लाइटिंग अरेस्टर (lightning arrester)
लाइटिंग अरेस्टर (lightning arrester) या तड़ित चालक एक सुरक्षा उपकरण है जो इमारतों और विद्युत उपकरणों को आकाशीय बिजली के उच्च वोल्टेज से होने वाले नुकसान से बचाता है। यह बिजली के झटके को जमीन में भेजकर विद्युत उपकरणों को सुरक्षित रखता है।
कार्यप्रणाली
लाइटिंग अरेस्टर को आमतौर पर ऊंची इमारतों, ट्रांसमिशन लाइनों, और सबस्टेशनों पर लगाया जाता है। जब आकाशीय बिजली किसी संरचना पर गिरती है, तो लाइटिंग अरेस्टर उस बिजली को अपनी तरफ खींच लेता है। इसके बाद, वह बिजली के शक्तिशाली प्रवाह को कम प्रतिरोध वाले रास्ते से सीधे जमीन में भेज देता है, जिससे इमारत या उपकरण पर इसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता।
उपयोग और महत्व
- इमारतों की सुरक्षा: ऊंची इमारतों, टावरों और अन्य संरचनाओं को बिजली गिरने से होने वाले शारीरिक और ढांचागत नुकसान से बचाता है।
- विद्युत उपकरणों की सुरक्षा: यह ट्रांसफॉर्मर, जनरेटर, और अन्य महंगे विद्युत उपकरणों को अत्यधिक वोल्टेज से बचाता है।
- आग से बचाव: बिजली गिरने से आग लगने का खतरा कम होता है, जिससे जान-माल की हानि से बचा जा सकता है।
- निरंतर विद्युत आपूर्ति: यह बिजली लाइनों को सुरक्षित रखकर निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
विद्युत प्रणालियों में लाइटिंग अरेस्टर (तड़ित चालक) का बहुत महत्व है। यह एक सुरक्षा उपकरण है जो विद्युत उपकरणों और इमारतों को आकाशीय बिजली से होने वाले अत्यधिक उच्च वोल्टेज से बचाता है।
महत्व और कार्यप्रणाली
आकाशीय बिजली लाखों वोल्ट का झटका पैदा कर सकती है, जो विद्युत लाइनों, ट्रांसफॉर्मर, सबस्टेशनों और अन्य उपकरणों को पल भर में नष्ट कर सकती है। लाइटिंग अरेस्टर इस अचानक आए वोल्टेज को नियंत्रित करके इसे सुरक्षित रूप से जमीन में भेज देता है।
- सुरक्षा प्रदान करना: लाइटिंग अरेस्टर विद्युत उपकरणों के लिए एक ढाल की तरह काम करता है। यह बिजली के अत्यधिक वोल्टेज को तुरंत पता लगा लेता है और उसे जमीन में बाईपास कर देता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: सबस्टेशनों और पावर लाइनों पर लगे ट्रांसफॉर्मर और सर्किट ब्रेकर बहुत महंगे होते हैं। लाइटिंग अरेस्टर उन्हें बिजली के झटके से होने वाले नुकसान से बचाता है, जिससे महंगे रखरखाव और मरम्मत की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- आग से बचाव: बिजली गिरने से आग लगने का खतरा होता है। लाइटिंग अरेस्टर इस खतरे को काफी हद तक कम कर देता है क्योंकि यह बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करके उसे जमीन में भेज देता है, जिससे आग लगने की संभावना कम हो जाती है।
- बिजली की आपूर्ति बनाए रखना: ट्रांसमिशन लाइनों पर लाइटिंग अरेस्टर का उपयोग बिजली की आपूर्ति को बनाए रखने में मदद करता है। यदि बिजली गिरती है और अरेस्टर नहीं लगा होता, तो लाइनें और उपकरण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है।
सर्ज वोल्टेज (Surge Voltage) का मतलब अचानक और बहुत कम समय के लिए होने वाली वोल्टेज वृद्धि है, जो सामान्य वोल्टेज स्तर से काफी ऊपर होती है। इस तरह के वोल्टेज स्पाइक्स (spikes) या पल्स (pulse) बिजली के उपकरणों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सर्ज वोल्टेज के कारण
सर्ज वोल्टेज के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बिजली गिरना (Lightning Strikes): यह सबसे आम और हानिकारक कारणों में से एक है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बिजली गिरने से बिजली की लाइनों में बहुत ज़्यादा वोल्टेज का उछाल आ सकता है।
- बिजली का अचानक बंद या चालू होना (Power Switching): जब बड़े उपकरण या मोटर चालू या बंद होते हैं, तो वे विद्युत सर्किट में क्षणिक वोल्टेज पैदा कर सकते हैं।
- बिजली का जाना और आना (Power Outages and Restoration): बिजली कटौती के बाद जब बिजली वापस आती है, तो कभी-कभी वोल्टेज में अचानक वृद्धि हो सकती है।
- इलेक्ट्रोस्टैटिक डिस्चार्ज (Electrostatic Discharge - ESD): स्थैतिक बिजली का अचानक निकलना भी सर्ज का कारण बन सकता है, खासकर छोटे और संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक घटकों में।
सर्ज वोल्टेज के प्रभाव
जब सर्ज वोल्टेज होता है, तो यह कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है:
- उपकरणों को नुकसान: यह माइक्रोप्रोसेसर, सर्किट बोर्ड और अन्य संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक भागों को तुरंत जला सकता है या धीरे-धीरे उनकी कार्यक्षमता को कम कर सकता है।
- डेटा हानि (Data Loss): कंप्यूटर और सर्वर जैसे उपकरणों में डेटा खराब हो सकता है या पूरी तरह से नष्ट हो सकता है।
- आग लगने का खतरा: चरम मामलों में, अत्यधिक वोल्टेज से तारों में आग लग सकती है।
इनसे बचने के लिए सर्ज प्रोटेक्शन डिवाइस (Surge Protection Device - SPD) का इस्तेमाल किया जाता है। ये डिवाइस अतिरिक्त वोल्टेज को सुरक्षित रूप से जमीन में मोड़कर उपकरणों को बचाते हैं।
बिजली प्रणालियों में तड़ित अवरोधक (Lightning arrester) महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे बिजली के उपकरणों को आकाशीय बिजली और अन्य वोल्टेज सर्ज (voltage surges) से बचाते हैं। ये एक सुरक्षा उपकरण के रूप में काम करते हैं जो खतरनाक उच्च वोल्टेज को नियंत्रित करके, उसे जमीन में भेज देते हैं।
तड़ित अवरोधक कैसे काम करते हैं
जब एक उच्च वोल्टेज की लहर, जैसे कि आकाशीय बिजली, बिजली प्रणाली पर आती है, तो तड़ित अवरोधक सक्रिय हो जाता है।
- कम प्रतिरोध: सामान्य परिस्थितियों में, जब वोल्टेज सामान्य होता है, तो तड़ित अवरोधक का प्रतिरोध बहुत ज़्यादा होता है, जिससे यह एक ओपन सर्किट की तरह काम करता है और बिजली के सामान्य प्रवाह में बाधा नहीं डालता।
- उच्च वोल्टेज पर सक्रिय: जब वोल्टेज एक निश्चित सीमा से ज़्यादा हो जाता है (उदाहरण के लिए, बिजली गिरने पर), तो तड़ित अवरोधक का प्रतिरोध अचानक बहुत कम हो जाता है।
- सुरक्षा: कम प्रतिरोध के कारण, उच्च वोल्टेज का अतिरिक्त चार्ज या ऊर्जा, सुरक्षा मार्ग से होकर सीधे पृथ्वी में चली जाती है।
- सामान्य स्थिति में वापसी: जैसे ही वोल्टेज सामान्य स्तर पर वापस आता है, तड़ित अवरोधक का प्रतिरोध फिर से बढ़ जाता है और यह सामान्य अवस्था में लौट आता है, जिससे यह सर्किट से अलग हो जाता है।
इस प्रक्रिया से,
यह सुनिश्चित होता है कि खतरनाक उच्च वोल्टेज बिजली के संवेदनशील उपकरणों, जैसे ट्रांसफॉर्मर, सर्किट ब्रेकर और अन्य स्विचगियर तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे वे क्षतिग्रस्त होने से बच जाते हैं। तड़ित अवरोधक, जिसे सर्ज प्रोटेक्टर भी कहते हैं, एक आवश्यक सुरक्षा युक्ति है।
सर्ज वोल्टेज, जिसे क्षणिक ओवरवोल्टेज (transient overvoltage) भी कहते हैं, एक ऐसी घटना है जिसमें बिजली की आपूर्ति में अचानक और बहुत ही कम समय के लिए वोल्टेज का स्तर सामान्य से बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है। यह वृद्धि कुछ माइक्रोसेकंड से लेकर मिलीसेकंड तक ही रहती है, लेकिन इस दौरान इसका वोल्टेज हज़ारों वोल्ट तक पहुंच सकता है।
सर्ज वोल्टेज के कारण
सर्ज वोल्टेज के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:
- आकाशीय बिजली (Lightning): बिजली गिरने से बिजली की लाइनों में बहुत ज़्यादा वोल्टेज उत्पन्न होता है, जो सबसे खतरनाक प्रकार के सर्ज में से एक है।
- उपकरणों को चालू/बंद करना: बड़े मोटर, ट्रांसफॉर्मर, या अन्य भारी उपकरणों को अचानक चालू या बंद करने से भी वोल्टेज में उतार-चढ़ाव होता है, जिससे छोटे सर्ज उत्पन्न होते हैं।
- पावर ग्रिड में खराबी: बिजली कंपनी के ग्रिड में होने वाली खराबी, जैसे कि स्विचिंग ऑपरेशन या शॉर्ट सर्किट, भी सर्ज का कारण बन सकती है।
प्रभाव और बचाव
सर्ज वोल्टेज से जुड़े उपकरणों को गंभीर नुकसान हो सकता है, जैसे कि उनके संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और माइक्रोचिप जल सकते हैं। इससे उपकरण का जीवनकाल कम हो जाता है, डेटा नष्ट हो सकता है और आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इनसे बचने के लिए सर्ज प्रोटेक्टर या तड़ित अवरोधक (lightning arrester) जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण सर्ज को पहचानते ही अतिरिक्त वोल्टेज को ज़मीन में भेज देते हैं, जिससे उपकरणों को सुरक्षित रखा जा सके।
बिजली अवरोधक, जिसे लाइटनिंग अरेस्टर या सर्ज अरेस्टर भी कहा जाता है, को मुख्य रूप से उन स्थानों पर स्थापित किया जाता है जहाँ बिजली के झटके या अत्यधिक वोल्टेज से उपकरणों को सबसे ज़्यादा खतरा होता है। इसका मुख्य उद्देश्य बिजली के झटके से होने वाले नुकसान को रोकना और अतिरिक्त बिजली को सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेजना है।
प्रमुख स्थापना स्थान
बिजली अवरोधक को आमतौर पर निम्नलिखित जगहों पर लगाया जाता है:
- इमारतों की छत पर: ऊँची इमारतों, टावरों, और सौर ऊर्जा पैनलों पर लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जाते हैं। ये सबसे ऊँचे बिंदु होते हैं जहाँ बिजली गिरने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है, और यहाँ से अरेस्टर बिजली के करंट को सीधे जमीन में भेज देता है।
- मुख्य विद्युत आपूर्ति लाइन पर: इन्हें बिजली के खंभों पर, सबस्टेशनों में, और ट्रांसफार्मर के पास स्थापित किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बिजली का झटका भवन या उपकरणों तक पहुँचने से पहले ही नियंत्रित हो जाए।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के पास: घरों और दफ़्तरों में, सर्ज प्रोटेक्शन डिवाइस (Surge Protection Device - SPD) के रूप में इन्हें मुख्य इलेक्ट्रिक पैनल या संवेदनशील उपकरणों के पास लगाया जाता है, जैसे कंप्यूटर, टेलीविजन और सर्वर। ये आंतरिक सर्ज को भी नियंत्रित करते हैं जो बड़ी मशीनों के चालू या बंद होने से उत्पन्न होते हैं।
- संचार लाइनों पर: टेलीफोन, केबल टीवी और डेटा केबल लाइनों के प्रवेश बिंदुओं पर भी अरेस्टर लगाए जाते हैं ताकि इन लाइनों के माध्यम से आने वाले सर्ज से उपकरणों की सुरक्षा की जा सके।
संक्षेप में,
बिजली अवरोधक को वहाँ लगाया जाता है जहाँ से बिजली का झटका सबसे पहले प्रवेश कर सकता है या जहाँ सबसे संवेदनशील उपकरण मौजूद होते हैं, ताकि सुरक्षा की पहली और दूसरी दोनों परतें मौजूद हों।
बिजली अवरोधक (Lightning arrester) की स्थापना से पहले, यह सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण मापदंडों का मिलान करना आवश्यक है कि यह प्रभावी रूप से काम करे और उपकरणों को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करे। ये मापदंड सिस्टम की प्रकृति, स्थापना स्थल, और अरेस्टर की तकनीकी विशिष्टताओं से संबंधित होते हैं।
प्रमुख मापदंड
- रेटेड वोल्टेज (Rated Voltage): अरेस्टर का रेटेड वोल्टेज उस सिस्टम के वोल्टेज से मेल खाना चाहिए जहाँ इसे स्थापित किया जा रहा है। अगर वोल्टेज का स्तर मेल नहीं खाता, तो अरेस्टर या तो ठीक से काम नहीं करेगा या वह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है।
- निरंतर ऑपरेटिंग वोल्टेज (Continuous Operating Voltage - Uc): यह अधिकतम वोल्टेज है जिस पर अरेस्टर बिना किसी क्षति के लगातार काम कर सकता है। इसे सिस्टम के उच्चतम वोल्टेज से ज़्यादा होना चाहिए।
- नाममात्र डिस्चार्ज करंट (Nominal Discharge Current - In): यह वह अधिकतम करंट है जिसे अरेस्टर कई बार झेल सकता है। इसका चयन उस स्थान पर बिजली के झटकों की संभावना के आधार पर किया जाता है।
- अधिकतम डिस्चार्ज करंट (Maximum Discharge Current - Imax): यह वह सबसे बड़ा करंट है जिसे अरेस्टर एक बार में सुरक्षित रूप से झेल सकता है।
- वोल्टेज प्रोटेक्शन लेवल (Voltage Protection Level - Up): यह वह अधिकतम वोल्टेज है जो अरेस्टर के काम करने के बाद भी संरक्षित उपकरण तक पहुँचता है। यह मान उपकरण के इन्सुलेशन वोल्टेज से कम होना चाहिए।
-
सुरक्षा स्तर (Protection Level): अरेस्टर को उसके सुरक्षा स्तर (जैसे टाइप 1, 2, 3) के अनुसार चुना जाना चाहिए, जो उसके लगाने की जगह पर निर्भर करता है।
- टाइप 1: मुख्य वितरण पैनल पर, जहाँ बिजली गिरने का सीधा खतरा हो।
- टाइप 2: उप-पैनलों और उपकरणों के पास।
- टाइप 3: संवेदनशील उपकरणों के बहुत करीब।
- अर्थिंग (Earthing) प्रणाली: अरेस्टर का मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त करंट को ज़मीन में भेजना है। इसलिए, एक मज़बूत और कम प्रतिरोध वाली अर्थिंग प्रणाली (earthing system) का होना बेहद ज़रूरी है। अर्थिंग का प्रतिरोध जितना कम होगा (आमतौर पर 1 से 5 ओम), अरेस्टर उतना ही बेहतर काम करेगा।
- पर्यावरणीय स्थिति (Environmental Conditions): अरेस्टर को उस वातावरण के अनुकूल होना चाहिए जहाँ उसे स्थापित किया जा रहा है। इसमें तापमान, नमी, धूल और प्रदूषण जैसे कारक शामिल हैं, जो अरेस्टर के प्रदर्शन और जीवनकाल को प्रभावित कर सकते हैं।
बिजली अवरोधक (Lightning arrester) का मुख्य काम बिजली गिरने के दौरान अत्यधिक वोल्टेज और करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में भेजना है, जिससे इमारतों और उपकरणों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। यह एक सुरक्षा वाल्व की तरह काम करता है, जो सामान्य परिस्थितियों में बंद रहता है और केवल खतरनाक वोल्टेज बढ़ने पर ही खुलता है।
यह कैसे काम करता है:
- सामान्य स्थिति में: बिजली अवरोधक एक अवरोधक (insulator) के रूप में काम करता है। यह बिजली के सर्किट को सामान्य रूप से काम करने देता है और करंट को जमीन में नहीं जाने देता।
- बिजली गिरने पर: जब बिजली गिरती है, तो यह सिस्टम में बहुत अधिक वोल्टेज उत्पन्न करती है। जैसे ही यह वोल्टेज अवरोधक के निर्धारित स्तर से अधिक होता है, अवरोधक तुरंत एक चालक (conductor) में बदल जाता है। यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से होती है।
- करंट को मोड़ना: अवरोधक एक कम प्रतिरोध वाला रास्ता प्रदान करता है, जिससे बिजली का अत्यधिक करंट संवेदनशील उपकरणों से होकर जाने के बजाय सीधे उसी रास्ते से जमीन में चला जाता है।
- सुरक्षित रूप से निष्कासन: एक बार जब अतिरिक्त वोल्टेज और करंट जमीन में भेज दिया जाता है और वोल्टेज सामान्य स्तर पर लौट आता है, तो अवरोधक फिर से एक अवरोधक में बदल जाता है और सामान्य कार्यप्रणाली को बहाल कर देता है।
यह पूरी प्रक्रिया मिलीसेकंड में होती है, जो उपकरणों को गंभीर क्षति से बचाने के लिए पर्याप्त होती है।
सामान्य परिचालन स्थितियों में, बिजली अवरोधक (lightning arrester) अवरोधक (insulator) के रूप में काम करता है। इसका मतलब यह है कि यह बिजली को सामान्य रूप से उसके निर्धारित रास्ते से बहने देता है और खुद कोई काम नहीं करता।
- उच्च प्रतिरोध: सामान्य वोल्टेज पर, बिजली अवरोधक का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। इस उच्च प्रतिरोध के कारण, यह करंट को अपने माध्यम से ज़मीन में नहीं जाने देता, जिससे सर्किट का सामान्य परिचालन प्रभावित नहीं होता।
- निष्क्रिय अवस्था: जब तक कोई अत्यधिक वोल्टेज या सर्ज नहीं होता, तब तक यह डिवाइस निष्क्रिय अवस्था में रहता है और यह सर्किट के लिए एक खुले स्विच की तरह व्यवहार करता है।
यह ठीक एक सुरक्षा गार्ड की तरह है जो शांत रहता है जब तक कि कोई आपात स्थिति न हो। जब बिजली गिरती है और वोल्टेज अचानक बढ़ता है, तो यह तुरंत सक्रिय हो जाता है, अतिरिक्त करंट को जमीन में भेजता है, और फिर सामान्य स्थिति बहाल होने पर वापस निष्क्रिय हो जाता है।
बिजली अवरोधक उपकरण को अधिक गर्म होने से इसलिए रोकता है क्योंकि यह अतिरिक्त करंट को उपकरणों से दूर मोड़ देता है। जब कोई बिजली का सर्ज (surge) आता है, तो अवरोधक का आंतरिक प्रतिरोध अचानक बहुत कम हो जाता है, जिससे वह अत्यधिक वोल्टेज और करंट को सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेज देता है।
यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से होती है और केवल मिलीसेकंड तक चलती है। इस तरह, अतिरिक्त ऊर्जा को उपकरणों के बजाय जमीन में भेज दिया जाता है, जिससे वे ज़्यादा गरम नहीं हो पाते।
एक तरह से, यह एक सुरक्षा वाल्व की तरह काम करता है:
- सामान्य स्थिति में: वाल्व बंद रहता है, जिससे करंट सामान्य रूप से बहता है।
- अत्यधिक वोल्टेज पर: वाल्व खुल जाता है और खतरनाक करंट को एक अलग, सुरक्षित रास्ते से बाहर निकाल देता है।
इससे उपकरणों के नाजुक हिस्सों (जैसे सर्किट बोर्ड, वायरिंग, और सेमीकंडक्टर) पर अधिक लोड नहीं पड़ता और वे जलने या ज़्यादा गरम होने से बच जाते हैं।
अरेस्टर (arrester) के ऑपरेशन में उच्च प्रतिरोध की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह केवल सामान्य परिचालन स्थितियों के दौरान ही होती है। इसका मुख्य उद्देश्य सर्किट को सामान्य रूप से काम करने देना और बिजली को ज़मीन में जाने से रोकना है जब कोई खतरा नहीं होता।
उच्च प्रतिरोध की भूमिका
- सामान्य परिचालन: जब बिजली का वोल्टेज सामान्य स्तर पर होता है, तो अरेस्टर का आंतरिक प्रतिरोध अत्यधिक उच्च होता है। इस उच्च प्रतिरोध के कारण, अरेस्टर बिजली के लिए एक तरह से खुला सर्किट बन जाता है, जिससे करंट उसके माध्यम से बह नहीं पाता। इसका परिणाम यह होता है कि बिजली सामान्य रूप से उपकरणों तक पहुँचती रहती है और अरेस्टर कोई काम नहीं करता।
- बिजली का प्रवाह बनाए रखना: उच्च प्रतिरोध यह सुनिश्चित करता है कि सिस्टम का करंट सुरक्षित रूप से अपने निर्धारित पथ (जैसे तारों और सर्किट) से ही बहे, और ज़मीन में न जाए। इससे बिजली की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आती और उपकरणों को लगातार बिजली मिलती रहती है।
जब बिजली गिरती है तो क्या होता है?
जब बिजली गिरती है और वोल्टेज में अचानक वृद्धि होती है, तो अरेस्टर का प्रतिरोध तेज़ी से बहुत कम हो जाता है। यह एक तरह से खुद को एक बंद सर्किट में बदल लेता है। यह कम प्रतिरोध वाला रास्ता अतिरिक्त बिजली को तुरंत ज़मीन में मोड़ देता है, जिससे उपकरण सुरक्षित रहते हैं।
संक्षेप में,
उच्च प्रतिरोध की भूमिका एक निष्क्रिय सुरक्षा गार्ड की तरह है जो शांत रहता है, जबकि कम प्रतिरोध की भूमिका एक सक्रिय सुरक्षा गार्ड की तरह है जो खतरे के समय कार्रवाई करता है। यह दोहरी भूमिका ही अरेस्टर को बिजली के सिस्टम के लिए इतना प्रभावी बनाती है।
बिजली अवरोधक (arrester) उछाल (surge) पर बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है, आमतौर पर नैनोसेकंड या कुछ माइक्रोसेकंड में। यह प्रतिक्रिया इतनी तेज़ होती है क्योंकि एक बिजली का सर्ज भी बहुत कम समय (कुछ माइक्रोसेकंड) के लिए ही होता है।
इस तेज़ प्रतिक्रिया का मुख्य कारण अरेस्टर के अंदर इस्तेमाल होने वाली सामग्री, जैसे जिंक ऑक्साइड (Metal-Oxide Varistor या MOV) है। ये सामग्री एक निश्चित वोल्टेज स्तर (breakdown voltage) से ऊपर होने पर अपना प्रतिरोध तुरंत कम कर देती हैं, जिससे बिजली का करंट तेज़ी से ज़मीन में चला जाता है।
यह तेज़ प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि खतरनाक ऊर्जा नाजुक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक पहुँचने से पहले ही हटा दी जाए, जिससे उन्हें नुकसान से बचाया जा सके।
बिजली अवरोधक कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें उनके उपयोग और डिज़ाइन के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। यहाँ कुछ मुख्य प्रकार दिए गए हैं:
1. रॉड गैप अरेस्टर (Rod Gap Arrester)
यह सबसे सरल और सबसे सस्ता प्रकार है। इसमें दो रॉड होते हैं, एक लाइन से जुड़ा होता है और दूसरा जमीन से। जब वोल्टेज बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, तो दोनों रॉड के बीच की हवा आयनीकृत (ionized) हो जाती है और करंट जमीन में चला जाता है। यह अक्सर बाहरी लाइनों के लिए उपयोग किया जाता है।
2. हॉर्न गैप अरेस्टर (Horn Gap Arrester)
यह रॉड गैप अरेस्टर का ही एक सुधार है। इसमें दो हॉर्न के आकार के धातु के इलेक्ट्रोड होते हैं। जब करंट पास होता है, तो आर्क (arc) ऊपर की ओर बढ़ता है और अंत में बुझ जाता है। इसका उपयोग सबस्टेशन और ट्रांसफार्मर की सुरक्षा के लिए किया जाता है।
3. मल्टी-गैप अरेस्टर (Multi-Gap Arrester)
इस प्रकार के अरेस्टर में कई मेटल सिलेंडर होते हैं जो सीरीज में जुड़े होते हैं। ये सिलेंडर इंसुलेटिंग गैप्स द्वारा अलग किए जाते हैं। जब वोल्टेज बढ़ता है, तो सभी गैप्स एक साथ टूट जाते हैं और करंट जमीन में चला जाता है। इसका उपयोग उच्च वोल्टेज लाइनों के लिए किया जाता है।
4. वॉल्व टाइप अरेस्टर (Valve Type Arrester)
यह आधुनिक प्रकार का अरेस्टर है। इसमें एक सीरीज गैप और एक नॉन-लीनियर रेसिस्टर (nonlinear resistor) होता है। नॉन-लीनियर रेसिस्टर का प्रतिरोध वोल्टेज के बढ़ने पर बहुत कम हो जाता है, जिससे करंट जमीन में चला जाता है।
5. मेटल-ऑक्साइड अरेस्टर (Metal-Oxide Arrester - MOA)
यह सबसे आम और प्रभावी प्रकार है, जिसे अक्सर जिंक ऑक्साइड अरेस्टर भी कहते हैं। इसमें कोई गैप नहीं होता और यह जिंक ऑक्साइड से बना होता है, जिसका प्रतिरोध वोल्टेज बढ़ने पर बहुत तेज़ी से कम हो जाता है। यह बहुत तेज़ प्रतिक्रिया देता है और इसका उपयोग उच्च वोल्टेज सबस्टेशनों और ट्रांसमिशन लाइनों में किया जाता है।
6."निष्कासन प्रकार बन्दी" (Expulsion Type Arrester)
एक प्रकार का बिजली अवरोधक है जो मुख्य रूप से उच्च वोल्टेज सिस्टम में उपयोग होता है। इसका काम अतिरिक्त बिजली को सुरक्षित रूप से जमीन में भेजना है।
यह कैसे काम करता है?
निष्कासन प्रकार बन्दी एक साधारण ट्यूब जैसा उपकरण है, जो एक सिरे से खुला होता है। यह एक फाइबर ट्यूब से बना होता है और इसमें एक या दो गैप (gap) होते हैं:
- सीरीज गैप (Series Gap): यह बाहर की तरफ होता है और लाइन से जुड़ा होता है।
- इंसुलेटिंग गैप (Insulating Gap): यह ट्यूब के अंदर होता है।
जब बिजली गिरती है और वोल्टेज बहुत बढ़ जाता है, तो अंदर का गैप टूट जाता है। इसके परिणामस्वरूप एक आर्क (arc) बनता है। यह आर्क ट्यूब के अंदर की दीवारों पर दबाव डालता है, जिससे बड़ी मात्रा में गैस (जैसे हाइड्रोजन) निकलती है। यह गैस एक तेज़ दबाव बनाती है और आर्क को बाहर की ओर धकेलती है, जिससे आर्क बुझ जाता है।
एक बार जब आर्क बुझ जाता है, तो बन्दी सामान्य परिचालन स्थिति में लौट आता है। यह प्रक्रिया बहुत ही कम समय में होती है।
रॉड गैप अरेस्टर (Rod Gap Arrester) एक साधारण प्रकार का बिजली अवरोधक है जिसका उपयोग बिजली के उपकरणों को अत्यधिक वोल्टेज से बचाने के लिए किया जाता है। यह अरेस्टर दो रॉड से बना होता है, एक रॉड को लाइन से जोड़ा जाता है और दूसरे को ज़मीन से। इन दोनों रॉड के बीच एक एयर गैप (air gap) होता है।
यह कैसे काम करता है?
सामान्य स्थितियों में, रॉड के बीच का एयर गैप इन्सुलेटर (insulator) के रूप में काम करता है, जिससे बिजली लाइन में सामान्य रूप से बहती रहती है और ज़मीन में नहीं जाती। जब बिजली गिरती है या किसी अन्य कारण से वोल्टेज में अचानक वृद्धि होती है, तो यह अत्यधिक वोल्टेज एयर गैप की इन्सुलेशन क्षमता को तोड़ देता है। इसके बाद, रॉड के बीच एक चाप (arc) बनता है, जो अतिरिक्त बिजली को सुरक्षित रूप से जमीन में भेज देता है, जिससे लाइन में लगे उपकरण सुरक्षित रहते हैं।
इसका उपयोग कहाँ किया जाता है?
रॉड गैप अरेस्टर का उपयोग आमतौर पर कम से मध्यम वोल्टेज वाली लाइनों पर किया जाता है। इसे अक्सर सबस्टेशन, वितरण ट्रांसफार्मर और ओवरहेड लाइनों पर लगाया जाता है।
हालाँकि, आधुनिक अरेस्टर जैसे जिंक ऑक्साइड अरेस्टर की तुलना में इसके कुछ नुकसान भी हैं:
- चाप बुझने के बाद भी कुछ देर तक करंट बहता रहता है।
- यह हर बार काम करने के बाद थोड़ा खराब हो जाता है, जिससे इसका बार-बार रखरखाव करना पड़ता है।
- यह बहुत बड़े सर्ज को संभालने में उतना प्रभावी नहीं होता।
इसके बावजूद,
इसकी सादगी और कम लागत के कारण यह अभी भी कुछ विशेष अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है।
हॉर्न गैप अरेस्टर एक प्रकार का बिजली अवरोधक है जिसका उपयोग विद्युत प्रणाली को अत्यधिक वोल्टेज से बचाने के लिए किया जाता है। यह अरेस्टर दो हॉर्न के आकार के धातु के इलेक्ट्रोडों से बना होता है, जो एक-दूसरे से एक छोटे वायु अंतराल (air gap) पर लगे होते हैं।
यह कैसे काम करता है?
जब सिस्टम में वोल्टेज सामान्य होता है,
तो हॉर्न के बीच का वायु अंतराल एक अवरोधक (insulator) के रूप में कार्य करता है और कोई भी करंट पास नहीं होता है। लेकिन, जब बिजली गिरने या किसी अन्य कारण से वोल्टेज में अचानक वृद्धि होती है, तो यह अत्यधिक वोल्टेज वायु अंतराल को तोड़ देता है। इसके परिणामस्वरूप, हॉर्न के बीच एक आर्क (arc) बनता है, जो अतिरिक्त करंट को लाइन से हटाकर सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेज देता है।
आर्क बनने के बाद,
यह वायु के संवहन (convection) के कारण ऊपर की ओर बढ़ता है। चूंकि हॉर्न ऊपर की ओर चौड़े होते जाते हैं, इसलिए आर्क की लंबाई भी बढ़ती जाती है, जिससे यह कमजोर होता जाता है और अंततः बुझ जाता है। इस प्रक्रिया से, हॉर्न गैप अरेस्टर बिजली के सिस्टम को सर्ज वोल्टेज से बचाता है।
उपयोग और नुकसान
हॉर्न गैप अरेस्टर का उपयोग आमतौर पर सबस्टेशन, ट्रांसफार्मर और ओवरहेड लाइनों पर किया जाता है। हालाँकि, यह आधुनिक अरेस्टर (जैसे मेटल-ऑक्साइड अरेस्टर) की तुलना में कम प्रभावी है क्योंकि:
- आर्क को बुझने में समय लगता है।
- यह बार-बार रखरखाव की मांग करता है।
- यह सिस्टम को कुछ समय के लिए बाधित कर सकता है।
मल्टीगैप अरेस्टर (Multi-Gap Arrester) एक प्रकार का बिजली अवरोधक है जो कई सीरीज-गैप्स (series-gaps) का उपयोग करके काम करता है। यह डिवाइस एक ही अरेस्टर में कई छोटे गैप्स को जोड़कर बनाया जाता है, जिससे यह उच्च वोल्टेज को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सके।
कार्यप्रणाली
यह अरेस्टर मुख्य रूप से दो भागों से बना होता है:
- कई स्पार्क गैप (Spark Gaps): ये छोटे वायु अंतराल होते हैं, जो एक दूसरे से सीरीज में जुड़े होते हैं। ये गैप्स मुख्य रूप से इन्सुलेटर के रूप में काम करते हैं।
- सीरीज रेसिस्टर (Series Resistors): प्रत्येक स्पार्क गैप के साथ एक नॉन-लीनियर रेसिस्टर जुड़ा होता है। ये रेसिस्टर तब काम आते हैं जब स्पार्क गैप में आर्क बनता है।
सामान्य स्थिति में: जब सिस्टम का वोल्टेज सामान्य होता है, तो अरेस्टर के सभी गैप्स एक साथ इन्सुलेटर के रूप में काम करते हैं। वे उच्च प्रतिरोध प्रदान करते हैं, जिससे करंट जमीन में नहीं जाता।
उछाल (Surge) की स्थिति में: जब बिजली गिरने से वोल्टेज में अचानक वृद्धि होती है, तो यह अत्यधिक वोल्टेज सभी गैप्स को तोड़ देता है। इसके परिणामस्वरूप, सभी गैप्स में एक साथ स्पार्किंग होती है और एक चाप (arc) बनता है। यह चाप अतिरिक्त करंट को सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेज देता है।
इसके बाद,
सीरीज में लगे रेसिस्टर चाप को बुझाने में मदद करते हैं, जिससे करंट का प्रवाह सामान्य हो जाता है और अरेस्टर वापस अपनी निष्क्रिय अवस्था में लौट आता है। यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से होती है, जिससे उपकरणों को नुकसान नहीं होता।
निष्कासन प्रकार बन्दी (Expulsion Type Arrester) एक प्रकार का बिजली अवरोधक है जो उच्च वोल्टेज वाले विद्युत प्रणालियों में उपयोग किया जाता है। इसे "प्रोटेक्टर ट्यूब" भी कहा जाता है क्योंकि यह एक ट्यूब के रूप में होता है। इसका मुख्य उद्देश्य बिजली के झटके या अतिरिक्त वोल्टेज को सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेजना है।
यह कैसे काम करता है?
यह अरेस्टर एक बाहरी और एक आंतरिक गैप (gap) से मिलकर बना होता है:
- बाहरी गैप: यह एक सिरे पर लगा होता है जो बिजली की लाइन से जुड़ा होता है।
- आंतरिक गैप: यह ट्यूब के अंदर होता है।
जब बिजली का उछाल (surge) आता है, तो अत्यधिक वोल्टेज इन दोनों गैपों को तोड़ देता है और ट्यूब के अंदर एक आर्क (arc) बनता है। यह आर्क ट्यूब के अंदर की दीवारों पर दबाव डालता है, जो आमतौर पर एक फाइबर सामग्री से बनी होती है। दबाव के कारण, ट्यूब से गैस (हाइड्रोजन) निकलती है, जो आर्क को बाहर की ओर धकेलती है। इस प्रक्रिया को आर्क क्वेंचिंग (arc quenching) कहते हैं। जैसे ही आर्क बाहर निकलता है, यह बुझ जाता है और अरेस्टर अपनी सामान्य अवस्था में लौट आता है।
फायदे और नुकसान
फायदे
- यह अन्य अरेस्टर की तुलना में सस्ता होता है।
- इसका डिज़ाइन सरल होता है।
- यह बड़े सर्ज को भी संभाल सकता है।
नुकसान
- यह आर्क को बाहर फेंकता है, जो आसपास के उपकरणों के लिए खतरनाक हो सकता है।
- यह केवल एक सर्ज के बाद खराब हो सकता है और इसे बदलना पड़ता है।
- यह अन्य आधुनिक अरेस्टर की तुलना में कम कुशल है।
इसकी सीमाओं के कारण,
इसका उपयोग अब सीमित हो गया है, और इसकी जगह मेटल-ऑक्साइड अरेस्टर (Metal-Oxide Arrester) ने ले ली है।
वाल्व टाइप अरेस्टर (Valve Type Arrester) एक प्रकार का बिजली अवरोधक है जो विद्युत प्रणालियों को ओवर-वोल्टेज (over-voltage) से बचाता है। इसे नॉन-लीनियर रेसिस्टेंस अरेस्टर भी कहा जाता है क्योंकि इसका प्रतिरोध वोल्टेज के आधार पर बदलता है।
यह अरेस्टर मुख्य रूप से दो हिस्सों से बना होता है:
- सीरीज स्पार्क गैप (Series Spark Gap): यह एयर गैप्स का एक सीरीज है जो सामान्य वोल्टेज पर करंट के प्रवाह को रोकता है।
- नॉन-लीनियर रेसिस्टर एलिमेंट (Non-linear Resistor Element): यह सिलिकॉन कार्बाइड (silicon carbide) या जिंक ऑक्साइड (zinc oxide) जैसे पदार्थों से बना होता है, जिसका प्रतिरोध वोल्टेज बढ़ने पर तेजी से घटता है।
यह कैसे काम करता है?
सामान्य परिचालन: जब सिस्टम में वोल्टेज सामान्य होता है, तो सीरीज स्पार्क गैप एक अवरोधक (insulator) के रूप में कार्य करता है, और नॉन-लीनियर रेसिस्टर का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। इससे कोई करंट जमीन में नहीं जाता।
अत्यधिक वोल्टेज (Surg) पर: जब बिजली गिरने से वोल्टेज में अचानक वृद्धि होती है, तो यह अत्यधिक वोल्टेज सीरीज स्पार्क गैप को तोड़ देता है। इसके तुरंत बाद, नॉन-लीनियर रेसिस्टर का प्रतिरोध बहुत कम हो जाता है। यह कम प्रतिरोध वाला रास्ता अतिरिक्त करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में भेज देता है, जिससे उपकरण सुरक्षित रहते हैं।
सामान्य अवस्था में वापसी: एक बार जब अतिरिक्त करंट जमीन में चला जाता है और वोल्टेज सामान्य स्तर पर लौट आता है, तो नॉन-लीनियर रेसिस्टर का प्रतिरोध फिर से बढ़ जाता है, और स्पार्क गैप आर्क को बुझा देता है। इस प्रकार, अरेस्टर अपनी निष्क्रिय अवस्था में वापस आ जाता है।
यह अरेस्टर रॉड गैप जैसे पुराने प्रकारों की तुलना में अधिक कुशल और भरोसेमंद है क्योंकि यह आर्क को तेज़ी से बुझाता है और सिस्टम में करंट के प्रवाह को बाधित नहीं करता।
धातु ऑक्साइड बन्दी (Metal-Oxide Arrester), जिसे अक्सर MOA या जिंक ऑक्साइड अरेस्टर कहा जाता है, को आज के समय में बिजली के झटकों से बचाव के लिए सबसे ज़्यादा प्राथमिकता दी जाती है।
इसके कई कारण हैं, जो इसे पुराने प्रकार के अरेस्टर से बेहतर बनाते हैं:
1. तेज़ प्रतिक्रिया
MOA की प्रतिक्रिया का समय नैनोसेकंड में होता है, जो इसे बाकी अरेस्टर से बहुत तेज़ बनाता है। यह अत्यधिक वोल्टेज को उपकरणों तक पहुँचने से पहले ही सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेज देता है, जिससे संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं।
2. कोई सीरीज गैप नहीं
पुराने अरेस्टर (जैसे हॉर्न गैप या वाल्व टाइप) में सीरीज गैप होते थे जिन्हें आर्क (arc) बनाने और बुझाने की ज़रूरत होती थी। MOA में ऐसा कोई गैप नहीं होता। यह जिंक ऑक्साइड के गुण के कारण होता है, जो वोल्टेज बढ़ने पर अपना प्रतिरोध तुरंत कम कर देता है।
3. बेहतर ऊर्जा अवशोषण क्षमता
MOA बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा को सोख सकता है। यह बिना किसी नुकसान के कई बार काम कर सकता है, जिससे इसका जीवनकाल लंबा होता है।
4. कम रखरखाव
इसके डिज़ाइन में कोई मूवेबल पार्ट या आर्क बुझाने वाला सिस्टम नहीं होता, जिससे इसमें बहुत कम रखरखाव की ज़रूरत होती है।
5. बेहतर सुरक्षा स्तर
MOA का वोल्टेज प्रोटेक्शन लेवल (Up) बहुत कम होता है। इसका मतलब है कि यह उपकरणों को ऐसे वोल्टेज से बचाता है जो उनके इन्सुलेशन स्तर को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे यह सबसे ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है।
उद्योगों में बिजली अवरोधक (lightning arresters) का उपयोग बहुत व्यापक है क्योंकि वे संवेदनशील और महंगे उपकरणों को बिजली गिरने और अचानक वोल्टेज के झटकों से बचाते हैं। ये उद्योग अपनी कार्यप्रणाली के लिए लगातार और स्थिर बिजली आपूर्ति पर बहुत ज़्यादा निर्भर करते हैं।
यहाँ कुछ मुख्य उद्योग और उनके विशिष्ट अनुप्रयोग दिए गए हैं:
1. ऊर्जा उत्पादन और वितरण
- बिजली संयंत्र: बिजली संयंत्रों में जनरेटर, ट्रांसफार्मर और स्विचगियर जैसे महत्वपूर्ण उपकरण होते हैं। इन उपकरणों को बिजली के झटकों से बचाने के लिए अरेस्टर लगाए जाते हैं।
- सबस्टेशन: सबस्टेशन बिजली ग्रिड के लिए महत्वपूर्ण केंद्र होते हैं। यहाँ अरेस्टर को ट्रांसफार्मर, सर्किट ब्रेकर और बस बार्स पर लगाया जाता है ताकि बिजली के झटकों और स्विचिंग सर्ज (switching surges) से सुरक्षा मिल सके।
2. तेल और गैस उद्योग
- रिफाइनरी और प्लेटफॉर्म: इन जगहों पर विस्फोटक सामग्री होती है, इसलिए सुरक्षा सर्वोपरि है। लाइटनिंग अरेस्टर को कच्चे तेल के भंडार, पाइपलाइन और कंट्रोल सिस्टम पर लगाया जाता है ताकि बिजली गिरने से होने वाली आग या विस्फोट को रोका जा सके।
- पंपिंग स्टेशन: तेल और गैस को लंबी दूरी तक पंप करने वाले स्टेशनों पर भी संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं जिन्हें सर्ज से बचाना ज़रूरी है।
3. संचार और दूरसंचार
- सेल टॉवर और डेटा सेंटर: ये ऊँची संरचनाएं बिजली के लिए सबसे ज़्यादा संवेदनशील होती हैं। अरेस्टर को सेल टॉवर, एंटीना और डेटा सेंटर के सर्वर पर लगाया जाता है ताकि डेटा लॉस या उपकरण को नुकसान से बचाया जा सके।
- ट्रांसमिशन लाइन्स: टेलीफोन और फाइबर ऑप्टिक केबल लाइनों के प्रवेश बिंदुओं पर अरेस्टर लगाए जाते हैं ताकि इन लाइनों से आने वाले सर्ज से उपकरणों की सुरक्षा की जा सके।
4. रेलवे और परिवहन
- रेलवे सिग्नलिंग और ट्रैक्शन सिस्टम: रेलवे में सिग्नल, स्विचिंग पॉइंट और ट्रैक्शन सिस्टम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन प्रणालियों में सर्ज को नियंत्रित करने के लिए अरेस्टर लगाए जाते हैं, ताकि संचालन में कोई बाधा न आए।
5. विनिर्माण और कारखाने
- औद्योगिक मशीनरी और रोबोटिक्स: आधुनिक कारखानों में रोबोट और स्वचालित मशीनें होती हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम पर चलती हैं। अरेस्टर को इन मशीनों और उनके कंट्रोल पैनल के पास लगाया जाता है, ताकि बिजली के झटकों से उत्पादन में रुकावट न आए।
संक्षेप में,
किसी भी उद्योग में, जहाँ बिजली का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है और जहाँ उपकरण संवेदनशील होते हैं, वहाँ बिजली अवरोधक एक आवश्यक सुरक्षा उपकरण है।
ट्रांसफार्मर के पास बिजली अवरोधक (lightning arrester) का उपयोग मुख्य रूप से इसे बिजली के झटकों (lightning strikes) और स्विचिंग सर्ज (switching surges) से बचाने के लिए किया जाता है। ट्रांसफार्मर एक बहुत महंगा और महत्वपूर्ण उपकरण है, और अगर यह क्षतिग्रस्त हो जाए तो पूरी बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है।
स्थापना का तरीका
बिजली अवरोधक को ट्रांसफार्मर के हाई वोल्टेज (HV) और लो वोल्टेज (LV) दोनों तरफ स्थापित किया जाता है।
- HV साइड पर: यह ट्रांसफार्मर को ओवरहेड लाइनों के माध्यम से आने वाले बाहरी सर्ज (जैसे बिजली गिरने) से बचाता है।
- LV साइड पर: यह ट्रांसफार्मर को ऐसे सर्ज से बचाता है जो सिस्टम में आंतरिक रूप से उत्पन्न होते हैं (जैसे बड़ी मशीनों के चालू या बंद होने से)।
अरेस्टर को ट्रांसफार्मर के बुशिंग (bushings) और अर्थिंग सिस्टम से जोड़ा जाता है। जब कोई सर्ज आता है, तो अरेस्टर तुरंत अतिरिक्त करंट को लाइन से हटाकर सुरक्षित रूप से ज़मीन में भेज देता है, जिससे ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग और कोर को नुकसान नहीं पहुँचता।
क्यों आवश्यक है?
ट्रांसफार्मर के लिए अरेस्टर का उपयोग बहुत ज़रूरी है क्योंकि:
- इंसुलेशन की सुरक्षा: ट्रांसफार्मर के अंदर तेल और पेपर से बने इंसुलेशन होते हैं। अत्यधिक वोल्टेज इन्हें क्षतिग्रस्त कर सकता है। अरेस्टर इस इंसुलेशन को बचाते हैं।
- लागत में कमी: एक ट्रांसफार्मर को बदलने या मरम्मत करने की लागत बहुत अधिक होती है। अरेस्टर का उपयोग करके इस लागत से बचा जा सकता है।
- निरंतर बिजली आपूर्ति: ट्रांसफार्मर के खराब होने से बिजली की आपूर्ति में रुकावट आ सकती है। अरेस्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि ऐसा न हो।
हाँ, बिजली अवरोधक (lightning arrester) का उपयोग जनरेटर को सुरक्षित रखने के लिए किया जा सकता है।
इसका मुख्य कार्य जनरेटर को वोल्टेज में अचानक वृद्धि, जैसे कि बिजली गिरने या स्विचिंग ऑपरेशन के कारण होने वाले सर्ज (surges), से बचाना है।
जनरेटर के लिए अरेस्टर क्यों ज़रूरी हैं?
जनरेटर के आंतरिक हिस्से,
जैसे वाइंडिंग और इन्सुलेशन, अत्यधिक वोल्टेज के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं। अगर अचानक वोल्टेज बढ़ता है, तो यह इन हिस्सों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर सकता है। जनरेटर को हुए नुकसान से महंगे मरम्मत या बदलने की ज़रुरत पड़ सकती है, और साथ ही बिजली उत्पादन भी रुक सकता है।
उपयोग और स्थापना
जनरेटर को सुरक्षित रखने के लिए अरेस्टर को आमतौर पर जनरेटर के टर्मिनल के पास स्थापित किया जाता है। ये अरेस्टर विशेष रूप से जनरेटर के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं और उन्हें जनरेटर के रेटेड वोल्टेज के अनुसार चुना जाता है।
जब कोई सर्ज आता है,
तो अरेस्टर तुरंत अतिरिक्त करंट को जमीन में भेज देता है, जिससे जनरेटर की वाइंडिंग और अन्य घटक सुरक्षित रहते हैं। इस तरह, अरेस्टर एक सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं, जो जनरेटर की कार्यप्रणाली को निर्बाध बनाए रखने में मदद करते हैं।
बिजली अवरोधक (arrester) की सुरक्षा उन सभी प्रकार की विद्युत प्रणालियों को ज़रूरी होती है जहाँ अचानक और अत्यधिक वोल्टेज (जिसे सर्ज या क्षणिक ओवरवोल्टेज भी कहते हैं) का खतरा होता है। यह सुरक्षा विशेष रूप से निम्नलिखित प्रणालियों के लिए आवश्यक है:
1. बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण प्रणाली
- उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइनें: ये लाइनें खुली होती हैं और बिजली गिरने के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। अरेस्टर उन्हें सर्ज से बचाते हैं।
- सबस्टेशन और ट्रांसफार्मर: ये बिजली ग्रिड के महत्वपूर्ण अंग हैं। अरेस्टर इन पर लगे महंगे उपकरणों को बिजली के झटकों और स्विचिंग ऑपरेशन से उत्पन्न होने वाले सर्ज से बचाते हैं।
- वितरण प्रणाली: घरों और व्यवसायों तक बिजली पहुँचाने वाली लाइनों को भी अरेस्टर सुरक्षा की ज़रूरत होती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ तूफान ज़्यादा आते हैं।
2. औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रणालियां
- कारखाने और विनिर्माण इकाइयां: यहाँ संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक मशीनें, मोटर और कंट्रोल सिस्टम होते हैं जो वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से आसानी से खराब हो सकते हैं।
- डेटा सेंटर और दूरसंचार प्रणालियां: ये प्रणालियां बहुत संवेदनशील होती हैं, और एक छोटा सा भी सर्ज डेटा हानि या उपकरण के खराब होने का कारण बन सकता है।
3. आवासीय और भवन प्रणालियां
- घर और अपार्टमेंट: बिजली के सर्ज, टीवी, कंप्यूटर, रेफ्रिजरेटर और अन्य घरेलू उपकरणों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। मुख्य विद्युत पैनल पर लगाया गया एक अरेस्टर पूरे घर को सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
संक्षेप में,
किसी भी विद्युत प्रणाली को अरेस्टर की ज़रूरत होती है जहाँ उपकरण महंगे हों, संचालन महत्वपूर्ण हो, या जहाँ बिजली के झटके और सर्ज का खतरा हो।
बिजली अवरोधक (lightning arrester) की स्थापना के समय कई सावधानियां बरतना बहुत ज़रूरी है ताकि यह ठीक से काम करे और उपकरणों को पूरी सुरक्षा प्रदान करे।
1. सही चयन
- रेटिंग का मिलान: अरेस्टर को सिस्टम के वोल्टेज, करंट और इंसुलेशन स्तर से मेल खाना चाहिए।
- पर्यावरण: इसे उन स्थितियों के लिए चुना जाना चाहिए जहां इसे स्थापित किया जा रहा है (जैसे नमी, तापमान और प्रदूषण)।
- उपयोग का स्थान: सही प्रकार का अरेस्टर चुनना ज़रूरी है (जैसे सबस्टेशन के लिए मेटल-ऑक्साइड अरेस्टर और ओवरहेड लाइनों के लिए रॉड गैप)।
2. सही स्थापना
- सुरक्षित दूरी: अरेस्टर को उपकरण से जितना हो सके उतना पास लगाना चाहिए, जिससे अरेस्टर और उपकरण के बीच की वायरिंग छोटी रहे।
- अर्थिंग (Earthing): एक मज़बूत और कम प्रतिरोध वाली अर्थिंग प्रणाली (earthing system) बहुत ज़रूरी है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अरेस्टर से ज़मीन तक का रास्ता सीधा और बिना किसी मोड़ के हो, जिससे बिजली का करंट आसानी से प्रवाहित हो सके।
- पोलारिटी (Polarity): अरेस्टर को सही पोलारिटी के साथ स्थापित करना चाहिए, यानी एक सिरा लाइन से और दूसरा सिरा ज़मीन से ठीक से जुड़ा होना चाहिए।
3. नियमित रखरखाव
- जांच: अरेस्टर की समय-समय पर जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह ठीक से काम कर रहा है।
- साफ-सफाई: इसे धूल और गंदगी से मुक्त रखना चाहिए।
- क्षति की जांच: अगर अरेस्टर पर कोई क्षति दिखाई देती है, तो उसे तुरंत बदलना चाहिए।
इन सावधानियों का पालन करने से यह सुनिश्चित होता है कि अरेस्टर प्रभावी रूप से काम करता है और उपकरणों को लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है।
बिजली अवरोधक की प्रभावी ग्राउंडिंग सुनिश्चित करने के लिए, आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना होगा।
1. कम प्रतिरोध वाला रास्ता
अरेस्टर से ज़मीन तक का रास्ता ऐसा होना चाहिए कि बिजली का करंट बिना किसी बाधा के बह सके। इसके लिए, ग्राउंडिंग का प्रतिरोध (resistance) जितना हो सके उतना कम (आमतौर पर 1 से 5 ओम) होना चाहिए। इस प्रतिरोध को मापने के लिए एक अर्थ रेजिस्टेंस मीटर का उपयोग किया जाता है।
2. सही सामग्री और स्थापना
- ग्राउंड रॉड (Ground Rod): एक तांबे या गैल्वनाइज्ड स्टील की रॉड का उपयोग करें। इसे ज़मीन में कम से कम 8 फीट (2.4 मीटर) तक गाड़ा जाना चाहिए, ताकि यह नम मिट्टी तक पहुंच सके।
- कनेक्शन: अरेस्टर को ग्राउंड रॉड से जोड़ने वाले तार को मज़बूत, छोटा और बिना किसी मोड़ (sharp bends) के रखना चाहिए। तार जितना छोटा होगा, प्रतिरोध उतना ही कम होगा।
3. स्थान का चुनाव
अरेस्टर और उसके ग्राउंडिंग रॉड को उपकरण के जितना हो सके उतना पास स्थापित करें। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सर्ज को जल्दी से हटाया जा सके। साथ ही, जमीन में दबे हुए पाइप या केबल से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
4. नियमित जांच
ग्राउंडिंग सिस्टम की प्रभावशीलता समय के साथ कम हो सकती है, इसलिए इसकी नियमित रूप से जांच करते रहना चाहिए। ग्राउंडिंग का प्रतिरोध समय-समय पर मापा जाना चाहिए, और यदि यह बढ़ गया हो, तो आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए।
बिजली गिरने से बचाव के दौरान सही अर्थिंग (grounding) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बिजली के अतिरिक्त करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में भेजकर उपकरणों और इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
सही अर्थिंग क्यों महत्वपूर्ण है?
- सुरक्षित मार्ग: अर्थिंग बिजली के करंट को उपकरण या इमारत से दूर एक कम प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करती है। जब बिजली गिरती है, तो यह करंट को सीधे जमीन में मोड़ देती है, जिससे वह महंगे या संवेदनशील उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचाता।
- अत्यधिक गर्मी से बचाव: अगर करंट को सही रास्ता नहीं मिलता, तो वह उपकरणों के माध्यम से बह सकता है, जिससे वे बहुत ज़्यादा गर्म हो सकते हैं और आग लग सकती है। सही अर्थिंग इस गर्मी को बनने से रोकती है।
- निरंतर परिचालन: अगर अर्थिंग सही न हो, तो सर्ज (surge) के कारण उपकरण खराब हो सकते हैं और बिजली आपूर्ति में रुकावट आ सकती है। सही अर्थिंग से यह सुनिश्चित होता है कि उपकरण लगातार काम करते रहें।
निष्कर्ष
संक्षेप में,
सही अर्थिंग एक सुरक्षा वाल्व की तरह काम करती है। यह सुनिश्चित करती है कि बिजली का करंट, जिसे उपकरण संभाल नहीं सकते, सुरक्षित रूप से जमीन में चला जाए, जिससे जान-माल की हानि न हो और उपकरण सुरक्षित रहें।
बिजली अवरोधक स्थापित करने के लिए कई उपकरणों की आवश्यकता होती है, जो स्थापना के प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ मुख्य उपकरणों की सूची दी गई है:
स्थापना के लिए मुख्य उपकरण
-
हैंड टूल्स (Hand Tools):
- रेंच और प्लायर्स (Wrenches and Pliers): कनेक्टर और नट-बोल्ट को कसने के लिए।
- स्क्रूड्राइवर: अरेस्टर को माउंट करने के लिए।
- वायर कटर और स्ट्रिपर्स: तारों को काटने और उनकी इन्सुलेशन को हटाने के लिए।
- क्रिमिंग टूल्स: तारों पर कनेक्टर लगाने के लिए।
-
मापने वाले उपकरण (Measuring Tools):
- मल्टीमीटर या वोल्टेज टेस्टर: यह जांचने के लिए कि सर्किट में बिजली है या नहीं।
- अर्थ रेजिस्टेंस मीटर (Earth Resistance Meter): यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्राउंडिंग का प्रतिरोध स्वीकार्य स्तर पर है।
-
सुरक्षा उपकरण (Safety Equipment):
- इंसुलेटेड ग्लव्स और सुरक्षा चश्मे: बिजली के काम के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए।
- सीढ़ी या मचान (Ladder or Scaffolding): ऊंचे स्थानों पर स्थापना के लिए।
-
स्थापना के लिए विशेष उपकरण:
- ड्रिल मशीन: अरेस्टर को दीवार या छत पर लगाने के लिए छेद करने के लिए।
- ग्राउंड रॉड ड्राइवर: ग्राउंड रॉड को ज़मीन में डालने के लिए।
- केबल क्लिप और ब्रैकेट: तारों को सुरक्षित रूप से लगाने के लिए।
इन उपकरणों के अलावा,
स्थापना के लिए लाइटनिंग अरेस्टर किट (जिसमें अरेस्टर, ग्राउंड रॉड और तार शामिल हैं) का होना भी ज़रूरी है।
बिजली अवरोधक (lightning arrester) की सुरक्षा और दीर्घायु सुनिश्चित करने के लिए नियमित रखरखाव बहुत ज़रूरी है। लापरवाही बरतने से यह उपकरण खराब हो सकता है, जिससे बिजली के झटकों का खतरा बढ़ जाता है।
यहाँ कुछ सुझाए गए रखरखाव के तरीके दिए गए हैं:
1. नियमित निरीक्षण
- समय-समय पर निरीक्षण: बिजली अवरोधकों का नियमित निरीक्षण करना चाहिए, खासकर मानसून के मौसम से पहले और बाद में, क्योंकि इन मौसमों में बिजली गिरने की संभावना ज़्यादा होती है।
- दृश्य निरीक्षण: जाँचें कि अरेस्टर में कोई भौतिक क्षति तो नहीं है, जैसे दरारें, जंग, या कोई अन्य बाहरी खराबी। यह भी सुनिश्चित करें कि सभी कनेक्शन ठीक से कसे हुए हैं।
- साफ-सफाई: अरेस्टर की बाहरी सतह को साफ करें ताकि धूल, गंदगी या अन्य प्रदूषक जमा न हों। यह विशेष रूप से औद्योगिक या तटीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
2. परीक्षण और मापन
- इंसुलेशन प्रतिरोध परीक्षण (Insulation Resistance Test): यह जांचने के लिए कि अरेस्टर का इंसुलेशन सही स्थिति में है या नहीं, एक मेगर (Megger) का उपयोग करके इंसुलेशन प्रतिरोध का परीक्षण करें।
- रिसाव धारा परीक्षण (Leakage Current Test): अरेस्टर से होने वाली रिसाव धारा की जाँच करें। यदि रिसाव धारा सामान्य से अधिक है, तो यह अरेस्टर के आंतरिक खराब होने का संकेत हो सकता है।
- अर्थिंग प्रतिरोध की जाँच: समय-समय पर अर्थिंग सिस्टम का प्रतिरोध मापें। एक कम प्रतिरोध वाली अर्थिंग ही प्रभावी सुरक्षा प्रदान करती है।
3. रिकॉर्ड और दस्तावेज़ीकरण
- रिकॉर्ड रखना: सभी निरीक्षणों, परीक्षणों और मरम्मत गतिविधियों का विस्तृत रिकॉर्ड रखें। यह अरेस्टर के प्रदर्शन को ट्रैक करने और संभावित समस्याओं को पहले से ही पहचानने में मदद करता है।
- निर्माता के निर्देशों का पालन: अरेस्टर के रखरखाव और सर्विसिंग के लिए निर्माता के निर्देशों का पालन करें।
4. क्षतिग्रस्त पुर्जों को बदलना
- समय पर बदलना: यदि निरीक्षण के दौरान अरेस्टर का कोई भी हिस्सा क्षतिग्रस्त पाया जाता है, तो उसे तुरंत बदल दें।
- समय सीमा: अरेस्टर का एक निश्चित जीवनकाल होता है। अगर आपका अरेस्टर अपनी अपेक्षित समय सीमा को पार कर चुका है, तो उसे बदल देना ही बेहतर होता है, भले ही वह अभी भी काम कर रहा हो।
इन तरीकों का पालन करके, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका बिजली अवरोधक हमेशा सर्वोत्तम स्थिति में रहे और आपके उपकरणों को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखे।
लीकेज करंट मापने के लिए सबसे आम और प्रभावी तरीका लीकेज क्लैंप मीटर का उपयोग करना है। यह एक विशेष प्रकार का क्लैंप मीटर है जो बहुत ही कम करंट (माइक्रोएम्पियर या मिलीएम्पियर) को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अलावा, एक डिजिटल मल्टीमीटर या इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षक (Megger) का भी उपयोग किया जा सकता है।
लीकेज क्लैंप मीटर का उपयोग करके मापन
यह सबसे सुरक्षित और सबसे आसान तरीका है क्योंकि इसमें सर्किट को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती।
- उपकरण तैयार करें: लीकेज क्लैंप मीटर को चालू करें और इसे सबसे कम करंट रेंज (जैसे 40 mA) पर सेट करें।
-
क्लैंप करें:
- सिंगल-फेज़ सर्किट के लिए: क्लैंप को चरण (phase) और न्यूट्रल कंडक्टर दोनों के चारों ओर बंद करें।
- थ्री-फेज़ सर्किट के लिए: सभी तीन चरण कंडक्टर और न्यूट्रल कंडक्टर (यदि मौजूद हो) को एक साथ क्लैंप करें।
- माप लें: मीटर पर जो रीडिंग दिखाई देगी, वह लीकेज करंट होगी जो ग्राउंड की ओर बह रही है। यदि क्लैंप सही से लगाया गया है, तो सामान्य लोड करंट का चुंबकीय क्षेत्र रद्द हो जाएगा, और मीटर केवल असंतुलित लीकेज करंट को मापेगा।
डिजिटल मल्टीमीटर का उपयोग करके मापन
इस विधि में सर्किट को तोड़ना पड़ता है, जो अधिक जोखिम भरा हो सकता है।
- सुरक्षा पहले: बिजली बंद करें और उपकरण को बिजली के स्रोत से डिस्कनेक्ट करें।
- मल्टीमीटर को सेट करें: मल्टीमीटर को AC mA मोड पर सेट करें और उच्चतम रेंज का चयन करें।
-
माप लें:
- उपकरण को ग्राउंड से डिस्कनेक्ट करें।
- मल्टीमीटर को डिवाइस के किसी भी धातु वाले हिस्से और ग्राउंड के बीच सीरीज में जोड़ें।
- अब, बिजली को चालू करें और मल्टीमीटर की रीडिंग को रिकॉर्ड करें।
इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षक (Megger) का उपयोग करके मापन
यह विधि लीकेज करंट को सीधे नहीं मापती, बल्कि यह इन्सुलेशन प्रतिरोध को मापकर संभावित लीकेज का पता लगाती है।
- सर्किट को डिस्कनेक्ट करें: सर्किट से सभी बिजली और लोड को डिस्कनेक्ट करें।
- परीक्षक जोड़ें: मेगर के एक सिरे को कंडक्टर (phase या neutral) और दूसरे सिरे को ग्राउंड से जोड़ें।
- परीक्षण करें: मेगर पर दिए गए वोल्टेज (आमतौर पर 500V या 1000V) को लागू करें। यदि रीडिंग बहुत कम प्रतिरोध (जैसे कुछ किलोओम) दिखाती है, तो इसका मतलब है कि इन्सुलेशन खराब है और लीकेज होने की संभावना है।
इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण (Insulation Resistance Test) इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह विद्युत उपकरणों और केबलों में लगे इन्सुलेशन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य की जाँच करता है। यह एक महत्वपूर्ण रखरखाव परीक्षण है जो बिजली के झटके, शॉर्ट सर्किट और आग जैसी खतरनाक घटनाओं को रोकने में मदद करता है।
यह परीक्षण हमें निम्नलिखित बातों का पता लगाने में मदद करता है:
1. सुरक्षा सुनिश्चित करना
इन्सुलेशन विद्युत प्रवाह को उसके निर्धारित रास्ते पर बनाए रखने में मदद करता है। यदि इन्सुलेशन खराब हो जाता है, तो बिजली का करंट गलती से उपकरण के धातु के हिस्सों या जमीन में बह सकता है, जिससे बिजली के झटके का खतरा पैदा होता है। इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि इन्सुलेशन अभी भी सुरक्षित है।
2. उपकरण की विश्वसनीयता बढ़ाना
समय के साथ, नमी, गर्मी, धूल और यांत्रिक तनाव जैसे कारकों के कारण इन्सुलेशन खराब हो सकता है। यह खराबी उपकरणों के प्रदर्शन को कम कर सकती है और अंततः उन्हें पूरी तरह से खराब कर सकती है। इस परीक्षण से संभावित विफलताओं का पहले से ही पता चल जाता है, जिससे समय रहते मरम्मत या बदलाव किया जा सकता है।
3. आग और क्षति से बचाव
खराब इन्सुलेशन से लीकेज करंट (leakage current) बढ़ सकता है, जिससे अत्यधिक गर्मी पैदा होती है। यह गर्मी आग का कारण बन सकती है या उपकरण को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकती है। परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि इन्सुलेशन लीकेज करंट को नियंत्रित कर सकता है, जिससे आग का खतरा कम होता है।
संक्षेप में,
इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण एक निवारक उपाय है जो उपकरणों के जीवनकाल को बढ़ाता है, कार्यस्थल में सुरक्षा सुनिश्चित करता है और अचानक होने वाली बिजली की विफलताओं से बचाता है।
निरीक्षण के दौरान जाँची जाने वाली सामान्य भौतिक त्रुटियाँ वे बाहरी दोष हैं जो बिजली अवरोधक (lightning arrester) के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं। इन त्रुटियों का पता लगाकर समय पर कार्रवाई की जा सकती है, जिससे संभावित विफलताएं और दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं।
मुख्य भौतिक त्रुटियाँ
- जंग और संक्षारण (Rust and Corrosion): अरेस्टर के धातु के हिस्सों, जैसे उसके कनेक्टर, नट-बोल्ट, और बॉडी पर जंग या संक्षारण की जाँच करें। जंग से विद्युत संपर्क खराब हो सकता है और करंट का प्रवाह बाधित हो सकता है।
- दरारें और टूट-फूट (Cracks and Breakage): अरेस्टर के इन्सुलेटर (porcelain or polymer) पर किसी भी दरार, चिपिंग, या टूट-फूट की तलाश करें। ये दरारें नमी और धूल को अंदर जाने दे सकती हैं, जिससे इन्सुलेशन प्रतिरोध कम हो सकता है।
- ढीले कनेक्शन (Loose Connections): सभी तारों के कनेक्शन, विशेष रूप से लाइन और ग्राउंडिंग वाले कनेक्शन, की जाँच करें कि वे ढीले तो नहीं हैं। ढीले कनेक्शन से अत्यधिक गर्मी पैदा हो सकती है, जो उपकरण को नुकसान पहुंचा सकती है।
- प्रदूषण (Pollution): अरेस्टर की सतह पर धूल, गंदगी, नमक, या औद्योगिक प्रदूषण के जमाव की जाँच करें। ये पदार्थ इन्सुलेटर की सतह पर एक प्रवाहकीय परत बना सकते हैं, जिससे लीकेज करंट बढ़ सकता है।
- ओवरहीटिंग के संकेत (Signs of Overheating): अरेस्टर के आसपास या उसके कनेक्टर पर किसी भी तरह के रंग बदलने या पिघलने के संकेतों की तलाश करें। यह संकेत अत्यधिक करंट या खराब संपर्क के कारण ओवरहीटिंग का हो सकता है।
इन भौतिक त्रुटियों की नियमित जाँच करके, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका बिजली अवरोधक प्रभावी रूप से काम करता रहे।
बिजली अवरोधकों की जाँच की आवृत्ति (frequency) कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि वे किस प्रकार के हैं, कहाँ स्थापित हैं, और वहाँ के पर्यावरणीय कारक क्या हैं। हालाँकि, कुछ सामान्य दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:
1. नियमित निरीक्षण
- साल में एक बार: सामान्य परिस्थितियों में, बिजली अवरोधकों का वर्ष में कम से कम एक बार भौतिक निरीक्षण किया जाना चाहिए। यह जाँच मानसून या तूफान के मौसम से पहले या बाद में करने का सबसे अच्छा समय होता है।
- महीने में एक बार: यदि अरेस्टर औद्योगिक क्षेत्रों या तटीय इलाकों में स्थापित हैं, जहाँ प्रदूषण या नमक का जमाव ज़्यादा होता है, तो उनका निरीक्षण हर महीने किया जाना चाहिए।
2. परीक्षण और माप
- हर 3-5 साल में: अधिक गहन परीक्षण, जैसे कि इन्सुलेशन प्रतिरोध या रिसाव धारा का माप, हर 3 से 5 साल में किया जाना चाहिए।
- किसी घटना के बाद: यदि किसी बड़े तूफान या बिजली गिरने की घटना के बाद संदेह हो कि अरेस्टर पर अत्यधिक भार पड़ा है, तो उसकी तुरंत जाँच की जानी चाहिए।
3. निर्माता के दिशानिर्देशों का पालन
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अरेस्टर निर्माता द्वारा दिए गए रखरखाव और जाँच के निर्देशों का पालन करें। वे सबसे सटीक जानकारी प्रदान करते हैं कि उनके विशिष्ट उत्पाद की कितनी बार जाँच की जानी चाहिए।
नियमित जाँच से अरेस्टर की कार्यक्षमता सुनिश्चित होती है और महंगे उपकरणों की सुरक्षा बनी रहती है।
निरीक्षण के दौरान जाँची जाने वाली सामान्य भौतिक त्रुटियाँ, किसी उत्पाद या प्रणाली में दिखाई देने वाली कमियाँ या दोष होती हैं। ये त्रुटियाँ आमतौर पर उस वस्तु के रूप, बनावट, या काम करने के तरीके को प्रभावित करती हैं। यहाँ कुछ सामान्य भौतिक त्रुटियाँ दी गई हैं, जिन्हें निरीक्षण के दौरान जाँच किया जाता है:
सतह (Surface) से संबंधित त्रुटियाँ
- खरोंच (Scratches): सतह पर बनी पतली, लंबी रेखाएँ।
- दरारें (Cracks): सामग्री में गहराई तक गई हुई दरारें, जो अक्सर तनाव या दबाव के कारण होती हैं।
- धब्बे (Stains): सतह पर पड़े रंगीन या काले निशान, जो गंदगी, तेल, या रासायनिक पदार्थ से हो सकते हैं।
- खराबी (Dents): सतह में बनी छोटी या बड़ी गर्तें, जो किसी वस्तु के टकराने से हो सकती हैं।
- फफोले (Blisters): सतह पर बने छोटे उभार, जो अक्सर पेंटिंग या कोटिंग के दौरान हवा या नमी के फँसने से होते हैं।
आयाम (Dimensions) और आकार से संबंधित त्रुटियाँ
- गलत माप (Incorrect Measurements): लंबाई, चौड़ाई, या ऊँचाई का निर्दिष्ट माप से अलग होना।
- असमरूपता (Asymmetry): वस्तु के दोनों हिस्सों का एक जैसा न होना।
- विकृति (Deformation): वस्तु का अपने मूल आकार या रूप से बदल जाना।
संरचना (Structure) और संयोजन से संबंधित त्रुटियाँ
- ढीले जोड़ (Loose Joints): दो या दो से अधिक हिस्सों का ठीक से जुड़ा न होना।
- टूटे हुए हिस्से (Broken Parts): वस्तु का कोई हिस्सा टूटा हुआ या अलग होना।
- गलत संयोजन (Incorrect Assembly): पुर्जों को गलत तरीके से या गलत जगह पर जोड़ना।
कार्यक्षमता (Functionality) से संबंधित त्रुटियाँ
- जंग (Rust): धातु की सतह पर भूरे या लाल रंग की परत का जमना।
- घिसाव (Wear and Tear): लगातार उपयोग के कारण किसी हिस्से का घिस जाना।
इन त्रुटियों का पता लगाने के लिए दृष्टिगत निरीक्षण (Visual inspection), माप उपकरण (जैसे कैलीपर्स और माइक्रोमीटर), और कभी-कभी विशेष परीक्षण विधियों (जैसे अल्ट्रासाउंड) का उपयोग किया जाता है। किसी भी वस्तु या उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इन त्रुटियों की जाँच करना बहुत महत्वपूर्ण है।
बिजली अवरोधकों (Lightning Arresters) की जाँच की आवृत्ति (frequency) कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि उनका प्रकार, स्थान, और उन पर पड़ने वाला तनाव (stress)। हालांकि, सामान्य दिशानिर्देशों के अनुसार, इनकी जाँच नियमित रूप से की जानी चाहिए, खासकर गर्मी के मौसम से पहले या तूफान के मौसम की शुरुआत से पहले।
नियमित जाँच
- मासिक या त्रैमासिक (Monthly or Quarterly) निरीक्षण: सतह पर किसी भी तरह के बाहरी नुकसान, जैसे दरार, टूट-फूट, या गंदगी की जाँच के लिए।
- वार्षिक (Annually) निरीक्षण: एक अधिक विस्तृत तकनीकी जाँच के लिए, जिसमें अवरोधक के आंतरिक प्रतिरोध (internal resistance) और कार्यक्षमता की जाँच शामिल है।
- तूफान के मौसम से पहले: बिजली के हमलों की संभावना बढ़ने के कारण इस समय गहन जाँच करना आवश्यक होता है।
अन्य जाँच के कारण
- बिजली गिरने के बाद: यदि किसी क्षेत्र में बिजली गिरती है, तो उस क्षेत्र के सभी अवरोधकों की तुरंत जाँच की जानी चाहिए।
- सिस्टम में खराबी होने पर: यदि बिजली प्रणाली में कोई समस्या आती है, तो अवरोधकों की जाँच करके यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे ठीक से काम कर रहे हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह जाँच केवल प्रशिक्षित और योग्य कर्मियों द्वारा ही की जानी चाहिए, क्योंकि इसमें उच्च वोल्टेज उपकरणों के साथ काम करना शामिल होता है।
सर्ज विथस्टैंड टेस्ट (surge withstand test) एक महत्वपूर्ण परीक्षण है जिसका उपयोग यह जांचने के लिए किया जाता है कि कोई उपकरण या सामग्री बिजली के अचानक तेज वोल्टेज (surge voltage) के प्रभावों का कितनी अच्छी तरह सामना कर सकती है। यह परीक्षण विशेष रूप से बिजली के हमलों, स्विचिंग के कारण होने वाले ट्रांजिएंट्स (transients), या अन्य क्षणिक ओवरवोल्टेज से उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
परीक्षण की प्रक्रिया
सर्ज विथस्टैंड परीक्षण आमतौर पर एक सर्ज जनरेटर (surge generator) का उपयोग करके किया जाता है, जो एक विशिष्ट तरंग (waveform) का वोल्टेज पल्स उत्पन्न करता है। इस पल्स की विशेषताएं, जैसे कि उसका आकार और अवधि, अंतर्राष्ट्रीय मानकों (जैसे IEC 61000-4-5) द्वारा परिभाषित होती हैं।
- उपकरण को तैयार करना: जिस उपकरण का परीक्षण करना है (जिसे EUT - Equipment Under Test भी कहा जाता है), उसे उसकी सामान्य ऑपरेटिंग स्थिति में रखा जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी इनपुट और आउटपुट पोर्ट्स सही ढंग से जुड़े हुए हैं।
- सर्ज जनरेटर को सेट करना: सर्ज जनरेटर को आवश्यक वोल्टेज और पल्स की विशेषताओं के अनुसार सेट किया जाता है। आमतौर पर, यह 1.2/50 µs की वोल्टेज तरंग और 8/20 µs की करंट तरंग का उपयोग करता है।
-
परीक्षण करना:
- सर्ज जनरेटर से उत्पन्न होने वाले पल्स को EUT के विभिन्न पोर्ट्स (जैसे कि पावर लाइन और सिग्नल लाइन) पर लगाया जाता है।
- यह पल्स सामान्य मोड (common mode) और डिफरेंशियल मोड (differential mode) दोनों में लगाया जाता है।
- परीक्षण के दौरान, कई बार पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ध्रुवों (polarities) में पल्स दिए जाते हैं।
-
परिणाम का विश्लेषण:
- परीक्षण के दौरान यह देखा जाता है कि उपकरण में कोई खराबी तो नहीं आई।
- यदि उपकरण बिना किसी क्षति के परीक्षण से गुजर जाता है, तो उसे सफल माना जाता है। यदि उपकरण में कोई खराबी आती है या वह ठीक से काम करना बंद कर देता है, तो उसे विफल (fail) माना जाता है।
सर्ज विथस्टैंड परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि उपकरण वास्तविक दुनिया की स्थितियों में संभावित क्षणिक वोल्टेज के हमलों का सामना कर सकता है।
पृथ्वी प्रतिरोध माप (Earth Resistance Measurement) का महत्व मुख्य रूप से सुरक्षा और उपकरणों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने में है। एक प्रभावी अर्थिंग सिस्टम, जिसका प्रतिरोध कम हो, कई तरह के खतरों को कम करने में मदद करता है।
प्रमुख महत्व
-
विद्युत झटके से सुरक्षा:
- यह सबसे महत्वपूर्ण कारण है। जब किसी उपकरण में कोई खराबी आती है और उसका लाइव तार (live wire) उपकरण के धातु के हिस्से को छूता है, तो उस हिस्से में करंट बहने लगता है।
- अगर उपकरण ठीक से ग्राउंडेड है, तो यह करंट पृथ्वी में चला जाता है, जिससे उस हिस्से का वोल्टेज कम हो जाता है।
- कम प्रतिरोध वाला अर्थिंग सिस्टम, करंट को जल्दी और सुरक्षित रूप से जमीन में भेजता है, जिससे किसी व्यक्ति को झटका लगने का खतरा कम हो जाता है।
-
उपकरणों की सुरक्षा:
- बिजली गिरने (lightning strikes) या पावर ग्रिड में अचानक वोल्टेज बढ़ने (voltage surges) की स्थिति में, एक अच्छा अर्थिंग सिस्टम अतिरिक्त करंट को जमीन में भेजकर संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब होने से बचाता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि फॉल्ट करंट (fault current) उपकरण को नुकसान पहुँचाए बिना सुरक्षित रूप से बाहर निकल जाए।
-
वोल्टेज स्थिरीकरण (Voltage Stabilization):
- एक स्थिर और कम प्रतिरोध वाला ग्राउंडिंग सिस्टम विद्युत प्रणाली में वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि सिस्टम के विभिन्न हिस्सों में वोल्टेज का स्तर एक समान रहे, जिससे उपकरण ठीक से काम कर सकें।
-
नियमों का पालन:
- लगभग सभी देशों में विद्युत सुरक्षा नियमों के तहत एक निर्दिष्ट सीमा के भीतर अर्थ प्रतिरोध होना अनिवार्य है।
- नियमित माप से यह सुनिश्चित होता है कि आपकी स्थापना (installation) इन सुरक्षा मानकों का पालन कर रही है।
एक प्रभावी अर्थिंग सिस्टम की विशेषताएँ
एक अच्छा अर्थिंग सिस्टम का प्रतिरोध जितना संभव हो उतना कम होना चाहिए।
आमतौर पर, आवासीय और छोटे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए 5 ओम से कम का प्रतिरोध आदर्श माना जाता है, जबकि बड़े प्रतिष्ठानों के लिए यह 1 ओम से कम हो सकता है।
संक्षेप में,
पृथ्वी प्रतिरोध माप एक निवारक (preventive) उपाय है जो विद्युत प्रणाली की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
लीकेज करंट परीक्षण के परिणामों की व्याख्या करना इस बात पर निर्भर करता है कि परीक्षण किस प्रकार के उपकरण या प्रणाली के लिए किया जा रहा है और कौन से सुरक्षा मानक (safety standards) लागू होते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य सिद्धांत हैं जिनका पालन किया जाता है।
लीकेज करंट क्या है?
लीकेज करंट वह छोटा, अवांछित करंट है जो एक विद्युत प्रणाली के लाइव (live) हिस्से से पृथ्वी (earth) या किसी अन्य सुलभ धातु के हिस्से की ओर बहता है। यह करंट इंसुलेशन में मौजूद प्राकृतिक प्रतिरोध और कैपेसिटेंस (capacitance) के कारण होता है। हालांकि यह आमतौर पर बहुत कम होता है, लेकिन अगर यह अत्यधिक हो जाए तो इससे बिजली के झटके लगने, आग लगने या उपकरण के खराब होने का खतरा हो सकता है।
परिणामों की व्याख्या कैसे करें?
लीकेज करंट परीक्षण के परिणामों की व्याख्या करने के लिए, आपको मापे गए मानों की तुलना लागू सुरक्षा मानकों द्वारा निर्धारित स्वीकार्य सीमाओं (acceptable limits) से करनी होगी।
-
स्वीकार्य सीमाएँ:
- मानक, जैसे IEC 60990 और UL 60601-1 (चिकित्सा उपकरणों के लिए), अलग-अलग प्रकार के उपकरणों के लिए लीकेज करंट की अधिकतम स्वीकार्य सीमा निर्धारित करते हैं।
- उदाहरण के लिए, घरेलू उपकरणों के लिए, लीकेज करंट की सीमा अक्सर 0.5 mA (मिलीएम्पियर) या उससे कम होती है।
- चिकित्सा उपकरणों के लिए, सीमाएं बहुत सख्त होती हैं, खासकर जब वे सीधे रोगी के संपर्क में आते हैं, क्योंकि एक छोटा सा झटका भी खतरनाक हो सकता है।
- IEC 60601-1 जैसे मानक सामान्य स्थिति (normal condition) और एकल दोष स्थिति (single fault condition) दोनों के लिए अलग-अलग सीमाएँ परिभाषित करते हैं।
-
माप की तुलना:
- यदि परीक्षण के दौरान मापा गया लीकेज करंट निर्धारित सीमा के भीतर है, तो उपकरण को सुरक्षा मानकों के अनुरूप माना जाता है और यह उपयोग के लिए सुरक्षित है।
- यदि मापा गया करंट निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उपकरण को असुरक्षित माना जाता है और इसे मरम्मत या प्रतिस्थापन की आवश्यकता होती है। यह इंगित करता है कि उपकरण का इंसुलेशन कमजोर हो गया है या कोई अन्य दोष मौजूद है।
-
परीक्षण की स्थिति:
- परीक्षण की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। लीकेज करंट को सामान्य ऑपरेटिंग स्थितियों (जैसे, स्टैंडबाय मोड या फुल ऑपरेशन) और एकल दोष स्थितियों (जैसे, अर्थ कनेक्शन डिस्कनेक्ट होने पर) दोनों में मापा जाता है।
- एकल दोष स्थिति में भी, लीकेज करंट की एक निर्धारित सीमा होती है जिसे उपकरण को पास करना होता है।
- लगातार बढ़ते परिणाम:
- यदि लीकेज करंट समय के साथ लगातार बढ़ रहा है, तो यह एक चेतावनी संकेत है कि उपकरण का इंसुलेशन धीरे-धीरे खराब हो रहा है। नियमित निरीक्षण और परीक्षण इस तरह के खतरों का समय पर पता लगाने में मदद करते हैं।
संक्षेप में,
लीकेज करंट परीक्षण के परिणाम की व्याख्या करने का मुख्य तरीका मापे गए मान की तुलना लागू सुरक्षा मानकों द्वारा निर्धारित स्वीकार्य सीमा से करना है।
अरेस्टर के प्रदर्शन को परिभाषित करने वाले मुख्य पैरामीटर उसके कार्य करने की क्षमता और विश्वसनीयता से संबंधित होते हैं। ये पैरामीटर यह तय करते हैं कि एक अरेस्टर कितने प्रभावी ढंग से क्षणिक ओवरवोल्टेज से उपकरणों की रक्षा कर सकता है।
प्रमुख पैरामीटर
- रेटेड वोल्टेज (Rated Voltage): यह वह अधिकतम पावर-फ़्रीक्वेंसी वोल्टेज है जिसे अरेस्टर एक निश्चित अवधि (जैसे 10 सेकंड) के लिए बिना किसी क्षति के झेल सकता है। यह पैरामीटर अस्थायी ओवरवोल्टेज (TOV) स्थितियों के दौरान अरेस्टर की सहनशीलता को दर्शाता है।
- अधिकतम सतत ऑपरेटिंग वोल्टेज (Maximum Continuous Operating Voltage - MCOV): यह वह अधिकतम वोल्टेज है जिसे अरेस्टर लगातार, सामान्य ऑपरेटिंग स्थितियों में झेल सकता है। यह रेटेड वोल्टेज से कम होता है और यह सुनिश्चित करता है कि अरेस्टर सामान्य परिस्थितियों में चालू न हो।
- वोल्टेज-करंट (V-I) विशेषता (V-I Characteristic): यह अरेस्टर का सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर है। यह दर्शाता है कि अरेस्टर का प्रतिरोध वोल्टेज के साथ कैसे बदलता है। सामान्य वोल्टेज पर इसका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है, जिससे कोई करंट नहीं बहता। लेकिन जब वोल्टेज एक निश्चित स्तर से ऊपर जाता है, तो इसका प्रतिरोध तेज़ी से गिरता है, जिससे यह ओवरवोल्टेज करंट को ज़मीन में प्रवाहित करता है।
- नॉमिनल डिस्चार्ज करंट (Nominal Discharge Current): यह उस करंट का पीक मान है जिसे अरेस्टर एक विशिष्ट तरंग (जैसे 8/20 µs) के साथ सुरक्षित रूप से प्रवाहित कर सकता है। यह अरेस्टर की ऊर्जा वहन क्षमता (energy handling capability) का एक माप है।
- रेसिडुअल वोल्टेज (Residual Voltage): जब अरेस्टर के माध्यम से डिस्चार्ज करंट प्रवाहित होता है, तो अरेस्टर के टर्मिनलों पर शेष रहने वाले वोल्टेज को रेसिडुअल वोल्टेज कहते हैं। इसका मान जितना कम होगा, अरेस्टर द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा उतनी ही बेहतर होगी।
- ऊर्जा वहन क्षमता (Energy Handling Capability): यह अरेस्टर की वह क्षमता है जिससे वह बिना क्षतिग्रस्त हुए बिजली के हमलों या स्विचिंग सर्जेस से उत्पन्न ऊर्जा को अवशोषित कर सकता है। उच्च ऊर्जा रेटिंग वाला अरेस्टर अधिक टिकाऊ होता है।
इन सभी पैरामीटरों का उचित संयोजन यह सुनिश्चित करता है कि अरेस्टर सही ढंग से कार्य करे और संवेदनशील उपकरणों को ओवरवोल्टेज से प्रभावी ढंग से बचाए।
स्थापना के बाद अरेस्टर का परीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि वह सही ढंग से स्थापित किया गया है और कार्य करने के लिए तैयार है। यह परीक्षण, जिसे अक्सर फील्ड टेस्टिंग कहा जाता है, अरेस्टर के प्रदर्शन और अखंडता की जाँच करता है।
प्रमुख परीक्षण विधियाँ
-
दृश्य निरीक्षण (Visual Inspection):
- यह सबसे पहला और सरल कदम है।
- अरेस्टर की बाहरी सतह पर किसी भी तरह की क्षति, जैसे दरारें, खरोंच, या चिप्स की जाँच करें।
- सुनिश्चित करें कि सभी कनेक्शन, विशेष रूप से ग्राउंडिंग कनेक्शन, कसे हुए और जंग-मुक्त हैं।
- जाँचें कि अरेस्टर का माउंटिंग (mounting) सही और स्थिर है।
-
मेगर परीक्षण (Megger Test) या इन्सुलेशन प्रतिरोध परीक्षण:
- यह परीक्षण अरेस्टर के इन्सुलेशन प्रतिरोध की जाँच करता है।
- अरेस्टर के टर्मिनलों और ग्राउंड के बीच एक उच्च-वोल्टेज डीसी स्रोत (जैसे एक मेगर) का उपयोग करके प्रतिरोध को मापा जाता है।
- एक उच्च प्रतिरोध मान इंगित करता है कि इन्सुलेशन अच्छी स्थिति में है, जबकि कम प्रतिरोध मान संभावित दोष या नमी की उपस्थिति को दर्शाता है।
-
लीकेज करंट परीक्षण (Leakage Current Test):
- यह परीक्षण अरेस्टर से बहने वाले बहुत छोटे लीकेज करंट को मापता है।
- एक लीकेज करंट टेस्टर का उपयोग करके, अरेस्टर पर सामान्य ऑपरेटिंग वोल्टेज लगाया जाता है, और उससे प्रवाहित होने वाले करंट को मापा जाता है।
- यदि लीकेज करंट निर्धारित सीमा के भीतर है, तो अरेस्टर को ठीक माना जाता है। यदि यह बहुत अधिक है, तो यह अरेस्टर के आंतरिक दोष को इंगित करता है।
-
सर्वाधिक सतत ऑपरेटिंग वोल्टेज (MCOV) परीक्षण:
- इस परीक्षण में, अरेस्टर को उसके MCOV वोल्टेज पर रखा जाता है और यह देखा जाता है कि वह इस वोल्टेज को बिना चालू हुए झेल सकता है या नहीं।
- यह सुनिश्चित करता है कि अरेस्टर सामान्य ऑपरेटिंग स्थितियों में बिना किसी समस्या के काम करेगा।
इन सभी परीक्षणों के परिणामों की तुलना निर्माता द्वारा दिए गए विनिर्देशों और मानकों से की जानी चाहिए। यदि कोई भी परिणाम स्वीकार्य सीमा से बाहर है, तो अरेस्टर को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन परीक्षणों को केवल योग्य और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही किया जाना चाहिए, क्योंकि इनमें उच्च वोल्टेज उपकरणों के साथ काम करना शामिल है।
यदि बिजली गिरने के दौरान अरेस्टर फेल हो जाए, तो इससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें उपकरणों को नुकसान, आग लगना और सुरक्षा जोखिम शामिल हैं। अरेस्टर का मुख्य उद्देश्य ही बिजली के कारण उत्पन्न होने वाले अत्यधिक वोल्टेज को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करना है। जब यह विफल होता है, तो यह सुरक्षा कवच हट जाता है।
प्रमुख परिणाम
- उपकरणों को नुकसान: बिजली गिरने से उत्पन्न होने वाला अत्यधिक वोल्टेज बिना किसी बाधा के बिजली प्रणाली में प्रवेश कर जाएगा। यह वोल्टेज ट्रांसफॉर्मर, सर्किट ब्रेकर, और अन्य संवेदनशील उपकरणों को तुरंत नष्ट कर सकता है। यह विशेष रूप से पावर ग्रिड और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में बड़े और महंगे उपकरणों के लिए खतरनाक है।
- आग का खतरा: जब अत्यधिक करंट बिना नियंत्रित किए उपकरणों से होकर गुजरता है, तो इससे शॉर्ट सर्किट और अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है, जिससे आग लग सकती है। यह जोखिम विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अधिक होता है जहाँ ज्वलनशील सामग्री मौजूद होती है।
- सुरक्षा जोखिम: अरेस्टर की विफलता के कारण उपकरण या संरचना के धातु भागों में बिजली का करंट फैल सकता है। यदि कोई व्यक्ति उस समय उस धातु के संपर्क में आता है, तो उसे गंभीर या जानलेवा बिजली का झटका लग सकता है।
- सिस्टम आउटेज: अरेस्टर की विफलता से बिजली प्रणाली के महत्वपूर्ण घटकों को नुकसान हो सकता है, जिससे पूरे क्षेत्र में बिजली गुल हो सकती है। बिजली की बहाली में लंबा समय लग सकता है, जिससे आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।
संक्षेप में,
एक असफल अरेस्टर बिजली गिरने के दौरान एक बड़ा सुरक्षा और परिचालन जोखिम पैदा करता है, जिससे यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अरेस्टर की नियमित रूप से जाँच और रखरखाव किया जाए।
अरेस्टर के बिना, इंसुलेशन ब्रेकडाउन का मुख्य कारण अत्यधिक वोल्टेज है। जब किसी विद्युत प्रणाली में वोल्टेज सामान्य स्तर से बहुत ज़्यादा हो जाता है, तो इंसुलेशन की dielectric strength (विद्युत को रोकने की क्षमता) टूट जाती है, जिससे करंट एक अनपेक्षित रास्ते से बहने लगता है। इसी प्रक्रिया को इंसुलेशन ब्रेकडाउन कहते हैं।
इंसुलेशन ब्रेकडाउन के कारण
-
बिजली गिरना (Lightning Strikes):
- यह सबसे आम और गंभीर कारण है। जब बिजली किसी पावर लाइन या सबस्टेशन के पास गिरती है, तो इससे कुछ ही माइक्रोसेकंड में लाखों वोल्ट का वोल्टेज सर्ज (surge) उत्पन्न हो सकता है।
- यह अचानक और अत्यधिक वोल्टेज इंसुलेशन की सहनशीलता से बहुत अधिक होता है, जिससे यह तुरंत टूट जाता है।
-
स्विचिंग सर्जेस (Switching Surges):
- बड़े ट्रांसफॉर्मर, कैपेसिटर बैंकों, या लंबी ट्रांसमिशन लाइनों को अचानक चालू या बंद करने से भी क्षणिक (transient) ओवरवोल्टेज उत्पन्न होते हैं।
- हालांकि ये बिजली गिरने जितने तीव्र नहीं होते, लेकिन ये भी इंसुलेशन को नुकसान पहुँचाने के लिए पर्याप्त हो सकते हैं, खासकर अगर वे बार-बार हों।
-
लाइन-टू-ग्राउंड फॉल्ट्स (Line-to-Ground Faults):
- जब एक लाइव वायर गलती से जमीन या उपकरण के ग्राउंडेड हिस्से को छूता है, तो इससे सिस्टम में वोल्टेज का असंतुलन हो सकता है।
- यह असंतुलन, विशेष रूप से असीमित (ungrounded) प्रणालियों में, स्वस्थ (healthy) चरणों में वोल्टेज को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकता है, जिससे इंसुलेशन ब्रेकडाउन हो सकता है।
कैसे होता है ब्रेकडाउन?
जब वोल्टेज बढ़ता है, तो यह इंसुलेटिंग सामग्री में एक उच्च विद्युत क्षेत्र बनाता है। यदि यह विद्युत क्षेत्र इंसुलेशन की dielectric strength (विद्युतरोधकता) से अधिक हो जाता है, तो इंसुलेशन में मौजूद अणु आयनित (ionized) हो जाते हैं, जिससे यह अचानक एक कंडक्टर की तरह व्यवहार करने लगता है।
यह प्रक्रिया एक छोटे से स्पार्क से शुरू होती है और फिर एक बड़े आर्क (arc) में बदल जाती है। यह आर्क इंसुलेशन को स्थायी रूप से नुकसान पहुँचाता है और उपकरणों को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है।
संक्षेप में,
अरेस्टर के बिना, विद्युत प्रणाली में उत्पन्न होने वाला कोई भी ओवरवोल्टेज सीधे और अनियंत्रित रूप से इंसुलेशन पर पड़ता है, जिससे उसके टूटने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
यदि अर्थिंग (grounding) खराब है, तो कई गंभीर सुरक्षा खतरे उत्पन्न होते हैं, क्योंकि अर्थिंग सिस्टम का मुख्य कार्य ही सुरक्षा प्रदान करना है। एक खराब अर्थिंग सिस्टम बिजली के झटके, उपकरणों को नुकसान, और आग लगने जैसे जोखिमों को बढ़ा देता है।
प्रमुख सुरक्षा खतरे
-
बिजली के झटके का खतरा (Risk of Electric Shock):
- यह सबसे बड़ा खतरा है। जब किसी उपकरण में खराबी आती है (जैसे, लाइव तार का धातु के बाहरी हिस्से को छूना), तो वह हिस्सा विद्युतमय (energized) हो जाता है।
- अगर अर्थिंग ठीक से काम नहीं कर रही है, तो फॉल्ट करंट (fault current) सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित नहीं हो पाएगा।
- इसके बजाय, यह करंट उस उपकरण पर बना रहता है, और यदि कोई व्यक्ति उसे छूता है, तो करंट उसके शरीर से होकर जमीन में प्रवाहित होगा, जिससे गंभीर या जानलेवा बिजली का झटका लग सकता है।
-
उपकरणों को नुकसान (Damage to Equipment):
- खराब अर्थिंग होने पर, बिजली के झटके (lightning strikes) या अन्य ओवरवोल्टेज की स्थिति में उत्पन्न होने वाला अतिरिक्त करंट उपकरणों के अंदर ही रह जाता है।
- यह अतिरिक्त वोल्टेज और करंट संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक घटकों को तुरंत जला सकता है, जिससे महंगे उपकरण स्थायी रूप से खराब हो जाते हैं।
-
आग का खतरा (Fire Hazard):
- यदि फॉल्ट करंट जमीन में नहीं जा पाता, तो वह सिस्टम के अन्य भागों में प्रवाहित हो सकता है।
- यह करंट वायरिंग या अन्य घटकों को गर्म कर सकता है, जिससे इंसुलेशन पिघल सकता है और शॉर्ट सर्किट हो सकता है।
- शॉर्ट सर्किट से उत्पन्न होने वाली चिंगारी और अत्यधिक गर्मी आग का कारण बन सकती है।
- सिस्टम अस्थिरता (System Instability):
- कुछ विद्युत प्रणालियों में, एक खराब अर्थिंग वोल्टेज के स्तर को अस्थिर कर सकती है, जिससे उपकरणों का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है या वे पूरी तरह से काम करना बंद कर सकते हैं।
संक्षेप में, एक खराब अर्थिंग प्रणाली सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा जोखिम है और इसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए। नियमित जाँच और रखरखाव से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि आपका अर्थिंग सिस्टम प्रभावी और सुरक्षित है।
सर्ज करंट (surge current) एक अत्यधिक और क्षणिक करंट है जो ट्रांसफॉर्मर को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। यह करंट, जो बिजली गिरने या स्विचिंग ऑपरेशन से उत्पन्न होता है, ट्रांसफॉर्मर के सामान्य डिज़ाइन से कहीं ज़्यादा होता है, जिससे उसके आंतरिक घटकों पर भारी तनाव पड़ता है।
प्रमुख नुकसान
- इंसुलेशन ब्रेकडाउन: यह सबसे बड़ा खतरा है। जब एक उच्च-वोल्टेज सर्ज ट्रांसफॉर्मर से होकर गुजरता है, तो यह उसके वाइंडिंग्स और कोर के बीच के इन्सुलेशन पर बहुत ज़्यादा दबाव डालता है। यदि यह वोल्टेज इंसुलेशन की dielectric strength से अधिक हो जाता है, तो इंसुलेशन टूट जाता है, जिससे वाइंडिंग्स के बीच शॉर्ट सर्किट हो सकता है। ट्रांसफॉर्मर में इस्तेमाल होने वाला तेल और पेपर इन्सुलेशन दोनों ही इस अचानक और तीव्र तनाव से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिससे ट्रांसफॉर्मर स्थायी रूप से फेल हो जाता है।
- यांत्रिक तनाव: सर्ज करंट के कारण वाइंडिंग्स में बहुत मजबूत विद्युतचुंबकीय बल (electromagnetic forces) उत्पन्न होते हैं। ये बल वाइंडिंग्स को अपनी जगह से हिला सकते हैं या उन्हें विकृत कर सकते हैं। बार-बार होने वाले सर्ज से वाइंडिंग्स का यांत्रिक विस्थापन (mechanical displacement) हो सकता है, जिससे इंसुलेशन टूट जाता है और शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है।
- ऊष्मीय तनाव (Thermal Stress): जब उच्च मात्रा में करंट एक छोटे से समय के लिए प्रवाहित होता है, तो यह I²R (joule heating) के नियम के अनुसार अत्यधिक गर्मी उत्पन्न करता है। यह गर्मी ट्रांसफॉर्मर के तेल को गर्म कर सकती है और वाइंडिंग्स के इन्सुलेशन को जला सकती है, जिससे इंसुलेशन की उम्र कम हो जाती है या वह तुरंत फेल हो जाता है।
- कोर सैचुरेशन: सर्ज करंट के कारण ट्रांसफॉर्मर का चुंबकीय कोर (magnetic core) सैचुरेट हो सकता है। इसका मतलब है कि कोर अब और चुंबकीय फ्लक्स (magnetic flux) नहीं ले सकता। कोर के सैचुरेशन से ट्रांसफॉर्मर की कार्यक्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है और अत्यधिक करंट का प्रवाह जारी रहता है, जिससे और ज़्यादा नुकसान होता है।
संक्षेप में,
सर्ज करंट ट्रांसफॉर्मर की इंसुलेशन प्रणाली, यांत्रिक संरचना, और ऊष्मीय संतुलन को बाधित करके उसे गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।
बिजली के अरेस्टर को बदलने की आवश्यकता के कई संकेत हो सकते हैं। अरेस्टर एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है, और इसकी विफलता से जुड़े जोखिमों के कारण, नियमित निरीक्षण और कुछ प्रमुख संकेतों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।
प्रमुख संकेत जो अरेस्टर को बदलने की आवश्यकता बताते हैं
-
दृश्य क्षति (Visible Damage): यह सबसे आसान और स्पष्ट संकेत है। अरेस्टर की बाहरी बॉडी पर किसी भी तरह की भौतिक क्षति की जाँच करें।
- दरारें या चिप्स: अरेस्टर के पोर्सिलेन या पॉलिमर हाउसिंग पर दरारें, खरोंच या टूटे हुए हिस्से दिखना।
- पिघलने या रंग बिगड़ने के संकेत: यदि अरेस्टर का कोई हिस्सा ज़्यादा गर्मी के कारण पिघल गया हो या उसका रंग बदल गया हो, तो यह आंतरिक विफलता का संकेत है।
- विस्फोटित डिस्क या टुकड़े: अगर अरेस्टर का कोई हिस्सा फट गया हो या उसके टुकड़े बिखरे हुए हों, तो इसका मतलब है कि वह पूरी तरह से फेल हो चुका है।
-
गर्म होना और अजीब गंध (Heat and Strange Odors): एक सामान्य अरेस्टर को ऑपरेशन के दौरान गर्म नहीं होना चाहिए।
- यदि आप अरेस्टर को छूने पर वह गर्म महसूस होता है, तो यह अत्यधिक लीकेज करंट या आंतरिक समस्या का संकेत हो सकता है।
- जलने की गंध, खासकर बिजली के कंपोनेंट्स से, आंतरिक क्षति का एक स्पष्ट संकेत है।
- ऑटोमैटिक ट्रिपिंग: यदि अरेस्टर के साथ जुड़ा सर्किट ब्रेकर या फ्यूज बार-बार ट्रिप होता है, तो यह संकेत हो सकता है कि अरेस्टर ओवरलोड हो रहा है या काम नहीं कर रहा है, जिससे सिस्टम में फॉल्ट करंट बह रहा है।
- लीकेज करंट में वृद्धि: अरेस्टर की स्वास्थ्य स्थिति का पता लगाने के लिए लीकेज करंट टेस्ट एक प्रमुख विधि है। एक स्वस्थ अरेस्टर में बहुत कम लीकेज करंट होता है। यदि यह करंट समय के साथ बढ़ता है, तो यह अरेस्टर के अंदर मौजूद मेटल ऑक्साइड वैरिस्टर (MOV) डिस्क के खराब होने का संकेत देता है, जिसका मतलब है कि अरेस्टर की सुरक्षा क्षमता कम हो गई है।
- पुराना होना और सेवा काल का पूरा होना: अरेस्टर का भी एक निश्चित जीवनकाल होता है। यदि अरेस्टर कई साल पुराना है या उसने कई बड़े सर्ज (surge) झेल लिए हैं, तो भले ही उसमें कोई स्पष्ट क्षति न दिखे, उसकी सुरक्षा क्षमता कम हो सकती है। ऐसे में, अरेस्टर के निर्माता द्वारा निर्धारित सेवा जीवन को ध्यान में रखते हुए उसे बदलना एक अच्छी प्रैक्टिस मानी जाती है।
यदि आप इनमें से कोई भी संकेत देखते हैं, तो यह एक योग्य और प्रशिक्षित तकनीशियन से अरेस्टर की जाँच कराने और आवश्यकता पड़ने पर उसे बदलने का समय है।
सर्ज करंट सूत्र I = V/Z में, I सर्ज करंट है, V सर्ज वोल्टेज है, और Z सिस्टम का सर्ज प्रतिबाधा (surge impedance) है। यह सूत्र एक विशिष्ट क्षणिक (transient) घटना के लिए ओम के नियम (Ohm's Law) का एक रूपांतर है। सूत्र के घटकों की व्याख्या I (सर्ज करंट): यह वह क्षणिक करंट है जो एक ओवरवोल्टेज (overvoltage) घटना के दौरान, जैसे कि बिजली गिरने पर, बहता है। यह करंट बहुत ज़्यादा होता है लेकिन केवल कुछ ही माइक्रोसेकंड के लिए रहता है। V (सर्ज वोल्टेज): यह वह अत्यधिक वोल्टेज है जो अचानक और बहुत ही कम समय के लिए सिस्टम में दिखाई देता है। यह वोल्टेज सामान्य ऑपरेटिंग वोल्टेज से कई गुना अधिक हो सकता है। Z (सर्ज प्रतिबाधा): यह सर्किट का वह प्रतिरोध है जो सर्ज करंट के प्रवाह को रोकता है। यह केवल एक शुद्ध प्रतिरोध नहीं है, बल्कि इसमें सर्किट के प्रेरकत्व (inductance) और धारिता (capacitance) के प्रभाव भी शामिल होते हैं। सर्ज प्रतिबाधा का मान लाइन की भौतिक बनावट (जैसे कंडक्टर की ज्यामिति और जमीन से दूरी) पर निर्भर करता है। यह सूत्र दिखाता है कि यदि सर्ज वोल्टेज V बहुत ज़्यादा है, तो उससे उत्पन्न होने वाला सर्ज करंट I भी बहुत ज़्यादा होगा, खासकर अगर सिस्टम की सर्ज प्रतिबाधा Z कम हो। यह सूत्र सर्ज अरेस्टर के चयन और सर्किट के डिज़ाइन में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बताता है कि अरेस्टर को कितने करंट को सुरक्षित रूप से झेलने और ज़मीन में प्रवाहित करने में सक्षम होना चाहिए।
मृदा प्रतिरोधकता (soil resistivity) भू-संपर्कन (earthing) डिज़ाइन को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यह सबसे महत्वपूर्ण कारक है जो यह निर्धारित करता है कि किसी दी गई प्रणाली का भू-संपर्कन प्रतिरोध (earth resistance) कितना होगा। इसका सीधा संबंध जमीन में फॉल्ट करंट को सुरक्षित रूप से प्रवाहित करने की क्षमता से है।
मृदा प्रतिरोधकता का प्रभाव
- उच्च प्रतिरोधकता = उच्च प्रतिरोध: यदि मिट्टी की प्रतिरोधकता अधिक है, तो करंट को ज़मीन में प्रवाहित करने के लिए अधिक सतह क्षेत्र या अधिक गहरे इलेक्ट्रोड की आवश्यकता होती है। ऐसी मिट्टी में, एक छोटा ग्राउंडिंग इलेक्ट्रोड उच्च भू-संपर्कन प्रतिरोध प्रदान करेगा, जो सुरक्षा के लिए अयोग्य है।
- निम्न प्रतिरोधकता = निम्न प्रतिरोध: यदि मिट्टी की प्रतिरोधकता कम है, तो करंट को आसानी से प्रवाहित किया जा सकता है। कम प्रतिरोधकता वाली मिट्टी (जैसे नम मिट्टी या लवणयुक्त मिट्टी) में, भू-संपर्कन प्रतिरोध कम होता है, और एक छोटे या उथले इलेक्ट्रोड से भी अच्छा भू-संपर्कन प्राप्त किया जा सकता है।
डिज़ाइन पर प्रभाव
मृदा प्रतिरोधकता के आधार पर, भू-संपर्कन प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए डिज़ाइन में कई बदलाव किए जाते हैं:
- इलेक्ट्रोड की संख्या और आकार: उच्च प्रतिरोधकता वाली मिट्टी में, वांछित कम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए अधिक इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाता है।
- दफन की गहराई: चूंकि मिट्टी की निचली परतों में अक्सर नमी अधिक होती है, इसलिए इलेक्ट्रोड को गहराई में दफनाना एक आम तरीका है।
- ग्राउंडिंग ग्रिड (Grounding Grid): बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों में, जहाँ बहुत कम प्रतिरोध की आवश्यकता होती है, कई इलेक्ट्रोड को जोड़कर एक ग्राउंडिंग ग्रिड बनाया जाता है।
- रासायनिक उपचार (Chemical Treatment): उच्च प्रतिरोधकता वाली मिट्टी की चालकता (conductivity) बढ़ाने के लिए, इलेक्ट्रोड के चारों ओर विशेष रासायनिक यौगिकों को मिलाया जाता है।
इन सभी कारकों को भू-संपर्कन प्रणाली के डिज़ाइन में शामिल किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह सुरक्षा मानकों को पूरा करता है।
ZnO (जिंक ऑक्साइड) रोधकों में, अरैखिक (non-linear) प्रतिरोध की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यह अरैखिकता ही ZnO रोधकों को बिजली और सर्ज से सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी बनाती है।
अरैखिक प्रतिरोध की भूमिका
ZnO रोधकों में, प्रतिरोध वोल्टेज के साथ बदलता है। इस व्यवहार को अरैखिक प्रतिरोध कहते हैं। इसका मतलब है:
- सामान्य वोल्टेज पर उच्च प्रतिरोध: जब ZnO रोधक सामान्य ऑपरेटिंग वोल्टेज के संपर्क में होता है, तो इसका प्रतिरोध बहुत ज़्यादा होता है। इस स्थिति में, यह लगभग एक इन्सुलेटर (insulator) की तरह काम करता है, और इसमें से कोई भी महत्वपूर्ण लीकेज करंट नहीं बहता।
- अत्यधिक वोल्टेज पर निम्न प्रतिरोध: जब बिजली गिरने या स्विचिंग के कारण वोल्टेज अचानक और खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है, तो ZnO का प्रतिरोध तुरंत और तेज़ी से कम हो जाता है।
यह गुणधर्म अरेस्टर को एक स्वचालित स्विच की तरह काम करने की अनुमति देता है। जब सिस्टम में ओवरवोल्टेज होता है, तो अरेस्टर का प्रतिरोध कम हो जाता है, जिससे यह ओवरवोल्टेज करंट को सुरक्षित रूप से ज़मीन में प्रवाहित करता है। एक बार जब वोल्टेज सामान्य स्तर पर वापस आ जाता है, तो अरेस्टर का प्रतिरोध फिर से बहुत ज़्यादा हो जाता है, जिससे यह करंट के प्रवाह को रोक देता है और सिस्टम अपनी सामान्य स्थिति में वापस आ जाता है।
संक्षेप में,
ZnO में अरैखिक प्रतिरोध की यही विशेषता इसे ओवरवोल्टेज के खिलाफ एक प्रभावी सुरक्षा उपकरण बनाती है, जो उपकरणों को नुकसान से बचाता है।
चरण अनुक्रम, विशेष रूप से तीन-चरण (three-phase) विद्युत प्रणालियों में, संचालन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, खासकर घूर्णी (rotational) उपकरणों जैसे कि मोटरों के मामले में। यदि चरण अनुक्रम (phase sequence) गलत है, तो यह कई तरह की समस्याएँ पैदा कर सकता है।
प्रमुख प्रभाव
-
मोटर के घूर्णन की दिशा: यह सबसे महत्वपूर्ण और सीधा प्रभाव है। तीन-चरण मोटर में, रोटर के घूमने की दिशा आपूर्ति वोल्टेज के चरण अनुक्रम पर निर्भर करती है।
- यदि चरण अनुक्रम सही है (उदाहरण के लिए, R-Y-B), तो मोटर एक निश्चित दिशा में घूमेगी (जैसे, दक्षिणावर्त - clockwise)।
- यदि चरण अनुक्रम उल्टा है (उदाहरण के लिए, R-B-Y), तो मोटर विपरीत दिशा में घूमने लगेगी (जैसे, वामावर्त - counter-clockwise)।
- यह उन अनुप्रयोगों के लिए एक गंभीर समस्या है जहाँ दिशा महत्वपूर्ण है, जैसे कि पंप, कन्वेयर बेल्ट, या मशीन टूल्स। गलत दिशा में चलने वाला पंप पानी को गलत दिशा में खींच सकता है, और गलत दिशा में चलने वाली मशीन टूल्स को नुकसान पहुंचा सकती है।
- समानांतर संचालन (Parallel Operation): यदि आप दो तीन-चरण जनरेटर या ट्रांसफार्मर को समानांतर में जोड़ना चाहते हैं, तो उनका चरण अनुक्रम बिल्कुल समान होना चाहिए। यदि चरण अनुक्रम अलग है, तो यह एक बड़ा शॉर्ट सर्किट करंट उत्पन्न करेगा, जिससे दोनों उपकरण और सिस्टम के अन्य घटक गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- वोल्टेज असंतुलन (Voltage Unbalance): कुछ मामलों में, गलत चरण अनुक्रम के कारण वोल्टेज असंतुलित हो सकता है, जिससे मोटर की कार्यक्षमता कम हो जाती है और वाइंडिंग्स में अत्यधिक गर्मी पैदा होती है। यह मोटर के जीवनकाल को काफी कम कर सकता है।
संक्षेप में,
चरण अनुक्रम सही होना न केवल मोटर की सही दिशा में घूमने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विद्युत प्रणाली की समग्र सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी अनिवार्य है।
विभिन्न अरेस्टर प्रकारों के लिए विशिष्ट वोल्टेज रेंज उनकी संरचना, उपयोग और मानकों पर निर्भर करती है। आमतौर पर, अरेस्टर को उनके वोल्टेज रेंज के आधार पर तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है: निम्न वोल्टेज, मध्यम वोल्टेज, और उच्च वोल्टेज अरेस्टर।
1. निम्न वोल्टेज (Low Voltage - LV) अरेस्टर
- वोल्टेज रेंज: 1000V से कम (आमतौर पर 230V, 400V, और 480V)।
- उपयोग: ये अरेस्टर घरों, छोटे कार्यालयों, और वाणिज्यिक भवनों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (जैसे कंप्यूटर, टीवी) और घरेलू बिजली प्रणालियों को ओवरवोल्टेज से बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- संरचना: ये अक्सर मेटल ऑक्साइड वैरिस्टर (MOV) या सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) से बने होते हैं।
2. मध्यम वोल्टेज (Medium Voltage - MV) अरेस्टर
- वोल्टेज रेंज: 1 kV से 35 kV तक।
- उपयोग: ये अरेस्टर वितरण प्रणालियों में, जैसे कि सबस्टेशन और ट्रांसफॉर्मर के पास, लाइनों और उपकरणों को बिजली गिरने और स्विचिंग सर्ज से बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- संरचना: ये आमतौर पर पॉलिमर या पोर्सिलेन हाउसिंग में encased MOV होते हैं।
3. उच्च वोल्टेज (High Voltage - HV) अरेस्टर
- वोल्टेज रेंज: 35 kV से ऊपर (132 kV, 400 kV, 765 kV और इससे भी अधिक)।
- उपयोग: इनका उपयोग बड़े सबस्टेशनों और लंबी ट्रांसमिशन लाइनों में महत्वपूर्ण और महंगे उपकरणों को उच्च-वोल्टेज सर्ज से बचाने के लिए किया जाता है।
- संरचना: ये अरेस्टर कई MOV इकाइयों को श्रृंखला में जोड़कर बनाए जाते हैं और इनमें उच्च ऊर्जा वहन क्षमता होती है।
अरेस्टर का सही वोल्टेज रेंज चुनना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे तौर पर प्रणाली की सुरक्षा और विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
नए तकनीशियन को लाइटनिंग अरेस्टर ऑपरेशन समझाने के लिए एक सरल और व्यावहारिक तरीका अपनाना चाहिए। यह समझने में आसान होना चाहिए कि यह कैसे काम करता है, इसका उद्देश्य क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है।
सरल तुलना के साथ परिचय
एक लाइटनिंग अरेस्टर को एक सुरक्षा गार्ड या एक दबाव-निकासी वाल्व (pressure-relief valve) की तरह सोचें।
- एक वाल्व की तरह: जैसे एक प्रेशर कुकर में वाल्व अतिरिक्त भाप को बाहर निकालता है, उसी तरह लाइटनिंग अरेस्टर बिजली के कारण उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त वोल्टेज को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित कर देता है।
मुख्य कार्यप्रणाली को समझाना
अरेस्टर की कार्यप्रणाली को समझने के लिए तीन मुख्य स्थितियाँ होती हैं:
-
सामान्य स्थिति:
- जब बिजली प्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही होती है, तो अरेस्टर एक बहुत उच्च प्रतिरोध वाले इंसुलेटर (विद्युत रोधक) की तरह व्यवहार करता है।
- इस स्थिति में, यह लगभग कोई करंट प्रवाहित नहीं होने देता, जिससे बिजली लाइन का सामान्य संचालन जारी रहता है।
-
ओवरवोल्टेज (बिजली गिरने) की स्थिति:
- जब बिजली गिरती है और एक अत्यधिक वोल्टेज पैदा होता है, तो अरेस्टर का प्रतिरोध अचानक और तेज़ी से बहुत कम हो जाता है।
- यह कम प्रतिरोध अरेस्टर को एक कंडक्टर (चालक) में बदल देता है, जिससे यह खतरनाक वोल्टेज को तुरंत पकड़ लेता है और उसे सुरक्षित रूप से जमीन में भेज देता है।
-
सामान्य स्थिति में वापसी:
- एक बार जब बिजली का सर्ज खत्म हो जाता है और वोल्टेज सामान्य स्तर पर वापस आ जाता है, तो अरेस्टर का प्रतिरोध फिर से उच्च हो जाता है।
- यह अरेस्टर को इंसुलेटर की स्थिति में वापस लाता है, जिससे सामान्य बिजली का प्रवाह फिर से शुरू हो जाता है।
अरेस्टर का महत्व
अरेस्टर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संवेदनशील और महंगे उपकरणों (जैसे ट्रांसफॉर्मर, सर्किट ब्रेकर और अन्य स्विचगियर) को बिजली के कारण होने वाले नुकसान से बचाता है। अरेस्टर के बिना, ओवरवोल्टेज सीधे इन उपकरणों में प्रवेश करेगा और उन्हें स्थायी रूप से नष्ट कर सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर बिजली गुल हो सकती है।
संक्षेप में,
अरेस्टर एक स्वचालित स्विच है जो ओवरवोल्टेज को महसूस करता है, उसे जमीन में भेजता है, और फिर सामान्य स्थिति में वापस आ जाता है, जिससे पूरी विद्युत प्रणाली सुरक्षित रहती है।
अरेस्टर के रखरखाव के दौरान, सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण डेटा रिकॉर्ड करना आवश्यक है। यह डेटा अरेस्टर की वर्तमान स्थिति, उसके प्रदर्शन और भविष्य के रखरखाव की योजना बनाने में मदद करता है।
प्रमुख डेटा जो रिकॉर्ड किया जाना चाहिए
-
सामान्य जानकारी:
- अरेस्टर का प्रकार: जैसे, MOV, SiC, आदि।
- निर्माता और मॉडल नंबर: भविष्य में किसी भी संदर्भ या प्रतिस्थापन के लिए।
- सीरियल नंबर: अरेस्टर की विशिष्ट पहचान के लिए।
- स्थापना की तारीख: यह जानने के लिए कि अरेस्टर कितने समय से सेवा में है।
-
दृश्य निरीक्षण डेटा (Visual Inspection Data):
- बाहरी स्थिति: क्या अरेस्टर की बाहरी बॉडी (पोर्सिलेन या पॉलिमर हाउसिंग) पर कोई दरारें, खरोंच, या चिप्स हैं?
- टर्मिनलों की स्थिति: क्या टर्मिनल और ग्राउंड कनेक्शन ढीले हैं, जंग लगे हैं, या अत्यधिक गर्म होने के संकेत दिखा रहे हैं?
- सफाई: क्या अरेस्टर की सतह पर धूल, गंदगी, या पक्षियों की गंदगी जमी हुई है?
-
विद्युत परीक्षण डेटा (Electrical Test Data):
- लीकेज करंट: अरेस्टर का लीकेज करंट कितना है? यह डेटा समय के साथ अरेस्टर के इन्सुलेशन की स्थिति में बदलाव को ट्रैक करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- अर्थ प्रतिरोध: क्या अरेस्टर का अर्थिंग कनेक्शन सही है और उसका प्रतिरोध स्वीकार्य सीमा के भीतर है?
- सर्ज काउंटर रीडिंग: यदि अरेस्टर में सर्ज काउंटर लगा है, तो उसकी रीडिंग रिकॉर्ड करें। यह बताता है कि अरेस्टर ने कितने बिजली के हमलों का सफलतापूर्वक सामना किया है।
-
ऑपरेटिंग और पर्यावरणीय डेटा:
- ऑपरेटिंग वोल्टेज: अरेस्टर किस वोल्टेज पर काम कर रहा है।
- तापमान और आर्द्रता: निरीक्षण के समय का तापमान और आर्द्रता भी रिकॉर्ड किया जाना चाहिए, क्योंकि ये कारक अरेस्टर के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं।
इन सभी डेटा को नियमित अंतराल पर रिकॉर्ड करके, आप अरेस्टर की स्वास्थ्य स्थिति का एक विस्तृत इतिहास बना सकते हैं और संभावित विफलताओं का समय से पहले पता लगा सकते हैं।
लाइटनिंग अरेस्टर प्रोटेक्शन को ब्रेकर्स के साथ समन्वयित (coordinated) करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि पूरी विद्युत प्रणाली की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके। यह समन्वय यह सुनिश्चित करता है कि जब कोई ओवरवोल्टेज या फॉल्ट होता है, तो प्रत्येक सुरक्षा उपकरण सही क्रम में और सही समय पर कार्य करे।
समन्वय का महत्व
-
उपकरणों की सुरक्षा:
- अरेस्टर और ब्रेकर दोनों ही सुरक्षा उपकरण हैं, लेकिन उनके कार्य अलग-अलग होते हैं।
- अरेस्टर: इसका प्राथमिक कार्य अत्यधिक वोल्टेज को सीमित करना और उसे सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करना है।
- ब्रेकर: इसका प्राथमिक कार्य अत्यधिक करंट को बाधित करना है।
- यदि ये दोनों उपकरण समन्वित नहीं होते हैं, तो एक अरेस्टर फॉल्ट करंट को जमीन में प्रवाहित करने की कोशिश कर सकता है, जबकि एक ब्रेकर समय पर ट्रिप नहीं कर पाता, जिससे उपकरण नष्ट हो सकते हैं।
-
चयनशील कार्रवाई (Selective Action):
- समन्वय यह सुनिश्चित करता है कि फॉल्ट की स्थिति में, केवल सबसे नज़दीकी सुरक्षा उपकरण ही कार्य करे।
- मान लीजिए कि एक बिजली का सर्ज होता है। समन्वित प्रणाली में, अरेस्टर पहले कार्य करेगा और वोल्टेज को सीमित करेगा। यदि अरेस्टर विफल हो जाता है या फॉल्ट करंट बहुत अधिक है, तो ब्रेकर तुरंत ट्रिप करेगा और सर्किट को खोल देगा, जिससे प्रणाली का बाकी हिस्सा सुरक्षित रहेगा।
- यदि समन्वय नहीं होता, तो एक छोटा सा फॉल्ट भी पूरे सिस्टम को बंद कर सकता है, जिससे अनावश्यक आउटेज हो सकता है।
-
आग और जोखिम से बचाव:
- अगर अरेस्टर और ब्रेकर का समन्वय ठीक नहीं है, तो फॉल्ट करंट अनियंत्रित रूप से बह सकता है, जिससे आग लगने या उपकरणों के विस्फोट होने का खतरा बढ़ जाता है।
- अरेस्टर वोल्टेज को कम करके और ब्रेकर करंट को बाधित करके, दोनों मिलकर सिस्टम को सुरक्षित रखते हैं।
संक्षेप में,
अरेस्टर और ब्रेकर्स के बीच का समन्वय एक "चेन ऑफ कमांड" की तरह काम करता है, जहाँ हर उपकरण को पता होता है कि उसे कब और कैसे प्रतिक्रिया देनी है ताकि सबसे तेज़ और सबसे प्रभावी सुरक्षा मिल सके।
उच्च ऊंचाई वाले सबस्टेशन के लिए सही अरेस्टर का चयन करना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई कारकों पर विचार करना होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च ऊंचाई पर वायुमंडलीय दबाव कम होता है, जो हवा के इन्सुलेटिंग गुणों को प्रभावित करता है।
चयन प्रक्रिया में मुख्य कारक
-
वायुमंडलीय दबाव (Atmospheric Pressure) और हवा की घनत्व (Air Density):
- ऊँचाई बढ़ने के साथ, हवा का घनत्व और वायुमंडलीय दबाव कम हो जाता है।
- कम घनत्व वाली हवा में विद्युत डाइइलेक्ट्रिक शक्ति (dielectric strength) कम होती है।
- इसका मतलब है कि समान वोल्टेज के लिए, उच्च ऊंचाई पर हवा में ब्रेकडाउन होने की संभावना अधिक होती है।
- इस कारण, उच्च ऊंचाई के लिए डिज़ाइन किए गए अरेस्टर में अधिक creepage distance (रिसाव दूरी) होनी चाहिए। यह दूरी अरेस्टर के बाहरी सतह पर करंट के प्रवाह को रोकने में मदद करती है।
-
MCOV (Maximum Continuous Operating Voltage) रेटिंग का समायोजन:
- अरेस्टर का MCOV उसकी सबसे महत्वपूर्ण रेटिंग में से एक है।
- उच्च ऊंचाई पर कम हवा के घनत्व के कारण, अरेस्टर पर लगने वाला विद्युत तनाव (electrical stress) बढ़ जाता है।
- इसलिए, उच्च ऊंचाई वाले अनुप्रयोगों के लिए, अरेस्टर का MCOV मान समुद्र तल की तुलना में अधिक होना चाहिए, या फिर अरेस्टर के डिज़ाइन में एक उच्च ऊंचाई समायोजन कारक (high-altitude correction factor) का उपयोग किया जाना चाहिए।
-
वोल्टेज रेटिंग:
- अरेस्टर का चयन करते समय, सिस्टम के अधिकतम ऑपरेटिंग वोल्टेज के साथ-साथ क्षणिक ओवरवोल्टेज (TOV) स्थितियों को भी ध्यान में रखा जाता है।
- अरेस्टर की वोल्टेज रेटिंग, सिस्टम के रेटेड वोल्टेज के अनुरूप होनी चाहिए, लेकिन उच्च ऊंचाई के प्रभावों को समायोजित करने के लिए इसमें एक सुरक्षा मार्जिन (safety margin) भी होना चाहिए।
-
ऊर्जा वहन क्षमता (Energy Handling Capability):
- उच्च ऊंचाई पर, बिजली गिरने और सर्ज का व्यवहार अलग हो सकता है।
- इसलिए, अरेस्टर की ऊर्जा वहन क्षमता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, ताकि वह संभावित बिजली के हमलों को सुरक्षित रूप से झेल सके।
संक्षेप में,
उच्च ऊंचाई वाले सबस्टेशन के लिए अरेस्टर का चयन करते समय, वायुमंडलीय दबाव और कम हवा के घनत्व के प्रभाव को ध्यान में रखना सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा करने में विफल रहने से अरेस्टर जल्दी खराब हो सकता है और पूरी प्रणाली की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
स्विचिंग ऑपरेशन के दौरान लाइटनिंग अरेस्टर सिस्टम की सुरक्षा करता है, लेकिन इसे स्विचिंग सर्ज (switching surge) के रूप में जाना जाता है, जो बिजली के हमले (lightning strike) से अलग होता है। स्विचिंग सर्ज, स्विचिंग के कारण उत्पन्न होने वाला एक क्षणिक ओवरवोल्टेज है, जबकि बिजली का हमला प्राकृतिक घटना है।
स्विचिंग सर्ज क्या है?
स्विचिंग सर्ज तब उत्पन्न होता है जब बड़े विद्युत उपकरण, जैसे कि ट्रांसफॉर्मर, कैपेसिटर बैंक, या लंबी ट्रांसमिशन लाइन, को अचानक चालू या बंद किया जाता है। इस प्रक्रिया से विद्युत प्रणाली में एक क्षणिक वोल्टेज वृद्धि होती है, जो सामान्य ऑपरेटिंग वोल्टेज से कई गुना अधिक हो सकती है।
स्विचिंग सर्ज से सुरक्षा
अरेस्टर की कार्यप्रणाली इस सर्ज को भी उसी तरह नियंत्रित करती है जैसे वह बिजली के हमले को नियंत्रित करती है।
- सामान्य संचालन में निष्क्रियता: सामान्य ऑपरेटिंग स्थितियों में, अरेस्टर उच्च प्रतिबाधा (high impedance) बनाए रखता है, जिससे कोई करंट नहीं बहता।
- सर्ज का पता लगाना और प्रतिक्रिया: जब स्विचिंग सर्ज होता है, तो अरेस्टर का गैर-रैखिक (non-linear) प्रतिरोध काम करता है। यह बढ़ता हुआ वोल्टेज अरेस्टर के प्रतिरोध को तुरंत और तेज़ी से कम कर देता है।
- वोल्टेज को सीमित करना: प्रतिरोध के कम होने से, अरेस्टर एक चालक (conductor) की तरह काम करता है और अतिरिक्त वोल्टेज और उससे उत्पन्न होने वाले करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित कर देता है। यह वोल्टेज को एक सुरक्षित स्तर तक सीमित करता है जिसे अरेस्टर का अवशेष वोल्टेज (residual voltage) कहा जाता है।
- सामान्य स्थिति में वापसी: एक बार जब सर्ज खत्म हो जाता है और वोल्टेज सामान्य स्तर पर लौट आता है, तो अरेस्टर का प्रतिरोध फिर से बढ़ जाता है, जिससे यह करंट के प्रवाह को रोक देता है।
संक्षेप में,
अरेस्टर एक सुरक्षा वाल्व के रूप में कार्य करता है, जो स्विचिंग ऑपरेशन से उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त वोल्टेज को अवशोषित करता है और संवेदनशील उपकरणों को नुकसान से बचाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें