प्रमुख प्रकार के रिले दिए गए हैं रिले एक विद्युत-नियंत्रित स्विच होता है
रिले एक विद्युत-नियंत्रित स्विच होता है जो किसी अन्य विद्युत परिपथ को खोलने या बंद करने के लिए उपयोग किया जाता है। ये कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें उनके कार्य सिद्धांत, निर्माण या अनुप्रयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
यहाँ कुछ प्रमुख प्रकार के रिले दिए गए हैं:
1. कार्य सिद्धांत के आधार पर
* विद्युतचुंबकीय रिले (Electromagnetic Relay):
ये सबसे सामान्य प्रकार के रिले होते हैं। इनमें एक कॉइल होती है, जिसमें धारा प्रवाहित करने पर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक आर्मेचर को आकर्षित करता है, जिससे संपर्क खुलते या बंद होते हैं। ये AC और DC दोनों प्रकार की आपूर्ति पर काम कर सकते हैं।
* ठोस-अवस्था रिले (Solid-State Relay - SSR):
इन रिले में कोई यांत्रिक गतिमान भाग नहीं होता है। ये विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए ट्रांजिस्टर, थायरिस्टर जैसे इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग करते हैं। ये तेज़ स्विचिंग गति, लंबा जीवनकाल और शांत संचालन जैसे लाभ प्रदान करते हैं।
* तापमान रिले (Temperature Relay):
ये रिले बाहरी तापमान के एक निश्चित मान तक पहुँचने पर कार्य करते हैं। इनका उपयोग उन अनुप्रयोगों में होता है जहाँ तापमान की निगरानी और नियंत्रण महत्वपूर्ण होता है।
* रीड रिले (Reed Relay):
इनमें एक सील की हुई ग्लास ट्यूब में रीड स्विच होता है। ये कम-शक्ति वाले अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाते हैं और इनमें उच्च इन्सुलेशन प्रतिरोध होता है।
2. अनुप्रयोग या कार्य के आधार पर
* समय-विलंब रिले (Time-Delay Relay):
ये रिले संपर्कों को स्विच करने से पहले एक विशिष्ट देरी प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इनका उपयोग उन अनुप्रयोगों में किया जाता है जहाँ समय महत्वपूर्ण होता है, जैसे मोटर नियंत्रण सर्किट में।
* अधिविद्युत धारा रिले (Overcurrent Relay):
ये रिले तब संचालित होते हैं जब किसी परिपथ में धारा अपने निर्धारित मूल्य से अधिक हो जाती है। इनका उपयोग सिस्टम सर्किट और अधिभार से सुरक्षा के लिए किया जाता है।
* अधिवोल्टेज रिले (Overvoltage Relay):
ये रिले तब काम करते हैं जब किसी प्रणाली का वोल्टेज असामान्य रूप से बढ़ जाता है (रेटेड मूल्य का 120% तक)। ये विद्युत उपकरणों को क्षति से बचाने में मदद करते हैं।
* अल्पवोल्टेज रिले (Undervoltage Relay):
ये रिले अधिवोल्टेज रिले के समान होते हैं, लेकिन तब काम करते हैं जब वोल्टेज एक निश्चित स्तर से नीचे चला जाता है।
* दूरी रिले (Distance Relay):
ये रिले मुख्य रूप से पावर ट्रांसमिशन लाइनों में फॉल्ट का पता लगाने और उन्हें अलग करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
* दिशात्मक रिले (Directional Relay):
ये रिले उस दिशा का पता लगाते हैं जिसमें फॉल्ट करंट प्रवाहित हो रहा है।
* आवृत्ति निगरानी रिले (Frequency Monitoring Relay):
ये रिले सिस्टम की आवृत्ति में बदलाव की निगरानी करते हैं।
* सुरक्षात्मक रिले (Protective Relay):
इनका उपयोग विद्युत प्रणालियों को दोषों, अधिभार और अन्य असामान्यताओं से बचाने के लिए किया जाता है।
3. पोलो की संख्या के आधार पर
* सिंगल पोल सिंगल थ्रो (SPST) रिले:
इनमें एक इनपुट और एक आउटपुट संपर्क होता है।
* सिंगल पोल डबल थ्रो (SPDT) रिले:
इनमें एक इनपुट और दो आउटपुट संपर्क होते हैं (एक सामान्य रूप से खुला और एक सामान्य रूप से बंद)।
* डबल पोल सिंगल थ्रो (DPST) रिले:
इनमें दो इनपुट और दो आउटपुट संपर्क होते हैं।
* डबल पोल डबल थ्रो (DPDT) रिले:
इनमें दो इनपुट और चार आउटपुट संपर्क होते हैं।
ये रिले के कुछ मुख्य प्रकार हैं। उनके विशिष्ट उपयोग और जटिलता के आधार पर और भी कई उप-प्रकार हो सकते हैं।
क्या आप किसी विशिष्ट प्रकार के रिले के बारे में और जानना चाहेंगे?
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