ट्रांसफार्मर: परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
ट्रांसफार्मर: परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
1. ट्रांसफार्मर क्या है और यह किस सिद्धांत पर काम करता है?
उत्तर: ट्रांसफार्मर एक स्थैतिक (static) विद्युत मशीन है जो प्रेरण (induction) के सिद्धांत पर काम करता है। यह एक एसी (प्रत्यावर्ती धारा) वोल्टेज को एक स्तर से दूसरे स्तर (कम या ज्यादा) में बदलने के लिए उपयोग किया जाता है, बिना आवृत्ति (frequency) में बदलाव किए। यह म्युचुअल इंडक्शन (mutual induction) के सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ प्राथमिक कुंडली (primary coil) में बदलते हुए चुंबकीय क्षेत्र द्वितीयक कुंडली (secondary coil) में एक ईएमएफ (विद्युतवाहक बल) प्रेरित करता है।
2. ट्रांसफार्मर के मुख्य भाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर: ट्रांसफार्मर के मुख्य भाग निम्नलिखित हैं:
* कोर (Core): यह आमतौर पर नरम लोहे (soft iron) या सिलिकॉन स्टील (silicon steel) की लेमिनेटेड शीटों से बना होता है। यह प्राथमिक और द्वितीयक कुंडली के बीच चुंबकीय प्रवाह (magnetic flux) के लिए एक निम्न-प्रतिरोध पथ प्रदान करता है। कोर को लेमिनेटेड (laminated) इसलिए किया जाता है ताकि भंवर धारा हानि (eddy current losses) को कम किया जा सके।
* प्राथमिक कुंडली (Primary Winding): यह वह कुंडली है जिसे एसी स्रोत से जोड़ा जाता है।
* द्वितीयक कुंडली (Secondary Winding): यह वह कुंडली है जिससे लोड जुड़ा होता है और जहाँ प्रेरित वोल्टेज प्राप्त होता है।
* इन्सुलेशन (Insulation): यह कुंडली और कोर के बीच विद्युत अलगाव प्रदान करता है।
* टैंक और कूलिंग सिस्टम (Tank and Cooling System): बड़े ट्रांसफार्मर में कोर और कुंडली को तेल से भरे टैंक में रखा जाता है ताकि कूलिंग और इन्सुलेशन प्रदान किया जा सके।
3. ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: ट्रांसफार्मर को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है:
* वोल्टेज के आधार पर:
* स्टेप-अप ट्रांसफार्मर (Step-up Transformer): यह इनपुट वोल्टेज को बढ़ाता है और करंट को कम करता है। इसमें द्वितीयक कुंडली में प्राथमिक कुंडली की तुलना में अधिक फेरे (turns) होते हैं।
* स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर (Step-down Transformer): यह इनपुट वोल्टेज को घटाता है और करंट को बढ़ाता है। इसमें द्वितीयक कुंडली में प्राथमिक कुंडली की तुलना में कम फेरे होते हैं।
* कोर के प्रकार के आधार पर:
* कोर-प्रकार ट्रांसफार्मर (Core-type Transformer): इसमें कुंडली कोर के लिम्ब्स (limbs) पर लपेटी जाती है।
* शेल-प्रकार ट्रांसफार्मर (Shell-type Transformer): इसमें कोर कुंडली के चारों ओर लपेटा होता है।
* कूलिंग के आधार पर:
* तेल-डूबा हुआ (Oil-immersed)
* ड्राई-टाइप (Dry-type)
* फेज़ के आधार पर:
* सिंगल-फेज़ (Single-phase)
* थ्री-फेज़ (Three-phase)
4. ट्रांसफार्मर में होने वाली हानियाँ (Losses) कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: ट्रांसफार्मर में मुख्य रूप से दो प्रकार की हानियाँ होती हैं:
* कोर हानियाँ / लौह हानियाँ (Core Losses / Iron Losses): ये हानियाँ कोर में होती हैं और वोल्टेज पर निर्भर करती हैं। इन्हें दो भागों में बांटा गया है:
* हिस्टैरिसीस हानि (Hysteresis Loss): यह कोर के चुंबकन (magnetization) और विचुंबकन (demagnetization) चक्रों के कारण होती है। इसे सिलिकॉन स्टील का उपयोग करके कम किया जा सकता है।
* भंवर धारा हानि (Eddy Current Loss): यह कोर में प्रेरित भंवर धाराओं के कारण होती है। इसे कोर को पतली, लेमिनेटेड शीटों से बनाकर कम किया जा सकता है।
* ताम्र हानियाँ (Copper Losses): ये हानियाँ कुंडली (प्राथमिक और द्वितीयक) के प्रतिरोध के कारण होती हैं जब उनमें से धारा प्रवाहित होती है। ये धारा के वर्ग (I²) और प्रतिरोध (R) के गुणनफल पर निर्भर करती हैं (I²R losses)। इन्हें मोटे तारों का उपयोग करके कम किया जा सकता है।
5. ट्रांसफार्मर की दक्षता (Efficiency) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: ट्रांसफार्मर की दक्षता उसके आउटपुट पावर (output power) और इनपुट पावर (input power) के अनुपात के रूप में परिभाषित की जाती है। इसे आमतौर पर प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
\eta = \frac{आउटपुट पावर}{इनपुट पावर} \times 100\%$$या$$\eta = \frac{आउटपुट पावर}{आउटपुट पावर + हानियाँ} \times 100\%
एक आदर्श ट्रांसफार्मर की दक्षता 100% होती है, लेकिन वास्तविक ट्रांसफार्मर में हानियों के कारण दक्षता हमेशा 100% से कम होती है। ट्रांसफार्मर की दक्षता आमतौर पर बहुत अधिक होती है (95% से 99% तक)।
6. ट्रांसफार्मर में ओपन-सर्किट टेस्ट और शॉर्ट-सर्किट टेस्ट क्यों किए जाते हैं?
उत्तर: ये दोनों टेस्ट ट्रांसफार्मर की हानियों और पैरामीटर्स (जैसे प्रतिरोध, लीकेज रिएक्टेंस) को निर्धारित करने के लिए किए जाते हैं:
* ओपन-सर्किट टेस्ट (Open-Circuit Test): यह टेस्ट ट्रांसफार्मर के कोर हानियों (Core Losses) को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसमें द्वितीयक कुंडली को खुला रखा जाता है और प्राथमिक कुंडली पर रेटेड वोल्टेज लागू किया जाता है।
* शॉर्ट-सर्किट टेस्ट (Short-Circuit Test): यह टेस्ट ट्रांसफार्मर के ताम्र हानियों (Copper Losses) को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसमें द्वितीयक कुंडली को शॉर्ट-सर्किट किया जाता है और प्राथमिक कुंडली पर एक कम वोल्टेज लगाया जाता है ताकि रेटेड करंट प्रवाहित हो सके।
7. ट्रांसफार्मर का टर्न अनुपात (Turns Ratio) क्या है?
उत्तर: टर्न अनुपात प्राथमिक कुंडली के फेरों की संख्या (N_p) और द्वितीयक कुंडली के फेरों की संख्या (N_s) का अनुपात होता है। यह वोल्टेज और करंट अनुपात से भी संबंधित होता है:
a = \frac{N_p}{N_s} = \frac{V_p}{V_s} = \frac{I_s}{I_p}
जहाँ:
* N_p = प्राथमिक कुंडली के फेरों की संख्या
* N_s = द्वितीयक कुंडली के फेरों की संख्या
* V_p = प्राथमिक वोल्टेज
* V_s = द्वितीयक वोल्टेज
* I_p = प्राथमिक करंट
* I_s = द्वितीयक करंट
8. ट्रांसफार्मर में कूलिंग क्यों आवश्यक है? कूलिंग के कुछ तरीके बताइए।
उत्तर: ट्रांसफार्मर के संचालन के दौरान, हानियों (कोर और ताम्र हानियों) के कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है। यदि इस ऊष्मा को हटाया नहीं जाता है, तो ट्रांसफार्मर का तापमान बढ़ जाएगा, जिससे इन्सुलेशन क्षतिग्रस्त हो सकता है और ट्रांसफार्मर खराब हो सकता है। इसलिए, कूलिंग आवश्यक है।
कूलिंग के कुछ तरीके:
* तेल प्राकृतिक वायु प्राकृतिक (ONAN - Oil Natural Air Natural): तेल प्राकृतिक रूप से परिसंचारी होता है और ऊष्मा को टैंक की दीवारों में स्थानांतरित करता है, जहाँ से यह हवा में प्राकृतिक रूप से विकीर्ण होती है।
* तेल प्राकृतिक वायु फोर्स्ड (ONAF - Oil Natural Air Forced): पंखों (fans) का उपयोग करके हवा के परिसंचरण को बढ़ाया जाता है।
* तेल फोर्स्ड वायु फोर्स्ड (OFAF - Oil Forced Air Forced): तेल को पंपों द्वारा प्रसारित किया जाता है और फिर पंखों द्वारा ठंडा किया जाता है।
* पानी कूलिंग (Water Cooling): बड़े ट्रांसफार्मर में, ऊष्मा को पानी के माध्यम से बाहर निकाला जाता है।
9. ट्रांसफार्मर की रेटिंग किस इकाई में की जाती है?
उत्तर: ट्रांसफार्मर की रेटिंग केवीए (kVA - किलोवोल्ट-एम्पीयर) में की जाती है, न कि किलोवाट (kW) में। ऐसा इसलिए है क्योंकि ट्रांसफार्मर केवल वोल्टेज और करंट को रूपांतरित करता है, और पावर फैक्टर (जो kW को निर्धारित करता है) लोड पर निर्भर करता है। ट्रांसफार्मर की हानियाँ (मुख्य रूप से ताम्र हानियाँ) करंट पर निर्भर करती हैं, न कि पावर फैक्टर पर।
10. ऑटो-ट्रांसफार्मर और सामान्य ट्रांसफार्मर में क्या अंतर है?
उत्तर:
| विशेषता | सामान्य ट्रांसफार्मर | ऑटो-ट्रांसफार्मर |
|---|---|---|
| कुंडली | प्राथमिक और द्वितीयक के लिए अलग-अलग कुंडलियाँ | केवल एक कुंडली, जिसमें प्राथमिक और द्वितीयक दोनों कार्य करते हैं |
| पृथक्करण | विद्युत रूप से पृथक (isolated) | विद्युत रूप से पृथक नहीं (common winding) |
| कॉपर की मात्रा | अधिक कॉपर की आवश्यकता | कम कॉपर की आवश्यकता (छोटे आकार के लिए) |
| दक्षता | अच्छी दक्षता | सामान्य ट्रांसफार्मर की तुलना में अधिक दक्षता (छोटे आकार के लिए) |
| उपयोग | पावर ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन, आइसोलेशन आदि। | स्टार्टर, वोल्टेज रेगुलेटर, वेरिएबल ट्रांसफार्मर (Variac) आदि। |
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