इलेक्ट्रिक मोटर, जिसे विद्युत मोटर भी कहते हैं, एक विद्युत उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है। ये मोटरें विभिन्न प्रकार की होती हैं, जिन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
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1. डीसी मोटर (DC Motor)
ये मोटरें डायरेक्ट करंट (DC) से चलती हैं। इनमें एक स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र होता है, जिसके अंदर एक घूमता हुआ आर्मेचर होता है। डीसी मोटरों को आगे कई उप-प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
* सीरीज़ मोटर (Series Motor):
इसका टॉर्क (torque) बहुत अधिक होता है, इसलिए इसका उपयोग वहाँ होता है जहाँ भारी लोड को शुरू करने की आवश्यकता होती है, जैसे कि क्रेन और ट्रैक्शन इंजन।
* शंट मोटर (Shunt Motor):
इसकी गति लगभग स्थिर होती है, इसलिए इसका उपयोग उन अनुप्रयोगों में होता है जहाँ स्थिर गति की आवश्यकता होती है, जैसे कि लेथ मशीनें, ग्राइंडर और प्रिंटिंग प्रेस।
* कंपाउंड मोटर (Compound Motor):
यह सीरीज़ और शंट मोटर दोनों के गुणों को मिलाकर बनती है।
* परमानेंट मैग्नेट डीसी मोटर (Permanent Magnet DC Motor):
इन मोटरों में फील्ड वाइंडिंग की जगह स्थायी चुंबक का उपयोग होता है। इनका उपयोग छोटे खिलौने, प्रिंटर और अन्य छोटे उपकरणों में होता है।
डीसी मोटर (DC Motor) मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं, जिनका वर्गीकरण आर्मेचर और फील्ड वाइंडिंग के कनेक्शन के आधार पर किया जाता है। ये हैं:
* डीसी सीरीज मोटर (DC Series Motor):
* इस मोटर में,
फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर वाइंडिंग के साथ सीरीज में जोड़ा जाता है।
* इसकी फील्ड वाइंडिंग मोटे तार और कम टर्न की होती है।
* इसका टॉर्क (torque) बहुत अधिक होता है, खासकर स्टार्टिंग में।
* यह बिना लोड के बहुत तेज गति से चलती है, इसलिए इसे कभी भी बिना लोड के नहीं चलाना चाहिए।
* उपयोग:
क्रेन (Cranes), ट्रैक्शन सिस्टम (Traction Systems), इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव आदि में, जहाँ अधिक स्टार्टिंग टॉर्क की आवश्यकता होती है।
* डीसी शंट मोटर (DC Shunt Motor):
* इस मोटर में,
फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर वाइंडिंग के साथ पैरेलल (parallel) में जोड़ा जाता है।
* इसकी फील्ड वाइंडिंग पतले तार और अधिक टर्न की होती है।
* यह लगभग स्थिर गति से चलती है, भले ही लोड बदल जाए।
* उपयोग:
लेथ मशीन (Lathe Machines), सेंट्रीफ्यूगल पंप (Centrifugal Pumps), ब्लोअर, पंखे, ड्रिलिंग मशीन आदि में, जहाँ स्थिर गति की आवश्यकता होती है।
* डीसी कंपाउंड मोटर (DC Compound Motor):
* इस मोटर में,
फील्ड वाइंडिंग को सीरीज और शंट दोनों तरीकों से आर्मेचर से जोड़ा जाता है।
* यह सीरीज और शंट दोनों मोटरों की विशेषताओं को मिलाकर काम करती है।
* यह दो प्रकार की होती है:
* कम्युलेटिव कंपाउंड मोटर (Cumulative Compound Motor):
इसमें सीरीज और शंट फील्ड वाइंडिंग द्वारा उत्पन्न फ्लक्स (flux) एक ही दिशा में होते हैं, जिससे टॉर्क बढ़ता है। इसका उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ अचानक लोड बढ़ता है, जैसे रोलिंग मिल, प्रेस और कतरनी मशीनें।
* डिफरेंशियल कंपाउंड मोटर (Differential Compound Motor):
इसमें सीरीज और शंट फील्ड वाइंडिंग का फ्लक्स एक-दूसरे के विपरीत होता है, जिससे टॉर्क घट जाता है। इसका उपयोग बहुत कम होता है, मुख्य रूप से कुछ विशेष शोध कार्यों में।
इनके अलावा, एक और प्रकार की डीसी मोटर होती है:
* स्थायी चुंबक डीसी मोटर (Permanent Magnet DC Motor):
* इस मोटर में,
फील्ड वाइंडिंग की जगह एक स्थायी चुंबक का उपयोग किया जाता है।
* यह आकार में छोटी और कम रखरखाव वाली होती है।
* उपयोग:
खिलौने, ऑटोमोबाइल (जैसे वाइपर और ब्लोअर), कंप्यूटर ड्राइव और अन्य छोटे उपकरणों में।
डीसी सीरीज मोटर (DC Series Motor) का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ बहुत अधिक शुरुआती टॉर्क (starting torque) की आवश्यकता होती है और जहाँ लोड मोटर से पहले से जुड़ा होता है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं और उपयोग इस प्रकार हैं:
मुख्य उपयोग:
* इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन सिस्टम (Electric Traction Systems):
* रेलवे लोकोमोटिव (railway locomotives)
* ट्राम
* ट्रॉली बस
* इलेक्ट्रिक कार और वाहनों में
* इन सभी अनुप्रयोगों में,
मोटर को भारी लोड को गति देनी होती है, जिसके लिए बहुत अधिक स्टार्टिंग टॉर्क की जरूरत होती है।
* क्रेन और होइस्ट (Cranes and Hoists):
* भारी वस्तुओं को उठाने और स्थानांतरित करने के लिए क्रेन और होइस्ट में इनका उपयोग होता है।
* लोड उठाने की शुरुआत में बहुत ज्यादा बल की जरूरत होती है, जो डीसी सीरीज मोटर द्वारा आसानी से प्रदान किया जाता है।
* कन्वेयर बेल्ट (Conveyor Belts):
* कारखानों और खदानों में सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाले कन्वेयर बेल्ट को शुरू करने के लिए भी अधिक टॉर्क की आवश्यकता होती है।
* एयर कंप्रेसर और वैक्यूम क्लीनर (Air Compressors and Vacuum Cleaners):
* इन उपकरणों में भी उच्च शुरुआती टॉर्क और गति भिन्नता की आवश्यकता होती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि:
* डीसी सीरीज मोटर को कभी भी बिना लोड के नहीं चलाना चाहिए।
* बिना लोड के चलने पर, इसकी गति बहुत अधिक बढ़ जाती है, जिससे मोटर को नुकसान हो सकता है।
* इसलिए, इसे हमेशा ऐसे अनुप्रयोगों में इस्तेमाल किया जाता है, जहाँ लोड हमेशा मोटर से जुड़ा रहता है।
डीसी सीरीज मोटर (DC Series Motor) के मुख्य भाग वही होते हैं जो किसी भी सामान्य डीसी मोटर में होते हैं। इन भागों को दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
स्टेटर (स्थिर भाग) और रोटर (घूमने वाला भाग)।
1. स्टेटर (Stator)
यह मोटर का स्थिर भाग होता है जो घूमता नहीं है। इसके मुख्य घटक हैं:
* योके (Yoke) या फ्रेम:
यह मोटर का बाहरी आवरण होता है जो कास्ट आयरन या स्टील का बना होता है। इसका काम पूरे मोटर को यांत्रिक सहारा देना और चुंबकीय फ्लक्स के लिए पथ प्रदान करना है।
* फील्ड पोल (Field Poles):
ये योग के अंदर लगे होते हैं। ये इलेक्ट्रोमैग्नेट (electromagnet) की तरह काम करते हैं और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
* फील्ड वाइंडिंग (Field Winding):
यह कॉपर के तार की एक कुंडली (coil) होती है जो फील्ड पोल पर लपेटी जाती है। डीसी सीरीज मोटर में, यह वाइंडिंग आर्मेचर वाइंडिंग के साथ सीरीज में जुड़ी होती है। इसकी खासियत यह है कि यह मोटे तार और कम टर्न की होती है ताकि यह ज्यादा करंट को आसानी से झेल सके।
2. रोटर (Rotor)
यह मोटर का घूमने वाला भाग होता है, जिसे आर्मेचर (Armature) भी कहते हैं। इसके मुख्य घटक हैं:
* आर्मेचर कोर (Armature Core):
यह सिलिकॉन स्टील की पतली पट्टियों (laminations) को जोड़कर बना एक बेलनाकार भाग होता है। इसके ऊपर खांचे (slots) कटे होते हैं जिनमें आर्मेचर वाइंडिंग रखी जाती है।
* आर्मेचर वाइंडिंग (Armature Winding):
यह भी कॉपर के तार की कुंडली होती है जो आर्मेचर कोर के खांचों में रखी जाती है। जब इसमें करंट प्रवाहित होता है, तो यह चुंबकीय क्षेत्र के साथ प्रतिक्रिया करके टॉर्क उत्पन्न करती है, जिससे रोटर घूमता है।
* कम्यूटेटर (Commutator):
यह हार्ड-ड्रोन कॉपर सेगमेंट से बना एक रिंग होता है जो आर्मेचर वाइंडिंग के साथ जुड़ा होता है। इसका मुख्य काम आर्मेचर वाइंडिंग में करंट की दिशा को पलटना (reverse) है, ताकि रोटर लगातार एक ही दिशा में घूमता रहे।
* ब्रश (Brushes):
ये कार्बन या ग्रेफाइट के ब्लॉक होते हैं जो कम्यूटेटर पर टिके रहते हैं। इनका काम बाहरी डीसी सप्लाई से करंट को कम्यूटेटर और फिर आर्मेचर वाइंडिंग तक पहुंचाना है।
* शाफ्ट (Shaft): यह एक मजबूत धुरी (axle) होती है जिस पर रोटर लगा होता है। मोटर का यांत्रिक आउटपुट इसी शाफ्ट के माध्यम से बाहर आता है।
डीसी शंट मोटर (DC Shunt Motor) का मुख्य गुण यह है कि यह लगभग स्थिर गति से चलती है, भले ही उस पर लोड बदल जाए। इसी विशेषता के कारण, इसका उपयोग उन सभी जगहों पर किया जाता है जहाँ एक स्थिर और नियंत्रित गति की आवश्यकता होती है।
इसके प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
* मशीनी उपकरण (Machine Tools):
* लेथ मशीन (Lathe machines)
* मिलिंग मशीन (Milling machines)
* ड्रिलिंग मशीन (Drilling machines)
* ग्राइंडर (Grinders)
* ये सभी मशीनें किसी भी काम को करने के लिए एक स्थिर गति पर चलती हैं, जिससे काम में सटीकता आती है।
* सेंट्रीफ्यूगल पंप (Centrifugal Pumps) और ब्लोअर (Blowers):
* पानी या अन्य तरल पदार्थों को पंप करने वाले उपकरणों में।
* हवा को ब्लो करने वाले पंखों (fans) और ब्लोअर में।
* इनमें भी गति का स्थिर रहना बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि एक समान प्रवाह बना रहे।
* टेक्सटाइल उद्योग (Textile Industry):
* बुनाई मशीन (Weaving machines)
* कताई मशीन (Spinning machines)
* इनमें धागे की एक समान गति बनाए रखने के लिए डीसी शंट मोटर का उपयोग होता है।
* कागज उद्योग (Paper Mills):
* कागज बनाने की मशीनों में जहाँ कागज को एक समान गति से रोल करना होता है।
* अन्य अनुप्रयोग:
* कन्वेयर बेल्ट (Conveyor belts)
* कपड़े धोने की मशीन (Laundry washing machines)
* छोटे प्रिंटिंग प्रेस (Small printing presses)
* लकड़ी का काम करने वाली मशीनें (Woodworking machines)
संक्षेप में,
जहाँ भी एक समान गति की आवश्यकता होती है, चाहे लोड कम हो या ज्यादा, वहाँ डीसी शंट मोटर एक आदर्श विकल्प होता है। इसकी स्टार्टिंग टॉर्क (starting torque) डीसी सीरीज मोटर की तुलना में कम होती है, इसलिए इसे उन अनुप्रयोगों में इस्तेमाल नहीं किया जाता जहाँ बहुत भारी लोड को शुरू करना हो।
डीसी शंट मोटर के भाग भी सामान्य डीसी मोटर जैसे ही होते हैं, लेकिन फील्ड वाइंडिंग के कनेक्शन में मुख्य अंतर होता है। इसके मुख्य भागों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
स्थिर भाग (Stator) और घूमने वाला भाग (Rotor)।
1. स्थिर भाग (Stator)
यह मोटर का बाहरी और स्थिर हिस्सा होता है। इसके मुख्य घटक इस प्रकार हैं:
* योके (Yoke):
यह मोटर का बाहरी फ्रेम होता है, जो कास्ट आयरन या स्टील का बना होता है। इसका काम मोटर के सभी आंतरिक भागों को सुरक्षित रखना और चुंबकीय फ्लक्स के लिए एक पथ प्रदान करना है।
* फील्ड पोल (Field Poles):
ये योके के अंदर लगे होते हैं और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
* शंट फील्ड वाइंडिंग (Shunt Field Winding):
यह डीसी शंट मोटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। यह पतले तार की होती है और इसमें टर्न की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इसे आर्मेचर वाइंडिंग के साथ पैरेलल (parallel) में जोड़ा जाता है। इसका उच्च प्रतिरोध होता है, जिससे इसमें कम करंट बहता है, लेकिन यह एक मजबूत और स्थिर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
2. घूमने वाला भाग (Rotor)
यह मोटर का आंतरिक और घूमने वाला हिस्सा होता है, जिसे आर्मेचर (Armature) भी कहते हैं। इसके मुख्य घटक हैं:
* आर्मेचर कोर (Armature Core):
यह सिलिकॉन स्टील की पतली पट्टियों से बना एक बेलनाकार भाग होता है, जिसके ऊपर खांचे (slots) कटे होते हैं। यह चुंबकीय फ्लक्स को आसानी से गुजरने देता है और भंवर धाराओं (eddy currents) को कम करता है।
* आर्मेचर वाइंडिंग (Armature Winding):
यह कॉपर के तार की बनी कुंडली होती है जो आर्मेचर कोर के खांचों में रखी जाती है। जब इसमें करंट प्रवाहित होता है, तो यह चुंबकीय क्षेत्र के साथ मिलकर मोटर को घुमाती है।
* कम्यूटेटर (Commutator):
यह एक स्प्लिट रिंग होता है जो तांबे के खंडों (copper segments) से बना होता है। इसका काम आर्मेचर वाइंडिंग में करंट की दिशा को बदलना है ताकि मोटर लगातार एक ही दिशा में घूम सके।
* ब्रश (Brushes):
ये कार्बन या ग्रेफाइट के बने होते हैं और कम्यूटेटर पर टिके रहते हैं। ये बाहरी डीसी सप्लाई से करंट को कम्यूटेटर और फिर आर्मेचर वाइंडिंग तक पहुंचाते हैं।
* शाफ्ट (Shaft):
यह एक मजबूत धुरी होती है जिस पर रोटर और कम्यूटेटर लगे होते हैं। मोटर का यांत्रिक आउटपुट इसी शाफ्ट से प्राप्त होता है।
संक्षेप में,
डीसी शंट मोटर के भाग डीसी सीरीज मोटर जैसे ही होते हैं, लेकिन इनकी पहचान इनके शंट फील्ड वाइंडिंग से होती है, जो पतले तार और ज्यादा टर्न वाली होती है और आर्मेचर के समानांतर (parallel) में जुड़ी होती है।
डीसी कंपाउंड मोटर (DC Compound Motor) में सीरीज और शंट मोटर दोनों के गुण होते हैं, इसलिए इसका उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ उच्च स्टार्टिंग टॉर्क के साथ-साथ एक स्थिर गति की भी आवश्यकता होती है। इसके उपयोग को दो मुख्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है, जो इसकी वाइंडिंग के कनेक्शन पर निर्भर करता है।
1. क्यूम्युलेटिव कंपाउंड मोटर (Cumulative Compound Motor)
इस मोटर में,
सीरीज और शंट वाइंडिंग द्वारा उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स (magnetic flux) एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। इससे अधिक स्टार्टिंग टॉर्क मिलता है और लोड बढ़ने पर गति में ज्यादा गिरावट नहीं आती है। यह सबसे सामान्य प्रकार की कंपाउंड मोटर है।
इसके उपयोग:
* रोलिंग मिल (Rolling Mills):
इन मिलों में अचानक बहुत अधिक लोड आता है, जिसे संभालने के लिए उच्च टॉर्क की आवश्यकता होती है।
* कंप्रेसर (Compressors):
कंप्रेसर को चालू करने के लिए बहुत ताकत की जरूरत होती है।
* एलिवेटर और लिफ्ट (Elevators and Lifts):
लिफ्ट को भारी लोड के साथ शुरू करने के लिए अधिक टॉर्क चाहिए होता है।
* पंचिंग मशीन और शीयर (Punching Machines and Shears):
इन मशीनों में भी अचानक लोड बढ़ता है, जहाँ क्यूम्युलेटिव कंपाउंड मोटर प्रभावी होती है।
* कन्वेयर बेल्ट (Conveyor Belts):
भारी सामान ले जाने वाले कन्वेयर को शुरू करने के लिए।
2. डिफरेंशियल कंपाउंड मोटर (Differential Compound Motor)
इस मोटर में,
सीरीज और शंट वाइंडिंग का फ्लक्स एक-दूसरे के विपरीत काम करता है। जैसे-जैसे लोड बढ़ता है, इसका फ्लक्स कम होता जाता है और गति खतरनाक रूप से बढ़ सकती है। इसी कारण, इस मोटर का उपयोग बहुत कम होता है।
इसके उपयोग:
* इसका कोई विशेष औद्योगिक या सामान्य अनुप्रयोग नहीं है।
* मुख्य रूप से इसका उपयोग रिसर्च या प्रयोगशालाओं में ही किया जाता है, जहाँ इसकी विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
संक्षेप में,
डीसी कंपाउंड मोटर का इस्तेमाल उन सभी जगहों पर किया जाता है जहाँ एक मोटर में डीसी सीरीज मोटर का हाई स्टार्टिंग टॉर्क और डीसी शंट मोटर की लगभग स्थिर गति दोनों चाहिए होती हैं। इनमें से क्यूम्युलेटिव कंपाउंड मोटर सबसे ज्यादा उपयोगी है।
डीसी कंपाउंड मोटर में भी अन्य डीसी मोटरों की तरह ही मुख्य भाग होते हैं, लेकिन इसकी पहचान इसकी फील्ड वाइंडिंग की संरचना से होती है। इसमें सीरीज और शंट दोनों तरह की फील्ड वाइंडिंग होती हैं।
1. स्थिर भाग (Stator)
* योके (Yoke):
यह मोटर का बाहरी आवरण होता है जो इसे यांत्रिक सुरक्षा देता है।
* फील्ड पोल्स (Field Poles):
ये योके के अंदर लगे होते हैं और चुंबकीय क्षेत्र बनाने में मदद करते हैं।
* फील्ड वाइंडिंग (Field Winding):
यह सबसे खास हिस्सा है। डीसी कंपाउंड मोटर में दो तरह की वाइंडिंग होती हैं:
* सीरीज फील्ड वाइंडिंग:
यह मोटे तार और कम टर्न की होती है और आर्मेचर के साथ सीरीज (series) में जुड़ी होती है। यह मोटर को उच्च शुरुआती टॉर्क देती है।
* शंट फील्ड वाइंडिंग:
यह पतले तार और ज्यादा टर्न की होती है और आर्मेचर के साथ पैरेलल (parallel) में जुड़ी होती है। यह मोटर की गति को स्थिर बनाए रखती है।
2. घूमने वाला भाग (Rotor)
* आर्मेचर कोर (Armature Core):
यह सिलिकॉन स्टील की पट्टियों से बना बेलनाकार भाग होता है, जिसमें वाइंडिंग रखी जाती है।
* आर्मेचर वाइंडिंग (Armature Winding):
यह कॉपर के तार की कुंडली होती है जो आर्मेचर कोर में फिट होती है और मोटर को घुमाने के लिए टॉर्क उत्पन्न करती है।
* कम्यूटेटर (Commutator):
यह तांबे के खंडों से बना होता है और आर्मेचर वाइंडिंग में करंट की दिशा को बदलकर मोटर को लगातार एक ही दिशा में घुमाने में मदद करता है।
* ब्रश (Brushes):
ये कार्बन या ग्रेफाइट के ब्लॉक होते हैं जो कम्यूटेटर पर लगे रहते हैं और बाहरी विद्युत सप्लाई को कम्यूटेटर तक पहुँचाते हैं।
* शाफ्ट (Shaft):
यह वह धुरी है जिस पर रोटर लगा होता है और मोटर के घूमने पर यांत्रिक शक्ति बाहर पहुँचाती है।
संक्षेप में,
डीसी कंपाउंड मोटर के सभी भाग डीसी सीरीज और डीसी शंट मोटर जैसे ही होते हैं, लेकिन इसकी संरचना में दोनों प्रकार की फील्ड वाइंडिंग एक साथ होती हैं।
स्थायी चुंबक डीसी मोटर (PMDC Motor) का उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ छोटे आकार, उच्च दक्षता (efficiency) और कम लागत की आवश्यकता होती है। इन मोटरों में फील्ड वाइंडिंग के बजाय स्थायी चुंबक का इस्तेमाल होता है, जिससे इनका आकार छोटा और वजन हल्का हो जाता है।
इनके कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
1. ऑटोमोबाइल उद्योग (Automotive Industry):
* वाइपर और वॉशर:
विंडशील्ड वाइपर को चलाने के लिए।
* पावर विंडो:
कार की खिड़कियों को ऊपर-नीचे करने के लिए।
* हीटर और एसी ब्लोअर:
कार के हीटिंग और एयर कंडीशनिंग सिस्टम में हवा फेंकने के लिए।
* इलेक्ट्रिक फ्यूल पंप:
ईंधन को इंजन तक पहुँचाने के लिए।
* सीट एडजस्टमेंट:
सीटों की स्थिति को समायोजित करने के लिए।
2. घरेलू उपकरण (Household Appliances):
* खिलौने:
रिमोट कंट्रोल कार और अन्य इलेक्ट्रिक खिलौनों में।
* पोर्टेबल वैक्यूम क्लीनर:
हल्के और छोटे वैक्यूम क्लीनर में।
* इलेक्ट्रिक टूथब्रश:
इन मोटरों का छोटा आकार और कम बिजली खपत इन्हें टूथब्रश के लिए उपयुक्त बनाती है।
* फूड मिक्सर और ब्लेंडर:
छोटे मिक्सर और ब्लेंडर में।
* ड्रिल मशीन:
पोर्टेबल और कॉर्डलेस ड्रिल मशीनों में।
3. कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स:
* कंप्यूटर ड्राइव:
हार्ड ड्राइव और सीडी/डीवीडी ड्राइव में।
* कैमरा फोकस:
डिजिटल कैमरों में ऑटो-फोकस मैकेनिज्म में।
4. चिकित्सा उपकरण (Medical Devices):
* सर्जिकल उपकरण:
सर्जिकल उपकरणों में सटीक और नियंत्रित गति के लिए।
* व्हीलचेयर:
इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर को चलाने के लिए।
5. अन्य उपयोग:
* ड्रोन और UAVs:
छोटे ड्रोन में प्रोपेलर को घुमाने के लिए।
* रोबोटिक्स:
छोटे रोबोटिक्स अनुप्रयोगों में।
संक्षेप में,
PMDC मोटर अपनी उच्च दक्षता और कॉम्पैक्ट डिज़ाइन के कारण उन सभी जगहों पर लोकप्रिय हैं जहाँ कम बिजली की खपत के साथ-साथ एक छोटे आकार के मोटर की जरूरत होती है।
स्थायी चुंबक डीसी मोटर (PMDC Motor) में कुछ खास भाग होते हैं जो इसे पारंपरिक डीसी मोटरों से अलग करते हैं। इसमें फील्ड वाइंडिंग के बजाय स्थायी चुंबक का उपयोग किया जाता है।
इसके मुख्य भाग इस प्रकार हैं:
1. स्थिर भाग (Stator)
* योके (Yoke):
यह मोटर का बाहरी फ्रेम होता है। यह अक्सर स्टील या एल्यूमीनियम से बना होता है और इसका काम आंतरिक भागों को सुरक्षित रखना होता है।
* स्थायी चुंबक (Permanent Magnets):
यह पीएमडीसी मोटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसमें फील्ड वाइंडिंग नहीं होती, बल्कि शक्तिशाली स्थायी चुंबक (जैसे फेराइट या नियोडिमियम मैग्नेट) लगे होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र बनाते हैं। यही चुंबकीय क्षेत्र मोटर के घूमने के लिए जरूरी बल पैदा करता है।
2. घूमने वाला भाग (Rotor)
* आर्मेचर कोर (Armature Core):
यह सिलिकॉन स्टील की पतली पट्टियों (laminations) से बना एक बेलनाकार कोर होता है। इसमें खांचे (slots) कटे होते हैं जिनमें आर्मेचर वाइंडिंग फिट होती है।
* आर्मेचर वाइंडिंग (Armature Winding):
यह कॉपर के तार की एक कुंडली होती है जो आर्मेचर कोर के खांचों में रखी जाती है। जब इसमें बिजली का प्रवाह होता है, तो यह स्थायी चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के साथ प्रतिक्रिया करके मोटर को घुमाने के लिए टॉर्क उत्पन्न करती है।
* कम्यूटेटर (Commutator):
यह तांबे के खंडों से बनी एक रिंग होती है जो आर्मेचर वाइंडिंग से जुड़ी होती है। इसका काम वाइंडिंग में करंट की दिशा को बार-बार बदलना है, जिससे मोटर लगातार एक ही दिशा में घूमती रहती है।
* ब्रश (Brushes):
ये आमतौर पर कार्बन के बने होते हैं और कम्यूटेटर पर टिके रहते हैं। ये बाहरी बिजली की सप्लाई को कम्यूटेटर के जरिए आर्मेचर वाइंडिंग तक पहुंचाते हैं।
* शाफ्ट (Shaft):
यह वह धुरी है जिस पर रोटर और कम्यूटेटर लगे होते हैं। मोटर का घूमने वाला आउटपुट इसी शाफ्ट के जरिए मिलता है।
संक्षेप में,
पीएमडीसी मोटर की संरचना काफी सरल होती है क्योंकि इसमें अलग से फील्ड वाइंडिंग और उसकी सप्लाई की जरूरत नहीं होती। इसी वजह से यह आकार में छोटी, हल्की और कम खर्चीली होती है।
separately excited DC motor का उपयोग कई तरह के औद्योगिक और व्यावसायिक अनुप्रयोगों में होता है, जहाँ गति पर सटीक नियंत्रण की आवश्यकता होती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी आर्मेचर और फील्ड वाइंडिंग को अलग-अलग पावर सप्लाई से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे गति और टॉर्क को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित करना संभव हो जाता है।
इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
* ट्रेन और ऑटोमोटिव ट्रैक्शन एप्लिकेशन (Trains and Automotive Traction Applications):
इन मोटर्स का उपयोग ट्रेनों और इलेक्ट्रिक वाहनों में एक्चुएटर के रूप में किया जाता है, जहाँ गति और टॉर्क को आसानी से नियंत्रित करना महत्वपूर्ण होता है।
* रोलिंग मिल्स (Rolling Mills):
स्टील और धातु उद्योगों में रोलिंग मिल्स में, जहाँ भारी भार के साथ गति को नियंत्रित करना होता है, वहाँ इनका इस्तेमाल किया जाता है।
* पेपर मिल्स (Paper Mills):
कागज बनाने की मशीनों में, जहाँ गति को बहुत सटीक रूप से नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है, ये मोटर्स बहुत उपयोगी होते हैं।
* क्रैन और लिफ्ट (Cranes and Lifts):
क्रैन और लिफ्ट जैसे उपकरणों में, जहाँ भारी वस्तुओं को उठाने और उतारने के लिए उच्च शुरुआती टॉर्क और नियंत्रित गति की आवश्यकता होती है, इनका उपयोग किया जाता है।
* टेस्ट स्टैंड्स (Test Stands):
प्रयोगशालाओं और परीक्षण केंद्रों में, जहाँ विभिन्न उपकरणों की कार्यक्षमता का परीक्षण करने के लिए गति को नियंत्रित करना होता है, ये मोटर्स बहुत प्रभावी होते हैं।
* शिप प्रोपल्सन (Ship Propulsion):
जहाजों में प्रोपल्सन सिस्टम में, जहाँ गति और दिशा को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण होता है, इनका उपयोग होता है।
* माइनिंग उपकरण (Mining Equipment):
खनन उद्योग में भारी मशीनरी चलाने के लिए, जहाँ कठोर परिस्थितियों में भी विश्वसनीय गति नियंत्रण की आवश्यकता होती है, इनका उपयोग किया जाता है।
कुल मिलाकर,
separately excited DC motors का उपयोग उन सभी जगहों पर किया जाता है जहाँ उच्च प्रदर्शन, उच्च शुरुआती टॉर्क, और गति पर सटीक नियंत्रण की जरूरत होती है।
एक सेपरेटली एक्साइटेड DC मोटर में मुख्य रूप से चार हिस्से होते हैं, जो सभी DC मोटर्स में पाए जाते हैं। इनकी बनावट और काम करने का तरीका इसे बाकी मोटरों से अलग बनाता है।
यहाँ उन सभी मुख्य हिस्सों की जानकारी दी गई है:
* स्टेटर (Stator):
यह मोटर का स्थिर (static) हिस्सा होता है। इसका काम एक स्थिर चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) बनाना है। इसमें फील्ड वाइंडिंग (Field Winding) लगी होती है, जिसे एक अलग DC पावर सप्लाई से जोड़ा जाता है। इस वाइंडिंग में जब करंट फ्लो होता है, तो एक मजबूत चुंबकीय फ्लक्स (magnetic flux) बनता है। सेपरेटली एक्साइटेड मोटर में यही फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर से अलग होती है।
* रोटर (Rotor) या आर्मेचर (Armature):
यह मोटर का घूमने वाला हिस्सा है। इसमें भी वाइंडिंग होती है, जिसे आर्मेचर वाइंडिंग कहते हैं। इस वाइंडिंग को भी एक अलग DC पावर सप्लाई से जोड़ा जाता है। जब आर्मेचर वाइंडिंग में करंट फ्लो होता है, तो यह स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र से प्रतिक्रिया करके घूमने लगता है, जिससे मोटर को टॉर्क मिलता है।
* कम्यूटेटर (Commutator):
यह एक बेलनाकार (cylindrical) संरचना होती है जो रोटर पर लगी होती है। यह तांबे के टुकड़ों से बनी होती है जो एक-दूसरे से इंसुलेटेड होते हैं। इसका मुख्य काम आर्मेचर वाइंडिंग में बहने वाले करंट की दिशा को पलटना (reverse) है, ताकि रोटर लगातार एक ही दिशा में घूमता रहे। यह एक तरह के मैकेनिकल रेक्टिफायर (mechanical rectifier) की तरह काम करता है।
* ब्रश (Brushes):
ये कार्बन या ग्रेफाइट से बने होते हैं और कम्यूटेटर से जुड़े होते हैं। इनका काम बाहरी सर्किट (अलग DC पावर सप्लाई) से करंट को घूमते हुए कम्यूटेटर और फिर आर्मेचर वाइंडिंग तक पहुंचाना होता है।
2. एसी मोटर (AC Motor)
ये मोटरें अल्टरनेटिंग करंट (AC) से चलती हैं। ये डीसी मोटरों की तुलना में अधिक सामान्य हैं क्योंकि ये रखरखाव में आसान और सस्ती होती हैं। एसी मोटरों के मुख्य प्रकार हैं:
* सिंक्रोनस मोटर (Synchronous Motor):
ये मोटरें स्थिर गति से चलती हैं, जो सप्लाई फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करती है। इनका उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ सटीक और स्थिर गति की आवश्यकता होती है, जैसे कि पावर फैक्टर करेक्शन और बड़ी मशीनों में।
* असिंक्रोनस मोटर या इंडक्शन मोटर (Asynchronous Motor or Induction Motor): यह सबसे आम प्रकार की एसी मोटर है। इसका उपयोग पंखे, पंप, कंप्रेसर और औद्योगिक ड्राइव में होता है। यह दो प्रकार की होती है:
* स्क्विरल केज इंडक्शन मोटर (Squirrel Cage Induction Motor):
यह सबसे सरल और मजबूत प्रकार की मोटर है।
* स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर (Slip Ring Induction Motor):
इसमें बाहरी रेजिस्टेंस जोड़कर गति को नियंत्रित किया जा सकता है।
एसी मोटर (AC Motor) को मुख्य रूप से दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है, जो उनके कार्य सिद्धांत पर आधारित होते हैं:
1. इंडक्शन मोटर (Induction Motor) या असिंक्रोनस मोटर (Asynchronous Motor)
यह एसी मोटर का सबसे सामान्य प्रकार है और इसे व्यापक रूप से औद्योगिक और घरेलू दोनों तरह के अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है। इसका नाम इंडक्शन इसलिए है क्योंकि इसमें रोटर में करंट चुंबकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के माध्यम से उत्पन्न होता है।
मुख्य विशेषताएं:
* कार्य सिद्धांत:
यह एक घूमते हुए चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) के सिद्धांत पर काम करता है, जो स्टेटर वाइंडिंग में एसी करंट प्रवाहित होने से बनता है। यह चुंबकीय क्षेत्र रोटर में करंट को प्रेरित करता है, जिससे रोटर घूमना शुरू करता है।
* गति:
इसकी गति हमेशा स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र की गति (synchronous speed) से थोड़ी कम होती है। इस अंतर को "स्लिप" (slip) कहते हैं।
* प्रकार:
* सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर:
इनका उपयोग छोटे उपकरणों में होता है जैसे पंखे, कूलर, पंप, वॉशिंग मशीन आदि।
* थ्री-फेज इंडक्शन मोटर:
ये उद्योग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली मोटर हैं, जैसे कंप्रेसर, लिफ्ट, कनवेयर बेल्ट, और भारी मशीनरी।
2. सिंक्रोनस मोटर (Synchronous Motor)
इस मोटर में,
रोटर की गति हमेशा स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र की गति के बराबर होती है। यह एक स्थिर गति वाली मोटर है, जो लोड बदलने पर भी अपनी गति को बनाए रखती है।
मुख्य विशेषताएं:
* कार्य सिद्धांत:
इसमें रोटर को बाहरी डीसी सप्लाई या स्थायी चुंबक द्वारा उत्तेजित किया जाता है, जिससे यह स्टेटर के घूमते हुए चुंबकीय क्षेत्र के साथ सिंक्रनाइज़ हो जाता है।
* गति:
इसकी गति हमेशा सिंक्रोनस गति के बराबर होती है, इसलिए इसमें कोई स्लिप नहीं होती।
* उपयोग:
* इसका उपयोग वहां होता है जहाँ स्थिर गति की आवश्यकता होती है, जैसे घड़ियां (clocks) और टाइमर।
* यह पावर फैक्टर (power factor) को बेहतर बनाने के लिए भी उपयोगी होती है।
अन्य महत्वपूर्ण एसी मोटर्स:
* यूनिवर्सल मोटर (Universal Motor):
यह एक विशेष प्रकार की मोटर है जो एसी और डीसी दोनों सप्लाई पर काम कर सकती है। इसमें डीसी सीरीज मोटर की तरह ही वाइंडिंग होती है। इसका उपयोग पोर्टेबल पावर टूल्स (जैसे ड्रिल मशीन), मिक्सर और वैक्यूम क्लीनर में होता है।
* ब्रशलेस डीसी मोटर (BLDC Motor):
हालांकि इसके नाम में "डीसी" है, लेकिन यह एक प्रकार की एसी मोटर है क्योंकि इसमें एक इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रक (electronic controller) द्वारा डीसी को एसी में बदलकर मोटर को चलाया जाता है। इसका उपयोग ड्रोन, इलेक्ट्रिक वाहन और कंप्यूटर हार्ड ड्राइव में होता है।
एसी इंडक्शन मोटर्स (AC Induction Motors) का उपयोग बहुत व्यापक है और यह सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रिक मोटरों में से एक है। इसकी मुख्य वजह इनकी सरलता, कम लागत, मजबूती, और कम रखरखाव की आवश्यकता है।
एसी इंडक्शन मोटर्स के उपयोग को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. घरेलू उपयोग (Domestic Applications)
* पंखा (Fans):
सीलिंग फैन, टेबल फैन, और एग्जॉस्ट फैन में इंडक्शन मोटर का व्यापक रूप से उपयोग होता है।
* पंप (Pumps):
घरों में पानी खींचने वाले छोटे पंपों में।
* एयर कंडीशनर (Air Conditioners) और रेफ्रिजरेटर (Refrigerators):
इनके कंप्रेसर (compressor) को चलाने के लिए।
* वॉशिंग मशीन (Washing Machines):
कपड़े धोने के ड्रम को घुमाने के लिए।
* मिक्सर और ग्राइंडर (Mixers and Grinders): खाना पीसने और मिलाने के लिए।
* वैक्यूम क्लीनर (Vacuum Cleaners):
हवा खींचने के लिए।
* अन्य उपकरण:
हेयर ड्रायर, रोलिंग गेट्स, और ट्रेडमिल जैसे उपकरणों में भी इसका इस्तेमाल होता है।
2. औद्योगिक उपयोग (Industrial Applications)
औद्योगिक क्षेत्र में,
एसी इंडक्शन मोटर्स को "उद्योगों का वर्कहॉर्स" कहा जाता है, क्योंकि ये भारी और निरंतर काम के लिए आदर्श होते हैं।
* कन्वेयर बेल्ट (Conveyor Belts):
सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए।
* पंप (Pumps) और कंप्रेसर (Compressors): रासायनिक संयंत्रों, तेल और गैस उद्योगों, और HVAC (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) प्रणालियों में।
* मशीन टूल्स (Machine Tools):
खराद (lathes), ड्रिलिंग मशीन, और ग्राइंडर में।
* लिफ्ट (Lifts), क्रेन (Cranes), और हॉइस्ट (Hoists): भारी सामान उठाने और स्थानांतरित करने के लिए।
* कृषि (Agriculture):
सिंचाई पंपों, आटा चक्कियों, और अन्य कृषि उपकरणों में।
* टेक्सटाइल उद्योग (Textile Industry):
कताई और बुनाई मशीनों में।
* रोबोटिक्स (Robotics) और ऑटोमेशन (Automation):
स्वचालित प्रणालियों में।
* इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles):
आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों में भी इंडक्शन मोटर्स का उपयोग होता है।
एसी इंडक्शन मोटर्स के प्रकार के आधार पर उपयोग:
* सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर (Single-Phase Induction Motor):
ये मोटर आमतौर पर छोटे भार (low loads) के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि घरेलू उपकरण।
* थ्री-फेज इंडक्शन मोटर (Three-Phase Induction Motor):
ये मोटर सेल्फ-स्टार्टिंग (self-starting) होते हैं और बड़े औद्योगिक भार के लिए आदर्श होते हैं। ये अपनी उच्च दक्षता, मजबूती और विश्वसनीयता के कारण सबसे अधिक उपयोग किए जाते हैं।
एसी इंडक्शन मोटर के मुख्य रूप से दो भाग होते हैं:
* स्टेटर (Stator):
यह मोटर का स्थिर (stationary) हिस्सा होता है। यह सिलिकॉन स्टील की पतली-पतली पत्तियों (laminations) से बना होता है, जिन्हें एक साथ जोड़कर एक सिलेंडर का आकार दिया जाता है। इस सिलेंडर के अंदर खांचे (slots) बने होते हैं, जिनमें कॉपर के तारों की वाइंडिंग (winding) की जाती है। जब इस वाइंडिंग को एसी सप्लाई दी जाती है, तो यह एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) उत्पन्न करता है, जो मोटर को चलाने का काम करता है।
* रोटर (Rotor):
यह मोटर का घूमने वाला (rotating) हिस्सा होता है। यह भी सिलिकॉन स्टील की पत्तियों से बना होता है और इसके बीच में एक शाफ्ट (shaft) लगा होता है। यह शाफ्ट ही वह हिस्सा है जिससे हम मैकेनिकल ऊर्जा (mechanical energy) लेते हैं।
रोटर दो प्रकार के होते हैं:
* स्क्विरेल केज रोटर (Squirrel Cage Rotor):
यह सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला रोटर है। इसमें रोटर कोर के खांचों में एल्यूमीनियम या तांबे की छड़ें (bars) डाली जाती हैं और इन छड़ों के दोनों सिरों को रिंग (end rings) से शॉर्ट-सर्किट कर दिया जाता है। इसकी बनावट गिलहरी के पिंजरे (squirrel cage) जैसी दिखती है, इसीलिए इसका नाम यह पड़ा है।
* वाउंड रोटर (Wound Rotor):
इसमें रोटर कोर में वाइंडिंग की जाती है, और इसके सिरों को स्लिप रिंग्स (slip rings) और ब्रश (brushes) के माध्यम से बाहरी सर्किट से जोड़ा जाता है। इसका उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ मोटर की स्पीड को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
इन मुख्य भागों के अलावा, मोटर में कुछ और भी महत्वपूर्ण पार्ट्स होते हैं, जैसे:
* फ्रेम या योक (Frame or Yoke):
यह मोटर का बाहरी आवरण (outer cover) होता है, जो स्टेटर और अन्य आंतरिक भागों को सुरक्षा प्रदान करता है।
* कूलिंग फैन (Cooling Fan):
यह मोटर के पिछले हिस्से में लगा होता है और मोटर को ठंडा रखने का काम करता है, क्योंकि मोटर चलने से गर्म होती है।
* बीयरिंग (Bearings):
ये रोटर शाफ्ट को सहारा देते हैं और उसे आसानी से घूमने में मदद करते हैं।
* टर्मिनल बॉक्स (Terminal Box):
यह वह जगह है जहाँ मोटर को इलेक्ट्रिक सप्लाई के तार जोड़े जाते हैं।
AC सिंक्रोनस मोटर का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ स्थिर गति, उच्च दक्षता और सटीक नियंत्रण की आवश्यकता होती है। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनकी रोटर की गति सप्लाई फ्रीक्वेंसी से सिंक्रोनाइज (synchonized) होती है, इसलिए ये हमेशा एक ही गति पर चलती हैं, चाहे लोड में थोड़ा बहुत बदलाव हो।
यहां AC सिंक्रोनस मोटर के कुछ प्रमुख उपयोग दिए गए हैं:
* पावर फैक्टर करेक्शन (Power Factor Correction):
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग है। जब मोटर को बिना लोड के चलाया जाता है और उसे "ओवर-एक्साइटेड" (over-excited) किया जाता है, तो यह रिएक्टिव पावर (reactive power) पैदा करती है, जिससे यह एक कैपेसिटर की तरह काम करती है। इसे "सिंक्रोनस कंडेंसर" (synchronous condenser) कहा जाता है। यह उद्योगों में बिजली के पावर फैक्टर को सुधारने में मदद करता है, जिससे बिजली की खपत कम होती है और सिस्टम की दक्षता बढ़ती है।
* पंप और कंप्रेसर (Pumps and Compressors): बड़े-बड़े औद्योगिक पंपों और कंप्रेसरों को चलाने के लिए सिंक्रोनस मोटर का इस्तेमाल होता है। चूंकि इन अनुप्रयोगों में एक स्थिर और निरंतर गति की आवश्यकता होती है, इसलिए ये मोटरें बहुत उपयुक्त होती हैं।
* रोलिंग मिल्स (Rolling Mills):
स्टील और धातु उद्योगों में रोलिंग मिल्स में, जहाँ भारी भार के साथ भी गति को स्थिर रखना होता है, वहाँ इनका इस्तेमाल किया जाता है।
* इलेक्ट्रिक क्लॉक और टाइमर (Electric Clocks and Timers):
छोटे सिंक्रोनस मोटर का उपयोग उन उपकरणों में किया जाता है जहाँ समय की सटीकता बहुत महत्वपूर्ण होती है, जैसे कि इलेक्ट्रिक क्लॉक, टाइमर और कुछ रिकॉर्ड प्लेयर।
* रोबोटिक्स और ऑटोमेशन (Robotics and Automation):
उच्च-सटीकता वाले रोबोटिक्स और ऑटोमेशन सिस्टम में, जहाँ गति और स्थिति को बहुत सटीक रूप से नियंत्रित करना होता है, सिंक्रोनस मोटर का उपयोग किया जाता है।
* हाई-स्पीड जनरेटर (High-Speed Generators): सिंक्रोनस मोटर का उपयोग अक्सर बिजली उत्पादन में अल्टरनेटर (alternator) या जनरेटर के रूप में भी होता है। ये स्थिर गति पर काम करके स्थिर आवृत्ति (frequency) की बिजली पैदा करते हैं।
* मशीन टूल्स और प्रिंटिंग प्रेस (Machine Tools and Printing Presses):
इन मशीनों में, जहाँ उच्च सटीकता और सिंक्रोनाइज्ड गति की आवश्यकता होती है, सिंक्रोनस मोटर बहुत उपयोगी होती है।
संक्षेप में,
AC सिंक्रोनस मोटर का उपयोग उन सभी जगहों पर किया जाता है जहाँ स्थिर गति, उच्च दक्षता और पावर फैक्टर करेक्शन जैसी विशेषताओं की आवश्यकता होती है।
एसी सिंक्रोनस मोटर में मुख्य रूप से दो प्रमुख भाग होते हैं: स्टेटर और रोटर। इनकी बनावट और कार्यप्रणाली ही इन्हें अन्य मोटरों से अलग बनाती है।
यहाँ उन भागों की विस्तृत जानकारी दी गई है:
1. स्टेटर (Stator)
यह मोटर का स्थिर (stationary) हिस्सा होता है। यह एक बेलनाकार (cylindrical) संरचना होती है जिसमें आर्मेचर वाइंडिंग लगी होती है।
* स्टेटर वाइंडिंग (Stator Winding):
यह एक तीन-फेज (three-phase) वाइंडिंग होती है, जिसे एसी सप्लाई दी जाती है। जब इस वाइंडिंग में एसी करंट बहता है, तो यह एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) पैदा करता है। इस क्षेत्र की गति सप्लाई फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करती है और इसे "सिंक्रोनस स्पीड" कहा जाता है।
2. रोटर (Rotor)
यह मोटर का घूमने वाला हिस्सा है। रोटर पर एक अलग वाइंडिंग होती है जिसे फील्ड वाइंडिंग कहते हैं, जिसे डीसी (DC) सप्लाई से एक्साइट किया जाता है। रोटर को दो प्रकार से बनाया जा सकता है:
* सेलियंट-पोल रोटर (Salient-Pole Rotor):
इस प्रकार के रोटर में ध्रुव (poles) बाहर की तरफ निकले हुए होते हैं। यह धीमी गति वाली मोटरों (low-speed motors) के लिए उपयुक्त होता है, जैसे कि बड़े-बड़े जनरेटर और कंप्रेसर।
* सिलिंड्रिकल रोटर (Cylindrical Rotor) या नॉन-सेलियंट पोल रोटर (Non-Salient Pole Rotor):
यह एक चिकना और बेलनाकार रोटर होता है, जिसमें वाइंडिंग स्लॉट्स में रखी जाती है। यह उच्च गति वाली मोटरों (high-speed motors) में उपयोग होता है, जैसे कि टर्बाइन जनरेटर।
अन्य सहायक भाग
इन मुख्य भागों के अलावा, कुछ सहायक हिस्से भी होते हैं:
* एक्ससाइटर (Exciter):
यह एक छोटा जनरेटर होता है जो रोटर को डीसी सप्लाई देता है। यह बाहरी डीसी सप्लाई को रोटर तक पहुँचाने का काम करता है। आजकल कई सिंक्रोनस मोटरों में ब्रशलेस (brushless) एक्ससाइटर का भी उपयोग होता है, जिससे ब्रश और कम्यूटेटर की आवश्यकता नहीं होती।
* स्लिप रिंग्स और ब्रश (Slip Rings and Brushes): पारंपरिक सिंक्रोनस मोटरों में, ये रोटर की फील्ड वाइंडिंग को डीसी सप्लाई देने के लिए इस्तेमाल होते हैं। स्लिप रिंग्स रोटर पर लगे होते हैं और ब्रश उन पर फिसलते हुए बाहरी डीसी सप्लाई को रोटर तक पहुँचाते हैं।
* डैम्पर वाइंडिंग (Damper Winding):
यह एक विशेष वाइंडिंग होती है जो रोटर के ध्रुवों में लगाई जाती है। इसका मुख्य काम मोटर को सेल्फ-स्टार्टिंग बनाना है और लोड में बदलाव होने पर उत्पन्न होने वाले दोलनों (oscillations) को कम करना है। डैम्पर वाइंडिंग के कारण ही सिंक्रोनस मोटर एक इंडक्शन मोटर की तरह शुरू हो पाती है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ उच्च स्टार्टिंग टॉर्क (starting torque) और गति नियंत्रण (speed control) की आवश्यकता होती है। इसकी यह खासियतें इसे कई औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती हैं।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग निम्नलिखित जगहों पर होता है:
* क्रेन और लिफ्ट:
क्रेन और लिफ्ट को भारी भार उठाने के लिए बहुत अधिक शुरुआती बल (टॉर्क) की आवश्यकता होती है। स्लिप रिंग मोटर बाहरी प्रतिरोधों को जोड़कर इस आवश्यकता को पूरा करती है।
* कन्वेयर बेल्ट:
कन्वेयर बेल्ट को भारी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए उच्च शुरुआती बल और गति नियंत्रण की आवश्यकता होती है, जो स्लिप रिंग मोटर प्रदान करती है।
* पंप और कम्प्रेसर:
बड़े पंपों और कम्प्रेसरों को शुरू करने के लिए भी उच्च शुरुआती बल की आवश्यकता होती है।
* बॉल मिल और क्रशर:
इन मशीनों को भारी सामान को पीसने या कुचलने के लिए उच्च बल और नियंत्रित गति की जरूरत होती है।
* वेरिएबल स्पीड ड्राइव:
इन मोटरों का उपयोग उन प्रणालियों में किया जाता है जहाँ मोटर की गति को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
मुख्य कारण:
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर का उपयोग मुख्य रूप से इसलिए किया जाता है क्योंकि इसके रोटर सर्किट में बाहरी प्रतिरोधों को जोड़ा जा सकता है। इन प्रतिरोधों को समायोजित करके, मोटर के शुरुआती टॉर्क को बढ़ाया जा सकता है और शुरुआती धारा को कम किया जा सकता है। यह सुविधा इसे उन अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाती है जहाँ भारी भार के साथ मोटर को शुरू करना होता है।
स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के मुख्य रूप से दो भाग होते हैं: स्टेटर (Stator) और रोटर (Rotor)। हालाँकि, इन दोनों भागों के अलावा, कुछ और महत्वपूर्ण घटक भी होते हैं जो मोटर के संचालन में सहायक होते हैं।
यहाँ स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर के सभी प्रमुख भागों की जानकारी दी गई है:
1. स्टेटर (Stator)
यह मोटर का स्थिर (stationary) भाग होता है।
* स्टेटर कोर (Stator Core):
यह सिलिकॉन स्टील की पतली, लैमिनेटेड (laminated) शीट्स से बना होता है। लैमिनेशन का उपयोग एडी करंट (eddy currents) को कम करने के लिए किया जाता है।
* स्टेटर वाइंडिंग (Stator Winding):
स्टेटर कोर के स्लॉट (slots) में तांबे के तारों की वाइंडिंग की जाती है। इस वाइंडिंग को 3-फेज AC सप्लाई से जोड़ा जाता है, जिससे एक घूर्णनशील चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) उत्पन्न होता है।
* मोटर फ्रेम (Motor Frame):
यह स्टेटर और मोटर के सभी आंतरिक घटकों को सहारा देने के लिए बाहरी आवरण होता है। यह कास्ट आयरन या फैब्रिकेटेड स्टील से बना होता है।
2. रोटर (Rotor)
यह मोटर का घूर्णन करने वाला (rotating) भाग होता है। स्लिप रिंग मोटर में रोटर एक खास तरह का होता है, जिसे वाउंड रोटर (Wound Rotor) कहते हैं।
* रोटर कोर (Rotor Core):
यह भी स्टेटर कोर की तरह ही लैमिनेटेड शीट्स से बना होता है, लेकिन यह शाफ्ट पर लगा होता है।
* रोटर वाइंडिंग (Rotor Winding):
रोटर कोर के स्लॉट में भी 3-फेज वाइंडिंग होती है। यह वाइंडिंग स्टार (star) या डेल्टा (delta) कनेक्शन में जुड़ी होती है। वाइंडिंग के सिरे स्लिप रिंग से जुड़े होते हैं।
स्लिप रिंग मोटर के अतिरिक्त महत्वपूर्ण भाग
* स्लिप रिंग्स (Slip Rings):
ये पीतल या फॉस्फर ब्रॉन्ज (phosphor bronze) से बने छल्ले होते हैं, जो रोटर शाफ्ट पर लगे होते हैं और रोटर वाइंडिंग के सिरों से जुड़े होते हैं। ये रोटर के साथ घूमते हैं।
* कार्बन ब्रश (Carbon Brushes):
ये कार्बन या ग्रेफाइट के बने होते हैं और स्लिप रिंग्स पर घिसकर चलते हैं। इनका काम बाहरी सर्किट (external circuit) को रोटर से जोड़ना होता है।
* ब्रश होल्डर (Brush Holder):
यह कार्बन ब्रश को अपनी जगह पर पकड़े रखता है और उन पर आवश्यक दबाव बनाए रखता है ताकि वे स्लिप रिंग्स के संपर्क में रहें।
* एक्सटर्नल रेसिस्टर (External Resistors):
ये प्रतिरोधक (resistors) कार्बन ब्रश के माध्यम से रोटर सर्किट से जुड़े होते हैं। इन्हें शुरुआती टॉर्क बढ़ाने और शुरुआती करंट को सीमित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
* शाफ्ट (Shaft):
यह रोटर को सहारा देता है और यांत्रिक शक्ति (mechanical power) को बाहर की ओर ट्रांसमिट करता है।
* बेयरिंग (Bearings):
ये शाफ्ट को सुचारू रूप से घूमने में मदद करते हैं और घर्षण को कम करते हैं।
इन सभी भागों के सही तालमेल से ही स्लिप रिंग इंडक्शन मोटर काम करती है।
(Squirrel Cage Induction Motor) अपनी सादगी, मजबूती, कम रखरखाव और कम लागत के कारण उद्योगों में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली मोटरों में से एक है। इसे "उद्योग का वर्कहॉर्स" भी कहा जाता है।
इसका उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ शुरुआती टॉर्क (starting torque) बहुत अधिक महत्वपूर्ण नहीं होता है और मोटर को लगभग स्थिर गति (constant speed) पर चलाना होता है।
गिलहरी पिंजरा प्रेरण मोटर के उपयोग निम्नलिखित हैं:
* घरेलू उपकरण:
पंखे, वाशिंग मशीन, ड्रायर, ब्लेंडर और एयर कंडीशनर जैसे कई घरेलू उपकरणों में गिलहरी पिंजरा मोटर का उपयोग होता है।
* पंप और ब्लोअर:
पानी के पंप, तेल पंप, सेंट्रीफ्यूगल पंप, और विभिन्न प्रकार के ब्लोअर और वेंटिलेशन सिस्टम में इनका व्यापक उपयोग होता है।
* कन्वेयर बेल्ट:
छोटे और मध्यम भार वाले कन्वेयर बेल्ट प्रणालियों में इनका इस्तेमाल होता है।
* मशीन टूल्स:
ड्रिलिंग मशीन, लेथ मशीन, मिलिंग मशीन और अन्य मशीन टूल्स में ये मोटरें बहुत उपयोगी होती हैं।
* कंप्रेसर:
एयर कंप्रेसर और रेफ्रिजरेशन कंप्रेसर में भी इनका उपयोग किया जाता है।
* मुद्रण मशीनें (Printing Presses):
प्रिंटिंग प्रेस में लगातार और स्थिर गति की आवश्यकता होती है, जो गिलहरी पिंजरा मोटर प्रदान करती है।
* पवन चक्की और जनरेटर:
कुछ मामलों में, इन्हें जनरेटर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, विशेष रूप से जब इन्हें सिंक्रोनस गति से अधिक चलाया जाता है।
मुख्य कारण:
गिलहरी पिंजरा मोटर का इस्तेमाल इन अनुप्रयोगों में इसलिए होता है क्योंकि:
* कम लागत और आसान निर्माण:
इसकी बनावट बहुत सरल होती है, जिसमें कोई स्लिप रिंग या ब्रश नहीं होते हैं, जिससे यह सस्ती और कम जटिल होती है।
* कम रखरखाव:
इसमें घिसने वाले या खराब होने वाले हिस्से (जैसे ब्रश) नहीं होते हैं, इसलिए इसे बहुत कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
* मजबूती और विश्वसनीयता:
इसकी मजबूत बनावट इसे लंबे समय तक बिना किसी समस्या के काम करने की क्षमता देती है।
* स्थिर गति: यह अपनी लोड की स्थिति में बदलाव के बावजूद लगभग स्थिर गति पर चलती है।
(Squirrel Cage Induction Motor) के मुख्य भाग भी अन्य इंडक्शन मोटरों के समान ही होते हैं, लेकिन इसका रोटर सबसे खास होता है। इसकी बनावट बहुत सरल और मजबूत होती है, जिसकी वजह से इसका रखरखाव भी आसान होता है।
आइए, इसके मुख्य भागों के बारे में जानते हैं:
1. स्टेटर (Stator)
यह मोटर का स्थिर भाग है, जो घूमता नहीं है।
* स्टेटर कोर (Stator Core):
यह सिलिकॉन स्टील की पतली, लैमिनेटेड (laminated) शीट्स से बना होता है, जो चुंबकीय हानि (magnetic loss) को कम करने में मदद करता है। इस कोर के अंदर स्लॉट (slots) बने होते हैं।
* स्टेटर वाइंडिंग (Stator Winding):
स्टेटर कोर के स्लॉट में 3-फेज वाइंडिंग डाली जाती है। जब इस वाइंडिंग को AC सप्लाई से जोड़ा जाता है, तो एक घूर्णनशील चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) उत्पन्न होता है।
* मोटर फ्रेम (Motor Frame) या योक (Yoke):
यह स्टेटर कोर को बाहरी सहारा देता है और मोटर के सभी आंतरिक हिस्सों को सुरक्षित रखता है। यह कास्ट आयरन या एल्यूमीनियम से बना होता है।
2. रोटर (Rotor)
यह मोटर का घूमने वाला भाग है। गिलहरी पिंजरा मोटर का रोटर इसकी सबसे बड़ी पहचान है।
* रोटर कोर (Rotor Core):
यह भी लैमिनेटेड शीट्स से बना होता है और शाफ्ट पर लगा होता है।
* रोटर कंडक्टर्स (Rotor Conductors):
इसमें तांबे या एल्यूमीनियम की छड़ें होती हैं, जो रोटर कोर के स्लॉट में डाली जाती हैं। ये छड़ें वायर वाइंडिंग की तरह नहीं होतीं।
* एंड रिंग्स (End Rings):
ये छल्ले रोटर के दोनों सिरों पर लगे होते हैं और सभी कंडक्टर्स (छड़ों) को आपस में शॉर्ट-सर्किट (short-circuit) कर देते हैं। इसी वजह से यह एक गिलहरी के पिंजरे (squirrel cage) जैसा दिखता है। यह रोटर सर्किट में किसी भी बाहरी प्रतिरोध को जोड़ने की अनुमति नहीं देता है।
3. अन्य महत्वपूर्ण भाग
* शाफ्ट (Shaft):
यह रोटर को सहारा देता है और मोटर द्वारा उत्पन्न यांत्रिक शक्ति (mechanical power) को बाहर की ओर ट्रांसमिट करता है।
* बेयरिंग (Bearings):
ये शाफ्ट को सुचारू रूप से घूमने में मदद करते हैं और घर्षण (friction) को कम करते हैं।
* कूलिंग फैन (Cooling Fan):
यह मोटर के पिछले हिस्से में लगा होता है और मोटर को ठंडा रखने के लिए हवा का संचार करता है।
* टर्मिनल बॉक्स (Terminal Box):
यह मोटर के फ्रेम पर लगा एक बॉक्स होता है जहाँ बाहरी AC सप्लाई को स्टेटर वाइंडिंग से जोड़ा जाता है। मोटर की सबसे खास बात इसका सरल और मजबूत रोटर है, जिसमें कोई स्लिप रिंग या ब्रश नहीं होते हैं, जिससे इसका रखरखाव बहुत कम होता है।
3. स्पेशल मोटर (Special Motor)
इन मोटरों का उपयोग विशेष अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है:
* स्टेपर मोटर (Stepper Motor):
यह मोटर स्टेप्स में घूमती है, जिससे सटीक स्थिति नियंत्रण संभव होता है। इसका उपयोग रोबोटिक्स, 3D प्रिंटर और CNC मशीनों में होता है।
* सर्वो मोटर (Servo Motor):
यह एक उच्च प्रदर्शन वाली मोटर है जो सटीक गति और स्थिति नियंत्रण प्रदान करती है। इसका उपयोग रोबोटिक्स और स्वचालित मशीनों में होता है।
* यूनिवर्सल मोटर (Universal Motor):
यह एसी और डीसी दोनों करंट पर चल सकती है। इसका उपयोग वैक्यूम क्लीनर, मिक्सर और ड्रिल मशीनों में होता है।
* ब्रशलेस डीसी मोटर (Brushless DC Motor):
यह एक डीसी मोटर है जिसमें ब्रश नहीं होते हैं। यह अधिक कुशल और लंबे समय तक चलने वाली होती है। इसका उपयोग ड्रोन, इलेक्ट्रिक वाहन और कंप्यूटर पंखों में होता है।
"विशेष मोटर" (Special Motor) सामान्य मोटरों से अलग होती हैं, जिन्हें किसी विशेष काम या आवश्यकता के लिए डिज़ाइन किया जाता है। ये मोटरें अपनी बनावट और कार्यप्रणाली में सामान्य मोटरों से भिन्न हो सकती हैं।
विशेष मोटरों का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ सामान्य मोटरों से काम नहीं हो पाता, जैसे:
* उच्च गति या कम गति की आवश्यकता:
कुछ अनुप्रयोगों में बहुत अधिक या बहुत कम गति की जरूरत होती है, जिसके लिए विशेष मोटरें बनाई जाती हैं।
* सटीक नियंत्रण:
रोबोटिक्स, सीएनसी मशीनों और अन्य स्वचालित प्रणालियों में बहुत सटीक गति और स्थिति नियंत्रण की आवश्यकता होती है, जिसके लिए सर्वो मोटर या स्टेपर मोटर जैसी विशेष मोटरें उपयोग की जाती हैं।
* विशेष वातावरण:
कुछ मोटरें बहुत गर्मी, धूल, या विस्फोट-प्रूफ वातावरण में काम करने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं।
* ऊर्जा दक्षता:
कुछ विशेष मोटरें उच्च ऊर्जा दक्षता के लिए बनाई जाती हैं, जो बिजली की खपत को कम करने में मदद करती हैं।
कुछ सामान्य प्रकार की विशेष मोटरें:
* सर्वो मोटर (Servo Motor):
इनका उपयोग सटीक स्थिति और गति नियंत्रण के लिए किया जाता है।
* स्टेपर मोटर (Stepper Motor):
ये मोटरें 'स्टेप्स' में घूमती हैं, जिससे बहुत सटीक कोणीय विस्थापन संभव होता है। इनका उपयोग 3D प्रिंटर और रोबोटिक्स में होता है।
* ब्रशलेस डीसी मोटर (Brushless DC Motor - BLDC):
इनमें ब्रश नहीं होते, जिससे ये अधिक टिकाऊ और कुशल होती हैं।
* यूनिवर्सल मोटर (Universal Motor):
ये एसी और डीसी दोनों प्रकार की बिजली पर काम कर सकती हैं, इसलिए इन्हें ड्रिल और मिक्सर जैसे उपकरणों में उपयोग किया जाता है।
संक्षेप में,
विशेष मोटरें विशिष्ट अनुप्रयोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई मोटरें हैं, जो सामान्य मोटरों की तुलना में अधिक अनुकूलित होती हैं।
सर्वो मोटर का उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ गति, स्थिति और टॉर्क (torque) का बहुत ही सटीक नियंत्रण आवश्यक होता है। ये मोटरें अपनी सटीकता और नियंत्रण क्षमता के कारण कई उद्योगों और अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
सर्वो मोटर के कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
* रोबोटिक्स:
रोबोट के हाथों और जोड़ों को नियंत्रित करने के लिए सर्वो मोटर का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ये रोबोटों को वस्तुओं को पकड़ने, वेल्डिंग करने, पेंटिंग करने और अन्य जटिल कार्यों को उच्च सटीकता के साथ करने में सक्षम बनाती हैं।
* सीएनसी (CNC) मशीनें:
सीएनसी (कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल) मशीनें, जैसे कि मिलिंग मशीन और लेथ, धातु या लकड़ी को काटने और आकार देने के लिए सर्वो मोटर का उपयोग करती हैं। ये मोटरें कटिंग टूल की स्थिति को बहुत सटीक रूप से नियंत्रित करती हैं।
* औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation): विनिर्माण और पैकेजिंग उद्योग में, सर्वो मोटर का उपयोग कन्वेयर बेल्ट, फीडर और लोडर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यह उत्पादन प्रक्रिया को स्वचालित और कुशल बनाता है।
* सौर पैनल प्रणाली:
सौर पैनलों को सूर्य की दिशा में घुमाने के लिए सर्वो मोटर का उपयोग किया जाता है, जिससे अधिकतम ऊर्जा प्राप्त हो सके।
* चिकित्सा उपकरण:
सर्जिकल रोबोट, एमआरआई स्कैनर और वेंटिलेटर जैसे चिकित्सा उपकरणों में सटीक गति नियंत्रण के लिए सर्वो मोटर का उपयोग होता है।
* घरेलू उपकरण और खिलौने:
कुछ घरेलू उपकरणों, जैसे कि स्वचालित दरवाज़े और स्मार्ट ब्लाइंड्स, में सर्वो मोटर का उपयोग होता है। इसके अलावा, रिमोट कंट्रोल वाली कारों, हवाई जहाजों और रोबोट जैसे खिलौनों में भी इनका उपयोग किया जाता है।
* कैमरा और निगरानी प्रणाली:
आधुनिक कैमरों में ऑटो-फोकस और निगरानी कैमरों में पैन (क्षैतिज गति) और टिल्ट (ऊर्ध्वाधर गति) सुविधाओं को नियंत्रित करने के लिए सर्वो मोटर का उपयोग किया जाता है।
* प्रिंटिंग और स्कैनिंग:
प्रिंटिंग मशीनों में प्रिंट हेड की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए और स्कैनर में स्कैनिंग हेड की सटीक गति के लिए सर्वो मोटर का उपयोग होता है।
संक्षेप में,
जहाँ भी गति, स्थिति या कोणीय विस्थापन का सटीक नियंत्रण आवश्यक होता है, वहाँ सर्वो मोटर एक आदर्श समाधान प्रदान करती हैं।
सर्वो मोटर कई भागों से मिलकर बनती है, जो मिलकर एक साथ काम करते हैं ताकि मोटर को सटीक नियंत्रण मिल सके। इसके मुख्य भाग इस प्रकार हैं:
1. डीसी या एसी मोटर (DC or AC Motor)
यह सर्वो मोटर का मुख्य हिस्सा है जो इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा में बदलता है। सर्वो मोटर अपनी जरूरत के हिसाब से डीसी या एसी दोनों प्रकार की हो सकती है। यह मोटर ही घूमती है, जिससे आउटपुट शाफ्ट (output shaft) को गति मिलती है।
2. गियरबॉक्स (Gearbox)
मोटर की गति बहुत तेज होती है और उसका टॉर्क (torque) कम होता है। गियरबॉक्स इस गति को कम करके टॉर्क को बढ़ाता है। इससे मोटर को भारी लोड उठाने और उसे नियंत्रित करने में मदद मिलती है। गियरबॉक्स के कारण ही सर्वो मोटर इतनी शक्तिशाली और नियंत्रित होती है।
3. कंट्रोल सर्किट (Control Circuit)
यह सर्वो मोटर का "दिमाग" होता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जो बाहर से आने वाले कमांड सिग्नल को पढ़ता है। यह सर्किट मोटर को बताता है कि उसे किस दिशा में और कितनी गति से घूमना है। यह कमांड के हिसाब से मोटर को बिजली भेजता है।
4. फीडबैक डिवाइस (Feedback Device)
यह सर्वो मोटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जो इसे सामान्य मोटरों से अलग करता है। यह डिवाइस लगातार मोटर की वर्तमान स्थिति (position) और गति (speed) को मापता रहता है। फीडबैक डिवाइस में आमतौर पर एक पोटेंशियोमीटर (potentiometer) या एन्कोडर (encoder) लगा होता है।
* पोटेंशियोमीटर:
यह मोटर की स्थिति को एनालॉग सिग्नल में मापता है।
* एन्कोडर:
यह डिजिटल पल्स के जरिए बहुत ही सटीक स्थिति और गति की जानकारी देता है।
यह फीडबैक जानकारी तुरंत कंट्रोल सर्किट को वापस भेजता है, जिससे सर्किट को पता चलता है कि मोटर ने कमांड के अनुसार काम किया है या नहीं।
5. आउटपुट शाफ्ट (Output Shaft)
यह मोटर का वह हिस्सा है जो बाहर निकलता है और जिस पर लोड (जैसे रोबोट का हाथ या कोई पुली) लगाया जाता है। मोटर की सारी गति और टॉर्क इसी शाफ्ट से ट्रांसफर होती है।
6. हाउसिंग (Housing)
यह इन सभी भागों को एक साथ रखने और बाहरी धूल-मिट्टी और नुकसान से बचाने के लिए एक बाहरी आवरण होता है।
संक्षेप में,
सर्वो मोटर एक बंद-लूप प्रणाली (closed-loop system) पर काम करती है। कंट्रोल सर्किट एक कमांड भेजता है, मोटर घूमती है, और फीडबैक डिवाइस लगातार उसकी स्थिति की निगरानी करता है। यदि मोटर की स्थिति और कमांड में कोई अंतर होता है, तो कंट्रोल सर्किट तुरंत उसे सही करने के लिए मोटर को एडजस्ट करता है। इसी वजह से सर्वो मोटर इतनी सटीक होती है।
स्टेपर मोटर एक खास प्रकार की मोटर है जिसका उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ बहुत ही सटीक गति और स्थिति नियंत्रण की आवश्यकता होती है। यह मोटर छोटे-छोटे 'स्टेप्स' (steps) में घूमती है, जिससे इसे किसी भी सटीक स्थिति पर रोका जा सकता है।
स्टेपर मोटर के कुछ प्रमुख उपयोग नीचे दिए गए हैं:
3D प्रिंटर और CNC मशीनें
यह सबसे आम उपयोगों में से एक है। 3D प्रिंटर में, स्टेपर मोटरें प्रिंट हेड और बिल्ड प्लेट की गति को नियंत्रित करती हैं, ताकि वस्तु की परतें सटीक रूप से बन सकें। इसी तरह, CNC (Computer Numerical Control) मशीनों में, ये मोटरें कटिंग टूल को नियंत्रित करती हैं ताकि जटिल और सटीक आकृतियाँ बनाई जा सकें।
रोबोटिक्स
रोबोट के हाथ या किसी अन्य हिस्से की गति को नियंत्रित करने के लिए स्टेपर मोटर का उपयोग होता है। इनकी सटीक स्टेप-दर-स्टेप गति रोबोट को चीजों को सही जगह पर रखने या उठाने में मदद करती है।
प्रिंटर और स्कैनर
डेस्कटॉप प्रिंटर में, स्टेपर मोटरें कागज को आगे बढ़ाने और प्रिंट हेड को एक छोर से दूसरे छोर तक घुमाने के लिए उपयोग होती हैं। स्कैनर में भी, ये मोटरें स्कैनिंग हेड को नियंत्रित करती हैं, जिससे छवि की प्रत्येक पंक्ति को सटीक रूप से स्कैन किया जा सके।
मेडिकल उपकरण
चिकित्सा के क्षेत्र में,
स्टेपर मोटरें पंप (pumps), इंफ्यूजन मशीन (infusion machines) और मेडिकल इमेजिंग (medical imaging) उपकरणों में उपयोग होती हैं, जहाँ सटीक मात्रा और स्थिति का नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण होता है।
ऑप्टिकल उपकरण और कैमरे
इनका उपयोग कैमरा लेंस के ऑटो-फोकस सिस्टम और पैन-टिल्ट (pan-tilt) कैमरों में होता है, जो कैमरे को सटीक कोण पर घुमाते हैं। टेलीस्कोप में भी इनका उपयोग खगोलीय वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।
एटीएम और कैश डिस्पेंसर
एटीएम में पैसे को सही जगह पर निकालने और रखने के लिए स्टेपर मोटर का उपयोग होता है। इसी तरह, सिक्कों या नोटों को गिनने वाली मशीनों में भी इनकी सटीक गति का फायदा उठाया जाता है।
संक्षेप में,
स्टेपर मोटर उन सभी अनुप्रयोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है जहाँ लागत-प्रभावी तरीके से ओपन-लूप नियंत्रण (open-loop control) में उच्च सटीकता की आवश्यकता होती है।
स्टेपर मोटर की बनावट साधारण डीसी मोटरों से थोड़ी अलग होती है। इसमें मुख्य रूप से दो भाग होते हैं: स्टेटर (stator) और रोटर (rotor)। ये दोनों भाग ही मिलकर मोटर को छोटे-छोटे स्टेप्स में घुमाने का काम करते हैं।
आइए स्टेपर मोटर के मुख्य भागों को विस्तार से समझते हैं:
1. स्टेटर (Stator)
स्टेटर मोटर का स्थिर भाग होता है, जो घूमता नहीं है। यह एक गोलाकार संरचना होती है जिसके अंदर के किनारों पर कई चुंबकीय पोल (poles) होते हैं। इन पोल्स पर कॉपर की वाइंडिंग (winding) या कॉइल लपेटी होती हैं।
* विद्युतचुंबक (Electromagnets):
जब इन कॉइल्स में करंट प्रवाहित किया जाता है, तो ये कॉइल चुंबक बन जाती हैं। इन चुंबकों के कारण ही मोटर का रोटर घूमता है।
* फेज़ (Phases):
स्टेपर मोटर में ये कॉइल अक्सर समूहों में व्यवस्थित होती हैं, जिन्हें फेज़ कहा जाता है। एक सामान्य स्टेपर मोटर में दो या चार फेज़ हो सकते हैं। इन फेज़ को एक निश्चित क्रम में चालू और बंद करने से ही रोटर को एक-एक स्टेप घुमाया जाता है।
2. रोटर (Rotor)
रोटर मोटर का घूमने वाला भाग होता है, जो शाफ्ट (shaft) के साथ जुड़ा होता है। यह स्टेटर के बीच में रखा जाता है। रोटर का डिज़ाइन स्टेपर मोटर के प्रकार पर निर्भर करता है:
* स्थायी चुंबक (Permanent Magnet):
इस प्रकार की स्टेपर मोटर में रोटर एक स्थायी चुंबक होता है, जिसमें उत्तर (North) और दक्षिण (South) ध्रुव होते हैं।
* परिवर्तनीय रिलक्टेंस (Variable Reluctance):
इस प्रकार में रोटर एक दांतेदार लोहे के कोर से बना होता है, जिसमें कोई स्थायी चुंबक नहीं होता।
* हाइब्रिड (Hybrid):
यह सबसे आम प्रकार है, जिसमें रोटर पर स्थायी चुंबक और दांतेदार संरचना दोनों होती हैं। ये दोनों का संयोजन रोटेशन को और भी सटीक बनाता है।
3. ड्राइवर सर्किट (Driver Circuit)
स्टेपर मोटर को सीधे बिजली की आपूर्ति नहीं दी जा सकती। इसे नियंत्रित करने के लिए एक ड्राइवर सर्किट की आवश्यकता होती है। यह सर्किट मोटर के प्रत्येक फेज़ में करंट के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह कंट्रोलर (जैसे माइक्रोकंट्रोलर) से आने वाले पल्स (pulse) सिग्नल के अनुसार काम करता है, और मोटर को बताता है कि किस फेज़ को कब और कितने समय के लिए चालू करना है ताकि रोटर सही दिशा और स्टेप में घूम सके।
संक्षेप में,
* स्टेटर अपनी वाइंडिंग में करंट के कारण चुंबकीय क्षेत्र बनाता है।
* रोटर इस चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होकर एक-एक स्टेप घूमता है।
* ड्राइवर सर्किट इन वाइंडिंग में करंट के प्रवाह को नियंत्रित करता है, जिससे मोटर की सटीक स्थिति और गति सुनिश्चित होती है।
यह साधारण, लेकिन प्रभावी बनावट ही स्टेपर मोटर को सटीक स्थिति नियंत्रण के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।
ब्रशलेस मोटर (Brushless DC motor - BLDC) का उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ उच्च दक्षता, लंबा जीवनकाल, कम शोर और कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। ये मोटरें अपनी उत्कृष्ट विशेषताओं के कारण कई आधुनिक अनुप्रयोगों में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
ब्रशलेस मोटर के कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
1. इलेक्ट्रिक वाहन
इलेक्ट्रिक कार, स्कूटर और साइकिल में BLDC मोटर का व्यापक रूप से उपयोग होता है। इनकी उच्च दक्षता बैटरी की ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने में मदद करती है, जिससे वाहन की रेंज बढ़ जाती है। साथ ही, इनका उच्च टॉर्क (torque) वाहन को तेजी से गति देने और ढलानों पर आसानी से चढ़ने में सहायक होता है।
2. ड्रोन और UAV (Unmanned Aerial Vehicles)
ड्रोन में BLDC मोटर एक महत्वपूर्ण घटक है। इनका हल्का वजन, उच्च गति और उच्च टॉर्क घनत्व (torque density) ड्रोन को स्थिर और सटीक उड़ान नियंत्रण प्रदान करता है।
3. घरेलू उपकरण
कई आधुनिक घरेलू उपकरणों में BLDC मोटर का उपयोग होता है, क्योंकि ये कम बिजली की खपत करते हैं और शांत चलते हैं। उदाहरण के लिए:
* एयर कंडीशनर:
कंप्रेसर और पंखों में, ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए।
* वॉशिंग मशीन:
उच्च दक्षता और कम शोर के लिए।
* रेफ्रिजरेटर:
कंप्रेसर में।
* स्मार्ट पंखे और वैक्यूम क्लीनर: कम शोर और बेहतर प्रदर्शन के लिए।
4. औद्योगिक स्वचालन और रोबोटिक्स
रोबोटिक्स,
सीएनसी मशीनों और कन्वेयर सिस्टम में BLDC मोटर का उपयोग होता है। इनकी उच्च विश्वसनीयता और सटीक नियंत्रण क्षमता इसे विनिर्माण प्रक्रिया के लिए आदर्श बनाती है।
5. पावर टूल्स (Cordless Tools)
बैटरी से चलने वाले पावर टूल्स जैसे ड्रिल, स्क्रूड्राइवर और आरा (saws) में BLDC मोटरें पारंपरिक मोटरों से बेहतर होती हैं। इनका हल्का वजन और उच्च दक्षता बैटरी लाइफ को बढ़ाती है और उपकरण के प्रदर्शन को बेहतर बनाती है।
6. कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स
कंप्यूटर के अंदर लगे कूलिंग फैन और हार्ड डिस्क ड्राइव में भी BLDC मोटर का उपयोग होता है। इनकी कम आवाज और लंबा जीवनकाल इन उपकरणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
7. चिकित्सा उपकरण
चिकित्सा क्षेत्र में, जहां सटीकता और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है, BLDC मोटर का उपयोग वेंटिलेटर, सर्जिकल रोबोट और अन्य चिकित्सा उपकरणों में होता है।
संक्षेप में,
ब्रशलेस मोटर का उपयोग उन सभी क्षेत्रों में हो रहा है, जहाँ प्रदर्शन, दक्षता और विश्वसनीयता को प्राथमिकता दी जाती है।
ब्रशलेस मोटर (BLDC) के मुख्य भाग सामान्य डीसी मोटरों से अलग होते हैं, क्योंकि इसमें ब्रश और कम्यूटेटर नहीं होते। इसी कारण इसका नाम "ब्रशलेस" है। इसके मुख्य भाग इस प्रकार हैं:
1. स्टेटर (Stator)
स्टेटर मोटर का स्थिर भाग होता है। ब्रशलेस मोटर में, स्टेटर पर कॉपर की वाइंडिंग (winding) या कॉइल लगी होती हैं। ये कॉइल एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होती हैं, जिन्हें आमतौर पर "फेज़" कहा जाता है। जब इन वाइंडिंग्स में बिजली प्रवाहित होती है, तो वे विद्युत चुंबक बन जाती हैं और एक घूर्णनशील चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) उत्पन्न करती हैं।
2. रोटर (Rotor)
रोटर मोटर का घूमने वाला भाग होता है। ब्रशलेस मोटर में, रोटर पर स्थायी चुंबक (permanent magnets) लगे होते हैं। ये चुंबक आमतौर पर शक्तिशाली नियोडिमियम मैग्नेट होते हैं। जब स्टेटर का चुंबकीय क्षेत्र घूमता है, तो यह रोटर के स्थायी चुंबकों पर बल लगाता है, जिससे रोटर घूमता है।
3. हॉल सेंसर (Hall Sensor)
ब्रशलेस मोटर में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है। हॉल सेंसर रोटर की वर्तमान स्थिति (position) का पता लगाते हैं। ये सेंसर स्टेटर के पास लगे होते हैं और रोटर के स्थायी चुंबकों के चुंबकीय क्षेत्र को महसूस करते हैं। यह सेंसर जानकारी एक ड्राइवर सर्किट को भेजते हैं, जिससे सर्किट को पता चलता है कि मोटर को अगले स्टेप में घुमाने के लिए किस वाइंडिंग को सक्रिय करना है। कुछ आधुनिक BLDC मोटरों में सेंसर की जरूरत नहीं होती और वे बैक-ईएमएफ (back-EMF) का उपयोग करके रोटर की स्थिति का पता लगाती हैं।
4. ड्राइवर सर्किट या ESC (Electronic Speed Controller)
यह ब्रशलेस मोटर का "दिमाग" होता है। ड्राइवर सर्किट एक इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोलर है जो हॉल सेंसर से मिली जानकारी का उपयोग करके स्टेटर की कॉइल्स को सही क्रम और समय पर बिजली की आपूर्ति करता है। यह कंट्रोलर मोटर की गति और दिशा को भी नियंत्रित करता है। ड्रोन या इलेक्ट्रिक वाहनों में इसे अक्सर इलेक्ट्रॉनिक स्पीड कंट्रोलर (ESC) कहा जाता है।
ब्रश वाली मोटर से अंतर
पारंपरिक डीसी मोटरों में, ब्रश और कम्यूटेटर का उपयोग रोटर में करंट की दिशा बदलने के लिए किया जाता है। लेकिन BLDC मोटरों में, यह काम हॉल सेंसर और ड्राइवर सर्किट द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है। इसी कारण BLDC मोटरों में घर्षण, स्पार्किंग और टूट-फूट की समस्या नहीं होती, जिससे उनका जीवनकाल लंबा होता है और वे अधिक कुशल होती हैं।
यूनिवर्सल मोटर का उपयोग कई घरेलू और औद्योगिक उपकरणों में होता है, खासकर उन जगहों पर जहाँ उच्च गति और कॉम्पैक्ट डिज़ाइन की आवश्यकता होती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एसी (AC) और डीसी (DC) दोनों प्रकार की बिजली पर काम कर सकती है।
यूनिवर्सल मोटर के कुछ प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
घरेलू उपकरण
* मिक्सर और ब्लेंडर:
यह यूनिवर्सल मोटर का सबसे आम उदाहरण है। इनमें उच्च गति और शक्तिशाली टॉर्क की आवश्यकता होती है ताकि कठोर सामग्री को आसानी से पीसा जा सके।
* वैक्यूम क्लीनर:
वैक्यूम क्लीनर में, यूनिवर्सल मोटर एक शक्तिशाली सक्शन (suction) बनाने के लिए बहुत तेज गति से घूमती है।
* हेयर ड्रायर:
हेयर ड्रायर के अंदर पंखे को घुमाने के लिए यूनिवर्सल मोटर का उपयोग किया जाता है।
* सिलाई मशीन:
सिलाई मशीन की गति को नियंत्रित करने के लिए यूनिवर्सल मोटर का उपयोग किया जाता है।
* टेबल फैन:
कुछ छोटे टेबल फैन और ब्लोअर में भी इनका इस्तेमाल होता है।
पावर टूल्स और औद्योगिक अनुप्रयोग
* पोर्टेबल ड्रिल मशीन:
ड्रिल मशीन में उच्च गति और टॉर्क की आवश्यकता होती है, जो यूनिवर्सल मोटर प्रदान करती है।
* ग्राइंडर और पॉलिशर:
इन उपकरणों में भी उच्च गति और शक्ति की जरूरत होती है।
* रेलवे इंजन (Traction Motor):
पुराने समय में कुछ रेलवे इंजनों में यूनिवर्सल मोटर का उपयोग किया जाता था क्योंकि इसकी गति और टॉर्क का संबंध (टॉर्क-स्पीड कैरेक्टरिस्टिक) इस काम के लिए बहुत उपयुक्त था।
यूनिवर्सल मोटर का मुख्य लाभ यह है कि यह हल्का, कॉम्पैक्ट और शक्तिशाली होता है, और इसे गति को नियंत्रित करना आसान होता है। हालांकि, इसमें ब्रश और कम्यूटेटर के कारण स्पार्किंग और शोर की समस्या हो सकती है, जिससे इसका उपयोग मुख्य रूप से उन उपकरणों में होता है जो थोड़े समय के लिए ही चलते हैं।
यूनिवर्सल मोटर की बनावट काफी हद तक डीसी सीरीज मोटर जैसी होती है, यही कारण है कि यह एसी और डीसी दोनों पर काम कर सकती है। इसके मुख्य भाग इस प्रकार हैं:
1. स्टेटर (Stator)
स्टेटर मोटर का स्थिर भाग होता है। इसमें एक लेमिनेटेड आयरन कोर होता है जिस पर फील्ड वाइंडिंग (field winding) लगी होती है। जब इन वाइंडिंग्स में करंट प्रवाहित होता है, तो ये एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं। यूनिवर्सल मोटर में फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर वाइंडिंग के साथ सीरीज में जोड़ा जाता है।
2. रोटर या आर्मेचर (Rotor or Armature)
यह मोटर का घूमने वाला भाग है। यह भी लेमिनेटेड कोर से बना होता है और इसमें खांचे (slots) होते हैं जिनमें आर्मेचर वाइंडिंग (armature winding) लगी होती है। जब यह वाइंडिंग चुंबकीय क्षेत्र के अंदर आती है, तो इस पर एक टॉर्क (torque) लगता है, जिससे रोटर घूमता है।
3. कम्यूटेटर (Commutator)
यह रोटर शाफ्ट पर लगा एक गोलाकार भाग होता है, जो तांबे के खंडों (segments) से मिलकर बना होता है। कम्यूटेटर का मुख्य काम आर्मेचर वाइंडिंग में करंट की दिशा को बदलना है। जब मोटर एसी या डीसी पर चलती है, तो कम्यूटेटर ही यह सुनिश्चित करता है कि टॉर्क हमेशा एक ही दिशा में लगे, जिससे रोटर लगातार घूमता रहे।
4. कार्बन ब्रश (Carbon Brushes)
ब्रश कम्यूटेटर के ऊपर फिसलते हुए, स्थिर स्टेटर से घूमते हुए रोटर तक करंट पहुंचाते हैं। ये आमतौर पर कार्बन के बने होते हैं और एक ब्रश होल्डर में लगे होते हैं। ब्रश और कम्यूटेटर के बीच घर्षण के कारण स्पार्किंग और घिसावट होती है, जो यूनिवर्सल मोटर का एक मुख्य दोष है।
5. शाफ्ट और बेयरिंग (Shaft & Bearings)
शाफ्ट रोटर से जुड़ा होता है और मोटर के बाहरी हिस्से तक गति पहुंचाता है। बेयरिंग शाफ्ट को आसानी से घूमने में मदद करते हैं और घर्षण को कम करते हैं।
इन सभी भागों का संयोजन एक कॉम्पैक्ट और शक्तिशाली मोटर बनाता है जो उच्च गति पर काम करने के लिए उपयुक्त है।
अनिच्छा मोटर (Reluctance motor) एक प्रकार की इलेक्ट्रिक मोटर है जो रोटर (घूमने वाला हिस्सा) में अनिच्छा (चुंबकीय प्रतिरोध) के सिद्धांत का उपयोग करके टॉर्क (घूर्णन बल) उत्पन्न करती है। ये मोटरें अपनी सरल और मजबूत संरचना, उच्च दक्षता और कम लागत के कारण कई अनुप्रयोगों में उपयोग की जाती हैं।
अनिच्छा मोटर के मुख्य उपयोग:
* औद्योगिक अनुप्रयोग:
इनका उपयोग अक्सर ऐसी मशीनों में किया जाता है जहाँ बार-बार शुरू करने, रोकने और दिशा बदलने की आवश्यकता होती है। जैसे कि कपड़ा उद्योग, खनन उद्योग और तेल क्षेत्र में।
* इलेक्ट्रिक वाहन:
ये मोटरें इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रिक साइकिलों के लिए ड्राइव सिस्टम में एक अच्छा विकल्प मानी जाती हैं, क्योंकि ये उच्च गति और अच्छी प्रतिक्रिया प्रदान करती हैं।
* घरेलू उपकरण:
कुछ घरेलू उपकरणों, जैसे एयर कंप्रेसर और अन्य मोटर्स, में इनकी सादगी और विश्वसनीयता के कारण इनका उपयोग किया जा सकता है।
* एयरोस्पेस और सर्वो सिस्टम:
उच्च विश्वसनीयता और मजबूत बनावट के कारण, इनका उपयोग एयरोस्पेस जैसे विशेष और महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में भी किया जाता है।
अनिच्छा मोटर के लाभ:
* उच्च दक्षता:
ये मोटरें ऊर्जा-कुशल होती हैं और एक विस्तृत गति सीमा में उच्च दक्षता बनाए रख सकती हैं।
* सरल बनावट:
रोटर में कोई वाइंडिंग या स्थायी चुंबक नहीं होता है, जिससे इसकी बनावट सरल और रखरखाव आसान होता है।
* उच्च विश्वसनीयता:
इनकी बनावट मजबूत होने के कारण ये उच्च गति और कठोर वातावरण में भी विश्वसनीय रूप से काम कर सकती हैं।
* कम लागत:
सरल बनावट के कारण उत्पादन लागत कम होती है।
अनिच्छा मोटर्स को उनकी विशेषताओं के आधार पर कई अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया जाता है, जैसे कि स्विच्ड अनिच्छा मोटर (Switched Reluctance Motor - SRM) और तुल्यकालिक अनिच्छा मोटर (Synchronous Reluctance Motor)। दोनों के अपने विशिष्ट फायदे और अनुप्रयोग हैं।
अनिच्छा मोटर (Reluctance motor) एक विशेष प्रकार की मोटर है जिसकी संरचना बहुत सरल होती है। इसमें मुख्य रूप से दो ही भाग होते हैं:
* स्टेटर (Stator):
यह मोटर का स्थिर (static) भाग होता है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेट (विद्युत चुंबक) लगे होते हैं, जिन्हें वाइंडिंग (winding) के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। ये वाइंडिंग्स विद्युत प्रवाह (electric current) प्राप्त करती हैं और एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं जो रोटर को घुमाता है।
* रोटर (Rotor):
यह मोटर का घूमने वाला (rotating) भाग होता है। अनिच्छा मोटर की सबसे बड़ी खासियत इसका रोटर ही है। यह केवल सिलिकॉन स्टील की लैमिनेटेड (laminated) प्लेटों से बना होता है और इसमें कोई भी वाइंडिंग, स्थायी चुंबक, या ब्रश नहीं होते। इसकी बनावट ऐसी होती है कि इसमें कुछ ध्रुव (poles) उभरे हुए होते हैं।
यह सरल डिज़ाइन ही अनिच्छा मोटर को इतना मजबूत, विश्वसनीय और कम रखरखाव वाला बनाता है।
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