isolation/Protection): यह माप और सुरक्षा उपकरणों को उच्च वोल्टेज और उच्च धारा वाले मुख्य सर्किट से विद्युत रूप से अलग (electrically isolates) करता है, जिससे उपकरणों और उन्हें संचालित करने वाले कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

सिद्धांत (Principle)

​CT पारस्परिक प्रेरण (Mutual Induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है, ठीक एक मानक ट्रांसफार्मर की तरह, लेकिन यह स्टेप-अप वोल्टेज ट्रांसफार्मर के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह धारा को स्टेप-डाउन करता है।

  • प्राथमिक वाइंडिंग (Primary Winding): इसमें फेरों (turns) की संख्या बहुत कम होती है, अक्सर केवल एक फेरा (single turn)। इसे उस मुख्य सर्किट के श्रृंखला (series) में जोड़ा जाता है जिसकी धारा मापनी होती है।
  • द्वितीयक वाइंडिंग (Secondary Winding): इसमें फेरों की संख्या बहुत अधिक होती है। इसे मापने वाले उपकरण (एमीटर या रिले) से जोड़ा जाता है।
  • धारा अनुपात (Current Ratio): चूंकि द्वितीयक में फेरों की संख्या प्राथमिक की तुलना में बहुत अधिक होती है, इसलिए द्वितीयक में धारा का मान, प्राथमिक धारा के अनुपात में बहुत कम होता है।

उदाहरण के लिए, 

एक 1000/5 CT का अर्थ है कि जब प्राथमिक में 1000 {A} धारा प्रवाहित होती है, तो द्वितीयक में केवल 5 {A} धारा प्रवाहित होगी। ​

CT का उपयोग (Applications of CT) ​

मापन उपकरण (Metering): एमीटर, वाटमीटर (Wattmeter), और ऊर्जा मीटर (Energy Meter) को जोड़ने के लिए। ​

सुरक्षात्मक रिले (Protective Relays): ओवरकरंट (overcurrent) या अर्थ फॉल्ट (earth fault) रिले को सक्रिय करने के लिए, जो खराबी आने पर सर्किट ब्रेकर को ट्रिप करते हैं। ​

नियंत्रण और मॉनिटरिंग (Control and Monitoring): स्वचालित बिजली प्रणालियों में धारा के स्तर की निगरानी और नियंत्रण के लिए। ​

सुरक्षा चेतावनी: करंट ट्रांसफार्मर की द्वितीयक वाइंडिंग को कभी भी खुला (open circuit) नहीं छोड़ना चाहिए जब प्राथमिक वाइंडिंग सक्रिय हो। 

ऐसा करने से द्वितीयक वाइंडिंग में बहुत अधिक वोल्टेज (Very High Voltage) प्रेरित हो सकता है, जिससे CT क्षतिग्रस्त हो सकता है और कर्मियों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। ​



वोल्टेज ट्रांसफार्मर (Voltage Transformer - VT), जिसे पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (Potential Transformer - PT) भी कहा जाता है, एक प्रकार का इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर है जिसका उपयोग विद्युत प्रणाली में उच्च वोल्टेज को मापने, नियंत्रित करने और सुरक्षित करने के लिए किया जाता है। ​

यह एक स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर (Step-Down Transformer) होता है जो उच्च प्राथमिक वोल्टेज को एक छोटे, मानकीकृत और मापने योग्य द्वितीयक वोल्टेज में कम करता है। 

मुख्य कार्य और सिद्धांत (Main Function and Principle) ​कार्य (Function) ​PT के दो मुख्य कार्य हैं: ​

वोल्टेज का मापन (Voltage Measurement): यह उच्च प्राथमिक वोल्टेज (जैसे 11 {kV}, 33 {kV}) को एक मानक द्वितीयक वोल्टेज में बदल देता है। 

यह मानक वोल्टेज आमतौर पर 110 {V} या कभी-कभी 63.5 {V} होता है। इस कम वोल्टेज को मानक वोल्टमीटर या अन्य मापने वाले उपकरणों से मापा जाता है। ​

पृथक्करण/सुरक्षा (Isolation/Protection): यह माप और सुरक्षा उपकरणों को उच्च वोल्टेज वाले मुख्य सर्किट से विद्युत रूप से अलग (electrically isolates) करता है, जिससे उपकरणों की सुरक्षा और उन्हें संचालित करने वाले कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। 

​सिद्धांत (Principle) ​PT पारस्परिक प्रेरण (Mutual Induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है। 

चूंकि यह एक स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर है, इसकी संरचना एक सामान्य स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर के समान होती है: ​

प्राथमिक वाइंडिंग (Primary Winding): इसमें फेरों (turns) की संख्या बहुत अधिक होती है और यह पतले तार की बनी होती है। इसे उस मुख्य सर्किट के समानांतर (parallel) में जोड़ा जाता है जिसका वोल्टेज मापना होता है। ​

द्वितीयक वाइंडिंग (Secondary Winding): इसमें फेरों की संख्या बहुत कम होती है। इसे वोल्टमीटर, रिले या अन्य मापने वाले उपकरणों से जोड़ा जाता है। ​

वोल्टेज अनुपात (Voltage Ratio): चूँकि प्राथमिक में फेरों की संख्या द्वितीयक की तुलना में बहुत अधिक होती है, इसलिए द्वितीयक में वोल्टेज का मान प्राथमिक वोल्टेज के अनुपात में बहुत कम होता है। 

{V_P}{V_S} = {N_P}{N_S} = {अनुपात (Ratio)} ​

उदाहरण के लिए, 

एक 11 {kV}110 {V} PT का अर्थ है कि जब प्राथमिक में 11000 {V} वोल्टेज होता है, तो द्वितीयक में केवल 110 {V} वोल्टेज होता है। ​

PT का उपयोग (Applications of PT) ​मापन उपकरण (Metering): वोल्टमीटर, फ्रीक्वेंसी मीटर और ऊर्जा मीटर (Energy Meter) को जोड़ने के लिए। ​

सुरक्षात्मक रिले (Protective Relays): ओवरवोल्टेज (Overvoltage), अंडरवोल्टेज (Undervoltage) या वोल्टेज अनबैलेंस रिले को सक्रिय करने के लिए। 

सिंक्रोनाइजेशन (Synchronization): जनरेटिंग स्टेशनों पर जनरेटर को ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइज करने के लिए वोल्टेज और चरण (phase) का मिलान करने में। 



केबल टर्मिनेशन (Cable Termination) का अर्थ है किसी विद्युत केबल के सिरे (end) को किसी उपकरण, पैनल, सर्किट ब्रेकर, ट्रांसफार्मर या बसबार जैसे अंतिम बिंदु से सुरक्षित और विश्वसनीय ढंग से जोड़ना। इसे हिंदी में केबिल समापन भी कहा जाता है।

​यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो सुनिश्चित करती है कि विद्युत शक्ति या डेटा का प्रवाह केबल से जुड़े उपकरण तक बिना किसी बाधा, रिसाव (leakage) या खतरे के हो।

केबल टर्मिनेशन क्यों आवश्यक है? (Why is Cable Termination Necessary?)

टर्मिनेशन निम्न कारणों से आवश्यक है:

  1. सुरक्षित विद्युत संपर्क (Secure Electrical Connection): यह केबल के कंडक्टर (चालक तार) और उपकरण के टर्मिनल के बीच एक मजबूत और कम-प्रतिरोध वाला (low-resistance) कनेक्शन प्रदान करता है ताकि गर्मी उत्पन्न न हो।
  2. पृथक्करण/इंसुलेशन (Insulation/Isolation): विशेष रूप से उच्च वोल्टेज (HT) केबलों में, टर्मिनेशन किट (Termination Kit) केबल के कोर के चारों ओर विद्युत क्षेत्र (electric field) को नियंत्रित करती है। यह उच्च वोल्टेज तनाव को कम करती है, जिससे बिजली के रिसाव (leakage) या फ्लैशओवर का खतरा कम हो जाता है।
  3. यांत्रिक मजबूती (Mechanical Strength): केबल ग्लैंड (Cable Gland) का उपयोग करके, टर्मिनेशन केबल को पैनल या उपकरण से खींचने या हिलने-डुलने से रोकता है।
  4. पर्यावरणीय सुरक्षा (Environmental Protection): यह नमी, धूल और रसायनों को केबल के आंतरिक कंडक्टरों या इंसुलेशन तक पहुँचने से रोकता है, जिससे केबल का जीवनकाल बढ़ता है।

टर्मिनेशन की प्रक्रिया के मुख्य चरण

​टर्मिनेशन की सटीक प्रक्रिया केबल के प्रकार (LV, MV, HT), वोल्टेज स्तर और प्रयुक्त किट (हीट श्रिंक या कोल्ड श्रिंक) पर निर्भर करती है, लेकिन सामान्य चरणों में शामिल हैं:

  1. केबल की तैयारी: केबल जैकेट और आर्मर को एक निश्चित लंबाई तक हटाया जाता है।
  2. इंसुलेशन हटाना: केबल के प्रत्येक कोर पर इंसुलेशन को सावधानीपूर्वक हटाया जाता है ताकि कंडक्टर सामने आ सके।
  3. अर्थिंग कनेक्शन: केबल के आर्मर (Armour) को अर्थ (Ground) से जोड़ने के लिए केबल ग्लैंड या अर्थ टैग लगाया जाता है।
  4. लग/थिम्बल लगाना (Applying Lugs/Thimbles): केबल के नंगे कंडक्टर सिरे पर केबल लग (Cable Lug) लगाया जाता है और एक क्रिम्पिंग टूल (Crimping Tool) का उपयोग करके कसकर दबाया जाता है।
  5. किट लगाना (Applying Termination Kit): विशेष टर्मिनेशन किट (जैसे हीट श्रिंक ट्यूब या कोल्ड श्रिंक ट्यूब) का उपयोग करके प्रत्येक कोर और बाहरी जैकेट पर इंसुलेशन को फिर से मजबूत किया जाता है।
  6. अंतिम संयोजन: थिम्बल को उपकरण के टर्मिनल या बसबार से नट और बोल्ट का उपयोग करके कस दिया जाता है।

टर्मिनेशन के प्रकार (Types of Termination)

​केबल के वोल्टेज स्तर और प्रयुक्त सामग्री के आधार पर, टर्मिनेशन मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:



पृथ्वी पट्टी (Earth Strip), 

जिसे सामान्यतः अर्थिंग स्ट्रिप (Earthing Strip) या भू-संपर्कन पट्टी कहा जाता है, एक आयताकार या सपाट (flat) धातु का चालक (conductor) होता है जिसका उपयोग विद्युत प्रणाली में अर्थिंग (Earthing) या ग्राउंडिंग के लिए किया जाता है। ​

यह विद्युत उपकरणों के धात्विक भागों और पृथ्वी (ground) के बीच एक कम-प्रतिरोध वाला पथ (low-resistance path) प्रदान करता है, ताकि किसी भी खराबी (fault) या रिसाव धारा (leakage current) की स्थिति में यह धारा तुरंत और सुरक्षित रूप से जमीन में चली जाए। ​

मुख्य कार्य और आवश्यकता (Main Function and Necessity) ​अर्थिंग स्ट्रिप का प्राथमिक उद्देश्य मानव सुरक्षा और उपकरणों की सुरक्षा है। 

​1. सुरक्षा (Safety) ​बिजली के झटके से बचाव: जब किसी विद्युत उपकरण के इन्सुलेशन में खराबी आती है, तो उपकरण के बाहरी धातु के खोल (metal casing) में वोल्टेज आ सकता है। अर्थिंग स्ट्रिप इस दोष धारा को मानव शरीर के बजाय जमीन में भेज देती है, जिससे बिजली के झटके का खतरा समाप्त हो जाता है। ​

दोष धारा का वहन: यह बड़ी दोष धारा (Fault Current) को सुरक्षित रूप से वहन करती है और इसे अर्थ इलेक्ट्रोड (Earth Electrode) तक पहुँचाती है, जिससे सुरक्षा उपकरण (जैसे सर्किट ब्रेकर या फ़्यूज़) ट्रिप हो जाते हैं और आपूर्ति बंद हो जाती है। ​

2. सामग्री और प्रकार (Material and Type) ​अर्थिंग स्ट्रिप्स आमतौर पर उच्च चालकता (high conductivity) और संक्षारण प्रतिरोध (corrosion resistance) वाली धातुओं से बनाई जाती हैं: ​

कॉपर (तांबा): अपनी उत्कृष्ट चालकता और संक्षारण प्रतिरोध के कारण सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। 

आकार (Minimum Size - Copper): पट्टी भू-संपर्कन में कम से कम 25 { mm} ×1.6 { mm} (चौड़ाई × मोटाई) ​GI (गैल्वेनाइज्ड आयरन/स्टील): यह तांबे की तुलना में सस्ता होता है और इसका उपयोग भी व्यापक रूप से किया जाता है। ​

आकार (Minimum Size - GI/Steel): कम से कम 25 { mm} × 4 { mm} ​

3. उपयोग (Usage) ​पट्टी भू-संपर्कन (Strip Earthing): इसका उपयोग विशेष रूप से पथरीली मिट्टी वाले क्षेत्रों में किया जाता है, जहां गहरी खुदाई संभव नहीं होती है। पट्टी को क्षैतिज खाइयों में लगभग 0.5 {m} की न्यूनतम गहराई पर दबाया जाता है। ​

पैनल/बसबार: यह विद्युत पैनलों, स्विचगियर और ट्रांसफार्मर जैसे बड़े उपकरणों को अर्थिंग इलेक्ट्रोड से जोड़ने के लिए मुख्य कंडक्टर के रूप में कार्य करती है। ​

कम प्रतिरोध मार्ग: पट्टी का सपाट आकार एक बड़े सतह क्षेत्र (surface area) की अनुमति देता है, जिससे मिट्टी के साथ बेहतर संपर्क बनता है और अर्थिंग प्रतिरोध (Earthing Resistance) कम हो जाता है। ​







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