अर्थिंग के प्रकार ( Type of Earthing )
अर्थिंग मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है, जिनका उपयोग अलग-अलग जगहों और ज़रूरतों के हिसाब से किया जाता है:
1. पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
यह सबसे आम और ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली अर्थिंग है, खासकर घरों और छोटे उद्योगों में। इसमें ज़मीन में एक गहरा गड्ढा खोदकर एक गैल्वेनाइज्ड आयरन (G.I.) या कॉपर (तांबे) का पाइप लंबवत (vertically) गाड़ा जाता है। पाइप के चारों ओर कोयले और नमक की परतें डाली जाती हैं ताकि मिट्टी की चालकता (conductivity) बनी रहे और अर्थिंग अच्छी तरह काम करे।
2. प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
इस प्रकार की अर्थिंग का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ ज़्यादा लोड होता है, जैसे कि बड़े उद्योग, पावर स्टेशन और बड़े-बड़े फ्लैट। इसमें ज़मीन में काफी गहरा गड्ढा खोदकर एक कॉपर या गैल्वेनाइज्ड आयरन (G.I.) की प्लेट को लंबवत गाड़ा जाता है। पाइप अर्थिंग की तरह इसमें भी प्लेट के चारों ओर कोयला और नमक डाला जाता है ताकि प्रभावी ढंग से अर्थिंग हो सके। यह पाइप अर्थिंग की तुलना में ज़्यादा महंगी होती है लेकिन ज़्यादा प्रभावी मानी जाती है।
3. रॉड अर्थिंग (Rod Earthing)
यह अर्थिंग उन जगहों के लिए उपयुक्त है जहाँ ज़मीन रेतीली (sandy) या पथरीली होती है। इसमें एक नुकीली रॉड (छड़) को हथौड़े से ज़मीन में गाड़ा जाता है। रॉड की लंबाई 2 से 3 मीटर तक हो सकती है। इस विधि का उपयोग अक्सर ट्रांसमिशन लाइनों (transmission lines) और छोटे घरों में किया जाता है, जहाँ कम प्रतिरोध (resistance) की आवश्यकता होती है।
4. स्ट्रिप अर्थिंग (Strip Earthing)
इस तरह की अर्थिंग का उपयोग उन जगहों पर किया जाता है जहाँ ज़मीन में ज़्यादा नमी होती है या जहाँ पाइप या प्लेट अर्थिंग करना मुश्किल होता है। इसमें एक कॉपर या गैल्वेनाइज्ड आयरन (G.I.) की स्ट्रिप (पट्टी) को ज़मीन के अंदर एक क्षैतिज (horizontally) गड्ढे में गाड़ा जाता है। इस विधि में, स्ट्रिप को ज़्यादा एरिया में फैलाया जाता है ताकि प्रतिरोध कम हो सके।
इन चारों के अलावा केमिकल अर्थिंग भी आजकल काफी प्रचलित हो रही है, जिसमें अर्थिंग के लिए खास तरह के केमिकल कंपाउंड का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मिट्टी की चालकता हमेशा अच्छी बनी रहे और बार-बार नमक-कोयला डालने की ज़रूरत न पड़े।
अगर आप अर्थिंग के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं, तो पूछ सकते हैं।
अर्थिंग एक सुरक्षा उपाय है जो बिजली के उपकरणों को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बिजली के झटके लगने से रोकना है।
अर्थिंग कैसे काम करती है?
जब किसी बिजली के उपकरण (जैसे कि फ्रिज, वॉशिंग मशीन, या कंप्यूटर) में कोई खराबी आती है और उसके धातु वाले बाहरी हिस्से में करंट आ जाता है, तो यह करंट बहुत खतरनाक हो सकता है। अर्थिंग सिस्टम इस अतिरिक्त करंट को सीधे ज़मीन में भेज देता है।
अर्थिंग वायर (आमतौर पर हरे रंग का होता है) उपकरण के धातु वाले हिस्से को ज़मीन के अंदर लगी एक धातु की प्लेट या रॉड से जोड़ता है। चूँकि बिजली हमेशा कम प्रतिरोध (resistance) वाले रास्ते से गुज़रना पसंद करती है, इसलिए जब उपकरण में कोई खराबी होती है, तो करंट इंसान के शरीर से गुज़रने के बजाय अर्थिंग वायर के ज़रिए ज़मीन में चला जाता है।
अर्थिंग के फायदे
- बिजली के झटके से सुरक्षा: यह सबसे महत्वपूर्ण फायदा है। यह हमें और हमारे परिवार को बिजली के झटके लगने से बचाता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: यह बिजली के उपकरणों को अधिक वोल्टेज से होने वाले नुकसान से बचाता है।
- स्थिर वोल्टेज: यह घर में वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करता है, जिससे उपकरणों का जीवनकाल बढ़ता है।
- आग से सुरक्षा: बिजली के शॉर्ट सर्किट से होने वाली आग से बचाव में भी यह सहायक होता है।
संक्षेप में,
अर्थिंग एक सुरक्षा जाल की तरह काम करता है जो हमें और हमारे उपकरणों को बिजली के संभावित खतरों से बचाता है।
अर्थिंग का मुख्य उद्देश्य बिजली के उपकरणों और उनसे काम करने वाले लोगों को बिजली के झटके से सुरक्षा प्रदान करना है। यह एक सुरक्षा प्रणाली है जो अतिरिक्त या लीकेज करंट को सीधे ज़मीन में भेजकर खतरनाक स्थितियों को रोकती है।
अर्थिंग के मुख्य उद्देश्य
अर्थिंग के कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- बिजली के झटके से बचाव: जब किसी उपकरण में कोई खराबी आती है और उसके बाहरी धातु के हिस्से में करंट आ जाता है, तो अर्थिंग वायर उस करंट को एक कम प्रतिरोध (low resistance) वाले रास्ते से ज़मीन में भेज देता है। इससे उपकरण को छूने वाले व्यक्ति को झटका नहीं लगता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: अर्थिंग बिजली के उपकरणों को अत्यधिक वोल्टेज या शॉर्ट सर्किट से होने वाले नुकसान से बचाती है। जब वोल्टेज अचानक बढ़ जाता है, तो यह अतिरिक्त करंट को ज़मीन में भेजकर उपकरणों को जलने से रोकती है।
- आग से सुरक्षा: शॉर्ट सर्किट या करंट लीकेज के कारण आग लगने का खतरा होता है। अर्थिंग सिस्टम लीकेज करंट को तुरंत ज़मीन में भेजकर आग लगने के जोखिम को कम करता है।
- वोल्टेज को स्थिर रखना: अर्थिंग सिस्टम सर्किट में वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करता है। यह बिजली के सिस्टम को संतुलित करता है और उपकरणों को सही वोल्टेज पर काम करने में मदद करता है।
संक्षेप में,
अर्थिंग सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण परत है जो हमें और हमारे उपकरणों को संभावित बिजली के खतरों से बचाती है।
विद्युत प्रणालियों में अर्थिंग एक अत्यंत महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। इसका मुख्य उद्देश्य अतिरिक्त या लीकेज करंट को सुरक्षित रूप से ज़मीन में प्रवाहित करके लोगों और उपकरणों को बिजली के खतरों से बचाना है।
अर्थिंग की आवश्यकता के मुख्य कारण
- बिजली के झटके से सुरक्षा: यह अर्थिंग का सबसे प्राथमिक उद्देश्य है। जब किसी उपकरण में कोई खराबी आती है और उसके धातु के बाहरी हिस्से में करंट आ जाता है, तो अर्थिंग तार उस करंट को सीधे ज़मीन में भेज देता है। चूंकि बिजली हमेशा कम प्रतिरोध (low resistance) वाले रास्ते से गुज़रती है, इसलिए यह लीकेज करंट इंसान के शरीर से गुज़रने के बजाय अर्थिंग वायर के माध्यम से ज़मीन में चला जाता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: अर्थिंग बिजली के उपकरणों को अधिक वोल्टेज से होने वाले नुकसान से बचाती है। यह वोल्टेज में अचानक वृद्धि होने पर अतिरिक्त करंट को ज़मीन में भेजकर उपकरणों को जलने से रोकती है। यह विशेष रूप से कंप्यूटर, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे महंगे उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण है।
- आग से बचाव: लीकेज करंट या शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने का खतरा होता है। अर्थिंग सिस्टम अतिरिक्त करंट को तुरंत ज़मीन में भेजकर आग लगने के जोखिम को कम करता है।
- स्थिर वोल्टेज बनाए रखना: अर्थिंग सिस्टम विद्युत प्रणाली में वोल्टेज को स्थिर और संतुलित रखने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी उपकरण सही वोल्टेज पर काम करें, जिससे उनका जीवनकाल बढ़ता है।
विद्युत प्रतिष्ठानों में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के अर्थिंग (earthing) सिस्टम हैं, जिन्हें मुख्य रूप से उनके डिज़ाइन और उपयोग किए जाने वाले घटकों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। ये सिस्टम विद्युत उपकरणों को सुरक्षित रखने और बिजली के झटके से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अर्थिंग के मुख्य प्रकार
1. प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
प्लेट अर्थिंग में, एक तांबे या गैल्वनाइज्ड आयरन (GI) की प्लेट का उपयोग किया जाता है। इस प्लेट को जमीन में काफी गहराई (लगभग 3 से 5 मीटर) तक लंबवत गाड़ा जाता है। गड्ढे को नमक और चारकोल की वैकल्पिक परतों से भरा जाता है ताकि मिट्टी की प्रतिरोधकता कम हो सके और प्लेट को नमी मिल सके, जिससे यह ठीक से काम कर सके।
2. पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
यह सबसे आम और प्रभावी अर्थिंग प्रणाली में से एक है। इसमें एक खोखले GI पाइप को जमीन में गाड़ा जाता है। पाइप के चारों ओर भी नमक और चारकोल की परतें डाली जाती हैं। पाइप के शीर्ष पर एक फनल (कीप) भी लगाया जा सकता है ताकि समय-समय पर पानी डाला जा सके, जिससे अर्थिंग प्रतिरोध कम बना रहे।
3. रॉड अर्थिंग (Rod Earthing)
इस प्रकार की अर्थिंग में एक तांबे या GI रॉड को हथौड़े से या मशीन से जमीन में गाड़ा जाता है। यह उन क्षेत्रों में अधिक उपयुक्त है जहाँ जमीन पथरीली होती है या जहाँ ज्यादा गहराई तक गड्ढा खोदना मुश्किल होता है। यह एक सरल और सस्ता विकल्प है।
4. वायर अर्थिंग (Wire/Strip Earthing)
इसमें तांबे या GI स्ट्रिप्स या तारों को जमीन के अंदर क्षैतिज रूप से दफनाया जाता है। यह प्रणाली उन जगहों के लिए उपयुक्त है जहाँ जमीन में गहरा गड्ढा खोदना संभव नहीं होता। ये स्ट्रिप्स या तार पूरे क्षेत्र में फैले होते हैं।
अन्य प्रकार
- केमिकल अर्थिंग: इस प्रकार में, एक विशेष केमिकल कंपाउंड (जैसे बेंटोनाइट या ग्रेफाइट) का उपयोग अर्थिंग इलेक्ट्रोड के चारों ओर किया जाता है। यह एक मेंटेनेंस-फ्री प्रणाली है और उन जगहों पर बहुत प्रभावी होती है जहाँ मिट्टी की प्रतिरोधकता अधिक होती है।
- मैट अर्थिंग: बड़े और महत्वपूर्ण विद्युत प्रतिष्ठानों (जैसे सब-स्टेशनों) में, कई रॉड्स को आपस में जोड़कर एक मैट (जाल) बनाया जाता है और उसे जमीन के अंदर दफनाया जाता है। यह बहुत कम प्रतिरोध प्रदान करता है और उच्च विद्युत प्रवाह से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
'अर्थिंग' और 'ग्राउंडिंग' शब्दों का इस्तेमाल अक्सर एक-दूसरे के पर्याय के रूप में किया जाता है, लेकिन तकनीकी रूप से उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं, खासकर उनके उद्देश्य और उपयोग के संदर्भ में।
अर्थिंग (Earthing)
- उद्देश्य: मुख्य रूप से मानव सुरक्षा के लिए।
- कार्य: यह विद्युत उपकरण के धातु के गैर-विद्युत-वाहक (non-current carrying) हिस्सों (जैसे उपकरण का बाहरी आवरण) को पृथ्वी से जोड़ता है।
- लाभ: किसी भी खराबी (fault) की स्थिति में, यदि कोई लाइव तार उपकरण के धातु भाग को छूता है, तो लीकेज करंट सीधे पृथ्वी में चला जाता है। इससे व्यक्ति को बिजली का झटका लगने से बचाया जा सकता है।
- क्षेत्र: यह शब्द मुख्य रूप से यूके, भारत और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में प्रयोग किया जाता है।
ग्राउंडिंग (Grounding)
- उद्देश्य: विद्युत प्रणाली (system) और उपकरणों की सुरक्षा के लिए।
- कार्य: यह विद्युत सर्किट के विद्युत-वाहक (current-carrying) हिस्सों (जैसे न्यूट्रल तार) को पृथ्वी से जोड़ता है।
- लाभ: यह प्रणाली में वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करता है और बिजली गिरने या वोल्टेज के उतार-चढ़ाव (fluctuations) के कारण होने वाले भारी करंट को सुरक्षित रूप से पृथ्वी में प्रवाहित करता है। यह सिस्टम को नुकसान से बचाता है।
- क्षेत्र: यह शब्द मुख्य रूप से अमेरिका और कनाडा में प्रयोग किया जाता है।
मुख्य अंतर का सारांश
नमस्ते! "Earthing" और "Grounding" के बीच का अंतर बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में। हालांकि दोनों का उद्देश्य सुरक्षा प्रदान करना है, लेकिन उनके कार्य और उद्देश्य में कुछ प्रमुख अंतर हैं।
मुख्य अंतरों को यहाँ सरल शब्दों में समझाया गया है:
1. उद्देश्य (Purpose):
- Earthing (अर्थिंग): इसका मुख्य उद्देश्य मानव जीवन को बिजली के झटके से बचाना है। यह उपकरण के गैर-करंट-ले जाने वाले धातु भागों (जैसे उपकरण की बॉडी) को जमीन से जोड़ता है। यदि उपकरण में कोई खराबी आती है और करंट उसकी बॉडी में प्रवाहित होने लगता है, तो अर्थिंग तार उस करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित कर देता है, जिससे किसी व्यक्ति को झटका लगने से रोका जा सके।
- Grounding (ग्राउंडिंग): इसका मुख्य उद्देश्य पूरे पावर सिस्टम और उपकरणों को सुरक्षित रखना है। यह सर्किट के करंट-ले जाने वाले भागों (जैसे ट्रांसफार्मर या जनरेटर का न्यूट्रल) को जमीन से जोड़ता है। यह सिस्टम में वोल्टेज के उतार-चढ़ाव (जैसे ओवरलोडिंग या लाइटनिंग स्ट्राइक) को स्थिर करता है और सिस्टम के सही ढंग से काम करने को सुनिश्चित करता है।
2. कौन से हिस्से को जोड़ा जाता है (Parts Connected):
- Earthing: उपकरण के गैर-करंट-ले जाने वाले भाग (dead parts) को जमीन से जोड़ा जाता है।
- Grounding: सर्किट के करंट-ले जाने वाले भाग (live parts), जैसे न्यूट्रल, को जमीन से जोड़ा जाता है।
3. तार का रंग (Wire Colour):
- Earthing: आमतौर पर, अर्थिंग के लिए हरे रंग का तार इस्तेमाल किया जाता है।
- Grounding: ग्राउंडिंग के लिए काले रंग का तार इस्तेमाल किया जाता है।
4. शब्दावली (Terminology):
- Earthing: यह शब्द मुख्य रूप से यूके और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में इस्तेमाल होता है।
- Grounding: यह शब्द मुख्य रूप से यूएस और कनाडा में इस्तेमाल होता है।
5. क्रिया (Action):
- Earthing: यह एक सुरक्षात्मक उपाय (preventive measure) है जो केवल तब काम करता है जब कोई गलती (fault) होती है।
- Grounding: यह सिस्टम का एक अभिन्न अंग है जो सामान्य और असामान्य दोनों स्थितियों में काम करता है, एक वैकल्पिक पथ (backup pathway) प्रदान करता है।
सारांश में, दोनों सुरक्षा के लिए हैं, लेकिन:
- अर्थिंग व्यक्ति की सुरक्षा के लिए है (जैसे फ्रिज की बॉडी को जमीन से जोड़ना)।
- ग्राउंडिंग सिस्टम की सुरक्षा के लिए है (जैसे ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल को जमीन से जोड़ना)।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दोनों एक ही भौतिक प्रक्रिया को संदर्भित करते हैं - एक विद्युत कंडक्टर को पृथ्वी (जमीन) से जोड़ना - लेकिन उनके विशिष्ट अनुप्रयोग और उद्देश्य अलग-अलग होते हैं।
अर्थिंग सिस्टम के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं:
1. अर्थ इलेक्ट्रोड (Earth Electrode)
यह अर्थिंग सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जो जमीन के अंदर गाड़ा जाता है। इसका काम फॉल्ट करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करना है। यह विभिन्न रूपों में हो सकता है, जैसे:
- रॉड (Rod): तांबे या गैल्वेनाइज्ड स्टील की रॉड को जमीन में गाड़ा जाता है। यह सबसे आम प्रकार है।
- प्लेट (Plate): तांबे या लोहे की प्लेट को जमीन में लंबवत (vertically) दफन किया जाता है। इसका उपयोग उन जगहों पर होता है जहां मिट्टी की प्रतिरोधकता (resistivity) अधिक होती है।
- पाइप (Pipe): छेद वाली गैल्वेनाइज्ड स्टील या लोहे की पाइप को जमीन में गाड़ा जाता है।
- स्ट्रिप (Strip): तांबे या गैल्वेनाइज्ड आयरन की एक लंबी पट्टी को जमीन में क्षैतिज रूप से (horizontally) बिछाया जाता है।
2. अर्थिंग कंडक्टर (Earthing Conductor)
यह एक तार होता है जो उपकरण के धातु भाग को अर्थ इलेक्ट्रोड से जोड़ता है। यह सुनिश्चित करता है कि फॉल्ट करंट उपकरण से निकलकर इलेक्ट्रोड तक पहुंचे। इसका रंग आमतौर पर हरा होता है।
3. अर्थिंग पिट (Earthing Pit)
यह वह गड्ढा होता है जिसमें अर्थ इलेक्ट्रोड को रखा जाता है। इस गड्ढे को अक्सर नमक (salt) और लकड़ी का कोयला (charcoal) जैसी सामग्री की परतों से भरा जाता है। यह सामग्री जमीन की प्रतिरोधकता को कम करती है, जिससे फॉल्ट करंट आसानी से प्रवाहित हो पाता है।
4. अर्थिंग टर्मिनल (Earthing Terminal)
यह एक बिंदु होता है जहाँ कई अर्थिंग कंडक्टर एक साथ जुड़ते हैं, और फिर एक मुख्य तार के माध्यम से अर्थ इलेक्ट्रोड से जुड़ते हैं। यह पूरे सिस्टम के लिए एक केंद्रीय कनेक्शन बिंदु के रूप में कार्य करता है।
अतिरिक्त घटक:
- अर्थिंग क्लैंप (Earthing Clamp): ये क्लैंप्स अर्थिंग कंडक्टर को इलेक्ट्रोड से मजबूती से जोड़ने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- इंस्पेक्शन पिट (Inspection Pit): यह एक छोटा चैंबर होता है जो जमीन के ऊपर बनाया जाता है, ताकि अर्थिंग सिस्टम की जांच और रखरखाव आसानी से किया जा सके।
प्लेट अर्थिंग एक प्रकार का अर्थिंग सिस्टम है, जिसमें एक तांबे (copper) या गैल्वेनाइज्ड आयरन (galvanized iron) की प्लेट का उपयोग किया जाता है। इस प्लेट को जमीन के अंदर लगभग 3 से 5 मीटर की गहराई में लंबवत (vertically) गाड़ा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य फॉल्ट करंट को प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करना है। यह सिस्टम मुख्य रूप से उन जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है जहां बहुत अधिक फॉल्ट करंट की संभावना होती है।
प्लेट अर्थिंग की प्रक्रिया
प्लेट अर्थिंग को स्थापित करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:
- गड्ढा खोदना: सबसे पहले, जमीन में एक गड्ढा खोदा जाता है। गड्ढे की गहराई आमतौर पर 3 मीटर से कम नहीं होती।
- प्लेट रखना: गड्ढे में तांबे या गैल्वेनाइज्ड आयरन की एक प्लेट को लंबवत रखा जाता है। प्लेट का आकार मानक होता है, जैसे तांबे की प्लेट के लिए 60cm x 60cm x 3.18mm।
- नमक और कोयले की परतें: प्लेट के चारों ओर नमक (salt) और लकड़ी का कोयला (charcoal) की परतें बिछाई जाती हैं। यह मिश्रण मिट्टी की प्रतिरोधकता (resistivity) को कम करता है, जिससे करंट को जमीन में प्रवाहित करना आसान हो जाता है।
- कनेक्शन: एक तांबे के तार को प्लेट से मजबूती से नट-बोल्ट के साथ जोड़ा जाता है। इस तार को एक जीआई (GI) पाइप के माध्यम से जमीन के बाहर निकाला जाता है।
- पिट को भरना: गड्ढे को वापस मिट्टी से भर दिया जाता है। पाइप के ऊपरी हिस्से में एक ढक्कन वाला बॉक्स लगा होता है, जिससे समय-समय पर पानी डाला जा सके।
प्लेट अर्थिंग के फायदे और नुकसान
फायदे:
- यह उच्च फॉल्ट करंट को भी संभाल सकती है।
- यह एक बहुत ही विश्वसनीय और प्रभावी अर्थिंग प्रणाली है।
- इसका जीवनकाल लंबा होता है।
नुकसान:
- अन्य अर्थिंग प्रणालियों की तुलना में यह अधिक महंगी होती है।
- इसे स्थापित करना थोड़ा जटिल होता है।
- सूखे मौसम में इसके प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए समय-समय पर पानी डालने की आवश्यकता हो सकती है।
पाइप अर्थिंग एक प्रकार का अर्थिंग सिस्टम है जिसमें एक जस्तीकृत लोहे (galvanized iron) या छिद्रित (perforated) पाइप को जमीन में गाड़कर अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया फॉल्ट करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करने के लिए की जाती है। यह प्रणाली उन जगहों पर सबसे प्रभावी होती है जहां जमीन में नमी की मात्रा अधिक होती है।
पाइप अर्थिंग की प्रक्रिया
पाइप अर्थिंग को स्थापित करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:
- गड्ढा खोदना (Excavation): सबसे पहले, जमीन में 3 से 4.75 मीटर की गहराई और 15-20 सेंटीमीटर व्यास का एक गोल गड्ढा खोदा जाता है।
- पाइप स्थापित करना (Pipe Installation): एक 38 मिमी व्यास वाली जस्तीकृत लोहे की पाइप को इस गड्ढे में लंबवत (vertically) रखा जाता है। यह पाइप एक अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में कार्य करती है। पाइप में कई छेद (holes) होते हैं, जो पानी को पाइप के अंदर जाने और बाहर निकलने देते हैं।
- नमक और कोयले की परतें (Layers of Salt and Charcoal): पाइप के चारों ओर गड्ढे में नमक (salt) और लकड़ी का कोयला (charcoal) की परतें बिछाई जाती हैं। इन परतों को बारी-बारी से पाइप के चारों ओर भरा जाता है। यह मिश्रण मिट्टी की प्रतिरोधकता (resistivity) को कम करता है, जिससे फॉल्ट करंट आसानी से प्रवाहित हो पाता है।
- मुख्य अर्थिंग तार को जोड़ना (Connecting the Earth Wire): एक मुख्य अर्थिंग तार (आम तौर पर 19 मिमी व्यास का जीआई तार) को पाइप के ऊपरी सिरे पर लगे नट-बोल्ट के माध्यम से मजबूती से जोड़ा जाता है।
- फनल और जाली लगाना (Installing Funnel and Mesh): पाइप के ऊपरी सिरे पर एक फ़नल और जाली लगाई जाती है। फ़नल का उपयोग पाइप में समय-समय पर पानी डालने के लिए किया जाता है ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। जाली कचरे को पाइप में जाने से रोकती है।
- पिट को भरना (Filling the Pit): अंत में, गड्ढे को मिट्टी से भर दिया जाता है और जमीन के स्तर पर एक छोटा सीमेंट का निरीक्षण पिट (inspection pit) बनाया जाता है ताकि समय-समय पर अर्थिंग की जाँच की जा सके।
पाइप अर्थिंग के फायदे
- यह प्लेट अर्थिंग की तुलना में कम खर्चीला होता है।
- यह अधिक प्रभावी है, क्योंकि पाइप में छेद के कारण पानी आसानी से मिट्टी तक पहुंचता है।
- इसका रखरखाव आसान है, क्योंकि पानी फ़नल के माध्यम से डाला जा सकता है।
पाइप अर्थिंग के नुकसान
- इसे स्थापित करना थोड़ा जटिल हो सकता है, क्योंकि इसे सही तरीके से गाड़ना आवश्यक होता है।
- यह उच्च फॉल्ट करंट को संभालने में उतना प्रभावी नहीं हो सकता है जितना कि प्लेट अर्थिंग।
रॉड अर्थिंग एक प्रकार का अर्थिंग सिस्टम है, जिसमें एक तांबे (copper) या गैल्वेनाइज्ड स्टील (galvanized steel) की रॉड का उपयोग किया जाता है। इस रॉड को जमीन में सीधा (vertically) गाड़कर अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रणाली उन जगहों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ जमीन की सतह पर ज्यादा जगह नहीं होती और मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। यह अन्य अर्थिंग विधियों की तुलना में स्थापित करना आसान और कम खर्चीला होता है।
रॉड अर्थिंग की प्रक्रिया
रॉड अर्थिंग को स्थापित करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:
- रॉड का चयन: सबसे पहले, एक उपयुक्त सामग्री और आकार की रॉड का चयन किया जाता है। आमतौर पर 25 मिमी व्यास की एक जीआई (GI) पाइप या 12.5 मिमी व्यास की एक तांबे की रॉड का उपयोग होता है।
- रॉड गाड़ना: रॉड को जमीन में सीधा गाड़ा जाता है। इसे हथौड़े या कंप्रेसर से संचालित ड्रिल का उपयोग करके गाड़ा जा सकता है। रॉड को तब तक गाड़ा जाता है जब तक कि यह मिट्टी के गीले भाग तक न पहुँच जाए। इसकी लंबाई 3 से 4 मीटर या उससे अधिक हो सकती है।
- अर्थिंग तार को जोड़ना: रॉड के ऊपरी सिरे पर एक क्लैंप का उपयोग करके एक अर्थिंग तार (conductor) को मजबूती से जोड़ा जाता है। यह तार उपकरण या इलेक्ट्रिक सिस्टम से जुड़ा होता है।
- निरीक्षण पिट (Inspection Pit): रॉड के चारों ओर जमीन पर एक छोटा सा निरीक्षण पिट बनाया जाता है ताकि समय-समय पर अर्थिंग कनेक्शन की जांच और रखरखाव किया जा सके।
रॉड अर्थिंग के फायदे और नुकसान
फायदे:
- स्थापित करने में आसान: यह विधि अन्य तरीकों जैसे प्लेट या पाइप अर्थिंग की तुलना में बहुत सरल है।
- कम खर्चीला: इसमें उपयोग होने वाली सामग्री और श्रम लागत कम होती है।
- कम जगह: इसे स्थापित करने के लिए बहुत कम जगह की आवश्यकता होती है, जो इसे शहरी क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाता है।
नुकसान:
- कम फॉल्ट करंट क्षमता: यह उच्च फॉल्ट करंट को संभालने के लिए प्लेट या पाइप अर्थिंग जितना प्रभावी नहीं हो सकता है।
- सूखी मिट्टी में कम प्रभावी: यदि मिट्टी सूखी है, तो इसकी प्रतिरोधकता (resistivity) बढ़ जाती है, जिससे इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। ऐसे मामलों में नमक और पानी का उपयोग करना पड़ सकता है।
स्ट्रिप या वायर अर्थिंग एक प्रकार की अर्थिंग प्रणाली है जिसमें एक लंबी, सपाट धातु की पट्टी (strip) या गोल तार (round wire) को अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग किया जाता है। इस पट्टी या तार को जमीन में क्षैतिज रूप से (horizontally), लगभग 0.5 मीटर की न्यूनतम गहराई पर बिछाया जाता है। यह विधि उन स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त है जहाँ चट्टानी जमीन या जमीन में नमी कम होती है, जिससे अन्य प्रकार के इलेक्ट्रोड (जैसे रॉड या प्लेट) को गाड़ना मुश्किल होता है।
प्रक्रिया और सामग्री
स्ट्रिप या वायर अर्थिंग में, निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है:
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सामग्री: आमतौर पर तांबे (copper) या गैल्वेनाइज्ड आयरन (galvanized iron) की स्ट्रिप या तार का उपयोग होता है।
- तांबे की स्ट्रिप का न्यूनतम क्रॉस-सेक्शनल क्षेत्र (cross-sectional area) 25mm x 1.6mm से कम नहीं होना चाहिए।
- जीआई (GI) स्ट्रिप का न्यूनतम क्रॉस-सेक्शनल क्षेत्र 25mm x 4mm से कम नहीं होना चाहिए।
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स्थापना:
- एक खाई (trench) खोदी जाती है जिसकी गहराई कम से कम 0.5 मीटर हो।
- चुनी हुई स्ट्रिप या तार को इस खाई में क्षैतिज रूप से बिछाया जाता है।
- खाई को मिट्टी से भर दिया जाता है। यदि आवश्यक हो तो मिट्टी की प्रतिरोधकता (resistivity) को कम करने के लिए नमक और कोयले की परतों का उपयोग किया जा सकता है।
- स्ट्रिप का एक सिरा उपकरण से जुड़े अर्थिंग तार से जोड़ा जाता है।
फायदे और नुकसान
फायदे:
- बड़े भू-क्षेत्र में प्रभावी: यह विधि बड़े क्षेत्रों में बहुत प्रभावी होती है, क्योंकि स्ट्रिप को लंबी दूरी तक बिछाकर भू-संपर्क क्षेत्र (earth contact area) को बढ़ाया जा सकता है।
- चट्टानी जमीन के लिए उपयुक्त: जहाँ रॉड या प्लेट को गाड़ना संभव नहीं होता, वहाँ स्ट्रिप को बिछाकर अर्थिंग की जा सकती है।
- कम खर्चीला: अन्य विधियों की तुलना में यह कम खर्चीला होता है, खासकर जब लम्बी दूरी के लिए अर्थिंग की आवश्यकता हो।
- कम रखरखाव: इसे कम रखरखाव की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह सतह के पास होता है।
नुकसान:
- गहरी नमी तक पहुंचना मुश्किल: क्योंकि यह सतह के करीब होता है, इसलिए शुष्क मौसम में मिट्टी सूखने पर इसकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।
- अधिक जगह की आवश्यकता: इसे स्थापित करने के लिए एक लंबी खाई की आवश्यकता होती है, जो कि सीमित स्थान वाले क्षेत्रों के लिए अनुपयुक्त है।
रासायनिक अर्थिंग (Chemical Earthing) एक आधुनिक और बेहतर अर्थिंग विधि है जिसमें पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाने वाले नमक और कोयले की जगह विशेष रासायनिक यौगिकों (chemical compounds) का उपयोग किया जाता है। इन यौगिकों को अर्थ इलेक्ट्रोड के चारों ओर डाला जाता है ताकि मिट्टी की प्रतिरोधकता (soil resistivity) को कम किया जा सके और एक मजबूत, कम प्रतिरोध वाला मार्ग बनाया जा सके। इसका मुख्य लाभ यह है कि इसे बहुत कम या बिल्कुल भी रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये यौगिक नमी को बनाए रखते हैं और लंबे समय तक प्रभावी रहते हैं।
रासायनिक अर्थिंग की प्रक्रिया
रासायनिक अर्थिंग स्थापित करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं:
- गड्ढा खोदना: सबसे पहले, जमीन में एक गड्ढा खोदा जाता है जिसकी गहराई 3 से 4.75 मीटर तक हो सकती है।
- इलेक्ट्रोड स्थापित करना: एक तांबे या जीआई (GI) से बना विशेष इलेक्ट्रोड, जिसे अक्सर कॉपर-बांडेड रॉड (copper-bonded rod) कहा जाता है, गड्ढे के केंद्र में लंबवत रखा जाता है।
- रासायनिक यौगिक डालना: गड्ढे को एक विशेष रासायनिक पाउडर, जैसे बेंटोनाइट (Bentonite) या ग्रेफाइट-आधारित यौगिक (graphite-based compound), से भर दिया जाता है। इस पाउडर को पानी के साथ मिलाकर एक पेस्ट बनाया जाता है और इलेक्ट्रोड के चारों ओर डाला जाता है। ये यौगिक नमी को बनाए रखते हैं और मिट्टी की चालकता (conductivity) को बढ़ाते हैं।
- कनेक्शन: इलेक्ट्रोड के शीर्ष पर एक क्लैंप के माध्यम से मुख्य अर्थिंग तार को जोड़ा जाता है, जो फिर उपकरण से जुड़ा होता है।
- पिट को भरना: गड्ढे को वापस भर दिया जाता है और एक छोटा निरीक्षण पिट (inspection pit) बनाया जाता है।
रासायनिक अर्थिंग के फायदे
- रखरखाव-मुक्त (Maintenance-Free): पारंपरिक अर्थिंग के विपरीत, इसे बार-बार पानी डालने या नमक/कोयला बदलने की आवश्यकता नहीं होती।
- उच्च चालकता: उपयोग किए गए रासायनिक यौगिक मिट्टी के प्रतिरोध को बहुत कम कर देते हैं, जिससे फॉल्ट करंट का प्रवाह बहुत कुशल हो जाता है।
- लम्बी उम्र: यह प्रणाली पारंपरिक अर्थिंग की तुलना में बहुत लंबे समय तक चलती है।
- शुष्क स्थानों के लिए उपयुक्त: यह उन जगहों पर भी प्रभावी है जहां मिट्टी सूखी होती है या नमी कम होती है।
रखरखाव-मुक्त अर्थिंग (Maintenance-free Earthing) एक आधुनिक अर्थिंग प्रणाली है जिसे न्यूनतम या बिना किसी नियमित रखरखाव के प्रभावी ढंग से काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पारंपरिक अर्थिंग सिस्टम, जिसमें अक्सर समय-समय पर नमक और पानी डालना पड़ता है, के विपरीत, इस प्रणाली में विशेष सामग्री और डिज़ाइन का उपयोग किया जाता है।
मुख्य घटक
- विशेष इलेक्ट्रोड: इसमें तांबे-बांडेड स्टील रॉड या अन्य विशेष सामग्री से बने इलेक्ट्रोड का उपयोग होता है जो जंग (corrosion) प्रतिरोधी होते हैं।
- रासायनिक यौगिक (Chemical Compound): पारंपरिक नमक और कोयले की जगह, इस प्रणाली में बेंटोनाइट या ग्रेफाइट-आधारित पाउडर जैसे विशेष रासायनिक यौगिकों का उपयोग होता है। ये यौगिक नमी को बनाए रखते हैं और मिट्टी की प्रतिरोधकता को बहुत कम करते हैं।
फायदे
- कम रखरखाव: सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे बार-बार पानी डालने या जाँच करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे समय और पैसा दोनों की बचत होती है।
- उच्च विश्वसनीयता: यह पूरे साल मिट्टी की प्रतिरोधकता को स्थिर बनाए रखता है, जिससे सिस्टम की सुरक्षा और विश्वसनीयता में सुधार होता है।
- लंबा जीवनकाल: जंग प्रतिरोधी सामग्री और विशेष यौगिकों के कारण, इस प्रणाली का जीवनकाल पारंपरिक अर्थिंग की तुलना में बहुत लंबा होता है।
- सभी प्रकार की मिट्टी के लिए उपयुक्त: यह सूखी या चट्टानी मिट्टी में भी प्रभावी ढंग से काम करता है, जहाँ पारंपरिक तरीके मुश्किल होते हैं।
प्लेट अर्थिंग और पाइप अर्थिंग दोनों ही प्रमुख अर्थिंग विधियां हैं, जिनका उपयोग फॉल्ट करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है। हालांकि, उनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं जो उनके उपयोग, लागत और प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं।
प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
प्लेट अर्थिंग में, एक तांबे या गैल्वेनाइज्ड आयरन की प्लेट को अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग किया जाता है।
- इलेक्ट्रोड: एक सपाट धातु की प्लेट, जिसका आकार आमतौर पर 60cm x 60cm x 3.18mm (तांबे के लिए) होता है।
- स्थापना: प्लेट को जमीन में लंबवत (vertically) लगभग 3 मीटर की गहराई में गाड़ा जाता है। प्लेट के चारों ओर नमक और कोयले की परतें बिछाई जाती हैं ताकि प्रतिरोधकता कम हो सके।
- उपयोग: यह विधि मुख्य रूप से उच्च फॉल्ट करंट वाले स्थानों, जैसे सबस्टेशन और बड़े औद्योगिक संयंत्रों, में उपयोग की जाती है।
- लागत: पाइप अर्थिंग की तुलना में यह अधिक महंगी होती है क्योंकि तांबे की प्लेट महंगी होती है और इसे स्थापित करने के लिए अधिक खुदाई की आवश्यकता होती है।
पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
पाइप अर्थिंग में, एक जस्तीकृत लोहे (galvanized iron) की पाइप को अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग किया जाता है।
- इलेक्ट्रोड: एक छिद्रित (perforated) पाइप, जिसका व्यास लगभग 38mm और लंबाई 2.5 से 4.75 मीटर तक होती है।
- स्थापना: पाइप को जमीन में लंबवत (vertically) लगभग 2.5 से 4.75 मीटर की गहराई में गाड़ा जाता है। पाइप के चारों ओर नमक और कोयले की परतें बिछाई जाती हैं और पाइप के ऊपर एक फ़नल लगाया जाता है जिससे समय-समय पर पानी डाला जा सके।
- उपयोग: यह घरेलू वायरिंग और छोटे से मध्यम स्तर के प्रतिष्ठानों के लिए सबसे आम और उपयुक्त विधि है।
- लागत: प्लेट अर्थिंग की तुलना में यह कम खर्चीली होती है और इसके घटक आसानी से उपलब्ध होते हैं।
मुख्य अंतर सारणी (Key Differences Table)
प्लेट अर्थिंग और पाइप अर्थिंग दोनों ही विद्युत सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण तरीके हैं, लेकिन इनके बीच कई प्रमुख अंतर हैं जो इन्हें अलग-अलग उपयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
यहाँ दोनों के बीच मुख्य अंतरों को समझाया गया है:
प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
- इलेक्ट्रोड: इसमें एक मोटी, सपाट धातु की प्लेट (आमतौर पर तांबे या गैल्वेनाइज्ड आयरन की) का उपयोग किया जाता है।
- स्थापना: प्लेट को जमीन में लंबवत (vertically), लगभग 3 मीटर की गहराई पर गाड़ा जाता है। प्लेट के चारों ओर कोयले और नमक की परतें बिछाई जाती हैं ताकि प्रतिरोधकता कम हो सके।
- उपयोग: यह प्रणाली उच्च फॉल्ट करंट वाले बड़े प्रतिष्ठानों, जैसे औद्योगिक क्षेत्रों, सबस्टेशनों, और बड़े भवनों में सबसे ज्यादा उपयोग की जाती है। इसकी बड़ी सतह फॉल्ट करंट को प्रभावी ढंग से जमीन में फैला देती है।
- लागत: प्लेट अर्थिंग पाइप अर्थिंग की तुलना में अधिक महंगी होती है, क्योंकि इसमें उपयोग होने वाली तांबे की प्लेट और स्थापना प्रक्रिया की लागत अधिक होती है।
पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
- इलेक्ट्रोड: इसमें एक छिद्रित (perforated) पाइप (आमतौर पर गैल्वेनाइज्ड आयरन का) का उपयोग किया जाता है।
- स्थापना: पाइप को जमीन में लंबवत, लगभग 2.5 से 4.75 मीटर की गहराई पर गाड़ा जाता है। पाइप के चारों ओर भी नमक और कोयले की परतें बिछाई जाती हैं। पाइप में एक फ़नल भी लगा होता है जिससे समय-समय पर पानी डाला जा सके।
- उपयोग: यह विधि मुख्य रूप से घरेलू वायरिंग, छोटे प्रतिष्ठानों और आवासीय भवनों में उपयोग की जाती है। यह एक सस्ता और आसान विकल्प है।
- लागत: यह प्लेट अर्थिंग की तुलना में काफी कम खर्चीली होती है।
मुख्य अंतर सारणी (Key Differences Table)
संक्षेप में,
यदि आपको उच्च सुरक्षा और क्षमता चाहिए, तो प्लेट अर्थिंग बेहतर है। लेकिन अगर आप कम लागत और आसान स्थापना चाहते हैं, तो पाइप अर्थिंग एक अच्छा विकल्प है, खासकर घरेलू उपयोग के लिए।
पाइप अर्थिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले जीआई (गैल्वेनाइज्ड आयरन) पाइप के लिए कोई एक निश्चित मानक आकार नहीं है, क्योंकि यह मिट्टी की स्थिति और आवश्यकतानुसार बदल सकता है। हालांकि, भारतीय मानकों और सामान्य अभ्यास के अनुसार, कुछ सामान्य आकार इस प्रकार हैं:
- व्यास (Diameter): जीआई पाइप का व्यास आमतौर पर 40 मिमी (1.5 इंच) या 50 मिमी (2 इंच) होता है। हालांकि, कुछ मामलों में 65 मिमी (2.5 इंच) या उससे बड़े व्यास वाले पाइप का भी उपयोग किया जाता है।
- लंबाई (Length): पाइप की लंबाई सामान्यतः 2.5 से 4.75 मीटर तक होती है। शुष्क या चट्टानी मिट्टी में, जहां नमी गहराई पर मिलती है, लंबी पाइप की आवश्यकता हो सकती है।
पाइप अर्थिंग के घटक
पाइप अर्थिंग में, जीआई पाइप को एक अर्थ इलेक्ट्रोड के रूप में जमीन में लंबवत गाड़ा जाता है। पाइप में कई छेद होते हैं ताकि पानी और नमक-कोयले के मिश्रण की नमी पाइप के चारों ओर की मिट्टी तक पहुंच सके।
अर्थिंग इलेक्ट्रोड की दफन गहराई (burial depth) विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मिट्टी का प्रकार, नमी की मात्रा और इलेक्ट्रोड का प्रकार। हालांकि, कुछ सामान्य मानक हैं:
- प्लेट अर्थिंग: प्लेट को जमीन से कम से कम 3 मीटर (लगभग 10 फीट) की गहराई पर गाड़ा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्लेट मिट्टी के उस हिस्से तक पहुँचे जहाँ पूरे साल पर्याप्त नमी बनी रहती है, जिससे प्रतिरोध (resistance) कम रहे।
- पाइप अर्थिंग: पाइप की न्यूनतम लंबाई 2.5 मीटर होनी चाहिए, और इसे आमतौर पर 3 से 4.75 मीटर की गहराई पर गाड़ा जाता है। यह गहराई मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करती है। शुष्क और चट्टानी मिट्टी में, पाइप को गहरी नमी तक पहुँचने के लिए अधिक गहराई पर गाड़ा जाता है।
- रॉड अर्थिंग: रॉड को तब तक जमीन में गाड़ा जाता है जब तक कि वह मिट्टी की गीली परत तक न पहुँच जाए। इसकी न्यूनतम लंबाई 2.5 मीटर होती है, लेकिन यह 4 मीटर या उससे अधिक भी हो सकती है।
सामान्य नियम यह है कि इलेक्ट्रोड को पर्याप्त गहराई पर गाड़ा जाना चाहिए ताकि वह स्थायी रूप से गीली मिट्टी के संपर्क में रहे। यह फॉल्ट करंट को प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित करने के लिए आवश्यक है।
पृथ्वी प्रतिरोध (Earth Resistance) को मापने के लिए कई विधियां उपयोग की जाती हैं, लेकिन सबसे आम और विश्वसनीय विधि पतन-क्षमता विधि (Fall-of-Potential Method) है, जिसे तीन-बिंदु विधि (Three-point Method) भी कहा जाता है। इस विधि में एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है जिसे अर्थ टेस्टर (Earth Tester) या अर्थ मेगर (Earth Megger) कहते हैं।
तीन-बिंदु विधि (Fall-of-Potential Method)
यह विधि ओम के नियम (R = V/I) पर आधारित है और इसे निम्नलिखित चरणों में पूरा किया जाता है:
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उपकरण और सेटअप:
- अर्थ टेस्टर (Earth Tester): एक विशेष उपकरण जो माप के लिए एक छोटा करंट और वोल्टेज उत्पन्न करता है।
- परीक्षण इलेक्ट्रोड (Test Electrode): यह वह अर्थिंग रॉड या प्लेट है जिसका प्रतिरोध मापना है।
- सहायक इलेक्ट्रोड (Auxiliary Electrodes): दो अतिरिक्त मेटल स्पाइक्स (धातु की कीलें) जो जमीन में गाड़े जाते हैं।
-
कनेक्शन:
- अर्थ टेस्टर के C1 और P1 टर्मिनलों को आपस में जोड़कर परीक्षण इलेक्ट्रोड से कनेक्ट किया जाता है।
- C2 टर्मिनल को जमीन में गाड़ी गई पहली सहायक इलेक्ट्रोड (करंट इलेक्ट्रोड) से जोड़ा जाता है।
- P2 टर्मिनल को दूसरी सहायक इलेक्ट्रोड (पोटेंशियल इलेक्ट्रोड) से जोड़ा जाता है।
-
माप:
- सभी कनेक्शन करने के बाद, अर्थ टेस्टर को चालू किया जाता है।
- टेस्टर एक ज्ञात करंट (I) को परीक्षण इलेक्ट्रोड के माध्यम से जमीन में प्रवाहित करता है और इसे करंट इलेक्ट्रोड (C2) से वापस लेता है।
- इसी दौरान, यह पोटेंशियल इलेक्ट्रोड (P2) और परीक्षण इलेक्ट्रोड के बीच उत्पन्न वोल्टेज ड्रॉप (V) को मापता है।
- उपकरण आंतरिक रूप से R = V/I का उपयोग करके प्रतिरोध की गणना करता है और परिणाम को ओम (ohms) में प्रदर्शित करता है।
सहायक इलेक्ट्रोड की दूरी
माप की सटीकता के लिए सहायक इलेक्ट्रोड की दूरी बहुत महत्वपूर्ण है।
- करंट इलेक्ट्रोड (C2): इसे परीक्षण इलेक्ट्रोड से लगभग 25 से 50 मीटर की दूरी पर रखा जाता है।
- पोटेंशियल इलेक्ट्रोड (P2): इसे परीक्षण इलेक्ट्रोड और करंट इलेक्ट्रोड के बीच में, दोनों के बीच की कुल दूरी के लगभग 62% पर रखा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि C2, 50 मीटर दूर है, तो P2 को 31 मीटर की दूरी पर रखा जाएगा।
यह विधि सबसे सटीक मानी जाती है क्योंकि यह परीक्षण इलेक्ट्रोड और सहायक इलेक्ट्रोड के विद्युत क्षेत्रों के बीच हस्तक्षेप को कम करती है।
पृथ्वी प्रतिरोध (Earth resistance) को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण को अर्थ टेस्टर (Earth Tester) या ग्राउंड रेजिस्टेंस टेस्टर (Ground Resistance Tester) कहते हैं। इसे कभी-कभी अर्थ मेगर (Earth Megger) भी कहा जाता है।
यह उपकरण पृथ्वी की प्रतिरोधकता को ओम (\Omega) में मापता है, जो कि विद्युत प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह आमतौर पर पतन-क्षमता विधि (Fall-of-Potential Method) का उपयोग करता है, जिसमें एक ज्ञात करंट को जमीन में प्रवाहित किया जाता है और वोल्टेज ड्रॉप को मापकर प्रतिरोध की गणना की जाती है।
भारत में अर्थिंग के लिए मुख्य रूप से IS 3043:2018 नामक भारतीय मानक का पालन किया जाता है, जिसका पूरा नाम "Code of Practice for Earthing" है। यह मानक बिजली के उपकरणों और प्रणालियों में सुरक्षा के लिए अर्थिंग से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल करता है।
IS 3043 में शामिल मुख्य विषय:
- अर्थ इलेक्ट्रोड: यह मानक विभिन्न प्रकार के अर्थ इलेक्ट्रोड (जैसे पाइप, प्लेट, रॉड) और उनके इंस्टॉलेशन के तरीके पर दिशा-निर्देश देता है।
- अर्थिंग प्रणाली का डिज़ाइन: यह बताता है कि अलग-अलग स्थानों जैसे पावर स्टेशन, सबस्टेशन, औद्योगिक क्षेत्रों और आवासीय इमारतों के लिए अर्थिंग प्रणाली को कैसे डिज़ाइन किया जाना चाहिए।
- अर्थ रेजिस्टेंस: यह मानक विभिन्न प्रकार के प्रतिष्ठानों के लिए स्वीकार्य अर्थ रेजिस्टेंस (पृथ्वी प्रतिरोध) के मानों को भी निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए, बड़े पावर स्टेशनों के लिए 0.5 ओम और सामान्य घरों के लिए 1 ओम से कम की सिफारिश की जाती है।
- सुरक्षा: इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को बिजली के झटके से बचाना और उपकरणों को फॉल्ट करंट से होने वाले नुकसान से बचाना है।
अर्थिंग की स्थापना करते समय कई सुरक्षा सावधानियां बरतना बेहद ज़रूरी है ताकि बिजली के झटके और आग लगने जैसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
अर्थिंग स्थापना की सुरक्षा सावधानियां
- सही सामग्री का उपयोग: अर्थिंग के लिए हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले तांबे या G.I. (गैल्वनाइज्ड आयरन) के तारों और इलेक्ट्रोड का उपयोग करें। घटिया सामग्री का उपयोग करने से अर्थिंग की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
- उचित गहराई: अर्थिंग इलेक्ट्रोड को मिट्टी में पर्याप्त गहराई (कम से कम 2.5 मीटर) तक गाड़ें ताकि वह हमेशा नमी के संपर्क में रहे। इससे अर्थिंग का प्रतिरोध कम रहता है और वह प्रभावी रूप से काम करता है।
- रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) की जाँच: स्थापना के बाद, अर्थ टेस्टर का उपयोग करके अर्थिंग का प्रतिरोध मापें। घरेलू प्रतिष्ठानों के लिए यह प्रतिरोध 1 ओम से कम होना चाहिए।
- सुरक्षित कनेक्शन: सभी जोड़ (जॉइंट्स) कसकर और मज़बूती से बनाए जाने चाहिए। ढीले कनेक्शन से प्रतिरोध बढ़ सकता है, जिससे अर्थिंग प्रणाली अप्रभावी हो जाती है।
- नमक और चारकोल का उपयोग: अर्थिंग पिट में नमक और चारकोल की परतें डालने से मिट्टी की चालकता बढ़ती है और नमी बनी रहती है। इससे अर्थिंग का प्रतिरोध कम होता है।
- आरसीसीबी (RCCB) का उपयोग: अर्थिंग के साथ-साथ, घर की वायरिंग में रेसिडुअल करंट सर्किट ब्रेकर (RCCB) या अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर (ELCB) लगाना भी बहुत ज़रूरी है। यह लीकेज करंट का पता लगा कर तुरंत बिजली काट देता है, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- नियमित रखरखाव: अर्थिंग प्रणाली का समय-समय पर निरीक्षण और रखरखाव करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह सही ढंग से काम कर रही है।
पृथ्वी प्रतिरोध (Earth Resistance) का मान कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक मिट्टी की प्रकृति और स्थिति है। एक प्रभावी अर्थिंग प्रणाली के लिए पृथ्वी प्रतिरोध का मान कम होना चाहिए।
यहाँ उन मुख्य कारकों की सूची दी गई है जो पृथ्वी प्रतिरोध मान को प्रभावित करते हैं:
1. मिट्टी की संरचना (Soil Composition)
मिट्टी का प्रकार प्रतिरोध मान पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। अलग-अलग प्रकार की मिट्टी का प्रतिरोध अलग-अलग होता है:
- गीली, चिकनी या नम मिट्टी (Wet, Clayey or Loamy Soil): इन मिट्टियों में नमी और खनिजों की मात्रा अधिक होती है, जिससे इनका प्रतिरोध कम होता है और ये अच्छी कंडक्टर होती हैं।
- सूखी, रेतीली या पथरीली मिट्टी (Dry, Sandy or Rocky Soil): ये मिट्टी बहुत खराब कंडक्टर होती हैं, क्योंकि इनमें नमी और खनिजों की कमी होती है, जिससे इनका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है।
2. मिट्टी में नमी की मात्रा (Soil Moisture Content)
यह पृथ्वी प्रतिरोध को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है। मिट्टी में जितनी अधिक नमी होगी, उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा।
- पानी मिट्टी में आयनों (Ions) को घोलकर उसे एक इलेक्ट्रोलाइट बनाता है, जिससे करंट आसानी से प्रवाहित हो पाता है।
- जब मिट्टी सूख जाती है, तो आयन कम हो जाते हैं, जिससे प्रतिरोध बढ़ जाता है।
3. तापमान (Temperature)
तापमान में बदलाव भी पृथ्वी प्रतिरोध को प्रभावित करता है।
- जमाव बिंदु (Freezing Point) से ऊपर: तापमान बढ़ने पर मिट्टी में आयनों की गतिशीलता बढ़ जाती है, जिससे प्रतिरोध थोड़ा कम हो सकता है।
- जमाव बिंदु (0°C) पर या उससे नीचे: जब मिट्टी में मौजूद पानी जम जाता है, तो वह एक कुचालक (Insulator) बन जाता है। इससे प्रतिरोध बहुत तेजी से और बहुत अधिक बढ़ जाता है।
4. नमक और खनिज (Salts and Minerals)
मिट्टी में घुले हुए नमक और खनिज प्रतिरोध को कम करने में मदद करते हैं।
- इनमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट्स करंट के प्रवाह के लिए अतिरिक्त चैनल प्रदान करते हैं।
- यही कारण है कि अर्थिंग पिट में नमक और चारकोल का उपयोग किया जाता है, ताकि मिट्टी की चालकता बढ़ाई जा सके।
5. इलेक्ट्रोड का आकार और गहराई (Size and Depth of Electrode)
- गहराई: अर्थिंग इलेक्ट्रोड को जितनी अधिक गहराई तक गाड़ा जाएगा, उसके नमी वाले क्षेत्र में रहने की संभावना उतनी ही अधिक होगी, जिससे प्रतिरोध कम रहेगा।
- आकार (लंबाई और व्यास): इलेक्ट्रोड की सतह का क्षेत्रफल जितना अधिक होगा, करंट के प्रवाह के लिए उतनी ही अधिक जगह मिलेगी, जिससे प्रतिरोध कम होगा। इसलिए, लंबी रॉड या बड़ी प्लेट का उपयोग करने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
अर्थिंग में नमक और चारकोल (कोयले का चूरा) का उपयोग मिट्टी के प्रतिरोध को कम करने और नमी बनाए रखने के लिए किया जाता है, जिससे लीकेज करंट को ज़मीन में सुरक्षित रूप से प्रवाहित करने में मदद मिलती है।
नमक की भूमिका (Role of Salt)
- चालकता बढ़ाता है: नमक (सोडियम क्लोराइड) एक आयनिक यौगिक है। जब यह पानी में घुलता है, तो यह सोडियम (Na^+) और क्लोराइड (Cl^−) आयनों में टूट जाता है। ये आयन पानी में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं, जिससे यह एक इलेक्ट्रोलाइट बन जाता है।
- प्रतिरोध कम करता है: इलेक्ट्रोलाइटिक घोल की तरह काम करके, नमक मिट्टी की चालकता को बढ़ाता है। यह लीकेज करंट के लिए एक कम-प्रतिरोध वाला रास्ता प्रदान करता है, जिससे वह तेज़ी से और कुशलता से ज़मीन में चला जाता है।
चारकोल की भूमिका (Role of Charcoal)
- नमी बनाए रखता है: चारकोल अत्यधिक छिद्रपूर्ण (porous) होता है, जिसका मतलब है कि इसमें बहुत से छोटे-छोटे छेद होते हैं। ये छेद स्पंज की तरह काम करते हैं और नमी को लंबे समय तक अपने अंदर बनाए रखते हैं।
- तापमान को नियंत्रित करता है: चारकोल गर्मी को अवशोषित करता है और तापमान को स्थिर रखने में मदद करता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि तापमान बढ़ने पर मिट्टी सूख सकती है और उसका प्रतिरोध बढ़ सकता है।
- अतिरिक्त चालकता प्रदान करता है: चारकोल कार्बन से बना होता है, जो बिजली का एक अच्छा चालक है। यह खुद भी एक कम-प्रतिरोध वाला माध्यम प्रदान करके अर्थिंग में मदद करता है।
नमक और चारकोल की परतें अर्थिंग इलेक्ट्रोड के चारों ओर एक "कम-प्रतिरोध का आवरण" बनाती हैं। चारकोल नमी को सोखता है और उसे रोक कर रखता है, जबकि नमक उस नमी को आयनों से भर देता है। इन दोनों का संयुक्त प्रभाव यह सुनिश्चित करता है कि अर्थिंग प्रणाली का प्रतिरोध हमेशा कम बना रहे, खासकर शुष्क मौसम में।
अर्थिंग गड्ढों में पानी इसलिए डाला जाता है ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे और उसका प्रतिरोध (resistance) कम हो। इससे अर्थिंग प्रणाली की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।
पानी डालने के कारण
- प्रतिरोध को कम करना: सूखी मिट्टी में नमी की कमी के कारण बिजली के प्रवाह में रुकावट आती है, जिससे प्रतिरोध बढ़ जाता है। पानी डालने से मिट्टी गीली हो जाती है, जिससे वह बिजली की बेहतर चालक बन जाती है और प्रतिरोध कम हो जाता है।
- सुरक्षा बढ़ाना: जब बिजली के उपकरण में कोई खराबी आती है (जैसे शॉर्ट सर्किट), तो लीकेज करंट को ज़मीन में प्रवाहित करने के लिए एक कम प्रतिरोध वाले मार्ग की आवश्यकता होती है। पानी डालने से यह मार्ग प्रभावी रूप से काम करता है, जिससे उपकरण और इंसान दोनों सुरक्षित रहते हैं।
- नमक को घोलना: अक्सर अर्थिंग गड्ढों में नमक भी डाला जाता है। पानी नमक को घोलकर आयन बनाता है, जो बिजली के प्रवाह को और भी आसान बना देता है, जिससे अर्थिंग की दक्षता और बढ़ जाती है।
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि अर्थिंग गड्ढे में नमी हमेशा बनी रहे, खासकर सूखे मौसम में। यही कारण है कि समय-समय पर गड्ढे में पानी डाला जाता है।
ऊँची इमारतों (high-rise buildings) के लिए एक व्यापक और मजबूत अर्थिंग प्रणाली की आवश्यकता होती है। इन इमारतों में न केवल सामान्य उपकरणों की सुरक्षा बल्कि बिजली गिरने (lightning) से सुरक्षा और विद्युत चुम्बकीय संगतता (electromagnetic compatibility - EMC) भी सुनिश्चित करनी होती है।
ऊँची इमारतों के लिए उपयुक्त अर्थिंग प्रणाली में निम्नलिखित घटक शामिल होते हैं:
- फाउंडेशन अर्थिंग (Foundation Earthing): यह सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक प्रणाली है। इसमें इमारत की नींव (foundation) में ही एक रिंग इलेक्ट्रोड या मेष (mesh) प्रणाली स्थापित की जाती है। यह प्रणाली बिल्डिंग के स्टील रिबार (rebar) को एक विशाल अर्थिंग इलेक्ट्रोड में बदल देती है। इस विधि से बहुत कम प्रतिरोध प्राप्त होता है और यह पूरे ढांचे के लिए एक समान भू-विभव (equipotential) प्रदान करता है, जिससे वोल्टेज में अंतर नहीं होता।
- रिंग अर्थिंग (Ring Earthing): बिल्डिंग के चारों ओर एक क्षैतिज रिंग इलेक्ट्रोड स्थापित किया जाता है। यह रिंग इलेक्ट्रोड जमीन में कम से कम 0.5 मीटर की गहराई पर लगाया जाता है। यह प्रणाली फाउंडेशन अर्थिंग को और मजबूत करती है और बिजली गिरने की स्थिति में करंट को प्रभावी ढंग से फैलाने में मदद करती है।
- मल्टीपल अर्थ पिट्स (Multiple Earth Pits): बड़े भवनों में, सिर्फ एक अर्थ पिट पर्याप्त नहीं होता। कई जगहों पर गहरे अर्थ पिट स्थापित किए जाते हैं, जिन्हें आपस में जोड़ा जाता है। ये पिट्स विशेष रूप से संवेदनशील उपकरणों, जैसे लिफ्ट, सर्वर रूम, और जनरेटर के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- लाइटनिंग प्रोटेक्शन सिस्टम (Lightning Protection System): ऊँची इमारतों पर बिजली गिरने का खतरा अधिक होता है। इसलिए, एक अलग लाइटनिंग अरेस्टर (lightning arrester) प्रणाली स्थापित की जाती है। इस प्रणाली में एयर टर्मिनेशन रॉड (air termination rod) इमारत की छत पर लगाई जाती है, जो डाउन कंडक्टरों (down conductors) के माध्यम से एक समर्पित अर्थिंग इलेक्ट्रोड से जुड़ी होती है।
- इक्विपोटेंशियल बॉन्डिंग (Equipotential Bonding): ऊँची इमारतों में सभी धातु के हिस्से, जैसे पाइप, केबल ट्रे, और लिफ्ट शाफ्ट, को एक समान भू-विभव पर बनाए रखने के लिए आपस में जोड़ा जाता है। यह लोगों को वोल्टेज के अंतर के कारण लगने वाले झटके से बचाता है।
ऊँची इमारतों के लिए, एक एकीकृत और अच्छी तरह से डिजाइन की गई प्रणाली, जिसमें फाउंडेशन अर्थिंग और लाइटनिंग प्रोटेक्शन दोनों शामिल हों, सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
अर्थिंग इलेक्ट्रोड एक धातु की छड़, पाइप या प्लेट होती है जिसे जमीन में गाड़ा जाता है। इसका मुख्य कार्य विद्युत उपकरणों और संरचनाओं को धरती से जोड़ना है ताकि लीकेज करंट या फाल्ट करंट को सुरक्षित रूप से जमीन में प्रवाहित किया जा सके।
अर्थिंग इलेक्ट्रोड के प्रकार
- रॉड इलेक्ट्रोड (Rod Electrode): यह तांबे या गैल्वेनाइज्ड स्टील की एक लंबी छड़ होती है जिसे जमीन में लंबवत (vertically) गाड़ा जाता है। इसका उपयोग अक्सर आवासीय और छोटे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में किया जाता है।
- पाइप इलेक्ट्रोड (Pipe Electrode): यह एक खोखला गैल्वेनाइज्ड आयरन (GI) या तांबे का पाइप होता है। इसे भी रॉड की तरह ही गाड़ा जाता है और यह रॉड की तुलना में अधिक सतह क्षेत्र (surface area) प्रदान करता है, जिससे प्रतिरोध कम होता है।
- प्लेट इलेक्ट्रोड (Plate Electrode): यह तांबे या गैल्वेनाइज्ड आयरन की एक प्लेट होती है, जिसे जमीन में बहुत गहराई तक गाड़ा जाता है। इसका उपयोग बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों और पावर स्टेशनों में किया जाता है, जहाँ बहुत कम प्रतिरोध की आवश्यकता होती है।
- स्ट्रिप इलेक्ट्रोड (Strip Electrode): यह तांबे या जीआई की एक पट्टी होती है जिसे जमीन में क्षैतिज रूप से (horizontally) बिछाया जाता है। यह उन जगहों पर इस्तेमाल होती है जहाँ जमीन में गहराई तक खुदाई करना संभव नहीं होता।
कार्य और महत्व
अर्थिंग इलेक्ट्रोड का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी प्रकार का लीकेज करंट या शॉर्ट सर्किट करंट बिना किसी नुकसान के जमीन में चला जाए। इससे:
- बिजली के झटके से सुरक्षा: यह धातु के उपकरणों के बाहरी हिस्से को ग्राउंड करता है, जिससे गलती से करंट आने पर वह जमीन में चला जाता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: यह संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अधिक वोल्टेज और ओवरकरंट से बचाता है।
ट्रांसफार्मर की स्थापना के लिए कम से कम दो अर्थिंग पिट की आवश्यकता होती है। यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा मानक है जिसका पालन करना अनिवार्य है।
दो अलग-अलग अर्थिंग का उद्देश्य
- बॉडी अर्थिंग (Body Earthing): यह अर्थिंग ट्रांसफार्मर के बाहरी आवरण (body or tank) को ग्राउंड करती है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी आंतरिक खराबी, जैसे कि वाइंडिंग में लीकेज करंट, से उत्पन्न होने वाले विद्युत झटके से सुरक्षा प्रदान करना है। यदि ट्रांसफार्मर की बॉडी पर गलती से करंट आ जाता है, तो यह अर्थिंग उसे तुरंत जमीन में भेज देती है।
- न्यूट्रल अर्थिंग (Neutral Earthing): यह अर्थिंग ट्रांसफार्मर के न्यूट्रल पॉइंट को ग्राउंड करती है। इसका उद्देश्य पूरे सिस्टम में वोल्टेज को स्थिर रखना और किसी भी प्रकार के असंतुलन (unbalancing) या ओवर-वोल्टेज की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करना है। यह सुनिश्चित करती है कि लोड के असमान वितरण के बावजूद प्रत्येक फेज में वोल्टेज का स्तर समान रहे।
इन दो अलग-अलग अर्थिंग पिट्स का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि एक अर्थिंग पिट में कोई खराबी आने पर भी दूसरा सुरक्षा प्रदान कर सके। यह एक अतिरेक (redundancy) प्रणाली है जो ट्रांसफार्मर और उससे जुड़े उपकरणों की सुरक्षा को दोगुना कर देती है।
सबस्टेशन में अर्थिंग का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा है। यह लोगों को बिजली के झटके से बचाने, उपकरणों को क्षति से बचाने और पूरे विद्युत प्रणाली की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक कम प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करता है।
सबस्टेशन में अर्थिंग के मुख्य उद्देश्य:
- व्यक्तिगत सुरक्षा: यह सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। यदि किसी उपकरण के धातु के हिस्से में गलती से करंट आ जाता है, तो अर्थिंग यह सुनिश्चित करती है कि वह करंट तुरंत ज़मीन में चला जाए। इससे किसी भी व्यक्ति को छूने पर बिजली का झटका नहीं लगता।
- उपकरणों की सुरक्षा: सबस्टेशन में ट्रांसफार्मर, सर्किट ब्रेकर और अन्य महंगे उपकरण होते हैं। अर्थिंग इन उपकरणों को ओवर-वोल्टेज, बिजली गिरने (lightning) और फॉल्ट करंट से बचाती है। जब भी कोई हाई-वोल्टेज surge होता है, तो अर्थिंग उसे जमीन में प्रवाहित कर देती है, जिससे उपकरणों को कोई नुकसान नहीं होता।
- वोल्टेज को स्थिर रखना: सबस्टेशन में न्यूट्रल अर्थिंग पूरे सिस्टम में वोल्टेज के स्तर को स्थिर बनाए रखती है। यह विशेष रूप से असंतुलित लोड की स्थिति में महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक फेज में वोल्टेज का स्तर समान रहे।
- सुरक्षा उपकरणों का सही संचालन: अर्थिंग एक कम-प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करती है जिससे फॉल्ट करंट को आसानी से प्रवाहित किया जा सके। यह सुरक्षा उपकरणों (जैसे रिले और सर्किट ब्रेकर) को फॉल्ट का पता लगाने और उसे तुरंत अलग करने में मदद करता है। यदि अर्थिंग प्रभावी नहीं होती, तो फॉल्ट करंट को जाने में अधिक समय लग सकता है, जिससे पूरे सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- स्टेप और टच पोटेंशियल को कम करना: सबस्टेशन में, फॉल्ट के दौरान जमीन पर खतरनाक वोल्टेज उत्पन्न हो सकता है। एक अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई अर्थिंग ग्रिड (earth grid) इन वोल्टेज को सुरक्षित स्तर तक कम कर देती है, जिसे स्टेप पोटेंशियल (एक कदम के बीच वोल्टेज) और टच पोटेंशियल (शरीर के एक हिस्से और जमीन के बीच वोल्टेज) कहते हैं।
खराब अर्थिंग के गंभीर परिणाम हो सकते हैं जो लोगों की सुरक्षा और उपकरणों के जीवनकाल दोनों को प्रभावित करते हैं।
खराब अर्थिंग के मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं:
1. बिजली का झटका और आग का खतरा
खराब अर्थिंग का सबसे बड़ा खतरा बिजली का झटका है। यदि किसी उपकरण में आंतरिक खराबी के कारण लीकेज करंट आता है, तो वह धातु के शरीर पर जमा हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति उस उपकरण को छूता है, तो करंट उसके शरीर से होकर ज़मीन में प्रवाहित हो सकता है, जिससे गंभीर झटका लग सकता है। इसके अलावा, लीकेज करंट के कारण तारों में गर्मी उत्पन्न हो सकती है, जिससे आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है।
2. उपकरणों को नुकसान
खराब अर्थिंग होने पर, अचानक बिजली बढ़ने (surge) या बिजली गिरने (lightning) की स्थिति में अतिरिक्त वोल्टेज को जमीन में प्रवाहित करने का कोई प्रभावी रास्ता नहीं होता। इससे वोल्टेज-संवेदनशील उपकरण जैसे टीवी, रेफ्रिजरेटर और कंप्यूटर को गंभीर नुकसान हो सकता है। यह न केवल उपकरणों को स्थायी रूप से खराब कर सकता है, बल्कि मरम्मत पर भी अतिरिक्त खर्च करवाता है।
3. सुरक्षा उपकरणों का काम न करना
घर की वायरिंग में लगे सुरक्षा उपकरण, जैसे कि MCB (Miniature Circuit Breaker) और RCCB (Residual Current Circuit Breaker), करंट में अचानक वृद्धि का पता लगाकर काम करते हैं। खराब अर्थिंग होने पर, लीकेज करंट को जमीन में प्रवाहित होने के लिए पर्याप्त रास्ता नहीं मिलता। इससे सुरक्षा उपकरणों को फॉल्ट का पता लगाने में देरी होती है या वे काम नहीं करते, जिससे सुरक्षा के बजाय खतरा बढ़ जाता है।
4. वोल्टेज का उतार-चढ़ाव
खराब अर्थिंग के कारण वोल्टेज में लगातार उतार-चढ़ाव हो सकता है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे पंखे, ट्यूबलाइट और अन्य गैजेट्स के प्रदर्शन को प्रभावित करता है और उनके जीवनकाल को कम कर देता है।
5. अनावश्यक ट्रिपिंग
कुछ मामलों में, खराब अर्थिंग के कारण सर्किट ब्रेकर बार-बार ट्रिप कर सकता है, भले ही कोई वास्तविक फॉल्ट न हो। यह एक संकेत है कि अर्थिंग प्रणाली में कोई समस्या है, जिसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता होती है।
अर्थिंग में, स्पर्श विभव (Touch Potential) और चरण विभव (Step Potential) दो ऐसी स्थितियां हैं जो किसी व्यक्ति को खतरनाक बिजली के झटके के जोखिम में डाल सकती हैं, खासकर जब कोई विद्युत दोष (electrical fault) होता है। ये दोनों ही एक ही समय में, अलग-अलग तरीकों से खतरा पैदा करते हैं।
स्पर्श विभव (Touch Potential)
यह वह विभवांतर (potential difference) है जो तब उत्पन्न होता है जब कोई व्यक्ति किसी गलती से चार्ज हुई धातु की वस्तु (जैसे ट्रांसफार्मर का शरीर या उपकरण) को छूता है, जबकि उसके पैर जमीन पर होते हैं। इस स्थिति में, करंट व्यक्ति के हाथ से उसके शरीर के माध्यम से उसके पैरों तक और फिर जमीन में प्रवाहित होता है। यदि अर्थिंग प्रणाली प्रभावी नहीं है, तो यह विभवांतर इतना अधिक हो सकता है कि व्यक्ति को जानलेवा झटका लग सकता है।
चरण विभव (Step Potential)
यह वह विभवांतर है जो तब उत्पन्न होता है जब कोई व्यक्ति गलती से चार्ज हुई वस्तु के पास जमीन पर खड़ा होता है और उसके दोनों पैरों के बीच एक दूरी होती है। जमीन में प्रवाहित हो रहा फॉल्ट करंट एक वोल्टेज ग्रेडिएंट (विभव प्रवणता) बनाता है, यानी जैसे-जैसे आप फॉल्ट पॉइंट से दूर जाते हैं, वोल्टेज कम होता जाता है। यदि व्यक्ति के दोनों पैर अलग-अलग वोल्टेज के क्षेत्रों में हों, तो करंट उसके शरीर से, एक पैर से दूसरे पैर तक प्रवाहित हो सकता है। यह आमतौर पर सबस्टेशन या हाई-वोल्टेज लाइनों के पास होता है।
मुख्य अंतर
अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई अर्थिंग प्रणाली इन दोनों विभवों को सुरक्षित स्तर पर रखने का काम करती है।
ग्रिड अर्थिंग एक प्रकार की अर्थिंग प्रणाली है जिसमें कई जुड़े हुए कंडक्टरों (तारों) को जमीन के नीचे एक जाली (grid) या मेष (mesh) पैटर्न में दफनाया जाता है। यह प्रणाली मुख्य रूप से उन स्थानों पर उपयोग की जाती है जहाँ बहुत बड़े फॉल्ट करंट (fault currents) को जमीन में सुरक्षित रूप से प्रवाहित करने की आवश्यकता होती है, जैसे कि सबस्टेशन, पावर प्लांट और बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ।
ग्रिड अर्थिंग का उद्देश्य
इसका मुख्य उद्देश्य फॉल्ट करंट के दौरान स्पर्श विभव (touch potential) और चरण विभव (step potential) को सुरक्षित स्तर तक कम करना है। जब कोई बड़ा फॉल्ट होता है, तो जमीन पर एक वोल्टेज ग्रेडिएंट (विभव प्रवणता) बनता है। अगर यह ग्रेडिएंट बहुत अधिक होता है, तो किसी व्यक्ति को छूने या पास खड़े होने पर जानलेवा झटका लग सकता है। ग्रिड अर्थिंग यह सुनिश्चित करती है कि पूरा क्षेत्र एक समान विद्युत विभव (equipotential) पर रहे, जिससे यह खतरा टल जाता है।
ग्रिड अर्थिंग के घटक
- अर्थिंग कंडक्टर: ये आमतौर पर तांबे या गैल्वेनाइज्ड स्टील के मोटे तार होते हैं।
- अर्थिंग रॉड्स/इलेक्ट्रोड्स: ग्रिड से जुड़े हुए ये रॉड जमीन में लंबवत (vertically) गाड़े जाते हैं ताकि नमी वाले गहरे मिट्टी के संपर्क में आ सकें और प्रतिरोध को और कम कर सकें।
- जॉइंट्स और कनेक्टर्स: कंडक्टरों को जोड़ने और उन्हें उपकरणों से कनेक्ट करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
ग्रिड अर्थिंग का महत्व
- यह फॉल्ट करंट के लिए एक कम प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करती है, जिससे सुरक्षा उपकरण (जैसे सर्किट ब्रेकर) जल्दी काम करते हैं।
- यह महंगी विद्युत उपकरणों को वोल्टेज बढ़ने से बचाती है।
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सबस्टेशन या संयंत्र के भीतर काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
न्यूट्रल अर्थिंग एक प्रक्रिया है जिसमें विद्युत प्रणाली के न्यूट्रल पॉइंट को जमीन से जोड़ा जाता है। यह आमतौर पर ट्रांसफार्मर या जनरेटर के स्टार पॉइंट पर किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पूरे सिस्टम को स्थिर और सुरक्षित रखना है।
न्यूट्रल अर्थिंग का उद्देश्य
- वोल्टेज को स्थिर रखना: न्यूट्रल अर्थिंग पूरे विद्युत प्रणाली में वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करती है। अगर लोड असंतुलित (unbalanced) हो जाए, तो न्यूट्रल अर्थिंग यह सुनिश्चित करती है कि अलग-अलग फेज में वोल्टेज का स्तर एक समान रहे।
- ओवर-वोल्टेज से सुरक्षा: यह प्रणाली को लाइटनिंग (बिजली गिरने) और आर्क फॉल्ट (arc fault) के कारण होने वाले ओवर-वोल्टेज से बचाती है। अतिरिक्त वोल्टेज को तुरंत जमीन में प्रवाहित करके, यह उपकरणों को क्षतिग्रस्त होने से रोकती है।
- सुरक्षा उपकरणों का सही संचालन: जब कोई फॉल्ट होता है, तो न्यूट्रल अर्थिंग एक कम-प्रतिरोध वाला रास्ता प्रदान करती है जिससे फॉल्ट करंट को आसानी से प्रवाहित किया जा सके। यह सर्किट ब्रेकर और रिले जैसे सुरक्षा उपकरणों को तुरंत काम करने में मदद करती है, जिससे फॉल्ट को जल्दी से अलग किया जा सके।
- व्यक्तिगत सुरक्षा: यह सुनिश्चित करती है कि उपकरण के धातु के शरीर पर कोई खतरनाक वोल्टेज जमा न हो। यह विशेष रूप से ट्रांसफार्मर और जनरेटर के लिए महत्वपूर्ण है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि न्यूट्रल अर्थिंग और बॉडी अर्थिंग दोनों अलग-अलग हैं। न्यूट्रल अर्थिंग सिस्टम के न्यूट्रल पॉइंट को ग्राउंड करती है, जबकि बॉडी अर्थिंग उपकरणों के धातु के आवरण को ग्राउंड करती है ताकि किसी व्यक्ति को बिजली का झटका न लगे।
बॉडी अर्थिंग एक सुरक्षा प्रक्रिया है जिसमें किसी भी विद्युत उपकरण के धातु के बाहरी हिस्से को एक कम-प्रतिरोध वाले तार के माध्यम से सीधे जमीन से जोड़ा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी भी आंतरिक खराबी के कारण उपकरण की बॉडी में आने वाले लीकेज करंट को सुरक्षित रूप से ज़मीन में प्रवाहित करना है, ताकि किसी व्यक्ति को बिजली का झटका न लगे।
बॉडी अर्थिंग का महत्व
- मानव सुरक्षा: यह बॉडी अर्थिंग का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। यदि किसी उपकरण, जैसे रेफ्रिजरेटर या वॉशिंग मशीन, के अंदर कोई तार खराब हो जाए और वह उसके धातु के कवर को छू जाए, तो उपकरण में करंट आ जाएगा। अगर कोई व्यक्ति इस स्थिति में उपकरण को छूता है, तो उसे गंभीर बिजली का झटका लग सकता है। बॉडी अर्थिंग यह सुनिश्चित करती है कि यह अतिरिक्त करंट तुरंत जमीन में चला जाए, जिससे व्यक्ति सुरक्षित रहता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: यह उपकरण को ओवर-वोल्टेज और करंट सर्ज से भी बचाता है। जब भी कोई अचानक वोल्टेज बढ़ता है, तो बॉडी अर्थिंग उसे जमीन में प्रवाहित कर देती है, जिससे उपकरण को नुकसान नहीं होता।
- सुरक्षा उपकरणों का सही संचालन: बॉडी अर्थिंग से यह सुनिश्चित होता है कि यदि कोई फॉल्ट करंट उत्पन्न होता है, तो वह इतना अधिक हो कि सर्किट ब्रेकर (MCB/RCCB) को ट्रिप कर सके और बिजली की सप्लाई को काट सके।
संक्षेप में,
बॉडी अर्थिंग सीधे तौर पर किसी उपकरण के बाहरी हिस्से को ग्राउंड करके व्यक्तियों और उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
कार्यात्मक अर्थिंग (Functional Earthing) और सुरक्षात्मक अर्थिंग (Protective Earthing) दोनों ही विद्युत प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके उद्देश्य और उपयोग अलग-अलग होते हैं।
संक्षेप में,
कार्यात्मक अर्थिंग का उद्देश्य सिस्टम के कार्य को बेहतर बनाना है, जबकि सुरक्षात्मक अर्थिंग का उद्देश्य जीवन की सुरक्षा करना है।
कार्यशील अर्थिंग (Functional Earthing) और सुरक्षात्मक अर्थिंग (Protective Earthing) दोनों ही विद्युत प्रणालियों में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके उद्देश्य और उपयोग में मुख्य अंतर होता है।
सुरक्षात्मक अर्थिंग (Protective Earthing)
यह अर्थिंग का सबसे सामान्य और महत्वपूर्ण रूप है। इसका प्राथमिक उद्देश्य व्यक्तियों को बिजली के झटके से बचाना और उपकरणों को नुकसान से सुरक्षित रखना है।
- उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी विद्युत उपकरण के धातु के बाहरी हिस्से में गलती से आने वाला करंट तुरंत और सुरक्षित रूप से ज़मीन में चला जाए।
- काम करने का तरीका: जब कोई फॉल्ट होता है (जैसे लाइव वायर का उपकरण के बाहरी हिस्से से संपर्क), तो यह अर्थिंग एक कम-प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करती है। यह मार्ग करंट को जमीन में प्रवाहित करता है, जिससे सर्किट ब्रेकर या फ्यूज ट्रिप हो जाते हैं और बिजली की आपूर्ति कट जाती है।
- उदाहरण: घरेलू उपकरणों जैसे रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, और माइक्रोवेव की बॉडी को अर्थ करना।
कार्यात्मक अर्थिंग (Functional Earthing)
यह अर्थिंग का उपयोग मुख्य रूप से प्रणाली के सही ढंग से काम करने के लिए किया जाता है, न कि बिजली के झटके से सुरक्षा के लिए। यह विशेष रूप से संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक और संचार प्रणालियों में महत्वपूर्ण है।
- उद्देश्य: यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हस्तक्षेप (EMI) और सिग्नल में शोर को कम करने के लिए एक संदर्भ बिंदु प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बिना किसी रुकावट के सही ढंग से काम करें।
- काम करने का तरीका: यह अर्थिंग सिग्नल के लिए एक स्थिर और कम-प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करके कार्य करती है, जिससे डेटा हानि या सिग्नल में विकृति नहीं होती।
- उदाहरण: कंप्यूटर सर्वर, दूरसंचार उपकरण और वैज्ञानिक उपकरणों में सिग्नल रेफरेंस के लिए अर्थिंग।
ग्राउंडिंग एन्हांसमेंट सामग्री (Grounding Enhancement Material - GEM) एक विशेष प्रकार का पदार्थ है जिसे उन जगहों पर अर्थिंग इलेक्ट्रोड के चारों ओर डाला जाता है जहाँ मिट्टी की चालकता कम होती है। यह सामग्री मिट्टी के प्रतिरोध (resistance) को कम करती है, जिससे लीकेज करंट को जमीन में और अधिक प्रभावी ढंग से प्रवाहित किया जा सके।
उद्देश्य और लाभ
- प्रतिरोध कम करना: GEM का मुख्य उद्देश्य मिट्टी के प्रतिरोध को कम करना है। सामान्य मिट्टी, खासकर सूखी, रेतीली या पथरीली मिट्टी, बिजली की खराब चालक होती है। GEM मिट्टी के संपर्क में आकर एक कम-प्रतिरोध वाला रास्ता बनाती है।
- नमी बनाए रखना: यह सामग्री पानी को अवशोषित करके नमी को लंबे समय तक बनाए रखती है, जिससे अर्थिंग प्रणाली की चालकता स्थिर रहती है, भले ही मौसम शुष्क हो।
- जंग से बचाव: कुछ GEMs में ऐसे घटक होते हैं जो इलेक्ट्रोड को जंग लगने से बचाते हैं, जिससे अर्थिंग प्रणाली का जीवनकाल बढ़ जाता है।
- स्थायी समाधान: यह एक स्थायी समाधान है जिसमें नियमित रखरखाव, जैसे कि बार-बार नमक या पानी डालना, की आवश्यकता नहीं होती।
सामान्य सामग्री
पारंपरिक रूप से अर्थिंग गड्ढों में नमक और चारकोल का उपयोग किया जाता था। हालांकि, आधुनिक GEMs में आमतौर पर कार्बन-आधारित पदार्थ जैसे ग्रेफाइट, बेंटोनाइट, और पोर्टलैंड सीमेंट शामिल होते हैं। ये सामग्री कम प्रतिरोध प्रदान करती हैं और समय के साथ खराब नहीं होती हैं।
पृथ्वी चटाई (Earth Mat) का कार्य सबस्टेशन और बड़े विद्युत प्रतिष्ठानों में सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह एक विशेष प्रकार की अर्थिंग ग्रिड है जिसे जमीन के नीचे एक चटाई या जाली (mesh) के पैटर्न में बिछाया जाता है।
पृथ्वी चटाई के मुख्य कार्य
- स्टेप और टच विभव को कम करना: पृथ्वी चटाई का सबसे महत्वपूर्ण कार्य स्पर्श विभव (touch potential) और चरण विभव (step potential) को कम करना है। जब कोई बड़ा विद्युत फॉल्ट होता है, तो जमीन पर खतरनाक वोल्टेज ग्रेडिएंट (विभव प्रवणता) बन जाता है। यह चटाई पूरे क्षेत्र को एक समान भू-विभव (equipotential) पर रखकर इस खतरे को खत्म कर देती है, जिससे किसी व्यक्ति को बिजली का झटका नहीं लगता।
- कम प्रतिरोध मार्ग प्रदान करना: यह फॉल्ट करंट के लिए एक बहुत ही कम-प्रतिरोध वाला मार्ग प्रदान करती है। यह सुनिश्चित करती है कि फॉल्ट करंट तेजी से जमीन में प्रवाहित हो जाए, जिससे सुरक्षा उपकरण (जैसे सर्किट ब्रेकर) तुरंत ट्रिप हो सकें और सिस्टम को सुरक्षित कर सकें।
- उपकरणों की सुरक्षा: यह महंगी सबस्टेशन उपकरणों जैसे ट्रांसफार्मर, सर्किट ब्रेकर और स्विचगियर को ओवर-वोल्टेज और बिजली गिरने के कारण होने वाले नुकसान से बचाती है।
- स्थिर ग्राउंडिंग: पृथ्वी चटाई जमीन के बड़े क्षेत्र में फैली होती है, जिससे यह मौसम की स्थिति जैसे कि मिट्टी के सूखने या जमने पर भी एक स्थिर और प्रभावी ग्राउंडिंग सुनिश्चित करती है।
सरल शब्दों में,
पृथ्वी चटाई एक सुरक्षा जाल की तरह काम करती है, जो सबस्टेशन के भीतर लोगों और उपकरणों की सुरक्षा के लिए जमीन को एक सुरक्षित और समान सतह में बदल देती है।
मृदा प्रतिरोधकता (Soil Resistivity) इस बात का माप है कि मिट्टी विद्युत धारा के प्रवाह का कितना प्रतिरोध करती है। इसे ओम-मीटर (Ω·m) में मापा जाता है। मृदा प्रतिरोधकता जितनी कम होगी, वह उतनी ही बेहतर चालक होगी और अर्थिंग प्रणाली उतनी ही प्रभावी होगी।
मृदा प्रतिरोधकता क्यों महत्वपूर्ण है?
मृदा प्रतिरोधकता का ज्ञान अर्थिंग प्रणाली को डिज़ाइन करने के लिए बहुत ज़रूरी है। अगर किसी स्थान की मिट्टी की प्रतिरोधकता बहुत अधिक है, तो वहाँ एक प्रभावी अर्थिंग के लिए अधिक लंबे इलेक्ट्रोड, अधिक इलेक्ट्रोड, या विशेष ग्राउंडिंग एन्हांसमेंट सामग्री (GEM) का उपयोग करना पड़ता है।
मृदा प्रतिरोधकता को प्रभावित करने वाले कारक
- नमी: मिट्टी में नमी की मात्रा सबसे महत्वपूर्ण कारक है। नमी बढ़ने पर प्रतिरोधकता कम होती है।
- तापमान: तापमान बढ़ने पर प्रतिरोधकता कम होती है। यदि मिट्टी का पानी जम जाए, तो प्रतिरोधकता बहुत अधिक बढ़ जाती है।
- लवण और खनिज: मिट्टी में मौजूद लवण और खनिजों की मात्रा जितनी अधिक होगी, प्रतिरोधकता उतनी ही कम होगी, क्योंकि वे पानी में घुलकर आयन बनाते हैं।
- मिट्टी का प्रकार: चिकनी और गीली मिट्टी की प्रतिरोधकता कम होती है, जबकि सूखी, रेतीली या पथरीली मिट्टी की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है।
मृदा प्रतिरोधकता को मापने के लिए वेनर विधि और स्लम्बर्गर विधि जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
बिजली में अर्थिंग (Earthing) एक सुरक्षा प्रक्रिया है जो विद्युत उपकरणों और लोगों को बिजली के झटके से बचाने के लिए की जाती है। इसे ग्राउंडिंग (Grounding) भी कहते हैं। इसमें किसी भी विद्युत उपकरण के धातु के हिस्से को एक कम प्रतिरोध वाले तार के माध्यम से सीधे जमीन से जोड़ा जाता है।
जब किसी उपकरण में कोई खराबी आती है, तो अतिरिक्त करंट उपकरण की बॉडी में फैल सकता है। अर्थिंग इस लीकेज करंट को एक सुरक्षित रास्ता प्रदान करती है, जिससे यह करंट जमीन में चला जाता है। पृथ्वी का विभव (potential) शून्य होता है, और यह एक बड़ा चालक (conductor) है जो अतिरिक्त करंट को अवशोषित कर लेता है।
अर्थिंग का महत्व
- सुरक्षा: अर्थिंग का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य लोगों को बिजली के झटके से बचाना है। जब कोई व्यक्ति खराब उपकरण को छूता है, तो लीकेज करंट उसके शरीर से होकर जाने के बजाय कम प्रतिरोध वाले अर्थिंग तार से होकर जमीन में चला जाता है, जिससे व्यक्ति सुरक्षित रहता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: यह विद्युत उपकरणों को अत्यधिक करंट से होने वाले नुकसान से बचाता है। जब लीकेज करंट जमीन में चला जाता है, तो उपकरण को जलने या खराब होने से बचाया जा सकता है।
- आग से बचाव: लीकेज करंट के कारण आग लगने का खतरा होता है, जिसे अर्थिंग के द्वारा रोका जा सकता है।
- वोल्टेज स्थिरता: अर्थिंग विद्युत प्रणाली में वोल्टेज को स्थिर रखने में मदद करता है। यह ओवर-वोल्टेज की स्थिति को नियंत्रित करता है, जिससे उपकरण सही ढंग से काम करते हैं।
मिट्टी की नमी का अर्थिंग प्रतिरोध पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे मिट्टी में नमी बढ़ती है, उसका प्रतिरोध कम होता जाता है, और जैसे ही नमी घटती है, प्रतिरोध बढ़ जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि पानी, विशेष रूप से उसमें घुले हुए लवणों और खनिजों के साथ, एक अच्छा विद्युत चालक (conductor) होता है।
जब मिट्टी सूखी होती है, तो उसमें करंट को प्रवाहित करने वाले आयनों की कमी होती है, जिससे उसका प्रतिरोध बहुत अधिक होता है।
इसके विपरीत, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है, तो यह करंट को आसानी से जमीन में प्रवाहित करने में मदद करती है, जिससे अर्थिंग प्रणाली प्रभावी ढंग से काम करती है। यही कारण है कि अर्थिंग पिट में अक्सर नमक और कोयले का मिश्रण डाला जाता है, क्योंकि कोयला नमी को बनाए रखता है और नमक पानी में घुलकर चालकता बढ़ाता है।
नमी के स्तर का प्रभाव
- कम नमी (सूखी मिट्टी): सूखी मिट्टी में नमी की मात्रा कम होती है, जिससे उसका प्रतिरोध (resistivity) बहुत अधिक होता है। ऐसी स्थिति में, लीकेज करंट को जमीन में जाने के लिए बहुत अधिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, जिससे अर्थिंग अप्रभावी हो जाती है और बिजली के झटके का खतरा बढ़ जाता है।
- पर्याप्त नमी (नम मिट्टी): नमी की मात्रा बढ़ने पर मिट्टी की प्रतिरोधकता तेजी से कम होती है, जिससे अर्थिंग प्रतिरोध भी कम हो जाता है। यह लीकेज करंट को एक सुरक्षित, कम प्रतिरोध वाला रास्ता प्रदान करता है, जिससे करंट आसानी से जमीन में चला जाता है और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- गहराई का महत्व: मिट्टी की निचली परतों में अक्सर ऊपरी परतों की तुलना में अधिक नमी होती है। इसलिए, अर्थिंग रॉड को यथासंभव गहरा स्थापित करने की सलाह दी जाती है ताकि यह स्थायी जल स्तर (water table) तक पहुंच सके और साल भर कम प्रतिरोध बनाए रखे।
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