पीएलसी (प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर) प्रोग्रामिंग औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation) में मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक विशेष तकनीक है। यह पारंपरिक रिले-आधारित नियंत्रण प्रणालियों का एक डिजिटल विकल्प है, जो अधिक लचीलापन, विश्वसनीयता और दक्षता प्रदान करता है।

 पीएलसी (प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर) प्रोग्रामिंग औद्योगिक स्वचालन (Industrial Automation) में मशीनों और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक विशेष तकनीक है। यह पारंपरिक रिले-आधारित नियंत्रण प्रणालियों का एक डिजिटल विकल्प है, जो अधिक लचीलापन, विश्वसनीयता और दक्षता प्रदान करता है।

पीएलसी प्रोग्रामिंग की कुछ मुख्य अवधारणाएँ इस प्रकार हैं:

1. लैडर लॉजिक (Ladder Logic) 

यह पीएलसी प्रोग्रामिंग की सबसे आम और समझने में आसान भाषा है। यह एक इलेक्ट्रिक रिले कंट्रोल सर्किट आरेख (Electrical Relay Control Circuit Diagram) जैसा दिखता है, जिसमें दो ऊर्ध्वाधर "रेल" (पावर लाइन) और उनके बीच क्षैतिज "रंग" (लॉजिक स्टेटमेंट) होते हैं।

 * इनपुट (Inputs): इन्हें सामान्यतः खुले (Normally Open - NO) या सामान्यतः बंद (Normally Closed - NC) संपर्कों के रूप में दर्शाया जाता है। ये सेंसर, स्विच या अन्य इनपुट डिवाइस से सिग्नल प्राप्त करते हैं। जब इनपुट की स्थिति बदलती है (उदाहरण के लिए, एक बटन दबाया जाता है), तो यह संबंधित संपर्क की स्थिति को बदलता है।

 * आउटपुट (Outputs): इन्हें कॉइल (Coils) के रूप में दर्शाया जाता है। जब एक रंग में लॉजिक सही होता है, तो संबंधित आउटपुट कॉइल सक्रिय हो जाती है, जिससे मोटर, लाइट या अन्य एक्चुएटर चालू हो जाते हैं।

 * लॉजिक गेट्स (Logic Gates): लैडर लॉजिक में AND, OR, NOT जैसे बुनियादी लॉजिक ऑपरेशन का उपयोग किया जाता है।

   * AND: एक आउटपुट तभी सक्रिय होगा जब सभी संबंधित इनपुट सही होंगे।

   * OR: एक आउटपुट तभी सक्रिय होगा जब कोई भी संबंधित इनपुट सही होगा।

   * NOT: एक इनपुट की विपरीत स्थिति।

2. स्कैन साइकिल (Scan Cycle) 

पीएलसी एक स्कैन साइकिल में काम करता है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें पीएलसी निम्नलिखित चरणों को दोहराता है:

 * इनपुट स्कैन (Input Scan): पीएलसी सभी जुड़े हुए इनपुट डिवाइस की वर्तमान स्थिति को पढ़ता है और उन्हें अपनी आंतरिक मेमोरी में संग्रहीत करता है।

 * प्रोग्राम एग्जीक्यूशन (Program Execution): पीएलसी संग्रहीत इनपुट स्थितियों के आधार पर उपयोगकर्ता द्वारा बनाए गए प्रोग्राम (लैडर लॉजिक या अन्य भाषा में) को निष्पादित करता है। यह निर्धारित करता है कि आउटपुट की स्थिति क्या होनी चाहिए।

 * आउटपुट अपडेट (Output Update): पीएलसी गणना किए गए आउटपुट स्थितियों के अनुसार आउटपुट डिवाइस को सक्रिय या निष्क्रिय करता है।

 * हाउसकीपिंग (Housekeeping): इसमें आंतरिक निदान और संचार जैसे कार्य शामिल होते हैं।

यह स्कैन साइकिल बहुत तेज़ी से (मिलीसेकंड में) दोहराई जाती है, जिससे पीएलसी वास्तविक समय में प्रक्रियाओं को नियंत्रित कर पाता है।

3. टाइमर और काउंटर (Timers and Counters) 

ये पीएलसी प्रोग्रामिंग के महत्वपूर्ण कार्य ब्लॉक हैं जो समय-आधारित और गिनती-आधारित लॉजिक को सक्षम करते हैं:

 * टाइमर (Timers):

   * टीओएन (TON - Timer ON Delay): एक निश्चित अवधि के बाद आउटपुट को चालू करता है, जब इनपुट सक्रिय हो जाता है।

   * टीओएफ (TOF - Timer OFF Delay): एक निश्चित अवधि के बाद आउटपुट को बंद करता है, जब इनपुट निष्क्रिय हो जाता है।

   * आरटीओ (RTO - Retentive Timer ON Delay): यह एक टीओएन टाइमर की तरह है, लेकिन अगर पीएलसी पावर खो देता है, तो यह अपनी वर्तमान गिनती को बनाए रखता है।

 * काउंटर (Counters):

   * सीटीयू (CTU - Count Up): जब इनपुट सक्रिय होता है तो यह गिनना शुरू कर देता है और एक पूर्व निर्धारित मान (Preset Value) तक पहुंचने पर आउटपुट सक्रिय करता है।

   * सीटीडी (CTD - Count Down): यह एक पूर्व निर्धारित मान से नीचे गिनना शुरू कर देता है और शून्य तक पहुंचने पर आउटपुट सक्रिय करता है।

   * सीटीयूडी (CTUD - Count Up/Down): यह ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में गिन सकता है।

4. मेमोरी एड्रेसिंग (Memory Addressing) 

पीएलसी में प्रत्येक इनपुट, आउटपुट, टाइमर और काउंटर का एक विशिष्ट मेमोरी एड्रेस होता है। प्रोग्रामर इस एड्रेस का उपयोग करके इन तत्वों को अपने प्रोग्राम में संदर्भित करता है। विभिन्न पीएलसी निर्माताओं के लिए एड्रेसिंग सिस्टम भिन्न हो सकते हैं।

5. प्रोग्रामिंग भाषाएँ (Programming Languages) 

लैडर लॉजिक के अलावा, पीएलसी को प्रोग्राम करने के लिए कुछ अन्य भाषाएँ भी उपलब्ध हैं, जो IEC 61131-3 मानक द्वारा परिभाषित हैं:

 * स्ट्रक्चर्ड टेक्स्ट (Structured Text - ST): यह एक उच्च-स्तरीय टेक्स्ट-आधारित भाषा है जो पास्कल (Pascal) के समान है। यह जटिल गणितीय गणना और डेटा हेरफेर के लिए उपयुक्त है।

 * फंक्शन ब्लॉक डायग्राम (Function Block Diagram - FBD): यह ग्राफिकली लॉजिक को दर्शाता है, जहाँ कार्य ब्लॉक (जैसे टाइमर, काउंटर, गणितीय ऑपरेशन) एक साथ जुड़े होते हैं।

 * इंस्ट्रक्शन लिस्ट (Instruction List - IL): यह एक असेंबली-जैसी, निम्न-स्तरीय टेक्स्ट-आधारित भाषा है।

 * सीक्वेंशियल फंक्शन चार्ट (Sequential Function Chart - SFC): यह प्रक्रियाओं के अनुक्रमिक (Sequential) नियंत्रण के लिए उपयोग की जाती है, जहाँ एक प्रक्रिया को विभिन्न चरणों और संक्रमणों (Transitions) में विभाजित किया जाता है।

6. इनपुट/आउटपुट (I/O) मॉड्यूल (Input/Output Modules) 

पीएलसी इनपुट/आउटपुट मॉड्यूल के माध्यम से वास्तविक दुनिया के उपकरणों से जुड़ता है।

 * डिजिटल I/O: ये ऑन/ऑफ सिग्नल (जैसे स्विच, बटन, लाइट) को संभालते हैं।

 * एनालॉग I/O: ये निरंतर चर सिग्नल (जैसे तापमान, दबाव, गति) को संभालते हैं।

इन अवधारणाओं को समझकर, कोई भी औद्योगिक स्वचालन अनुप्रयोगों के लिए प्रभावी ढंग से पीएलसी प्रोग्राम विकसित कर सकता है।


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घरेलू उपयोग के लिए पीएलसी (Programmable Logic Controller) का इस्तेमाल करना संभव है, हालांकि यह औद्योगिक उपयोग जितना आम नहीं है। आमतौर पर, घर के स्वचालन के लिए माइक्रोकंट्रोलर-आधारित सिस्टम या रेडीमेड स्मार्ट होम सोल्यूशंस (जैसे गूगल होम, अमेज़न एलेक्सा, स्मार्टथिंग्स) अधिक प्रचलित हैं।

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