घर में PLC का इस्तेमाल करना एक अच्छा प्रोजेक्ट हो सकता है,

 पीएलसी (PLC) को घर में सीधे तौर पर इस्तेमाल करना बहुत आम नहीं है, क्योंकि यह मुख्य रूप से बड़े उद्योगों और फैक्टरियों में मशीनों और प्रक्रियाओं को ऑटोमैटिक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. हालांकि, कुछ शौकिया (hobbyists) और इलेक्ट्रॉनिक्स के जानकार लोग इसे छोटे-मोटे घरेलू प्रोजेक्ट्स के लिए इस्तेमाल करते हैं.

यहाँ कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं जिनसे आप घर में पीएलसी का उपयोग कर सकते हैं:

1. घर में लाइटिंग को ऑटोमैटिक करना

आप पीएलसी का उपयोग करके घर की लाइट्स को ऑटोमैटिक कर सकते हैं.

 * समय-आधारित नियंत्रण: 

आप पीएलसी को प्रोग्राम कर सकते हैं ताकि लाइट्स सुबह और शाम को अपने आप चालू और बंद हो जाएं.

 * सेंसर-आधारित नियंत्रण: 

मोशन सेंसर या लाइट सेंसर को पीएलसी से जोड़कर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जब कोई कमरे में आए तो लाइट अपने आप चालू हो जाए और जब कोई न हो तो बंद हो जाए.

2. घर के बगीचे के लिए ऑटोमैटिक सिंचाई प्रणाली

पीएलसी का उपयोग करके आप एक ऐसी प्रणाली बना सकते हैं जो आपके बगीचे में पौधों को अपने आप पानी दे.

 * समय-आधारित सिंचाई: 

आप पीएलसी को प्रोग्राम करके एक निश्चित समय पर पानी के पंप और स्प्रिंकलर को चालू और बंद कर सकते हैं.

 * सेंसर-आधारित सिंचाई: 

मिट्टी में नमी सेंसर (soil moisture sensor) लगाकर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जब मिट्टी सूख जाए, तभी पीएलसी पानी चालू करे और जब पर्याप्त नमी हो, तो बंद कर दे.

3. सुरक्षा प्रणाली (Security System)

आप पीएलसी का उपयोग करके एक साधारण सुरक्षा प्रणाली बना सकते हैं.

 * डोर और विंडो सेंसर:

दरवाजों और खिड़कियों पर सेंसर लगाकर आप पीएलसी को यह संकेत दे सकते हैं कि कोई दरवाजा या खिड़की खुली है या बंद. अगर कोई अनचाही गतिविधि होती है तो यह अलार्म को ट्रिगर कर सकता है.

 * मोशन डिटेक्टर: 

मोशन डिटेक्टर को पीएलसी से जोड़कर आप यह पता लगा सकते हैं कि कोई आपके घर में घुस रहा है या नहीं और उसके अनुसार अलार्म बजा सकते हैं.

4. होम ऑटोमेशन के लिए

पीएलसी को आप घर के अन्य उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे:

 * दरवाजे और गेट:

गैरेज के दरवाजे या मेन गेट को ऑटोमैटिक तरीके से खोलने और बंद करने के लिए.

 * तापमान नियंत्रण: 

थर्मोस्टेट से जोड़कर कमरे के तापमान को नियंत्रित करने के लिए.

शुरुआत कैसे करें?

अगर आप घर में पीएलसी का उपयोग करना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:

 * छोटे पीएलसी चुनें: 

घर के प्रोजेक्ट्स के लिए बड़े और महंगे पीएलसी की बजाय छोटे, सस्ते और कॉम्पैक्ट पीएलसी (जैसे माइक्रोलॉजिक) चुनें.

 * सुरक्षा का ध्यान रखें:

पीएलसी को 220V AC सप्लाई से जोड़ने के लिए एक ट्रांसफार्मर या पावर सप्लाई का उपयोग करें. हमेशा सुरक्षा नियमों का पालन करें.

 * सीखना ज़रूरी है: 

पीएलसी प्रोग्रामिंग सीखने के लिए ऑनलाइन ट्यूटोरियल और वीडियो देखें.

यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि पीएलसी को घरेलू प्रोजेक्ट्स के लिए इस्तेमाल करने के लिए कुछ तकनीकी जानकारी और अनुभव की ज़रूरत होती है. अगर आप इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रोग्रामिंग में नए हैं, तो पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना या आसान प्रोजेक्ट्स से शुरुआत करना बेहतर होगा.




घर में PLC का इस्तेमाल करना एक अच्छा प्रोजेक्ट हो सकता है, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि यह आम घरेलू उपकरणों से अलग होता है. औद्योगिक वातावरण के लिए डिज़ाइन होने के कारण, इसके लिए कुछ खास उपकरणों की ज़रूरत पड़ती है.
यहाँ कुछ ऐसे PLC और संबंधित उपकरण दिए गए हैं, जिनका उपयोग आप घर में छोटे ऑटोमेशन प्रोजेक्ट के लिए कर सकते हैं:

1. माइक्रोकंट्रोलर-आधारित PLC
आजकल कई कंपनियां छोटे और सस्ते माइक्रोकंट्रोलर-आधारित PLC बनाती हैं, जो विशेष रूप से शौकिया (hobbyists) और छोटे प्रोजेक्ट्स के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. ये पारंपरिक PLC की तुलना में ज़्यादा सुविधाजनक और सस्ते होते हैं.
 * उदाहरण: 
Arduino या Raspberry Pi-आधारित PLC. ये डिवाइस एक माइक्रोकंट्रोलर की सादगी और एक PLC की मज़बूती को मिलाते हैं. इनमें आमतौर पर इनपुट और आउटपुट के लिए टर्मिनल होते हैं, जिससे इन्हें वायरिंग करना आसान हो जाता है.
2. कॉम्पैक्ट PLC (Compact PLC)
कुछ कंपनियां कॉम्पैक्ट या ऑल-इन-वन PLC बनाती हैं, जिनमें CPU, इनपुट/आउटपुट और पावर सप्लाई एक ही यूनिट में होते हैं. ये छोटे आकार के होते हैं और घरेलू प्रोजेक्ट के लिए काफी उपयुक्त होते हैं.
 * उदाहरण:
कुछ Siemens LOGO! या Delta के छोटे PLC मॉडल. ये आम तौर पर 24V DC पर काम करते हैं, इसलिए आपको एक उपयुक्त पावर सप्लाई की ज़रूरत होगी.
PLC के साथ इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरण
किसी भी PLC प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आपको सिर्फ PLC ही नहीं, बल्कि कुछ और उपकरणों की भी ज़रूरत होगी.
 * पावर सप्लाई:
PLC को चलाने के लिए पावर सप्लाई की ज़रूरत होती है. ज़्यादातर PLC 24V DC पर काम करते हैं, तो आपको एक AC-to-DC पावर सप्लाई की ज़रूरत होगी जो आपके घर की 220V AC बिजली को PLC के लिए उपयुक्त वोल्टेज में बदल सके.
 * इनपुट डिवाइस (Sensors):
 ये वो उपकरण हैं जो PLC को जानकारी देते हैं. जैसे:
   * मोशन सेंसर (Motion Sensor): 
कमरे में किसी की मौजूदगी का पता लगाने के लिए.
   * टेंपरेचर सेंसर (Temperature Sensor): 
तापमान मापने के लिए.
   * लाइट सेंसर (Light Sensor): 
रोशनी के स्तर को मापने के लिए.
   * पुश बटन और स्विच (Push Buttons and Switches): 
मैनुअल कंट्रोल के लिए.
 * आउटपुट डिवाइस (Actuators):
ये वो उपकरण हैं जिन्हें PLC कंट्रोल करता है. जैसे:
   * रिले मॉड्यूल (Relay Module): 
PLC के लो-वोल्टेज आउटपुट को हाई-वोल्टेज (220V AC) उपकरण जैसे लाइट या मोटर को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
   * LED इंडिकेटर लाइट्स:
सिस्टम की स्थिति दिखाने के लिए.
   * मोटर या सोलेनोइड वॉल्व: 
सिंचाई या किसी अन्य मैकेनिकल कार्य के लिए.
 * प्रोग्रामिंग केबल और सॉफ्टवेयर: 
PLC को प्रोग्राम करने के लिए आपको एक खास केबल और कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर की ज़रूरत होगी. ज़्यादातर कंपनियां अपने PLC के साथ यह सॉफ्टवेयर देती हैं.
महत्वपूर्ण सलाह
घर के प्रोजेक्ट्स के लिए PLC का इस्तेमाल करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है. 220V AC बिजली के साथ काम करते समय हमेशा सावधानी बरतें और अगर आपको कोई संदेह हो तो किसी जानकार व्यक्ति की मदद लें.
PLC एक शक्तिशाली टूल है, जो आपके घरेलू प्रोजेक्ट को एक नया आयाम दे सकता है. लेकिन शुरुआत करने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन से उपकरण आपके प्रोजेक्ट के लिए सबसे उपयुक्त हैं.




पीएलसी (Programmable Logic Controller) मुख्य रूप से औद्योगिक उपकरणों को स्वचालित (automate) करने के लिए बनाया गया है. यह बहुत टिकाऊ और भरोसेमंद होते हैं, जिससे ये फैक्टरियों और मशीनों के लिए एकदम सही हैं.
यहाँ कुछ ऐसे उपकरण और प्रणालियाँ हैं जिन्हें पीएलसी द्वारा चलाया या नियंत्रित किया जाता है:

औद्योगिक उपकरण
 * असेंबली लाइनें: 
गाड़ियाँ बनाने वाली फैक्ट्रियों में, पीएलसी रोबोट और कन्वेयर बेल्ट को नियंत्रित करता है. यह सुनिश्चित करता है कि हर पुर्जा सही समय पर और सही जगह पर लगे.
 * मोटर और पंप: 
पानी की ट्रीटमेंट प्लांट, पावर स्टेशन और केमिकल फैक्ट्रियों में, पीएलसी मोटर, वाल्व और पंपों को नियंत्रित करता है ताकि तरल पदार्थ और गैस का प्रवाह ठीक से हो सके.
 * रोबोटिक आर्म्स: 
विनिर्माण और पैकेजिंग में, रोबोटिक आर्म्स को सटीक गति और काम करने के लिए पीएलसी द्वारा प्रोग्राम किया जाता है.
 * वेल्डिंग मशीन: 
ऑटोमैटिक वेल्डिंग मशीनों में, पीएलसी वेल्डिंग टॉर्च की गति, तापमान और वेल्डिंग के समय को नियंत्रित करता है, जिससे काम में सटीकता आती है.
 * HVAC सिस्टम: 
बड़ी इमारतों, जैसे कि दफ्तरों और शॉपिंग मॉल्स में, हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (HVAC) सिस्टम को पीएलसी द्वारा नियंत्रित किया जाता है. यह तापमान और हवा के प्रवाह को मैनेज करता है.
घरेलू और छोटे प्रोजेक्ट्स
हालांकि पीएलसी का उपयोग घरों में कम होता है, फिर भी कुछ लोग अपनी ज़रूरत के हिसाब से इसे इस्तेमाल करते हैं:
 * लाइट्स और पंखे: 
आप पीएलसी को मोशन सेंसर या टाइमर से जोड़कर घर की लाइट्स और पंखों को अपने आप चालू या बंद कर सकते हैं.
 * पानी का स्तर नियंत्रण: 
पानी की टंकी में सेंसर लगाकर, पीएलसी को प्रोग्राम किया जा सकता है कि जब पानी का स्तर कम हो तो मोटर को चालू करे और जब टंकी भर जाए तो बंद कर दे.
 * ऑटोमैटिक सिंचाई प्रणाली: 
आप पीएलसी का उपयोग करके अपने बगीचे में सेंसर और मोटर को जोड़ सकते हैं, ताकि यह मिट्टी की नमी के हिसाब से पौधों को पानी दे.
संक्षेप में, पीएलसी एक शक्तिशाली कंट्रोलर है जो किसी भी ऐसे उपकरण को नियंत्रित कर सकता है जिसमें चालू/बंद (on/off) की स्थिति, समय या सेंसर से इनपुट लेकर निर्णय लेने की ज़रूरत होती है.



पीएलसी डायग्राम दो मुख्य प्रकार के होते हैं:

 * लैडर लॉजिक डायग्राम (Ladder Logic Diagram): यह PLC को प्रोग्राम करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम तरीका है. यह पारंपरिक रिले सर्किट डायग्राम जैसा दिखता है. इसमें दो वर्टिकल लाइनें होती हैं जो पावर रेल को दर्शाती हैं, और उनके बीच हॉरिजॉन्टल लाइनें होती हैं जिन्हें "रंग्स" (rungs) कहते हैं. हर रंग में एक इनपुट कंडीशन (जैसे, एक बटन दबाया गया है) और एक आउटपुट (जैसे, एक लाइट चालू हो गई है) होता है.
 * वायरिंग डायग्राम (Wiring Diagram): यह दिखाता है कि PLC को उसके इनपुट (सेंसर, स्विच) और आउटपुट (मोटर, लाइट्स) उपकरणों से शारीरिक रूप से (physically) कैसे जोड़ा गया है. यह डायग्राम PLC, पावर सप्लाई और बाहरी उपकरणों के बीच सभी तारों के कनेक्शन को दिखाता है.
नीचे एक सामान्य लैडर लॉजिक डायग्राम और एक वायरिंग डायग्राम दिया गया है:



पीएलसी को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है, लेकिन सबसे आम तरीका उनकी बनावट (आर्किटेक्चर) और आकार के आधार पर है.

1. बनावट (आर्किटेक्चर) के आधार पर
A. कॉम्पैक्ट पीएलसी (Compact PLC)
 * विशेषताएँ: 
इस प्रकार के पीएलसी में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU), इनपुट/आउटपुट (I/O) पोर्ट्स और पावर सप्लाई सभी एक ही यूनिट में जुड़े होते हैं.
 * उपयोग:
ये छोटे और सरल ऑटोमेशन कार्यों के लिए आदर्श होते हैं. इनका उपयोग ऐसी मशीनों के लिए किया जाता है जहाँ I/O की संख्या सीमित होती है.
 * फायदे: 
ये कम जगह लेते हैं, सस्ते होते हैं और इनकी वायरिंग भी सरल होती है.
 * नुकसान:
इनकी इनपुट/आउटपुट क्षमता को आसानी से बढ़ाया नहीं जा सकता.
B. मॉड्यूलर पीएलसी (Modular PLC)
 * विशेषताएँ:
इस प्रकार के पीएलसी में CPU, इनपुट मॉड्यूल, आउटपुट मॉड्यूल और पावर सप्लाई अलग-अलग मॉड्यूल के रूप में होते हैं. ये सभी मॉड्यूल एक रैक या चेसिस पर लगाए जाते हैं.
 * उपयोग: 
इनका उपयोग बड़े और जटिल औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है, जहाँ अधिक I/O की आवश्यकता होती है.
 * फायदे: 
ये बहुत लचीले (flexible) होते हैं. उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार I/O मॉड्यूल को जोड़ या हटा सकते हैं, जिससे सिस्टम को बढ़ाना या बदलना आसान हो जाता है.
 * नुकसान:
ये कॉम्पैक्ट पीएलसी की तुलना में अधिक महंगे और बड़े होते हैं.
2. आकार के आधार पर
पीएलसी को उनके इनपुट और आउटपुट (I/O) की संख्या के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है:
A. माइक्रो पीएलसी (Micro PLC)
 * विशेषताएँ: 
ये सबसे छोटे और सबसे सरल पीएलसी होते हैं. इनमें आमतौर पर 32 से कम इनपुट/आउटपुट पॉइंट होते हैं.
 * उपयोग: 
छोटे उपकरणों, जैसे घरेलू सिंचाई प्रणाली, छोटे कन्वेयर सिस्टम या एक मशीन के एक हिस्से को नियंत्रित करने के लिए.
B. स्माल पीएलसी (Small PLC)
 * विशेषताएँ: 
ये माइक्रो पीएलसी से थोड़े बड़े होते हैं और इनमें लगभग 32 से 128 इनपुट/आउटपुट पॉइंट हो सकते हैं.
 * उपयोग: 
छोटे से मध्यम आकार की मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए.
C. मीडियम पीएलसी (Medium PLC)
 * विशेषताएँ: 
ये जटिल कार्यों को संभाल सकते हैं और इनमें 128 से 512 इनपुट/आउटपुट पॉइंट होते हैं.
 * उपयोग: 
मध्यम आकार के उत्पादन लाइनों और छोटे प्लांट को पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए.
D. लार्ज पीएलसी (Large PLC)
 * विशेषताएँ: 
ये सबसे शक्तिशाली और परिष्कृत (sophisticated) पीएलसी होते हैं, जिनमें 512 से अधिक I/O पॉइंट हो सकते हैं.
 * उपयोग: 
बड़े पैमाने के उद्योगों, जैसे पावर प्लांट, रिफाइनरी, ऑटोमोबाइल फैक्ट्रियां और बड़े केमिकल प्लांट को नियंत्रित करने के लिए.
इन वर्गीकरणों के अलावा, कुछ अन्य विशेष प्रकार के पीएलसी भी होते हैं, जैसे:
 * रैक-माउंटेड पीएलसी (Rack-Mounted PLC): 
ये मॉड्यूलर पीएलसी का एक प्रकार हैं, जिन्हें विशेष रूप से रैक में फिट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
 * डिस्ट्रीब्यूटेड पीएलसी (Distributed PLC): 
ये बड़े सिस्टम में कई छोटे पीएलसी को एक साथ नेटवर्क करके बनाए जाते हैं, जिससे दूरस्थ स्थानों पर भी नियंत्रण संभव हो पाता है.



पीएलसी (PLC) का कार्य एक चक्र (cycle) में होता है, जिसे स्कैन साइकिल (Scan Cycle) कहा जाता है. इस प्रक्रिया में पीएलसी लगातार अपने सभी इनपुट को पढ़ता है, प्रोग्राम को चलाता है और फिर आउटपुट को अपडेट करता है. यह प्रक्रिया बहुत तेज़ी से होती है, आमतौर पर मिलीसेकंड में.

एक पीएलसी के कार्य को समझने के लिए, इसे तीन मुख्य चरणों में बांटा जा सकता है:
1. इनपुट स्कैन (Input Scan)
 * इस चरण में, 
पीएलसी अपने सभी इनपुट मॉड्यूल (Input Module) से जुड़े उपकरणों (जैसे सेंसर, स्विच, बटन) की स्थिति को पढ़ता है.
 * उदाहरण के लिए, 
अगर एक सेंसर को किसी वस्तु की मौजूदगी का पता चलता है, तो पीएलसी उस इनपुट को "चालू" (ON) मानता है. अगर बटन दबा हुआ नहीं है, तो वह उसे "बंद" (OFF) मानता है.
 * यह सारी जानकारी पीएलसी की मेमोरी में सेव हो जाती है.
2. प्रोग्राम एक्ज़ीक्यूशन (Program Execution)
 * इनपुट डेटा को पढ़ने के बाद, पीएलसी का सीपीयू (Central Processing Unit) प्रोग्राम को चलाना शुरू करता है.
 * यह प्रोग्राम, 
जो आपने पहले से लैडर लॉजिक या किसी अन्य भाषा में बनाया होता है, इनपुट की स्थिति के आधार पर लॉजिकल निर्णय लेता है.
 * उदाहरण के लिए, 
अगर प्रोग्राम में यह लिखा है कि "अगर इनपुट A और इनपुट B दोनों चालू हैं, तो आउटपुट C को चालू करो," तो पीएलसी उस लॉजिक की जाँच करता है.
3. आउटपुट स्कैन (Output Scan)
 * प्रोग्राम को चलाने के बाद, पीएलसी आउटपुट मॉड्यूल (Output Module) को कमांड भेजता है.
 * यह कमांड आउटपुट उपकरणों (जैसे मोटर, लाइट, वाल्व) को नियंत्रित करता है.
 * अगर प्रोग्राम में यह निर्णय लिया गया है कि आउटपुट C को चालू करना है, तो पीएलसी आउटपुट मॉड्यूल के माध्यम से उस उपकरण को चालू करने के लिए सिग्नल भेजता है.
यह प्रक्रिया कैसे काम करती है?
इन तीनों चरणों को लगातार दोहराया जाता है. यह स्कैन साइकिल तब तक चलता रहता है जब तक पीएलसी चालू रहता है. इस तरह, पीएलसी वास्तविक समय (real-time) में इनपुट डेटा पर प्रतिक्रिया करके मशीनों और प्रक्रियाओं को स्वचालित रूप से नियंत्रित करता है.
संक्षेप में, पीएलसी का कार्य किसी भी औद्योगिक प्रक्रिया या मशीन के मस्तिष्क की तरह होता है. यह लगातार आसपास के वातावरण से जानकारी (इनपुट) लेता है, उस जानकारी के आधार पर प्रोग्राम किए गए तर्क (लॉजिक) को चलाता है, और फिर सही कमांड (आउटपुट) देकर उपकरण को नियंत्रित करता है.


पीएलसी (PLC) का उपयोग मुख्य रूप से औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation) के लिए किया जाता है, जहाँ मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है. इसकी मजबूती, विश्वसनीयता, और प्रोग्रामिंग में लचीलेपन के कारण यह कई उद्योगों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है.
यहाँ कुछ प्रमुख क्षेत्र दिए गए हैं जहाँ पीएलसी का उपयोग किया जाता है:

1. विनिर्माण और असेंबली (Manufacturing & Assembly)
 * असेंबली लाइनें: 
ऑटोमोबाइल उद्योग में गाड़ियों के पुर्जों को जोड़ने के लिए रोबोटिक आर्म्स और कन्वेयर बेल्ट को नियंत्रित करना.
 * पैकेजिंग: 
उत्पादों को स्वचालित तरीके से पैक करना, लेबल लगाना और बॉक्स में रखना.
 * मशीन कंट्रोल: 
वेल्डिंग मशीन, सीएनसी मशीनें, और प्रेस मशीनों जैसे उपकरणों को सटीक रूप से चलाना.
2. खाद्य और पेय पदार्थ उद्योग (Food & Beverage Industry)
 * प्रक्रिया नियंत्रण: 
तापमान, दबाव और तरल पदार्थ के प्रवाह को नियंत्रित करना. उदाहरण के लिए, दूध को पास्चुरीकृत (pasteurize) करना.
 * बॉटलिंग प्लांट: 
बोतलों को भरना, सील करना और लेबल लगाना.
 * पैकेजिंग:
उत्पादों को बॉक्स में पैक करने और पैलेट पर रखने के लिए.
3. जल उपचार और अपशिष्ट जल प्रबंधन (Water Treatment & Wastewater Management)
 * पंप स्टेशन: 
पानी को पंप करने और फिल्टर करने के लिए मोटरों और वाल्वों को नियंत्रित करना.
 * रासायनिक डोजिंग: 
पानी को शुद्ध करने के लिए रसायनों की सही मात्रा मिलाना.
 * निगरानी: 
पानी के स्तर, pH मान और दबाव की लगातार निगरानी करना.
4. ऊर्जा और बिजली संयंत्र (Energy & Power Plants)
 * पावर ग्रिड: 
बिजली के उत्पादन और वितरण को नियंत्रित और मॉनिटर करना.
 * सौर ऊर्जा: 
सोलर पैनलों की दक्षता को बढ़ाने के लिए उन्हें ट्रैक करना.
5. भवन और गृह स्वचालन (Building & Home Automation)
 * HVAC सिस्टम: 
बड़ी इमारतों में हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (Heating, Ventilation, and Air Conditioning) को नियंत्रित करना.
 * सुरक्षा प्रणाली: 
दरवाजों, खिड़कियों और मोशन सेंसरों को जोड़कर सुरक्षा अलार्म सिस्टम बनाना.
 * लाइटिंग कंट्रोल: 
बिल्डिंग में लाइट्स को समय-आधारित या सेंसर-आधारित तरीके से नियंत्रित करना.
6. परिवहन और लॉजिस्टिक्स (Transportation & Logistics)
 * एयरपोर्ट: 
सामान को छांटने (sorting) और कन्वेयर बेल्ट पर सही टर्मिनल तक पहुँचाने के लिए.
 * ट्रैफिक लाइट:
शहरों में ट्रैफिक सिग्नल को नियंत्रित करना ताकि ट्रैफिक का प्रवाह सुचारू रहे.
 * रोबोटिक्स: 
रोबोट्स को गोदामों में सामान उठाने और रखने के लिए नियंत्रित करना.
पीएलसी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे किसी भी ऐसी जगह पर इस्तेमाल किया जा सकता है जहाँ जटिल और दोहराए जाने वाले (repetitive) कार्यों को सटीकता और सुरक्षा के साथ करना हो.




पीएलसी बनाने वाली कई बड़ी और प्रसिद्ध कंपनियां हैं जो दुनिया भर में औद्योगिक स्वचालन के क्षेत्र में काम करती हैं. ये कंपनियां विभिन्न प्रकार के पीएलसी बनाती हैं, जो अलग-अलग जरूरतों और अनुप्रयोगों के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं.
यहाँ कुछ सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद पीएलसी ब्रांडों की सूची दी गई है:

 * Siemens (सीमेंस):
यह एक जर्मन कंपनी है जो दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमेशन कंपनियों में से एक है. इनके SIMATIC S7 सीरीज के पीएलसी बहुत लोकप्रिय हैं, जैसे S7-1200 और S7-1500. इनका उपयोग छोटे से लेकर बहुत बड़े और जटिल औद्योगिक अनुप्रयोगों में होता है.
 * Rockwell Automation (रॉकवेल ऑटोमेशन): 
यह एक अमेरिकी कंपनी है जिसका ब्रांड नाम Allen-Bradley (एलन-ब्रैडली) है. इनके पीएलसी खास तौर पर उत्तरी अमेरिका में बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होते हैं. इनके MicroLogix, CompactLogix और ControlLogix जैसे मॉडल काफी प्रसिद्ध हैं.
 * Schneider Electric (श्नाइडर इलेक्ट्रिक):
यह एक फ्रांसीसी कंपनी है जो ऊर्जा प्रबंधन और ऑटोमेशन में विशेषज्ञता रखती है. इनके Modicon सीरीज के पीएलसी, जैसे Modicon M221, M241 और M340, काफी जाने-पहचाने हैं.
 * Mitsubishi Electric (मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक):
यह एक जापानी कंपनी है जो अपनी मजबूत और कॉम्पैक्ट पीएलसी के लिए जानी जाती है. इनके MELSEC सीरीज के पीएलसी, जैसे MELSEC-F, MELSEC-Q, और MELSEC-iQ-R, छोटे और मध्यम आकार की मशीनों के लिए बहुत लोकप्रिय हैं.
 * Omron (ओमरॉन): 
यह भी एक जापानी कंपनी है जो अपने टिकाऊ और सटीक पीएलसी के लिए मशहूर है. इनके CP, CJ और CS सीरीज के पीएलसी मशीन कंट्रोल और सुरक्षा अनुप्रयोगों में बहुत इस्तेमाल होते हैं.
 * ABB:
स्वीडन और स्विट्जरलैंड की इस कंपनी के पीएलसी, खासकर AC500 सीरीज, अपनी स्केलेबिलिटी (scalability) और कठिन औद्योगिक वातावरण के लिए उपयुक्त होने के कारण जाने जाते हैं.
 * Delta Electronics (डेल्टा इलेक्ट्रॉनिक्स): 
यह ताइवान की एक कंपनी है जो किफायती और प्रभावी पीएलसी बनाती है. यह छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है.
इन कंपनियों के अलावा, कुछ और भी कंपनियां हैं जैसे Honeywell, Keyence, और Fuji Electric जो अपनी विशेष जरूरतों के लिए पीएलसी और ऑटोमेशन समाधान प्रदान करती हैं.




यह जानना मुश्किल है कि "सबसे ज़्यादा" इस्तेमाल होने वाला पीएलसी कौन सा है, क्योंकि यह उद्योग, क्षेत्र और एप्लिकेशन पर निर्भर करता है. हालांकि, कुछ ब्रांड और मॉडल ऐसे हैं जो अपनी विश्वसनीयता और बाज़ार में बड़े हिस्सेदारी के कारण बहुत लोकप्रिय हैं.

दुनिया भर में, दो ब्रांड PLC के बाज़ार पर हावी हैं और इन्हें अक्सर "इंडस्ट्री स्टैंडर्ड" माना जाता है:
 * Siemens (सीमेंस):
Siemens के SIMATIC S7 सीरीज के PLC दुनिया भर में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं. इनके PLC हर तरह के एप्लिकेशन के लिए उपयुक्त होते हैं, छोटे मशीनों के लिए S7-1200 से लेकर बड़े और जटिल प्लांट के लिए S7-1500 तक. इनकी मजबूत बनावट और व्यापक सपोर्ट नेटवर्क के कारण ये यूरोप और एशिया के कई हिस्सों में बहुत लोकप्रिय हैं.
 * Rockwell Automation (एलन-ब्रैडली): Rockwell Automation का ब्रांड Allen-Bradley अमेरिका में बहुत प्रभावशाली है. इनके MicroLogix, CompactLogix और ControlLogix जैसे PLC अपनी सरलता और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं. ये अक्सर उत्तरी अमेरिका के उद्योगों में एक मानक (standard) के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं.
इनके अलावा, कुछ अन्य ब्रांड भी हैं जो अपनी विशेष खूबियों के कारण बहुत इस्तेमाल होते हैं:
 * Schneider Electric:
इनके Modicon सीरीज के PLC, जैसे M221, छोटे और मध्यम आकार के अनुप्रयोगों के लिए एक अच्छा विकल्प हैं.
 * Mitsubishi Electric: 
इनके MELSEC सीरीज के PLC, खासकर FX सीरीज, अपनी कॉम्पैक्ट बनावट और उच्च प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं और अक्सर एशियाई देशों में लोकप्रिय हैं.
 * Delta Electronics: 
यह कंपनी सस्ते और विश्वसनीय PLC बनाती है, जो छोटे व्यवसायों और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए बहुत लोकप्रिय हैं.
अगर आप किसी विशिष्ट उद्योग या क्षेत्र में काम कर रहे हैं, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि वहाँ कौन सा ब्रांड सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है, क्योंकि प्रोग्रामिंग और रखरखाव के लिए उस ब्रांड का ज्ञान होना ज़रूरी है.




पीएलसी का इस्तेमाल करने के कई फायदे हैं, यही वजह है कि यह आधुनिक उद्योगों में नियंत्रण प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है. पीएलसी ने पुरानी रिले-आधारित नियंत्रण प्रणालियों की जगह ले ली है, जिससे काम बहुत आसान और कुशल हो गया है.

यहाँ पीएलसी के उपयोग के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
1. विश्वसनीयता और स्थायित्व
 * मजबूत बनावट:
पीएलसी को कठोर औद्योगिक वातावरण जैसे धूल, कंपन, गर्मी और नमी को झेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
 * कम खराबी:
पारंपरिक रिले सर्किट की तुलना में पीएलसी में कोई हिलने वाला हिस्सा नहीं होता, जिससे यांत्रिक खराबी (mechanical failure) की संभावना कम हो जाती है.
2. लचीलापन और प्रोग्रामिंग में आसानी
 * प्रोग्राम बदलने में आसानी:
अगर आपको किसी मशीन के काम करने के तरीके में बदलाव करना है, तो पीएलसी में बस सॉफ्टवेयर में प्रोग्राम को बदलना होता है. इसके लिए पूरी वायरिंग को दोबारा करने की जरूरत नहीं पड़ती, जैसा कि पुराने रिले सिस्टम में होता था.
 * जटिल तर्क (Complex Logic): 
पीएलसी जटिल गणितीय और तार्किक कार्यों को आसानी से कर सकता है, जो रिले सिस्टम के लिए बहुत मुश्किल होता है. यह टाइमर, काउंटर, और अन्य उन्नत कार्यों को भी आसानी से संभाल सकता है.
3. कम लागत और जगह की बचत
 * कम वायरिंग:
पीएलसी का उपयोग करने से बड़ी संख्या में तारों और रिले की जरूरत नहीं पड़ती. इससे पैनल का आकार छोटा हो जाता है और वायरिंग की लागत भी कम हो जाती है.
 * कम रखरखाव: 
पीएलसी में कम खराबी आने और आसान ट्रबलशूटिंग के कारण रखरखाव का खर्च भी कम होता है.
4. समस्या का पता लगाने और निगरानी में आसानी
 * आसान ट्रबलशूटिंग:
पीएलसी के सॉफ्टवेयर में आप लाइव प्रोग्राम को देख सकते हैं, जिससे यह पता लगाना आसान हो जाता है कि कौन सा इनपुट काम नहीं कर रहा है या कहाँ गलती हो रही है.
 * निगरानी की क्षमता:
पीएलसी अपने डेटा को अन्य कंप्यूटर या एचएमआई (HMI) से साझा कर सकता है, जिससे आप दूर बैठकर भी पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर सकते हैं.
इन सभी फायदों के कारण, पीएलसी का उपयोग करने से न केवल उत्पादन की दक्षता बढ़ती है, बल्कि लागत भी कम होती है और सिस्टम अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बन जाता है.




पीएलसी के कई फायदे होने के बावजूद, इसके कुछ नुकसान भी हैं जिन पर विचार करना ज़रूरी है. ये नुकसान अक्सर छोटे और साधारण अनुप्रयोगों में अधिक दिखते हैं.

यहाँ पीएलसी का उपयोग करने के कुछ प्रमुख नुकसान दिए गए हैं:
1. उच्च प्रारंभिक लागत (High Initial Cost)
 * पीएलसी और उसके प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर की शुरुआती लागत पारंपरिक रिले या माइक्रोकंट्रोलर-आधारित प्रणालियों की तुलना में बहुत अधिक होती है.
 * अगर आपका प्रोजेक्ट बहुत छोटा और साधारण है, जिसमें केवल कुछ इनपुट और आउटपुट की आवश्यकता है, तो पीएलसी का उपयोग करना लागत के हिसाब से फायदेमंद नहीं हो सकता है. ऐसे मामलों में, एक साधारण रिले सर्किट या माइक्रोकंट्रोलर-आधारित समाधान बेहतर हो सकता है.
2. जटिल प्रोग्रामिंग और विशेषज्ञता की आवश्यकता
 * पीएलसी को प्रोग्राम करने के लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है. इसके लिए आपको लैडर लॉजिक या किसी अन्य पीएलसी प्रोग्रामिंग भाषा की समझ होनी चाहिए.
 * छोटे व्यवसायों या उन लोगों के लिए जिनके पास प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं, पीएलसी को स्थापित करना और बनाए रखना मुश्किल हो सकता है. इसके विपरीत, रिले सर्किट को समझना और उसकी वायरिंग करना अपेक्षाकृत आसान होता है.
3. अतिरिक्त उपकरण की आवश्यकता
 * पीएलसी को प्रोग्राम करने के लिए एक विशेष केबल और सॉफ्टवेयर के साथ एक कंप्यूटर की आवश्यकता होती है.
 * कुछ पीएलसी को डीसी पावर सप्लाई की जरूरत होती है, जिसके लिए एक अतिरिक्त पावर सप्लाई यूनिट लगानी पड़ती है. इससे सिस्टम की जटिलता और लागत बढ़ जाती है.
4. सुरक्षा संबंधी विचार
 * औद्योगिक वातावरण में, अगर पीएलसी में प्रोग्रामिंग में कोई त्रुटि हो, तो यह गंभीर सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है. इसलिए, प्रोग्राम को पूरी तरह से जांचना और परीक्षण करना बहुत महत्वपूर्ण है.
 * कुछ विशेष सुरक्षा अनुप्रयोगों (जैसे इमरजेंसी शटडाउन सिस्टम) के लिए, सामान्य पीएलसी की बजाय सुरक्षा-रेटेड पीएलसी (Safety PLC) का उपयोग करना आवश्यक होता है, जो अधिक महंगे होते हैं.
संक्षेप में,
पीएलसी एक शक्तिशाली और विश्वसनीय उपकरण है, लेकिन इसका उपयोग तभी फायदेमंद होता है जब आपका प्रोजेक्ट जटिल हो, जिसमें लचीलेपन और उच्च स्तर के नियंत्रण की आवश्यकता हो. छोटे और सरल कार्यों के लिए, पीएलसी का उपयोग करना एक अनावश्यक खर्च हो सकता है.



पीएलसी को चलाने के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार की वोल्टेज की आवश्यकता होती है, और यह पीएलसी के मॉडल और बनावट पर निर्भर करता है:

1. पीएलसी की मुख्य पावर सप्लाई (PLC Main Power Supply)
यह वह वोल्टेज है जिससे पीएलसी की इंटरनल सर्किटरी (CPU, मेमोरी आदि) चलती है. यह दो प्रकार की हो सकती है:
 * 24V DC: 
अधिकांश आधुनिक और छोटे पीएलसी 24 वोल्ट डीसी (Direct Current) पर काम करते हैं. यह सबसे आम और पसंदीदा वोल्टेज है क्योंकि यह सुरक्षित होता है और औद्योगिक नियंत्रण में मानक (standard) है. 24V DC पर चलने वाले पीएलसी को सीधे 220V AC घरेलू बिजली से नहीं जोड़ा जा सकता. इसके लिए एक SMPS (Switched-Mode Power Supply) की ज़रूरत होती है जो 220V AC को 24V DC में बदलता है.
 * 120V AC / 240V AC: 
कुछ बड़े या पुराने मॉडल के पीएलसी सीधे 120 वोल्ट या 240 वोल्ट एसी (Alternating Current) पर काम करते हैं. ये सीधे घरेलू बिजली से जोड़े जा सकते हैं, लेकिन इनमें सुरक्षा का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है.
2. इनपुट और आउटपुट मॉड्यूल के लिए वोल्टेज
यह वह वोल्टेज है जो पीएलसी अपने इनपुट उपकरणों (जैसे सेंसर) से सिग्नल प्राप्त करने और आउटपुट उपकरणों (जैसे मोटर, लाइट) को नियंत्रित करने के लिए उपयोग करता है.
 * इनपुट वोल्टेज:
पीएलसी के इनपुट मॉड्यूल 5V DC, 12V DC, 24V DC, या 120V AC जैसे विभिन्न वोल्टेज स्तरों के सिग्नल स्वीकार कर सकते हैं. सबसे आम इनपुट वोल्टेज 24V DC है.
 * आउटपुट वोल्टेज: 
पीएलसी के आउटपुट मॉड्यूल विभिन्न वोल्टेज पर उपकरण चला सकते हैं. एक रिले आउटपुट मॉड्यूल 24V DC से लेकर 240V AC तक किसी भी वोल्टेज पर उपकरण को चालू/बंद कर सकता है. ट्रांजिस्टर आउटपुट आमतौर पर 24V DC उपकरणों के लिए होते हैं.
सारांश में:
 * अधिकांश पीएलसी 24V DC पर चलते हैं.
 * अगर आप 220V AC घरेलू बिजली का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको इसे 24V DC में बदलने के लिए एक पावर सप्लाई यूनिट (SMPS) की आवश्यकता होगी.
 * इनपुट और आउटपुट वोल्टेज पीएलसी की मेन सप्लाई से अलग हो सकते हैं, जो आपके द्वारा उपयोग किए जा रहे सेंसर और उपकरणों पर निर्भर करता है.
हमेशा पीएलसी की नेमप्लेट (Nameplate) या मैनुअल की जाँच करें ताकि आपको सही वोल्टेज और करंट की जानकारी मिल सके.


पीएलसी (PLC) में इनपुट (Input) और आउटपुट (Output) उसके काम करने का सबसे बुनियादी हिस्सा होते हैं. इन दोनों के बिना कोई भी ऑटोमेशन संभव नहीं है. आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:

1. इनपुट (Input)
पीएलसी में इनपुट का मतलब है वह जानकारी जो पीएलसी बाहरी दुनिया से प्राप्त करता है. यह जानकारी सेंसर या स्विच जैसे उपकरणों से सिग्नल के रूप में आती है. इन सिग्नलों को पढ़कर ही पीएलसी निर्णय लेता है कि उसे आगे क्या करना है.
इनपुट के उदाहरण:
 * पुश बटन (Push Button): 
जैसे स्टार्ट या स्टॉप बटन. जब आप बटन दबाते हैं, तो पीएलसी को एक सिग्नल मिलता है.
 * सेंसर (Sensors): ये सेंसर किसी चीज़ की मौजूदगी, दूरी, या स्थिति का पता लगाते हैं. जैसे:
   * प्रॉक्सिमिटी सेंसर (Proximity Sensor): 
यह किसी धातु या वस्तु के पास आने पर सिग्नल देता है.
   * लिमिट स्विच (Limit Switch):
यह किसी मशीन के हिस्से की अधिकतम या न्यूनतम सीमा तक पहुँचने पर सिग्नल देता है.
 * स्विच (Switches): 
जैसे दरवाजे के खुले या बंद होने का पता लगाने वाला स्विच.
2. आउटपुट (Output)
पीएलसी में आउटपुट का मतलब है वह कार्य जो पीएलसी अपने प्रोग्राम के अनुसार करता है. इनपुट से प्राप्त जानकारी के आधार पर पीएलसी किसी उपकरण को चालू या बंद करने के लिए सिग्नल भेजता है.
आउटपुट के उदाहरण:
 * मोटर (Motor):
पीएलसी एक मोटर को चालू या बंद कर सकता है, जिससे कन्वेयर बेल्ट या कोई मशीनरी चल सके.
 * लाइट्स (Lights):
यह इंडिकेटर लाइट्स को चालू करके मशीन की स्थिति (जैसे, चालू है या बंद) दिखाता है.
 * सोलेनोइड वाल्व (Solenoid Valve): 
ये वाल्व तरल पदार्थ या हवा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं.
 * रिले (Relays) और कॉन्टैक्टर (Contactors): पीएलसी अपने छोटे वोल्टेज सिग्नल से इन रिले को चालू करता है, जो आगे बड़े वोल्टेज के उपकरण जैसे हीटर या बड़ी मोटर को नियंत्रित करते हैं.
पीएलसी में इनका संबंध
पीएलसी का काम एक साधारण चक्र (scan cycle) में होता है. यह चक्र इस तरह काम करता है:
 * इनपुट पढ़ना: 
पीएलसी सबसे पहले अपने सभी इनपुट उपकरणों की स्थिति की जाँच करता है (जैसे, क्या बटन दबा है?).
 * लॉजिक चलाना:
इनपुट की स्थिति के आधार पर, यह अपने अंदर के प्रोग्राम (लॉजिक) को चलाता है.
 * आउटपुट अपडेट करना: 
प्रोग्राम के निर्णय के अनुसार, यह आउटपुट उपकरणों को चालू या बंद करने के लिए सिग्नल भेजता है.
उदाहरण के लिए, एक मशीन में:
 * अगर स्टार्ट बटन (इनपुट) दबाया जाता है और सेफ्टी गार्ड स्विच (इनपुट) बंद है, तो पीएलसी मोटर (आउटपुट) को चालू कर देता है.
 * अगर स्टॉप बटन (इनपुट) दबाया जाता है, तो पीएलसी मोटर (आउटपुट) को तुरंत बंद कर देता है.



पीएलसी में इनपुट और आउटपुट की संख्या निश्चित नहीं होती है. यह पूरी तरह से पीएलसी के प्रकार, मॉडल और उसकी बनावट पर निर्भर करता है.

पीएलसी को उनकी इनपुट/आउटपुट (I/O) क्षमता के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा जाता है.
1. माइक्रो और नैनो पीएलसी (Micro & Nano PLC)
 * ये सबसे छोटे पीएलसी होते हैं और इनका उपयोग सरल और छोटे कार्यों के लिए होता है.
 * इनमें I/O की संख्या 10 से 32 तक हो सकती है.
 * उदाहरण: 
सीमेंस LOGO!, एलन-ब्रैडली Micro800. ये कॉम्पैक्ट होते हैं और इनमें इनपुट-आउटपुट पोर्ट्स पहले से ही लगे होते हैं.
2. कॉम्पैक्ट पीएलसी (Compact PLC)
 * ये माइक्रो पीएलसी से थोड़े बड़े होते हैं.
 * इनमें I/O की संख्या आमतौर पर 32 से 128 तक होती है.
 * कुछ कॉम्पैक्ट पीएलसी में एक्सपेंशन मॉड्यूल (Expansion Module) जोड़ने की सुविधा होती है, जिससे आप अपनी जरूरत के अनुसार इनपुट और आउटपुट की संख्या बढ़ा सकते हैं.
3. मॉड्यूलर पीएलसी (Modular PLC)
 * ये सबसे शक्तिशाली और लचीले पीएलसी होते हैं.
 * इनमें सीपीयू और I/O पोर्ट्स अलग-अलग मॉड्यूल के रूप में होते हैं, जिन्हें एक रैक पर लगाया जाता है.
 * इनमें I/O की संख्या 512 से लेकर 4000 या उससे भी अधिक हो सकती है.
 * बड़े औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए, जैसे पूरे प्लांट को कंट्रोल करने के लिए, मॉड्यूलर पीएलसी का उपयोग किया जाता है.
आप अपनी जरूरत के अनुसार I/O कैसे चुनें?
किसी भी प्रोजेक्ट के लिए पीएलसी चुनने से पहले, आपको यह निर्धारित करना होगा कि आपको कितने इनपुट और कितने आउटपुट की आवश्यकता है.
 * इनपुट: 
आपको यह गिनना होगा कि आपके पास कितने बटन, स्विच और सेंसर हैं जिन्हें पीएलसी से जोड़ना है.
 * आउटपुट: 
आपको यह गिनना होगा कि आपको कितने मोटर्स, लाइट्स, वाल्व या अन्य उपकरणों को पीएलसी से नियंत्रित करना है.
अपनी कुल गिनती के आधार पर आप तय कर सकते हैं कि आपको एक छोटा (माइक्रो) पीएलसी लेना है या एक बड़ा मॉड्यूलर पीएलसी.


पीएलसी में इनपुट और आउटपुट का उपयोग करने के लिए दो मुख्य चरण होते हैं: पहला, वायरिंग (Wiring) यानी भौतिक कनेक्शन स्थापित करना; और दूसरा, प्रोग्रामिंग (Programming) यानी लॉजिक बनाना.

1. वायरिंग (Inputs और Outputs को जोड़ना)
इस चरण में, आप अपने उपकरणों को पीएलसी के इनपुट और आउटपुट टर्मिनलों से शारीरिक रूप से जोड़ते हैं.
इनपुट को जोड़ना
 * सबसे पहले, 
पीएलसी और सेंसर जैसे उपकरणों को पावर सप्लाई (जैसे 24V DC) से जोड़ें.
 * इनपुट उपकरण (जैसे पुश बटन या सेंसर) के आउटपुट वायर को पीएलसी के इनपुट टर्मिनल (जैसे I0.0, I0.1) से जोड़ें.
 * उदाहरण के लिए, जब आप एक स्टार्ट बटन दबाते हैं, तो वह एक सिग्नल भेजता है. यह सिग्नल पीएलसी के एक खास इनपुट टर्मिनल तक पहुँचता है.
आउटपुट को जोड़ना
 * आउटपुट उपकरण (जैसे मोटर या लाइट) को भी उनके लिए आवश्यक पावर सप्लाई से जोड़ें.
 * आउटपुट उपकरण को पीएलसी के आउटपुट टर्मिनल (जैसे Q0.0, Q0.1) से जोड़ें.
 * अगर आपका आउटपुट उपकरण 220V AC पर काम करता है और पीएलसी का आउटपुट 24V DC है, तो आपको उनके बीच एक रिले का उपयोग करना होगा. पीएलसी का 24V DC सिग्नल रिले को चालू करेगा, और रिले फिर 220V AC उपकरण को चालू कर देगा.
2. प्रोग्रामिंग (Logic बनाना)
एक बार जब सभी उपकरण सही तरीके से जुड़ जाते हैं, तो आप पीएलसी के सॉफ्टवेयर में एक प्रोग्राम बनाते हैं जो यह तय करता है कि किस इनपुट के आधार पर कौन सा आउटपुट चालू होगा.
एक सरल उदाहरण देखते हैं: एक स्टार्ट और स्टॉप बटन का उपयोग करके एक मोटर को चलाना.
 * चरण 1: सॉफ्टवेयर खोलें
   * अपने कंप्यूटर पर पीएलसी का प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर खोलें. यह आमतौर पर लैडर लॉजिक (Ladder Logic) का उपयोग करता है.
 * चरण 2: लॉजिक बनाएं
   * आप एक ऐसी लाइन (rung) बनाएंगे जो इस तरह दिखेगी:
     * स्टार्ट बटन (इनपुट) -> स्टॉप बटन (इनपुट) -> मोटर (आउटपुट)
   * सॉफ्टवेयर में, आप इसे ऐसे दर्शाएंगे:
     * -[ ]- I0.0 (स्टार्ट बटन) -[ ]- I0.1 (स्टॉप बटन) -( )- Q0.0 (मोटर)
     * -[ ]- का मतलब है कि यह एक बटन है, और -( )- का मतलब है कि यह एक आउटपुट है.
 * चरण 3: प्रोग्राम को अपलोड करें
   * प्रोग्राम बनाने के बाद, आप इसे एक केबल के माध्यम से पीएलसी में अपलोड कर देते हैं.
अब, जब आप स्टार्ट बटन (I0.0) दबाते हैं, तो पीएलसी को एक इनपुट सिग्नल मिलता है. प्रोग्राम यह देखता है कि स्टॉप बटन (I0.1) भी दबा हुआ नहीं है (यानी, वह ऑन है), तो वह मोटर (Q0.0) को चालू करने के लिए एक आउटपुट सिग्नल भेजता है.




पीएलसी की वायरिंग के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, जिन्हें सिंकिंग (Sinking) और सोर्सिंग (Sourcing) कहा जाता है. यह वायरिंग इस बात पर निर्भर करती है कि करंट कहाँ से आ रहा है और कहाँ जा रहा है, खासकर पीएलसी के इनपुट और आउटपुट मॉड्यूल और बाहरी उपकरणों (जैसे सेंसर) के बीच.

1. सिंकिंग वायरिंग (Sinking Wiring)
सिंकिंग वायरिंग में, पीएलसी का इनपुट या आउटपुट मॉड्यूल करंट के लिए एक रास्ता (Sink) प्रदान करता है. इसका मतलब है कि करंट उपकरण से होकर पीएलसी में प्रवेश करता है.
 * इनपुट के लिए:
पीएलसी का इनपुट मॉड्यूल नेगेटिव (Negative) या ग्राउंड कनेक्शन से जुड़ा होता है. जब कोई सेंसर चालू होता है, तो वह करंट को पॉजिटिव सप्लाई से लेकर पीएलसी के इनपुट में भेजता है, जो ग्राउंड से जुड़ा होता है. इसे NPN वायरिंग भी कहते हैं क्योंकि यह NPN ट्रांजिस्टर की तरह काम करता है.
   * याद रखें: 
एक सिंकिंग इनपुट मॉड्यूल पॉजिटिव सिग्नल (positive signal) को "चालू" मानता है.
 * आउटपुट के लिए: 
पीएलसी का आउटपुट मॉड्यूल लोड (जैसे लाइट) को चालू करने के लिए नेगेटिव कनेक्शन प्रदान करता है. लोड का एक सिरा पॉजिटिव सप्लाई से जुड़ा होता है और दूसरा सिरा पीएलसी के आउटपुट टर्मिनल से.
2. सोर्सिंग वायरिंग (Sourcing Wiring)
सोर्सिंग वायरिंग में, पीएलसी का इनपुट या आउटपुट मॉड्यूल करंट का स्रोत (Source) होता है. इसका मतलब है कि करंट पीएलसी से निकलकर उपकरण में जाता है.
 * इनपुट के लिए:
पीएलसी का इनपुट मॉड्यूल पॉजिटिव सप्लाई से जुड़ा होता है. जब कोई सेंसर चालू होता है, तो वह करंट को नेगेटिव या ग्राउंड से लेकर पीएलसी के इनपुट में भेजता है. इसे PNP वायरिंग भी कहते हैं क्योंकि यह PNP ट्रांजिस्टर की तरह काम करता है.
   * याद रखें: 
एक सोर्सिंग इनपुट मॉड्यूल नेगेटिव सिग्नल (negative signal) को "चालू" मानता है.
 * आउटपुट के लिए: 
पीएलसी का आउटपुट मॉड्यूल लोड को चालू करने के लिए पॉजिटिव वोल्टेज प्रदान करता है. लोड का एक सिरा पीएलसी के आउटपुट टर्मिनल से जुड़ा होता है और दूसरा सिरा ग्राउंड से.
महत्वपूर्ण बात:
सही संयोजन (Correct Combination)
सही वायरिंग के लिए, पीएलसी के इनपुट/आउटपुट मॉड्यूल और उपकरणों के बीच सही संयोजन होना बहुत ज़रूरी है.
 * सिंकिंग इनपुट (Sinking Input) को सोर्सिंग सेंसर (Sourcing Sensor) के साथ जोड़ें.
 * सोर्सिंग इनपुट (Sourcing Input) को सिंकिंग सेंसर (Sinking Sensor) के साथ जोड़ें.
अगर आप सही संयोजन का उपयोग नहीं करते हैं, तो आपकी वायरिंग काम नहीं करेगी और उपकरण खराब भी हो सकते हैं.
|  | इनपुट मॉड्यूल (PLC) | सेंसर (Device) | उदाहरण |
|---|---|---|---|
| सिंकिंग | नेगेटिव टर्मिनल से जुड़ा | पॉजिटिव सिग्नल भेजता है | PNP सेंसर को सिंकिंग इनपुट से जोड़ना |
| सोर्सिंग | पॉजिटिव टर्मिनल से जुड़ा | नेगेटिव सिग्नल भेजता है | NPN सेंसर को सोर्सिंग इनपुट से जोड़ना |




पीएलसी (PLC) को कई तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है, लेकिन इन्हें मुख्य रूप से दो प्रमुख प्रकारों में बांटा जाता है:
कॉम्पैक्ट (Compact) पीएलसी
इस प्रकार के पीएलसी में, सभी घटक (जैसे CPU, इनपुट/आउटपुट (I/O) और पावर सप्लाई) एक ही यूनिट में एकीकृत होते हैं। यह कॉम्पैक्ट, छोटे और कम खर्चीले होते हैं, इसलिए इनका उपयोग छोटी मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

विशेषताएं:
 * सभी घटक एक ही केसिंग में होते हैं।
 * इनपुट/आउटपुट की संख्या निश्चित होती है, जिसे बढ़ाया नहीं जा सकता।
 * छोटे आकार के कारण कम जगह घेरते हैं।
 * छोटे और सरल कार्यों के लिए उपयुक्त।
मॉड्यूलर (Modular) पीएलसी
मॉड्यूलर पीएलसी में, अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग मॉड्यूल होते हैं, जैसे CPU मॉड्यूल, I/O मॉड्यूल, पावर सप्लाई मॉड्यूल, आदि। इन मॉड्यूलों को एक रैक या चेसिस पर लगाया जाता है। इससे उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकतानुसार I/O की संख्या और अन्य कार्यक्षमताओं को बढ़ा या घटा सकता है।
विशेषताएं:
 * अलग-अलग मॉड्यूल होते हैं जिन्हें जोड़ा या हटाया जा सकता है।
 * आवश्यकतानुसार इनपुट/आउटपुट की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
 * बड़े और जटिल औद्योगिक प्रणालियों के लिए सबसे उपयुक्त।
 * किसी एक मॉड्यूल में खराबी आने पर, केवल उसी मॉड्यूल को बदला जा सकता है, जिससे रखरखाव आसान हो जाता है।
आकार के आधार पर वर्गीकरण
पीएलसी को उनके भौतिक आकार और I/O बिंदुओं की संख्या के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है:
 * माइक्रो (Micro) पीएलसी:
ये बहुत छोटे होते हैं और इनमें बहुत कम I/O बिंदु होते हैं। इनका उपयोग साधारण और छोटे नियंत्रण कार्यों में होता है।
 * स्मॉल (Small) पीएलसी: 
ये माइक्रो पीएलसी से थोड़े बड़े होते हैं और इनमें अधिक I/O क्षमता होती है।
 * मीडियम (Medium) पीएलसी: 
ये मध्यम आकार के होते हैं और इनमें बहुत अधिक I/O और मेमोरी क्षमता होती है। इनका उपयोग बड़े और जटिल मशीनरी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
 * लार्ज (Large) पीएलसी: 
ये सबसे शक्तिशाली पीएलसी होते हैं जिनमें हजारों की संख्या में I/O बिंदु होते हैं। इनका उपयोग पूरे कारखानों और बड़े-बड़े ऑटोमेशन सिस्टम को नियंत्रित करने के लिए होता है।




पीएलसी में खराबी आने पर उसे ठीक करने के लिए कुछ सामान्य चरण और तरीके होते हैं। किसी भी पीएलसी समस्या का निवारण करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। नीचे कुछ मुख्य कदम दिए गए हैं जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं:

1. सुरक्षा का ध्यान रखें
कोई भी काम शुरू करने से पहले, यह सुनिश्चित करें कि मशीन और पीएलसी को सुरक्षित स्थिति में रखा गया है। बिजली की सप्लाई बंद कर दें ताकि कोई दुर्घटना न हो।
2. बुनियादी जाँच करें
कई बार समस्याएँ बहुत ही सामान्य कारणों से होती हैं। इन चीजों को सबसे पहले चेक करें:
 * बिजली की सप्लाई: जांचें कि क्या पीएलसी को सही वोल्टेज मिल रहा है। ढीले तारों या खराब कनेक्शन की जाँच करें।
 * इंडिकेटर लाइट (LED): पीएलसी पर लगी LED लाइट्स को देखें। "Power" या "Run" लाइट के अलावा, "Fault" या "Error" जैसी लाइट्स जल रही हैं तो यह किसी विशेष खराबी की ओर इशारा करती हैं।
 * वायरिंग: सभी इनपुट और आउटपुट (I/O) मॉड्यूल के तारों को ध्यान से देखें कि कहीं कोई तार ढीला या टूटा तो नहीं है।
3. प्रोग्राम और स्टेटस को जांचें
अगर बुनियादी जाँच से समस्या का पता नहीं चलता, तो आपको पीएलसी के प्रोग्राम को चेक करना होगा:
 * कनेक्शन: 
पीएलसी को अपने प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर से कनेक्ट करें।
 * त्रुटि कोड (Error Code): 
सॉफ्टवेयर में किसी भी त्रुटि कोड या चेतावनी संदेश को देखें। यह आपको समस्या की जड़ तक पहुंचने में मदद कर सकता है।
 * स्टेटस:
प्रोग्राम के ऑनलाइन स्टेटस को देखें। इससे आपको यह पता चलेगा कि कौन से इनपुट चालू हैं और कौन से आउटपुट काम नहीं कर रहे हैं।
 * बैकअप: 
अगर प्रोग्राम में कोई खराबी लगती है, तो हमेशा बैकअप प्रोग्राम को ही इस्तेमाल करें।
4. इनपुट और आउटपुट (I/O) मॉड्यूल का निवारण करें
अगर कोई खास इनपुट या आउटपुट काम नहीं कर रहा है, तो इन कदमों को उठाएं:
 * इनपुट जाँच:
   * देखें कि क्या सेंसर या स्विच काम कर रहा है।
   * मल्टीमीटर से चेक करें कि क्या इनपुट मॉड्यूल को सही वोल्टेज मिल रहा है।
 * आउटपुट जाँच:
   * देखें कि क्या रिले, मोटर या सोलेनोइड जैसे आउटपुट डिवाइस में कोई खराबी है।
   * मल्टीमीटर से जाँचें कि क्या आउटपुट मॉड्यूल से डिवाइस तक सही वोल्टेज पहुँच रहा है।
5. अन्य सामान्य समस्याएं
 * ग्राउंडिंग समस्या: 
गलत ग्राउंडिंग के कारण भी पीएलसी में खराबी आ सकती है। सभी कंपोनेंट सही तरीके से ग्राउंड किए गए हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करें।
 * बाहरी हस्तक्षेप (Interference):
पास के बड़े मोटर या उपकरण से आने वाले विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप (Electromagnetic Interference) से भी पीएलसी का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
कब पेशेवर की मदद लें
अगर आप इन सभी कदमों का पालन करने के बाद भी समस्या को ठीक नहीं कर पाते हैं, या अगर आपको लगता है कि समस्या बहुत जटिल है, तो किसी प्रशिक्षित तकनीशियन या इंजीनियर की मदद लेना सबसे अच्छा होगा। पीएलसी एक जटिल उपकरण है और गलत तरीके से इसे ठीक करने की कोशिश करने से और भी बड़ी समस्या हो सकती है।




पीएलसी (PLC) में होने वाली सबसे आम और छोटी खराबी अक्सर बाहरी कारणों या सरल घटकों से जुड़ी होती है, न कि सीधे पीएलसी के सीपीयू (CPU) के अंदरूनी हिस्से से। इन छोटी-मोटी खराबी को "माइनर फॉल्ट" कहा जाता है और इनकी पहचान करना और उन्हें ठीक करना अक्सर आसान होता है।
सबसे ज़्यादा होने वाले माइनर फॉल्ट्स इस प्रकार हैं:

1. ढीले वायरिंग कनेक्शन
यह सबसे आम समस्या है। औद्योगिक वातावरण में कंपन, धूल और तापमान में बदलाव के कारण पीएलसी के टर्मिनल ब्लॉक पर लगे तार ढीले हो सकते हैं।
 * लक्षण: एक विशेष इनपुट या आउटपुट (I/O) रुक-रुक कर काम करना, या बिल्कुल भी काम न करना।
 * समाधान: सभी तारों के कनेक्शन को अच्छे से कसकर जांचें।
2. खराब सेंसर या इनपुट डिवाइस
अगर कोई सेंसर, स्विच या पुश-बटन खराब हो गया है, तो पीएलसी को सही इनपुट सिग्नल नहीं मिलेगा। पीएलसी का प्रोग्राम सही होने पर भी, यह काम नहीं करेगा।
 * लक्षण: पीएलसी पर इनपुट की LED लाइट नहीं जलना, भले ही सेंसर के पास कोई वस्तु हो।
 * समाधान: मल्टीमीटर से सेंसर या स्विच के आउटपुट वोल्टेज को जांचें। खराब डिवाइस को बदलें।
3. खराब आउटपुट डिवाइस
यह समस्या तब होती है जब पीएलसी का आउटपुट मॉड्यूल सही सिग्नल भेज रहा होता है, लेकिन मोटर, सोलेनोइड, या रिले जैसे अंतिम डिवाइस काम नहीं करते हैं।
 * लक्षण:
पीएलसी पर आउटपुट की LED लाइट जलना, लेकिन उससे जुड़ा डिवाइस काम नहीं करना।
 * समाधान: 
मल्टीमीटर से आउटपुट मॉड्यूल के टर्मिनल पर वोल्टेज जांचें। अगर वोल्टेज सही है, तो बाहरी डिवाइस को जांचें और बदलें।
4. पावर सप्लाई की समस्या
पीएलसी को सही वोल्टेज और स्थिर बिजली की ज़रूरत होती है। अगर पावर सप्लाई अस्थिर है या वोल्टेज में उतार-चढ़ाव हो रहा है, तो पीएलसी ठीक से काम नहीं करेगा।
 * लक्षण: 
पीएलसी की "Power" या "Run" लाइट रुक-रुक कर जलना, या सिस्टम का बार-बार रीस्टार्ट होना।
 * समाधान: 
पावर सप्लाई की वोल्टेज को मल्टीमीटर से जांचें। अगर ज़रूरत हो तो पावर सप्लाई यूनिट या फ्यूज को बदलें।
5. कम्युनिकेशन में खराबी
आजकल, पीएलसी अक्सर एचएमआई (HMI) या अन्य डिवाइसेस के साथ कम्युनिकेट करते हैं। कम्युनिकेशन केबल में खराबी या कॉन्फ़िगरेशन की गलती से डेटा का आदान-प्रदान रुक सकता है।
 * लक्षण: 
एचएमआई पर डेटा अपडेट नहीं होना, या कम्युनिकेशन फॉल्ट की लाइट जलना।
 * समाधान: कम्युनिकेशन केबल को जांचें और दोनों डिवाइस के कम्युनिकेशन सेटिंग्स (जैसे बॉड रेट, प्रोटोकॉल) को सत्यापित करें।
ये सभी माइनर फॉल्ट्स हैं जिन्हें आप आमतौर पर सरल उपकरणों जैसे कि मल्टीमीटर, और पीएलसी पर लगी LED लाइट्स को देखकर आसानी से पहचान और ठीक कर सकते हैं। इन समस्याओं का निवारण करने के लिए हमेशा एक व्यवस्थित तरीका अपनाएं और सुरक्षा को प्राथमिकता दें।






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