विद्युत प्रणाली में विद्युत दोष के प्रकार ( Types of Electrical Fault ) Power System

विद्युत प्रणालियों में, दोषों को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

​1. खुला परिपथ दोष (Open Circuit Fault)

​इस प्रकार का दोष तब होता है जब एक या अधिक फेज कंडक्टर टूट जाते हैं या खुल जाते हैं। इससे परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है। यह आमतौर पर एक ही फेज में या कई फेजों में हो सकता है। यह दोष असममित दोष (unsymmetrical fault) की श्रेणी में आता है क्योंकि यह सभी फेजों को समान रूप से प्रभावित नहीं करता है।

​2. लघु परिपथ दोष (Short Circuit Fault)

​यह सबसे सामान्य और खतरनाक प्रकार का दोष है। यह तब होता है जब दो या दो से अधिक कंडक्टर आपस में या ग्राउंड के साथ संपर्क में आ जाते हैं। इससे परिपथ में धारा का मान अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे उपकरण और प्रणाली को भारी नुकसान हो सकता है। लघु परिपथ दोषों को आगे दो उप-श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

  • सममित दोष (Symmetrical Faults): इस दोष में, तीनों फेज एक ही समय पर प्रभावित होते हैं, और दोष धारा का मान सभी फेजों में समान रहता है। यह सबसे दुर्लभ प्रकार का दोष है, लेकिन सबसे गंभीर होता है। उदाहरण:
    • ​तीन-फेज दोष (Three-Phase Fault)
    • ​तीन-फेज ग्राउंड दोष (Three-Phase to Ground Fault)
  • असममित दोष (Unsymmetrical Faults): यह दोष तब होता है जब एक या दो फेज आपस में या ग्राउंड के साथ संपर्क में आते हैं। इस प्रकार के दोष में, दोष धारा का मान सभी फेजों में अलग-अलग होता है, जिससे प्रणाली असंतुलित हो जाती है। यह सबसे आम प्रकार का दोष है। उदाहरण:
    • ​लाइन-टू-ग्राउंड दोष (Line-to-Ground Fault)
    • ​लाइन-टू-लाइन दोष (Line-to-Line Fault)
    • ​डबल लाइन-टू-ग्राउंड दोष (Double Line-to-Ground Fault)


विद्युत प्रणाली में विद्युत दोष (Electrical Fault) का मतलब है किसी भी ऐसी असामान्य स्थिति से जिसमें विद्युत धारा (current) अपने सामान्य मार्ग से भटक जाती है। इस दोष के कारण विद्युत प्रणाली में धारा का प्रवाह असामान्य हो जाता है, जिससे उपकरणों को नुकसान हो सकता है और यहां तक कि आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। 

​विद्युत दोषों के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:

​1. ओपन सर्किट दोष (Open Circuit Fault)

​इस प्रकार का दोष तब होता है जब एक या अधिक कंडक्टर (चालक) टूट जाते हैं, जिससे विद्युत प्रवाह बाधित हो जाता है। ये दोष आमतौर पर ओवरहेड लाइनों में भारी हवाओं या यांत्रिक क्षति के कारण होते हैं। ओपन सर्किट दोष से सिस्टम में धारा का प्रवाह रुक जाता है, जिससे उपकरण काम करना बंद कर सकते हैं।

​2. शॉर्ट सर्किट दोष (Short Circuit Fault)

​यह सबसे आम और गंभीर प्रकार का दोष है। शॉर्ट सर्किट दोष तब होता है जब दो या दो से अधिक चालक आपस में या जमीन (ground) के संपर्क में आ जाते हैं। इससे धारा का मान अचानक बहुत बढ़ जाता है, जिसे फॉल्ट करंट (Fault Current) कहते हैं। शॉर्ट सर्किट दोष को आगे दो उप-श्रेणियों में बांटा गया है:

  • सममित दोष (Symmetrical Faults): ये दोष तब होते हैं जब तीनों चरण (phases) एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं। ये दोष बहुत कम होते हैं, लेकिन सबसे गंभीर होते हैं।
  • असममित दोष (Unsymmetrical Faults): ये दोष सबसे आम हैं और इनमें केवल एक या दो चरण शामिल होते हैं। जैसे:
    • सिंगल-लाइन-टू-ग्राउंड (Single-Line-to-Ground) दोष: जब एक चालक जमीन के संपर्क में आता है। यह सबसे सामान्य दोष है।
    • लाइन-टू-लाइन (Line-to-Line) दोष: जब दो चालक आपस में संपर्क में आते हैं।
    • डबल-लाइन-टू-ग्राउंड (Double-Line-to-Ground) दोष: जब दो चालक जमीन के साथ संपर्क में आते हैं।

विद्युत दोषों के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • प्राकृतिक कारण: आकाशीय बिजली, तेज हवाएं, भूकंप या पेड़ का गिरना।
  • उपकरणों की विफलता: ट्रांसफॉर्मर या जनरेटर में इंसुलेशन (insulation) की खराबी, उपकरणों की उम्र बढ़ना।
  • मानवीय त्रुटियाँ: रखरखाव के दौरान लापरवाही या गलत रेटिंग वाले उपकरणों का उपयोग।



विद्युत प्रणाली में, दोषों को दो मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: सममित दोष (Symmetrical Faults) और असममित दोष (Unsymmetrical Faults)। यह वर्गीकरण इस बात पर आधारित है कि दोष के बाद प्रणाली का संतुलन (balance) बना रहता है या नहीं।

सममित दोष (Symmetrical Faults)

​सममित दोष वे दोष हैं जिनमें प्रणाली के तीनों चरणों (phases) में दोष धाराएं बराबर परिमाण (magnitude) की होती हैं और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° का होता है। दूसरे शब्दों में, दोष के बाद भी प्रणाली संतुलित (balanced) बनी रहती है, हालांकि धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है। ये दोष बहुत दुर्लभ होते हैं, लेकिन सबसे गंभीर होते हैं क्योंकि इनमें सबसे अधिक दोष धारा प्रवाहित होती है।

सममित दोषों के प्रकार:

  • तीन-चरण दोष (LLL Fault): जब तीनों चरण (R, Y, B) एक-दूसरे से शॉर्ट-सर्किट हो जाते हैं।
  • तीन-चरण-टू-ग्राउंड दोष (LLLG Fault): जब तीनों चरण आपस में शॉर्ट-सर्किट होकर जमीन से भी जुड़ जाते हैं।

​इन दोषों का विश्लेषण करने के लिए सामान्य विद्युत परिपथ सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है।

असममित दोष (Unsymmetrical Faults)

​असममित दोष वे दोष हैं जिनमें प्रणाली के तीनों चरणों में दोष धाराएं बराबर नहीं होती हैं, जिससे प्रणाली का संतुलन बिगड़ जाता है। ये दोष सममित दोषों की तुलना में बहुत अधिक आम हैं और विद्युत प्रणाली में होने वाले अधिकांश दोष इसी श्रेणी में आते हैं। इन दोषों का विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) के सिद्धांत का उपयोग किया जाता है, जो जटिल गणितीय गणनाओं को सरल बनाता है।

असममित दोषों के प्रकार:

  • सिंगल-लाइन-टू-ग्राउंड दोष (LG Fault): जब केवल एक चालक (conductor) जमीन के संपर्क में आता है। यह सबसे आम प्रकार का दोष है।
  • लाइन-टू-लाइन दोष (LL Fault): जब दो चालक आपस में संपर्क में आते हैं।
  • डबल-लाइन-टू-ग्राउंड दोष (LLG Fault): जब दो चालक जमीन के साथ संपर्क में आते हैं।

​ये दोष विद्युत प्रणाली में गंभीर असंतुलन पैदा कर सकते हैं, जिससे वोल्टेज में गिरावट और उपकरणों को नुकसान हो सकता है।

विद्युत प्रणाली में, दोषों को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा जाता है: 

खुला परिपथ दोष (Open Circuit Fault) और 

लघु परिपथ दोष (Short Circuit Fault)

खुला परिपथ दोष (Open Circuit Fault)

​खुला परिपथ दोष तब होता है जब एक या अधिक चालक (conductors) टूट जाते हैं या किसी कारणवश विद्युत प्रवाह का मार्ग बाधित हो जाता है। इन दोषों को श्रृंखला दोष (series faults) भी कहा जाता है। ये दोष आमतौर पर तेज हवा, यांत्रिक क्षति या उपकरण के खराब होने से होते हैं।

  • एक चालक खुला दोष (Single-Line Open Fault): जब एक चालक टूट जाता है।
  • दो चालक खुले दोष (Two-Line Open Fault): जब दो चालक टूट जाते हैं।
  • तीन चालक खुले दोष (Three-Line Open Fault): जब तीनों चालक टूट जाते हैं।

​इस प्रकार के दोष में,

धारा का प्रवाह रुक जाता है, जिससे प्रणाली के कुछ हिस्से में बिजली की आपूर्ति बंद हो जाती है।

लघु परिपथ दोष (Short Circuit Fault)

​यह सबसे सामान्य और खतरनाक प्रकार का दोष है। . लघु परिपथ दोष तब होता है जब दो या दो से अधिक चालक आपस में या जमीन (ground) के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे धारा का मान अचानक और बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस बढ़ी हुई धारा को दोष धारा (fault current) कहते हैं। लघु परिपथ दोषों को उनकी प्रकृति के आधार पर आगे दो उप-श्रेणियों में बांटा गया है:

सममित दोष (Symmetrical Faults)

​सममित दोष वे दोष हैं जिनमें तीनों चरणों (phases) की धाराएं समान होती हैं और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° का होता है। ये दोष संतुलित (balanced) होते हैं, लेकिन बहुत ही कम होते हैं।

  • तीन-चरण दोष (Three-Phase Fault or LLL): जब तीनों चरण आपस में जुड़ जाते हैं।
  • तीन-चरण-टू-ग्राउंड दोष (Three-Phase-to-Ground Fault or LLLG): जब तीनों चरण आपस में जुड़कर जमीन से भी जुड़ जाते हैं।

असममित दोष (Unsymmetrical Faults)

​असममित दोष सबसे आम हैं और इनमें चरणों की धाराएं असमान होती हैं, जिससे प्रणाली का संतुलन बिगड़ जाता है। ये दोष विद्युत प्रणाली में होने वाले लगभग 95% दोषों का कारण बनते हैं।

  • सिंगल-लाइन-टू-ग्राउंड दोष (Single-Line-to-Ground Fault or LG): जब एक चालक जमीन के संपर्क में आता है। यह सबसे सामान्य प्रकार का दोष है।
  • लाइन-टू-लाइन दोष (Line-to-Line Fault or LL): जब दो चालक आपस में जुड़ जाते हैं।
  • डबल-लाइन-टू-ग्राउंड दोष (Double-Line-to-Ground Fault or LLG): जब दो चालक आपस में जुड़कर जमीन से भी जुड़ जाते हैं।

​ये दोष बिजली प्रणाली में वोल्टेज और धारा में अचानक और गंभीर बदलाव लाते हैं, जिससे उपकरणों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है।


एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (Single-Line-to-Ground Fault) एक प्रकार का असममित दोष (unsymmetrical fault) है जो बिजली प्रणाली में सबसे अधिक होता है। इस तरह का दोष तब होता है जब एक चालक (conductor) गलती से जमीन (ground) या तटस्थ (neutral) चालक के संपर्क में आ जाता है।

यह कैसे होता है?

​जब एक फेज वायर (phase wire) टूटकर जमीन पर गिर जाता है या किसी धातु की वस्तु से संपर्क में आता है जो जमीन से जुड़ी होती है, तो यह फॉल्ट पैदा होता है। इसके मुख्य कारण हैं:

  • तेज हवा या तूफान: हवा के कारण तार टूटकर जमीन पर गिर सकते हैं।
  • बिजली गिरना (Lightning): बिजली गिरने से इंसुलेशन टूट जाता है और तार जमीन से जुड़ सकता है।
  • पेड़ का गिरना: पेड़ की शाखाएं तार पर गिरकर उसे तोड़ सकती हैं।
  • उपकरण की विफलता: ट्रांसफार्मर या स्विचगियर में इंसुलेशन का खराब होना।

प्रभाव

​एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट होने पर, उस विशेष फेज में धारा का मान अचानक बहुत बढ़ जाता है, जबकि अन्य दो फेज में धारा का मान शून्य या बहुत कम हो जाता है। इस कारण से, बिजली प्रणाली का संतुलन (balance) बिगड़ जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि बढ़ी हुई धारा (fault current) उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकती है, आग लगने का खतरा पैदा कर सकती है, और सिस्टम में वोल्टेज में भारी गिरावट ला सकती है।

संरक्षण

​इस प्रकार के दोषों से बचने के लिए, बिजली प्रणाली में कई तरह के सुरक्षा उपकरण लगाए जाते हैं, जैसे:

  • सर्किट ब्रेकर (Circuit Breakers): ये दोष का पता लगाकर तुरंत सर्किट को तोड़ देते हैं।
  • रिले (Relays): ये दोष को महसूस करते हैं और सर्किट ब्रेकर को चालू होने का संकेत देते हैं।
  • अर्थिंग (Earthing): यह अतिरिक्त धारा को जमीन में प्रवाहित कर देता है, जिससे उपकरणों और लोगों की सुरक्षा होती है।

​एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट को विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) की विधि का उपयोग किया जाता है।


लाइन से लाइन तक दोष (Line-to-Line Fault या LL Fault) एक प्रकार का असममित दोष (Unsymmetrical Fault) है जो तब होता है जब दो चालक (conductors) आपस में संपर्क में आते हैं। यह एक शॉर्ट सर्किट दोष है जो बिजली प्रणाली में होने वाले दोषों में से लगभग 15-20% होता है। 

दोष की प्रकृति

​जब दो अलग-अलग फेज के चालक (उदाहरण के लिए, R-फेज और Y-फेज) किसी कारणवश एक-दूसरे को छूते हैं, तो उनके बीच का प्रतिरोध (resistance) अचानक कम हो जाता है। इससे उन दोनों फेजों में धारा का मान अत्यधिक बढ़ जाता है, जिसे दोष धारा (fault current) कहते हैं। इस दोष के कारण प्रणाली का संतुलन बिगड़ जाता है क्योंकि केवल दो ही फेज प्रभावित होते हैं।

कारण

​लाइन से लाइन तक दोष के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से मुख्य हैं:

  • तेज हवाएं: बहुत तेज हवाएं ओवरहेड लाइन के तारों को हिला सकती हैं, जिससे वे आपस में टकरा सकते हैं।
  • बर्फ का जमाव: भारी बर्फ जमने से तारों पर भार बढ़ जाता है, जिससे वे टूटकर आपस में जुड़ सकते हैं।
  • उपकरण की विफलता: ट्रांसफॉर्मर या सर्किट ब्रेकर जैसे उपकरणों में इंसुलेशन का खराब होना।
  • मानवीय त्रुटियां: निर्माण या रखरखाव के दौरान लापरवाही।

प्रभाव

​यह दोष प्रणाली में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है:

  • उच्च दोष धारा: बढ़ी हुई धारा उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • वोल्टेज में गिरावट: दोष के कारण वोल्टेज का स्तर अचानक गिर जाता है।
  • आग और विस्फोट का खतरा: उच्च धारा से उत्पन्न गर्मी के कारण आग लग सकती है।

​इस प्रकार के दोष का विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) की विधि का उपयोग किया जाता है।


डबल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (Double Line-to-Ground Fault या LLG) एक प्रकार का असममित दोष (unsymmetrical fault) है। यह तब होता है जब दो चालक (phases) आपस में शॉर्ट सर्किट हो जाते हैं और साथ ही साथ जमीन (ground) के संपर्क में भी आते हैं। यह दोष एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट के बाद दूसरा सबसे आम दोष है और यह तीन-चरण दोषों (तीन फेज आपस में शॉर्ट होने पर) की तुलना में अधिक होता है।

यह कैसे होता है?

​जब किसी कारण से, जैसे कि तेज हवा से तार हिलने पर, दो तार आपस में छूते हैं और उसी समय यांत्रिक विफलता के कारण या तो जमीन पर गिर जाते हैं या किसी ग्राउंडेड वस्तु से जुड़ जाते हैं, तो यह फॉल्ट पैदा होता है।

प्रभाव

​LLG दोष एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इसमें:

  • उच्च दोष धारा: दो फेज और जमीन के बीच अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है।
  • असंतुलित वोल्टेज और धारा: यह प्रणाली में गंभीर असंतुलन पैदा करता है, जिससे वोल्टेज और धारा के मान असामान्य हो जाते हैं।
  • इंसुलेशन का नुकसान: उच्च धारा से उत्पन्न गर्मी से केबलों और उपकरणों का इंसुलेशन क्षतिग्रस्त हो सकता है।
  • उच्च जोखिम: यह शॉर्ट सर्किट दोषों में से एक है जो आग और उपकरणों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।

सुरक्षा

​इस तरह के दोषों से सुरक्षा के लिए, बिजली प्रणाली में कई सुरक्षा उपकरण लगाए जाते हैं:

  • रिले (Relays): ये उपकरण दोषों का पता लगाते हैं और उन्हें अलग करने के लिए सर्किट ब्रेकर को संकेत देते हैं।
  • सर्किट ब्रेकर (Circuit Breakers): ये दोष होने पर तुरंत सर्किट को खोल देते हैं, जिससे आगे का नुकसान रोका जा सके।
  • न्यूट्रल ग्राउंडिंग: प्रणाली को सही ढंग से ग्राउंड करने से अतिरिक्त दोष धारा को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करने में मदद मिलती है।

​LLG दोष का विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) की विधि का उपयोग किया जाता है।


तीन चरण दोष (Three-Phase Fault or LLL Fault) एक प्रकार का सममित दोष (Symmetrical Fault) है जो तब होता है जब एक विद्युत प्रणाली के तीनों चरण (R, Y, और B) किसी कारणवश एक-दूसरे से शॉर्ट सर्किट हो जाते हैं।
यह क्या है?

​यह दोष सबसे कम होता है लेकिन सबसे गंभीर होता है क्योंकि इसमें दोष धारा (fault current) का मान सबसे अधिक होता है। इस दोष में, तीनों चरणों की धाराएं बराबर परिमाण (magnitude) की होती हैं और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° का होता है। दूसरे शब्दों में, दोष होने के बाद भी प्रणाली संतुलित (balanced) बनी रहती है, यही कारण है कि इसे सममित दोष कहते हैं।

तीन-चरण दोषों के प्रकार

  • LLL दोष: जब तीनों चालक (conductors) आपस में संपर्क में आते हैं, लेकिन जमीन (ground) के साथ नहीं।
  • LLLG दोष: जब तीनों चालक आपस में संपर्क में आते हैं और साथ ही साथ जमीन से भी जुड़ जाते हैं। यह भी एक प्रकार का सममित दोष है।

प्रभाव

  • सबसे अधिक दोष धारा: यह दोष प्रणाली में सबसे अधिक दोष धारा उत्पन्न करता है, जिससे उपकरणों और सर्किट ब्रेकर पर अत्यधिक तनाव पड़ता है।
  • कम वोल्टेज: इस दोष के कारण प्रणाली में वोल्टेज का स्तर लगभग शून्य हो जाता है।
  • उपकरणों को नुकसान: उच्च धारा से उत्पन्न ऊष्मा और यांत्रिक तनाव से ट्रांसफॉर्मर, जनरेटर और अन्य उपकरण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

सुरक्षा

​चूंकि यह दोष बहुत ही गंभीर होता है, इसलिए विद्युत प्रणाली को इसकी सुरक्षा के लिए उच्च क्षमता वाले सर्किट ब्रेकर और रिले से सुसज्जित किया जाता है। इन दोषों का विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) की विधि का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि प्रणाली संतुलित रहती है।


विद्युत प्रणाली में तीन-चरण दोष (Three-Phase Fault) सबसे गंभीर दोष माना जाता है। 

​यह सबसे गंभीर इसलिए है क्योंकि इस दोष में तीनों चरणों (R, Y, B) में धारा का मान अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे दोष धारा (fault current) अपने अधिकतम स्तर तक पहुँच जाती है। इस उच्च धारा के कारण उपकरणों पर सबसे अधिक तनाव पड़ता है और उन्हें स्थायी नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है।

​अन्य दोषों, जैसे कि एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट या लाइन-टू-लाइन फॉल्ट, में भी उच्च धारा प्रवाहित होती है, लेकिन तीन-चरण दोष में यह धारा पूरे सिस्टम को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है क्योंकि यह प्रणाली के संतुलन (balance) को बनाए रखते हुए सबसे अधिक ऊर्जा को रिलीज करती है।



विद्युत प्रणाली में एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (Single-Line-to-Ground Fault) सबसे अधिक बार होता है।

​यह दोष तब होता है जब एक चालक (phase conductor) गलती से जमीन के संपर्क में आता है। यह बिजली प्रणाली में होने वाले सभी दोषों में से लगभग 70-80% होता है। 

​इसके अधिक बार होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • प्राकृतिक कारण: तेज हवाओं के कारण तारों का टूटना, आकाशीय बिजली का गिरना, या पेड़ों की शाखाओं का तारों पर गिरना।
  • मानवीय कारक: निर्माण या रखरखाव के दौरान लापरवाही।
  • पशु संपर्क: पक्षियों या अन्य जानवरों का तारों और टावरों के बीच संपर्क बनाना।

​हालांकि यह दोष सबसे आम है, लेकिन यह तीन-चरण दोष की तुलना में कम गंभीर होता है।



सममित और असममित दोष (Symmetrical and Unsymmetrical Faults) बिजली प्रणाली में दो मुख्य प्रकार के दोष हैं, जिनके बीच प्रमुख अंतर प्रणाली के संतुलन (balance) पर उनके प्रभाव से संबंधित है।

सममित दोष (Symmetrical Faults)

​ये वे दोष हैं जिनमें दोष होने के बाद भी प्रणाली संतुलित बनी रहती है। इसका मतलब है कि तीनों चरणों (phases) में दोष धाराएं परिमाण (magnitude) में बराबर होती हैं और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° का होता है।

  • विशेषताएँ:
    • संतुलित प्रणाली: दोष से पहले और बाद में प्रणाली संतुलित रहती है।
    • दोष धारा: तीनों चरणों में धारा का मान समान होता है।
    • उदाहरण: तीन-चरण दोष (LLL) और तीन-चरण से ग्राउंड फॉल्ट (LLLG)।
    • गंभीरता: ये दोष सबसे कम होते हैं, लेकिन सबसे गंभीर माने जाते हैं क्योंकि इनमें दोष धारा का मान अधिकतम होता है।
    • विश्लेषण: इनका विश्लेषण प्रति-चरण (per-phase) आधार पर किया जा सकता है।

असममित दोष (Unsymmetrical Faults)

​ये वे दोष हैं जिनमें दोष होने के बाद प्रणाली का संतुलन बिगड़ जाता है। इसका मतलब है कि दोष धाराएं परिमाण में बराबर नहीं होती हैं और उनके बीच का कला कोण 120° से भिन्न होता है।

  • विशेषताएँ:
    • असंतुलित प्रणाली: दोष के कारण प्रणाली असंतुलित हो जाती है।
    • दोष धारा: विभिन्न चरणों में धारा का मान अलग-अलग होता है।
    • उदाहरण: एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (LG), लाइन से लाइन फॉल्ट (LL), और डबल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (LLG)।
    • गंभीरता: ये दोष सबसे अधिक बार होते हैं, लेकिन तीन-चरण दोष की तुलना में कम गंभीर होते हैं।
    • विश्लेषण: इनका विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) की विधि का उपयोग किया जाता है।


एलजी दोष (Single-Line-to-Ground Fault) का विद्युत प्रणाली की स्थिरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, हालांकि यह प्रभाव तीन-चरण दोष जितना गंभीर नहीं होता है।

सिस्टम स्थिरता पर प्रभाव

​एलजी दोष के कारण प्रणाली में असंतुलन (unbalance) पैदा होता है, जिससे वोल्टेज में गिरावट आती है और दोष धारा में वृद्धि होती है। इस असंतुलन के कारण:

  • असंतुलित धारा और वोल्टेज: यह दोष पॉजिटिव, नेगेटिव और ज़ीरो सीक्वेंस धाराओं को जन्म देता है, जो संतुलित प्रणाली के सामान्य संचालन को बाधित करता है।
  • दोलन (Oscillations): दोष के दौरान, जनरेटर के रोटर कोण में दोलन (swing) हो सकते हैं, जिससे सिंक्रोनस मशीनों के सिंक्रनाइज़्म (synchronism) खोने का खतरा होता है।
  • कम वोल्टेज स्थिरता: दोष के कारण वोल्टेज का स्तर कम हो जाता है, जिससे सिस्टम की वोल्टेज स्थिरता प्रभावित होती है।

हालांकि, 

चूंकि एलजी दोष की गंभीरता तीन-चरण दोषों से कम होती है, इसलिए इसका प्रभाव आमतौर पर कम होता है और सुरक्षा उपकरणों द्वारा इसे जल्दी से दूर किया जा सकता है।

निष्कर्ष

संक्षेप में, 

एलजी दोष प्रणाली की स्थिरता को प्रभावित करता है, लेकिन इसे सबसे कम गंभीर दोष माना जाता है। इस दोष के कारण उच्च धाराएं प्रवाहित होती हैं और वोल्टेज में गिरावट आती है, जिससे प्रणाली में असंतुलन पैदा होता है। सुरक्षा उपकरण (जैसे रिले और सर्किट ब्रेकर) इन दोषों का तुरंत पता लगाकर प्रणाली को स्थिर करने में मदद करते हैं।


डबल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (Double Line-to-Ground Fault या LLG) एक प्रकार का असममित दोष (unsymmetrical fault) है। यह तब होता है जब दो चालक (phases) आपस में शॉर्ट सर्किट हो जाते हैं और साथ ही साथ जमीन (ground) के संपर्क में भी आते हैं। यह दोष एकल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट के बाद दूसरा सबसे आम दोष है और यह तीन-चरण दोषों (तीन फेज आपस में शॉर्ट होने पर) की तुलना में अधिक होता है।

यह कैसे होता है?

​जब किसी कारण से, जैसे कि तेज हवा से तार हिलने पर, दो तार आपस में छूते हैं और उसी समय यांत्रिक विफलता के कारण या तो जमीन पर गिर जाते हैं या किसी ग्राउंडेड वस्तु से जुड़ जाते हैं, तो यह फॉल्ट पैदा होता है।

प्रभाव

​LLG दोष एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इसमें:

  • उच्च दोष धारा: दो फेज और जमीन के बीच अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है।
  • असंतुलित वोल्टेज और धारा: यह प्रणाली में गंभीर असंतुलन पैदा करता है, जिससे वोल्टेज और धारा के मान असामान्य हो जाते हैं।
  • इंसुलेशन का नुकसान: उच्च धारा से उत्पन्न गर्मी से केबलों और उपकरणों का इंसुलेशन क्षतिग्रस्त हो सकता है।
  • उच्च जोखिम: यह शॉर्ट सर्किट दोषों में से एक है जो आग और उपकरणों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।

सुरक्षा

​इस तरह के दोषों से सुरक्षा के लिए, बिजली प्रणाली में कई सुरक्षा उपकरण लगाए जाते हैं:

  • रिले (Relays): ये उपकरण दोषों का पता लगाते हैं और उन्हें अलग करने के लिए सर्किट ब्रेकर को संकेत देते हैं।
  • सर्किट ब्रेकर (Circuit Breakers): ये दोष होने पर तुरंत सर्किट को खोल देते हैं, जिससे आगे का नुकसान रोका जा सके।
  • न्यूट्रल ग्राउंडिंग: प्रणाली को सही ढंग से ग्राउंड करने से अतिरिक्त दोष धारा को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करने में मदद मिलती है।

​LLG दोष का विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) की विधि का उपयोग किया जाता है।


तीन-चरण सममित दोष दुर्लभ होते हैं क्योंकि इनके होने के लिए बहुत ही विशिष्ट और एक साथ कई परिस्थितियों की आवश्यकता होती है।

दुर्लभ होने के मुख्य कारण

एक साथ तीन दोष की आवश्यकता: तीन-चरण दोष तब होता है जब एक ही समय पर तीनों चालक (phases) आपस में शॉर्ट सर्किट हो जाते हैं। यह स्थिति बहुत ही कम बनती है। एक प्राकृतिक घटना जैसे कि आकाशीय बिजली या तेज हवा, आमतौर पर एक या दो चालकों को ही प्रभावित करती है, जिससे एकल-लाइन-टू-ग्राउंड या लाइन-टू-लाइन दोष होता है, जो कहीं अधिक आम हैं।

भौतिक दूरी और इंसुलेशन: विद्युत प्रणाली में तीनों चालकों को एक दूसरे से और जमीन से इंसुलेटर और सुरक्षित दूरी के माध्यम से अलग रखा जाता है।  तीन-चरण दोष के लिए इन सभी भौतिक बाधाओं का एक ही बिंदु पर विफल होना आवश्यक है, जो कि असंभव के करीब है।

संरचनात्मक मजबूती: विद्युत प्रणाली को मजबूत बनाया जाता है ताकि यांत्रिक क्षति को रोका जा सके। केवल एक बड़ी और असामान्य दुर्घटना (जैसे विमान का टकराना या टावर का गिरना) ही ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है जहाँ तीनों चालक एक साथ प्रभावित हों।

यद्यपि तीन-चरण दोष सबसे गंभीर होते हैं क्योंकि वे सबसे अधिक दोष धारा उत्पन्न करते हैं, उनके दुर्लभ होने का मुख्य कारण यही है कि उनके लिए आवश्यक स्थितियाँ प्रकृति और इंजीनियरिंग दोनों में ही बहुत कम होती हैं।



विद्युत प्रणाली में होने वाले दोषों का प्रतिशत उनकी प्रकृति और गंभीरता के आधार पर अलग-अलग होता है। दोषों की घटना का प्रतिशत निम्नलिखित है:

  • एकल लाइन से ग्राउंड दोष (LG Fault): यह सबसे आम दोष है और सभी दोषों का लगभग 70-80% होता है। 
  • लाइन से लाइन दोष (LL Fault): यह दूसरा सबसे आम दोष है, जिसकी घटना 5-15% होती है।
  • डबल लाइन से ग्राउंड दोष (LLG Fault): इस दोष की घटना 5-10% होती है।
  • तीन चरण दोष (LLL Fault): यह सबसे कम होने वाला दोष है, जो कुल दोषों का केवल 2-5% होता है।

​यह प्रतिशत अनुमानित है और यह प्रणाली के प्रकार, उसके डिज़ाइन और भौगोलिक स्थिति के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है।



LG (एकल लाइन से ग्राउंड) दोष से सुरक्षा के लिए कई उपकरण और तकनीकें इस्तेमाल की जाती हैं। ये सुरक्षात्मक उपकरण इस दोष के कारण होने वाले उच्च धारा प्रवाह को नियंत्रित करते हैं और प्रणाली को होने वाले नुकसान को रोकते हैं।

प्रमुख सुरक्षात्मक उपकरण

  • रिले (Relays): रिले दोष का पता लगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण हैं। LG दोष के लिए, विशेष प्रकार के रिले का उपयोग किया जाता है:
    • ग्राउंड फॉल्ट रिले (Ground Fault Relays): ये रिले तटस्थ (neutral) बिंदु या जमीन के साथ जुड़े एक चालक में प्रवाहित होने वाली धारा को मापते हैं। यदि यह धारा एक निश्चित मान से अधिक हो जाती है, तो रिले सक्रिय हो जाता है।
    • ओवरकरंट रिले (Overcurrent Relays): ये रिले दोष के दौरान अत्यधिक धारा को महसूस करते हैं। इनका उपयोग प्राथमिक सुरक्षा के रूप में होता है।
    • दिशात्मक रिले (Directional Relays): ये रिले केवल तभी काम करते हैं जब दोष धारा एक विशिष्ट दिशा में प्रवाहित हो रही हो। यह जटिल प्रणालियों में दोष को सही ढंग से अलग करने में मदद करता है।
    • प्रतिबंधित अर्थ फॉल्ट रिले (Restricted Earth Fault Relays): ये रिले ट्रांसफॉर्मर और जनरेटर जैसे उपकरणों के लिए बहुत संवेदनशील सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह केवल उस विशेष उपकरण के अंदर होने वाले LG दोषों का पता लगाता है।
  • सर्किट ब्रेकर (Circuit Breakers): सर्किट ब्रेकर वह उपकरण है जो रिले से संकेत मिलने पर सर्किट को खोल देता है, जिससे दोषपूर्ण हिस्से को प्रणाली से तुरंत अलग किया जा सकता है। यह उच्च धारा को बाधित (interrupt) करने और आग जैसे खतरों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • ग्राउंड फॉल्ट सर्किट इंटरप्टर (Ground Fault Circuit Interrupters या GFCI): ये छोटे उपकरण विशेष रूप से घरों और कम वोल्टेज प्रणालियों में लोगों को बिजली के झटके से बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये एक छोटे से ग्राउंड फॉल्ट करंट को भी तुरंत पहचान लेते हैं।

सुरक्षात्मक उपाय

  • प्रॉपर ग्राउंडिंग (Proper Grounding): प्रणाली को ठीक से ग्राउंड करना LG दोषों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। यह सुनिश्चित करता है कि दोष धारा सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित हो जाए, जिससे उपकरणों और लोगों को नुकसान से बचाया जा सके।
  • न्यूट्रल ग्राउंडिंग रेजिस्टर्स (Neutral Grounding Resistors): कुछ प्रणालियों में, न्यूट्रल को सीधे जमीन से जोड़ने के बजाय एक प्रतिरोधक (resistor) के माध्यम से जोड़ा जाता है। यह LG दोष धारा को सीमित करता है, जिससे उपकरणों पर तनाव कम होता है।

कुल मिलाकर, 

एलजी दोष से सुरक्षा के लिए रिले और सर्किट ब्रेकर का संयोजन सबसे महत्वपूर्ण है। रिले दोष का पता लगाता है और सर्किट ब्रेकर दोषपूर्ण हिस्से को अलग करता है।


एलएल (लाइन से लाइन) दोषों के लिए सुरक्षा योजना मुख्य रूप से दोष के दौरान उत्पन्न होने वाली अत्यधिक धारा (overcurrent) का पता लगाने पर आधारित है। इस प्रकार के दोषों से सुरक्षा के लिए सबसे आम और प्रभावी योजना ओवरकरंट रिले (overcurrent relays) और सर्किट ब्रेकर (circuit breakers) का संयोजन है।

मुख्य सुरक्षात्मक उपकरण

  1. ओवरकरंट रिले (Overcurrent Relays): ये रिले LL दोष के लिए प्राथमिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। जब दो लाइनों के बीच शॉर्ट सर्किट होता है, तो धारा का मान अचानक बढ़ जाता है। ओवरकरंट रिले इस बढ़ी हुई धारा को महसूस करते हैं और यदि यह एक पूर्व-निर्धारित सीमा से अधिक हो जाती है, तो वे ट्रिपिंग सिग्नल भेजते हैं। इनका उपयोग आमतौर पर सभी प्रकार के शॉर्ट सर्किट दोषों के लिए किया जाता है।
  2. सर्किट ब्रेकर (Circuit Breakers): सर्किट ब्रेकर वह यांत्रिक उपकरण है जो रिले से ट्रिप सिग्नल प्राप्त होने पर दोषपूर्ण सर्किट को तुरंत खोल देता है। यह दोषपूर्ण हिस्से को बाकी स्वस्थ प्रणाली से अलग कर देता है, जिससे उपकरणों को नुकसान होने से रोका जा सकता है और आग लगने का खतरा कम होता है।

अन्य सुरक्षात्मक योजनाएं

  • दिशात्मक रिले (Directional Relays): जटिल प्रणाली (जैसे रिंग मेन) में, जहां धारा दो अलग-अलग दिशाओं में प्रवाहित हो सकती है, वहां दिशात्मक ओवरकरंट रिले (directional overcurrent relays) का उपयोग किया जाता है। ये रिले न केवल धारा के परिमाण को, बल्कि उसकी दिशा को भी देखते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल दोषपूर्ण हिस्से में ही ट्रिपिंग हो।
  • डिफरेंशियल प्रोटेक्शन (Differential Protection): ट्रांसफॉर्मर या जनरेटर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों की सुरक्षा के लिए डिफरेंशियल रिले (differential relays) का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण के इनपुट और आउटपुट पर धाराओं की तुलना करते हैं और यदि कोई अंतर पाया जाता है (जो कि LL दोष का संकेत है), तो वे सर्किट ब्रेकर को ट्रिपिंग सिग्नल भेजते हैं।

संक्षेप में, 

एलएल दोषों से सुरक्षा की योजना का सार दोष का त्वरित पता लगाना (ओवरकरंट रिले द्वारा) और दोषपूर्ण हिस्से का तत्काल अलगाव (सर्किट ब्रेकर द्वारा) है ताकि प्रणाली को न्यूनतम नुकसान हो।



विद्युत प्रणाली में ग्राउंड फॉल्ट (Ground Fault) और न्यूट्रल करंट (Neutral Current) के लिए अलग-अलग "डबल लाइन" का उपयोग सुरक्षा और प्रणाली के उचित संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास है। यह अवधारणा तटस्थ (Neutral) चालक और अर्थिंग (Ground) चालक को अलग रखने पर आधारित है।

तटस्थ (Neutral) चालक

​तटस्थ चालक, जिसे "न्यूट्रल" भी कहते हैं, एक वर्तमान-ले जाने वाला चालक (current-carrying conductor) है जो सामान्य ऑपरेशन के दौरान सर्किट का हिस्सा होता है।

  • उद्देश्य: यह एकल-चरण (single-phase) प्रणालियों में धारा के लिए वापसी पथ (return path) के रूप में कार्य करता है। तीन-चरण प्रणालियों में, यह असंतुलित लोड के कारण उत्पन्न होने वाली असंतुलित धारा (unbalanced current) को वहन करता है।
  • कार्य: यह सक्रिय रूप से विद्युत धारा ले जाता है और इसका वोल्टेज सामान्यतः जमीन के सापेक्ष शून्य होता है।

अर्थिंग (Ground) चालक

​अर्थिंग चालक, जिसे "ग्राउंड" या "सुरक्षा अर्थ" भी कहते हैं, एक गैर-वर्तमान-ले जाने वाला सुरक्षात्मक चालक (non-current-carrying protective conductor) है।

  • उद्देश्य: इसका एकमात्र उद्देश्य सुरक्षा है। यह सामान्य ऑपरेशन में कोई धारा नहीं ले जाता है। इसका काम उपकरणों के धातु के आवरण को जमीन से जोड़ना है, ताकि किसी दोष (जैसे ग्राउंड फॉल्ट) की स्थिति में यह दोष धारा को एक सुरक्षित, कम प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान कर सके।
  • कार्य: जब किसी उपकरण में ग्राउंड फॉल्ट होता है, तो धारा इस अर्थिंग चालक के माध्यम से जमीन में प्रवाहित होती है। यह अचानक धारा वृद्धि फ्यूज या सर्किट ब्रेकर को ट्रिप करती है, जिससे बिजली की आपूर्ति कट जाती है और व्यक्ति को बिजली के झटके से बचाया जा सकता है।

दोनों के बीच का अंतर

इन दोनों चालकों को अलग रखने से यह सुनिश्चित होता है कि ग्राउंड फॉल्ट की स्थिति में, दोष धारा न्यूट्रल के बजाय सीधे जमीन में चली जाए। यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक उपाय है जो उपकरणों को क्षति से बचाता है और लोगों की जान की रक्षा करता है।



सममित दोषों का विश्लेषण करना आसान है क्योंकि वे प्रणाली के संतुलन (system's balance) को बनाए रखते हैं। इसका मतलब है कि दोष के बाद भी, तीनों चरणों (phases) में दोष धाराएं बराबर परिमाण (magnitude) की होती हैं और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° का होता है।

विश्लेषण की सरलता के कारण

  • प्रति-चरण (Per-Phase) विश्लेषण: चूंकि प्रणाली संतुलित रहती है, हमें पूरे तीन-चरण सर्किट का विश्लेषण करने की आवश्यकता नहीं होती। हम केवल एक चरण (single phase) का विश्लेषण कर सकते हैं और फिर उसी परिणाम को अन्य दो चरणों पर लागू कर सकते हैं। यह विश्लेषण को बहुत सरल और सीधा बना देता है।
  • सरल सर्किट मॉडल: सममित दोषों के विश्लेषण में, हमें केवल धनात्मक-अनुक्रम प्रतिबाधा (positive-sequence impedance) की आवश्यकता होती है। ऋणात्मक-अनुक्रम (negative-sequence) और शून्य-अनुक्रम (zero-sequence) परिपथों की आवश्यकता नहीं होती, जो कि असममित दोषों के विश्लेषण में अनिवार्य हैं।
  • गणितीय सरलता: सममित दोषों का विश्लेषण करने के लिए जटिल गणितीय उपकरणों (जैसे सममित घटकों का सिद्धांत) की आवश्यकता नहीं होती, जिससे गणनाएँ बहुत सरल हो जाती हैं।

संक्षेप में, सममित दोषों को उनके संतुलित स्वभाव के कारण विश्लेषण करना आसान होता है, जो हमें सरल प्रति-चरण मॉडल का उपयोग करने की अनुमति देता है।



असममित दोष (Unsymmetrical Faults) जटिल होते हैं क्योंकि वे प्रणाली के संतुलन (system's balance) को बिगाड़ देते हैं। इसका मतलब है कि दोष के बाद, तीनों चरणों (phases) में धाराएं और वोल्टेज बराबर नहीं होते हैं, जो विश्लेषण को बहुत जटिल बना देता है।

जटिलता के मुख्य कारण

  • असंतुलित धाराएं: असममित दोषों में, प्रत्येक चरण में दोष धारा का मान अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, एक लाइन-टू-ग्राउंड दोष में, केवल एक ही चरण में अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है, जबकि अन्य दो चरणों में धारा का मान शून्य या बहुत कम होता है। इस असंतुलन के कारण, प्रति-चरण (per-phase) विश्लेषण संभव नहीं होता है।
  • ऋणात्मक और शून्य अनुक्रम घटकों की उपस्थिति: संतुलित प्रणालियों में केवल धनात्मक-अनुक्रम (positive-sequence) धाराएं और वोल्टेज होते हैं। लेकिन, असममित दोषों के कारण ऋणात्मक-अनुक्रम (negative-sequence) और शून्य-अनुक्रम (zero-sequence) घटक उत्पन्न होते हैं। ये घटक दोष के कारण होने वाले असंतुलन को दर्शाते हैं।
    • ऋणात्मक अनुक्रम: यह घटक रोटर को विपरीत दिशा में टॉर्क प्रदान कर सकता है।
    • शून्य अनुक्रम: यह घटक केवल तभी प्रकट होता है जब दोष में जमीन (ground) शामिल हो (जैसे LG और LLG दोष)।
  • गणितीय जटिलता: इन सभी अनुक्रम घटकों को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण करने के लिए सममित घटकों (symmetrical components) के सिद्धांत का उपयोग किया जाता है। यह विधि गणितीय रूप से बहुत जटिल होती है और इसमें तीन अलग-अलग परिपथों (धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य) को एक साथ हल करना होता है।

संक्षेप में, 

असममित दोष अपनी असंतुलित प्रकृति के कारण जटिल होते हैं, जिसके लिए जटिल गणितीय तकनीकों और कई परिपथ मॉडलों का उपयोग करना पड़ता है।



दोष विश्लेषण में अनुक्रम घटकों (Sequence Components) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, विशेषकर असममित दोषों (unsymmetrical faults) के लिए। ये घटक एक असंतुलित तीन-चरण प्रणाली को तीन अलग-अलग संतुलित प्रणालियों में विभाजित करके विश्लेषण को संभव बनाते हैं।

अनुक्रम घटकों के प्रकार

  1. धनात्मक अनुक्रम घटक (Positive-Sequence Component): यह घटक संतुलित तीन-चरण प्रणाली की तरह व्यवहार करता है, जिसका चरण अनुक्रम (phase sequence) सामान्य (ABC) होता है। सामान्य संचालन के दौरान, प्रणाली में केवल यही घटक मौजूद होता है।
  2. ऋणात्मक अनुक्रम घटक (Negative-Sequence Component): इस घटक में चरणों का क्रम सामान्य के विपरीत (ACB) होता है। यह असंतुलित दोष के कारण उत्पन्न होता है और जनरेटर के रोटर पर एक विपरीत टॉर्क (opposite torque) लगा सकता है।
  3. शून्य अनुक्रम घटक (Zero-Sequence Component): इस घटक में तीनों चरणों के धाराएं और वोल्टेज परिमाण और चरण (phase) में समान होते हैं। यह घटक केवल तभी उत्पन्न होता है जब दोष में जमीन (ground) शामिल हो (जैसे LG और LLG दोष), और यह न्यूट्रल और ग्राउंडिंग सिस्टम में प्रवाहित होता है।

दोष विश्लेषण में भूमिका

  • सरलता: सममित घटकों का सिद्धांत (Method of Symmetrical Components) जटिल और असंतुलित तीन-चरण प्रणाली को तीन सरल, स्वतंत्र और संतुलित एकल-चरण परिपथों (circuits) में तोड़ता है। इन परिपथों को अलग-अलग हल किया जा सकता है, जिससे दोष धारा और वोल्टेज की गणना करना बहुत आसान हो जाता है।
  • दोष का प्रकार पहचानना: दोष विश्लेषण में, इन घटकों की उपस्थिति से हमें दोष के प्रकार का पता चलता है। उदाहरण के लिए, यदि शून्य-अनुक्रम धारा मौजूद है, तो इसका मतलब है कि दोष में जमीन शामिल है।
  • सुरक्षा प्रणाली डिजाइन: दोष विश्लेषण के माध्यम से इन घटकों का उपयोग करके हम ओवरकरंट रिले, ग्राउंड फॉल्ट रिले और अन्य सुरक्षा उपकरणों की सेटिंग निर्धारित करते हैं, ताकि वे दोष का सही ढंग से पता लगा सकें और उसे अलग कर सकें।

संक्षेप में, 

अनुक्रम घटक एक गणितीय उपकरण हैं जो असंतुलित प्रणालियों का विश्लेषण करने के लिए एक ढांचा प्रदान करते हैं। यह जटिल समस्या को तीन सरल समस्याओं में विभाजित करके दोष विश्लेषण को व्यावहारिक बनाता है।



विद्युत प्रणाली में, अनुक्रम घटक (Sequence Components) एक गणितीय विधि है जिसका उपयोग असंतुलित तीन-चरण प्रणाली का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। ये तीन काल्पनिक, संतुलित प्रणालियाँ हैं जो एक साथ मिलकर किसी भी असंतुलित स्थिति (जैसे दोष) को दर्शाती हैं।

सकारात्मक अनुक्रम घटक (Positive Sequence Component)

​यह घटक एक संतुलित तीन-चरण प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें तीनों फेजों (phases) का परिमाण समान होता है और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° होता है। इसका चरण क्रम (phase sequence) सामान्य प्रणाली (जैसे A-B-C) के समान होता है।

  • भूमिका: सामान्य संचालन के दौरान, प्रणाली में केवल यही घटक मौजूद होता है। यह उपयोगी शक्ति (useful power) को वहन करता है और जनरेटर और मोटर्स के सामान्य संचालन के लिए जिम्मेदार होता है।

नकारात्मक अनुक्रम घटक (Negative Sequence Component)

​यह घटक भी एक संतुलित तीन-चरण प्रणाली है, लेकिन इसका चरण क्रम सामान्य प्रणाली के विपरीत होता है (जैसे A-C-B)। इसका परिमाण भी समान होता है और उनके बीच का कला कोण 120° होता है।

  • भूमिका: यह घटक केवल असंतुलित दोषों के दौरान उत्पन्न होता है। इसका विपरीत चरण क्रम जनरेटर और मोटर्स में एक विपरीत चुंबकीय क्षेत्र बनाता है, जो रोटर पर एक अवांछित ब्रेकिंग टॉर्क (braking torque) उत्पन्न कर सकता है।

शून्य अनुक्रम घटक (Zero Sequence Component)

​यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें तीनों फेजों का परिमाण और कला कोण समान होता है। इसका मतलब है कि तीनों धाराएं या वोल्टेज एक ही दिशा में (in-phase) होते हैं।

  • भूमिका: यह घटक केवल तभी उत्पन्न होता है जब दोष में जमीन (ground) शामिल हो (जैसे LG और LLG दोष)। चूंकि तीनों धाराएं एक ही दिशा में होती हैं, वे न्यूट्रल और ग्राउंडिंग सिस्टम के माध्यम से एक वापसी पथ (return path) बनाती हैं।

संक्षेप में, 

सकारात्मक अनुक्रम सामान्य संचालन को दर्शाता है, नकारात्मक अनुक्रम असंतुलन को दर्शाता है, और शून्य अनुक्रम दोष में जमीन की उपस्थिति को दर्शाता है। ये तीनों घटक मिलकर किसी भी जटिल असंतुलित स्थिति का विश्लेषण करना संभव बनाते हैं।



सिंगल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (LG Fault) में शून्य अनुक्रम धारा (Zero Sequence Current) महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोष के अस्तित्व और उसकी प्रकृति का सबसे स्पष्ट संकेत देती है।

महत्व के कारण

  • दोष का पता लगाना: शून्य अनुक्रम धारा केवल तभी प्रवाहित होती है जब दोष में जमीन (ground) शामिल हो। चूंकि LG फॉल्ट में एक चालक सीधे जमीन से जुड़ जाता है, शून्य अनुक्रम धारा एक मजबूत सिग्नल के रूप में कार्य करती है, जिससे सुरक्षात्मक रिले (जैसे ग्राउंड फॉल्ट रिले) को दोष का तुरंत पता लगाने और सर्किट ब्रेकर को सक्रिय करने में मदद मिलती है।
  • असंतुलन का संकेत: शून्य अनुक्रम धारा प्रणाली के असंतुलित होने का एक स्पष्ट संकेतक है। सामान्य संतुलित संचालन के दौरान, शून्य अनुक्रम धारा अनुपस्थित होती है। इसकी उपस्थिति का मतलब है कि प्रणाली में कुछ असामान्य है।
  • सुरक्षात्मक रिले की संवेदनशीलता: LG फॉल्ट में दोष धारा अक्सर अन्य प्रकार के फॉल्ट की तुलना में कम होती है। इस स्थिति में, केवल ओवरकरंट रिले पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। शून्य अनुक्रम धारा का उपयोग करके डिज़ाइन किए गए रिले बहुत संवेदनशील होते हैं और कम दोष धाराओं का भी पता लगा सकते हैं, जिससे तेजी से सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • दोष का स्थान: शून्य अनुक्रम धारा की दिशा और परिमाण का विश्लेषण करके, इंजीनियर दोष के स्थान का सटीक अनुमान लगा सकते हैं।

संक्षेप में, 

LG फॉल्ट में शून्य अनुक्रम धारा का महत्व इसलिए है क्योंकि यह दोष के अस्तित्व, उसके स्थान और उसकी प्रकृति के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान करती है, जो सुरक्षात्मक उपकरणों को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए महत्वपूर्ण है।



किसी सिस्टम की शॉर्ट सर्किट क्षमता (Short Circuit Capacity) वह अधिकतम धारा है जिसे वह सिस्टम बिना किसी गंभीर क्षति के एक विशिष्ट समय के लिए सहन कर सकता है जब उसमें शॉर्ट सर्किट होता है। इसे सामान्यतः किलोएम्पीयर (kA) में मापा जाता है।

शॉर्ट सर्किट क्षमता का महत्व

  1. उपकरणों की सुरक्षा: शॉर्ट सर्किट क्षमता यह निर्धारित करती है कि सिस्टम में लगे उपकरण (जैसे सर्किट ब्रेकर, बसबार और केबल) उच्च दोष धारा का सामना कर सकते हैं या नहीं। यदि शॉर्ट सर्किट धारा उपकरण की क्षमता से अधिक हो, तो उपकरण को गंभीर क्षति हो सकती है या वह पूरी तरह से विफल हो सकता है।
  2. सर्किट ब्रेकर का चयन: शॉर्ट सर्किट क्षमता का उपयोग सर्किट ब्रेकर की रेटिंग तय करने के लिए किया जाता है। एक सर्किट ब्रेकर को उस सिस्टम में होने वाले अधिकतम संभावित शॉर्ट सर्किट धारा को बाधित (interrupt) करने में सक्षम होना चाहिए।
  3. सुरक्षा और स्थिरता: यह क्षमता यह सुनिश्चित करती है कि दोष की स्थिति में प्रणाली में वोल्टेज और आवृत्ति में अचानक और अत्यधिक परिवर्तन न हो, जिससे प्रणाली की समग्र स्थिरता बनी रहे।

संक्षेप में, 

शॉर्ट सर्किट क्षमता एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है जो यह दर्शाता है कि कोई विद्युत प्रणाली दोष की स्थिति में कितनी मजबूत और विश्वसनीय है।



दोष धारा और सिस्टम प्रतिबाधा में गहरा संबंध है, जो ओम के नियम (Ohm's Law) द्वारा शासित होता है। यह संबंध व्युत्क्रमानुपाती (inversely proportional) है, जिसका अर्थ है कि जितनी कम सिस्टम प्रतिबाधा होगी, उतनी ही अधिक दोष धारा प्रवाहित होगी

दोष धारा और प्रतिबाधा का संबंध

​दोष की स्थिति में, दोष धारा (I) की गणना का मूल सूत्र है:

​I\_{fault} = \\frac{V\_{pre-fault}}{Z\_{system}}

​जहां:

  • ​I\_{fault} = दोष धारा
  • ​V\_{pre-fault} = दोष से पहले का वोल्टेज
  • ​Z\_{system} = दोष बिंदु तक स्रोत से सिस्टम की कुल प्रतिबाधा (impedance)

​एक शॉर्ट सर्किट दोष मूल रूप से एक बहुत कम प्रतिबाधा वाला पथ है। जब एक दोष होता है, तो दोष बिंदु पर प्रतिबाधा (और प्रतिरोध) लगभग शून्य हो जाती है, जिससे धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रतिबाधा के घटक

​सिस्टम की कुल प्रतिबाधा कई घटकों से मिलकर बनती है:

  • जेनरेटर प्रतिबाधा (Generator Impedance): जेनरेटर के अंदर की प्रतिबाधा।
  • ट्रांसफॉर्मर प्रतिबाधा (Transformer Impedance): ट्रांसफॉर्मर की प्रतिबाधा।
  • ट्रांसमिशन लाइन और केबल प्रतिबाधा (Transmission Line and Cable Impedance): ट्रांसमिशन लाइनों और केबलों की प्रतिबाधा।

​ये सभी प्रतिबाधाएं श्रृंखला (series) में जुड़ती हैं, और यदि एक से अधिक स्रोत (parallel sources) हों, तो उन्हें समानांतर (parallel) में भी जोड़ा जा सकता है।

सारांश

​एक मजबूत विद्युत प्रणाली वह होती है जिसकी शॉर्ट सर्किट क्षमता अधिक होती है, जिसका अर्थ है कि उस बिंदु पर सिस्टम की प्रतिबाधा कम होती है। यह स्थिति तब बनती है जब आप जेनरेटर के बहुत करीब होते हैं, क्योंकि जेनरेटर के बीच की लाइन और ट्रांसफॉर्मर की प्रतिबाधा कम होती है। जैसे-जैसे आप जेनरेटर से दूर जाते हैं, लाइन और अन्य उपकरणों की प्रतिबाधा जुड़ती जाती है, जिससे कुल प्रतिबाधा बढ़ जाती है और दोष धारा कम हो जाती है।


सबसे अधिक धारा उत्पन्न करने वाला दोष तीन-चरण सममित दोष (Three-Phase Symmetrical Fault) है। 

​यह दोष इसलिए सबसे गंभीर और उच्च धारा वाला माना जाता है क्योंकि इसमें तीनों चरण (phases) एक साथ शॉर्ट सर्किट हो जाते हैं। इस स्थिति में, दोष का प्रतिरोध (fault resistance) लगभग शून्य हो जाता है और चूंकि धारा और प्रतिबाधा (impedance) में व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है (I \propto 1/Z), तो धारा का मान अधिकतम हो जाता है।

​अन्य दोषों की तुलना में, जैसे कि लाइन से ग्राउंड फॉल्ट या लाइन से लाइन फॉल्ट, तीन-चरण दोष में सभी तीन चरण शामिल होते हैं और प्रणाली संतुलित रहती है, जिससे कुल दोष धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है।


सबसे कम धारा उत्पन्न करने वाला दोष सिंगल लाइन से ग्राउंड फॉल्ट (Single-Line-to-Ground Fault) है। 

​यह दोष इसलिए सबसे कम धारा वाला माना जाता है क्योंकि इसमें केवल एक फेज चालक (phase conductor) जमीन से जुड़ता है। इस दोष के लिए दोष धारा को एक पथ का अनुसरण करना होता है जिसमें प्रणाली के प्रतिबाधा (impedance) के साथ-साथ ग्राउंडिंग पथ की प्रतिबाधा भी शामिल होती है।

अन्य दोषों,

जैसे कि तीन-चरण दोष या लाइन से लाइन दोष, में धारा के लिए एक कम प्रतिबाधा वाला सीधा पथ उपलब्ध होता है, जिससे धारा का मान बहुत बढ़ जाता है। लेकिन LG दोष में, न्यूट्रल ग्राउंडिंग की स्थिति (जैसे उच्च प्रतिबाधा ग्राउंडिंग) के कारण दोष धारा काफी सीमित हो सकती है, जिससे यह सबसे कम गंभीर धारा वाला दोष बन जाता है, भले ही यह सबसे आम हो।



हम दोष एमवीए (Fault MVA) की गणना इसलिए करते हैं क्योंकि यह एक विद्युत प्रणाली की शॉर्ट सर्किट क्षमता (short circuit capacity) का एक माप है। यह हमें यह जानने में मदद करता है कि दोष (fault) की स्थिति में प्रणाली कितनी शक्ति और धारा उत्पन्न कर सकती है।

प्रमुख कारण

  1. उपकरणों का चयन और रेटिंग: दोष एमवीए की गणना करके, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि सर्किट ब्रेकर, स्विचगियर, ट्रांसफार्मर और बसबार जैसे उपकरण दोष के दौरान उत्पन्न होने वाले अत्यधिक यांत्रिक और थर्मल तनाव को सहन कर सकें। एक सर्किट ब्रेकर की रेटिंग सीधे सिस्टम की शॉर्ट सर्किट क्षमता से संबंधित होती है।
  2. सुरक्षा प्रणाली का डिज़ाइन: दोष एमवीए यह निर्धारित करने में मदद करता है कि सुरक्षात्मक रिले (protective relays) को किस मान पर सेट किया जाना चाहिए। सही सेटिंग यह सुनिश्चित करती है कि दोष का तुरंत पता चले और केवल दोषपूर्ण खंड को अलग किया जाए, जिससे स्वस्थ प्रणाली का संचालन जारी रहे।
  3. सिस्टम का विश्लेषण: दोष एमवीए हमें यह समझने में मदद करता है कि प्रणाली एक दोष के दौरान कैसे व्यवहार करेगी। उच्च दोष एमवीए वाली प्रणाली अधिक मजबूत होती है, लेकिन उसे संभालने के लिए अधिक क्षमता वाले उपकरणों की आवश्यकता होती है।

संक्षेप में, 

दोष एमवीए की गणना करना एक सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल विद्युत प्रणाली के डिज़ाइन, संचालन और रखरखाव के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।



दोष निवारण समय (Fault Clearance Time) वह कुल समय है जो किसी दोष (fault) के होने से लेकर उस दोषपूर्ण हिस्से को प्रणाली से पूरी तरह से अलग करने में लगता है। इस समय को निर्धारित करने के लिए मुख्य रूप से दो प्रमुख घटकों को जोड़ा जाता है।

​दोष निवारण समय = रिले संचालन समय + सर्किट ब्रेकर संचालन समय

घटक जो समय निर्धारित करते हैं

  1. रिले संचालन समय (Relay Operating Time): यह वह समय है जो एक रिले को दोष को महसूस करने और सर्किट ब्रेकर को ट्रिप सिग्नल भेजने में लगता है। यह समय रिले की सेटिंग और दोष धारा के परिमाण पर निर्भर करता है।
    • ओवरकरंट रिले: कई रिले में व्युत्क्रमानुपाती समय-धारा विशेषताएँ (inverse time-current characteristics) होती हैं। इसका मतलब है कि दोष धारा जितनी अधिक होगी, रिले उतना ही तेजी से काम करेगा।
    • सेटिंग्स: रिले की सेटिंग्स जैसे प्लग सेटिंग मल्टीप्लायर (PSM) और टाइम मल्टीप्लायर सेटिंग (TMS) इस समय को सीधे प्रभावित करती हैं।
  2. सर्किट ब्रेकर संचालन समय (Circuit Breaker Operating Time): यह वह समय है जो सर्किट ब्रेकर को रिले से ट्रिप सिग्नल प्राप्त होने के बाद अपने संपर्कों को खोलने में लगता है। यह एक यांत्रिक समय है और आमतौर पर बहुत कम होता है (लगभग 2-5 चक्र, या 30-80 मिलीसेकंड)।

दोष निवारण समय का निर्धारण

​दोष निवारण समय को निर्धारित करने की प्रक्रिया में सुरक्षा इंजीनियरों को कई कारकों पर विचार करना होता है:

  1. प्राथमिक और बैकअप सुरक्षा: एक प्रणाली में कई रिले होते हैं जो एक ही दोष के लिए काम कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि केवल निकटतम रिले (प्राथमिक सुरक्षा) ही पहले ट्रिप हो, रिले समय का समन्वय (coordination) किया जाता है। इस समन्वय के लिए एक निश्चित समय अंतराल (Coordination Time Interval) निर्धारित किया जाता है, जो आमतौर पर 0.3-0.5 सेकंड होता है।
  2. दोष का प्रकार: अलग-अलग दोषों (जैसे LG, LL, LLL) में अलग-अलग धाराएँ होती हैं, जो रिले के संचालन समय को प्रभावित करती हैं।
  3. सर्किट ब्रेकर की गति: सिस्टम में उपयोग किए जाने वाले सर्किट ब्रेकर के प्रकार पर भी यह समय निर्भर करता है। आधुनिक सर्किट ब्रेकर बहुत तेजी से काम करते हैं, जिससे कुल निवारण समय कम हो जाता है।

​एक कम दोष निवारण समय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रणाली की स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है और दोष के कारण उपकरणों को होने वाले नुकसान को कम करता है।



दोष निवारण समय (Fault Clearance Time) का विद्युत प्रणाली की स्थिरता (System Stability) पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव मुख्य रूप से क्षणिक स्थिरता (Transient Stability) से संबंधित है, जो एक प्रणाली की अचानक और गंभीर गड़बड़ी (जैसे कि दोष) के बाद संतुलन बनाए रखने की क्षमता है।

प्रमुख सिद्धांत

​दोष की स्थिति में, जेनरेटर (generators) की यांत्रिक इनपुट शक्ति (mechanical input power) उनके विद्युत आउटपुट शक्ति (electrical output power) से अधिक हो जाती है, क्योंकि दोष के कारण वोल्टेज गिरता है और आउटपुट शक्ति कम हो जाती है। यह शक्ति में असंतुलन जेनरेटर के रोटर (rotor) को तेज गति से घूमने (accelerate) के लिए मजबूर करता है, जिससे उसका लोड एंगल (load angle) बढ़ जाता है।

  • कम दोष निवारण समय: यदि दोष को जल्दी से साफ कर दिया जाता है (यानी, दोष निवारण समय कम होता है), तो रोटर के पास बहुत अधिक गति प्राप्त करने का समय नहीं होता है। जब ब्रेकर दोष को साफ करता है, तो विद्युत शक्ति फिर से बढ़ जाती है और रोटर को धीमा कर देती है (decelerate)। यदि यह त्वरण (acceleration) और मंदी (deceleration) के क्षेत्र बराबर हैं, तो प्रणाली स्थिर बनी रहती है।
  • लंबा दोष निवारण समय: यदि दोष को साफ करने में अधिक समय लगता है, तो रोटर बहुत अधिक गति प्राप्त कर लेता है और उसका लोड एंगल बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस बिंदु पर, भले ही दोष को हटा दिया जाए, रोटर अपनी सामान्य गति और संतुलन स्थिति में वापस नहीं आ पाएगा। इससे जेनरेटर एक-दूसरे से अतुल्यकालिक (out-of-synchronism) हो जाते हैं, जिससे प्रणाली अस्थिर हो जाती है और अंततः ब्लैकआउट (blackout) हो सकता है।

क्रांतिक समाशोधन समय (Critical Clearing Time)

​इस अवधारणा को समझने के लिए क्रांतिक समाशोधन समय (Critical Clearing Time) एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है। यह वह अधिकतम समय है जिसके भीतर दोष को साफ किया जाना चाहिए ताकि प्रणाली अपनी स्थिरता बनाए रख सके। यदि वास्तविक दोष निवारण समय इस क्रांतिक समय से अधिक हो जाता है, तो प्रणाली अपनी स्थिरता खो देती है।

इसलिए, 

एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्रणाली के लिए, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सुरक्षात्मक रिले और सर्किट ब्रेकर इतने तेज हों कि वे दोष को क्रांतिक समाशोधन समय से पहले ही साफ कर दें।


विद्युत प्रणाली में, दोषों को उनके स्वभाव के आधार पर दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: क्षणिक दोष (Transient Faults) और स्थायी दोष (Permanent Faults)

क्षणिक दोष (Transient Faults)

​क्षणिक दोष वे दोष होते हैं जो कुछ समय के लिए होते हैं और अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। इन दोषों को दूर करने के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। ये आमतौर पर प्राकृतिक घटनाओं के कारण होते हैं।

  • उदाहरण: आकाशीय बिजली गिरने पर उत्पन्न होने वाला दोष। जब बिजली गिरती है, तो यह ओवरहेड लाइनों पर एक क्षणिक वोल्टेज surge पैदा करती है जिससे दोष होता है। लेकिन, जैसे ही बिजली का प्रभाव खत्म होता है, लाइन का इंसुलेशन (insulation) वापस आ जाता है और प्रणाली सामान्य हो जाती है। हवा के कारण तारों का अस्थायी रूप से आपस में छूना भी इसका एक उदाहरण है।
  • समाधान: ऐसे दोषों से निपटने के लिए, सर्किट ब्रेकर को एक निश्चित समय के लिए खोला जाता है और फिर स्वचालित रूप से बंद कर दिया जाता है। इसे रीक्लोजिंग (reclosing) कहा जाता है।

स्थायी दोष (Permanent Faults)

​स्थायी दोष वे दोष होते हैं जो अपने आप ठीक नहीं होते और जब तक उन्हें मैन्युअल रूप से ठीक नहीं किया जाता, तब तक बने रहते हैं। इन दोषों को दूर करने के लिए प्रणाली को बंद करना पड़ता है और मरम्मत करनी पड़ती है।

  • उदाहरण:
    • ​तार का टूटकर जमीन पर गिरना।
    • ​किसी तार का पेड़ पर स्थायी रूप से टिक जाना।
    • ​उपकरणों, जैसे ट्रांसफार्मर या जनरेटर, का आंतरिक रूप से विफल होना।
  • समाधान: इन दोषों से निपटने के लिए, सर्किट ब्रेकर प्रणाली को पूरी तरह से बंद कर देता है, और तब तक दोबारा चालू नहीं होता जब तक कि दोष का कारण पता लगाकर उसे ठीक न कर दिया जाए।


A प्रारंभिक दोष (Incipient Fault) एक ऐसा दोष है जो धीरे-धीरे विकसित होता है और शुरुआती चरणों में पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। यह एक छोटी सी खराबी के रूप में शुरू होता है और समय के साथ धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है, जिससे अंततः एक बड़ा और गंभीर दोष (जैसे शॉर्ट सर्किट) हो सकता है। यह एक प्रकार का क्षणिक दोष (transient fault) है, लेकिन यह बार-बार होता है।

उदाहरण

  • इंसुलेशन का खराब होना: एक ट्रांसफॉर्मर में, वाइंडिंग के इंसुलेशन पर धीरे-धीरे तनाव बढ़ सकता है, जिससे छोटे-छोटे विद्युत निर्वहन (discharges) होते हैं। शुरुआत में, ये बहुत छोटे होते हैं और प्रणाली के प्रदर्शन को प्रभावित नहीं करते हैं, लेकिन समय के साथ ये बड़े हो जाते हैं और अंततः पूर्ण इंसुलेशन विफलता का कारण बन सकते हैं, जिससे शॉर्ट सर्किट होता है।
  • शिथिल कनेक्शन (Loose Connections): किसी बसबार या सर्किट में एक ढीला कनेक्शन धीरे-धीरे गर्म होता रहता है। यह गर्मी आसपास के इंसुलेशन को कमजोर कर देती है, जिससे अंततः एक आर्क फॉल्ट या शॉर्ट सर्किट हो सकता है।
  • यांत्रिक तनाव: जनरेटर में, रोटर वाइंडिंग में छोटे-छोटे कंपन हो सकते हैं जो धीरे-धीरे इंसुलेशन को घिसते हैं, जिससे वर्षों बाद एक बड़ा दोष हो सकता है।

​ये दोष गंभीर होते हैं क्योंकि इन्हें पारंपरिक सुरक्षा उपकरणों द्वारा आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है, जो केवल बड़ी धाराओं पर प्रतिक्रिया देते हैं।



दोष (fault) का विद्युत प्रणाली की वोल्टेज प्रोफ़ाइल (voltage profile) पर बहुत महत्वपूर्ण और तत्काल प्रभाव पड़ता है, जिससे प्रणाली में वोल्टेज का स्तर अचानक और नाटकीय रूप से बदल जाता है।

वोल्टेज प्रोफ़ाइल पर प्रभाव

  • दोष बिंदु पर वोल्टेज का गिरना (Voltage Sag): दोष के स्थान पर, वोल्टेज का मान लगभग शून्य हो जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि दोष एक कम प्रतिबाधा वाला पथ प्रदान करता है, जिससे अधिकांश धारा दोष की ओर प्रवाहित होती है और स्रोत और दोष बिंदु के बीच का वोल्टेज गिर जाता है।
  • अन्य स्थानों पर वोल्टेज का गिरना: दोष बिंदु के आसपास और दूर के हिस्सों में भी वोल्टेज का मान कम हो जाता है। यह गिरावट दूरी के साथ कम होती जाती है, लेकिन पूरे सिस्टम की वोल्टेज प्रोफ़ाइल प्रभावित होती है।
  • वोल्टेज असंतुलन: यदि दोष असममित है (जैसे लाइन से ग्राउंड फॉल्ट), तो यह तीनों चरणों (phases) के वोल्टेज को अलग-अलग मात्रा में प्रभावित करता है, जिससे प्रणाली में गंभीर वोल्टेज असंतुलन (voltage imbalance) पैदा होता है।

समस्याएं और परिणाम

​वोल्टेज प्रोफ़ाइल में यह गिरावट कई समस्याएं पैदा करती है:

  • संवेदनशील उपकरणों का ट्रिप होना: अस्पतालों, डेटा केंद्रों और औद्योगिक संयंत्रों में संवेदनशील उपकरण कम वोल्टेज का पता लगा सकते हैं और स्वचालित रूप से बंद हो सकते हैं, जिससे उत्पादन या महत्वपूर्ण सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
  • मोटर्स का धीमा होना: प्रेरण मोटर्स (induction motors) कम वोल्टेज पर कम टॉर्क उत्पन्न करती हैं और उनकी गति धीमी हो जाती है। यदि वोल्टेज बहुत कम हो जाता है, तो मोटर पूरी तरह से रुक सकती हैं।
  • प्रणाली की स्थिरता पर प्रभाव: वोल्टेज का गिरना जनरेटरों की विद्युत आउटपुट शक्ति को कम कर देता है, जिससे उनके रोटर तेजी से घूमने लगते हैं और प्रणाली की स्थिरता को खतरा होता है, जैसा कि पिछले उत्तर में बताया गया है।

संक्षेप में, 

दोष एक विद्युत प्रणाली में वोल्टेज प्रोफ़ाइल को गंभीर रूप से बिगाड़ देता है, जिससे तात्कालिक और दूरगामी परिणाम होते हैं, और यही कारण है कि दोषों का तुरंत पता लगाना और उन्हें अलग करना इतना महत्वपूर्ण है।



विद्युत दोषों के सामान्य कारण कई होते हैं, जो प्राकृतिक, यांत्रिक या मानवीय हो सकते हैं।

प्राकृतिक कारण

  • आकाशीय बिजली (Lightning): यह सबसे आम प्राकृतिक कारण है। बिजली गिरने से वोल्टेज में अचानक वृद्धि होती है, जिससे इंसुलेशन टूट जाता है और दोष हो सकता है।
  • तेज हवाएं और तूफान (High Winds and Storms): तेज हवाएं ओवरहेड लाइनों को हिला सकती हैं, जिससे तार आपस में टकरा सकते हैं या टूटकर गिर सकते हैं।
  • भूकंप (Earthquakes): भूकंप के झटके ट्रांसमिशन टावरों को गिरा सकते हैं या बिजली के तारों को तोड़ सकते हैं।
  • पक्षी और जानवर (Birds and Animals): पक्षी या जानवर गलती से लाइव कंडक्टरों और ग्राउंडेड संरचनाओं के बीच संपर्क बना सकते हैं।

यांत्रिक कारण

  • इंसुलेशन की विफलता (Insulation Failure): ट्रांसफॉर्मर, जनरेटर या केबल में इंसुलेशन का खराब होना, जो अत्यधिक गर्मी, नमी या उम्र बढ़ने के कारण हो सकता है।
  • उपकरणों की विफलता (Equipment Failure): स्विचगियर, सर्किट ब्रेकर या अन्य उपकरणों में यांत्रिक या विद्युत खराबी।
  • अत्यधिक भार (Overloading): किसी प्रणाली पर उसकी क्षमता से अधिक भार डालने से तापमान बढ़ सकता है, जिससे इंसुलेशन टूट सकता है।

मानवीय कारण

  • ऑपरेशनल त्रुटियाँ (Operational Errors): रखरखाव या संचालन के दौरान मानवीय लापरवाही, जैसे गलत स्विचिंग या उपकरणों को गलत तरीके से जोड़ना।
  • खुदाई दुर्घटनाएं (Digging Accidents): निर्माण कार्य के दौरान भूमिगत केबलों को नुकसान पहुंचाना।
  • गलत डिज़ाइन (Incorrect Design): प्रणाली को ठीक से डिज़ाइन न करना, जिससे वोल्टेज या धारा के स्तर को संभालने में विफलता होती है।



मौसम की स्थिति, विशेषकर चरम मौसम की घटनाएँ, बिजली वितरण और ट्रांसमिशन लाइनों में खराबी का एक प्रमुख कारण हैं।

प्रमुख कारण

  1. तेज हवाएं और तूफान:
    • तारों का झूलना (Line Swinging): तेज हवाओं के कारण ओवरहेड तार बहुत अधिक झूल सकते हैं, जिससे वे आपस में टकरा सकते हैं। इस टकराव से शॉर्ट सर्किट हो सकता है।
    • टूट जाना (Line Breakage): अत्यधिक हवा के दबाव या पेड़ गिरने के कारण तार टूट सकते हैं, जिससे वे जमीन पर गिर सकते हैं और ग्राउंड फॉल्ट हो सकता है।
  2. आकाशीय बिजली (Lightning):
    • वोल्टेज सर्ज (Voltage Surge): बिजली गिरने से ट्रांसमिशन लाइनों पर अत्यधिक वोल्टेज उत्पन्न होता है, जो इंसुलेशन को तोड़ देता है, जिससे लाइन में अस्थायी या स्थायी दोष हो सकता है।
    • डायरेक्ट स्ट्राइक (Direct Strike): यदि बिजली सीधे किसी टावर या तार पर गिरती है, तो यह तार को पिघला सकती है या तोड़ सकती है।
  3. बर्फ और ठंड:
    • बर्फ का जमाव (Ice Loading): तारों पर बर्फ की मोटी परत जमने से उनका भार बहुत बढ़ जाता है, जिससे तार टूट सकते हैं या टावर ढह सकते हैं।
    • बर्फ का टूटना (Ice Drop): जब तारों पर जमी बर्फ टूटकर गिरती है, तो यह तारों को ऊपर की ओर उछाल सकती है, जिससे वे आपस में टकरा सकते हैं।
  4. गर्मी और लू (Heatwaves):
    • तारों का ढीला होना (Conductor Sag): अत्यधिक गर्मी के कारण तार फैल जाते हैं और अधिक ढीले हो जाते हैं, जिससे वे नीचे झुक सकते हैं और पेड़ों या अन्य संरचनाओं के संपर्क में आ सकते हैं।
    • उपकरणों की विफलता: उच्च तापमान ट्रांसफॉर्मर और अन्य उपकरणों को अधिक गर्म कर सकता है, जिससे उनका इंसुलेशन खराब हो सकता है और उनकी विफलता हो सकती है।

​ये सभी कारक मिलकर प्रणाली की विश्वसनीयता को कम करते हैं और दोषों का कारण बनते हैं, जिन्हें दूर करने के लिए विशेष सुरक्षात्मक उपकरणों और रखरखाव की आवश्यकता होती है।



आर्किंग दोष (Arcing Fault) एक प्रकार का विद्युत दोष है जो तब होता है जब दो चालक (conductors) या एक चालक और जमीन के बीच हवा या किसी अन्य गैस के माध्यम से विद्युत चिंगारी (spark) या चाप (arc) उत्पन्न होता है। यह एक प्रकार का शॉर्ट सर्किट दोष है जो इंसुलेशन की विफलता के कारण होता है।

आर्किंग दोष कैसे होता है?

​आर्किंग तब होती है जब दो चालकों के बीच का इंसुलेशन (आमतौर पर हवा) टूट जाता है और एक आयनित (ionized) पथ बनाता है। यह पथ कम प्रतिरोध वाला होता है और इसके माध्यम से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, जिससे अत्यधिक गर्मी, प्रकाश और ध्वनि उत्पन्न होती है।

आर्किंग दोषों के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • शिथिल कनेक्शन (Loose Connections): ढीले तार या टर्मिनल बहुत अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं, जिससे गर्मी पैदा होती है और अंततः चिंगारी या चाप उत्पन्न हो सकता है।
  • पुराना या क्षतिग्रस्त इंसुलेशन: समय के साथ, केबल या उपकरणों का इंसुलेशन खराब हो सकता है, जिससे अंदर के चालक उजागर हो जाते हैं और आर्किंग हो सकती है।
  • यांत्रिक क्षति: निर्माण कार्य के दौरान किसी केबल को गलती से नुकसान पहुंचाना।
  • प्रदूषण: नमकीन हवा, धूल या अन्य प्रदूषक सतह पर जमा हो सकते हैं, जिससे चालकों के बीच चाप उत्पन्न होने का रास्ता बन सकता है।

आर्किंग दोषों के परिणाम

  • अत्यधिक गर्मी और आग: आर्क से उत्पन्न होने वाली अत्यधिक गर्मी से आसपास की सामग्री पिघल सकती है, जिससे आग लग सकती है।
  • गंभीर क्षति: आर्किंग उपकरण को गंभीर और स्थायी क्षति पहुंचा सकती है, जैसे कि बसबार या स्विचगियर में विस्फोट।
  • बिजली के झटके: आर्किंग से उच्च वोल्टेज उत्पन्न हो सकता है, जो व्यक्तियों के लिए खतरनाक है।

आर्किंग दोषों से बचने के लिए, 

नियमित रखरखाव, शिथिल कनेक्शनों की जाँच और सही इंसुलेशन का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है।



संतुलित दोष स्थिति (Balanced Fault Condition) वह स्थिति है जब किसी विद्युत प्रणाली में दोष होने के बाद भी, तीनों चरणों (phases) की धाराएं और वोल्टेज समान परिमाण (equal magnitude) के होते हैं और उनके बीच का कला कोण (phase angle) 120° का होता है

प्रमुख विशेषताएँ

  • संतुलित प्रणाली: दोष से पहले और बाद में, प्रणाली का संतुलन बना रहता है। यह सममित दोषों (जैसे तीन-चरण दोष) की एक प्रमुख विशेषता है।
  • सरल विश्लेषण: इस स्थिति का विश्लेषण करना बहुत आसान होता है क्योंकि हमें पूरे तीन-चरण सर्किट का विश्लेषण करने की आवश्यकता नहीं होती। केवल एक चरण का विश्लेषण करके, हम पूरे सिस्टम की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं।
  • उच्च धारा: संतुलित दोष, विशेष रूप से तीन-चरण दोष, सबसे अधिक दोष धारा उत्पन्न करते हैं क्योंकि वे न्यूनतम प्रतिबाधा (impedance) वाला पथ प्रदान करते हैं।
  • दुर्लभ घटना: यद्यपि ये दोष सबसे गंभीर होते हैं, लेकिन ये बहुत कम होते हैं क्योंकि तीनों चरणों का एक साथ और समान रूप से विफल होना बहुत ही दुर्लभ है।

उदाहरण

​सबसे आम संतुलित दोष तीन-चरण दोष (Three-Phase Fault or LLL) है, जहाँ तीनों फेज सीधे आपस में शॉर्ट हो जाते हैं। एक और उदाहरण तीन-चरण से ग्राउंड दोष (LLLG) है, जो तब होता है जब तीनों फेज आपस में शॉर्ट हो जाते हैं और जमीन से भी जुड़ जाते हैं।



दोष प्रभावों को कम करने में ग्राउंडिंग (Earthing) बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोष की स्थिति में एक सुरक्षित और कम-प्रतिबाधा (low-impedance) वाला पथ प्रदान करता है, जिससे कई खतरों को टाला जा सकता है।

प्रमुख कारण

  1. दोष धारा का नियंत्रण: ग्राउंडिंग प्रणाली दोष धारा को एक नियंत्रित और सुरक्षित मार्ग प्रदान करती है। जब कोई चालक गलती से जमीन से जुड़ जाता है, तो ग्राउंडिंग यह सुनिश्चित करती है कि दोष धारा जमीन में प्रवाहित हो, न कि अन्य उपकरणों या व्यक्तियों के माध्यम से।
  2. सुरक्षा उपकरणों का संचालन: ग्राउंडिंग प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि दोष की स्थिति में प्रवाहित होने वाली धारा इतनी अधिक हो कि सुरक्षात्मक उपकरण (जैसे सर्किट ब्रेकर और फ्यूज) तुरंत काम करें। कम प्रतिबाधा वाला ग्राउंडिंग पथ दोष धारा को पर्याप्त रूप से बढ़ा देता है ताकि ये उपकरण समय पर ट्रिप हो सकें।
  3. वोल्टेज का नियंत्रण: दोष की स्थिति में, ग्राउंडिंग प्रणाली उन चालकों के वोल्टेज को सीमित करती है जो दोष से प्रभावित नहीं हुए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि स्वस्थ चरण (healthy phases) अत्यधिक वोल्टेज का अनुभव न करें, जिससे अन्य उपकरणों को नुकसान से बचाया जा सके।
  4. व्यक्तिगत सुरक्षा: ग्राउंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य बिजली के झटके से बचाना है। यह उपकरणों के धातु के आवरण को जमीन से जोड़ता है। यदि कोई आंतरिक दोष उपकरण के आवरण को लाइव कर देता है, तो ग्राउंडिंग कंडक्टर इस दोष धारा को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित कर देता है, जिससे व्यक्ति को झटका लगने से पहले सर्किट ब्रेकर ट्रिप हो जाता है।

संक्षेप में, 

ग्राउंडिंग एक सुरक्षात्मक ढाल के रूप में कार्य करती है, जो दोष के दौरान उत्पन्न होने वाली उच्च धाराओं और वोल्टेज को नियंत्रित करती है और मानव जीवन और उपकरणों की रक्षा करती है।



दोष प्रतिबाधा (Fault Impedance) वह प्रतिबाधा (impedance) है जो किसी दोष (fault) के होने पर दोष बिंदु पर मौजूद होती है। यह उस पथ का कुल प्रतिरोध और प्रतिघात (reactance) है जिसके माध्यम से दोष धारा प्रवाहित होती है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • आदर्श स्थिति में शून्य: एक आदर्श शॉर्ट सर्किट दोष में, दोष प्रतिबाधा को शून्य माना जाता है। इस स्थिति में, दोष धारा अनंत (infinite) हो जाती है।
  • वास्तविक स्थिति में गैर-शून्य: वास्तविक दोषों में, दोष प्रतिबाधा कभी भी शून्य नहीं होती। इसमें दोष आर्क (fault arc), तार टूटने के कारण उत्पन्न हुए प्रतिरोध, या दोष बिंदु पर मौजूद किसी वस्तु के कारण उत्पन्न हुए प्रतिरोध शामिल होते हैं।
  • प्रभाव: दोष प्रतिबाधा का मान दोष धारा के परिमाण को सीधे प्रभावित करता है। दोष प्रतिबाधा जितनी अधिक होगी, उतनी ही कम दोष धारा प्रवाहित होगी।

​दोष प्रतिबाधा दोष विश्लेषण और सुरक्षात्मक रिले (protective relays) की सेटिंग के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। इसकी गणना यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती है कि दोष धारा वास्तविक प्रणाली स्थितियों को दर्शाती है और सुरक्षा उपकरण सही ढंग से काम करते हैं।



बोल्टेड फॉल्ट (Bolted Fault) और आर्किंग फॉल्ट (Arcing Fault) दोनों ही शॉर्ट सर्किट दोष हैं, लेकिन उनके बीच मुख्य अंतर दोष बिंदु पर मौजूद प्रतिरोध (resistance) और प्रतिबाधा (impedance) से संबंधित है।

बोल्टेड फॉल्ट (Bolted Fault)

​यह एक सैद्धांतिक दोष है जिसमें दोष बिंदु पर प्रतिबाधा शून्य मानी जाती है। इसका नाम "बोल्टेड" इसलिए रखा गया है क्योंकि यह स्थिति ऐसी होती है जैसे कि दो चालक एक बड़े बोल्ट के साथ कसकर जुड़े हुए हों, जिससे कोई प्रतिरोध न हो।

  • विशेषताएँ:
    • शून्य प्रतिबाधा: दोष बिंदु पर प्रतिबाधा लगभग शून्य होती है।
    • अधिकतम धारा: इस दोष में अधिकतम संभव शॉर्ट सर्किट धारा प्रवाहित होती है।
    • स्थायी प्रकृति: यह एक स्थायी दोष है जिसे बाहरी हस्तक्षेप के बिना ठीक नहीं किया जा सकता।
    • विश्लेषण में उपयोग: इसका उपयोग सिस्टम की शॉर्ट सर्किट क्षमता की गणना करने और उपकरणों की अधिकतम रेटिंग निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

आर्किंग फॉल्ट (Arcing Fault)

​आर्किंग फॉल्ट वह दोष है जिसमें दो चालकों के बीच हवा या किसी अन्य गैस में एक विद्युत चाप (arc) बनता है। यह दोष चाप के प्रतिरोध के कारण होता है।

  • विशेषताएँ:
    • गैर-शून्य प्रतिबाधा: चाप के कारण दोष बिंदु पर एक गैर-शून्य प्रतिबाधा होती है। यह प्रतिबाधा स्थिर नहीं होती बल्कि चाप की लंबाई और धारा के मान के साथ बदलती रहती है।
    • कम धारा: बोल्टेड फॉल्ट की तुलना में, आर्किंग फॉल्ट में धारा का मान कम होता है क्योंकि चाप प्रतिरोध धारा के प्रवाह को सीमित करता है।
    • क्षणिक या स्थायी: ये दोष क्षणिक (अपने आप बुझने वाले) या स्थायी हो सकते हैं।
    • उच्च खतरा: आर्किंग फॉल्ट बहुत खतरनाक होता है क्योंकि इससे अत्यधिक गर्मी और प्रकाश उत्पन्न होता है, जो आग और विस्फोट का कारण बन सकता है।



इंसुलेशन विफलता (Insulation Failure) के कारण मुख्य रूप से शॉर्ट सर्किट दोष (Short Circuit Fault) होते हैं। इंसुलेशन का उद्देश्य चालकों (conductors) को एक-दूसरे से या जमीन से अलग रखना है, और जब यह विफल हो जाता है, तो दोष होता है।

प्रमुख दोष प्रकार

  1. लाइन से लाइन दोष (Line-to-Line Fault): यदि दो चालकों के बीच का इंसुलेशन विफल हो जाता है, तो वे आपस में संपर्क में आ जाते हैं, जिससे यह दोष होता है।
  2. लाइन से ग्राउंड दोष (Line-to-Ground Fault): यदि एक चालक और जमीन के बीच का इंसुलेशन विफल हो जाता है, तो धारा जमीन में प्रवाहित होती है, जिससे यह दोष होता है।
  3. तीन-चरण दोष (Three-Phase Fault): हालांकि यह दुर्लभ है, यदि तीनों चालकों के बीच का इंसुलेशन एक ही समय पर विफल हो जाता है, तो यह गंभीर दोष होता है।

इंसुलेशन विफलता के कारण

​इंसुलेशन की विफलता के कई कारण होते हैं:

  • तापमान: अत्यधिक गर्मी इंसुलेशन सामग्री को समय के साथ नीचा दिखा सकती है, जिससे उसकी डाइइलेक्ट्रिक शक्ति (dielectric strength) कम हो जाती है।
  • यांत्रिक क्षति: निर्माण या रखरखाव के दौरान इंसुलेशन को भौतिक रूप से नुकसान पहुंचाना।
  • नमी और प्रदूषण: नमी और प्रदूषण, जैसे धूल या नमक, इंसुलेशन की सतह पर जमा होकर एक प्रवाहकीय पथ बना सकते हैं।
  • वोल्टेज तनाव: बिजली गिरने या स्विचिंग ऑपरेशन से उत्पन्न उच्च वोल्टेज अचानक इंसुलेशन को विफल कर सकता है।

संक्षेप में, 

इंसुलेशन विफलता एक शॉर्ट सर्किट दोष का सीधा कारण है, और यह प्रणाली में सबसे आम प्रकार के दोषों में से एक है।



बिजली गिरने (Lightning Strike) से मुख्य रूप से क्षणिक दोष (Transient Fault) उत्पन्न होता है।

दोष कैसे होता है

​जब बिजली किसी ट्रांसमिशन लाइन या उपकरण पर गिरती है, तो यह अत्यधिक उच्च वोल्टेज का एक क्षणिक सर्ज (surge) उत्पन्न करती है। यह वोल्टेज इतना अधिक होता है कि यह वायु और लाइन के इंसुलेशन की डाइइलेक्ट्रिक शक्ति (dielectric strength) को तोड़ देता है। इससे एक विद्युत चाप (electric arc) बनता है, जिससे एक क्षणिक शॉर्ट सर्किट दोष होता है।

क्षणिक प्रकृति

​बिजली गिरने से उत्पन्न दोष को क्षणिक दोष इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह केवल कुछ मिलीसेकंड तक ही रहता है। जैसे ही बिजली का डिस्चार्ज खत्म होता है, हवा का इंसुलेशन गुण वापस आ जाता है और दोष अपने आप ही ठीक हो जाता है।

आगे के प्रभाव

​यदि बिजली का प्रभाव बहुत तीव्र हो, तो यह इंसुलेशन को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिससे एक स्थायी दोष (Permanent Fault) हो सकता है। यह दोष तब तक बना रहेगा जब तक कि इसकी मरम्मत नहीं हो जाती।



अल्टरनेटर पर शॉर्ट सर्किट दोषों का गहरा प्रभाव पड़ता है, जो इसकी स्थिरता, प्रदर्शन और यहां तक कि इसके यांत्रिक और विद्युत घटकों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। दोष के दौरान, अल्टरनेटर बहुत अधिक धारा उत्पन्न करता है, जिससे कई समस्याएं होती हैं।

दोष धारा का बढ़ना

​जब अल्टरनेटर के टर्मिनल पर शॉर्ट सर्किट होता है, तो आउटपुट वोल्टेज शून्य के करीब हो जाता है। हालाँकि, अल्टरनेटर की आंतरिक विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (electromagnetic energy) के कारण, बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है। इस धारा को तीन चरणों में बांटा जाता है:

  1. उप-क्षणिक अवस्था (Subtransient State): यह दोष के तुरंत बाद (पहले 1-2 चक्र) की स्थिति है। इस दौरान अल्टरनेटर की प्रतिबाधा (impedance) सबसे कम होती है, जिससे अधिकतम दोष धारा प्रवाहित होती है।
  2. क्षणिक अवस्था (Transient State): यह अगले कुछ चक्रों (लगभग 10-15 चक्र) की स्थिति है। इस दौरान प्रतिबाधा बढ़ जाती है और दोष धारा धीरे-धीरे कम होने लगती है।
  3. स्थिर अवस्था (Steady State): यह दोष की अंतिम स्थिति है, जब प्रतिबाधा अपने स्थिर मान पर पहुंच जाती है और दोष धारा एक नए, स्थिर मान पर बनी रहती है।

प्रमुख प्रभाव

  • अत्यधिक ऊष्मा (Overheating): अत्यधिक दोष धारा अल्टरनेटर की वाइंडिंग को बहुत गर्म कर देती है, जिससे इसका इंसुलेशन पिघल सकता है और वाइंडिंग स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है।
  • यांत्रिक तनाव (Mechanical Stress): उच्च धारा के कारण वाइंडिंग में मजबूत विद्युत चुम्बकीय बल उत्पन्न होते हैं। ये बल वाइंडिंग को कंपन या विकृत कर सकते हैं, जिससे आंतरिक संरचना को नुकसान हो सकता है।
  • वोल्टेज में गिरावट (Voltage Drop): दोष अल्टरनेटर के टर्मिनल वोल्टेज को लगभग शून्य कर देता है, जिससे पूरी प्रणाली का वोल्टेज गिर जाता है और अन्य भार (loads) प्रभावित होते हैं।
  • स्थिरता में कमी (Loss of Stability): दोष के कारण अल्टरनेटर की विद्युत आउटपुट शक्ति अचानक कम हो जाती है, जबकि यांत्रिक इनपुट शक्ति वही रहती है। यह असंतुलन रोटर को तेज गति से घुमाता है, जिससे अल्टरनेटर अतुल्यकालिक (out-of-synchronism) हो सकता है और प्रणाली अस्थिर हो सकती है।

​इन प्रभावों को कम करने के लिए, सुरक्षात्मक रिले और सर्किट ब्रेकर का उपयोग किया जाता है जो अल्टरनेटर को गंभीर दोष से पहले ही प्रणाली से अलग कर देते हैं।



ट्रांसफार्मर पर खराबी का प्रभाव गंभीर हो सकता है और इसके विद्युत और यांत्रिक दोनों घटकों को नुकसान पहुंचा सकता है। ट्रांसफार्मर पर खराबी के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं:

विद्युत प्रभाव

  • अत्यधिक धारा प्रवाह: जब ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट होता है (उदाहरण के लिए, एक वाइंडिंग का दूसरे से शॉर्ट होना), तो अत्यधिक दोष धारा प्रवाहित होती है। यह धारा सामान्य ऑपरेटिंग धारा से कई गुना अधिक हो सकती है, जिससे ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है।
  • इंसुलेशन का नुकसान: अत्यधिक गर्मी ट्रांसफार्मर के इंसुलेशन (जैसे तेल और कागज) को खराब कर सकती है, जिससे इसकी डाइइलेक्ट्रिक शक्ति कम हो जाती है। यदि इंसुलेशन पूरी तरह से टूट जाता है, तो यह एक बड़ा और स्थायी दोष पैदा कर सकता है।
  • चुंबकीय फ्लक्स का असंतुलन: असंतुलित दोषों (जैसे LG दोष) के कारण ट्रांसफार्मर में शून्य-अनुक्रम चुंबकीय फ्लक्स (zero-sequence magnetic flux) उत्पन्न हो सकता है, जिससे कोर को नुकसान हो सकता है।

यांत्रिक प्रभाव

  • यांत्रिक तनाव: शॉर्ट सर्किट के दौरान वाइंडिंग में उच्च धारा प्रवाहित होने से शक्तिशाली विद्युत चुम्बकीय बल उत्पन्न होते हैं। ये बल वाइंडिंग को हिला सकते हैं, मोड़ सकते हैं या विरूपित (deform) कर सकते हैं। समय के साथ, यह तनाव वाइंडिंग के इन्सुलेशन और संरचना को कमजोर कर सकता है।
  • विस्फोट और आग: यदि दोष को तुरंत साफ नहीं किया जाता है, तो अत्यधिक गर्मी ट्रांसफार्मर के तेल को वाष्पित कर सकती है, जिससे आंतरिक दबाव बढ़ सकता है और अंततः ट्रांसफार्मर में विस्फोट या आग लग सकती है।

निष्कर्ष

​ट्रांसफार्मर में होने वाली खराबी के कारण उसे स्थायी क्षति हो सकती है और पूरी प्रणाली की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है। यही कारण है कि ट्रांसफार्मर की सुरक्षा के लिए डिफरेंशियल रिले और बुखोल्ज़ रिले जैसे विशेष सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो दोषों का पता लगाकर ट्रांसफार्मर को समय पर प्रणाली से अलग कर देते हैं।



ट्रांसमिशन लाइनों पर दोषों का प्रभाव गंभीर और दूरगामी होता है, क्योंकि ये लाइनें बिजली को उत्पादन केंद्रों से वितरण सबस्टेशनों तक ले जाती हैं।

प्रमुख प्रभाव

  • सेवा में रुकावट (Interruption of Service): ट्रांसमिशन लाइन में दोष होने पर, उसे तुरंत प्रणाली से अलग कर दिया जाता है। इससे लाइन के माध्यम से प्रवाहित होने वाली बिजली बाधित हो जाती है, जिससे आपूर्ति में रुकावट आ सकती है। यदि यह एक मुख्य ट्रांसमिशन लाइन है, तो इससे बड़े क्षेत्र में बिजली गुल (ब्लैकआउट) हो सकती है।
  • अत्यधिक धारा प्रवाह (Excessive Current Flow): दोष के दौरान, ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है। यह अत्यधिक धारा लाइन के कंडक्टरों को गर्म कर सकती है और उन्हें स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है।
  • प्रणाली की अस्थिरता (System Instability): ट्रांसमिशन लाइन में दोष के कारण वोल्टेज और पावर फ्लो में अचानक परिवर्तन होता है, जिससे जेनरेटरों के बीच संतुलन बिगड़ सकता है। यदि दोष को जल्दी से साफ नहीं किया जाता है, तो यह प्रणाली की स्थिरता को बिगाड़ सकता है, जिससे जेनरेटरों का तुल्यकालन (synchronization) टूट सकता है और व्यापक ब्लैकआउट हो सकता है।
  • उपकरणों को नुकसान (Damage to Equipment): दोष के दौरान उत्पन्न होने वाली उच्च धारा और वोल्टेज में परिवर्तन ट्रांसफार्मर, सर्किट ब्रेकर और अन्य उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • आग और सुरक्षा खतरा (Fire and Safety Hazard): टूटी हुई लाइनें या आर्किंग फॉल्ट आग का कारण बन सकते हैं और पास के लोगों और जानवरों के लिए जानलेवा हो सकते हैं।

​इन प्रभावों को कम करने के लिए, ट्रांसमिशन लाइनों को सुरक्षात्मक उपकरणों जैसे सर्किट ब्रेकर और रिले के साथ डिज़ाइन किया जाता है, जो दोषों का पता लगाकर लाइन को जल्दी से अलग कर देते हैं।



एलजी दोष (Single-Line-to-Ground Fault) का पता लगाने के लिए मुख्य रूप से ग्राउंड फॉल्ट रिले (Ground Fault Relays) का उपयोग किया जाता है।


ग्राउंड फॉल्ट रिले क्यों?

​ग्राउंड फॉल्ट रिले विशेष रूप से LG दोषों को पहचानने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं क्योंकि वे शून्य-अनुक्रम धारा (Zero-Sequence Current) की उपस्थिति को महसूस करते हैं।

  • शून्य-अनुक्रम धारा की उपस्थिति: LG दोषों में, दोष धारा न्यूट्रल पथ के माध्यम से जमीन में प्रवाहित होती है, जिससे शून्य-अनुक्रम धारा उत्पन्न होती है। सामान्य, संतुलित संचालन के दौरान, यह धारा शून्य होती है। इसलिए, जब रिले इस धारा को महसूस करता है, तो यह तुरंत समझ जाता है कि एक ग्राउंड फॉल्ट हुआ है।
  • उच्च संवेदनशीलता: ये रिले बहुत संवेदनशील होते हैं और कम परिमाण की ग्राउंड फॉल्ट धाराओं का भी पता लगा सकते हैं, जो अक्सर ओवरकरंट रिले के लिए बहुत कम होती हैं।
  • प्रणाली से अलगाव: जब रिले शून्य-अनुक्रम धारा का पता लगाता है, तो यह सर्किट ब्रेकर को एक ट्रिपिंग सिग्नल भेजता है, जिससे दोषपूर्ण हिस्से को तुरंत प्रणाली से अलग कर दिया जाता है, जिससे आगे का नुकसान रोका जा सकता है।

​LG दोषों के लिए ओवरकरंट रिले का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन वे कम संवेदनशील होते हैं और कम दोष धाराओं का पता लगाने में विफल हो सकते हैं, जिससे ग्राउंड फॉल्ट रिले को इस कार्य के लिए सबसे उपयुक्त बनाता है।



तीन चरण सममित दोष (Three-Phase Symmetrical Fault) का पता लगाने के लिए मुख्य रूप से ओवरकरंट रिले (Overcurrent Relays) और डिस्टेंस रिले (Distance Relays) का उपयोग किया जाता है।

ओवरकरंट रिले

​ओवरकरंट रिले सबसे आम और सरल रिले हैं जो दोष के दौरान प्रवाहित होने वाली अत्यधिक धारा को महसूस करते हैं। चूंकि तीन-चरण दोष सबसे अधिक धारा उत्पन्न करता है, ये रिले इस दोष का पता लगाने के लिए बहुत प्रभावी होते हैं। जब धारा एक निश्चित पूर्व-निर्धारित मान से अधिक हो जाती है, तो रिले सर्किट ब्रेकर को ट्रिपिंग सिग्नल भेजता है।

डिस्टेंस रिले

​डिस्टेंस रिले एक उन्नत प्रकार का रिले है जो दोष का पता लगाने के लिए वोल्टेज और धारा दोनों को मापता है और उनके अनुपात से दोष के स्थान (दूरी) की गणना करता है।

  • दोष का पता लगाना: जब तीन-चरण दोष होता है, तो दोष बिंदु पर वोल्टेज लगभग शून्य हो जाता है जबकि धारा बहुत बढ़ जाती है। इस अनुपात के कारण रिले तुरंत दोष का पता लगाता है।
  • चयनशील सुरक्षा: डिस्टेंस रिले ओवरकरंट रिले की तुलना में अधिक चयनात्मक (selective) होते हैं क्योंकि वे दोष के स्थान के आधार पर काम करते हैं, जिससे दोषपूर्ण हिस्से को तुरंत अलग किया जा सकता है।

निष्कर्ष

संक्षेप में, 

तीन-चरण दोष का पता लगाने के लिए ओवरकरंट रिले को प्राथमिक सुरक्षा के रूप में उपयोग किया जाता है, जबकि डिस्टेंस रिले को अधिक महत्वपूर्ण ट्रांसमिशन लाइनों में प्राथमिक या बैकअप सुरक्षा के रूप में उपयोग किया जाता है।



बिजली के दोष को जल्दी से ठीक न करने के कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं, जो सुरक्षा, उपकरणों और पूरी प्रणाली की स्थिरता को प्रभावित करते हैं।

प्रमुख नुकसान

  1. उपकरणों को स्थायी क्षति: दोष के दौरान अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है, जिससे वाइंडिंग, ट्रांसफार्मर कोर और अन्य उपकरणों में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है। यदि इस दोष को तुरंत ठीक नहीं किया जाता है, तो यह गर्मी इन्सुलेशन को पिघला सकती है और उपकरणों को स्थायी रूप से जला सकती है।
  2. आग का खतरा: अत्यधिक गर्मी और विद्युत चाप (electric arc) के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। यह आग उपकरणों को पूरी तरह से नष्ट कर सकती है और आसपास के क्षेत्र में भी फैल सकती है।
  3. वोल्टेज प्रोफ़ाइल में गिरावट: दोष प्रणाली में वोल्टेज को कम कर देता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह अन्य भार (loads) को प्रभावित कर सकती है, जिससे संवेदनशील उपकरण बंद हो सकते हैं या खराब हो सकते हैं।
  4. प्रणाली की अस्थिरता: दोष के कारण जेनरेटरों के बीच का संतुलन बिगड़ जाता है। यदि दोष को जल्दी से साफ नहीं किया जाता है, तो जेनरेटरों के बीच तुल्यकालन (synchronization) टूट सकता है, जिससे व्यापक ब्लैकआउट (blackout) हो सकता है।
  5. व्यक्तिगत सुरक्षा का खतरा: टूटा हुआ तार या दोषपूर्ण उपकरण जीवित (live) रह सकते हैं, जिससे लोगों या जानवरों के लिए बिजली का झटका लगने का खतरा पैदा हो सकता है।

संक्षेप में, 

दोष को जल्दी से ठीक करना न केवल उपकरणों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरी बिजली प्रणाली की स्थिरता और व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।



दोष निवारण के लिए सुरक्षात्मक रिले को समन्वित (coordinated) इसलिए किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दोष की स्थिति में, केवल निकटतम रिले और सर्किट ब्रेकर ही काम करें और दोषपूर्ण हिस्से को अलग करें।

समन्वय का उद्देश्य

  1. चयनात्मकता (Selectivity): समन्वय का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य चयनात्मकता है। इसका मतलब है कि दोष होने पर, केवल वही रिले और सर्किट ब्रेकर काम करें जो दोष के सबसे करीब हों। यह प्रणाली के स्वस्थ हिस्से को अनावश्यक रूप से बंद होने से रोकता है।
  2. विश्वसनीयता (Reliability): यदि प्राथमिक सुरक्षा (primary protection) विफल हो जाती है, तो बैकअप सुरक्षा (backup protection) के रूप में काम करने के लिए अगले रिले को थोड़ी देर बाद काम करने के लिए सेट किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रणाली में कोई भी दोष बिना निवारण के न रहे।
  3. स्थिरता बनाए रखना: सही समन्वय यह सुनिश्चित करता है कि दोष को जल्दी से साफ किया जाए, जिससे वोल्टेज में गिरावट और धारा में वृद्धि का प्रभाव सीमित हो और प्रणाली की स्थिरता बनी रहे।

यह कैसे काम करता है?

​रिले को एक विशेष समय-धारा विशेषता वक्र (time-current characteristic curve) के अनुसार सेट किया जाता है। जो रिले दोष के सबसे करीब होता है, उसे सबसे कम समय में ट्रिप करने के लिए सेट किया जाता है। उसके बाद के रिले को कुछ मिलीसेकंड के अंतराल पर सेट किया जाता है। इस समय अंतराल को समन्वय समय अंतराल (Coordination Time Interval) कहते हैं।

उदाहरण के लिए,

एक फीडर पर दोष होने पर, फीडर के सबसे करीब का रिले सबसे पहले काम करेगा। यदि वह रिले किसी कारणवश विफल हो जाता है, तो सबस्टेशन पर स्थित अगला रिले कुछ मिलीसेकंड बाद काम करके दोष को दूर करेगा।



भू-भ्रंश (Ground Fault) एक प्रकार का विद्युत दोष है जो तब होता है जब एक चालक (conductor) गलती से पृथ्वी (ground) या किसी ग्राउंडेड वस्तु के संपर्क में आता है। इस दोष के कारण विद्युत धारा अपने सामान्य मार्ग से भटककर जमीन में प्रवाहित होती है।

भू-भ्रंश के प्रकार

​भू-भ्रंश को उनकी प्रकृति के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. एकल लाइन से भू-भ्रंश (Single-Line-to-Ground Fault): यह सबसे आम प्रकार का भू-भ्रंश है। इसमें एक एकल फेज चालक सीधे जमीन के संपर्क में आता है।
  2. डबल लाइन से भू-भ्रंश (Double-Line-to-Ground Fault): इस प्रकार के दोष में दो फेज चालक आपस में शॉर्ट-सर्किट होकर जमीन के संपर्क में आते हैं।
  3. तीन-चरण से भू-भ्रंश (Three-Phase-to-Ground Fault): यह एक दुर्लभ दोष है जिसमें तीनों फेज चालक आपस में जुड़कर जमीन के संपर्क में आते हैं।
  4. आर्किंग भू-भ्रंश (Arcing Ground Fault): यह दोष तब होता है जब एक चालक और जमीन के बीच एक विद्युत चाप (arc) बनता है। यह दोष उच्च तापमान और आग का कारण बन सकता है।

महत्व

​भू-भ्रंश महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये बिजली के झटके और आग का कारण बन सकते हैं। इन दोषों से सुरक्षा के लिए, विद्युत प्रणालियों में अर्थिंग (earthing) और ग्राउंड फॉल्ट रिले जैसे सुरक्षात्मक उपकरण लगाए जाते हैं।



दोष विश्लेषण में धारा ट्रांसफार्मर (Current Transformer) का उपयोग कई महत्वपूर्ण कारणों से किया जाता है:

  1. उच्च धारा को कम करना (Stepping Down High Current): बिजली प्रणालियों में, दोष की स्थिति में धारा का मान हजारों एम्पीयर तक बढ़ सकता है। ये धाराएं सीधे मापने वाले उपकरणों (जैसे एमीटर) या सुरक्षात्मक रिले में नहीं जा सकती हैं। धारा ट्रांसफार्मर इस उच्च धारा को एक सुरक्षित और मापने योग्य स्तर (आमतौर पर 1A या 5A) तक कम कर देते हैं।
  2. सुरक्षा (Safety): धारा ट्रांसफार्मर का प्राथमिक कार्य उच्च वोल्टेज वाले मुख्य परिपथ को मापने और सुरक्षात्मक उपकरणों से अलग करना है। इससे ऑपरेटर और उपकरण दोनों सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि रिले और मीटर जैसे उपकरण निम्न-वोल्टेज और कम-धारा वातावरण में काम करते हैं।
  3. माप और सुरक्षात्मक उपकरणों को मानकीकृत करना (Standardizing Instruments): धारा ट्रांसफार्मर का उपयोग करके, सभी रिले और मीटर को मानक इनपुट धारा (1A या 5A) के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है, जिससे उनकी लागत कम होती है और उत्पादन आसान हो जाता है।

संक्षेप में, 

धारा ट्रांसफार्मर दोष विश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो उच्च और खतरनाक धाराओं को सुरक्षित और मापने योग्य स्तर तक कम करके सुरक्षा और मानकीकरण सुनिश्चित करता है।


फॉल्ट करंट लिमिटर (Fault Current Limiter), जिसे FCL भी कहा जाता है, एक विद्युत उपकरण है जिसे जानबूझकर एक सर्किट में डाला जाता है ताकि शॉर्ट सर्किट या दोष (fault) की स्थिति में दोष धारा (fault current) को तेजी से और स्वचालित रूप से सीमित किया जा सके।  इसका मुख्य उद्देश्य उच्च दोष धाराओं के कारण होने वाले नुकसान को कम करना है।

यह कैसे काम करता है

​FCLs दो मुख्य सिद्धांतों पर काम करते हैं:

  1. उच्च प्रतिबाधा (High Impedance): सामान्य संचालन के दौरान, FCL की प्रतिबाधा लगभग शून्य होती है। लेकिन जब एक दोष होता है, तो FCL की प्रतिबाधा बहुत तेजी से बढ़ जाती है। इस बढ़ी हुई प्रतिबाधा से दोष धारा सीमित हो जाती है।
  2. तेज प्रतिक्रिया: FCL को दोष का पता लगाने और प्रतिबाधा बढ़ाने में मिलीसेकंड लगते हैं। यह पारंपरिक सर्किट ब्रेकर की तुलना में बहुत तेज है।

प्रमुख प्रकार

  • सुपरकंडक्टिंग FCLs: ये उपकरण कम तापमान पर काम करते हैं और जब एक दोष होता है तो अपनी सुपरकंडक्टिंग स्थिति (शून्य प्रतिरोध) से एक प्रतिरोधी स्थिति में बदल जाते हैं।
  • सॉलिड-स्टेट FCLs: ये इलेक्ट्रॉनिक स्विचिंग उपकरणों का उपयोग करते हैं जो दोष का पता लगाने पर तुरंत प्रतिरोध बढ़ाते हैं।

​FCLs सर्किट ब्रेकर के साथ मिलकर काम करते हैं ताकि दोष को जल्दी से नियंत्रित किया जा सके और प्रणाली को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।



सर्किट ब्रेकर दोष संरक्षण में मुख्य रूप से दोष को तुरंत और स्वचालित रूप से अलग करके मदद करते हैं। ये उपकरण दोषपूर्ण हिस्से को प्रणाली से हटाकर गंभीर नुकसान और सुरक्षा खतरों को रोकते हैं।

सर्किट ब्रेकर कैसे काम करते हैं

  1. दोष का पता लगाना: सर्किट ब्रेकर सीधे दोष का पता नहीं लगाते हैं। वे एक सुरक्षात्मक रिले (protective relay) से सिग्नल प्राप्त करते हैं, जो दोष धारा (fault current) या अन्य असामान्य स्थिति (जैसे वोल्टेज ड्रॉप) को महसूस करता है।
  2. दोष का अलगाव (Isolation): जब रिले सर्किट ब्रेकर को एक ट्रिपिंग सिग्नल भेजता है, तो सर्किट ब्रेकर के आंतरिक संपर्क (internal contacts) खुल जाते हैं। यह दोषपूर्ण सर्किट को बाकी स्वस्थ प्रणाली से अलग कर देता है, जिससे धारा का प्रवाह रुक जाता है।
  3. आर्क बुझाना (Arc Quenching): जब सर्किट ब्रेकर के संपर्क खुलते हैं, तो उनके बीच एक विद्युत चाप (electric arc) बनता है। सर्किट ब्रेकर इस चाप को सुरक्षित रूप से बुझाने के लिए विभिन्न तकनीकों (जैसे तेल, गैस या वैक्यूम) का उपयोग करते हैं।

दोष संरक्षण में योगदान

  • सुरक्षात्मक: सर्किट ब्रेकर दोष धारा को सीमित करके आग, विस्फोट और उपकरणों को होने वाले नुकसान को रोकते हैं।
  • विश्वसनीयता: वे दोष को जल्दी से अलग करते हैं, जिससे पूरी प्रणाली की स्थिरता बनी रहती है और व्यापक ब्लैकआउट को रोका जा सकता है।
  • उपकरणों की सुरक्षा: दोष को तुरंत हटाने से जनरेटर, ट्रांसफार्मर और अन्य महंगे उपकरणों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है।

संक्षेप में, 

सर्किट ब्रेकर रिले द्वारा दिए गए संकेत पर काम करते हैं ताकि प्रणाली को दोष के हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सके।



खराबी (Fault) के दौरान बिजली प्रणाली की स्थिरता कई कारणों से कम हो जाती है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण शक्ति संतुलन का अचानक बिगड़ना (Sudden Imbalance of Power) है।

शक्ति संतुलन का बिगड़ना

  • उत्पादन बनाम भार: बिजली प्रणाली में, जनरेटर द्वारा उत्पादित यांत्रिक शक्ति (mechanical power) और विद्युत भार (electrical load) के बीच एक निरंतर संतुलन बनाए रखा जाता है। खराबी होने पर, आउटपुट वोल्टेज गिर जाता है और विद्युत शक्ति का प्रवाह अचानक बाधित हो जाता है।
  • रोटर की गति में वृद्धि: चूंकि जनरेटर को यांत्रिक शक्ति की आपूर्ति लगातार हो रही है, जबकि विद्युत शक्ति का आउटपुट अचानक कम हो जाता है, यह असंतुलन रोटर (rotor) को तेज करने का कारण बनता है।
  • तुल्यकालन का टूटना: प्रत्येक जनरेटर अपनी रोटर गति और कोण के संदर्भ में एक-दूसरे के साथ तुल्यकालन (synchronization) में काम करता है। जब एक जनरेटर की गति तेजी से बढ़ती है, तो यह अन्य जेनरेटरों के साथ अपना तुल्यकालन खो देता है, जिससे पूरी प्रणाली अस्थिर हो जाती है।

वोल्टेज और आवृत्ति में परिवर्तन

  • वोल्टेज में गिरावट: दोष के कारण प्रणाली में वोल्टेज स्तर गिर जाता है। यह वोल्टेज ड्रॉप प्रणाली में अन्य उपकरणों और भार को प्रभावित करता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।
  • आवृत्ति में अस्थिरता: रोटर की गति में परिवर्तन के कारण प्रणाली की आवृत्ति में भी अस्थिरता आती है। यदि दोष को जल्दी से साफ नहीं किया जाता है, तो यह आवृत्ति बहुत ज्यादा बदल सकती है, जिससे व्यापक ब्लैकआउट हो सकता है।

संक्षेप में, 

दोष के दौरान शक्ति संतुलन के बिगड़ने से जेनरेटरों की गति में असमानता आती है, जिससे वे तुल्यकालन से बाहर हो जाते हैं और पूरी प्रणाली की स्थिरता खतरे में पड़ जाती है। यही कारण है कि दोष को बहुत तेजी से और प्रभावी ढंग से दूर करना महत्वपूर्ण है।



खराबी (fault) के दौरान बिजली प्रणाली सुरक्षा इंजीनियरों की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि प्रणाली सुरक्षित और स्थिर रहे। उनकी जिम्मेदारी दोष के कारण होने वाले नुकसान को कम करना और सेवा की निरंतरता को बनाए रखना है।

प्रमुख भूमिकाएँ

  1. दोष का पता लगाना और विश्लेषण: सुरक्षा इंजीनियर दोष के होने पर उसका विश्लेषण करते हैं। वे दोष के प्रकार (जैसे LG, LL), उसके स्थान, और दोष धारा के परिमाण को निर्धारित करने के लिए डेटा का विश्लेषण करते हैं।
  2. सुरक्षात्मक उपकरण का संचालन: इंजीनियर रिले और सर्किट ब्रेकर जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों की सेटिंग्स को कॉन्फ़िगर करते हैं। खराबी होने पर, इन उपकरणों का कार्य दोषपूर्ण हिस्से को तुरंत और स्वचालित रूप से अलग करना है।
  3. समन्वय (Coordination): एक दोष के दौरान, कई रिले काम कर सकते हैं। इंजीनियर यह सुनिश्चित करने के लिए रिले को समन्वित करते हैं कि केवल निकटतम रिले ही पहले काम करे। यदि वह विफल हो जाता है, तो अगला रिले बैकअप के रूप में काम करता है।
  4. नुकसान को कम करना: उनका लक्ष्य दोष को जल्द से जल्द हटाना है ताकि उपकरणों को होने वाले नुकसान (जैसे ट्रांसफार्मर का जलना) और प्रणाली की अस्थिरता (जैसे जेनरेटर का तुल्यकालन खोना) को रोका जा सके।
  5. सेवा बहाल करना: दोष को साफ करने के बाद, इंजीनियर सुरक्षित रूप से बिजली सेवा बहाल करने के लिए काम करते हैं।

संक्षेप में, 

सुरक्षा इंजीनियर प्रणाली के निगरानी, नियंत्रण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं ताकि दोष के दौरान कम से कम नुकसान हो और बिजली की आपूर्ति जल्दी से बहाल हो सके।



शॉर्ट सर्किट और ओपन सर्किट दोषों के बीच मुख्य अंतर उनकी प्रतिबाधा (impedance) और धारा प्रवाह में होता है।

शॉर्ट सर्किट दोष (Short Circuit Fault)

​शॉर्ट सर्किट एक ऐसा दोष है जिसमें विद्युत परिपथ में एक कम-प्रतिरोध पथ (low-resistance path) बन जाता है। इससे धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है, जो सामान्य ऑपरेटिंग धारा से कई गुना ज्यादा होता है। यह अक्सर तारों के इंसुलेशन के खराब होने या चालकों के सीधे संपर्क में आने से होता है।

  • प्रतिबाधा: शून्य के करीब (लगभग 0 Ω)।
  • धारा: अत्यधिक और खतरनाक रूप से उच्च।
  • परिणाम: अत्यधिक गर्मी, आग, विस्फोट और उपकरणों को स्थायी क्षति।

ओपन सर्किट दोष (Open Circuit Fault)

​ओपन सर्किट दोष वह स्थिति है जब विद्युत पथ में कोई रुकावट या वियोजन होता है, जिससे इच्छित परिपथ में धारा का प्रवाह असंभव हो जाता है। यह दोष एक टूटे हुए तार, खराब स्विच, या डिस्कनेक्टेड कंपोनेंट के कारण हो सकता है।

  • प्रतिबाधा: अनंत (∞ Ω)।
  • धारा: शून्य (कोई धारा प्रवाहित नहीं होती)।
  • परिणाम: उपकरण काम करना बंद कर देते हैं, लेकिन शॉर्ट सर्किट की तरह तत्काल सुरक्षा खतरा (आग या विस्फोट) नहीं होता है।


क्षणिक और स्थायी लाइन दोषों में अंतर करने का सबसे मुख्य तरीका यह है कि दोष के बाद बिजली की आपूर्ति को फिर से बहाल करने का प्रयास किया जाए। यह जानने का एक प्रभावी तरीका है कि क्या दोष अभी भी मौजूद है या नहीं।

क्षणिक दोष (Transient Fault)

​क्षणिक दोष अस्थायी होते हैं और अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। इनका कारण आमतौर पर बाहरी या प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं, जैसे:

  • ​तेज हवाओं के कारण तारों का अस्थायी रूप से टकराना।
  • ​बिजली गिरना, जिससे एक क्षणिक चाप (arc) बनता है जो बिजली के खत्म होते ही बुझ जाता है।
  • ​पंछी या जानवर का तार पर अस्थायी रूप से छूना।

पहचानने का तरीका:

सुरक्षात्मक रिले और सर्किट ब्रेकर दोष का पता लगाते हैं और लाइन को अलग कर देते हैं। कुछ मिलीसेकंड के बाद, एक ऑटोमैटिक रीक्लोजर (automatic recloser) सर्किट को फिर से बंद करने की कोशिश करता है। यदि लाइन सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देती है, तो इसका मतलब है कि दोष क्षणिक था।

स्थायी दोष (Permanent Fault)

​स्थायी दोष वे होते हैं जो दोष के कारण को हटाए बिना ठीक नहीं होते। इन दोषों का कारण अक्सर स्थायी क्षति होती है, जैसे:

  • ​तार का टूटकर जमीन पर गिरना।
  • ​पेड़ की एक शाखा का लाइन पर स्थायी रूप से गिरना।
  • ​इंसुलेशन की पूरी तरह से विफलता।

पहचानने का तरीका:

जब एक स्थायी दोष होता है, तो रीक्लोजर सर्किट को फिर से बंद करने का प्रयास करेगा, लेकिन दोष अभी भी मौजूद होने के कारण सर्किट ब्रेकर तुरंत फिर से ट्रिप कर जाएगा। इस तरह की बार-बार ट्रिपिंग (आमतौर पर 2-3 बार के बाद) यह संकेत देती है कि दोष स्थायी है और इसकी मरम्मत की आवश्यकता है।


शॉर्ट सर्किट क्षमता की गणना के लिए सममित तीन चरण दोष (Symmetrical Three-Phase Fault) का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह सबसे गंभीर और सबसे अधिक दोष धारा उत्पन्न करता है। इस दोष का विश्लेषण करके, हम किसी प्रणाली में होने वाली अधिकतम संभावित दोष धारा का निर्धारण कर सकते हैं।

प्रमुख कारण

  1. सबसे अधिक धारा: एक तीन-चरण दोष में, तीनों चरण एक साथ शॉर्ट सर्किट हो जाते हैं, जिससे दोष बिंदु पर प्रतिबाधा (impedance) न्यूनतम हो जाती है। चूंकि धारा और प्रतिबाधा में व्युत्क्रमानुपाती संबंध होता है, यह स्थिति सबसे अधिक दोष धारा उत्पन्न करती है।
  2. सर्किट ब्रेकर रेटिंग: सर्किट ब्रेकर और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों को इस अधिकतम संभव धारा को बाधित करने और सहन करने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए। तीन-चरण दोष का उपयोग करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उपकरण प्रणाली को सबसे खराब स्थिति में भी सुरक्षित रूप से संभाल सकते हैं।
  3. विश्लेषण में सरलता: चूंकि यह एक सममित दोष है, इसका विश्लेषण करना बहुत सरल होता है। हम केवल एक चरण (single phase) का विश्लेषण करके पूरी तीन-चरण प्रणाली की गणना कर सकते हैं, जिससे गणनाएँ आसान और तेज हो जाती हैं।

संक्षेप में, 

तीन-चरण दोष को एक मानक (standard) माना जाता है, जो प्रणाली की सबसे खराब स्थिति को दर्शाता है। इसका उपयोग करके की गई गणनाएँ हमें एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्रणाली का डिज़ाइन करने की अनुमति देती हैं।



दोष विश्लेषण और भार प्रवाह विश्लेषण दोनों ही विद्युत प्रणाली विश्लेषण के महत्वपूर्ण भाग हैं, लेकिन उनका उद्देश्य और उपयोग पूरी तरह से अलग है।

  • दोष विश्लेषण (Fault Analysis) का उद्देश्य असामान्य और आपातकालीन परिस्थितियों (जैसे शॉर्ट सर्किट) में प्रणाली के व्यवहार का अध्ययन करना है।
  • भार प्रवाह विश्लेषण (Load Flow Analysis) का उद्देश्य सामान्य और स्थिर-अवस्था परिचालन (steady-state operation) स्थितियों में प्रणाली का अध्ययन करना है।

दोष विश्लेषण (Fault Analysis)

​दोष विश्लेषण को शॉर्ट सर्किट अध्ययन (short circuit studies) भी कहा जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य दोष (fault) की स्थिति में प्रवाहित होने वाली अधिकतम दोष धारा और वोल्टेज को निर्धारित करना है।

  • उद्देश्य: सुरक्षात्मक उपकरणों (जैसे सर्किट ब्रेकर और रिले) की रेटिंग और सेटिंग्स का निर्धारण करना। यह सुनिश्चित करना कि उपकरण दोष के दौरान उत्पन्न होने वाले उच्च यांत्रिक और थर्मल तनाव को सहन कर सकें।
  • परिणाम: दोष धारा का परिमाण, प्रणाली की प्रतिबाधा (impedance) और वोल्टेज में अचानक गिरावट।
  • स्थिति: प्रणाली की असामान्य और आपातकालीन स्थिति।

भार प्रवाह विश्लेषण (Load Flow Analysis)

​भार प्रवाह विश्लेषण को पावर फ्लो विश्लेषण (power flow analysis) भी कहा जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य सामान्य परिचालन के तहत प्रत्येक बस (bus) पर वोल्टेज के परिमाण और कोण के साथ-साथ ट्रांसमिशन लाइनों में प्रवाहित होने वाली वास्तविक और प्रतिक्रियाशील शक्ति (real and reactive power) को निर्धारित करना है।

  • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि वोल्टेज का स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर है, पावर लॉस (power loss) को कम करना और भविष्य के विस्तार के लिए योजना बनाना।
  • परिणाम: वोल्टेज प्रोफ़ाइल, लाइन में बिजली का प्रवाह और प्रणाली में कुल हानि।
  • स्थिति: प्रणाली की सामान्य और स्थिर-अवस्था स्थिति।


सममित घटक विश्लेषण (Symmetrical Component Analysis) का उपयोग मुख्य रूप से असममित दोषों (unsymmetrical faults) के विश्लेषण को सरल बनाने के लिए किया जाता है। जबकि तीन-चरण सममित दोषों का विश्लेषण सीधे तौर पर किया जा सकता है, अधिकांश वास्तविक दोष (जैसे एकल-चरण से भू दोष) असममित होते हैं।

​असममित दोषों की स्थिति में, तीनों चरणों (phases) में धारा और वोल्टेज का परिमाण असमान हो जाता है और उनके बीच का 120° का फेज अंतर भी समाप्त हो जाता है। इस तरह के असंतुलित परिपथ (unbalanced circuit) का सीधे तौर पर विश्लेषण करना बहुत जटिल हो जाता है।

​सममित घटक विश्लेषण इन जटिल असंतुलित धाराओं और वोल्टताओं को तीन सरल और स्वतंत्र संतुलित घटकों में विभाजित करता है:

  • धनात्मक अनुक्रम घटक (Positive Sequence Component): यह सामान्य तीन-चरण प्रणाली की तरह 120° के फेज अंतर और समान परिमाण के साथ होता है।
  • ऋणात्मक अनुक्रम घटक (Negative Sequence Component): यह धनात्मक अनुक्रम के विपरीत फेज अनुक्रम (phase sequence) वाला संतुलित सेट होता है।
  • शून्य अनुक्रम घटक (Zero Sequence Component): यह समान परिमाण और शून्य फेज अंतर वाले तीन समान फेजर (phasors) का सेट होता है।

इस विधि के प्रमुख लाभ हैं:

  1. विश्लेषण में सरलता: प्रत्येक घटक को एक स्वतंत्र संतुलित प्रणाली के रूप में माना जा सकता है। इससे हम एक जटिल तीन-चरण समस्या को तीन सरल एकल-चरण समस्याओं में तोड़कर हल कर सकते हैं।
  2. दोष की पहचान: यह प्रणाली के संतुलन में गड़बड़ी की पहचान करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, सामान्य परिचालन स्थितियों में शून्य अनुक्रम धारा बहुत कम होती है, इसलिए इसकी उपस्थिति जमीन दोष (ground fault) का एक विश्वसनीय संकेत होती है।
  3. सुरक्षात्मक रिले का डिज़ाइन: इस विश्लेषण से प्राप्त घटकों का उपयोग सुरक्षात्मक रिले के डिज़ाइन में किया जाता है, जो दोषों का पता लगाकर प्रणाली को सुरक्षित रूप से अलग करते हैं।

इस प्रकार, 

सममित घटक विश्लेषण एक शक्तिशाली उपकरण है जो इंजीनियरों को विद्युत प्रणाली में उत्पन्न होने वाले अधिकांश दोषों को सटीकता और सरलता से समझने और उनका विश्लेषण करने में मदद करता है।


दोष अध्ययन में अनुक्रम नेटवर्क (sequence networks) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि वे असममित दोषों (unsymmetrical faults) के विश्लेषण को सरल बनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।

अनुक्रम नेटवर्क क्या हैं?

​अनुक्रम नेटवर्क, विद्युत प्रणाली के घटकों (जैसे जनरेटर, ट्रांसफार्मर और ट्रांसमिशन लाइन) के प्रतिबाधा (impedance) का प्रतिनिधित्व करने वाले एकल-चरण समतुल्य परिपथ (single-phase equivalent circuits) होते हैं। इन्हें सममित घटक विश्लेषण के तीन अनुक्रमों—धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य—के लिए डिज़ाइन किया जाता है।

  • धनात्मक अनुक्रम नेटवर्क (Positive Sequence Network): यह सामान्य परिचालन (balanced condition) के तहत प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें जनरेटर, ट्रांसफार्मर और लाइनों की प्रतिबाधा शामिल होती है।
  • ऋणात्मक अनुक्रम नेटवर्क (Negative Sequence Network): यह असंतुलन के कारण होने वाली प्रतिबाधा को दर्शाता है। इसमें कोई ऊर्जा स्रोत नहीं होता है क्योंकि ऋणात्मक अनुक्रम घटक सामान्य रूप से जनरेटर में मौजूद नहीं होते हैं।
  • शून्य अनुक्रम नेटवर्क (Zero Sequence Network): यह भू-दोषों (ground faults) से जुड़ी प्रतिबाधा को दर्शाता है। इसकी कॉन्फ़िगरेशन ट्रांसफार्मर कनेक्शन (जैसे डेल्टा या स्टार) पर निर्भर करती है और इसमें अक्सर ट्रांसफार्मर और जनरेटर के न्यूट्रल ग्राउंडिंग प्रतिबाधा शामिल होती है।

महत्व

​अनुक्रम नेटवर्क का मुख्य महत्व यह है कि वे एक जटिल, असंतुलित तीन-चरण प्रणाली की समस्या को तीन सरल, स्वतंत्र एकल-चरण परिपथों में बदल देते हैं। इससे इंजीनियरों के लिए विभिन्न प्रकार के दोषों के तहत प्रणाली के व्यवहार का विश्लेषण करना संभव हो जाता है।

  1. विश्लेषण में सरलता: असममित दोषों (जैसे लाइन-टू-ग्राउंड, लाइन-टू-लाइन) का सीधे विश्लेषण करना बहुत मुश्किल होता है। अनुक्रम नेटवर्क का उपयोग करके, हम प्रत्येक प्रकार के दोष के लिए संबंधित नेटवर्क को जोड़ सकते हैं और गणितीय गणनाओं को सरल बना सकते हैं।
  2. दोष धारा की गणना: ये नेटवर्क दोष की स्थिति में प्रत्येक चरण में बहने वाली दोष धाराओं की गणना के लिए एक स्पष्ट और व्यवस्थित विधि प्रदान करते हैं। यह जानकारी सुरक्षात्मक उपकरणों (जैसे सर्किट ब्रेकर और रिले) की सही रेटिंग निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. सुरक्षात्मक रिले का डिज़ाइन: सुरक्षात्मक रिले अक्सर धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य अनुक्रम धाराओं में परिवर्तन को मापकर दोषों का पता लगाते हैं। अनुक्रम नेटवर्क इन रिले के डिज़ाइन और सेटिंग को सत्यापित करने में मदद करते हैं।
  4. दोष के प्रकार को समझना: अनुक्रम नेटवर्क यह समझने में मदद करते हैं कि विभिन्न प्रकार के दोष प्रणाली को कैसे प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, शून्य अनुक्रम नेटवर्क केवल तभी सक्रिय होता है जब भू-दोष (ground fault) होता है, जिससे यह भू-दोष का पता लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक बन जाता है।

संक्षेप में, 

अनुक्रम नेटवर्क एक वैचारिक और विश्लेषणात्मक ढाँचा प्रदान करते हैं जो विद्युत प्रणालियों में सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए दोष विश्लेषण का एक अनिवार्य हिस्सा है।





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