घर की वायरिंग ( House Wiring )

 बिजली के तारों का रंग कोड एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है जो तारों के उद्देश्य को पहचानने में मदद करता है। यह कोड देशों और क्षेत्रों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है।



भारत में आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले रंग कोड:

 * फेज़ (Phase) तार:

लाल (Red), पीला (Yellow) और नीला (Blue)

 * न्यूट्रल (Neutral) तार: 

काला (Black)

 * अर्थिंग (Earthing) तार:

हरा (Green) या हरे और पीले रंग की पट्टी वाला तार

अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-टेक्निकल कमीशन (IEC) के अनुसार नया रंग कोड (जो कुछ जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है):

 * फेज़ (Phase) तार: 

भूरा (Brown)

 * न्यूट्रल (Neutral) तार: 

नीला (Blue)

 * अर्थिंग (Earthing) तार: 

हरे और पीले रंग की पट्टी वाला तार

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि DC (डायरेक्ट करंट) सिस्टम में भी अलग रंग कोड का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर:

 * पॉजिटिव (+) तार: 

लाल (Red)

 * नेगेटिव (-) तार: 

काला (Black)

 * ग्राउंडिंग तार: 

हरा (Green) या हरे और पीले रंग की पट्टी वाला तार

घर में इस्तेमाल होने वाले तारों और केबलों का आकार (साइज) उनकी क्षमता और उपयोग के आधार पर तय किया जाता है। तार का आकार "स्क्वायर मिलीमीटर" (mm^2) में मापा जाता है। तार का मोटा होना उसकी करंट ले जाने की क्षमता को बढ़ाता है।
सामान्य घरेलू वायरिंग के लिए तारों के आकार:

 * 1.0 mm^2 (या 1.5 mm^2) तार:
यह सबसे आम साइज है और इसका उपयोग हल्के उपकरणों और लाइटिंग सर्किट के लिए किया जाता है, जैसे:
   * बल्ब, ट्यूबलाइट, पंखे।
   * टीवी, चार्जिंग सॉकेट।
   * इनवर्टर से जुड़ी सप्लाई के लिए।
 * 2.5 mm^2 तार: 
इस तार का उपयोग उन उपकरणों के लिए किया जाता है जिन्हें अधिक बिजली की आवश्यकता होती है, जैसे:
   * रेफ्रिजरेटर (फ्रिज)।
   * माइक्रोवेव ओवन, टोस्टर।
   * गर्म पानी का गीजर।
   * पावर सॉकेट (16A)।
 * 4.0 mm^2 से 6.0 mm^2 तार: 
ये तार भारी उपकरणों के लिए होते हैं, जैसे:
   * एयर कंडीशनर (AC)।
   * पानी का पंप (सबमर्सिबल)।
   * मुख्य आपूर्ति (मेन सप्लाई) के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
 * 10 mm^2 या उससे अधिक के तार: 
ये बहुत भारी उपकरणों और मुख्य विद्युत मीटर से घर के डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स तक बिजली पहुँचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
तारों के प्रकार:
घर की वायरिंग में आमतौर पर सिंगल-कोर फ्लेक्सिबल पीवीसी इंसुलेटेड (PVC Insulated) तार या केबल का उपयोग किया जाता है। ये तार अलग-अलग रंगों में उपलब्ध होते हैं ताकि फेज़, न्यूट्रल और अर्थिंग को आसानी से पहचाना जा सके।
सुरक्षा संबंधी बातें:
 * हमेशा ISI मार्क वाले तार और केबल का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि ये सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं।
 * सही उपकरण के लिए सही आकार का तार चुनना बहुत जरूरी है ताकि ओवरलोडिंग और शॉर्ट सर्किट के जोखिम से बचा जा सके।
 * किसी भी वायरिंग का काम किसी पेशेवर इलेक्ट्रीशियन से ही कराएं।




घर में बिजली के उपकरणों का उपयोग एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह हमारे जीवन को आसान और आरामदायक बनाता है। बिजली के उपकरण विभिन्न प्रकार के होते हैं और उनका उपयोग भी अलग-अलग कामों के लिए होता है।

कुछ सामान्य घरेलू बिजली के उपकरण और उनका उपयोग:
 * प्रकाश (Lighting):
   * बल्ब, ट्यूबलाइट, LED लाइट: 
ये घर को रोशन करने के लिए उपयोग होते हैं।
   * टेबल लैंप, फ्लोर लैंप: 
ये सजावट और विशिष्ट क्षेत्रों को रोशन करने के लिए होते हैं।
 * रसोई के उपकरण (Kitchen Appliances):
   * रेफ्रिजरेटर (फ्रिज): 
खाने और पेय पदार्थों को ठंडा रखने और खराब होने से बचाने के लिए।
   * माइक्रोवेव ओवन: 
भोजन को जल्दी गर्म करने और पकाने के लिए।
   * इंडक्शन कुकटॉप: 
बिजली से चलने वाला चूल्हा, जो तेजी से खाना पकाता है।
   * मिक्सर-ग्राइंडर, जूसर: 
मसाले पीसने, चटनी बनाने, और जूस निकालने के लिए।
   * टोस्टर, इलेक्ट्रिक केतली: 
ब्रेड को सेंकने और पानी गर्म करने के लिए।
 * मनोरंजन और संचार (Entertainment and Communication):
   * टेलीविजन (TV): 
वीडियो देखने, समाचार, और मनोरंजन के लिए।
   * कंप्यूटर, लैपटॉप: 
काम करने, पढ़ने, और इंटरनेट चलाने के लिए।
   * मोबाइल फोन चार्जर: 
मोबाइल फोन की बैटरी चार्ज करने के लिए।
 * सफाई और रखरखाव (Cleaning and Maintenance):
   * वैकुम क्लीनर: 
फर्श, कालीन और फर्नीचर से धूल हटाने के लिए।
   * वॉशिंग मशीन:
कपड़े धोने के लिए।
 * जलवायु नियंत्रण (Climate Control):
   * पंखा (Fan): 
हवा को ठंडा रखने और वेंटिलेशन के लिए।
   * एयर कंडीशनर (AC): 
कमरे को ठंडा करने के लिए।
   * गीजर: 
पानी गर्म करने के लिए।
   * हीटर: 
सर्दियों में कमरे को गर्म रखने के लिए।
सुरक्षा और सावधानी:
 * ओवरलोडिंग से बचें:
एक ही सॉकेट पर बहुत सारे उपकरण न चलाएं। इससे आग लगने का खतरा होता है।
 * ISI मार्क वाले उपकरण:
हमेशा प्रमाणित (ISI) उपकरण ही खरीदें।
 * पानी से दूर रखें:
पानी और नमी वाले स्थानों पर बिजली के उपकरणों का उपयोग करने से बचें।
 * टूटे हुए उपकरण: 
अगर कोई उपकरण टूटा हुआ है या उसका तार खराब है, तो उसका उपयोग न करें।
 * बच्चों से दूर रखें: 
छोटे बच्चों को बिजली के स्विच और उपकरणों से दूर रखें।
 * सही वोल्टेज: 
उपकरण को हमेशा सही वोल्टेज पर चलाएं।
बिजली के उपकरणों का सही और सुरक्षित उपयोग करके हम न केवल अपने जीवन को आसान बना सकते हैं, बल्कि दुर्घटनाओं से भी बच सकते हैं।





घर की वायरिंग में कई तरह के बिजली के सामानों का उपयोग किया जाता है ताकि बिजली की आपूर्ति सुरक्षित और कुशल बनी रहे। इन सभी सामानों का सही चयन और सही इंस्टॉलेशन बहुत जरूरी है।

ज़रूरी वायरिंग सामान
1. तार और केबल (Wires & Cables)
ये वायरिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
 * प्रकार: 
आमतौर पर पीवीसी इंसुलेटेड कॉपर के तार उपयोग किए जाते हैं क्योंकि ये सुरक्षित और लचीले होते हैं।
 * आकार (Size): 
तार का आकार उपकरण की बिजली खपत पर निर्भर करता है।
   * 1.0 mm^2 - 1.5 mm^2: 
बल्ब, पंखे, टीवी जैसे हल्के उपकरणों के लिए।
   * 2.5 mm^2:
फ्रिज, गीजर, माइक्रोवेव जैसे अधिक बिजली लेने वाले उपकरणों के लिए।
   * 4.0 mm^2 - 6.0 mm^2: 
एयर कंडीशनर (AC) या मुख्य आपूर्ति के लिए।
2. स्विच और सॉकेट (Switches & Sockets)
ये बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए होते हैं।
 * स्विच: 
उपकरणों को चालू और बंद करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
 * सॉकेट: 
उपकरणों के प्लग को बिजली की आपूर्ति से जोड़ने के लिए। आमतौर पर 5A और 15A के सॉकेट का उपयोग होता है, जो उपकरणों की जरूरत के हिसाब से चुने जाते हैं।
3. एमसीबी (MCB - Miniature Circuit Breaker)
यह एक सुरक्षा उपकरण है।
 * उपयोग: 
अगर सर्किट में ओवरलोडिंग या शॉर्ट सर्किट होता है, तो एमसीबी अपने आप बंद हो जाता है और बिजली की आपूर्ति को काट देता है, जिससे उपकरणों और वायरिंग को नुकसान से बचाया जा सकता है।
4. अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर (ELCB/RCCB)
यह भी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है।
 * उपयोग: 
यह किसी व्यक्ति को बिजली के झटके (Electric Shock) से बचाता है। अगर किसी उपकरण में करंट लीक हो रहा है, तो यह तुरंत बिजली को काट देता है।
5. जंक्शन बॉक्स और गैंग बॉक्स (Junction Box & Gang Box)
 * जंक्शन बॉक्स: 
यह तारों को जोड़ने और सुरक्षित रखने के लिए उपयोग होता है।
 * गैंग बॉक्स: 
यह स्विच और सॉकेट को दीवार में लगाने के लिए एक आधार प्रदान करता है।
6. वायरिंग पाइप और क्लिप (Pipes & Clips)
 * पाइप (Conduit): 
ये प्लास्टिक के पाइप होते हैं जिनके अंदर तार डाले जाते हैं, जिससे वे सुरक्षित रहते हैं और दिखाई नहीं देते।
 * क्लिप: 
ये तारों या पाइपों को दीवार पर लगाने के लिए उपयोग होते हैं।
7. मेन डिस्ट्रीब्यूशन बोर्ड (Main Distribution Board)
यह घर की पूरी बिजली आपूर्ति का केंद्र होता है। इसमें मुख्य एमसीबी और बाकी सभी सर्किटों के लिए अलग-अलग एमसीबी लगे होते हैं।
सही और सुरक्षित वायरिंग के लिए, हमेशा ISI मार्क वाले सामानों का ही उपयोग करें और यह काम किसी पेशेवर इलेक्ट्रीशियन से ही करवाएं।




घर की वायरिंग मुख्य रूप से दो तरीकों से की जाती है:
 * सतह वायरिंग (Surface Wiring) या ओपन वायरिंग:
   * विवरण: 
इस विधि में तार और पाइप (कंड्यूट) को दीवार के बाहर लगाया जाता है।
   * कैसे करें:
     * सबसे पहले, दीवारों पर प्लास्टिक की केसिंग (casing) या पीवीसी कंड्यूट पाइप को क्लिप की मदद से लगाया जाता है।
     * फिर, इन केसिंग या पाइपों के अंदर से तार गुजारे जाते हैं।
   * फायदे:
     * यह विधि सस्ती और लगाने में आसान होती है।
     * अगर कोई समस्या आती है तो तारों को आसानी से बदला या मरम्मत किया जा सकता है।
   * नुकसान:
     * यह घर की सुंदरता को कम करती है क्योंकि तार और पाइप बाहर दिखाई देते हैं।
     * धूल, नमी और बाहरी नुकसान से तारों की सुरक्षा कम होती है।
   * उपयोग: 
यह अक्सर अस्थायी वायरिंग, दुकान या कारखाने जैसी जगहों पर उपयोग होती है, जहां सौंदर्य की उतनी चिंता नहीं होती।
 * गुप्त वायरिंग (Concealed Wiring) या अंडरग्राउंड वायरिंग:
   * विवरण: यह आज के समय में घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली विधि है। इसमें तार और पाइप को दीवारों और छत के अंदर छुपाया जाता है।
   * कैसे करें:
     * घर के निर्माण के समय ही, दीवारों में खांचे (channels) बनाए जाते हैं और इनमें पीवीसी कंड्यूट पाइप डाले जाते हैं।
     * इन पाइपों के अंदर से ही तारों को गुजारा जाता है।
     * स्विच और सॉकेट के लिए भी बॉक्स दीवार के अंदर ही लगाए जाते हैं।
   * फायदे:
     * यह घर को बहुत साफ और सुंदर लुक देता है क्योंकि कोई भी तार बाहर दिखाई नहीं देता।
     * तार बाहरी नुकसान, धूल और नमी से पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं।
     * यह आग और शॉर्ट सर्किट के जोखिम को कम करता है।
   * नुकसान:
     * यह विधि महंगी होती है और इसे लगाना मुश्किल होता है।
     * अगर कोई समस्या आती है तो मरम्मत करना मुश्किल और महंगा हो सकता है, क्योंकि इसके लिए दीवारों को तोड़ना पड़ सकता है।
कुछ अन्य पुरानी और कम प्रचलित विधियाँ
 * क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring):
यह एक बहुत पुरानी और अस्थायी विधि है जिसमें इंसुलेटेड तारों को लकड़ी या चीनी मिट्टी की क्लिप से दीवार पर लगाया जाता था। यह अब लगभग उपयोग में नहीं है।
 * केसिंग-केपिंग वायरिंग (Casing-Capping Wiring): 
इस विधि में लकड़ी की केसिंग और केपिंग का उपयोग होता था। यह भी अब आधुनिक घरों में उपयोग नहीं होती है।
निष्कर्ष:
आजकल, घरों में गुप्त या अंडरग्राउंड कंड्यूट वायरिंग ही सबसे सुरक्षित और सबसे अधिक पसंद की जाने वाली विधि है। यह न केवल सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि घर की सुंदरता को भी बढ़ाती है। इस काम को हमेशा एक कुशल और प्रमाणित इलेक्ट्रीशियन से ही करवाना चाहिए।




घर में वायरिंग कई तरीकों से की जाती है, जो कि उसकी सुरक्षा, सुंदरता, और लागत पर निर्भर करता है। भारत में, मुख्य रूप से इन दो तरीकों का इस्तेमाल होता है:

1. गुप्त वायरिंग (Concealed Wiring)
यह आधुनिक घरों में सबसे लोकप्रिय तरीका है। इसमें वायरिंग को दीवारों और छतों के अंदर छुपा दिया जाता है।
 * तरीका
घर के निर्माण के दौरान, दीवारों में खांचे (channels) बनाकर उनमें पीवीसी (PVC) पाइप डाले जाते हैं। इन्हीं पाइपों के अंदर से तारों को गुजारा जाता है।
 * फायदे:
   * सुरक्षा: 
तार बाहरी नुकसान, धूल और नमी से पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं। यह आग लगने के खतरे को भी कम करता है।
   * सौंदर्य: 
यह घर को एक साफ और आकर्षक लुक देता है, क्योंकि तार दिखाई नहीं देते हैं।
 * नुकसान:
   * लागत: 
इसे स्थापित करना महंगा होता है और इसमें ज्यादा समय लगता है।
   * मरम्मत:
अगर कोई समस्या आती है, तो मरम्मत करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि दीवारों को तोड़ना पड़ सकता है।
2. सतह वायरिंग (Surface Wiring)
इस विधि में, वायरिंग को दीवारों और छतों के बाहर लगाया जाता है।
 * तरीका: 
इसमें प्लास्टिक की केसिंग (casing) या पीवीसी कंड्यूट पाइप को क्लिप की मदद से दीवारों पर लगाया जाता है और तारों को उनके अंदर से गुजारा जाता है।
 * फायदे:
   * लागत:
यह तरीका सस्ता और जल्दी लग जाता है।
   * मरम्मत:
अगर कोई खराबी आती है, तो तारों तक पहुंचना और उन्हें ठीक करना आसान होता है।
 * नुकसान:
   * सौंदर्य: 
यह घर के लुक को खराब करता है क्योंकि तार और पाइप बाहर दिखाई देते हैं।
   * सुरक्षा: 
बाहरी तत्वों जैसे धूल, नमी, यांत्रिक नुकसान और आग से तारों की सुरक्षा कम होती है।
 * उपयोग: 
यह अक्सर दुकानों, फैक्ट्रियों, या अस्थायी सेटअप के लिए इस्तेमाल होता है, जहाँ लागत और आसान पहुंच ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।
अन्य प्रकार की वायरिंग (जो अब कम इस्तेमाल होती है)
 * बैटन वायरिंग (Batten Wiring): 
इसमें तार एक लकड़ी के पट्टे (batten) पर लगाए जाते थे। यह पुरानी विधि है और अब इसका इस्तेमाल बहुत कम होता है।
 * केसिंग और कैपिंग वायरिंग (Casing and Capping Wiring): 
इस विधि में तारों को लकड़ी या प्लास्टिक के चैनलों (casings) में रखा जाता था, और फिर एक कैप से ढक दिया जाता था। यह भी अब लगभग उपयोग में नहीं है।




विभिन्न प्रकार की वायरिंग और उनमें इस्तेमाल होने वाले सामान (मटेरियल) दोनों ही किसी भी इमारत की सुरक्षा और कार्यक्षमता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

1. गुप्त वायरिंग (Concealed Wiring)
यह आधुनिक घरों में सबसे आम और सुरक्षित तरीका है। इसमें वायरिंग को दीवारों और छत के अंदर छुपाया जाता है।
 * इस्तेमाल होने वाला मटेरियल:
   * PVC कंड्यूट पाइप (PVC Conduit Pipe):
ये प्लास्टिक के मजबूत पाइप होते हैं, जिनके अंदर तार डाले जाते हैं। ये तारों को बाहरी नुकसान और नमी से बचाते हैं।
   * PVC जंक्शन बॉक्स (PVC Junction Box): 
ये प्लास्टिक के बॉक्स होते हैं, जो दीवारों में लगाए जाते हैं। इनका इस्तेमाल तारों को जोड़ने और स्विच-सॉकेट लगाने के लिए होता है।
   * इंसुलेटेड कॉपर वायर (Insulated Copper Wire): 
ISI मार्क वाले, अलग-अलग गेज (मोटाई) के कॉपर के तार इस्तेमाल होते हैं।
   * स्विच, सॉकेट और प्लेट (Switches, Sockets & Plates): 
मॉड्यूलर स्विच और सॉकेट लगाए जाते हैं, जो दिखने में भी अच्छे लगते हैं।
   * एमसीबी (MCB - Miniature Circuit Breaker): 
यह सुरक्षा के लिए लगाया जाता है, जो ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट होने पर बिजली की सप्लाई काट देता है।
2. सतह वायरिंग (Surface Wiring)
इस तरीके में वायरिंग को दीवारों और छत के बाहर लगाया जाता है। यह अक्सर अस्थायी सेटअप या ऐसी जगहों के लिए इस्तेमाल होता है, जहाँ लागत कम रखना और मरम्मत आसान बनाना मुख्य उद्देश्य हो।
 * इस्तेमाल होने वाला मटेरियल:
   * केसिंग-केपिंग (Casing-Capping):
यह प्लास्टिक के चैनल होते हैं, जिसमें तार रखकर ऊपर से एक ढक्कन (capping) लगा दिया जाता है।
   * पीवीसी कंड्यूट पाइप (PVC Conduit Pipe):
गुप्त वायरिंग की तरह ही, लेकिन इसमें पाइप को दीवार के बाहर क्लिप की मदद से लगाया जाता है।
   * इंसुलेटेड कॉपर वायर (Insulated Copper Wire): 
गुप्त वायरिंग की तरह ही तार का इस्तेमाल होता है।
   * स्विच और सॉकेट (Switches & Sockets):
इस वायरिंग में अक्सर नॉन-मॉड्यूलर या साधारण स्विच और सॉकेट इस्तेमाल होते हैं।
   * एमसीबी (MCB): 
इसमें भी सुरक्षा के लिए एमसीबी लगाया जाता है।
3. क्लीट वायरिंग (Cleat Wiring)
यह एक बहुत पुराना और सरल तरीका है, जो अब बहुत कम ही इस्तेमाल होता है। यह सिर्फ अस्थायी वायरिंग के लिए सही है।
 * इस्तेमाल होने वाला मटेरियल:
   * पोरसेलेन क्लीट्स (Porcelain Cleats): 
ये चीनी मिट्टी के दो-भाग वाले क्लिप होते थे, जिनके बीच से तार को गुजारा जाता था।
   * VI (Vulcanized Indian Rubber) इंसुलेटेड वायर: 
रबर इंसुलेशन वाले तार इस्तेमाल होते थे।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
 * हमेशा ISI मार्क वाले मटेरियल का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि ये सुरक्षा मानकों पर खरे उतरते हैं।
 * वायरिंग का काम हमेशा एक अनुभवी और लाइसेंस प्राप्त इलेक्ट्रीशियन से ही करवाएं।
 * वायर का साइज (गेज) सही चुनें। अधिक लोड वाले उपकरणों के लिए मोटे तार (जैसे 2.5 mm^2 या 4 mm^2) का इस्तेमाल करें ताकि ओवरहीटिंग न हो।




घर में बिजली की वायरिंग करना एक जटिल और जोखिम भरा काम है। इसे हमेशा एक पेशेवर और अनुभवी इलेक्ट्रीशियन से ही करवाना चाहिए। गलत तरीके से की गई वायरिंग से शॉर्ट सर्किट, आग लगने और बिजली का झटका लगने का खतरा रहता है।
फिर भी, अगर आप यह समझना चाहते हैं कि घर की वायरिंग कैसे की जाती है, तो यहाँ उसका एक सामान्य परिचय दिया गया है।

1. योजना (Planning)
यह वायरिंग का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
 * लोड की गणना:
सबसे पहले यह तय किया जाता है कि घर में कितने और कौन-कौन से उपकरण चलेंगे (जैसे पंखे, बल्ब, AC, गीजर)। इसके आधार पर कुल बिजली की खपत का अनुमान लगाया जाता है।
 * प्लान बनाना: 
हर कमरे में कहाँ-कहाँ लाइट, पंखे, स्विच और सॉकेट लगेंगे, इसका एक नक्शा बनाया जाता है।
 * सामान का चयन: 
लोड के हिसाब से सही आकार (गेज) के तार, MCB, स्विच, सॉकेट और अन्य सामान का चयन किया जाता है। ISI मार्क वाले उत्पादों का ही उपयोग करें।
2. गुप्त वायरिंग (Concealed Wiring) का तरीका
यह आधुनिक घरों में सबसे आम तरीका है।
 * पाइप डालना (Conduit Installation): 
घर के निर्माण के दौरान, दीवारों और छत में खांचे बनाए जाते हैं। इन खांचों में PVC कंड्यूट पाइप डाले जाते हैं। इन पाइपों का उपयोग तारों को छुपाने के लिए किया जाता है।
 * जंक्शन बॉक्स लगाना: 
स्विच और सॉकेट लगाने के लिए दीवारों में जंक्शन बॉक्स लगाए जाते हैं, जिन्हें इन पाइपों से जोड़ा जाता है।
 * तार खींचना (Wire Pulling): 
एक बार जब सभी पाइप और बॉक्स लग जाते हैं, तो तारों को इन पाइपों के अंदर से खींचा जाता है। हर सर्किट के लिए अलग-अलग रंग के तारों का उपयोग किया जाता है:
   * फेज़ (Phase): 
लाल, पीला या नीला तार।
   * न्यूट्रल (Neutral): 
काला तार।
   * अर्थिंग (Earthing): 
हरा या हरे-पीले रंग का तार।
3. वितरण और सुरक्षा
 * मुख्य वितरण बोर्ड (Main Distribution Board): घर के मुख्य बिजली मीटर से बिजली इस बोर्ड में आती है। यहाँ से बिजली घर के अलग-अलग सर्किटों में बांटी जाती है।
 * MCB लगाना: हर सर्किट के लिए एक अलग MCB (Miniature Circuit Breaker) लगाया जाता है। अगर किसी सर्किट में ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट होता है, तो वह MCB अपने आप बंद हो जाता है, जिससे उस सर्किट की बिजली कट जाती है और दुर्घटना का खतरा टल जाता है।
 * RCD/RCCB लगाना: मुख्य बोर्ड में Residual Current Device (RCD) या Residual Current Circuit Breaker (RCCB) भी लगाया जाता है, जो किसी व्यक्ति को बिजली का झटका लगने से बचाता है।
4. अंतिम चरण
 * स्विच और सॉकेट लगाना: सभी जंक्शन बॉक्स में स्विच और सॉकेट लगाए जाते हैं और उन्हें तारों से जोड़ा जाता है।
 * जाँच (Testing): वायरिंग पूरी होने के बाद, इलेक्ट्रीशियन एक मल्टीमीटर और अन्य उपकरणों की मदद से पूरी वायरिंग की जाँच करता है कि कहीं कोई गलती तो नहीं है।
निष्कर्ष:
बिजली की वायरिंग एक ऐसा काम है जिसमें छोटी सी गलती भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि आपका इलेक्ट्रीशियन सभी सुरक्षा नियमों का पालन करे और ISI-प्रमाणित सामग्री का ही उपयोग करे।










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