ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) और पारस्परिक प्रेरण (Mutual Induction) के सिद्धांतों पर आधारित है।

 ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) और पारस्परिक प्रेरण (Mutual Induction) के सिद्धांतों पर आधारित है। 

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)

यह सिद्धांत माइकल फैराडे द्वारा प्रतिपादित किया गया था, और इसे फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम के रूप में जाना जाता है। यह बताता है कि:

 * पहला नियम: जब भी किसी चालक (जैसे तार की कुंडली) को बदलते हुए चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उसमें एक विद्युतवाहक बल (EMF) उत्पन्न होता है। यदि परिपथ बंद हो तो एक प्रेरित धारा प्रवाहित होती है।

 * दूसरा नियम: प्रेरित विद्युतवाहक बल (EMF) उस परिपथ से जुड़े चुंबकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के समानुपापाती होता है। इसका मतलब है कि जितनी तेज़ी से चुंबकीय क्षेत्र बदलेगा, उतना ही अधिक EMF उत्पन्न होगा।

पारस्परिक प्रेरण (Mutual Induction)

पारस्परिक प्रेरण वह घटना है जहाँ:

 * जब दो कुंडलियाँ एक-दूसरे के निकट रखी जाती हैं।

 * एक कुंडली (जिसे प्राथमिक कुंडली कहते हैं) में प्रत्यावर्ती धारा (AC) प्रवाहित की जाती है।

 * यह प्रत्यावर्ती धारा एक परिवर्तनशील चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।

 * यह परिवर्तनशील चुंबकीय क्षेत्र दूसरी कुंडली (जिसे द्वितीयक कुंडली कहते हैं) से जुड़ जाता है।

 * फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम के अनुसार, इस बदलते हुए चुंबकीय फ्लक्स के कारण द्वितीयक कुंडली में एक विद्युतवाहक बल (EMF) उत्पन्न होता है।

ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है? 

ट्रांसफार्मर में मुख्य रूप से दो कुंडलियाँ होती हैं:

 * प्राथमिक कुंडली (Primary Winding): यह वह कुंडली है जिससे इनपुट AC वोल्टेज जोड़ा जाता है।

 * द्वितीयक कुंडली (Secondary Winding): यह वह कुंडली है जिससे आउटपुट वोल्टेज प्राप्त किया जाता है।

ये दोनों कुंडलियाँ एक सामान्य पटलित चुंबकीय कोर (Laminated Magnetic Core) पर लपेटी जाती हैं। यह कोर आमतौर पर लोहे का बना होता है और चुंबकीय फ्लक्स को प्राथमिक से द्वितीयक कुंडली तक कुशलतापूर्वक स्थानांतरित करने में मदद करता है।

कार्यप्रणाली:

 * जब प्राथमिक कुंडली में प्रत्यावर्ती (AC) वोल्टेज लगाया जाता है, तो यह प्राथमिक कुंडली में एक प्रत्यावर्ती धारा (AC current) को प्रवाहित करता है।

 * यह प्रत्यावर्ती धारा चुंबकीय कोर में एक परिवर्तनशील चुंबकीय क्षेत्र (alternating magnetic field) उत्पन्न करती है।

 * यह परिवर्तनशील चुंबकीय क्षेत्र कोर के माध्यम से द्वितीयक कुंडली से जुड़ जाता है।

 * फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम के अनुसार, इस बदलते हुए चुंबकीय फ्लक्स के कारण द्वितीयक कुंडली में एक EMF (वोल्टेज) प्रेरित होता है। यह पारस्परिक प्रेरण के कारण होता है।

 * प्रेरित वोल्टेज का मान प्राथमिक और द्वितीयक कुंडलियों में फेरों की संख्या के अनुपात पर निर्भर करता है।

   * यदि द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या प्राथमिक कुंडली से अधिक है, तो आउटपुट वोल्टेज इनपुट वोल्टेज से अधिक होगा (स्टेप-अप ट्रांसफार्मर)।

   * यदि द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या प्राथमिक कुंडली से कम है, तो आउटपुट वोल्टेज इनपुट वोल्टेज से कम होगा (स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर)।

इस प्रकार, ट्रांसफार्मर विद्युत ऊर्जा को एक परिपथ से दूसरे परिपथ में आवृत्ति (frequency) में परिवर्तन किए बिना स्थानांतरित करता है, लेकिन वोल्टेज के स्तर को बढ़ाता या घटाता है।


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