मोटर को रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग के लिए मुख्य पार्ट्स

 मोटर को फॉरवर्ड और रिवर्स करने के लिए, आपको उसकी वायरिंग में कुछ बदलाव करने होंगे। यह अलग-अलग प्रकार की मोटरों के लिए अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। यहाँ कुछ सामान्य तरीके दिए गए हैं:

1. फेज सीक्वेंस (Phase Sequence) को बदलना

थ्री-फेज इंडक्शन मोटर को रिवर्स करने का सबसे आसान तरीका है कि आप किसी भी दो फेज की वायर्स को आपस में बदल दें।

 * मान लीजिए कि आपकी मोटर अभी लाल (R), पीला (Y), और नीला (B) फेज के सीक्वेंस में चल रही है।

 * मोटर को रिवर्स करने के लिए, आप पीले (Y) और नीले (B) फेज की वायर्स को आपस में बदल सकते हैं।

 * इससे फेज सीक्वेंस लाल (R), नीला (B), और पीला (Y) हो जाएगा और मोटर विपरीत दिशा में घूमने लगेगी।

2. रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर का उपयोग करना

यह तरीका थ्री-फेज मोटरों के लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावी है। रिवर्स फॉरवर्ड स्टार्टर में दो कॉन्टैक्टर (contactor) होते हैं, एक फॉरवर्ड डायरेक्शन के लिए और दूसरा रिवर्स डायरेक्शन के लिए।

 * फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर: 

जब आप इसे चालू करते हैं, तो मोटर एक दिशा में चलती है (उदाहरण के लिए, क्लॉकवाइज)।

 * रिवर्स कॉन्टैक्टर: 

जब आप इसे चालू करते हैं, तो मोटर विपरीत दिशा में चलती है (उदाहरण के लिए, एंटी-क्लॉकवाइज)।

इसमें इंटरलॉकिंग (Interlocking) का खास ध्यान रखा जाता है। इंटरलॉकिंग यह सुनिश्चित करती है कि एक समय में केवल एक ही कॉन्टैक्टर चालू हो। अगर दोनों कॉन्टैक्टर एक साथ चालू हो जाएँ, तो इससे शॉर्ट सर्किट हो सकता है और मोटर या सर्किट को नुकसान पहुँच सकता है। इंटरलॉकिंग दो तरह की होती है:

 * इलेक्ट्रिकल इंटरलॉकिंग: 

इसमें रिवर्स कॉन्टैक्टर के एनसी (NC) टर्मिनल का उपयोग फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर के कंट्रोल सर्किट में किया जाता है, और इसके विपरीत भी यही किया जाता है।

 * मैकेनिकल इंटरलॉकिंग:

इसमें एक मैकेनिकल डिवाइस का उपयोग किया जाता है जो दोनों कॉन्टैक्टर को एक साथ चालू होने से रोकता है।

3. सिंगल-फेज मोटर के लिए

सिंगल-फेज मोटरों को रिवर्स करने के लिए उनकी स्टार्टिंग वाइंडिंग के कनेक्शन को बदलना पड़ता है।

 * मोटर में एक रनिंग वाइंडिंग और एक स्टार्टिंग वाइंडिंग होती है।

 * मोटर की दिशा बदलने के लिए आपको स्टार्टिंग वाइंडिंग के टर्मिनल को बदलना होगा।

 * आप स्टार्टिंग वाइंडिंग की दो वायर्स को आपस में बदल सकते हैं, जिससे मोटर विपरीत दिशा में घूमने लगेगी।

महत्वपूर्ण सुरक्षा टिप्स:

 * हमेशा वायरिंग का काम शुरू करने से पहले मेन पावर सप्लाई बंद कर दें।

 * सर्किट डायग्राम को ध्यान से देखें और समझें।

 * सही प्रकार के कॉन्टैक्टर, रिले और स्विच का उपयोग करें।

 * अगर आपको इस काम का अनुभव नहीं है, तो किसी कुशल इलेक्ट्रीशियन से मदद लें।




रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग का मतलब है मोटर को दोनों दिशाओं में चलाना - एक बार घड़ी की दिशा में (फॉरवर्ड) और दूसरी बार घड़ी के विपरीत (रिवर्स)। यह आमतौर पर दो कॉन्टैक्टरों का उपयोग करके किया जाता है, जिन्हें फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर और रिवर्स कॉन्टैक्टर कहा जाता है।

यह प्रक्रिया मुख्यतः 
थ्री-फेज इंडक्शन मोटर में की जाती है। मोटर की घूमने की दिशा बदलने के लिए, हमें तीन फेज की सप्लाई में से किन्हीं भी दो फेज की तारों को आपस में बदलना होता है।
रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग के लिए आवश्यक कॉम्पोनेंट:
 * दो कॉन्टैक्टर
 * एक ओवरलोड रिले
 * एक स्टॉप पुश बटन (NC - normally closed)
 * दो स्टार्ट पुश बटन (NO - normally open), एक फॉरवर्ड के लिए और एक रिवर्स के लिए
वायरिंग का तरीका
यह वायरिंग दो भागों में की जाती है:
पावर वायरिंग और कंट्रोल वायरिंग।
1. पावर वायरिंग
यह वो वायरिंग है जो सीधे मोटर को पावर सप्लाई देती है।
 * सबसे पहले, तीन फेज (R, Y, B) की सप्लाई को पहले कॉन्टैक्टर (फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर) के इनपुट टर्मिनल पर कनेक्ट करें।
 * इस कॉन्टैक्टर के आउटपुट टर्मिनल से तीन तारें निकालकर ओवरलोड रिले से जोड़ें।
 * अब, दूसरे कॉन्टैक्टर (रिवर्स कॉन्टैक्टर) के इनपुट टर्मिनल पर भी यही तीन फेज सप्लाई दें, लेकिन यहां दो फेज को आपस में बदल दें। उदाहरण के लिए, R फेज को R पर, लेकिन Y को B पर और B को Y पर कनेक्ट करें।
 * इस रिवर्स कॉन्टैक्टर के आउटपुट को भी ओवरलोड रिले से जोड़ें, लेकिन ओवरलोड रिले के कनेक्शन मोटर के कनेक्शन के हिसाब से ही होने चाहिए।
2. कंट्रोल वायरिंग
यह वो वायरिंग है जो कॉन्टैक्टरों को चालू और बंद करने के लिए इस्तेमाल होती है। इस वायरिंग में सबसे महत्वपूर्ण है इंटर-लॉकिंग। इसका मतलब है कि जब एक कॉन्टैक्टर चालू हो, तो दूसरा अपने आप बंद हो जाए ताकि शॉर्ट सर्किट न हो।
 * सबसे पहले, एक फेज की सप्लाई को एमसीबी या फ्यूज से लेकर स्टॉप पुश बटन (NC) के इनपुट पर दें।
 * स्टॉप पुश बटन के आउटपुट से तार निकालकर उसे फॉरवर्ड स्टार्ट पुश बटन (NO) के इनपुट और रिवर्स स्टार्ट पुश बटन (NO) के इनपुट पर कनेक्ट करें।
 * अब, फॉरवर्ड स्टार्ट पुश बटन के आउटपुट से एक तार निकालकर उसे रिवर्स कॉन्टैक्टर के NC (normally closed) पॉइंट से कनेक्ट करें।
 * इस NC पॉइंट के आउटपुट से तार निकालकर फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर के A1 कॉइल टर्मिनल पर कनेक्ट करें। कॉन्टैक्टर के A2 टर्मिनल को न्यूट्रल से जोड़ दें।
 * इसी तरह, रिवर्स स्टार्ट पुश बटन के आउटपुट से एक तार निकालकर उसे फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर के NC पॉइंट से कनेक्ट करें।
 * इस NC पॉइंट के आउटपुट से तार निकालकर रिवर्स कॉन्टैक्टर के A1 कॉइल टर्मिनल पर कनेक्ट करें। रिवर्स कॉन्टैक्टर के A2 टर्मिनल को भी न्यूट्रल से जोड़ दें।
 * मोटर को होल्डिंग सप्लाई देने के लिए, फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर के NO (normally open) पॉइंट को फॉरवर्ड स्टार्ट बटन के समानांतर (parallel) में कनेक्ट करें। इसी तरह, रिवर्स कॉन्टैक्टर के NO पॉइंट को रिवर्स स्टार्ट बटन के समानांतर में कनेक्ट करें।
इस तरह से, जब आप फॉरवर्ड स्टार्ट बटन दबाएंगे, तो मोटर फॉरवर्ड दिशा में चलेगी, और जब आप रिवर्स स्टार्ट बटन दबाएंगे (पहले स्टॉप बटन दबाने के बाद), तो मोटर रिवर्स दिशा में चलने लगेगी। इंटर-लॉकिंग के कारण, दोनों कॉन्टैक्टर एक साथ कभी भी चालू नहीं होंगे।


रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग का इस्तेमाल उन सभी जगहों पर होता है जहाँ एक मोटर को दोनों दिशाओं में (घड़ी की दिशा में और घड़ी के विपरीत) चलाने की जरूरत होती है।
इसके कुछ प्रमुख उपयोग हैं:

 * क्रेन और लिफ्ट:
क्रेन में सामान को ऊपर और नीचे उठाने के लिए और लिफ्ट में लोगों को ऊपर या नीचे ले जाने के लिए।
 * औद्योगिक कन्वेयर बेल्ट: 
कारखानों में कन्वेयर बेल्ट को आगे और पीछे दोनों दिशाओं में चलाने के लिए।
 * मशीन टूल्स:
ड्रिलिंग मशीनों, लेथ मशीनों, या अन्य मशीन टूल्स में जब मोटर की दिशा बदलनी होती है।
 * रोलर शटर और स्लाइडिंग गेट: 
बड़े गोदामों या दुकानों के दरवाजों (रोलर शटर) को खोलने और बंद करने के लिए।
 * पंप: 
कुछ खास तरह के पंपों में, जहाँ तरल पदार्थ को दोनों दिशाओं में पंप करने की जरूरत होती है।
संक्षेप में, 
इस वायरिंग का उपयोग किसी भी ऐसे सिस्टम में किया जाता है, जहाँ मोटर के माध्यम से किसी चीज को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे या दोनों दिशाओं में घुमाना जरूरी होता है।


रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग के लिए जिन मुख्य पार्ट्स की आवश्यकता होती है, उनकी सूची यहाँ दी गई है:

1. कॉन्टैक्टर (Contactor)
 * संख्या: 
2 (एक फॉरवर्ड के लिए और एक रिवर्स के लिए)
 * काम: 
यह एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल स्विच होता है जो मोटर को पावर सप्लाई देता है। कंट्रोल वायरिंग से मिलने वाले सिग्नल के आधार पर यह ऑन या ऑफ होता है। रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग में, एक कॉन्टैक्टर मोटर को एक दिशा में चलाता है और दूसरा कॉन्टैक्टर दो फेजों को आपस में बदलकर मोटर को दूसरी दिशा में चलाता है।
2. ओवरलोड रिले (Overload Relay)
 * संख्या: 1
 * काम: यह मोटर को ओवरलोड होने से बचाता है। जब मोटर पर उसकी क्षमता से ज्यादा लोड पड़ता है और वह अधिक करंट खींचती है, तो ओवरलोड रिले सर्किट को तोड़ देती है, जिससे मोटर को कोई नुकसान नहीं होता। यह मोटर की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।
3. पुश बटन (Push Button)
 * संख्या: 3
 * काम: 
ये मोटर को नियंत्रित करने के लिए होते हैं।
   * स्टॉप पुश बटन (NC - Normally Closed): 
यह हमेशा कनेक्टेड रहता है और इसे दबाने पर सर्किट टूट जाता है, जिससे मोटर रुक जाती है।
   * फॉरवर्ड स्टार्ट पुश बटन (NO - Normally Open): इसे दबाने पर सर्किट जुड़ता है और मोटर फॉरवर्ड दिशा में चलने लगती है।
   * रिवर्स स्टार्ट पुश बटन (NO - Normally Open): इसे दबाने पर सर्किट जुड़ता है और मोटर रिवर्स दिशा में चलने लगती है।
4. एमसीबी/सर्किट ब्रेकर (MCB / Circuit Breaker)
 * संख्या: 
1 या 2 (एक पावर सर्किट के लिए और एक कंट्रोल सर्किट के लिए)
 * काम: 
यह पूरे सर्किट की सुरक्षा के लिए होता है। शॉर्ट सर्किट या ओवरलोड की स्थिति में यह अपने आप बंद होकर सर्किट को सुरक्षित रखता है।
5. होल्डिंग/इंटर-लॉकिंग पॉइंट
 * यह कोई अलग से पार्ट नहीं है, बल्कि कॉन्टैक्टर पर ही मौजूद NO (Normally Open) और NC (Normally Closed) पॉइंट्स होते हैं।
 * होल्डिंग: 
कॉन्टैक्टर के NO पॉइंट का इस्तेमाल करके स्टार्ट पुश बटन को दबाने के बाद भी मोटर को चालू रखने के लिए किया जाता है।
 * इंटर-लॉकिंग:
एक कॉन्टैक्टर के NC पॉइंट का इस्तेमाल दूसरे कॉन्टैक्टर को तब तक चालू होने से रोकने के लिए किया जाता है, जब तक पहला कॉन्टैक्टर बंद न हो जाए। यह सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है जो शॉर्ट सर्किट को रोकता है।
इन सभी कॉम्पोनेंट्स के सही कनेक्शन से ही रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग पूरी और सुरक्षित मानी जाती है।


रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग को सही तरीके से उपयोग करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि यह सुरक्षित और प्रभावी ढंग से काम करे।

1. सुरक्षा का ध्यान रखें
 * हमेशा पहले मोटर को रोकें: 
मोटर को फॉरवर्ड से रिवर्स दिशा में चलाने से पहले, हमेशा स्टॉप बटन दबाकर मोटर को पूरी तरह से बंद करें। सीधे-सीधे एक दिशा से दूसरी दिशा में बदलने की कोशिश करने से मोटर और सर्किट दोनों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ सकता है, जिससे मोटर की वाइंडिंग और कॉन्टैक्टर खराब हो सकते हैं।
 * ओवरलोड रिले की सेटिंग: 
ओवरलोड रिले को मोटर के फुल लोड करंट (FLC) के अनुसार सही ढंग से सेट करें। यह मोटर को जलने से बचाता है। रिले की सेटिंग मोटर की नेमप्लेट पर दिए गए एम्पियर के मान से थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए।
 * इंटर-लॉकिंग की जांच: 
यह सुनिश्चित करें कि आपके सर्किट में इंटर-लॉकिंग सही ढंग से काम कर रही है। जब फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर चालू हो, तो रिवर्स कॉन्टैक्टर का NC पॉइंट खुला होना चाहिए, और जब रिवर्स कॉन्टैक्टर चालू हो, तो फॉरवर्ड कॉन्टैक्टर का NC पॉइंट खुला होना चाहिए। यह शॉर्ट सर्किट से बचने के लिए सबसे जरूरी सुरक्षा फीचर है।
2. नियमित जांच और रखरखाव
 * कनेक्शन की जांच: 
समय-समय पर सभी तारों के कनेक्शन की जांच करें। ढीले कनेक्शन स्पार्किंग (चिंगारी) और हीटिंग का कारण बन सकते हैं, जिससे आग लगने का खतरा होता है।
 * कॉन्टैक्टर की सफाई: 
कॉन्टैक्टर के कॉन्टैक्ट्स को साफ रखें। धूल और गंदगी के कारण कॉन्टैक्ट्स ठीक से काम नहीं कर पाते।
 * पुश बटन की जांच: 
सुनिश्चित करें कि सभी पुश बटन ठीक से काम कर रहे हैं और अटक नहीं रहे हैं।
3. सही प्रक्रिया का पालन करें
 * मोटर शुरू करना: 
मोटर को शुरू करने के लिए, फॉरवर्ड या रिवर्स स्टार्ट बटन में से कोई एक दबाएं।
 * मोटर रोकना: 
मोटर को रोकने के लिए, हमेशा स्टॉप बटन का उपयोग करें।
 * दिशा बदलना: 
दिशा बदलने के लिए:
   * जिस दिशा में मोटर चल रही है, उसे स्टॉप बटन दबाकर रोकें।
   * मोटर के पूरी तरह से रुक जाने का इंतजार करें।
   * अब दूसरी दिशा का स्टार्ट बटन दबाएं।
यह सभी कदम आपकी वायरिंग और मोटर दोनों को सुरक्षित रखने में मदद करेंगे और सिस्टम की लाइफ को भी बढ़ाएंगे।



आप रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग का इस्तेमाल मुख्य रूप से थ्री-फेज इंडक्शन मोटर के लिए कर सकते हैं। यह सबसे सामान्य और प्रभावी तरीका है।
इसके अलावा, कुछ खास तरह की सिंगल-फेज मोटरों को भी रिवर्स-फॉरवर्ड तरीके से चलाया जा सकता है, लेकिन इनकी वायरिंग थ्री-फेज मोटर से थोड़ी अलग होती है।
यहाँ कुछ मोटरें हैं जिन्हें इस वायरिंग के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है:

1. थ्री-फेज इंडक्शन मोटर
 * यह सबसे आम है: 
थ्री-फेज इंडक्शन मोटर को रिवर्स-फॉरवर्ड चलाना बहुत आसान होता है। इसके लिए, बस दो फेज़ों की तारों को आपस में बदल दिया जाता है। इसी वजह से क्रेन, कन्वेयर बेल्ट, और बड़े औद्योगिक मशीनों में इसी वायरिंग का उपयोग होता है।
 * बदलने का तरीका: 
थ्री-फेज मोटर में R, Y, B तीन फेज होते हैं। अगर मोटर R-Y-B सीक्वेंस में चल रही है, तो उसकी दिशा बदलने के लिए हम R-B-Y कर सकते हैं। यह काम दो कॉन्टैक्टरों से आसानी से किया जाता है।
2. सिंगल-फेज इंडक्शन मोटर
सिंगल-फेज मोटरों को भी रिवर्स-फॉरवर्ड चलाया जा सकता है, लेकिन यह हर मोटर में संभव नहीं होता। यह उन मोटरों में संभव है जिनमें दो वाइंडिंग होती हैं - एक स्टार्टिंग वाइंडिंग और एक रनिंग वाइंडिंग।
 * बदलने का तरीका: 
सिंगल-फेज मोटर की दिशा बदलने के लिए, हमें स्टार्टिंग वाइंडिंग के कनेक्शन की पोलरिटी (polarity) को रनिंग वाइंडिंग के सापेक्ष (relative) में बदलना होता है।
 * ध्यान दें:
कुछ सिंगल-फेज मोटरों में, जैसे कि साधारण सीलिंग फैन, स्टार्टिंग और रनिंग वाइंडिंग के तार बाहर नहीं निकले होते, जिससे उनकी दिशा बदलना मुश्किल होता है। इसलिए, रिवर्स-फॉरवर्ड वायरिंग का इस्तेमाल उन्हीं सिंगल-फेज मोटरों में किया जाता है जिन्हें खास तौर पर इस काम के लिए डिज़ाइन किया गया हो।
सारांश में: 
अगर आपको किसी मोटर को दोनों दिशाओं में चलाना है, तो थ्री-फेज इंडक्शन मोटर इसके लिए सबसे उपयुक्त होती है। अगर सिंगल-फेज मोटर का इस्तेमाल करना है, तो यह सुनिश्चित करें कि वह रिवर्स-फॉरवर्ड ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन की गई है और उसकी वायरिंग इस तरह की जा सकती है कि स्टार्टिंग वाइंडिंग के कनेक्शन बदले जा सकें।



मोटर कई अलग-अलग पार्ट्स से मिलकर बनती है, जिनमें से हर एक का अपना खास काम होता है। मुख्य रूप से मोटर के पार्ट्स को दो कैटेगरी में बांटा जा सकता है:

 * स्टेटर (स्थिर रहने वाले पार्ट्स): 
ये वो पार्ट्स हैं जो मोटर के चलने के दौरान स्थिर रहते हैं।
 * रोटर (घूमने वाले पार्ट्स): 
ये वो पार्ट्स हैं जो मोटर के अंदर घूमते हैं।
आइए, एक थ्री-फेज इंडक्शन मोटर के मुख्य पार्ट्स को विस्तार से समझते हैं:
स्टेटर (Stator) के पार्ट्स
 * मोटर फ्रेम या योक (Motor Frame / Yoke): 
यह मोटर का बाहरी हिस्सा होता है, जो कास्ट आयरन या स्टील से बना होता है। इसका मुख्य काम मोटर के अंदर के सभी पार्ट्स को सुरक्षा देना और उन्हें सहारा देना है।
 * स्टेटर कोर (Stator Core): 
यह सिलिकॉन स्टील की पतली-पतली शीटों (लैमिनेशन्स) को एक साथ जोड़कर बनाया जाता है। इसका काम चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) को रास्ता प्रदान करना है। लैमिनेशन का उपयोग एडी करंट लॉस को कम करने के लिए किया जाता है।
 * स्टेटर वाइंडिंग (Stator Winding): 
यह तांबे के इंसुलेटेड तारों से बनी होती है, जिसे स्टेटर कोर के स्लॉट्स में डाला जाता है। जब इन वाइंडिंग में बिजली (करंट) प्रवाहित होती है, तो यह एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) पैदा करती है, जो रोटर को घुमाता है।
 * टर्मिनल बॉक्स (Terminal Box): 
यह मोटर के बाहर लगा एक बॉक्स होता है, जहाँ से मोटर को बिजली सप्लाई दी जाती है। यहीं पर स्टेटर वाइंडिंग के तार कनेक्ट होते हैं।
रोटर (Rotor) के पार्ट्स
 * रोटर कोर (Rotor Core): 
यह भी स्टेटर की तरह पतली-पतली सिलिकॉन स्टील की शीटों (लैमिनेशन्स) से बना होता है, जो शाफ्ट पर फिट होता है।
 * रोटर वाइंडिंग (Rotor Winding): 
रोटर वाइंडिंग दो तरह की हो सकती है:
   * स्क्विरल केज रोटर (Squirrel Cage Rotor): 
इसमें तांबे या एल्यूमीनियम की छड़ें होती हैं, जो दोनों तरफ की रिंग्स से शॉर्ट-सर्किट होती हैं। यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला रोटर है।
   * स्लिप रिंग रोटर (Slip Ring Rotor): 
इसमें भी वाइंडिंग होती है, जो स्लिप रिंग्स के जरिए बाहरी रेजिस्टेंस से जुड़ी होती है। इसका उपयोग उन मोटरों में होता है जहाँ शुरुआती टॉर्क (starting torque) को नियंत्रित करने की जरूरत होती है।
 * शाफ्ट (Shaft): 
यह एक मजबूत स्टील की रॉड होती है, जो रोटर के बीच से गुजरती है। जब रोटर घूमता है, तो यह शाफ्ट भी घूमती है और इस घूमने वाली शक्ति को बाहर की मशीन या लोड तक पहुँचाती है।
अन्य महत्वपूर्ण पार्ट्स
 * बेयरिंग (Bearings):
ये शाफ्ट के दोनों सिरों पर लगे होते हैं और शाफ्ट को चिकनाई के साथ घूमने में मदद करते हैं, जिससे घर्षण (friction) कम होता है।
 * एंड शील्ड या एंड कवर (End Shields / End Covers): 
ये मोटर के दोनों सिरों पर लगे होते हैं और बेयरिंग को सहारा देते हैं, जिससे शाफ्ट अपनी जगह पर स्थिर रहती है।
 * कूलिंग फैन (Cooling Fan): यह शाफ्ट के एक सिरे पर लगा होता है। जब मोटर चलती है, तो यह फैन भी घूमता है और मोटर के बाहरी हिस्से पर हवा फेंककर उसे ठंडा रखता है।
ये सभी पार्ट्स मिलकर एक मोटर को पूरा करते हैं, जिससे बिजली की ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा (घूमने वाली ऊर्जा) में बदलती है।



मोटर में मुख्य रूप से दो तरह की वाइंडिंग होती हैं, जो मोटर के प्रकार के आधार पर अलग-अलग जगह पर लगी होती हैं। ये वाइंडिंग ही मोटर के चलने का आधार होती हैं, क्योंकि ये चुंबकीय क्षेत्र बनाती हैं।

1. स्टेटर वाइंडिंग (Stator Winding)
 * यह वाइंडिंग मोटर के स्थिर भाग (stator) पर लगी होती है।
 * AC मोटरों में: 
स्टेटर वाइंडिंग में जब तीन-फेज की बिजली दी जाती है, तो यह एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) पैदा करती है। यही चुंबकीय क्षेत्र रोटर को घुमाता है। इसे ही आर्मेचर वाइंडिंग भी कहते हैं।
 * DC मोटरों में: 
DC मोटरों में, स्टेटर पर लगी वाइंडिंग को फील्ड वाइंडिंग कहते हैं। यह वाइंडिंग एक स्थिर चुंबकीय क्षेत्र बनाती है।
2. रोटर वाइंडिंग (Rotor Winding)
 * यह वाइंडिंग मोटर के घूमने वाले भाग (rotor) पर लगी होती है।
 * DC मोटरों में:
DC मोटरों में, रोटर पर लगी वाइंडिंग को आर्मेचर वाइंडिंग कहते हैं। यह वाइंडिंग कम्यूटेटर और ब्रश के माध्यम से करंट प्राप्त करती है और फील्ड वाइंडिंग के चुंबकीय क्षेत्र के साथ मिलकर घूमने की शक्ति (टॉर्क) पैदा करती है।
 * AC मोटरों में: 
AC इंडक्शन मोटरों में रोटर वाइंडिंग भी होती है, 
जिसे दो मुख्य प्रकारों में बांटा जाता है:
   * स्क्विरल केज वाइंडिंग (Squirrel Cage Winding):
यह सबसे आम है। इसमें रोटर कोर में एल्यूमीनियम या तांबे की छड़ें होती हैं, जो दोनों तरफ की रिंग्स से शॉर्ट-सर्किट होती हैं। यह वाइंडिंग बाहरी बिजली से सीधे कनेक्ट नहीं होती, बल्कि स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र से इसमें करंट पैदा होता है।
   * स्लिप रिंग वाइंडिंग (Slip Ring Winding): 
इसमें रोटर पर वाइंडिंग होती है, जो स्लिप रिंग्स के माध्यम से बाहरी सर्किट से जुड़ी होती है, जिससे शुरुआती टॉर्क को नियंत्रित किया जा सकता है।
अन्य प्रकार की वाइंडिंग
इसके अलावा, वाइंडिंग को उनकी संरचना के आधार पर भी कई भागों में बांटा जाता है:
 * रनिंग वाइंडिंग (Running Winding): 
यह मुख्य वाइंडिंग होती है जो मोटर को लगातार चलाती रहती है।
 * स्टार्टिंग वाइंडिंग (Starting Winding): 
यह वाइंडिंग केवल मोटर को शुरू करने के लिए होती है और एक बार मोटर स्पीड पकड़ लेती है तो यह कट जाती है (जैसे कि सिंगल-फेज मोटरों में)।
 * डिस्ट्रिब्यूटेड वाइंडिंग (Distributed Winding): 
इस तरह की वाइंडिंग को पूरे स्टेटर स्लॉट में समान रूप से फैलाया जाता है। यह उच्च दक्षता (efficiency) वाली मोटरों में उपयोग होती है।
 * कंसंट्रेटेड वाइंडिंग (Concentrated Winding): 
इस वाइंडिंग में तार को एक ही जगह पर केंद्रित करके लपेटा जाता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि मोटर के प्रकार के अनुसार वाइंडिंग का नाम और स्थान बदल सकता है, लेकिन हर मोटर में चुंबकीय क्षेत्र बनाने के लिए वाइंडिंग जरूरी होती है।




किसी भी मोटर में टर्मिनलों की संख्या कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि वह सिंगल-फेज है या थ्री-फेज, और उसकी वाइंडिंग किस तरह से जुड़ी हुई है।
यहाँ कुछ सबसे सामान्य प्रकार की मोटरों और उनके टर्मिनलों के बारे में बताया गया है:

1. सिंगल-फेज मोटर
 * सामान्य तौर पर 3 से 4 टर्मिनल होते हैं:
   * 2 टर्मिनल: 
कुछ बहुत ही सरल मोटरों में सिर्फ दो टर्मिनल हो सकते हैं, जहाँ सीधे फेज और न्यूट्रल कनेक्ट होते हैं।
   * 3 टर्मिनल: 
आमतौर पर सिंगल-फेज मोटरों में तीन टर्मिनल होते हैं: कॉमन (C), स्टार्ट (S) और रन (R)। इन मोटरों में कैपेसिटर भी लगा होता है जो मोटर के बाहर कनेक्ट होता है।
   * 4 टर्मिनल: 
कुछ मोटरों में 4 टर्मिनल भी होते हैं। इनमें रनिंग वाइंडिंग के दो सिरे और स्टार्टिंग वाइंडिंग के दो सिरे बाहर निकले होते हैं।
2. थ्री-फेज मोटर
थ्री-फेज मोटरों में वाइंडिंग के तीन अलग-अलग सेट होते हैं, और हर सेट के दो सिरे होते हैं (एक शुरुआत और एक अंत)।
 * 6 टर्मिनल: 
यह थ्री-फेज मोटर में सबसे आम संख्या है। तीनों वाइंडिंग के 6 सिरे बाहर निकले होते हैं, जिन्हें U1, V1, W1 और U2, V2, W2 के रूप में चिह्नित किया जाता है। इन 6 टर्मिनलों का उपयोग करके हम मोटर को स्टार (Star) या डेल्टा (Delta) कनेक्शन में जोड़ सकते हैं।
 * 9 टर्मिनल: 
कुछ विशेष थ्री-फेज मोटरों में 9 टर्मिनल भी होते हैं, खासकर उन मोटरों में जिन्हें दो अलग-अलग वोल्टेज पर चलाया जा सकता है (जैसे 220V और 440V)। इन मोटरों में प्रत्येक फेज वाइंडिंग को दो भागों में बांटा जाता है, जिससे कुल 9 टर्मिनल बनते हैं।
 * 12 टर्मिनल: 
कुछ बहुत ही खास और बड़ी मोटरों में 12 टर्मिनल तक हो सकते हैं, जिनका उपयोग कई जटिल कनेक्शनों और गति नियंत्रण के लिए किया जाता है।
संक्षेप में, 
मोटर में टर्मिनलों की संख्या उसके प्रकार, वाइंडिंग की संख्या और उसकी डिज़ाइन पर निर्भर करती है। सबसे आम तौर पर सिंगल-फेज मोटर में 3 टर्मिनल और थ्री-फेज मोटर में 6 टर्मिनल होते हैं।



सिंगल-फेज मोटर और थ्री-फेज मोटर में मुख्य अंतर उनकी बिजली सप्लाई, बनावट, दक्षता और उपयोग में होता है। यहाँ इन दोनों के बीच के प्रमुख अंतरों को आसान भाषा में समझाया गया है।

1. बिजली सप्लाई (Power Supply)
 * सिंगल-फेज मोटर:
यह सिर्फ एक फेज और एक न्यूट्रल तार से चलती है। घरों, दफ्तरों और छोटे व्यवसायों में यही सप्लाई होती है।
 * थ्री-फेज मोटर: 
इसे तीन फेज (R, Y, B) की सप्लाई चाहिए। यह मुख्य रूप से बड़े उद्योगों और कारखानों में मिलती है।
2. शुरुआती टॉर्क (Starting Torque)
 * सिंगल-फेज मोटर: 
यह सेल्फ-स्टार्टिंग नहीं होती है। इसे शुरू करने के लिए एक अतिरिक्त वाइंडिंग और कैपेसिटर की जरूरत होती है जो शुरुआती टॉर्क पैदा करता है।
 * थ्री-फेज मोटर: 
यह सेल्फ-स्टार्टिंग होती है। इसकी तीन फेज वाइंडिंग खुद ही एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) बनाती हैं, जिससे मोटर अपने आप चलने लगती है।
3. दक्षता (Efficiency) और शक्ति (Power)
 * सिंगल-फेज मोटर: 
इसकी दक्षता (efficiency) कम होती है। यह कम शक्ति (power) वाले कामों के लिए उपयुक्त होती है, जैसे 10 hp से कम।
 * थ्री-फेज मोटर:
इसकी दक्षता बहुत अधिक होती है। यह बड़ी और भारी मशीनों के लिए ज्यादा शक्ति प्रदान करती है। समान आकार की थ्री-फेज मोटर, सिंगल-फेज मोटर की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा शक्तिशाली होती है।
4. बनावट और लागत (Construction & Cost)
 * सिंगल-फेज मोटर: 
इसकी बनावट थ्री-फेज मोटर की तुलना में सरल होती है और यह आमतौर पर कम महंगी होती है, खासकर छोटे आकार में।
 * थ्री-फेज मोटर:
इसकी बनावट थोड़ी जटिल होती है, लेकिन समान पावर रेटिंग के लिए यह ज्यादा कॉम्पैक्ट और मजबूत होती है।
5. उपयोग (Applications)
 * सिंगल-फेज मोटर:
घरेलू उपकरणों में इसका सबसे ज्यादा उपयोग होता है, जैसे कि पंखे, रेफ्रिजरेटर, पानी के छोटे पंप, कूलर, वाशिंग मशीन, आदि।
 * थ्री-फेज मोटर:
इसका उपयोग बड़े औद्योगिक कामों में होता है, जैसे कि क्रेन, लिफ्ट, मिल, औद्योगिक पंप, और बड़े मशीन टूल्स।
संक्षेप में कहें तो, सिंगल-फेज मोटर छोटे और घरेलू कामों के लिए है, जबकि थ्री-फेज मोटर बड़े और औद्योगिक कामों के लिए है।



एकल-चरण (Single-phase) और तीन-चरण (Three-phase) मोटरों का उपयोग उनकी शक्ति (power) की आवश्यकता और जहाँ वे इस्तेमाल हो रहे हैं, उस वातावरण पर निर्भर करता है।

एकल-चरण मोटर का उपयोग
एकल-चरण मोटरें कम शक्ति वाली होती हैं, इसीलिए इनका उपयोग वहाँ होता है जहाँ बिजली की आपूर्ति सिर्फ एक फेज और एक न्यूट्रल के साथ होती है। ये मोटरें घरेलू और छोटे व्यावसायिक कामों के लिए बिल्कुल सही हैं।
 * घरेलू उपकरण:
लगभग सभी घर के उपकरण जैसे पंखे, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर, एयर कंडीशनर और कूलर एकल-चरण मोटर का उपयोग करते हैं।
 * छोटे पानी के पंप:
घर में पानी की टंकी भरने वाले छोटे पानी के पंपों में भी इनका इस्तेमाल होता है।
 * दुकानें और छोटे व्यवसाय: 
छोटी दुकानों में एयर कंप्रेसर, ग्राइंडर और ड्रिल मशीन में भी ये मोटरें मिलती हैं।
 * खिलौने और छोटे उपकरण: 
हेयर ड्रायर, खिलौनों और रिकॉर्ड प्लेयर जैसे छोटे उपकरणों में भी इनका उपयोग किया जाता है।
तीन-चरण मोटर का उपयोग
तीन-चरण मोटरें बहुत शक्तिशाली और कुशल होती हैं, इसीलिए इनका उपयोग उन जगहों पर होता है जहाँ भारी काम और लगातार चलने की जरूरत होती है। ये मुख्य रूप से औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में इस्तेमाल होती हैं।
 * उद्योग और कारखाने: 
इन्हें "उद्योगों का घोड़ा" भी कहा जाता है। ये कन्वेयर बेल्ट, लिफ्ट, क्रेन, बड़े पंप और औद्योगिक मशीनों जैसे लेथ मशीन, मिलिंग मशीन और ड्रिल प्रेस में इस्तेमाल होती हैं।
 * कृषि: 
बड़े पानी के पंप और कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनों में भी इनका उपयोग होता है।
 * बड़े व्यवसाय: 
बड़े होटलों, अस्पतालों और शॉपिंग मॉल में एयर हैंडलिंग यूनिट (AHU) और बड़े एयर कंडीशनिंग सिस्टम में भी ये मोटरें लगाई जाती हैं।
 * विद्युत ऊर्जा उत्पादन: 
बिजली उत्पादन संयंत्रों में भी इनका उपयोग किया जाता है।
संक्षेप में, 
यदि आप कम शक्ति वाले घरेलू या छोटे उपकरण चला रहे हैं, तो एकल-चरण मोटर सबसे अच्छा विकल्प है। लेकिन अगर आपको किसी औद्योगिक या बड़े काम के लिए ज्यादा शक्ति और दक्षता की जरूरत है, तो तीन-चरण मोटर सबसे उपयुक्त है।





टिप्पणियाँ

Popular Post

घरेलू उपयोग के लिए पीएलसी (Programmable Logic Controller) का इस्तेमाल करना संभव है, हालांकि यह औद्योगिक उपयोग जितना आम नहीं है। आमतौर पर, घर के स्वचालन के लिए माइक्रोकंट्रोलर-आधारित सिस्टम या रेडीमेड स्मार्ट होम सोल्यूशंस (जैसे गूगल होम, अमेज़न एलेक्सा, स्मार्टथिंग्स) अधिक प्रचलित हैं।

एसी मोटर के मुख्य पुर्जे (Parts of AC Motor)

रिले के प्रकार