ट्रांसफार्मर को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि उनके वोल्टेज स्तर, कोर सामग्री, शीतलन विधि और अनुप्रयोग। यहाँ मुख्य प्रकार दिए गए हैं:
ट्रांसफार्मर को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि उनके वोल्टेज स्तर, कोर सामग्री, शीतलन विधि और अनुप्रयोग। यहाँ मुख्य प्रकार दिए गए हैं:
1. वोल्टेज स्तर के आधार पर
* स्टेप-अप ट्रांसफार्मर (Step-Up Transformer): यह प्राथमिक वाइंडिंग में कम वोल्टेज को द्वितीयक वाइंडिंग में उच्च वोल्टेज में बढ़ाता है। इनका उपयोग आमतौर पर बिजली उत्पादन स्टेशनों पर बिजली को लंबी दूरी तक पारेषित करने के लिए किया जाता है।
* स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर (Step-Down Transformer): यह प्राथमिक वाइंडिंग में उच्च वोल्टेज को द्वितीयक वाइंडिंग में कम वोल्टेज में घटाता है। ये बिजली वितरण के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि घरों और उद्योगों में उपयोग के लिए वोल्टेज को कम करना।
* आइसोलेशन ट्रांसफार्मर (Isolation Transformer): यह प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग के बीच समान वोल्टेज अनुपात (1:1) प्रदान करता है। इनका मुख्य उद्देश्य विद्युत परिपथों को अलग करना और सुरक्षा प्रदान करना है, खासकर संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में।
2. कोर सामग्री के आधार पर
* एयर-कोर ट्रांसफार्मर (Air-Core Transformer): इन ट्रांसफार्मर में प्राथमिक और द्वितीयक वाइंडिंग के बीच कोई ठोस चुंबकीय कोर नहीं होता है; चुंबकीय क्षेत्र हवा के माध्यम से स्थापित होता है। इनका उपयोग आमतौर पर उच्च-आवृत्ति (high-frequency) अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) परिपथों में।
* आयरन-कोर ट्रांसफार्मर (Iron-Core Transformer): इनमें मल्टीपल सॉफ्ट आयरन प्लेट्स (या सिलिकॉन स्टील की परतें) से बना एक कोर होता है। ये उच्च विद्युत प्रवाह घनत्व प्रदान करते हैं और उच्च दक्षता के लिए उपयुक्त होते हैं, खासकर पावर और ऑडियो आवृत्तियों पर।
* फेराइट-कोर ट्रांसफार्मर (Ferrite-Core Transformer): फेराइट एक सिरेमिक जैसी सामग्री है जिसमें उच्च चुंबकीय पारगम्यता होती है और उच्च आवृत्तियों पर बहुत कम नुकसान होता है। ये छोटे और हल्के होते हैं, जो इन्हें उच्च-आवृत्ति वाले इलेक्ट्रॉनिक अनुप्रयोगों, जैसे स्विच-मोड बिजली आपूर्ति और आरएफ परिपथों के लिए आदर्श बनाते हैं।
* टोरॉयडल-कोर ट्रांसफार्मर (Toroidal-Core Transformer): इन ट्रांसफार्मर का आकार डोनट जैसा होता है, जो प्रेरण रिसाव (induction leakage) को कम करने में मदद करता है और उच्च प्रेरण प्रदान करता है। ये कॉम्पैक्ट, कुशल और कम चुंबकीय हस्तक्षेप वाले होते हैं।
3. शीतलन विधि के आधार पर
* ड्राई-टाइप ट्रांसफार्मर (Dry-Type Transformer): ये ट्रांसफार्मर हवा या गैस का उपयोग करके गर्मी को प्रसारित करते हैं और इन्हें किसी भी तरल शीतलक की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें आगे एयर नेचुरल (AN), एयर फोर्स्ड (AF), वेंटिलेटेड सेल्फ-कूल्ड (AA), और सील्ड सेल्फ-कूल्ड (GA) में वर्गीकृत किया जा सकता है। ये आमतौर पर इमारतों, अस्पतालों और डेटा केंद्रों जैसे इनडोर अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाते हैं।
* लिक्विड-इमर्स्ड ट्रांसफार्मर (Liquid-Immersed Transformer): इन ट्रांसफार्मर के कोर और वाइंडिंग एक वेल्डेड स्टील टैंक में डूबे होते हैं जो एक इन्सुलेटिंग तरल (आमतौर पर खनिज तेल) से भरा होता है। तरल गर्मी को अवशोषित करता है और इसे टैंक की दीवारों या बाहरी रेडिएटर में स्थानांतरित करता है। इन्हें आगे वर्गीकृत किया जा सकता है:
* तेल प्राकृतिक वायु प्राकृतिक (ONAN): तेल प्राकृतिक संवहन द्वारा घूमता है, और हवा भी प्राकृतिक संवहन द्वारा गर्मी को प्रसारित करती है।
* तेल प्राकृतिक वायु फोर्स्ड (ONAF): तेल प्राकृतिक संवहन द्वारा घूमता है, लेकिन पंखे हवा के प्रवाह को मजबूर करके शीतलन दक्षता बढ़ाते हैं।
* तेल फोर्स्ड वायु फोर्स्ड (OFAF): तेल को पंपों द्वारा प्रसारित किया जाता है और पंखों द्वारा ठंडी हवा के माध्यम से ठंडा किया जाता है।
* तेल फोर्स्ड जल फोर्स्ड (OFWF): तेल को पंपों द्वारा प्रसारित किया जाता है और पानी के साथ एक हीट एक्सचेंजर के माध्यम से ठंडा किया जाता है।
4. अनुप्रयोग के आधार पर
* पावर ट्रांसफार्मर (Power Transformer): इनका उपयोग बिजली उत्पादन स्टेशनों और ट्रांसमिशन सबस्टेशनों में उच्च वोल्टेज पर बिजली के संचरण के लिए किया जाता है। ये लगातार पूर्ण लोड पर संचालित होते हैं और उच्च दक्षता के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।
* डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर (Distribution Transformer): ये पावर ट्रांसफार्मर से प्राप्त उच्च वोल्टेज को घरों और व्यवसायों में उपयोग के लिए उपयुक्त निम्न वोल्टेज में घटाते हैं। ये आमतौर पर कम चुंबकीय नुकसान के साथ डिज़ाइन किए जाते हैं।
* इंस्ट्रूमेंट ट्रांसफार्मर (Instrument Transformer): इनका उपयोग उच्च धाराओं या वोल्टेज को मापने और सुरक्षा के लिए किया जाता है। इन्हें आगे करंट ट्रांसफार्मर (CT) और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (PT) या वोल्टेज ट्रांसफार्मर (VT) में विभाजित किया जाता है।
* करंट ट्रांसफार्मर (CT): उच्च धाराओं को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
* पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (PT/VT): उच्च वोल्टेज को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
* पल्स ट्रांसफार्मर (Pulse Transformer): ये एक सर्किट से दूसरे सर्किट में आयताकार विद्युत दालों (pulses) को संचारित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जबकि डीसी अलगाव प्रदान करते हैं। इनका उपयोग दूरसंचार और विशेष अनुप्रयोगों में होता है।
* ऑडियो ट्रांसफार्मर (Audio Transformer): इनका उपयोग ऑडियो परिपथों में प्रतिबाधा मिलान (impedance matching), डीसी अलगाव और संकेतों को बढ़ाने या घटाने के लिए किया जाता है।
* ऑटोट्रांसफार्मर (Autotransformer): इसमें केवल एक वाइंडिंग होती है जो प्राथमिक और द्वितीयक दोनों के रूप में कार्य करती है, जिसमें वाइंडिंग का एक हिस्सा दोनों के लिए सामान्य होता है। इनका उपयोग वेरिएबल वोल्टेज आपूर्ति और मोटर स्टार्टर में किया जाता है।
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