विधुत पंखा ( Electric Fan )

 पंखे के काम करने का सिद्धांत बहुत ही सरल है। यह विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है, जिससे हवा चलती है और हमें ठंडक महसूस होती है।

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यह इस तरह से काम करता है:

 * मोटर (Motor): 

पंखे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी मोटर होती है। जब हम स्विच ऑन करते हैं, तो बिजली मोटर तक पहुंचती है।

 * चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field): 

मोटर के अंदर कॉपर के तार होते हैं, जिन्हें वाइंडिंग (winding) कहते हैं। जब इन तारों में बिजली जाती है, तो एक चुंबकीय क्षेत्र बनता है।

 * रोटर का घूमना (Rotor Spinning): 

इस चुंबकीय क्षेत्र की वजह से मोटर के बीच में लगा रोटर (rotor) घूमने लगता है।

 * ब्लेड (Blades): 

रोटर के साथ पंखे के ब्लेड जुड़े होते हैं। जब रोटर घूमता है, तो ब्लेड भी उसके साथ बहुत तेजी से घूमते हैं।

 * हवा का प्रवाह (Airflow): 

पंखे के ब्लेड इस तरह से डिज़ाइन किए जाते हैं कि जब वे घूमते हैं, तो वे हवा को नीचे की तरफ धकेलते हैं। इससे हवा का दबाव बनता है और हमें हवा महसूस होती है।

कंडेंसर (Capacitor) का काम

पंखे में एक छोटा सा कंडेंसर भी लगा होता है। इसका काम मोटर को स्टार्ट करने के लिए ज़रूरी शुरुआती ताकत देना है। अगर कंडेंसर खराब हो जाए, तो पंखा बहुत धीरे चलता है या बिल्कुल भी नहीं चलता।

इस तरह, पंखे का काम हवा को सीधे ठंडा करना नहीं है, बल्कि वह हवा को हमारे शरीर पर चलाकर पसीने को सुखाने में मदद करता है। जब पसीना सूखता है, तो हमारा शरीर ठंडा महसूस करता है।



पंखे में कई महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं जो मिलकर इसे काम करने में मदद करते हैं। यहाँ पंखे के मुख्य भागों के बारे में बताया गया है:

पंखे के मुख्य भाग और उनके कार्य
 * ब्लेड (Blades):
ये पंखे के सबसे visible parts हैं, जो घूमकर हवा को काटते और नीचे की ओर धकेलते हैं। ब्लेड का आकार और उनकी संख्या हवा के प्रवाह को तय करती है।
 * मोटर (Motor): 
यह पंखे का सबसे अहम हिस्सा है। मोटर में कॉपर या एल्यूमीनियम के तारों की वाइंडिंग (winding) होती है। जब इसमें बिजली जाती है, तो यह एक चुंबकीय क्षेत्र बनाता है, जिसकी वजह से पंखा घूमता है।
 * स्टेट्टर (Stator): 
यह मोटर का स्थिर (static) हिस्सा होता है, जो नहीं घूमता। वाइंडिंग इसी पर की जाती है।
 * रोटर (Rotor): 
यह मोटर का घूमने वाला हिस्सा है, जो स्टेटर के अंदर होता है। रोटर ही ब्लेड से जुड़ा होता है और इसे घुमाता है।
 * कंडेंसर (Capacitor): 
यह एक छोटा सा गोलाकार या बेलनाकार उपकरण होता है, जो मोटर को शुरू करने के लिए शुरुआती टॉर्क (ताकत) देता है। अगर यह खराब हो जाए, तो पंखा बहुत धीरे चलता है या बिल्कुल भी नहीं चलता।
 * शाफ्ट (Shaft): 
यह एक रॉड जैसी होती है जो रोटर से जुड़ी होती है और ब्लेड को मोटर से जोड़ती है।
 * बैरिंग (Bearing): 
यह शाफ्ट को smoothly घूमने में मदद करते हैं। यह शाफ्ट और मोटर के बीच friction को कम करते हैं।
 * हाउसिंग (Housing): 
यह वह बाहरी कवर है जो पंखे के सभी अंदरूनी हिस्सों, जैसे मोटर और वायरिंग, को सुरक्षित रखता है।
 * रेगुलेटर (Regulator):
यह पंखे की स्पीड को कंट्रोल करता है। यह बिजली के प्रवाह को कम या ज्यादा करके पंखे की गति को घटाता या बढ़ाता है।
 * डाउन रॉड (Down Rod): 
यह रॉड छत के पंखे को छत से लटकाए रखती है।
ये सभी हिस्से मिलकर एक पंखे को सही तरीके से काम करने के लिए ज़रूरी होते हैं।



ब्लेड पंखे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये पंखे के बाहर लगे हुए, हवा को काटने वाले और उसे नीचे की तरफ धकेलने वाले पंख होते हैं। जब पंखा घूमता है, तो यही ब्लेड हवा को चलाकर हमें ठंडक का एहसास कराते हैं।

ब्लेड के कार्य और उनकी बनावट
 * हवा को काटना और धकेलना: 
जब मोटर चलती है, तो यह ब्लेड बहुत तेज़ी से घूमते हैं। इनकी खास बनावट इस तरह की होती है कि ये ऊपर की हवा को नीचे की ओर धकेलते हैं, जिससे हवा का एक प्रवाह (air flow) बनता है।
 * सामग्री:
ब्लेड आमतौर पर धातु (metal), प्लास्टिक, या लकड़ी (wood) से बने होते हैं।
   * धातु के ब्लेड: 
ये बहुत मजबूत होते हैं और ज़्यादा हवा देते हैं, लेकिन ये शोर भी ज़्यादा करते हैं।
   * प्लास्टिक के ब्लेड: 
ये हल्के होते हैं और कम शोर करते हैं, लेकिन इनकी हवा देने की क्षमता थोड़ी कम हो सकती है।
 * ब्लेड की संख्या: 
ज़्यादातर पंखों में 3 या 4 ब्लेड होते हैं। 3 ब्लेड वाले पंखे आमतौर पर 4 ब्लेड वाले पंखों से तेज़ घूमते हैं और कम बिजली खाते हैं। 4 ब्लेड वाले पंखे थोड़ी धीमी गति से ज़्यादा हवा देते हैं और कम शोर करते हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो, ब्लेड ही वह हिस्सा हैं जो पंखे के घूमने से पैदा हुई ऊर्जा को हवा में बदलकर हमें ठंडा महसूस कराते हैं।



मोटर, जिसे विद्युत मोटर भी कहते हैं, एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत ऊर्जा (electrical energy) को यांत्रिक ऊर्जा (mechanical energy) में बदलता है। यही यांत्रिक ऊर्जा पंखे के ब्लेड को घुमाती है।

इसे ऐसे समझ सकते हैं:
 * चुंबक और बिजली का खेल: 
मोटर के अंदर दो मुख्य हिस्से होते हैं—एक स्थिर चुंबक (stator) और एक घूमने वाला हिस्सा (rotor)। जब मोटर में बिजली प्रवाहित होती है, तो यह एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र पैदा करती है।
 * घूमने की प्रक्रिया: 
इस चुंबकीय क्षेत्र के कारण, मोटर का घूमने वाला हिस्सा (rotor) एक बल महसूस करता है। यह बल रोटर को बहुत तेज़ी से घुमाने लगता है।
 * यांत्रिक ऊर्जा का उत्पादन: 
रोटर के घूमने से जो गति पैदा होती है, वही यांत्रिक ऊर्जा है। यही गति पंखे की शाफ्ट के ज़रिए ब्लेड तक पहुँचती है और उन्हें घुमाती है, जिससे हवा चलती है।
सरल शब्दों में, मोटर किसी भी पंखे का दिल है। अगर मोटर काम करना बंद कर दे, तो पंखा भी बंद हो जाएगा, क्योंकि यही वह हिस्सा है जो पंखे को घूमने की ताकत देता है।


स्टेटर,

 मोटर का वह स्थिर (non-moving) हिस्सा होता है जो घूमता नहीं है। यह मोटर का बाहरी खोल या ढाँचा होता है, जिसके अंदर कॉपर के तार (वाइंडिंग) लपेटे होते हैं।
इसे इस तरह से समझ सकते हैं:
 * मोटर का स्थिर ढाँचा: 
मोटर में जो भी हिस्सा घूमता नहीं है, उसे स्टेटर कहते हैं। यह मोटर की पूरी बॉडी को सहारा देता है।
 * चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण: जब बिजली इन तारों से होकर गुजरती है, तो स्टेटर के चारों ओर एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) बनता है।
 * रोटर को घुमाना:
यह चुंबकीय क्षेत्र, मोटर के अंदर मौजूद घूमने वाले हिस्से, यानी रोटर को अपनी तरफ खींचता और धकेलता है। इसी खिंचाव और धक्के की वजह से रोटर लगातार घूमता रहता है।
सरल शब्दों में, स्टेटर एक चुंबक की तरह काम करता है, जो बिजली के आने पर रोटर को घुमाने के लिए ज़रूरी ताकत पैदा करता है। यह पंखे की मोटर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है।


रोटर, 

मोटर का वह घूमने वाला हिस्सा होता है। यह स्टेटर (जो स्थिर रहता है) के अंदर लगा होता है।
आप इसे ऐसे समझ सकते हैं:
 * चुंबकीय खिंचाव: 
जब मोटर के स्टेटर में बिजली जाती है, तो वह एक चुंबकीय क्षेत्र बनाता है। यह चुंबकीय क्षेत्र रोटर को अपनी ओर खींचता है, जिससे वह घूमने लगता है।
 * यांत्रिक गति: 
रोटर की यह घूमने वाली गति ही यांत्रिक ऊर्जा है। यही गति पंखे की शाफ्ट के ज़रिए ब्लेड तक पहुँचती है और उन्हें घुमाती है, जिससे हवा चलती है।
संक्षेप में, अगर स्टेटर मोटर का दिल है जो ताकत पैदा करता है, तो रोटर वह हिस्सा है जो उस ताकत को लेकर घूमता है और पंखे को हवा देने के लिए ज़रूरी गति देता है।



संधारित्र, 

जिसे अंग्रेजी में कैपेसिटर (capacitor) कहते हैं, एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो बिजली के आवेश (charge) और ऊर्जा (energy) को थोड़े समय के लिए स्टोर करता है। यह पंखे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह एक छोटी बैटरी की तरह काम करता है, जो बिजली को इकट्ठा करके रखती है और फिर उसे अचानक से छोड़ती है।
पंखे में संधारित्र का कार्य
पंखे की मोटर को शुरू होने के लिए ज़्यादा ताकत की ज़रूरत होती है, जिसे स्टार्टिंग टॉर्क (starting torque) कहते हैं। जब आप पंखे का स्विच ऑन करते हैं, तो संधारित्र अपना काम शुरू कर देता है:
 * मोटर को स्टार्ट करना: 
संधारित्र थोड़े समय के लिए बहुत ज़्यादा मात्रा में बिजली की आपूर्ति करता है, जिससे पंखे की मोटर को शुरुआती धक्का मिलता है और वह तेज़ी से घूमना शुरू कर देती है।
 * निरंतर गति बनाए रखना:
एक बार जब पंखा अपनी गति पकड़ लेता है, तो संधारित्र मोटर को लगातार ऊर्जा देता रहता है ताकि उसकी गति स्थिर बनी रहे।
अगर पंखे का संधारित्र खराब हो जाए, तो पंखा या तो बहुत धीरे-धीरे चलेगा, या फिर उसे हाथ से घुमाना पड़ेगा ताकि वह शुरू हो सके। इसलिए, पंखे के सही ढंग से काम करने के लिए संधारित्र का सही होना बहुत ज़रूरी है।



शाफ़्ट (Shaft),

 पंखे की मोटर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मोटर के घूमने वाले हिस्से (रोटर) और पंखे के ब्लेड को आपस में जोड़ता है। यह एक लंबी और मजबूत रॉड की तरह होता है।
इसे इस तरह से समझ सकते हैं:

 * जब मोटर का रोटर घूमता है, तो वह सीधे शाफ़्ट को घुमाता है।
 * शाफ़्ट, जो ब्लेड से जुड़ा होता है, इस गति को ब्लेड तक पहुँचाता है।
 * परिणामस्वरूप, ब्लेड घूमने लगते हैं और हवा चलती है।
सरल शब्दों में, शाफ़्ट वह कड़ी है जो मोटर की घूमने की शक्ति को ब्लेड तक पहुँचाती है, जिससे पंखा काम करता है।




आप "बैरिंग" (Bearing) के बारे में पूछ रहे हैं, जो एक महत्वपूर्ण यांत्रिक पुर्ज़ा है।

बैरिंग का हिंदी में अर्थ घिरनी या धारक होता है, लेकिन आम बोलचाल में इसे बैरिंग ही कहते हैं। यह एक यांत्रिक पुर्ज़ा है जिसका मुख्य काम घूमने वाले हिस्सों को सहारा देना और उनके बीच घर्षण (friction) को कम करना है।
बैरिंग के मुख्य कार्य
 * घर्षण कम करना: 
बैरिंग के अंदर छोटी-छोटी धातु की गेंदें (balls) या रोलर होते हैं। ये गेंदें दो सतहों के बीच होती हैं और जब एक सतह घूमती है, तो ये गेंदें भी घूमती हैं। इससे घूमने वाले हिस्से को बहुत कम घर्षण का सामना करना पड़ता है, जिससे वह बहुत आसानी से घूम पाता है।
 * ऊर्जा की बचत: 
कम घर्षण के कारण, किसी भी मशीन को घूमने के लिए कम ऊर्जा की ज़रूरत होती है।
 * सहारा देना: 
बैरिंग, शाफ़्ट (shaft) जैसे घूमने वाले पुर्ज़ों को सहारा देते हैं और उन्हें सही जगह पर स्थिर रखते हैं। इससे पुर्ज़ों की टूट-फूट कम होती है और उनकी उम्र बढ़ जाती है।
पंखे में बैरिंग का काम
पंखे में बैरिंग, शाफ़्ट को मोटर के अंदर सुगमता (smoothly) से घूमने में मदद करता है। अगर पंखे का बैरिंग खराब हो जाए, तो पंखा चलने पर शोर करेगा, धीरे चलेगा या पूरी तरह से रुक भी सकता है।
संक्षेप में, बैरिंग वह पुर्ज़ा है जो किसी भी मशीन में घूमते हुए हिस्से को बिना किसी दिक्कत के और कम ऊर्जा में चलने में मदद 





रेगुलेटर,

 जिसे हिंदी में नियामक कहते हैं, एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल किसी भी मशीन की गति (speed) या प्रवाह (flow) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

सरल शब्दों में, यह वह स्विच है जिससे आप पंखे की गति को कम या ज़्यादा करते हैं।
पंखे में रेगुलेटर का काम
पंखे में लगा रेगुलेटर, पंखे की मोटर तक पहुँचने वाली बिजली की मात्रा को नियंत्रित करता है।
 * कम गति (Low Speed): 
जब आप रेगुलेटर को 1 या 2 पर रखते हैं, तो वह मोटर तक कम बिजली पहुँचाता है। इससे मोटर धीरे घूमती है और पंखा धीमी गति से चलता है।
 * ज़्यादा गति (High Speed):
जब आप रेगुलेटर को 4 या 5 पर रखते हैं, तो वह मोटर तक ज़्यादा बिजली पहुँचाता है। इससे मोटर तेज़ी से घूमती है और पंखा तेज़ हवा देता है।
रेगुलेटर दो तरह के होते हैं:
 * प्रतिरोधक रेगुलेटर (Resistor-based Regulator): यह पुराना रेगुलेटर होता है जो बिजली को रोककर पंखे की गति कम करता है, जिससे बिजली की खपत ज़्यादा होती है।
 * इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर (Electronic Regulator):
यह नया और आधुनिक रेगुलेटर है जो बिजली की खपत को कम करता है और ज़्यादा कुशल होता है।
तो, रेगुलेटर वह उपकरण है जो पंखे को आपकी ज़रूरत के हिसाब से चलाने में मदद करता है।



डाउन रॉड, 

जिसे हिंदी में लटकन रॉड भी कहते हैं, छत के पंखे का वह हिस्सा है जो पंखे को छत से लटकाए रखता है। यह एक मजबूत और खोखली लोहे की पाइप होती है।

डाउन रॉड का काम
 * पंखे को लटकाना: 
इसका सबसे मुख्य काम पंखे के भारी वजन को संभालना और उसे छत से सुरक्षित रूप से लटकाए रखना है।
 * ऊंचाई को नियंत्रित करना: 
डाउन रॉड की लंबाई को बदलकर पंखे की ऊंचाई को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पंखा फर्श से सही दूरी पर रहे ताकि वह हवा को प्रभावी ढंग से वितरित कर सके।
 * बिजली के तार को छिपाना: 
पंखे की मोटर तक जाने वाले बिजली के तार आमतौर पर इसी रॉड के अंदर से होकर गुजरते हैं, जिससे वे दिखते नहीं हैं और पंखा साफ-सुथरा लगता है।
संक्षेप में, डाउन रॉड पंखे और छत के बीच की कड़ी है, जो पंखे को सही जगह पर सुरक्षित रूप से लटकाए रखती है।







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